गन्ने की मिठास--17
गतान्क से आगे......................
तो दोस्तो यहाँ तक आपने पढ़ा कि कैसे रामू और हरिया काका अपने काम धंधे मे ही मस्त रहते थे और उनके
घर के लोग गन्नो की मिठास से ही मस्त रहते थे अब यहाँ से आगे बढ़ते है...........
रामू और हरिया के खेत और गाँव के बीच मे एक तालाब था और उसके गहरीकरण के लिए सरकार ने मुझे नियुक्त
कर दिया, दरअसल मेरा नाम राज है मैं एक सिविल इंजिनियर हू और मुझे उस तालाब का काम दे दिया गया, गाँव से
शहर कुछ 25 किमी था इसलिए मैं अपनी बाइक से ही वहाँ पहुच गया, मजदूर मे लगा चुका था और तालाब के
किनारे-किनारे आम के मस्त पेड़ लगे थे और मैं एक पेड़ के नीचे लेट गया और ठंडी हवा का आनंद लेने
लगा, मैं सोच रहा था यह मैं कहाँ फस गया यहा पूरा दिन काटना मुश्किल पड़ जाएगा, उस दिन तो मैने जैसे
तैसे समय पास किया लेकिन अगले दिन मैं पूरी तैयारी के साथ आया, एक BP का क्वाटर दो पकेट सिगरेट और एक
राज शर्मा की किताब ,
मैं अपनी मस्ती मे मस्त था और सिगरेट खिचते हुए बीच-बीच मे शराब का घूँट ले
रहा था जब क्वाटर ख़तम हो गया तब मैने अपनी मा रति के द्वारा बाँधा गया खाना खोल कर खाया और
फिर एक सिगरेट जलाकर राज शर्मा की मस्ती भरी किताब को पढ़ने लगा, बीच-बीच मे मजदूरो को इंस्ट्रेक्षन भी
दे देता था,
शाम को करीब 4 बजे के बाद मैने सोचा बैठे-बैठे थक गये है थोड़ा टहल लिया जाय और मैं उठ कर तालाब की
मेध के किनारे होते हुए गन्नो के खेत के उसपार गया तो वहाँ एक आम के पेड़ के नीचे हरिया और रामू बैठे थे
हरिया के हाथ मे उसकी चिलम थी और वह कस लगा रहा था, दोनो बस ऐसे बैठे थे जैसे संडास जाते वक़्त
बैठा जाता है बिल्कुल आमने सामने,
दोनो के उपर के बदन पर कोई कपड़ा नही था हरिया ने धोती बाँधी हुई थी जो उसकी जाँघो के उपर तक होती थी,
और रामू लूँगी को घुटनो तक मोड़ कर बैठा था, मैं जब वहाँ से गुजरा तो रामू ने मेरी ओर देख कर मुस्कुराते
हुए कहा साहेब नमस्ते,
मैं वही ठहर गया और मैने कहा कौन हो भाई तुम और क्या मुझे जानते हो,
रामू ने तपाक से जवाब दिया साहब आप ही इस तलैया को गहराई करवा रहे हो ना, आप शहर से आए इंजिनियर हो
ना,
मैने कहा हाँ भाई तुमने बिल्कुल ठीक पहचाना मगर तुम कौन हो,
रामू- साहेब हमारा नाम रामू है और ये है हमारे चाचा हरिया,
हरिया- राम-राम बाबू जी
मैने भी हरिया को नमस्ते किया दिखने मे दोनो काफ़ी मजाकिया लग रहे थे मुझे भी अच्छा लगा और मैं
भी उनके पास उसी पेड़ की छाँव मे बैठ गया,
मैने रामू के कंधे पर हाथ रख कर कहा रामू तुम्हारे गाँव मे कितने लोग होंगे
रामू- यह तो हमे नही पता साहेब
मैने कहा चलो कोई बात नही पर आप दोनो चाचा भतीजा हो फिर ये चिलम एक साथ पी लेते हो
हरिया- अरे साहेब जी ये तो ससूरी चिलम है हम तो बहुत से काम साठे मे करते है, और फिर हरिया ही ही ही
करते हुए साहेब रामू और हमारे बीच कोई परदा नही रहता है,
गन्ने की मिठास compleet
Re: गन्ने की मिठास
मुझे उनकी बातो से बड़ा मज़ा आया मेरी रूचि उनके प्रति बढ़ गई और मैने उनसे पूंच्छा,
मे- यार रामू ये चिलम पीने मे क्या मज़ा आता होगा इसके बजाय तो एक दो क्वाटर मार लिया करो,
