गाँव का राजा

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
007
Platinum Member
Posts: 948
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: गाँव का राजा

Unread post by 007 » 08 Nov 2014 12:32


"क्या मामी आप भी ना, मैं कहा बिगड़ा हू, लाओ पाउडर लगा दू"
ये सब तो मैने राज शर्मा की कहानियों मे पढ़ा था उसी मे बताया था लड़की का खड़ा नही होता
..क्या तू राज शर्मा की हिन्दी सेक्सी कहानियाँ भी पढ़ने लगा
"अच्छा बिगड़ा नही है फिर ये जो तेरी अंडरवेर में है उसको क्यों खड़ा कर के रखा हुआ है". मुन्ना ने चौंक कर अपने अंडरवेर की तरफ देखा, सच-मुच उसका लंड एक दम से तन्ना गया था और अंडरवेर को एक टेंट की तरह से उभारे हुए था. उसने शर्मा कर अपने एक हाथ से अपने उभार को च्छुपाने की कोशिश की. "हाई मामी छोड़ो लाओ पाउडर लगा दू"

"तू रहने दे पाउडर वो मैने लगा लिया है, कही कुच्छ उल्टा सीधा हो गया तो".

"क्या उल्टा सीधा होगा मामी, मैं तो इसलिए कह रहा था की आपको खुजली हो रही थी तो फिर............." बात बीच में ही काट गई.

"खूब समझती हू क्यों बोल रहे थे,


"हाई मामी नही, मैं तो बस आप को खुजली.......".

"मैं अच्छी तरह से समझती हू तेरा इरादा क्या है और तू कहा नज़र गढ़ाए रहता है, मैं तुझे देखती थी पर सोचती थी ऐसे ही देखता होगा मगर अब मेरी समझ में अच्छी तरह से आ गया है"

मामी के इतना खुल्लम खुल्ला बोलने पर राजू के लंड में एक सनसनी दौड़ गई

"हि मामी नही ……………..राजू की बाते उसके मुँह में ही रह गई और उर्मिला देवी ने आगे बढ़ कर राजू के गाल पर हल्के से चिकोटी काटी.

मामी के कोमल हाथो का स्परश जब राजू के गालो पर हुआ तो उसका लंड एक बार फिर से लहरा गया. मामी के नंगी जाँघो के नज़ारे की गर्माहट अभी तक लंड और आँख दोनो को गर्मा रही थी. तभी मामी ने उसकी ठुड्डी पकड़ के उसके चेहरे को थोड़ा सा उपर उठाया और अपनी चुचियों को एक हाथ से सहलाते हुए बोली "बहुत घूर घूर के देखते हो ना इनको, दिल चाहता होगा की नंगी करके देखते, है ना" मामी की ये बात सुन कर राजू का का चेहरा लाल हो गया और गला सुख गया फसी हुई आवाज़ में "माआआआमम्म्ममी............" करके रह गया.

मामी ने इस बार राजू का एक हाथ पकड़ लिया और हल्के से उसकी हथेली को दबा कर कहा "क्यों मन करता है कि नही, कि किसी की देखते". राजू का हाथ मामी के कोमल हाथो में कांप रहा था. राजू को अपने और पास खिचते हुए उर्मिला देवी ने लगभग राजू को अपने से सटा लिया था. राजू और उसकी मामी के बीच केवल इंच भर का फासला था. मामी की गर्म सांसो का अहसास उसे चेहरे पर हो रहा था. राजू अगर थोड़ा सा आगे की तरफ हिलता तो उसकी छाती मामी के नुकीले चुचो से ज़रूर टकरा जाती. इतने पास से राजू पहली बार मामी को देख रहा था. दोनो की साँसे तेर्ज चल रही थी. मामी की उठती गिरती चूचियों से राजू की नज़र हटाए नही हट रही थी. उर्मिला देवी ने राजू का हाथ पकड़ के अपनी चूचियों पर रख दिया और अपने हाथो से उसको दबाते हुए बोली "मन करता होगा कि देखे, देख तेरा हाथ कैसे कांप रहा है, मन करता है ना". थूक निगल के गले को तर करता हुआ राजू बोला "हाआ मामी मन...... करता ..". उर्मिला देवी ने हल्के से फिर उसके हाथ को अपने चुचियों पर दबाते हुए कहा "देख मैं कहती थी ना तेरा मन करता होगा, पूरा नंगा देखे, लौंडा जैसे ही जवान होता है उसके मन में सबसे पहले यही आता है कि किसी औरत की देखे". अब राजू भी थोड़ा खुल गया हकलाते हुए बोला

"हाँ, मामी बहुत मन करता है कि देखे"

"मैं तो दिखा देती मगर"

"हाँ मामी, मगर क्या"

"तूने कभी किसी की देखी नही है क्या"

