एक वेश्या की कहानी compleet

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raj..
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Re: एक वेश्या की कहानी

Unread post by raj.. » 08 Nov 2014 21:06

उसके मूह से ऐसी बातें सुनकर मुझे भी जोश आने लगा गया था. पर मैने अपने को कंट्रोल मे रखकर कहा तुझे जो चाहिए था तुझे वो दे रही हू. मैं एक वेश्या हू तेरी बीवी नही जो तुझे हर मज़ा दू.

वो मेरी योनि को खूब चूस रहा था.

उसने अपना लंड मेरी योनि पर रख उसे रगड़ने लगा.मैंन उसे कोई भाव नही दे रही थी जैसे मेरे अंदर जान ही ना हो.

उसने मेरी योनि के दरवाज़े पर अपना लंड रख कर खूब ज़ोरदार धक्का दिया.उसका आधा लंड मेरी योनि के अंदर चला गया.मैं दर्द से हल्का सा सिसकी और फिर अपने को काबू मे कर लिया.

उसने एक और धक्का मारा और उसका पूरा लंड मेरे अंदर चला गया. मैंन चीख पड़ी,दर्द से मेरा हाल खराब हुआ जा रहा था.

उसने फिर अपना लंड अंदर बाहर करना चालू कर दिया,थोड़ी देर बाद मेरा दर्द गायब हो गया पर मैं अभी तक काबू मे थी और अपनी सिगरेट पी रही थी.

करीब 30 मिनिट और चोदने के बाद वो बोला '' मैंन झड़ने वाला हूँ......मैने इशारे से उसे बाहर निकालने को कहा और उसने अपना लंड मेरी योनि से निकाल कर मेरे पेट में डाल दिया और अपना सारा पानी भी मेरे पेट मे ही गिरा दिया.

उसके झड़ने के बाद मैने एक बेल बजा दी और उसका समय ख़तम हो गया.

मैने खुश थी क्यूंकी मैने अपने आप पर कंट्रोल करना सीख लिया था जो मेरे लिया यहाँ बहुत ज़रूरी था.

इसके बाद तो मैने उस रोज ही 10 कस्टमर्स को आराम से ले लिया. उस दिन मैं वहाँ की सबसे ज़्यादा कमाऊ वेश्या बन चुकी थी.

चाची भी मुझसे खुश थी और कस्टमर्स तो मेरे लिए मारा-मारी कर रहे थे. पर अब मेरी हालत खराब हो चुकी थी. मैं पूरी तरह से नीढाल हो चुकी थी.

मैने अपने पैसे चाची के पास जमा कराए और कहा- चाची आज बस करो, अब मेरी हालत नही है, अब मैं और नही कर सकती.

चाची ने मुझसे कहा- के ये एक कस्टमर है सिर्फ़ तुम्हारे ही साथ जाना चाहता है और किसी के साथ नही जा रहा है, अच्छा पैसे वाला भी है. इसके साथ आख़िरी बार हो आओ और चाची ने मुझे उसके साथ भेज दिया.

मैं भी लड़खड़ाते हुए उसके साथ चल दी.........................उस दिन पूरी शाम मेहनत करने के बाद रात को मैं बुरी तरह थक चुकी थी. बिस्तर पर पड़े हुए अपने गाउन पहने मैं अपनी आज के टिप की कमाई गिन रही थी.

30,31……39……वाउ…..लगभग र्स.50,000…..वाह राधा, क्या बात है…..ओह सॉरी ये तो कामिनी का काम है, मैं अपने आप से बोली…..और हंस पड़ी…..हा.हा.हा….

सारे पैसो को मैं संभाल कर अलमारी के ड्रॉयर मे रख दी और जमहाई…लेते हुए वापस बिस्तर पर आ गयी….अब मुझे नींद अपने आगोश मे लेने को तैयार थी.

तभी स्वीटी मेरे रूम का दरवाज़ा खोलकर अंदर आ गयी. उसने इस वक़्त पीले रंग का एक गाउन पहन रखा था…जिसके सारे बटन खुले थे और उसके स्तन पूरी तरह से बाहर की ओर लटक रहे थे..

वो बिस्तर पर मेरे पास आकर मेरे गालो पर हाथ लगाते हुए मुझसे बोली- कैसा लग रहा है तुम्हे ?

