घरेलू चुदाई समारोह compleet
Re: घरेलू चुदाई समारोह
कोमल ऐसा कह तो रही थी पर वो जानती थी कि किसी ना किसी तरह वो कर्नल का विशाल सुपाड़ा अपने मुँह में घुसेड़ ही लेगी। इस निराले लौड़े को तो उसे चूसना ही था। उसने अंदाज़ लगाने कि कोशिश की कि ये लौड़ा कितना लंबा था और उसने अनुमान लगाया कि वो लगभग ग्यारह इंच का होगा। विश्वास से कहना मुश्किल था क्योंकी लण्ड मोटा भी काफी था।
“अपने सब कपड़े उतार दो कर्नल… ताकि मैं तुम्हें पूरा मज़ा दे सकूँ…” कोमल फुसफुसायी और कर्नल को वर्दी उतारने में मदद की।
“मम्म्म… मुझे मर्दों की छातियों पर घने बाल बहुत पसंद हैं…” कोमल मुश्कुराई जब उसने कर्नल की छाती को काले-घने बालों से ढके हुए पाया। कोमल के तीखे नाखून कर्नल की छाती को प्यार से खरोंचते हुए लण्ड तक पहुँचे।
कोमल के हाथों की छेड़छाड़ से कर्नल कराहने और थरथराने लगा।
कोमल ने झुक कर उसके लण्ड के सुफाड़े पर अपनी गर्म साँस छोड़ी और इसके जवाब में कोमल ने देखा कि वो विशाल लौड़ा और भी फैल गया। कर्नल के लण्ड के सुपाड़े पर उसका अग्रिम वीर्यश्राव चमक रहा था और कोमल को आकर्षित कर रहा था। उसका स्वाद लेने के लिये कोमल ने अपनी जीभ की नोक से लण्ड के सुपाड़े को स्पर्श किया और बोली- “ऊम्म्म कर्नल… आज सारा दिन हम चुसाई और चुदाई का मज़ा लेंगे…”
“कोमल जी… आपकी जीभ तो…” कर्नल मान हाँफते हुए बोला।
उसने कोमल की चूचियां छोड़ दीं और सोफे पर पीछे टेक लगा ली ताकि ये सेक्सी गाण्ड वाली चुदास औरत जो भी चाहती है वो उसके भारी भरकम लण्ड के साथ कर सके।
“ये तुम्हारा कालेज नहीं है कर्नल…” उसके सुपाड़े पर अपनी जीभ फिराती हुई कोमल बोली। लण्ड को चूसते हुए कोमल के लाल नेल-पालिश लगे नाखून कर्नल के टट्टों के नीचे प्यार से खरोंच रहे थे।
“इसका कायदे-कानून से कुछ लेना-देना नहीं है… आज तुम खुद को मेरे हाथों में सौंप दो और मैं तुम्हें दिखाती हूँ कि सारे संकोच छोड़कर मज़ा किस तरह लिया जाता है… आज मेरा अंग-अंग तुम्हारे भोगने के लिये है। मैं पूरी तुम्हारी हूँ… मेरी चूत, मेरा मुँह, मेरे मम्मे, मेरा रोम-रोम तुम्हारा है…” इन शब्दों के साथ कोमल ने अपना मुँह खोलकर जितना हो सके अपने होंठ फैलाये ताकि वोह कर्नल का भीमकाय लण्ड अंदर ले सके।
“ऊम्म्म्म्हहह…” कर्नल के सुपाड़े पर अपने होंठ सरकाती हुई वोह गुरार्यी- “अंदर घुस गया…” अपने मुँह में उस सुपाड़े को सोखते हुए कोमल ने बोलने की कोशिश की। फिर कोमल अपने होंठों को उस विशाल लण्ड की छड़ पर और नीचे खिसकाने में लग गयी।
Re: घरेलू चुदाई समारोह
कर्नल ने सिसकते हुए कोमल के लंबे काले बाल उसके चेहरे से हटाये ताकि वो देख सके कि कोमल उसके लण्ड के साथ क्या कर रही है। कर्नल मान को विश्वास नहीं हो रहा था कि कोमल ने अपने छोटे से मुँह में इतना बड़ा लण्ड ले रखा था। जब कोमल ने उसके टट्टों को पकड़ा तो कर्नल ने उत्तेजना में अपने चूतड़ उठाकर अपना लण्ड कोमल के मुँह में ऊपर को पेल दिया।