हरिया अपने लंड को सहलाते हुए कहता है, बाबू जी एक बार पी कर देखो आपको हम मस्त ना कर दे तो कहना,
मैने कहा अच्छा ऐसी बात है मैने उनके हाथ से चिलम ले कर पीना शुरू कर दिया
वाकई मे उसका नशा मदहोश कर देने वाला था, मैं अपनी मस्ती मे मस्त था और वह दोनो भी नशे मे
मस्त हो रहे थे,
मैने पूंच्छा रामू इस गाँव मे औरते नज़र नही आती यहाँ कम औरते है क्या,
रामू- अरे नही साहेब बहुत औरते है गाँव मे तो,
हरिया- अरे साहेब दो औरते तो रामू के यहाँ ही है,
मैने हस्ते हुए पुंच्छा क्यो रामू कौन-कौन है तुम्हारे घर मे,
रामू- साहेब घर मे तो मा है दो बहन है
हरिया- बड़ी वाली अभी ब्याह कर ससुराल गई है पर छ्होटी है यहाँ,
मैं उनकी बातो से अंदर ही अंदर मस्त हो रहा था, 25 साल की उमर हो चुकी थी और अभी कुँवारा था इस लिए भी
जोश मे जल्दी ही आ जाता था,
वो दोनो आपस मे बाते कर रहे थे उन्हे शायद ऐसा लगा जैसे ये साहेब कोई अपने ही हो और वह बे धड़क
अपने घर के लोगो की बाते बड़े ओपन तरीके से करने लगे थे,
रामू- साहेब-साहेब ये हरिया काका के यहाँ भी दो औरते है
मैने कहा अच्छा हरिया काका के यहाँ कौन-कौन है
रामू- अरे इनकी बीबी, इनकी दो बेटियाँ,
मैने कहा अच्छा आप ही लोग खेतो मे काम करते हो या घर की औरते भी करती है,
हरिया- अब साहेब बिना औरतो के तो काम हो नही सकता ना,
उस दिन हरिया और रामू से मिलने के बाद मुझे बड़ा ही अच्छा लगा और अगले दिन मैं सुबह ही आ गया मैने काम
शुरू करवाने के बाद उसी पेड़ की ओर चल दिया जहा हमेशा बैठता था, तभी मुझे सामने से रामू आता हुआ
दिखाई दिया, मैं मन ही मन खुस हो गया,
मैने रामू के पास आते ही उससे कहा, आओ रामू क्या हाल है तुम्हारे,
रामू- बैठते हुए बस साहेब आज कोई काम नही था खेत मे तो सोचा आपके पास चल कर बैठता हू,
मैने कहा अच्छा किया रामू जो तुम आ गये, मैं भी पूरा दिन अकेला बोर हो जाता हू,
तभी रामू ने मेरे बगल मे रखी राज शर्मा की किताब उठा कर देखी और कहने लगा साहेब यह तो चुदाई की
कहानियो वाली किताब है ना,
मैने कहा हाँ लेकिन क्या तुम ऐसी किताबे पहले पढ़ चुके हो,
रामू- हाँ साहेब मैं पहले एक दो बार पढ़ा हू, बहुत मज़ा आता है साहेब,
मैं समझ गया कि रामू रोमांटिक बातो से जल्दी औकात मे आ जाता है,
फिर मैने कहा रामू यह किताब जो भी लिखता है वह परिवारिक रिश्तो पर ही क्यो लिखता है जब कि यह सब तो झूठ
लगता है,
रामू- अरे नही साहेब कुछ झूठ नही रहता है, आप ही बताओ जब कही आग लगेगी तो ही धुआ उठेगा ना
मे- वो तो ठीक है रामू पर मैने तो ऐसे किस्से बस किताबो मे ही पढ़े है,
रामू- मुस्कुराते हुए आप फिकर ना करो बाबू जी अब आप हमारे गाँव मे आ गये हो ना अब आप ऐसे किस्से रोज
सुनोगे,
मे- क्यो क्या तुम्हारे गाँव मे ऐसे किस्से सुनने को मिलते रहते है
रामू- मुस्कुराते हुए अरे साहेब एक दो घूँट मारने पर बात करने का मज़ा नही आता है किसी दिन एक पाव केवल
हमे ही पिलवा दो तब हम दोनो की महफ़िल जमेगी, फिर मैं आपको विस्तार से बताउन्गा कि कैसे हम लोग मज़े मारते
है,
उस दिन मुझे लगा यह रामू और हरिया जितना नज़र आते है वह बहुत थोड़ा है और अगर उसे सब कुछ जानना है
और मस्ती मारना है तो रामू के संग बैठक जमानी ही पड़ेगी.....