"नही मेयायाययामियीयियीयियी"

"तेरी उमर कम है, फिर मैं तेरी मामी हू"

"हाई मामी मैं अब बड़ा हो गया हू,"

"मैं दिखा देती मगर तेरी उमर कम है तेरे से रहा नही जाएगा"

"नही मामी, मैं रह लूँगा, बस दिखा दो एक बार"

"तू नही रह पाएगा, कह कर उर्मिला देवी ने अपना एक हाथ राजू के अंडरवेर के उपर से उसके लंड पर रख दिया. राजू एक दम से लहरा गया. मामी के कोमल हाथो का लंड पर दबाब पा कर मज़े के कारण से उसकी पलके बंद होने को आ गई. उर्मिला देवी बोली "देख कैसे खड़ा कर के रखा हुआ है, अगर दिखा दूँगी तो तेरी बेताबी और बढ़ जाएगी,"

" नही मामी, प्लीज़ एक बार दिखा दो"

"पॅंटी खोल के दिखा दू"

"हा मामी, दिखा दो बस एक बार, किसी की नही देखी" राजू का एक हाथ जो अभी तक उर्मिला देवी की चुचियों पर ही था उसको अपने हाथो से दबाते हुए और अपनी चुचियों को थोड़ा और उचकाते हुए उर्मिला देवी बोली "मैने नई ब्रा भी पहनी हुई, उसको नही देखेगा क्या"

007
Platinum Member
Posts: 948
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: गाँव का राजा

Unread post by 007 » 08 Nov 2014 12:33


"हाँ मामी उसको भी ….."

"चल दिखा दूँगी मगर एक शर्त पर"

"बताओ मामी, मैं आपकी हर बात मानूँगा"


"ठीक है फिर जा और मूत कर के अपना अंडरवेर उतार के आ" राजू को एक दम से झटका लग गया. उसकी स्मझ में नही आ रहा था की क्या जवाब दे. मामी और उसके बीच खुल्लम खुल्ला बाते हो रही थी मगर मामी अचानक से ये खेल इतना कुल्लम खुल्ला हो जाएगा, ये तो राजू ने सोचा भी ना था. कुच्छ घबराता और कुच्छ सकपकाता हुआ वो बोला " पर मामी अंडरवेर…….."

"हा जल्दी से अंडरवेर उतार के मेरे बेडरूम में आ जा फिर दिखाउन्गी" कह कर उर्मिला देवी उस से अलग हो गई और टी.वी. ऑफ कर के अपने बेडरूम की तरफ चल दी. मामी को बेडरूम की तरफ जाता देख जल्दी से बाथरूम की तरफ भागा. अंडरवेर उतार कर जब राजू मूतने लगा तो उसके लंड से पेशाब की एक मोटी धार कमोड में छर छर कर गिरने लगी. जल्दी से पेशाब कर अपने फन्फनाते लंड को काबू में कर राजू मामी के बेडरूम की तरफ भागा. अनादर पहुच कर देखा की मामी ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी हो कर अपने बालो का जुड़ा बना रही थी. राजू को देखते ही तपाक से बोली चल बेड पर बैठ मैं आती हू और अटॅच्ड बाथरूम में चली गई. बाथरूम से मामी के मूतने की सिटी जैसी आवाज़ सुनाई दे रही थी. कुच्छ पल बाद ही मामी बाथरूम से अपनी नाइटी को जाँघो तक उठाए हुए बाहर निकली. राजू का लंड एक बार फिर से सनसानया. उसका दिल कर रहा था की मामी की दोनो जाँघो के बीच अपने मुँह को घुसा दे और उनकी रसीली चूत को कस के चूम ले. तभी उर्मिला देवी जो कि, बेड तक पहुच चुकी थी की आवाज़ ने उसको वर्तमान में लौटा दिया " तू अभी तक अंडरवेर पहने हुए है, उतारा क्यों नही" राजू थोड़ा सरमाया

" मामी शरम आ रही है……….तुम तो दिखाने को बोल रही थी"

"धात बेवकूफ़, चल अंडरवेर उतार"

"पर मामी अंडरवेर उतार के क्या होगा,,,,,,"

"असली गेंदो का मज़ा चखाउन्गी" कह कर हल्के से अपनी चुचियों पर हाथ फेरा. राजू का लंड और भी ज़यादा ख़ड़ा हो गया.

