राज और अनु
( अनु के लिए )
हेलो दोस्तो मैं यानी आपका राज शर्मा एक ओर नयी कहानी लेकर हाजिर हूँ .
ये कहानी मेरी एक दोस्त अनु बंसल जो की मेरी ख्याली दुनियाँ की पत्नी है
मेरा नाम राज है. मेरी उमर 28 साल की है. मेरी शादी अभी नोव. 2008 में ही अनु के साथ हुई है. अनु की उमर 20 साल की है, दिखने में वो बहुत ही
खूबसूरत और सेक्सी लगती है. मैं बहुत ही सेक्सी हूँ लेकिन अनु तो मुझसे
भी ज़्यादा सेक्सी है. वो मुझसे हमेशा तरह तरह के स्टाइल में एक दम मस्त
हो कर चुड़वाती है. मैं शादी के पहले भी हमेशा नयी नयी लड़कियों के तलाश में
रहता था और बड़े आराम से उनको अपने जाल में फसा लेता था. फिर उन्हें अपने
घर बुला कर उनकी बुरी तरह से चुदाई करता था. ये सिलसिला अनु के आने के
बाद 1 मंत तक बंद रहा लेकिन फिर शुरू हो गया. अब मैं अनु के सामने ही उन
लड़कियों की चुदाई करने लगा.
दिसंबर के महीने में इस बात को लेकर अनु का मुझसे खूब झगड़ा हुआ. अनु ने कहा,
तुम हेमशा नयी नयी लड़कियों को फसा कर घर लाते हो और मेरे सामने ही उनकी
चुदाई करते हो. अगर ऐसा ही करना था तो मुझसे शादी क्यों की. अगर मैं भी तुम्हारी
तरह रोज रोज नये आदमियों से चुड़वाने लेगून तो तुम्हें कैसा लगेगा. मैने कहा, अगर
तुम्हारा मान भी रोज रोज नये लंड से छुड़वाने का करता है तो मुझे कोई एतराज़ नहीं है.
तुम मेरे सामने ही जिस से चाहो चुदवा सकती हो. मैं तुम्हें बिल्कुल भी माना नहीं करूँगा.
वो बोली, फिर ठीक है, अब मैं भी रोज रोज नये आदमियों को फसा कर उनसे तुम्हारे
सामने ही खूब चुड़वाऊंगी.
उसके बाद अनु रोज ही इस तरह के कपड़े पहन कर बाज़ार जाने लगी की लगता था की
अभी अभी उसकी शादी हुई है. वो आसानी से नये नये आदमियों को फसा कर लाने लगी
और मेरे सामने ही उनसे चुड़वाने लगी. एक दिन अनु एक आदमी को फसा कर लाई और
जब अनु ने उसका लंड देखा तो घबडा गयी और उस आदमी से बोली, तुम वापस चले जाओ,
मैं तुम्हारे इस मोटे और लंबे लंड से चुड़वा कर अपनी चूत को नहीं पदवौनगी. मैने कहा,
अब क्या हुआ. एक मोटा लंड मिल गया तो घबडा गयी. वो बोली, इसका लंड देख रहे हो.
इसका लंड तो लगभग 9" लंबा और बहुत ही ज़्यादा मोटा है. इसका लंड मेरी चूत को फाड़ कर रख देगा.
उस दिन मैने अनु को उस आदमी से जबदस्ती चुड़वा दिया. वो बहुत ही ज़्यादा चीखी और चिल्लाई.
उस आदमी से छुड़वाने के बाद अनु की चूत काई जगह से एक दम काट गयी. मैने उस आदमी
से फिर दूसरे दिन आने को कहा तो अनु माना करने लगी. मैने उस आदमी से कहा, इसे कहने दो.
तुम 4-5 दिन तक लगातार आ कर इसकी खूब चुदाई करो जिस से इसकी चूत का मूह एक दम
चौड़ा हो जाए. उसके बाद ये फिर किसी लंबे और मोटे लंड को देख कर नहीं घबदाएगी. वो बोला,
ठीक है. मैं कल सुबह 10 बजे ही आ जौंगा और पुर दिन इसकी जाम कर चुदाई करूँगा.
वो दूसरे दिन सुबह के 10 बजे आ गया. अनु बहुत चीखी चिल्लाई लेकिन उसने सारा दिन
जाम कर अनु की चुदाई की. शाम के 6 बजे तक उसने अनु को 6 बार बुरी तरह से छोड़ा.
वो लगातार 7 दीनो तक आता रहा और पुर दिन अनु की जाम कर चुदाई किया करता था.
वो एक दिन में कम से कम 5 बार नेहा की चुदाई करता था. नेहा की चूत का मूह भी 2 दिन
बाद एक दम खुल चुका था और उसे अब उसके लंड से चुड़वाने में कोई तकलीफ़ नहीं होती थी.
वो एक दम मस्त होकर उस आदमी से चुड़वति थी.
12 dec. 2008 को अनु के एक रिश्तेदार के घर शादी में हमें जाना पड़ा. उनके रिश्तेदार
का घर बहुत डोर एक आदिवासी इलाक़े के एक गाओं में था. वहाँ केवल एक बस जाती थी
जो दिन के 10 बजे जाती थी और शाम के 6 बजे वहाँ पहुचती थी. उसके बाद वो बस रात
के 8 बजे वहाँ से चल कर सुबह के 4 बजे वापस आती थी. हम दोनो उस बस से वहाँ गये.
शादी में शामिल होने के बाद हम दोनो वापस आने के लिए रात के 8 बजे उस बस में बैठ गये.
बस चल पड़ी. बस में हम दोनो के अलावा केवल 4 आदमी और थे. रात के 1 बजे वो बस एक
स्टॉप पर रुकी तो वो चारो आदमी वहाँ पर उतार गये. अब बस में केवल कोंडुक्तेर और ड्राइवर
के अलावा हम दोनो ही रह गये. ड्राइवर और कोंडुटेर दोनो ही आदिवासी लग रहे थे.
वो दोनो एक दम हटते काटते थे और उनका बदन किसी पहलवा से कम नहीं था.
मेरे मान में ख़याल आया की अगर इन दोनो ने अनु को ज़बरदस्ती चोदना शुरू कर
दिया तो मैं इन दोनो को बिल्कुल भी रोक नहीं सकता.
रात के 2 बजे उन दोनो ने एक सुनसान जगह पर बस रोक दी और कहा, थोड़ी देर आराम
करने के बाद हम यहाँ से चलेंगे. ड्राइवर ने बस के अंदर की एक लाइट जला दी और अपनी
सीट से उतार कर कनडक्टर के पास आ कर बैठ गया. थोड़ी देर बाद वो दोनो नेहा
को च्छेदने लगे. मैने उन्हें माना किया तो अनु बोली, तुम चुप रहो. इस समय बस में
हम दोनो अकेले हैं. थोड़ी देर बाद उन दोनो ने अपने नेकार को छोदकर बाकी के सारे
कपड़े उतार दिए. नेकार के उपर से ही अनुने उन दोनो का लंड महसूस कर लिया और
मुझसे धीरे से कहा, अगर ये दोनो मुझे छोड़ने की कोशिश करेंगे तो तुम इनको रोकना मत.
मुझे इन दोनो का लंड बहुत ही लंबा और मोटा लग रहा है. इन दोनो का लंड देखकर मेरी
चूत में खुजली होने लगी है. इन दोनो से छुड़वाने में मुझे मज़ा आ जाएगा. मैने कहा, ठीक है.
थोड़ी देर बाद ड्राइवर अनु के पीच्चे वाली सीट पर आ कर बैठ गया और उसने अनु के बूब्स
को मसलना शुरू कर दिया. अनु ने दिखाने के लिए उसे माना किया लेकिन वो नहीं माना और
बोला, तुम बहुत ही मस्त लग रही हो. आज हम दोनो इसी बस में तुम्हारी चुदाई करेंगे.
अनु ने कहा, तुम दोनो मुझे अकेला पा कर मेरे साथ ज़बरदस्ती कर रहे हो. मैं तुम्हारी
शिकायत पोलीस से करूँगी. वो बोला, क्या कहोगी की हम दोनो ने तुम्हारी चुदाई की है.
तुम तो पोलीस वालों को जानती हो, वो पहले तुम्हारी चुदाई करेंगे उसके बाद तुम्हारी
रिपोर्ट लिखेंगे. अनु कुच्छ नहीं बोली. थोड़ी देर बाद ड्राइवर ने अपना नेकार उतार दिया.
उसे देखकर कनडक्टर ने भी अपना नेकार उतार कर अनु के आगे वाली सीट पर आ कर बैठ गया.
उन दोनो का लंड एक दम कला था. थोड़ी देर तक वो दोनो अपने लंड को सहलाते रहे
तो उन दोनो का लंड एक दम खड़ा हो गया. उनका लंड देखते ही अनु के मूह में पानी आ गया
और वो मान ही मान खुश हो गयी. ड्राइवर का लंड लगभग 9" लंबा और खूब मोटा था.
लेकिन कनडक्टर का लंड तो ड्राइवर के लंड से भी ज़्यादा लंबा और मोटा था. उसका
लंड लगभग 10" लंबा था. उसके बाद वो दोनो अनु को पकड़ कर ड्राइवर के पीच्चे वाली
सीट पर ले गये जिस पर की ड्राइवर सोता था. वो सीट ज़्यादा चौड़ी और लंबी थी. उन
दोनो ने अनु की सलवार और कमीज़ उतार दी तो अनु ब्रा और पनटी में ही रह गयी.