अगले दिन मैं रामू के साथ बैठ कर बाते करने लगा और
मैने मोका देखते हुए पुंच्छा रामू अभी तक तुमने किस-किस को चोद लिया है,
रामू- मुस्कुराते हुए मेरे क्वाटर को देख कर साहेब हमारे लिए नही है क्या, मैने हस्ते हुए रामू को उठा
कर दे दी और फिर मैने कहा हाँ तो रामू तुम क्या बता रहे थे,
रामू- यही साहेब कि हमने तो बहुत चूत ठोकी है, हम तो ठोंक-ठोंक के मस्त हो जाते है,
मैने उसकी बातो को सुन कर अपनी बोतल उसको थमा दी, उसने फिर एक घूँट मारा और फिर खुद ही कहने लगा
साहेब मैने सबसे ज़्यादा तो अपनी बहन रमिया को चोदा है, मैं रामू के मूह से ये बात सुनते ही मस्त हो गया
और फिर दो पॅलो बाद ही मेरे लंड को ऐसा झटका लगा कि क्या बताऊ पानी छूटते हुए बचा,
पहली बात तो यह जान
कर हैरानी हुई कि रामू अपनी बहन को चोद्ता है और दूसरी बात फिर मुझे एक दम से मेरी अपनी बहन संगीता
याद आ गई, संगीता मुझसे दो साल छ्होटी है वह 23 की और मैं 25 का हू,
मैने पुंच्छा रामू तुम क्या अपनी बहन को रोज चोद्ते हो,
रामू- हाँ साहेब वह तो दिन भर हमारे साथ खेत पर ही रहती है ना, दिन भर उसको नंगी करके पकड़े रहते है
अपनी झुपदिया मे बहुत मज़ा आता है साहेब, बहुत प्यार से चुदवाती है हमसे, उसकी बात सुन कर मेरा लंड
पूरा तन चुका था, मैने पुंच्छा कितने साल की है तुम्हारी बहन तो बोला 17 साल की,
रामू- क्या बताऊ साहेब गाँव मे तो ऐसे ही मज़े रहते है,
मे- रामू रमिया के अलावा और किसको चोदा है तुमने
रामू- साहेब उसके बाद तो हमने सबसे ज़्यादा अपनी बहन निम्मो को चोदा है बहुत मस्त माल है साहेब,
मे- तुमसे बड़ी है ना निम्मो
रामू- हाँ साहेब अब तो उसकी शादी हो गई अभी ससुराल मे है पर आएगी कुच्छ दिनो मे,
मे- क्या बहुत मस्त दिखती है निम्मो
रामू- हाँ साहेब बहुत जोरदार दिखती है मस्त चुदाई की थी उसकी हमने इन्ही खेतो के बीच,
रामू- अच्छा साहेब आपके घर मे कौन-कौन है, मैने उसे बताया कि मेरी एक 45 साल की तंदुरुस्त मा है और
एक 23 साल की गदराई हुई बहन है और मैं हू हम तीन लोग,
रामू- तो साहेब आपकी मा की हालत भी मेरी मा की तरह ही है,
मैने कहा हाँ रामू पर क्या करे,
रामू- साहेब आपने कभी किसी को चोदा है,
क्रमशः........
