प्यार का रिश्ता (pyaar ka rishta) compleet

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raj..
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Re: प्यार का रिश्ता (pyaar ka rishta)

Unread post by raj.. » 29 Oct 2014 09:06

मैं कुछ बोलने वाला था तभी उसने मेरे औंठ अपने औंठ मे लेलीए और चूत को मेरे लंड पे रगड़ना तेज़ कर दिया.. मैं रोब पहने हुआ था जिससे रोब खिसक गयी थी और मेरा लंड मेरी चड्डी के अंदर से शिवानी की कुँवारी चूत पर रगड़ खा रहा था शिवानी जोरो से रगड़ते हुए झदने लगी साथ ही साथ मैं भी अपनी चड्डी मे झाड़ गया शिवानी बहाल होकर मेरे ऊपेर लेट गयी........

बहुत देर तक हम ऐसे ही पड़े रहे और शिवानी को अपने ऊपेर लेटाए हुए ही मैं उसकी पीठ और गर्दन और गांद सहलाता रहा.... शिवानी के मस्त बूब्स मेरी छाती मे दबे हुए थे....

मैने शिवानी का माथा चूमा आँखे चूमि और उससे कहा

" जान मुझे बाथरूम जाना है और प्ल्ज़्ज़ मुझे चाइ मिलेगी क्या एक कप...."

" वो मुझे घूर के देखती रही फिर धीरे से बोली हा.. मेरे सनम मेरे जानम चाइ मिलेगी" और वो उठ गई.... जैसे ही शिवानी हटी तो उसकी पॅंटी मुझे पूरी गीली नज़र आई और उसका पानी भी मुझे अपने पेट और जाँघो पर गिरता हुआ महसूस हुआ... जबकि मेरा लंड अभी पूरा नही बैठा था वो अभी भी आधा खड़ा था.....

"एक बात कहू मनु....."

" हा जान कहो" पूछना क्या

"जैसे तुम मस्त हो वैसे ही तुम्हारा शरीर का हर एक हिस्सा बहुत मस्त है" वो मेरे लंड की तरफ देखते हुए बोली.....

मैं झट से उठकर बाथरूम गया और तारीफ सुनकर लंड मे फिर से जान आने लगी थी सो उसे फिर से मूठ मारकर ठंडा किया.....

मैं अब तक यह नही समझ पा रहा था की इतने पैसे वाली लड़की के इश्क़ मे मैं कैसे गिरफ़्त मे आगेया... और वो तो चुदवाना चाहती है पर मेरा दिल उसको चोदने से मना क्यों कर रहा है....


raj..
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Re: प्यार का रिश्ता (pyaar ka rishta)