कर्नल के लण्ड को और अंदर लेने के लिए कोमल अपने घुटनों पे बैठ गयी और उसने कर्नल की जांघें फैला दीं। कोमल ने उसका लण्ड सीधा करके पकड़ा और उसकी गोलियों को चूसने लगी और कोमल ने कर्नल को शामिल करने की कोशिश करते हुए पूछा- “अमृत-रस से भरी हुई हैं न मेरे लिए, कर्नल…” कोमल उसके औपचारिक मुखौटे को उतार फेंकना चाहती थी। कोमल उससे कबूल करवाना चाहती थी कि किसी औरत को चोदने की इच्छा के मामले में वो दूसरे मर्दों से अलग नहीं था।
“कैसा लग रहा है तुम्हें कर्नल…” कोमल ने उसके लण्ड को ऊपर सुपाड़े तक चाटा और फिर वापिस अपनी जीभ लौड़े से नीचे टट्टों तक फिरायी। कोमल ने अपनी मुट्ठी में उसके टट्टों को भींच दिया जिससे कर्नल एक मीठे से दर्द से कराह उठा।
“मुझे… उम्म्म बहुत अच्छा लग रहा है, कोमल जी…” कर्नल ने अपने दाँत भींचते हुए कहा।
“तुम कभी ये औपचारिकता और संकोच छोड़ते नहीं हो क्या… कर्नल, अच्छा होगा अगर तुम मुझे सिर्फ कोमल पुकारो और मुझे और भी खुशी होगी अगर तुम मुझे राँड, छिनाल या कुछ और गाली से पुकारो… खुलकर बताओ कि तुम्हें कैसा महसूस हो रहा है… क्या तुम्हारा लण्ड मेरे मुँह में फिर से जाने के लिए नहीं तड़प रहा है… क्या तुम्हारे टट्टों में वीर्य उबाल नहीं खा रहा… कहो मुझसे अपने दिल की बात। मुझे एक रंडी समझो जिसे तुमने एक दिन के लिए खरीदा है…”
कोमल ने अपनी बात कहकर कर्नल का लौड़ा अपने मुँह में भर लिया। उसने अपना मुँह तब तक नीचे ढकेलना ज़ारी रखा जब तक कि कर्नल का लौड़ा उसके गले में नहीं टकराने लगा। कर्नल के पीड़ित टट्टे अभी भी कोमल मुट्ठी में बँद थे। कोमल ने कर्नल की नाज़ुक रग दबा दी थी।
कर्नल को लोगों पर अपनी हुकूमत चलाना पसंद था, खास करके औरतों को अपने काबू में रखना क्योंकी औरतों के सामने वो थोड़ी घबड़ाहट महसूस करता था। उसे औरतों की मौजूदगी में बेचैनी महसूस होती थी, इसलिए जब भी हो सके वो उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश करता था। “चूस मेरा लौड़ा… साली कुतिया…” वो दहाड़ा और उसने अपने लण्ड पे कोमल के ऊपर-नीचे होते सिर को अपने लौड़े पे कस के नीचे दबा दिया- “खा जा मेरा लण्ड… चुदक्कड़ रांड…”
“उरररर…” कोमल गुरार्यी जब उसने कर्नल के मुँह से अपने लिये गालियां सुनीं। कोमल बड़े चाव से उसका लण्ड चूस रही थी और तरस रही थी कि कर्नल जी भरकर बेरहमी से जैसे चाहे उसका शरीर इश्तेमाल करे। कोमल का मुँह बड़ी लालसा से उस विशाल लण्ड की लंबाई पर ऊपर-नीचे चल रहा था और कर्नल के टट्टों को उबलता हुआ लण्ड-रस छोड़ने के लिये तैयार कर रहा था।