उन दोनो ने अनु से अपना लंड सहलाने को कहा तो अनु उन दोनो का लंड सहलाने लगी.
वो दोनो अनु के सारे बदन को सहलाने और चूमने लगे.
थोड़ी ही देर में अनु एक दम मस्त हो गयी और सिसकारियाँ भरने लगी. ड्राइवर ने अनु को
अपना लंड दिखाते हुए कहा, हम दोनो का लंड देख लो, आज हम दोनो इसी लंड से तुम्हारी
चुदाई कर के तुम्हारी चूत को फाड़ कर रख देंगे. हम दोनो तुम्हारी ऐसी चुदाई करेंगे की तुम
पूरी ज़िंदगी याद रखोगिऽनु तो उन दोनो का लंड देख कर एक दम मस्त हो चुकी थी. वो बोली
, तुम दोनो को अपने लंड पर बहुत नाज़ है. मैने इस से भी ज़्यादा लंबे और मोटे लंड से बहुत
बार चुडवाया है. अभी पता चल जाएगा तुम दोनो को. ड्राइवर ने जोश में आ कर अनु की ब्रा
और पनटी फाड़ दी और उसे लिटा दिया.
उसने अनु की टाँगों को फैला कर अपने लंड का सूपड़ा उसकी चूत पर रख दिया. जैसे ही उसने
एक जोरदार धक्का लगाया तो उसका लंड बड़े आराम से नेहा की चूत में 6" तक घुस गया
लेकिन नेहा के मूह से कोई आवाज़ नहीं निकली. उसने गुस्से में आ कर इस बार पुर ताक़त
के साथ बहुत ही जोरदार धक्का लगाया तो उसका पूरा का पूरा लंड सनसानता हुआ अनु की
चूत में समा गया. अनु के मूह से ज़रा सी भी आवाज़ नहीं निकली. ड्राइवर अनु को देखता ही
रहा गया. अनु ने कहा, क्या हुआ. तुझे तो अपने लंड पर बहुत घमंड था ना. अब देखना है की
तू कितनी देर तक मेरी चुदाई कर पता है. ड्राइवर बहुत ही गुस्से में था. उसने बहुत ही बुरी तरह
से अनु की चुदाई शुरू कर दिऽनु को भी मज़ा आने लगा और वो आहह.... ऊहह..... और..... तेज.
.... और.... ज़ोर.... से..... करते हुए पूरी मस्ती के साथ चुड़वाने लगी. दिरवेर बहुत ज़्यादा जोश
में था और वो 5 मीं ही झाड़ गया तो अनु बोली, बस हो गया. बहुत घमंड था ना तुझे अपने लंड पर.
साला 5 मीं भी ठीक से नहीं चोद पाया. हिज़ड़ कहीं का. ड्राइवर का सिर शरम से झुक गया.
ड्राइवर के हट जाने के बाद अनु ने कनडक्टर से कहा, चल तू भी आ जा. ज़रा मैं भी तो देखूं की
तेरे लंड में कितनी ताक़त है और तू कितनी देर तक मेरी चुदाई कर पता है. चल जल्दी कर,
आ जा, घुसेड दे अपना पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में. चॉड मुझे अपने पुर ताक़त के साथ.
कनडक्टर अपना सिर झुकाए हुए अनु की टाँगों के बीच आ गया. उसने भी अपना लंड एक
झटके से anu की चूत में घुसा दिया. अनु की चूत ड्राइवर के लंड के जूस से पहले ही एक दम
गीली हो चुकी थी. इस लिए एक ही धक्के में कनडक्टर का पूरा का पूरा लंड सनसानता हुआ
अनु की चूत में घुस गया.
अनु 9" के लंड से छुड़वाने की एक दम आदि हो चुकी थी लेकिन कनडक्टर का लंड 10" लंबा था.
जैसे ही कोंडुक्तेर का 10" लंबा लंड नेहा की चूत में पूरा घुसा तो अनु के मूह केवल हल्की सी
सिसकारी बेर निकली. कनडक्टर ने बहुत ही तेज़ी के साथ अनु की चुदाई शुरू कर दी.
अनु पहले से ही बहुत ज़्यादा जोश में थी. कनडक्टर जब उसे बहुत ही तेज़ी के साथ छोड़ने लगा
तो 5 मीं में ही वो झाड़ गयी. अनु के झड़ने के 2 मीं बाद ही कनडक्टर भी झाड़ गया. अनु ने कहा,
साला तू भी हिज़ड़ है. 5 मीं में ही झाड़ गया. चला था मेरी चूत फाड़ने. और चोद सेयेल, मया का
दूध नहीं पिया है क्या. हरामी कहीं का. कनडक्टर का सिर भी शरम से झुक गया.
थोड़ी देर बाद जब ड्राइवर का लंड फिर से खड़ा हो गया तो वो अनु को फिर से छोड़ने लगा. इस बार
अनु को ज़्यादा मज़ा आ रहा था और वो एक दम मस्त हो कर ड्राइवर से चुड़वा रही थी. ड्राइवर ने
भी इस बार पुर जोश और ताक़त के साथ लगभग 30 मीं तक अनु की जाम कर चुदाई की और फिर
अनु की चूत में ही झाड़ गया. उसने अनु से पूचछा इस बार मज़ा आया तो अनु ने कहा, हन इस बार
थोड़ा मज़ा आया. लेकिन जब अगली बार तू मुझे फिर से चोदेगा तब ज़्यादा मज़ा आएगा. ड्राइवर अनु
को देखता ही रह गया.
उसके बाद कनडक्टर ने अनु को छोड़ना शुरू कर दिया. उसने इस बार बहुत ही बुरी तरह से anu की चुदाई की. अनुने भी इस बार ऊओ.... आहह.... और... तेज... और... तेज.... करते हुए कोंडुक्तेर
से पूरी मस्ती के साथ चुडवाया. कनडक्टर ने भी पुर जोश और दम खाँ से इस बार 35 मीं तक
अनु की चूद्याई की.
उसके बाद ड्राइवर ने अनु को डॉगी स्टाइल में कर दिया और इस बार पुर जोश और ताक़त के
साथ अनु को 45 मीं तक छोड़ा. जब वो झाड़ गया तो उसने अनु से पुचछा, इस बार की चुदाई
कैसी रही. अनु ने कहा, इस बार मुझे ज़्यादा मज़ा आया. सुबह होने वाली थी. कनडक्टर ने ड्राइवर
से कहा, यार बहुत देर हो चुकी है. तुम बस को आगे बाधाओ मैं इस की चुदाई करता हूँ. ड्राइवर ने
अपने कपड़े पहने और बस लेकर चल पड़ा. कनडक्टर ने पुर जोश के साथ अनु को छोड़ना शुरू
कर दिया. इस बार उसने अनु को लगभग 1 घंटे तक छोड़ा. अनु उन दोनो से 3-3 बार चुड़वा कर
पूरी तरह मस्त हो चुकी थी. अनु की चुदाई में बस भी लाते हो चुकी थी. हम सुबह के 8 बजे वापस पहुचे.
उसके बाद हम दोनो अपने घर जाने लगे तो अनु ने कनडक्टर को अपने पास बुलाया और उसे घर
का पता बताते हुए कहा, मुझे तुम्हारा लंड बहुत पसंद आया है. तुम मेरे घर आना, मैं तुम से
चुड़वा कर पूरा मज़ा लूँगी और तुम्हें भी को खूब मज़ा आएगा. कनडक्टर ने एक टॅक्सी बुला
कर हम दोनो को बिताया और उसको मेरे घर तक का किराया भी दे दिया. फिर वो दोनो मुस्कुराते
हुए हूमें बाइ बाइ करने लगे.
उसके बाद कोंडुक्तेर मौका पाते ही मेरे घर आ जाता था और अनु की खूब जाम कर चुदाई करता था.
अनु भी उस से पूरी तरह मस्त हो कर चुड़वति थी. अनु को कनडक्टर का लंड बहुत ज़्यादा पसंद
आ गया था. वो अब किसी दूसरे मर्द की तलाश में कहीं नहीं जाती थी. कभी कभी जब मैं किसी
औरत को फसा कर घर ले आता और वो अनु के सामने छुड़वाने में ज़्यादा नाटक करती तो मैं
कनडक्टर को बुला लेता था. कोंडुक्तेर को मैं एक रूम में च्छूपा देता था. उसके बाद जब मैं उस
औरत को छोड़ने लगता तो उसी समय कोंडुक्तेर वहाँ पर आ जाता और उस औरत का एक फोटो
ले लेता था. फिर उस औरत को ब्लॅकमेल करने का दर दिखा कर कोंडुक्तेर उस औरत की जाम
कर चुदाई करता. कोंडुक्तेर के 10" लंबे और खूब मोटे लंड से चुड़वा कर उन सब के चूत का बुरा
हाल हो जाता था. उनकी चूत एक दम काट फॅट जाती थी. वो ठीक से चल भी नहीं पति थी. कोंडुक्तेर
भी उन सब की बहुत ही बुरी तरह से चुदाई करता था.
एक दिन जब अनु कनडक्टर से चुड़वा रही थी तो उसने मुझसे कहा, तुम भी अपना लंड मेरी
गांद में दाल दो और मेरी गांद की जाम कर चुदाई करो. मैं डबल मज़ा लेना चाहती हूँ. मैं जब
अनु की गांद में अपना लंड घुसने लगा तो वो बहुत चिल्लाई लेकिन मैं अपना पूरा का पूरा लंड
उसकी गांद में घुसा कर ही दम लिया. उसके बाद नीचे से उसे कनडक्टर छोड़ने लगा और उपर
से मैं उसकी गांद की चुदाई करने लगा. उस दिन अनु को बहुत ही ज़्यादा मज़ा आया. अब वो
हम दोनो से एक साथ ही चूत और गांद का मज़ा लेने लगी.