मे- यार रामू ये चिलम पीने मे क्या मज़ा आता होगा इसके बजाय तो एक दो क्वाटर मार लिया करो,
हरिया अपने लंड को सहलाते हुए कहता है, बाबू जी एक बार पी कर देखो आपको हम मस्त ना कर दे तो कहना,
मैने कहा अच्छा ऐसी बात है मैने उनके हाथ से चिलम ले कर पीना शुरू कर दिया
वाकई मे उसका नशा मदहोश कर देने वाला था, मैं अपनी मस्ती मे मस्त था और वह दोनो भी नशे मे
मस्त हो रहे थे,
मैने पूंच्छा रामू इस गाँव मे औरते नज़र नही आती यहाँ कम औरते है क्या,
रामू- अरे नही साहेब बहुत औरते है गाँव मे तो,
हरिया- अरे साहेब दो औरते तो रामू के यहाँ ही है,
मैने हस्ते हुए पुंच्छा क्यो रामू कौन-कौन है तुम्हारे घर मे,
रामू- साहेब घर मे तो मा है दो बहन है
हरिया- बड़ी वाली अभी ब्याह कर ससुराल गई है पर छ्होटी है यहाँ,
मैं उनकी बातो से अंदर ही अंदर मस्त हो रहा था, 25 साल की उमर हो चुकी थी और अभी कुँवारा था इस लिए भी
जोश मे जल्दी ही आ जाता था,
वो दोनो आपस मे बाते कर रहे थे उन्हे शायद ऐसा लगा जैसे ये साहेब कोई अपने ही हो और वह बे धड़क
अपने घर के लोगो की बाते बड़े ओपन तरीके से करने लगे थे,
रामू- साहेब-साहेब ये हरिया काका के यहाँ भी दो औरते है
मैने कहा अच्छा हरिया काका के यहाँ कौन-कौन है
रामू- अरे इनकी बीबी, इनकी दो बेटियाँ,
मैने कहा अच्छा आप ही लोग खेतो मे काम करते हो या घर की औरते भी करती है,
हरिया- अब साहेब बिना औरतो के तो काम हो नही सकता ना,
उस दिन हरिया और रामू से मिलने के बाद मुझे बड़ा ही अच्छा लगा और अगले दिन मैं सुबह ही आ गया मैने काम
शुरू करवाने के बाद उसी पेड़ की ओर चल दिया जहा हमेशा बैठता था, तभी मुझे सामने से रामू आता हुआ
दिखाई दिया, मैं मन ही मन खुस हो गया,
मैने रामू के पास आते ही उससे कहा, आओ रामू क्या हाल है तुम्हारे,
रामू- बैठते हुए बस साहेब आज कोई काम नही था खेत मे तो सोचा आपके पास चल कर बैठता हू,
मैने कहा अच्छा किया रामू जो तुम आ गये, मैं भी पूरा दिन अकेला बोर हो जाता हू,
तभी रामू ने मेरे बगल मे रखी राज शर्मा की किताब उठा कर देखी और कहने लगा साहेब यह तो चुदाई की
कहानियो वाली किताब है ना,
मैने कहा हाँ लेकिन क्या तुम ऐसी किताबे पहले पढ़ चुके हो,
रामू- हाँ साहेब मैं पहले एक दो बार पढ़ा हू, बहुत मज़ा आता है साहेब,
मैं समझ गया कि रामू रोमांटिक बातो से जल्दी औकात मे आ जाता है,
फिर मैने कहा रामू यह किताब जो भी लिखता है वह परिवारिक रिश्तो पर ही क्यो लिखता है जब कि यह सब तो झूठ
लगता है,
रामू- अरे नही साहेब कुछ झूठ नही रहता है, आप ही बताओ जब कही आग लगेगी तो ही धुआ उठेगा ना
मे- वो तो ठीक है रामू पर मैने तो ऐसे किस्से बस किताबो मे ही पढ़े है,
रामू- मुस्कुराते हुए आप फिकर ना करो बाबू जी अब आप हमारे गाँव मे आ गये हो ना अब आप ऐसे किस्से रोज
सुनोगे,
मे- क्यो क्या तुम्हारे गाँव मे ऐसे किस्से सुनने को मिलते रहते है
रामू- मुस्कुराते हुए अरे साहेब एक दो घूँट मारने पर बात करने का मज़ा नही आता है किसी दिन एक पाव केवल
हमे ही पिलवा दो तब हम दोनो की महफ़िल जमेगी, फिर मैं आपको विस्तार से बताउन्गा कि कैसे हम लोग मज़े मारते
है,
उस दिन मुझे लगा यह रामू और हरिया जितना नज़र आते है वह बहुत थोड़ा है और अगर उसे सब कुछ जानना है
और मस्ती मारना है तो रामू के संग बैठक जमानी ही पड़ेगी.....