मैं बोली- मैं इतनी थक गयी हूँ…के ऐसा लग रहा है जैसे किसी ने मुझ पर से रोड रोलर चलाकर पार कर दिया हो….और उसको एक स्माइल दे दी.

तुमने आज बहुत अक्च्छा काम किया कामिनी…लोग तुम्हारे दीवाने हो गये है…वो तुमको चाहने लगे है..आज तुमने क़ाबिले तारीफ़ काम किया है…

उसने ऐसे कहते हुए मेरे माथे पर हाथ फेरा और फिर चिल्लाते हुए उठ

कर दरवाज़े के पास गयी और चिल्लाई…तुमको तो फीवर हो गया है….सोनिया..जल्दी से थर्मॉमीटर ले कर आओ.

क्रमशः............................

raj..
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Re: एक वेश्या की कहानी

Unread post by raj.. » 08 Nov 2014 21:07

एक वेश्या की कहानी--5

गतान्क से आगे.......................

उसके इतना चिल्लाते ही वहाँ आस-पास मौजूद सारी लड़कियाँ कोई अड़खुले कपड़ो मे तो कोई बिल्कुल ही निर्वस्त्र हालत मे मेरे कमरे मे दौड़ी चली आई…उन मेसे एक ने कहा शायद उसका नाम सोनिया था..मुझे अच्छे से याद नही..वो बिल्कुल ही निर्वस्त्र थी…उसने कहा..क्या हुआ ? मुझे देखने दो… और आकर मेरा माथा दबाकर जाचने लगी..

और कहा- कुछ नही, थोड़ी सी थकावट है….सो जाओगी तो बेहतर लगेगा….तभी बिजली ने मेरे नितंबो पर हाथ मारते हुए कहा…चलो अब सो जाओ……

फिर कासिष ने कहा- तुम बिना गोली खाए कैसे सो सकती हो ?

स्वीटी ने उसे गोलियों का डिब्बा छीनते हुए कहा-ये बहुत ही जबरदस्त नींद की गोलियाँ है..

अरे ये देसी तो पी के देख एक ही बार मे सारी थकावट दूर हो जाएगी..तुम बिल्कुल छैल-छबिली जैसा महसूस करने लगोगी!..बबली मेरे पास हाथ मे दारू की बोतल ले कर आती हुई बोली.

सोनिया ने उसे रास्ते मे ही रोक-कर, उसके नितंबो पर हाथ मारते हुए कहा- बना ले इसको भी शराबी, ताकि ये भी तेरी तरह जगह-जगह उल्टी करती फिरे.

बबली ने बनावटी गुस्सा बनाते हुए कहा- तुम मुझे गुस्सा दिला रही हो!…और फिर खुद ही हंस पड़ी.

सोनिया ने फिर से उसके नितंबो को मारते हुए कहा- चलो सब के सब रूम के बाहर चलो.

और बबली बोले जा रही थी- अब तुम मुझे बिल्कुल भी प्यार नही करती…

और बाकी लड़कियाँ खिलखिला कर हँसे जा रही थी…

स्वीटी ने उन लड़कियों से कहा- चलो अब तुम लोग भी अपने-अपने कमरो मे जाओ, इसको अकेला छोड़ दो..उसे आराम से सोने दो.

सब लड़कियों ने मुझसे गुड नाइट कहा और रूम से बाहर निकल गयी. स्वीटी ने दरवाज़ा अंदर से बंद किया और मेरे पास बिस्तर पर आ कर लेट गयी.

फिर उसने मेरा गाउन उतारकर मेरी योनि मे थर्मॉमीटर लगाकर दो मिनिट तक घड़ी देखी और कहा- कुछ नही है..हल्की सी थकावट है बस.

मैने आज सोनिया को किसी लड़के के साथ देखा था. इसलिए मैं पूछ बैठी स्वीटी से- क्यू सोनिया उस लड़के वो इस तरह का बर्ताव करने देती है ?

सोनिया यहाँ की गुड़िया रानी है..कस्टमर उसको तडपा-तडपा कर मज़े देते है..

वो लड़का बहुत मारने वाला है. पर उन दोनो को इसमे बहुत मज़ा आता है. इसलिए तो वो काम ख़तम होने के बाद भी एंजाय करते रहते है. स्वीटी ने मुझे बताया.