एक दिन दोपहर में मैं घर पर नहीं था तो उसी समय कोंडुक्तेर आ गया. उसके आने के थोड़ी देर
बाद मैं घर आ गया तो अंदर से अनु के चिल्लाने की आवाज़ आ रही थी. मैने धीरे से दरवाज़ा खोला
और अंदर आ गया. मैं एक पर्दे के पिच्चे खड़ा हो कर देखने लगा. मैने देखा की अनु के हाथ
पैर बँधे हुए थे और कनडक्टर अनु की गांद के च्छेद पर तेल (आयिल) लगा रहा था. कोंडुक्तेर
अनु की गांद मरने की तय्यरी कर रहा था और अनु चिल्ला रही थी. वो कनडक्टर की मिन्नटें
कर रही थी की मेरी गांद मत मरो. तुम्हारा लंड बहुत ही लंबा और मोटा है, मेरी गांद फॅट जाएगी,
रहम करो मुझ पर. मैं भी मज़ा लेना चाहता था इस लिए मैं कुच्छ नहीं बोला.
कनडक्टर ने अनु की गांद के च्छेद पर तेल लगाया और उसके बाद वो अपने लंड पर तेल लगाने लगा.
अनु उसे माना करती रही लेकिन वो बिल्कुल ही मान नहीं रहा था. तेल लगाने के बाद उसने अपना
लंड अनु की गांद के च्छेद पर रख दिया. उसके बाद वो अनु की चुचियों को बहुत ज़ोर ज़ोर से
मसालने लगा. अनु को दर्द होने लगा और वो चिल्लाने लगी. जैसे ही अनु ज़ोर से चिल्लाई तो
कनडक्टर ने एक धक्का लगा दिया. अनु और ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी. इस धक्के के साथ
केवल कनडक्टर के लंड का सूपड़ा ही अनु की गांद में घुस पाया था. कनडक्टर ने अपना लंड धीरे
धीरे गोल गोल घूमना शुरू कर दिया.
अनु थोड़ी देर तक चिल्लती रही. जैसे ही वो थोड़ा शांत हुई तो कोंडुक्तेर ने इस बार पुर ताक़त के
साथ बहुत ही ज़ोर का धक्का लगा दिया. अनु तड़पने लगी और ज़ोर ज़ोर से चीखने लगी.
वो उसे हटाना चाहती थी लेकिन कनडक्टर ने अनु को इस तरह बाँध रखा था की वो बिल्कुल
भी हिल डुल नहीं पा रही थी. इस धक्के के साथ ही कोंडुक्तेर का लंड अनु की गांद में 2" तक
घुस गया. अनु बहुत ज़ोर से चीखी. कोंडुक्तेर ने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए और अनु
चीखती रही रही. कुच्छ देर में जब अनु की चीखें कम हो गयी तो उसने फिर से बहुत ही जोरदार
धक्का लगा दिया. अनु चीखते हुए तड़पने लगी. कोंडुक्तेर का लंड अब अनु की गांद में 3" तक
घुस चुका था और अनु की गांद से थोड़ा खून निकल आया था. मैं मान ही मान बहुत खुश हो
रहा था की आज अनु को तरह तरह के आदमियों से छुड़वाने की सज़ा मिल रही थी.
अनु चिल्लती रही और कोंडुक्तेर ने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए. थोड़ी देर बाद अनु
जैसे ही शांत हुई तो इस बार कनडक्टर ने फिर से पुर ताक़त के साथ बहुत ही ज़ोर का
धक्का लगा दिया. इस धक्के के साथ ही अनु बहुत ज़ोर से चीखी और कोंडुक्तेर का लंड
अनु की गांद को चीरता हुआ 5" तक घुस गया. लेकिन कनडक्टर ने इस बार अनु को
शांत होने का कोई मौका नहीं दिया और बहुत ही जोरदार 2 धक्के और लगा दिए. अब
उसका लंड अनु की गांद में 8" तक घुस चुका था. अनु बहुत ज़ोर ज़ोर से चीख रही थी.
उसका सारा बदन पसीने से लत-पाठ हो चुका था. कनडक्टर ने बहुत ही तेज़ी के साथ
अनु की गांद मारनी शुरू कर दी.
लगभग 10 मीं बाद अनु शांत हो गयी और उसे मज़ा आने लगा. वो नहीं जानती थी की
अभी कोंडुटेर का पूरा लंड उसकी गांद में नहीं घुसा है. जब अनु शांत हो गयी तो कनडक्टर
ने फिर से बहुत जोरदार 2 धक्के और लगा दिए. अनु फिर से चीखने लगी. अब अनु की
गांद में कनडक्टर का पूरा लंड घुस चुका था. कोंडुक्तेर ने बहुत ही तेज़ी के साथ नेहा की
गांद मारनी शुरू कर दी. अनु चीखती रही और वो अनु की चुचियों को बहुत ही ज़ोर ज़ोर
से मसालते हुए बहुत ही तेज़ी के साथ उसकी गांद मार रहा था.
लगभग 10 मीं बाद अनु एक दम शांत हो गयी. कोंडुक्तेर ने अपनी स्पीड और तेज कर दी
और बहुत ही बुरी तरह से अनु की गांद मरने लगा. अब अनु को मज़ा आ रहा था. उसने
कोंडुक्तेर से कहा, अब तो मेरे हाथ पैर खोल दो. कोंडुक्तेर ने कहा, हन, अब खोल देता हूँ.
उसने अपना लंड अनु की गांद से बाहर निकाला और उसके हाथ पैर खोल दिए. उसने बाद
उसने अनु को डॉगी स्टाइल में कर दिया और उसकी चूत में अपना लंड दल कर उसकी
चुदाई करने लगा. नेहा एक दम मस्त हो कर छुड़वाने लगी.
5 मीं की चुदाई के बाद ही जब अनु झाड़ गयी तो कोंडुक्तेर ने अपना लंड उसकी चूत से
निकल कर एक झटके से नेहा की गांद में दल दिया. अनु फिर से चीखी लेकिन 8-10 धक्कों
के बाद ही शांत हो गयी. कोंडुक्तेर बहुत ही तेज़ी के साथ अनु की गाने मरने लगा. अनु भी
एक दम मस्त हो चुकी थी और अपना छूतड़ आगे पिच्चे करते हुए कोंडुक्तेर से गांद मरवा रही थी.
लगभग 20 मीं तक अनु की गांद मरने के बाद कोंडुक्तेर अनु की गांद में ही झाड़ गया
तो मैने ताली बजानी शुरू कर दी. कोंडुक्तेर और अनु ने चौक कर मुझे देखा. अनु ने
मुझसे पूचछा, तुम कब आए. मैने कहा, जब कोंडुक्तेर तुम्हारे गांद के च्छेद पर तेल
लगा रहा था. वो बोली, मैं इतना चीख और चिल्ला रही थी लेकिन तुमने इसे माना
नहीं किया. मैने कहा, मैं देखना चाहता था की इसका 10" लंबा और मोटा लंड तुम
अपनी गांद के अंदर कसिए लेती हो. वो बोली, तुम बहुत ही कसाई हो. मैं इतनी ज़ोर
ज़ोर से चीख रही थी लेकिन तुमने मेरे उपर कोई रहम नहीं किया और ना ही मुझे इस
से बचाया. अब तो तुमने देख ही लिया की कैसे मैने इसका 10" का लंबा और मोटा
लंड अपनी गांद के अंदर ले लिया. अब तो तुम बहुत खुश हो गये होगे. मैने कहा,
हन अब मैं बहुत खुश हूँ. अब तुम किसी का भी लंड अपनी गांद और चूत के अंदर
ले सकती हो. अब तुम्हें कोई तकलीफ़ नहीं होगी.
Hindi Sex Stories By raj sharma
-
- Platinum Member
- Posts: 1803
- Joined: 15 Oct 2014 22:49
Re: Hindi Sex Stories By raj sharma
रेखा और लेखा की चुदाई एक साथ--1
रेखा और लेखा दोनों बहने थी. रेखा की उम्र १८ साल और लेखा १९ साल की थी.
दोनों दिखने में बहुत सुन्दर थी. वो अपने माँ रुकमनी और बापू कल्याण जो
एक किसान था इस गाँव में सालो से रहते है. उनका बलदेव सिंह से अच्छी
बनती थी जो अपनी माँ और बेटा विक्रम के साथ उनके पड़ोस में ही रहता था.