अगले दिन मैं रामू के साथ बैठ कर बाते करने लगा और
मैने मोका देखते हुए पुंच्छा रामू अभी तक तुमने किस-किस को चोद लिया है,
रामू- मुस्कुराते हुए मेरे क्वाटर को देख कर साहेब हमारे लिए नही है क्या, मैने हस्ते हुए रामू को उठा
कर दे दी और फिर मैने कहा हाँ तो रामू तुम क्या बता रहे थे,
रामू- यही साहेब कि हमने तो बहुत चूत ठोकी है, हम तो ठोंक-ठोंक के मस्त हो जाते है,
मैने उसकी बातो को सुन कर अपनी बोतल उसको थमा दी, उसने फिर एक घूँट मारा और फिर खुद ही कहने लगा
साहेब मैने सबसे ज़्यादा तो अपनी बहन रमिया को चोदा है, मैं रामू के मूह से ये बात सुनते ही मस्त हो गया
और फिर दो पॅलो बाद ही मेरे लंड को ऐसा झटका लगा कि क्या बताऊ पानी छूटते हुए बचा,
पहली बात तो यह जान
कर हैरानी हुई कि रामू अपनी बहन को चोद्ता है और दूसरी बात फिर मुझे एक दम से मेरी अपनी बहन संगीता
याद आ गई, संगीता मुझसे दो साल छ्होटी है वह 23 की और मैं 25 का हू,
मैने पुंच्छा रामू तुम क्या अपनी बहन को रोज चोद्ते हो,
रामू- हाँ साहेब वह तो दिन भर हमारे साथ खेत पर ही रहती है ना, दिन भर उसको नंगी करके पकड़े रहते है
अपनी झुपदिया मे बहुत मज़ा आता है साहेब, बहुत प्यार से चुदवाती है हमसे, उसकी बात सुन कर मेरा लंड
पूरा तन चुका था, मैने पुंच्छा कितने साल की है तुम्हारी बहन तो बोला 17 साल की,
रामू- क्या बताऊ साहेब गाँव मे तो ऐसे ही मज़े रहते है,
मे- रामू रमिया के अलावा और किसको चोदा है तुमने
रामू- साहेब उसके बाद तो हमने सबसे ज़्यादा अपनी बहन निम्मो को चोदा है बहुत मस्त माल है साहेब,
मे- तुमसे बड़ी है ना निम्मो
रामू- हाँ साहेब अब तो उसकी शादी हो गई अभी ससुराल मे है पर आएगी कुच्छ दिनो मे,
मे- क्या बहुत मस्त दिखती है निम्मो
रामू- हाँ साहेब बहुत जोरदार दिखती है मस्त चुदाई की थी उसकी हमने इन्ही खेतो के बीच,
रामू- अच्छा साहेब आपके घर मे कौन-कौन है, मैने उसे बताया कि मेरी एक 45 साल की तंदुरुस्त मा है और
एक 23 साल की गदराई हुई बहन है और मैं हू हम तीन लोग,
रामू- तो साहेब आपकी मा की हालत भी मेरी मा की तरह ही है,
मैने कहा हाँ रामू पर क्या करे,
रामू- साहेब आपने कभी किसी को चोदा है,
क्रमशः........