“साली… लण्ड चूसने वाली कुतिया…” कर्नल दहाड़ा और अपने हाथ नीचे लेजाकर उसने कोमल की झुलती हुई चूचियां जकड़ लीं। “खा जा मुझे… चूस ले मेरे लण्ड का शोरबा… साली… कुतिया… साली… रांड… अभी मिलेगा तुझे मेरा लण्ड-रस… ओहह साली कुतिया… रांड… ये आया… मैं झड़ा…” कर्नल इतने वेग से झड़ते हुए सोफ़े पर उछला कि कोमल के मुँह से उसका झड़ता लण्ड छूटते-छूटते बचा।
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कोमल भी उसके लण्ड का शोरबा पीने के लिये इतनी उतावली थी कि इतनी आसानी से उस मोटे लण्ड को अपने मुँह से बाहर छूटने नहीं दे सकती थी। उसने अपने होंठ उस फैलते हुए लण्ड पर कस लिये और जोर से चूसते हुए अपने मुँह में बाढ़ की तरह प्रवाहित होते हुए स्वादिष्ट वीर्य को निगलने लगी।
कर्नल सोफ़े पर अपनी बगल में गिर गया पर कोमल ने उसका लण्ड अपने होंठों से छोड़ा नहीं।
उसके स्वादिष्ट वीर्य को अपने हलक में नीचे गटकते हुए कोमल और अधिक वीर्य छुड़ाने के प्रयास में कर्नल के टट्टों को भींचने लगी। “मुझे और दो कर्नल… रुको नहीं… मुझे और वीर्य चाहिये…” कोमल उसके लण्ड को सुपाड़े तक ऊपर चूसते हुए बोली और वीर्य की आखिरी बूँदें चूसती हुई ‘चप-चप’ की तृष्णा भरी आवजें निकलने लगी। कर्नल को आखिर में उस प्रचंड औरत को अपने लण्ड से परे ढकेलना पड़ा।
“झड़ने के बाद मेरा लण्ड काफी नाज़ुक हो जाता है कोमल जी…” वो बोला।
“नहीं… ऐसे नहीं चलेगा…” कोमल फुफकारी क्योंकी उसकी भीगी चूत की प्यास तृप्ति की माँग कर रही थी- “ये लण्ड मेरी चूत को चोदने के लिये जल्दी ही तैयार हो जाना चाहिये। पर तब तक तुम अपनी बड़ी अंगुलियां मेरी चूत में घुसेड़ो…” कोमल ने कर्नल को सोफ़े पर एक तरफ खिसकाया ताकि वो खुद कर्नल की बगल में लेट सके। कोमल ने कर्नल का हाथ पकड़कर अपनी जलती हुई चूत पर रख दिया, और बोली- “डालो अपनी अंगुलियां मेरी चूत में… कर्नल…” कोमल पर व्हिस्की का नशा अब तक और भी चढ़ गया था और वोह वासना और नशे में लगभग चूर थी।
कर्नल मान की मोटी अंगुली जब कोमल की दहकती चूत को चीरती हुई अंदर घुसी तो कोमल को वो अंगुली किसी छोटे लण्ड की तरह महसूस हुई। कोमल ने उस अंगुली को अपनी चूत में चोदते हुए कर्नल का हाथ थाम लिया कि कहीं वो अपनी अंगुली बाहर न निकाल ले, और बोली- “और अंदर तक घुसेड़कर चोद मेरी चूत चूतिये…” जब इतने से कोमल को करार नहीं मिला तो वो अपने हाथ से भी अपनी क्लिट से खेलने लगी। कर्नल की अंगुली और अपने हाथ की दोहरी हरकत से जल्दी ही विस्फोट के कगार पर पहुँच गयी।
“ओह कर्नल… हरामी साले…” कोमल सिसकी जब उसकी चूत झटके खाने लगी। “मैं तेरे लण्ड के लिये रुकना चाहती थी… पर अब मैं खुद को झड़ने से नहीं रोक सकती। कस के ठूंस अपनी अंगुली मेरी चूत के अंदर… चोद मुझे अंगुली से… मैं आयीईई… मादरचोद, चोद मुझे उस अंगुली से… हाय लण्ड जैसी लग रही है तेरी अंगुली… हरामी कुत्ते… मैं झड़ी रे… आंआंआंआंईईईईईई…”