बलदेव एक छोटा व्यापारी था इसलिए उससे ज्यादातर घर से दूर रहना पड़ता था
और उसकी माँ की भी काफी उम्र हो चुकी थी. जब विक्रम १० साल का था बलदेव
सिंह की पत्नी का देहांत हो गया. तब से कल्याण के परिवार वाले विक्रम का
बहुत ख्याल रखते थे. इसलिए रेखा, लेखा और विक्रम बचपन से एक दुसरे को
जानते है. अब विक्रम १९ साल का चूका है और काफी बड़ा हो गया है. गाँव
काफी पिछड़ा हुआ था इसलिए वहां बिजली तो थी ही नहीं और पानी के लिए एक
कुवा था जिसमे में से गाँव के सरे लोग पानी भरते थे. घरो में टोइलेट और
बाथरूम नहीं होता था. लोग खेतो में या पहाड़ी के पीछे जाकर अपने आपको
हल्का करते. नहाने के लिए वो घास फूस का छोटा सा बाथरूम होता था. अब
रेखा, लेखा और विक्रम जवानी की देहलीज़ पर कदम रख रहे थे. लेकिन उनकी
दोस्ती में अभी भी कोई बदलाव नहीं था. रेखा जो बड़ी थी वो थोड़ी होशियार
थी. अब वो धीरे धीरे सेक्स, औरत और मर्दों के बीच के सम्बन्ध उनके सेक्स
अंगो के बारे में जानने लगी थी. उसकी कुछ सहेलियां जो उससे उम्र में
बड़ी थी और जिनकी शादी हो चुकी थी वो रेखा को चूत , लंड , सम्भोग और
बच्चे पैदा करना इस सबके बारे में जानकारी दिया करती थी. रेखा ये सब
बातें लेखा को बता देती थी. रेखा ने देखा उसके बूब्स भी बड़े हो रहे थे
और उसकी चूत पर भी बाल उगे हुए थे. एक दिन उसने लेखा को कहा?लेखा तुम
अपनी फ्रोक्क उतारो?. लेखा ने पूछा ?क्यों दीदी?. रेखा ने कहा?मुझे तेरे
बूब्स और चूत देखनी है. मेरे बूब्स बड़े हो रहे है और चूत पर बाल भी
है, क्या तेरी चूत पर बाल है.? लेखा ने अपनी फ्रोक्क उतार दी. गाँव की
औरते और लडकियां पंटी नहीं पहनती, कभी एक अंगिया पहन लेते है अन्दर.
लेखा ने तो वो भी नहीं पहना था. रेखा उसकी नजदीक आ गयी और उसके छोटे छोटे
बूब्स को अपने हाथो में ले लिया और हलके से दबाने लगी. लेखा बोली?दीदी
गुदगुदी हो रही है?. रेखा ने कहा?तेरे बूब्स तो मेरे बूब्स से थोड़े छोटे
है?. फिर रेखा ने देखा लेखा की चूत पर हलके और कोमल बाल उगे हुए थे.
वो उस पर हाथ फेरकर बोली?तेरे चूत पर भी बाल है. मतलब अब तुम भी औरत बन
रही हो?. फिर दोनों हसने लगे. अब विक्रम को भी इन सब बातो में दिलचस्पी
होने लगी थी. उसको कुछ ऐसे दोस्त मिल गए थे जो उससे सेक्स के बारे में
बताते थे. वो सब शहर जाकर आते और ब्लू फिल्म देखने के बाद सब किस्सा
विक्रम को बताते थे. विक्रम को उन्होंने एक किताब भी दिया था जिसमे नंगी
लडकियों और औरतो के फोटो होता था. ये सब देखखर विक्रम गरमा जाता. उसके
दोस्तों ने उसे मुठ मारना भी बताया. रेखा ने १०थ स्टड. पास किया और फिर
उसने पढाई छोड़ दी. लेखा १०थ फ़ैल हो गयी थी इसलिय उसने भी पढाई छोड़ दी.
विक्रम भी १०थ की पढ़ाई कर रहा था. विक्रम का मन पढाई में कम और सेक्स की
बातो में ज्यादा लगा रहता था. अब वो फोटो के बजाये हकीकत में किसी लड़की
या औरत तो नंगा देखने चाहता था. वो हमेशा इस्सी फिराक में रहता की कब
उसको ऐसा मौका मिले. एक दिन वो रेखा और लेखा से मिलने आया. विक्रम ने
रेखा को आवाज़ लगाईं . इतने में लेखा ने जवाब दिया?में नहा रही हु. माँ
और बाबूजी दुसरे गाँव में कुछ काम से गए है और दीदी अपनी किसी सहेली के
घर गयी है?. विक्रम को लगा यही मौका है लेखा के नंगे बदन को देखने का और
वो जहा लेखा नहा रही थी वही एक पेड़ के पीछे छुप गया. घास फूस का बना हुआ
बाथरूम था इसलिए यहाँ वहां से खुला हुआ था. विक्रम एक खुली जगह से ताकने
लगा. उसने देखा लेखा के बदन पर एक भी कपडे नहीं था . उसके बूब्स छोटे और
गोल थे. उसका पेट एकदम समतल था और निचे उसकी चूत पर हलके, हलके बाल उगे
थे. उसकी गांड भी छोटी और गोल थी.. लेखा अपने हाथो से अपनी चूत साफ़ कर
रही थी. बिच में वो अपने निप्प्लेस को भी मसल कर साफ कर रही थी. ये सब
देखकर विक्रम का लंड उसके पजामे के अन्दर खड़ा हो गया और लंड के आगे
से थोडा पानी निकला जिससे उसका पाजामा गीला हो गया. वो वही खड़े खड़े मुठ
मारने लगा. बहुत देर के बाद उसका लंड शांत हुआ. लेखा नहा कर बाहर
निकली. विक्रम पेड़ के पीछे से बाहर आया. इस वक़्त लेखा ने घाघरा और
चोली पहना था. विक्रम उसके पास आ गया. लेखा ने पूछा?क्या हुआ विक्रम?.
विक्रम ने कहा?ऐसी ही तुम दोनों से मिलने आया था?. लेखा ने कहा?अच्छा
किया. में भी अकेली थी?. विक्रम ने कहा?चलो कुछ खेलते है?. लेखा ने
कहा?क्या खेले?. विक्रम ने कहा?अन्दर कमरे में चलो. में तुम्हे आज एक नया
खेल सिखाता हु?. लेखा ने कहा?ठीक है?. दोनों अन्दर चले गए और विक्रम ने
दरवाज़ा बंद कर दिया. विक्रम ने कहा? मैन कुछ करतब दिखाउंगा . तुम्हे
वैसे ही करना होगा. अगर तुमने वैसे ही किया तो तुम जीत गयी. फिर तुम जो
बोलोगी वो मैं करूँगा?. लेखा ने कहा?क्या करना होगा मुझे?. विक्रम ने
कहा?पहले में जो करता हु वो देखो फिर वैसे ही करो?. विक्रम हाथ पैर
हिलाकर कुछ करतब दिखाता . लेखा वैसी ही करती थी. फिर विक्रम सर नीचे और
पेर ऊपर करके दिवार के सहारे खड़ा हो गया. काफी देर तक वैसी ही खड़ा रहा.
विक्रम ने लेखा से कहा?अब तुम इस तरह कड़ी हो जाओ?. लेखा ने कहा?में ये
नहीं कर पाउंगी ?. विक्रम ने कहा?इसमें कोई बड़ी बात नहीं है. मैन
तुम्हरी मदद करूँगा.? और विक्रम की बात सुनकर वो सर नीचे करके पेर ऊपर
उठाने लगी तभी विक्रम ने उसकी दोनों टांग पकड़कर ऊपर कर लिया. ऐसे करने
में लेखा का घाघरा नीचे की और उसके मुह पर गिरा और लेखा का मुह ढक गया.
विक्रम को लेखा की जांघे और चूत दिखाई दे गए . लेखा चिल्ला रही थी और
कहा? मुझे कुछ दिख नहीं रहा है. में गिर जाउंगी . विक्रम मुझे सीधा कर
दो?. विक्रम लेखा के दोनों पेर पकड़कर खड़ा था. विक्रम ने कहा? कुछ नहीं
होगा? और उसके पेरो को दिवार के सहारे खड़ा किया. विक्रम ने कहा?तुम हिलना
मत और अपना हाथ उसके कोरी जांघो पर फेरने लगा. फिर उसने उसकी टाँगे
थोड़ी फैला दी और अपनी एक ऊँगली उसकी चूत के छेद में डाल दी. अचानक
लेखा की टाँगे दिवार से थोड़ी दूर हो गयी और एक तरफ वो कमर के बल गिर पड़ी.
लेखा रोने लगी. विक्रम ने उसे उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया. विक्रम ने
पूछा ?तुम्हे कही चोट तो नहीं लगी?. लेखा ने कहा?नहीं. पर कमर में थोडा
दर्द हो रहा है?. विक्रम ने पूछा ?तुमने अपने टाँगे क्यों दिवार से
हटाई?. लेखा ने कहा?वो तुमने मेरी चूत में ऊँगली डाली और मुझे गुदगुदी
हो रही थी?. विक्रम ने कहा?टीक है. में तुम्हारी कमर पर तेल से मालिश कर
देता हु?. विक्रम तेल लेकर आया और उसने लेखा के घाघरे को ऊपर किया. फिर
वो उसकी कमर में तेल की मालिश करने लगा. धीरे धीरे वो उसकी गांड और
जांघो का भी मालिश कर रहा था. विक्रम ने उसकी चूत में फिर से ऊँगली
डाली और हिलाने लगा. उसकी चूत पर भी तेल लगाया. लेखा अब हस रही थी और
कहने लगी?विक्रम मुझे वहां गुदगुदी होती है?. विक्रम ने पूछा ?तुम्हे ये
अच्छा लगता है?. लेखा ने कहा?हा बड़ा मज़ा आ रहा है?. विक्रम ने कहा?तुम
बस ऐसी ही लेटी रहो?. विक्रम ने उसकी चूत के बालो पर हाथ फेरा और उसकी
जांघो को चाटने और चूमने लगा. उसकी चूत के छेद को फैलाकर उसमे जीब
डालकर घुमाने लगा. लेखा मस्त हुए जा रही थी. वो कहने लगी?विक्रम बहुत
मज़ा आ रहा है? और आहे भर रही थी. विक्रम ने पीछे से उसके चोली का हूक
खोल दिया और चोली को अलग कर दिया. लेखा अब ऊपर से नंगी हो गयी और उसके
गोल बूब्स विक्रम के सामने थे. विक्रम दोनों हाथो से उसके दोनों बूब्स
को दबाने लगा. और बीच में निप्प्लेस तो उंगलियों के बीच में रखकर मसलता
था. लेखा विक्रम के बालो में हाथ फेर रही थी और उसके मुह को अपने बूब्स
पर दबा रही थी. इतने में उन्हें रेखा की आवाज़ सुनाई दी. वो लेखा को बुला
रही थी. तब ही विक्रम खड़ा हो गया और जल्दी से लेखा तो चोली पहना कर
उसको हूक लगा के दिए . लेखा ने दरवाज़ा खोला और रेखा ने देखा विक्रम अन्दर
बैठा हुआ था. रेखा ने पूछा ?विक्रम तुम कब आये? विक्रम ने कहा?अभी थोड़ी
देर पहले और हम दोनों बेठे बेठे बात कर रहे थे?.