"पर मामी मैं पूरा नंगा हो जाउन्गा"

"तो क्या हुआ, मुझे पॅंटी खोल के दिखाने के लिए बोलता है उसमे शर्म नही आती तुझे, खोल ना अंडरवेर फिर मैं तुझे बताउन्गी की तेरी मामी को कहा कहा खुजली होती है और खुजली मिटाने की दूसरी दवा भी बताउन्गी"

" मामी, दूसरी कौन से दवा है "


"बताउन्गी बेटा, पहले ज़रा अपना बेलन तो दिखा". राजू ने थोड़ा सा शरमाने का नाटक करते हुए अपना अंडरवेर धीरे धीरे सरका दिया. उर्मिला देवी की आँखो की चमक बढ़ती जा रही थी. आज दस इंच मोटे तगड़े लंड का दर्शन पहली बार खुल्लम खुल्ला ट्यूब लाइट की रोशनी में हो रहा था. नाइटी जिसको अब तक एक हाथ से उन्होने उठा कर रखा हुआ था नीचे छूट कर गिर गयी. राजू के आँखो को गर्मी देने वाली चीज़ तो ढक चुकी थी मगर उसकी मामी के मज़े वाली चीज़ अपने पूरे औकात पर आ के फुफ्कार रही थी. उर्मिला देवी ने एक बार अपनी नाइटी के उपर से ही अपनी चूत को दबाया और खुजली करते हुए बोली "इसस्स्स्स्सस्स बड़ा हथियार है तेरा, देख के तो और खुजली बढ़ गई"

राजू जो की थोड़ा बहुत शर्मा रहा था बोला "खुजली बढ़ गई तो पॅंटी उतार लो ना मामी, वो काम तो करती नही हो, पर अंडरवेर बेकार में उतरवा दिया"

"अभी उतारती हू, फिर तुझे बताउन्गी अपनी खुजली की दवाई, हाई कैसा मूसल जैसा है तेरा" फिर उर्मिला देवी ने अपनी नाइटी के बटन खोलने शुरू कर दिए. नाइटी को बड़े आराम से धीरे कर के पूरा उतार दिया. अब उर्मिला देवी के बदन पर केवल एक काले रंग ब्रा और नाइटी के अंदर पहनी हुई पेटिकोट थी. गोरी मैदे के जैसा मांसल पेट, उसके बीच गहरी गुलाबी नाभि, दो मोटी मोटी चुचियाँ, जो की ऐसा लग रहा था की ब्रा को फाड़ के अभी निकल जाएगी उनके बीच की गहरी खाई, ये सब देख कर तो राजू एक दम से बेताब हो गया था. लंड फुफ्कार मार रहा था और बार-बार झटके ले रहा था. राजू एक दम से पागल हो कर अपने हाथो से अपने लंड को पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा. उर्मिला देवी ने जब उसकी बेताबी देखी तो आगे बढ़ कर खुद अपने हाथो से उसके लंड को पाकर लिया और मुस्कुराती हुई बोली "मैं कहती थी ना की तेरे बस का नही है, तू रह नही पाएगा, अभी तो मैने पूरा खोला भी नही है तू शुरू हो गया" बाहर खूब जोरो की बारिश शुरू हो रही थी. ऐसे मस्ताने मौसम में मामी-भानजे का मस्ताना खेल अब शुरू हो गया था.

ना तो अब उर्मिला देवी रुकने वाली थी ना ही राजू. उर्मिला देवी ने राजू का हाथ अपने ब्रा में क़ैद चुचियों के उपर रख दिया और बोली "तू ऐसे तो मानेगा नही इधर मैं खोल के दिखाती रहूंगी इधर तू मूठ मारता रहेगा, ले अब खुद ही खोल के देख" राजू ने काँपते हुए हाथो से अपनी मामी के ब्रा के स्ट्रॅप खोलने की कोशिश की मगर ब्रा इतनी टाइट थी की खुल नही रही थी. उर्मिला देवी ने हस्ते हुए अपने बदन को थोड़ा ढीला किया खुद अपने हाथो को पीछे ले जा कर अपनी ब्रा के स्ट्रॅप को खोल दिया और हस्ते हुए बोली "ब्रा भी नही खोलना जानता है, चल कोई बात नही मैं तुझे पूरा ट्रेंड कर दूँगी, ले देख अब मेरी नंगी चुचिया जिनको देखने के लिए इतना तरसता था" मामी के कंधो से ब्रा के स्ट्रॅप को उतार कर राजू ने जल्दी से ब्रा को एक झटके में निकाल फेंका. उर्मिला देवी हस्ते हुए बोली "बड़ी जल्दी है, आराम से उतार, अब जब बोल दिया है तो दिखा दूँगी तो फिर मैं पीछे नही हटने वाली". मामी के उठे हुए मोटे मोटे मम्मे देख कर राजू तो जैसे पागल ही हो गया था. एक टक घूर घूर कर देख रहा था उनकी मलाई जैसे चुचो को. एक दम बेल के जैसी ठोस और गुदाज चुचिया थी. निपल भी काफ़ी मोटे मोटे और और हल्का गुलबीपन लिए हुए थे उनके चारो तरफ छ्होटे छ्होटे दाने थे. मामी ने जब राजू को अपने चुचियों को घूरते हुए देखा तो राजू का हाथ पकड़ कर अपनी चुचियों पर रख दिया और और मुस्कुराती हुई बोली "कैसा लग रहा है, पहली बार देखी है ना"