Re: गन्ने की मिठास
raj sharma stories
गन्ने की मिठास--18
गतान्क से आगे......................
मे- नही रामू मैं तो अभी तक कुँवारा हू,
रामू हस्ते हुए क्यो साहेब आपकी बहन अच्छी नही लगती क्या आपको, मैने कहा अभी-अभी तुम्हारी बात सुन कर
अच्छी लगने लगी है रामू, और फिर हम दोनो हस्ने लगे, उस दिन रामू ने मुझे शुरू से लेकर आखरी तक एक-एक
बात बता दी और मैं हरिया और रामू की बाते सुन कर दंग रह गया मुझे लगा जैसे रामू मुझे राज शर्मा की कोई
कहानी पढ़ कर सुना रहा हो,
मेरा लंड उसकी बाते सुन कर पूरी तरह तन चुका था,
रामू- हस्ते हुए साहेब ऐसे लंड मसल्ने से कुछ नही होगा किसी दिन अपनी बहन को भी हमारे खेतो के गन्ने
चुस्वा दो बड़े मीठे गन्ने है,
मे- हस्ते हुए अच्छा जैसे तुमने अपनी बहनो को चुस्वाए है,
उस दिन रामू की बातो से ऐसा लगा जैसे मस्तराम कुछ ग़लत नही कहता है, मेरे ख्यालो मे बस मेरी बहन
संगीता ही आने लगी मैं जैसे ही घर पहुचा संगीता और मा मेरा इंतजार ही कर रही थी,
संगीता- लो मम्मी नाम लिया और शैतान मेरा मतलब है भैया हाजिर हो गये
मे- संगीता की बाँहे पकड़ कर मोदते हुए, क्या कहा तूने
संगीता- आह ओह भैया सॉरी-सॉरी अब नही कहुगी प्लीज़ छ्चोड़ दो ना, मम्मी देखो ना भैया को मेरा हाथ
टूट जाएगा,
मे- पहले बोल अब बोलेगी
संगीता- नही भैया कसम से
मे- अच्छा ठीक है और फिर जैसे ही मैने उसे छ्चोड़ा वह धीरे से खड़ी हुई और मैं जैसे ही सोफे पर बैठा वह
मुझे अपनी जीभ निकाल कर चिड़ाते हुए शैतान कही के कहने लगी मैं जैसे ही उसे पकड़ने के लिए लपका वह
खिलखिला कर हस पड़ी और बाहर की ओर भाग गई,
मैं वापस बैठ गया और मम्मी हम दोनो को देख कर मुस्कुरा रही थी, तभी संगीता एक बार फिर से हमारे
सामने से जल्दी से निकल कर अंदर के रूम मे चली जाती है और मैं उसे देख कर मम्मी की ओर देखता हू और
कहता हू मम्मी बहुत शैतान हो गई है संगीता,
रति- शैतान भी हो गई है और साथ ही साथ जवान भी हो गई है अब तू जल्दी से कोई लड़की देख कर शादी कर ले तो
इसकी भी शादी के बारे मे सोचा जाए, मेरी मम्मी ने सामने बालकनी मे खड़ी संगीता की ओर देख कर कहा,
मैने जब संगीता की ओर देखा तो मेरा लंड खड़ा हो गया क्यो कि वह जीन्स पहने हुए अपनी मोटी गंद उठाए
बालकनी का सहारा लेकर बाहर का नज़ारा देख रही थी, मैं मम्मी का इशारा समझ गया था क्योकि मम्मी उसकी
गुदाज और भारी गंद और मोटे-मोटे दूध को देख कर ही मुझे उसकी जवानी का एहसास करा रही थी,
वाकई मे संगीता की मोटी-मोटी जंघे और बड़े-बड़े उठे हुए चूतादो को देख कर मुझे मजबूरन अपने लंड
को एक बार मम्मी की नज़रे बचा कर सहलाना पड़ा,
गन्ने की मिठास--18
गतान्क से आगे......................