रेखा नहाने चली गयी तब विक्रम ने लेखा से कहा ?मैन जा रहा हु?. लेखा ने
कहा?हम फिर कब ऐसे..? विक्रम ने कहा?हम फिर कभी फुरसत में मिलेंगे तब ये
खेल खेलेंगे?. लेखा मुस्कुरा दी. एक दिन सुबह विक्रम सुबह जल्दी उठ गया.
वो ऐसी ही सैर करने के लिए खेत की और चल पड़ा. उसने देखा एक औरत और लड़की
हाथ में लोटा लिए पहाड़ी की तरफ जा रहे थे. उसने पता चल गया की ये संडास
करने जा रहे है और वो उनके पीछे पीछे चल पड़ा. वो पहाड़ के पीछे की तरफ
जा रहे थे. विक्रम उनके पीछे पीछे जा रहा था. औरत वहां जाकर रुक गयी और
इधर उधर देखने लगी. विक्रम झाड़ियो के पीछे छुप गया. वो औरत झाड़ियो के
कुछ फसलो पर खड़ी थी और उसके साथ उसकी लड़की भी थी. विक्रम ने देखा उस औरत
ने अपना घाघरा कमर तक उपेर कर लिया. और अपने दोनों टाँगे घुटनो से मोड़कर
गांड फैलाकर बैठ गयी. विक्रम को उसकी बड़ी और घने बालो वालो काली चूत साफ
दिखाई दे रहा थी . उसने देखा वो औरत पेशाब कर रही थी और उसकी चूत से
पेशाब की धरा निकल पड़ी. उसकी गांड में से कुछ निकल रहा था. विक्रम समझ
गया वो संडास निकल रही है. उसने देखा लड़की ने अपना सलवार खोला और गांड
विक्रम की तरफ घुमाकर बैठ गयी. उसने देखा लड़की की गांड का छेद खुल रहा
था और उसमे से संडास की लम्बी लड़ी निकली. ये सब देखकर विक्रम का लंड खड़ा
हो गया और वो वही मुठ मारने लगा. थोड़ी देर बाद वो औरत अपनी गांड में
पानी डालकर हाथ से उसको साफ कर रही थी. उसने अपनी चूत को भी साफ़ किया.
लड़की भी गांड धोकर खड़ी हो गयी. वो दोनों वह से चल डी . विक्रम भी वहां
चला गया.
दोस्तों कहानी अभी बाकी है पढ़ते रहिये रेखा और लेखा की चुदाई एक साथ--२
आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः.........................
रेखा और लेखा दोनों बहने थी. रेखा की उम्र १८ साल और लेखा १९ साल की थी.
दोनों दिखने में बहुत सुन्दर थी. वो अपने माँ रुकमनी और बापू कल्याण जो
एक किसान था इस गाँव में सालो से रहते है. उनका बलदेव सिंह से अच्छी
बनती थी जो अपनी माँ और बेटा विक्रम के साथ उनके पड़ोस में ही रहता था.
बलदेव एक छोटा व्यापारी था इसलिए उससे ज्यादातर घर से दूर रहना पड़ता था
और उसकी माँ की भी काफी उम्र हो चुकी थी. जब विक्रम १० साल का था बलदेव
सिंह की पत्नी का देहांत हो गया. तब से कल्याण के परिवार वाले विक्रम का
बहुत ख्याल रखते थे. इसलिए रेखा, लेखा और विक्रम बचपन से एक दुसरे को
जानते है. अब विक्रम १९ साल का चूका है और काफी बड़ा हो गया है. गाँव
काफी पिछड़ा हुआ था इसलिए वहां बिजली तो थी ही नहीं और पानी के लिए एक
कुवा था जिसमे में से गाँव के सरे लोग पानी भरते थे. घरो में टोइलेट और
बाथरूम नहीं होता था. लोग खेतो में या पहाड़ी के पीछे जाकर अपने आपको
हल्का करते. नहाने के लिए वो घास फूस का छोटा सा बाथरूम होता था. अब
रेखा, लेखा और विक्रम जवानी की देहलीज़ पर कदम रख रहे थे. लेकिन उनकी
दोस्ती में अभी भी कोई बदलाव नहीं था. रेखा जो बड़ी थी वो थोड़ी होशियार
थी. अब वो धीरे धीरे सेक्स, औरत और मर्दों के बीच के सम्बन्ध उनके सेक्स
अंगो के बारे में जानने लगी थी. उसकी कुछ सहेलियां जो उससे उम्र में
बड़ी थी और जिनकी शादी हो चुकी थी वो रेखा को चूत , लंड , सम्भोग और
बच्चे पैदा करना इस सबके बारे में जानकारी दिया करती थी. रेखा ये सब
बातें लेखा को बता देती थी. रेखा ने देखा उसके बूब्स भी बड़े हो रहे थे
और उसकी चूत पर भी बाल उगे हुए थे. एक दिन उसने लेखा को कहा?लेखा तुम
अपनी फ्रोक्क उतारो?. लेखा ने पूछा ?क्यों दीदी?. रेखा ने कहा?मुझे तेरे
बूब्स और चूत देखनी है. मेरे बूब्स बड़े हो रहे है और चूत पर बाल भी
है, क्या तेरी चूत पर बाल है.? लेखा ने अपनी फ्रोक्क उतार दी. गाँव की
औरते और लडकियां पंटी नहीं पहनती, कभी एक अंगिया पहन लेते है अन्दर.
लेखा ने तो वो भी नहीं पहना था. रेखा उसकी नजदीक आ गयी और उसके छोटे छोटे
बूब्स को अपने हाथो में ले लिया और हलके से दबाने लगी. लेखा बोली?दीदी
गुदगुदी हो रही है?. रेखा ने कहा?तेरे बूब्स तो मेरे बूब्स से थोड़े छोटे
है?. फिर रेखा ने देखा लेखा की चूत पर हलके और कोमल बाल उगे हुए थे.
वो उस पर हाथ फेरकर बोली?तेरे चूत पर भी बाल है. मतलब अब तुम भी औरत बन
रही हो?. फिर दोनों हसने लगे. अब विक्रम को भी इन सब बातो में दिलचस्पी
होने लगी थी. उसको कुछ ऐसे दोस्त मिल गए थे जो उससे सेक्स के बारे में
बताते थे. वो सब शहर जाकर आते और ब्लू फिल्म देखने के बाद सब किस्सा
विक्रम को बताते थे. विक्रम को उन्होंने एक किताब भी दिया था जिसमे नंगी
लडकियों और औरतो के फोटो होता था. ये सब देखखर विक्रम गरमा जाता. उसके
दोस्तों ने उसे मुठ मारना भी बताया. रेखा ने १०थ स्टड. पास किया और फिर
उसने पढाई छोड़ दी. लेखा १०थ फ़ैल हो गयी थी इसलिय उसने भी पढाई छोड़ दी.
विक्रम भी १०थ की पढ़ाई कर रहा था. विक्रम का मन पढाई में कम और सेक्स की
बातो में ज्यादा लगा रहता था. अब वो फोटो के बजाये हकीकत में किसी लड़की
या औरत तो नंगा देखने चाहता था. वो हमेशा इस्सी फिराक में रहता की कब
उसको ऐसा मौका मिले. एक दिन वो रेखा और लेखा से मिलने आया. विक्रम ने
रेखा को आवाज़ लगाईं . इतने में लेखा ने जवाब दिया?में नहा रही हु. माँ
और बाबूजी दुसरे गाँव में कुछ काम से गए है और दीदी अपनी किसी सहेली के
घर गयी है?. विक्रम को लगा यही मौका है लेखा के नंगे बदन को देखने का और
वो जहा लेखा नहा रही थी वही एक पेड़ के पीछे छुप गया. घास फूस का बना हुआ
बाथरूम था इसलिए यहाँ वहां से खुला हुआ था. विक्रम एक खुली जगह से ताकने
लगा. उसने देखा लेखा के बदन पर एक भी कपडे नहीं था . उसके बूब्स छोटे और
गोल थे. उसका पेट एकदम समतल था और निचे उसकी चूत पर हलके, हलके बाल उगे
थे. उसकी गांड भी छोटी और गोल थी.. लेखा अपने हाथो से अपनी चूत साफ़ कर
रही थी. बिच में वो अपने निप्प्लेस को भी मसल कर साफ कर रही थी. ये सब
देखकर विक्रम का लंड उसके पजामे के अन्दर खड़ा हो गया और लंड के आगे
से थोडा पानी निकला जिससे उसका पाजामा गीला हो गया. वो वही खड़े खड़े मुठ
मारने लगा. बहुत देर के बाद उसका लंड शांत हुआ. लेखा नहा कर बाहर
निकली. विक्रम पेड़ के पीछे से बाहर आया. इस वक़्त लेखा ने घाघरा और
चोली पहना था. विक्रम उसके पास आ गया. लेखा ने पूछा?क्या हुआ विक्रम?.