Unread post by raj.. » 29 Oct 2014 09:07

मैं चड्डी उतार कर बाथरूम मे धोकर वैसे ही रोब पहनकर फिर से आकर बेड पर लेट गया... समय देखा तो इस समय रात के 2 बज रहे थे...शिवानी थोड़ी देर मे चाइ की ट्रॉल्ली लेकर कमरे मे दाखिल हुई मैने रूम की लाइट्स जला दी थी शिवानी के शरीर को देख कर मेरा मन फिर से ललचाने लगा... अब वो अपनी ब्रा और पॅंटी उतार चुकी थी... सेमी त्रस्परेंट गाउन मे से उसके अंग प्रत्यंग सॉफ नज़र आ रहे थे...... हम दोनोने चाइ और कुछ स्नॅक्स लिए फिर बातों का दौर शुरू हुआ.... पता नही बात करते करते कब हम सो गये...... सुबह जब मेरी नींद खुली तो मैं बिल्कुल बिर्थडे सूट मे सोया हुआ था और शिवानी का भी गाउन निकला हुआ था.... वो मेरे से चिपकी सोई पड़ी थी... मैं रात की घटनाओ को अपने दिमाग़ मे सोचता रहा और मेरा ध्यान शिवानी की सॉफ चिकनी चमकती हुई गुलाबी चूत पर केंद्रित हो गया. शिवानी बहुत गहरी नींद मे सोई हुई थी जबकि दिन का उजाला निकल चुका था. शिवानी मदरजात नंगी मेरी बगल मे लेटी हुई किसी ख्वाब मे थी. मेरा लंड फिर से जवान होने लगा था ... एक बार तो इच्छा हुई की जो होगा तो देखा जाएगा अब तो बहुत हो गया अब तो इसे चोद ही डालू पर मैं अपने आप पर काबू रखे रहा.... मैं धीरे से पलंग से उतरा और बाथरूम की और जाने ही वाला था लेकिन शिवानी के मदमाते शरीर ने मुझे रोक लिया मैं आज भरपूर शिवानी को बिल्कुल मदरजात नंगी सोते हुए देख लेना चाहता था..... मन नही माना तो मैं अपने मूह को शिवानी की चूत के पास ले गया वाहा से उसके पेशाब और चूत के रस की मिलीजुली सोंधी सोंधी सी स्मेल आ रही थी जो की मेरे दिमाग़ मे शिवानी के साथ सेक्स करने को प्रेरित कर रही थी पर मैं अपने आत्म बल से कोई स्मझोता नही करना चाह रहा था मुझे मेरा अत्म बल डगमगाता सा लगा. लेकिन फिर कंट्रोल किया मैने एक बार फिर से किसी बंद कमल की पंखुड़ियों की तरह उस गुलाबी चमकती गद्दे दार चूत की तरफ देखा और एक चुम्मा लेलिया और जीभ से उसको थोड़ा सा चॅटा बड़ा अजीब सा स्वाद मिला. मैं शिवानी की पॅंटी लेकर बाथरूम मे घुस गया और जहा उसकी चूत से पॅंटी चिपकती होगी उसको सूँघा सूंघने से शिवानी की पेशाब और रस की मिलीजुली स्मेल मिली मैने उसे मूह मे लेकर चूसना शुरू किया और अपने लंड को फिर मुठिया लिया फ्रेश होकर मैं तैयार होकर ही बाथरूम से निकला तब तक शिवानी भी बेड पर से उठकर ना जाने कहा चली गई थी रूम बाहर से लॉक्ड था. मुझे यह लड़की बहुत ही रेहश्यमय लग रही थी. नही तो कोई भी जवान लड़की किसी अंजान के साथ ऐसे रात क्यों गुज़ारती.

मैने शिवानी के रूम के फोन से शिवानी को फ़ोन करने के लिए जैसे ही रेसिवेर उठाकर अपने कानो से लगाया तो मेरे बिना हरकत किए शिवानी की आवाज़ मेरे कानो से टकराई..

"गूओड़ मॉर्निंग मेरे हमदम..... माइ लव"....

मैं चौंक गया की यह आवाज़ कहा से आ रही है... मैने रेसिवेर के माउत पीस से हेलो बोला तो फिर हेलो की आवाज़ कानो से टकराई...... .. देखा घूम के तो शिवानी चाइ और नाश्ते की ट्रे लिए खड़ी थी शिवानी सलवार सूट पहने हुए थी पिंक कलर की

"गुड मॉर्निंग स्वीट हार्ट" कहते हुए जाकर उसको अपने से लिपटा लिया और एक किस किया

हम दोनो ने चाइ पी और ब्रेकफास्ट लिया फिर मैने शिवानी से अपने होटल जाकर अपना समान और चेकाउट करने के लिए बोला

शिवानी ने कहा " डियर कोई ज़रूरत नही है कही भी जाने की और परेशान होने की आप मेरे दिल के राजा है तो मैं आपका पूरा ख्याल रखूँगी... " " मैने आपका पूरा समान यहा बुलवालिया है आपकी होटेल से और हा... आपका चेकआउट बिल पैड कर दिया गया है यह रहा बिल "

मैने कहा आपने तक़लीफ़ क्यों की मैं खुद ले आता क्या मेरे पे भरोसा नही है...