मे- नही रामू मैं तो अभी तक कुँवारा हू,
रामू हस्ते हुए क्यो साहेब आपकी बहन अच्छी नही लगती क्या आपको, मैने कहा अभी-अभी तुम्हारी बात सुन कर
अच्छी लगने लगी है रामू, और फिर हम दोनो हस्ने लगे, उस दिन रामू ने मुझे शुरू से लेकर आखरी तक एक-एक
बात बता दी और मैं हरिया और रामू की बाते सुन कर दंग रह गया मुझे लगा जैसे रामू मुझे राज शर्मा की कोई
कहानी पढ़ कर सुना रहा हो,
मेरा लंड उसकी बाते सुन कर पूरी तरह तन चुका था,
रामू- हस्ते हुए साहेब ऐसे लंड मसल्ने से कुछ नही होगा किसी दिन अपनी बहन को भी हमारे खेतो के गन्ने
चुस्वा दो बड़े मीठे गन्ने है,
मे- हस्ते हुए अच्छा जैसे तुमने अपनी बहनो को चुस्वाए है,
उस दिन रामू की बातो से ऐसा लगा जैसे मस्तराम कुछ ग़लत नही कहता है, मेरे ख्यालो मे बस मेरी बहन
संगीता ही आने लगी मैं जैसे ही घर पहुचा संगीता और मा मेरा इंतजार ही कर रही थी,
संगीता- लो मम्मी नाम लिया और शैतान मेरा मतलब है भैया हाजिर हो गये
मे- संगीता की बाँहे पकड़ कर मोदते हुए, क्या कहा तूने
संगीता- आह ओह भैया सॉरी-सॉरी अब नही कहुगी प्लीज़ छ्चोड़ दो ना, मम्मी देखो ना भैया को मेरा हाथ
टूट जाएगा,
मे- पहले बोल अब बोलेगी
संगीता- नही भैया कसम से
मे- अच्छा ठीक है और फिर जैसे ही मैने उसे छ्चोड़ा वह धीरे से खड़ी हुई और मैं जैसे ही सोफे पर बैठा वह
मुझे अपनी जीभ निकाल कर चिड़ाते हुए शैतान कही के कहने लगी मैं जैसे ही उसे पकड़ने के लिए लपका वह
खिलखिला कर हस पड़ी और बाहर की ओर भाग गई,
मैं वापस बैठ गया और मम्मी हम दोनो को देख कर मुस्कुरा रही थी, तभी संगीता एक बार फिर से हमारे
सामने से जल्दी से निकल कर अंदर के रूम मे चली जाती है और मैं उसे देख कर मम्मी की ओर देखता हू और
कहता हू मम्मी बहुत शैतान हो गई है संगीता,
रति- शैतान भी हो गई है और साथ ही साथ जवान भी हो गई है अब तू जल्दी से कोई लड़की देख कर शादी कर ले तो
इसकी भी शादी के बारे मे सोचा जाए, मेरी मम्मी ने सामने बालकनी मे खड़ी संगीता की ओर देख कर कहा,
मैने जब संगीता की ओर देखा तो मेरा लंड खड़ा हो गया क्यो कि वह जीन्स पहने हुए अपनी मोटी गंद उठाए
बालकनी का सहारा लेकर बाहर का नज़ारा देख रही थी, मैं मम्मी का इशारा समझ गया था क्योकि मम्मी उसकी
गुदाज और भारी गंद और मोटे-मोटे दूध को देख कर ही मुझे उसकी जवानी का एहसास करा रही थी,
वाकई मे संगीता की मोटी-मोटी जंघे और बड़े-बड़े उठे हुए चूतादो को देख कर मुझे मजबूरन अपने लंड
को एक बार मम्मी की नज़रे बचा कर सहलाना पड़ा,