विक्रम ने कहा?ऐसी ही तुम दोनों से मिलने आया था?. लेखा ने कहा?अच्छा
किया. में भी अकेली थी?. विक्रम ने कहा?चलो कुछ खेलते है?. लेखा ने
कहा?क्या खेले?. विक्रम ने कहा?अन्दर कमरे में चलो. में तुम्हे आज एक नया
खेल सिखाता हु?. लेखा ने कहा?ठीक है?. दोनों अन्दर चले गए और विक्रम ने
दरवाज़ा बंद कर दिया. विक्रम ने कहा? मैन कुछ करतब दिखाउंगा . तुम्हे
वैसे ही करना होगा. अगर तुमने वैसे ही किया तो तुम जीत गयी. फिर तुम जो
बोलोगी वो मैं करूँगा?. लेखा ने कहा?क्या करना होगा मुझे?. विक्रम ने
कहा?पहले में जो करता हु वो देखो फिर वैसे ही करो?. विक्रम हाथ पैर
हिलाकर कुछ करतब दिखाता . लेखा वैसी ही करती थी. फिर विक्रम सर नीचे और
पेर ऊपर करके दिवार के सहारे खड़ा हो गया. काफी देर तक वैसी ही खड़ा रहा.
विक्रम ने लेखा से कहा?अब तुम इस तरह कड़ी हो जाओ?. लेखा ने कहा?में ये
नहीं कर पाउंगी ?. विक्रम ने कहा?इसमें कोई बड़ी बात नहीं है. मैन
तुम्हरी मदद करूँगा.? और विक्रम की बात सुनकर वो सर नीचे करके पेर ऊपर
उठाने लगी तभी विक्रम ने उसकी दोनों टांग पकड़कर ऊपर कर लिया. ऐसे करने
में लेखा का घाघरा नीचे की और उसके मुह पर गिरा और लेखा का मुह ढक गया.
विक्रम को लेखा की जांघे और चूत दिखाई दे गए . लेखा चिल्ला रही थी और
कहा? मुझे कुछ दिख नहीं रहा है. में गिर जाउंगी . विक्रम मुझे सीधा कर
दो?. विक्रम लेखा के दोनों पेर पकड़कर खड़ा था. विक्रम ने कहा? कुछ नहीं
होगा? और उसके पेरो को दिवार के सहारे खड़ा किया. विक्रम ने कहा?तुम हिलना
मत और अपना हाथ उसके कोरी जांघो पर फेरने लगा. फिर उसने उसकी टाँगे
थोड़ी फैला दी और अपनी एक ऊँगली उसकी चूत के छेद में डाल दी. अचानक
लेखा की टाँगे दिवार से थोड़ी दूर हो गयी और एक तरफ वो कमर के बल गिर पड़ी.
लेखा रोने लगी. विक्रम ने उसे उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया. विक्रम ने
पूछा ?तुम्हे कही चोट तो नहीं लगी?. लेखा ने कहा?नहीं. पर कमर में थोडा
दर्द हो रहा है?. विक्रम ने पूछा ?तुमने अपने टाँगे क्यों दिवार से
हटाई?. लेखा ने कहा?वो तुमने मेरी चूत में ऊँगली डाली और मुझे गुदगुदी
हो रही थी?. विक्रम ने कहा?टीक है. में तुम्हारी कमर पर तेल से मालिश कर
देता हु?. विक्रम तेल लेकर आया और उसने लेखा के घाघरे को ऊपर किया. फिर
वो उसकी कमर में तेल की मालिश करने लगा. धीरे धीरे वो उसकी गांड और
जांघो का भी मालिश कर रहा था. विक्रम ने उसकी चूत में फिर से ऊँगली
डाली और हिलाने लगा. उसकी चूत पर भी तेल लगाया. लेखा अब हस रही थी और
कहने लगी?विक्रम मुझे वहां गुदगुदी होती है?. विक्रम ने पूछा ?तुम्हे ये
अच्छा लगता है?. लेखा ने कहा?हा बड़ा मज़ा आ रहा है?. विक्रम ने कहा?तुम
बस ऐसी ही लेटी रहो?. विक्रम ने उसकी चूत के बालो पर हाथ फेरा और उसकी
जांघो को चाटने और चूमने लगा. उसकी चूत के छेद को फैलाकर उसमे जीब
डालकर घुमाने लगा. लेखा मस्त हुए जा रही थी. वो कहने लगी?विक्रम बहुत
मज़ा आ रहा है? और आहे भर रही थी. विक्रम ने पीछे से उसके चोली का हूक
खोल दिया और चोली को अलग कर दिया. लेखा अब ऊपर से नंगी हो गयी और उसके
गोल बूब्स विक्रम के सामने थे. विक्रम दोनों हाथो से उसके दोनों बूब्स
को दबाने लगा. और बीच में निप्प्लेस तो उंगलियों के बीच में रखकर मसलता
था. लेखा विक्रम के बालो में हाथ फेर रही थी और उसके मुह को अपने बूब्स
पर दबा रही थी. इतने में उन्हें रेखा की आवाज़ सुनाई दी. वो लेखा को बुला
रही थी. तब ही विक्रम खड़ा हो गया और जल्दी से लेखा तो चोली पहना कर
उसको हूक लगा के दिए . लेखा ने दरवाज़ा खोला और रेखा ने देखा विक्रम अन्दर
बैठा हुआ था. रेखा ने पूछा ?विक्रम तुम कब आये? विक्रम ने कहा?अभी थोड़ी
देर पहले और हम दोनों बेठे बेठे बात कर रहे थे?.
रेखा नहाने चली गयी तब विक्रम ने लेखा से कहा ?मैन जा रहा हु?. लेखा ने
कहा?हम फिर कब ऐसे..? विक्रम ने कहा?हम फिर कभी फुरसत में मिलेंगे तब ये
खेल खेलेंगे?. लेखा मुस्कुरा दी. एक दिन सुबह विक्रम सुबह जल्दी उठ गया.
वो ऐसी ही सैर करने के लिए खेत की और चल पड़ा. उसने देखा एक औरत और लड़की
हाथ में लोटा लिए पहाड़ी की तरफ जा रहे थे. उसने पता चल गया की ये संडास
करने जा रहे है और वो उनके पीछे पीछे चल पड़ा. वो पहाड़ के पीछे की तरफ
जा रहे थे. विक्रम उनके पीछे पीछे जा रहा था. औरत वहां जाकर रुक गयी और
इधर उधर देखने लगी. विक्रम झाड़ियो के पीछे छुप गया. वो औरत झाड़ियो के
कुछ फसलो पर खड़ी थी और उसके साथ उसकी लड़की भी थी. विक्रम ने देखा उस औरत
ने अपना घाघरा कमर तक उपेर कर लिया. और अपने दोनों टाँगे घुटनो से मोड़कर
गांड फैलाकर बैठ गयी. विक्रम को उसकी बड़ी और घने बालो वालो काली चूत साफ
दिखाई दे रहा थी . उसने देखा वो औरत पेशाब कर रही थी और उसकी चूत से
पेशाब की धरा निकल पड़ी. उसकी गांड में से कुछ निकल रहा था. विक्रम समझ
गया वो संडास निकल रही है. उसने देखा लड़की ने अपना सलवार खोला और गांड
विक्रम की तरफ घुमाकर बैठ गयी. उसने देखा लड़की की गांड का छेद खुल रहा
था और उसमे से संडास की लम्बी लड़ी निकली. ये सब देखकर विक्रम का लंड खड़ा
हो गया और वो वही मुठ मारने लगा. थोड़ी देर बाद वो औरत अपनी गांड में
पानी डालकर हाथ से उसको साफ कर रही थी. उसने अपनी चूत को भी साफ़ किया.
लड़की भी गांड धोकर खड़ी हो गयी. वो दोनों वह से चल डी . विक्रम भी वहां
चला गया.
दोस्तों कहानी अभी बाकी है पढ़ते रहिये रेखा और लेखा की चुदाई एक साथ--२
आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः.........................
-
- Platinum Member
- Posts: 1803
- Joined: 15 Oct 2014 22:49
Re: Hindi Sex Stories By raj sharma
रेखा और लेखा की चुदाई एक साथ--2
गतांक से आगे .........