जब अपने शरीर में उठते विस्फोट से कोमल काँपने लगी तो उसकी चूत ने कर्नल की अंगुली जकड़ ली और कोमल कर्नल की बाँह पकड़कर खींचने लगी। अपने दूसरे हाथ से कोमल पागलों की तरह जोर-जोर से अपनी क्लिट रगड़ रही थी। सोफ़े पर जोर से फ़ुदकती हुई कोमल की चूचियां भी जोर-जोर से काँपने लगी और कोमल एक धमाके के साथ झड़ गयी, और सिसकी- “और अंदर घुसेड़ ऊँऊँऊँहहहहह…”
कर्नल मान ने सोचा कि कुछ समय के लिए तो अब ये गरम गाण्ड वाली चुदक्कड़ औरत संतुष्ट हुई। लेकिन कर्नल गलत था। जैसे ही कोमल का झड़ना समाप्त हुआ उसी क्षण वो कर्नल के लण्ड की ओर लपकी। “इसे फिर से खड़ा कर न… प्यारे चोदू… तेरी अंगुली से तो मज़ा आया पर मुझे तेरे इस मूसल लण्ड से अपनी चूत चुदवानी है… खड़ा कर इसे… मादरचोद खड़ा कर इसे…”
कर्नल का हलब्बी लण्ड कोमल की हरकतों से जल्दी ही फैल कर सख्त होने लगा। कोमल नशे में थी और बहुत ही बेरहमी से कर्नल के लण्ड पर अपनी मुट्ठी चला रही थी। कोमल ने उसे इतना कस के अपनी अंगुलियों में तब तक जकड़े रखा जब तक ऐसा लगने लगा कि उसका फूला हुआ सुपाड़ा कसाव के कारण फट जायेगा। कर्नल के बड़े टट्टे भी कोमल की थिरकती जीभ के जवाब में सख्त होकर झटकने लगे।
“और सख्त… भोंसड़ी के और सख्त… मुझे अपनी चूत में ये किसी बड़ी स्टील की राड की तरह लगना चाहिए…” कोमल के निर्दयी हाथ कर्नल के लण्ड को उत्तेजना से जला और धड़का रहे थे जिससे कर्नल वेदना से हँफने लगा।
कर्नल ने कहा- “बस ठीक है कोमल… अब ले ले इसे अपनी चूत में… मेरा लण्ड चोदने के लिए तैयार है…”
“हाँ… तैयार तो है…” कोमल उत्तेजना में बोली और कर्नल के बदन पर छा गयी और अपनी टपकती चूत में उसके विशाल लण्ड को घुसेड़ने के लिये अपना हाथ नीचे ले गयी। कोमल ने उसके विशाल लण्ड को पकड़ा और उसपर बैठने के पहले रक्त से भरपूर सुपाड़े को अपनी चूत की फाँकों के बीच में रगड़ने लगी, और कहा- “मुझे इस राक्षसी लण्ड पर बैठकर चोदने में बहुत मज़ा आयेगा…”
“अब जल्दी से अंदर तो डालो…” कर्नल गुर्राया जब कोमल विलंब करने लगी। कर्नल का लण्ड उत्तेजना के मारे जल रहा था और उसके टट्टों में वीर्य का मंथन चल रहा था। उसके लण्ड के सुपाड़े पर कोमल की चूत के होंठों की छेड़छाड़ उसे पागल बना रही थी।
“जैसे एक असली मर्द किसी गर्म औरत से चुदाई के लिए कहता है… वैसे मुझसे बोल। मैं कोई तेरी स्टूडेंट नहीं हूँ कर्नल… ये शालीन भाषा मेरे साथ मत बोलक्ष तू मुझसे क्या चाहता हैक्ष मुझे ऐसे बता जैसे किसी रंडी से कहा जाता है। मुझसे सिर्फ अश्लील गंदी भाषा में बात कर…” कोमल ने खुद को महज इतना ही नीचे किया जिससे कि सिर्फ सुपाड़े का अग्र भाग ही उसकी चूत में प्रविष्ट हुआ। वोह कर्नल को तड़पाने के लिये इसी स्थिति में थोड़ी सी हिलती हुई उसके लण्ड पर दबाव डालने लगी।