nonveg story - लौड़ा साला गरम गच्क्का - lund ak dum garam

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Re: nonveg story - लौड़ा साला गरम गच्क्का - lund ak dum gara

Unread post by admin » 09 Jan 2016 11:36

शास्त्री के कठोर हाथों ने जब उसकी चूचियां मसलना नोचना शुरू किया तो उसे पता चला की प्यार से

मसली गई चूचियां और हवस में नोची गई चुचियों में कितना बड़ा अंतर होता हे !

प्यार से जब चूची मसली जाती हे तो सिर्फ सनसनाहट होती हे , पर जब हवस में चूची दबोची जाती हे तो

दुखती हे .कल्लाती , टीस उठती हे और चुचियों में दर्द कई दिनों तक बना रहता हे !

किसी पके फोड़े की तरह चुचिया दुखती और टपकती हे कई दिनों तक !

और जितने दिन तक चूचियां टपकती हे स्त्री अपनी योनि को अपनी अंगुली से कुचल कर शांत करती हे !

ओरत को जितना कस कर चोदा जाता हे उसका प्रति -प्रभाव

उतनी देर तक बना रहता हे !

इस तरह से चुद जाने पर वो कई दिन बाद ही चुदने के लिए तेयार हो पाती हे !

पर इतनी दुत्कार भरी चुदाई से स्त्री कुंठित हो जाती हे !

आत्मग्लानि की भावना उसमे भर जाती हे !

बाद में ये सोच सोच कर उसे अफ़सोस होता हे की उसे कितनी बुरी तरह से भोगा गया हे ..!

वो प्रण कर लेती हे की दुबारा उससे नहीं चुदेगी पर प्रति - प्रभाव से से बहुत दिनों तक उससे बाख नहीं पाती !

चाहे महीने गुजर जाये पर फिर वो वेसे ही कामी पुरुष की हवस का शिकार बन कर किसी कुतिया की

तरह दुबारा चुदना चाहेगी !

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Re: nonveg story - लौड़ा साला गरम गच्क्का - lund ak dum gara

Unread post by admin » 09 Jan 2016 11:36

पुरुष एक बार चोदने के बाद सिर्फ कुछ पलों के लिए सम्भोग से विमुख हो जाता हे !

पर स्त्री एक बार प्रेम रहित रति - क्रीडा से गुजर कर कई दिनों के लिए वासना से विमुख

हो जाती हे ...बशर्ते की वो कोई वेश्या ना हो !

" कभी किसी कमीने ने तुम्हे मूत्र स्नान कराया हे या नहीं ...?" शास्त्री स्तन की गुंडी को अंगुली के बीच ले कर

कच्ची मूंगफली का छिलका उतारने की तरह मसल रहा था !

तनु दर्द से ऐसे छटपटा रही थी मानो किसी मछली को शीतल जल से निकाल कर किसी गरम धरातल पर छोड़ दिया हो !

" ऐसा मत कीजिये .....आआइ ...में मर जाउंगी .....मम्मी ......अरे दर्द हो रहा हे .....उखड जायेंगे .....मन ...कहाँ हो ...

ऊऊऊऊऊ ....प्लीज धीरे दबाइए ...सीssss ... छोड़ दीजिये !"

" ऐसे केसे छोड़ दू .....शेर पंजा मरने के बाद मांस को भंभोड़ता हे ...छोड़ता नहीं हे .....चल ...खाट पर

लेट साली ...हिरोइन की तरह सज के आई थी ना ....मूत्र से नहला कर तुझे .....++++.... बना दूंगा .....

रांड की माँ की भोसड़ी .....मादरचोद तू किसी रंडी माँ की ओलाद हे .....और तेरे बेटी होगी वो भी महा रंडी होगी ....!

और फिर तनु को चारपाई पर धक्का देकर शास्त्री उस पर विभत्स अत्याचार पर उतर आया !

सूं .....सर्रर्रर्र sssssssss ,

शास्त्री तनु की कंचन सी चमकती काया को अपने मूत्र से तर करने लगा !

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Re: nonveg story - लौड़ा साला गरम गच्क्का - lund ak dum gara

Unread post by admin » 09 Jan 2016 11:37

शास्त्री अपने हाथ में मुत्ते लौड़े को पकड़ कर घुमा घुमा कर तनु के पुरे बदन को भिगोने लगा खसक कर उसने उसके मुह पर तेज

धार छोड़ी थी जो तनु ने मुह बंद करते करते उसके नमकीन पानी का स्वाद मह्सुस कर लिया था !

था तो विभत्स , पर तनु उस चांडाल शास्त्री की इस हरकत से थरथराने लगी थी !

इतने वहशी पुरुष की कल्पना तो वो सपने में ही नहीं कर सकती थी !

पर पुरुष दो चीजों के लिए ही जीता हे -

पहला -स्त्री ,

दूसरा - अभिमान

और पुरुष तभी अभिमानी होता हे जब अपने पोरष से वो किसी सुन्दर, कोमल स्त्री के सोंदर्य मान

को अपनी हवस से कुचल दे !

खिड़की से अन्दर झांक रहा मन एक बार स्खलित हो चूका था ,पर वो अभी भी अपनी

जगह पर जडवत खड़ा था !

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