एक दिन रेखा से मिलने उसकी सहेली गौरी आई थी. लेखा उस वक़्त बाहर गयी
हुई यही. गौरी की शादी हो चुकी थी और अपने ससुराल और पति के बारे में बता
रही थी. उसने अपने सुहाग रात के किस्से बताये. ये सुनकर रेखा की चूत
गीली होने लगी. उसका चेहरा भी कुछ लाल पड़ गया. गौरी ने पूछा ?क्यों रेखा
ये सब सुनकर तेरी चूत गीली हो गयी न? रेखा चौक गयी और पूछा ?तुझे कैसे
पता चला?. गौरी ने कहा?तेरा चेहरा औरहाव भाव देखर पता चल गया.? रेखा ने
कहा?क्या करू गौरी मुझे भी शादी करने कीइच्छा है लेकिन शादी से पहले में
कुछ मज़ा लूटना चाहती हु?. गौरी ने कहा?मैंने भी यही किया था. अपने गाँव
में कल्लू है न. उसके साथ मैंने कई बार चुदाई की थी. कल्लू की शादी हो
गयी तब उसने मुझे छोड़ दिया इसलिए मैंने भी शादी कर ली. मेरे पति और
ससुराल वालो को इस बारे में कुछ नहीं पता?. गौरी ने पूछा ?तुझे कोई पसंद
है?. रेखा ने कहा?हा.. मुझे वो विक्रम पसंद है?. गौरी ने कहा ?अच्छी बात
है. उससे शादी कर ले?. रेखा ने कहा?लेकिन उसकी पढाई अभी बाकि है?. गौरी
ने कहा?ठीक है, पढाई के बाद शादी की बात करना. लेकिन अभी तू अपनी चूत को
शांत करवा सकती है?. रेखा हस पड़ी. एक दिन शाम को लेखा कुवे से पानी भरने
जा रही थी. विक्रम ने उसे देख लिया और उसको बुलाया. लेखा दौड़ कर विक्रम
के पास गयी. विक्रम ने कहा?चलो हम खेत के पीछे चलते है. उस दिन की तरह हम
वह खूब मज़ा करेंगे?. लेखा ने कहा?लेकिन पानी भरकर ले जाना है? विक्रम ने
कहा?घबराओ मत. कह देना विक्रम के साथ थी इसलिए थोड़ी देर हो गयी.? दोनों
खेत की तरफ चल पड़े. खेत की छोड़ पर एक पेड के नीचे दोनों बैठ गए. लेखा
ने अपना घड़ा एक तरफ रख दिया. चारो और बड़ी घास होने के कारन किसी की नज़र
उन पर नहीं पड़ सकती थी और वहां लोगो का आना जाना कम था. लेखा ने
कहा?विक्रम में तुमसे बहुत प्यार करती हु?. विक्रम ने कहा?में भी? और
लेखा को अपने गले से लगा दिया. विक्रम लेखा के गाल , सर, गर्दन और होंठो
को चूमने लगा. लेखा भी उसको चूम रही थी. फिर विक्रम ने लेखा की चोली को
खोलकर अलग कर दिया और उसका घाघरा भी उतर दिया. अब लेखा पूरी तरह नंगी
होकर विक्रम की गोद में लेटी हुई थी. विक्रम ने भी अपना कुरता और
पाजामा उतार दिया. लेखा ने पहली बार किसी लड़के का लंड देखा था. विक्रम
का लंड काफी बड़ा था. विक्रम ने अपने लंड को लेखा के हाथ में थमा दिया.
लेखा बड़े प्यार से लेकर सहलाने लगी. विक्रम के बदन पर एक सिरहन दौड़
गयी. विक्रम ने कहा?तुम इसे अपने मुह में लेके चूसो. लेखा ने कहा?में ये
नहीं कर सकती?. विक्रम ने कहा?तुम एक बार करो. बाद में तुम इसे बार बार
चूसना चाहोगी?. लेखा ने विक्रम का लंड मुह में भर लिया और धीरे धीरे
चूसने लगी. विक्रम की आंखे बंद हो रही थी. उससे बड़ा मज़ा आ रहा था. अब
लेखा भी उसके लंड को चूसने में लीन हो गयी थी. अचानक ही विक्रम झड गया
और अपने लंड का पानी लेखा के मुह में ही छोड़ दिया. लेखा को झटका लगा.
उसने लंड को अपने मुह से निकाल दिया. अभी भी लंड से लार टपक रही थी.
लेखा ने लंड को पकड़कर उसे चाटने लगी. विक्रम लेखा के बूब्स को दबाने
लगा. लेखा ने कहा?विक्रम मेरी चूत गीली हो रही है लगता है मेरी चूत से
भी अपनी पानी निकलेगा . विक्रम लेखा के दोनों टाँगे फैला दी और उसकी
चूत में अपनी ऊँगली डाल दी. उसने देखा उसकी ऊँगली गीली हो चुकी थी. वो
ऊँगली निकाल कर चाटने लगा. ये देखकर लेखा और गर्माने लगी और उसकी चूत
से फुवार्रा छुट पड़ा. विक्रम अपनी जीब से उसके रस को चाटने लगा. फिर
उसने कुछ रस लेकर अपने लंड पर लगा दिया और लंड को लेखा की चूत के
द्वार पर रख कर हल्का सा धक्का दिया. लंड आसानी से लेखा की चूत के
अन्दर घुस गया. लेखा चिल्ला उठी?ईईइ मा..में मर गयी..आः?ऊई. मेरी चूत फट
गयी?. विक्रम पूरे जोश में अपने लंड को लेखा की चूत के अन्दर बाहर कर
रहा था. लेखा अब चिल्लाने के बजाये सिस्कारिया भर रही थी.उसने अपनी टाँगे
और फैला दी. विक्रम साथ में उसके बूब्स को भी दबा रहा था. लेखा कह रही
थी?विक्रम और जोर से..वह?अआः.. और जोर से..बहुत मज़ा आ रहा
है..आह..सी..आह. इतने में लेखा एक बार और झड गयी और विक्रम ने भी अपना
पानी लेखा की चूत में उड़ेल दिया. अब अँधेरा हो रहा था. दोनों ने फिर
अपने कपडे पहन लिए . विक्रम ने लेखा को एक गोली दी और बोला?इसे खा लेना
तो तुम्हारे बच्चा नहीं होगा. वर्ना तुम माँ बन जाओगी ?. लेखा ये सुनकर
डर गयी. लेखा अपना घड़ा लेकर कुवे की और चल पड़ी और पानी भरकर घर गयी. उसके
माँ ने देर होने की वजह पूछी तो लेखा ने कहा?में विक्रम से मिली थी और
बात करते करते देर हो गयी?.जब से गौरी की बात सुनी थी तब से रेखा भी
बेचैन सी रहने लगी थी. उसे अपनी चूत की अंगार को शांत करना था. एक दिन
सुबह रेखा संडास करने के लिए निकल पड़ी. विक्रम ने रेखा को देख लिया और
उसका पीछा किया. वो रेखा के ठीक पीछे पीछे जा रहा था. रेखा को थोडा सा
शक हुआ की कोई उसके पीछे है. वो पहाड़ के पीछे जाकर झाड़ियो में अपने
घाघराको ऊपर करके संडास करने के लिए बैठ गयी. विक्रम एक पेड़ के पीछे
से ये सब देख रहा था. लेकिन उसे कुछ साफ साफ दिखाई नहीं दे रहा था. रेखा
की चूत की झलक उसे दिखाई दी और ये देखकर ही मुठ मारने लगा. रेखा को
पेड़ के पीछे झाड़ियो में कुछ आहट सुनाई दी. उसे लगा की कोई उसे देख
रहा है. वो जल्दी से अपनी गांड साफ करके घास में से छुपकर वहां से निकल
गयी. विक्रम मुठ मारने में मशगुल था. उसने देखा तो रेखा वहां से जा
चुकी थी. वो जैसे ही अपना पाजामा ऊपर कर रहा था पीछे से किसीने उसके
कंधे पर हाथ रख दिया. उसने मुड़कर देखा तो रेखा थी. विक्रम एकदम चौंक गया.
रेखा ने पूछा ?तो आप मेरा पीछा कर रहे थे?. अगर गांड देखने का इतना ही
शौक है तो चलो मैं दिखाती हु. रेखा ने अपना घाघरा उतार के ज़मीन पर डाल
दिया. अब वो निचे से बिलकुल नंगी थी. रेखा ने कहा?चलो जो करना है करलो ?.
विक्रम ने आगे बढकर उसकी गांड के पास जाकर बैठ गया और दोनों चुत्डो पर
हाथ फेरकर दबाने लगा. बाद में उसकी गांड को फैलाकर उसके छेद में नाक
डालकर सूघने लगा. विक्रम ने कहा?रेखा तुम्हारी गांड से बड़ी मादक खुसबू आ
रही है?. रेखा ने अभी अभी संडास किया था इसलिए उसकी गांड से गंद आ रही
थी. विक्रम ने थोड़ी देर अपनी नाक उसकी गांड के छेद में डालकर रगडी और
फिर जीब निकाल कर चाटने लगा. रेखा ने कहा?बहुत अच्छा लग रहा है
विक्रम.? विक्रम उसकी गांड के छेद में जीब डालकर घुमा रहा था और अपनी
हाथ आगे ले जाकर रेखा की चूत के छेद में ऊँगली डालकर हिला रहा था. रेखा
आहे भरने लगी?ऊओह?आः?सीह?आः?.थोड़ी देर में रेखा की चूत से रस बहने लगा
और विक्रम का पूरा हाथ गीला कर दिया. विक्रम रस से भरे हाथ को चाटने
लगा. ये देखकर रेखा और भी गरमा गयी और चोली के ऊपर से अपने बूब्स को दबा
रही थी. रेखा ने कहा?विक्रम में तुमसे प्यार करती हु. तुम मेरी चूत की
प्यास कब भुजाओगे ?. विक्रम ने कहा?वक़्त आने दो. मैं तुम्हारी चूत की
प्यास भुजाऊंगा?. इतने में कुछ लोगो की बातें करने की आवाज़ आने लगी.
विक्रम जल्दी से खड़ा हो गया और रेखा ने घाघरा जल्दी से लेकर पहन लिया.