मैं तो इन औरतो के लाफदे को कभी समझ ही नही पाउन्गि.


raj..
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Re: एक वेश्या की कहानी

Unread post by raj.. » 08 Nov 2014 21:08

स्वीटी ने अपने हाथ उपर मेरे स्तनो पर फिराते हुए कहा- अच्छा से इन सब की आदत डाल लो. चाची भी ये सब करती है. वो ये सब तुम्हारे साथ भी कर सकती है.

मैं बोली- नही मैं उस प्रकार की नही हू!

अक्च्छा, पर तुम इस सब से मुकर नही सकती, ये साथ ही बहुत आरामदायक भी होती है.वो बोली.

मतलब तुम भी….मैं बोली.

हां बिल्कुल…मुझे तो इसमे बहुत मज़ा आता है!

और स्वीटी ने मेरा पूरा गाउन मेरे शरीर से अलग कर दिया…और मुझसे कहा- अब तुम गहरी नींद मे सो जाओ….और अपने हाथ मेरे स्तनो और गालो मे फेरने लगी…

मैने जैसे ही आँख बंद की घबराकर उठ कर बैठ गयी और स्वीटी से कहा- मैं जैसे ही आँखें बंद करती हू मुझे हवा मे उड़ते हुए लंड दिखाई देते है.

वो मेरे माथे से पसीना पोछते हुए बोली- इसीलिए तो लड़कियाँ आपस मे प्यार करती है. इसे शरीर के सारे बंधन खुल से जाते है.

मैं बोली- होते होंगे, पर मुझे ये सब पसंद नही.

ये दिन भर की गांदगी को भी सॉफ कर देते है दिलो-दिमाग़ से…और वो मेरे स्तनो को चूमने लगी…

मैं तड़प्ते हुए बोली- मैं लेज़्बीयन(समलंगिक) नही हू!

वो बोली- मैं हू!

और उसने भी अपना गाउन उतारकर फेंक दिया. और मेरी योनि पर हाथ फेरते हुए बोली- कितनी प्यारी योनि है!

मैं तड़प्ते हुए उसे इतना ही कह सकी- रुकूऊव…….

वो मेरी योनि को मूह लगाकर चूसे जा रही थी..और मैं तड़प्ते हुए बोली-बहुत अच्छा लग रहा है! बहुत बढ़िया…अब मुझे लंड नही दिखाई दे रहे है..अब सिर्फ़ बदहाल ही बदहाल नज़र आ रहे है…

मैं अपने आपको शुद्ध, स्वच्छ, साफ, तरो-ताज़ा, प्रकाशित महसूस कर रही थी.

स्वीटी ने ज़ोर से मुझे पकड़ लिया, ओर मेरे होठों का रस पीने लगी, मैं उसके होठों का रस पीने लगी.

स्वीटी ने मेरा स्तन दबाया और मैं उसके स्तन दबा रही थी, फिर वो मेरे स्तनो को मूह मे ले कर चूसने लगी, आह….. बोहत अच्छी तरह मेरे निपल्स को चूस रही थी, और करो स्वीटी है…..

जल्दी क्या है…….., फिर वो मेरे पैरो को फैला दी और मेरी योनि को अपनी ज़ुबान सा चाटने का साथ साथ उस मे उंगली भी करने लगी, मैं तो अपने स्तन ही दबा रही थी, फिर वो उठ गयी ओर बोली तुम भी ऐसा ही करो जैसा मैने किया मैने भी बिल्कुल वैसा ही उसकी योनि को अपनी ज़ुबान से चॅटा ओर 3 उंगलियाँ ले कर उसकी योनि मे डाल दी ओर उसे चोदने लगी, फिर उसने मुझे एक नया आंगल बताया मैं उस मे आ गयी जिसमे मेरी योनि स्वीटी के मूह और स्वीटी की योनि मेरे मूह मे आ गयी और हम दोनो योनिओ को चाट रही थी, ऐसा कुछ 10 मिनट ही किया था स्वीटी की योनि ने पानी का फ़ौवारा छोड़ दिया मेरे मूह पर, वो बोली इसे चाट ले बड़े मज़े की होती है या क्रीम, मैने ऐसा ही किया,

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