"नही ऐसी बात नही है...." शिवानी बड़े प्यार से बोली....


raj..
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Re: प्यार का रिश्ता (pyaar ka rishta)

Unread post by raj.. » 29 Oct 2014 09:08

"मनु तुम सचमुच मनुता हो.... मैने तुमको रात मे देख लिया यदि तुम्हारी जगह कोई और होता तो मैं आज कुँवारी ना रहती." मैने रात तुम्हारी चाइ मे नसे की गोली डाल दी थी फिर जब तुम सो गये तो मैने तुम्हारे कपड़े उतार कर तुम्हारे उस को बहुत चूसा बहुत मज़ा आया और अपनी वो तुम्हारे उससे बहुत रगडी और तुम्हारे मूह से भी रगडी......फिर मैं भी वैसे ही सो गई......" प्ल्ज़ मुझे माफ़ कर देना....

मैने नकली गुस्सा बताते हुए कहा " शिवानी तुमको ऐसा नही करना चाहिए.... अब तो किया अब आगे मत करना...."

आगे कहती गई " वैसे कौन कम्बखत कुँवारा रहना चाहता है तुम्हारा शरीर देखकर... मेरी दीदी यानी तुम्हारी वाइफ तो बड़ी खुस रहती होगी तुमसे"

"हा रहती तो है..." मैने उसको जवाब दिया...

" वैसे तुमने कंट्रोल कैसे किया......"

" मैने अपने गुरु से काम शस्त्रा सीखा है इसलिए..."

" अछा तो फिर किसी दिन वो हुनर भी देख लेंगे'" शिवानी बोली...

" ज़रूर" " पर उसका सही समय आने पर और सही तरीके से.....

"अछा जनाब उसका भी तरीका होता है" मैं जानना चाहूँगी वो तरीका.....

"खैर छोड़ो यह बताओ..... तुम्हारी पॅकिंग हो गई..." मैने शिवानी से कहा...

" मैं तो अभी तक रेडी और पॅक ही हू..... मेरी पॅकिंग अभी खुली कहा है..." शिवानी द्वियार्थी सेंटेन्स बोल रही थी...

हम दोनो हंस पड़े....

" मैने शिवानी से कहा मैं थोड़ा घूम आऊ फिर आता हू..."

नही मनु मैं तुमको यहा से सीधे रेलवे स्टेशन ले जाऊंगी वो भी आगरा निज़ामुद्दीन नही...

आगरा तक हम दोनो कार से गये और वाहा से हम उसी ट्रेन मे एसी फर्स्ट क्लास मे सागर तक आए....

सागर आकर मैने शिवानी को एक होटेल मे रोका और दूसरे दिन उसकी यूनिवर्सिटी मे अड्मिशन की फॉर्मॅलेटीस पूरी करवाई....अब शिवानी को एक कमरा देखना था लेकिन मैने जब से उसका वैभव देखा था तो उसके लिए मैने एक बढ़िया सा हाई टाइप बंग्लॉ किराए पर ले दिया.... शिवानी और मैं रोज मिलने जुलने लगे..... कुछ दिन नॉर्मल ही बीते. बीच मे शिवानी को कई बार अपने घर भी ले गया और अपने परिवार वालों से मिलाया.. दोनो एक दूसरे से मिलकर बड़े खुस हुए... इधर शिवानी के कई लड़के लड़किया दोस्त हो गये थे यूनिवर्सिटी मे....कुछ से शिवानी ने मेरी भी पहचान और दोस्ती कराई.... शिवानी की एक फास्ट फ्रेंड थी सूची जो की शिवानी के बंग्लॉ पर ही रहती थी वो बहुत चुलबुली थी और मुझे जीजाजी ही बुलाती थी......सूची सेम यूनिवर्सिटी से फार्मेसी कर रही थी. शिवानी को कुछ प्रॉजेक्ट वर्क के लिए कुछ दीनो के लिए घर जाना था सो वो चली गई उसने यहा एक कार रख ली थी.. लेकिन एक दिन सूची का फोन आया.

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