007
Platinum Member
Posts: 948
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: गाँव का राजा

Unread post by 007 » 08 Nov 2014 12:34



"हा मामी पहली बार देखी है, बहुउउउउउत खूबसूरत है" राजू को लग रहा था जैसे की उसका लंड में से कुच्छ निकल जाएगा. लंड एक दम से अकड़ कर उप डाउन हो रहा था और सुपरा तो एक दम पहाड़ी आलू के जैसा लाल हो गया था.


"देख तेरा औज़ार कैसे फनफना रहा है, थोड़ी देर और देखेगा तो फट जाएगा"

"ही मामी फट जाने दो, थोड़ा सा और पॅंटी खोल के भीईइ............"

इस पर उर्मिला देवी ने उसके लंड को अपनी मुठ्ठी में थाम लिया और दबाती हुई बोली "अभी तो ये हाल है पॅंटी खोल दिया तो क्या होगा"

"हाई मामी ज़रा सा बस खोल के.......", इस पर उर्मिला देवी ने उसके लंड को अपनी मुठ्ठी में और कस के दबोच लिया और उपर नीचे करने लगी. लंड के सुपाडे से चमड़ी पूरी तरह से हट जाती थी और फिर जब मुठ्ठी उपर होती तो चमड़ी फिर से ढक जाती थी. इतनी ज़ोर से तो मुन्ना ने भी कभी अपने हाथो से मूठ नही मारी जितनी ज़ोर से आज मामी मूठ मार रही थी. सनसनी के कारण राजू की गांद फट रही थी. उसकी समझ में नही आ रहा था की क्या करे. सब कुच्छ भूल कर सिसकारी लेते हुए मामी के हाथो से मूठ मराई का मज़ा लूट रहा था. लंड तो पहले से ही पके आम के तरह से हो रखा था. दो चार हाथ मरने की ज़रूरत थी, फट से पानी फेंक देता मगर कयामत तो तब हो गयी जब उर्मिला देवी ने आगे झुक कर लंड को अपने मुँह में ले लिया. अपने पतले गुलाबी होंठो के बीच लंड को दबोच कर जैसे पीपे से पानी चूस कर निकालते हैं वैसे ही कस के जो चुसाइ शुरू की तो आँखे बंद होने लगी, गला सुख गया ऐसा लगा जैसे शरीर का सारा खून सिमट कर लंड में भर गया है और मामी उसको चूस लेना चाहती है. मज़े के कारण आँखें नही खुल रही थी. मुँह से केवल गोगियाने हुई आवाज़ में बोलता जा रहा था "हाई चूस लो चूस लो ओह मामी चूस लो............."


तभी उर्मिला देवी ने चूसना बंद कर अपने होंठो को लंड पर से हटा लिया और फिर से अपने हाथो से मूठ मारते हुए बोली "अब देख तेरा कैसे फल फला के निकलेगा जब तू मेरी पॅंटी की सहेली को देखेगा" चुसाइ बंद होने से मज़ा थोड़ा कम हुआ तो राजू ने भी अपनी आँखे खोल दी. मामी ने एक हाथ से मूठ मारते हुए दूसरे हाथ से अपने पेटिकोट को पूरा पेट तक उपर उठा दिया और अपनी जाँघो को खोल कर पॅंटी के किनारे (मयनि) को पकड़ एक तरफ सरका कर अपनी झांतो भरी चूत के दर्शन कराए तो राजू के लंड ने भल-भला कर पानी छोड़ना शुरू कर दिया. राजू के मुँह से एकदम से आनंद भरी ज़ोर की सिसकारी निकली और आँखे बंद होने लगी और "ओह मामी ओह मामी" करता हुआ अपने लंड का पानी छोड़ने लगा. उर्मिला देवी ने उसके झाड़ते लंड का सारा माल अपने हाथो में लिया और फिर बगल में रखे टॉवेल में पोछ्ति हुई बोली "देखा मैं कहती थी ना कि देखते ही तेरा निकल जाएगा". राजू अब एक दम सुस्त हो गया था. इतने जबरदस्त तरीके से वो आजतक नही झाड़ा था. उर्मिला देवी ने उसके गालो को चुटकी में भर कर मसल्ते हुए एक हाथ से उसके ढीले लंड को फिर से मसला. राजू अपनी मामी को हसरत भारी निगाहो से देख रहा थ.दोस्तो आपके राज शर्मा का भी बुरा हाल हो रहा है बाकी कहानी अगले भाग मे


Post Reply