दोनों वहां से चल पड़े. रास्ते में रेखा ने कहा मैं कल शाम को नदी पर
नहाने जाउंगी . तुम वह आ जाना?. विक्रम खुश हो गया. उसे दोनों बहनों को
चोदने को मिल रहा था. और दोनों उससे प्यार भी करती थी. दुसरे दिन शाम
होते ही विक्रम नदी के पास जाकर बैठ गया. लेकिन काफी देर के बाद भी रेखा
नहीं आई. सूरज ढल रहा था. कुछ देर बाद उसे कोई आता हुआ दिखाई दिया. वो
रेखा थी. विक्रम ने पूछा ?तुमने आने में देर क्यों कर दी?. रेखा ने
कहा?मैंने सोचा थोडा अँधेरा हो जायेगा तो कोई हमे देख नहीं सकता.? विक्रम
बहुत खुश हो गया. फिर रेखा ने अपनी चोली और घघरा उतार दिया और पूरी तरह
नंगी हो गयी. विक्रम ने अपना कुरता और पाजामा उतार दिया. दोनों फिर एक
दुसरे से लिपट गए और पानी में उतर गए . रेखा के बूब्स विक्रम की छाती से
दब रहे थे. विक्रम का लंड खड़ा हो गया था और वो रेखा की जांघो के बीच
घुस रहा था. दोनों पानी डालकर एक दुसरे को साबुन से रगड़कर साफ़ करने लगे.
विक्रम रेखा के बूब्स और पेट को हलके हलके हाथ से रगड़ रहा था. रेखा
विक्रम की छाती पर हाथ घूमा रही थी. बीच में दोनों एक दुसरे को चूमा
चाटी भी करते थे. विक्रम ने रेखा की चूत को अपनी हथेली में भर लिया और
उसकी चूत के होंठो को दबाने लगा. रेखा चिल्ला उठी. रेखा ने कहा?तुम तो
बड़े बेरहम हो. ज़रा धीरे से?. विक्रम ने कहा?ऐसा मौका बार बार नहीं
मिलता?. रेखा ने कहा?मैं तो हमेशा तैयार हु. तुम जब चाहे मुझे चोद सकते
हो?. विक्रम ये सुनकर खुश हो गया और अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में डाल
दी. रेखा साबुन लगाकर विक्रम के लंड की सफाई कर रही थी. लंड अभी भी
तना हुआ था. रेखा ने कहा?तुम्हारा लंड तो काफी बड़ा है?. विक्रम ने
कहा?तुम्हारी कोरी चूत देखकर ये और बड़ा हो गया?. रेखा ने झुककर उसके
लंड को अपने मुह में ले लिया और चूसने लगी. काफी देर तक चूसती रही तब
विक्रम उसके मुह में झड गया . रेखा ने उसके लंड का सारा पानी पी
लिया. फिर विक्रम ने रेखा की गांड के ऊपर और छेद में साबुन लगाया. अपने
लंड पर भी साबुन लगाकर और लंड को रेखा की गांड के छेद के पास रखकर एक
धक्का दिया. लंड पूरा रेखा की गांड में घुस गया. रेखा चिल्ला उठी. उसने
कहा?निकालो अपना लंड . मुझे दर्द हो रहा है?. विक्रम ने कहा?थोड़ी देर
में दर्द कम हो जायेगा?. विक्रम अपना लंड उसकी गांड के अन्दर बाहर करने
लगा और अब रेखा को बहुत मज़ा आ रहा था. १५ मिनट तक रेखा की गांड की खूब
चुदाई करने के बाद विक्रम झड गया दोनों ने एक दुसरे की अच्छी तरह सफाई
की. नहाकर कपडे पहन लिए और घर की और चल पड़े. घर पहुचने पर माँ ने पूछा
?रेखा इतनी देर क्यों लगा दी?. रेखा ने कहा?एक सहेली भी साथ में थी नदी
पर. उसके साथ बात करते करते वक़्त निकल गया और पता भी नहीं चला?. अब
विक्रम ने १० स्टड. की एक्साम दी. उसे पास होने की कोई उम्मीद नहीं थी.
पर जब रिजल्ट आया तो उसने देखा वो पास हो गया. उसने लेखा और रेखा को ये
खबर सुनाई. दोनों बहुत खुश हो गए. बलदेव सिंह भी बेटे की कामयाबी पर खुश
हो गया. अब विक्रम शहर जाकर कुछ नौकरी करना चाहता था. बलदेव सिंह ने
कहा?जैसी तुम्हारी मर्ज़ी?. एक दिन रुकमनी और कल्याण को अपने किसी
रिश्तेदार की लड़की की शादी के लिए शहर जाना था. वो रेखा और लेखा को भी
ले जाना चाहते थे. रेखा ने साफ़ मना कर दिया. उसने सोचा अगर माँ, बापू और
लेखा चले जाये तो वो विक्रम के साथ अकेले कुछ वक़्त बिता सकेगी . रेखा के
मना करने पर कल्याण ने कहा?लेखा तुम भी दीदी के साथ यही रुक जाओ. हम
दोनों जाकर आते है?. रेखा ने बहुत समझाया की वो लेखा को भी साथ में ले
जाये. उसने कहा?डरने की कोई बात नहीं है बापू और फिर पड़ोस में विक्रम और
उसकी दादी भी तो है?. लेकिन उसकी माँ के जिद करने पर उसको मान जाना पड़ा
और लेखा को रेखा के साथ रहने की लिए कहा गया. जाने से पहले कल्याण ने
जाकर विक्रम और उसकी दादी को कहा?हम दो दिन के लिए शहर जा रहे है. तुम
ज़रा रेखा और लेखा का ख्याल रखना?. विक्रम ये सुनकर खुश हो गया और कहा?हम
अच्छी तरह उनका ख्याल रखेंगे?. दुसरे दिन दोपहर को कल्याण और रुकमनी शहर
के लिए निकल पड़े. शाम को विक्रम लेखा और रेखा के पास आया. दोनों बहने
उसको देखर खुश हो गयी. लेखा ने कहा?विक्रम तुम रात को यही रुक जाओ न??
विक्रम ने कहा?कोई बात नहीं. मैं यही रुक जाता हु?. फिर रात को तीनो ने
साथ में खाना खाया. विक्रम कल्याण के कमरे में सोने चला गया. लेखा और
रेखा अपने कमरे में सोने की तयारी करने लगी.
करीब एक घंटे तक सन्नाटा था पूरे घर में. विक्रम अभी सोया नहीं था. वो
खयालो में खोया हुआ था की अचानक उसकी कमरे का दरवाज़ा खुला और उसने देखा
रेखा कमरे में दाखिल हो रही थी. विक्रम उठकर खटिये पर बैठ गया. रेखा
उसके पास आकर उससे लिपट गयी. विक्रम भी उसे लिपट गया और दोनों एक दुसरे
को चूमने लगे. रेखा ने कहा?मैं तो लेखा के सोने का इंतज़ार कर रही थी.
मेरी चूत में खुजली हो रही थी और जब तुम बापू के कमरे हो तो मेरीचूत और
बेचैन हो उठी. मेरी चूत को तुम्हारा लंड चाहिए?. विक्रम ने कहा?मैं भी
सोच रहा था की तुम कब आओगी?. दोनों खटिये पर लेट गए. विक्रम ने सिर्फ
पजामा पहना हुआ था. रेखा विक्रम की छाती के ऊपर हाथ घूमा रही थी. वो
विक्रम के गाल, गर्दन, छाती और पेट पर चूमने लगी. विक्रम उसकी पीठ पर
हाथ घुमा रहा था. रेखा ने उसके पजामे का नाडा खोल दिया और नीचे की तरफ
खीच लिया. विक्रम ने अन्दर कुछ न पहना था. उसका ६ इंच का लंड एकदम तन
कर खड़ा था जो अब सांप के तरह फन उठाये खड़ा था.
रेखा उसके लंड के नजदीक जाकर उसे अपने हाथ में भर लिया और दबाने लगी.
उसने लंड के उपरी कवच को निचे की तरफ किया जिससे लंड का अन्दर का लाल
रंग का हिस्सा दिखने लगा. रेखा ने उसे अपने मुह में भर लिया और धीरे
धीरे चूसने लगी. विक्रम मस्त हुए जा रहा था. बिच बिच में रेखा उसके लंड
के नीचे की गोलियों को चाट रही थी. विक्रम अब कराह ने लगा था. अब
उससे और नहीं रुका जा रहा था उसने वही झाड दिया और रेखा ने उसके लंड
से निकले रस को पूरी तरह चाट लिया. विक्रम ढीला हो कर खटिया पे लेटा था.
दोस्तों कहानी अभी बाकी है पढ़ते रहिये रेखा और लेखा की चुदाई एक साथ--3
आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः.........................
गतांक से आगे .........
एक दिन रेखा से मिलने उसकी सहेली गौरी आई थी. लेखा उस वक़्त बाहर गयी
हुई यही. गौरी की शादी हो चुकी थी और अपने ससुराल और पति के बारे में बता
रही थी. उसने अपने सुहाग रात के किस्से बताये. ये सुनकर रेखा की चूत
गीली होने लगी. उसका चेहरा भी कुछ लाल पड़ गया. गौरी ने पूछा ?क्यों रेखा
ये सब सुनकर तेरी चूत गीली हो गयी न? रेखा चौक गयी और पूछा ?तुझे कैसे
पता चला?. गौरी ने कहा?तेरा चेहरा औरहाव भाव देखर पता चल गया.? रेखा ने
कहा?क्या करू गौरी मुझे भी शादी करने कीइच्छा है लेकिन शादी से पहले में
कुछ मज़ा लूटना चाहती हु?. गौरी ने कहा?मैंने भी यही किया था. अपने गाँव
में कल्लू है न. उसके साथ मैंने कई बार चुदाई की थी. कल्लू की शादी हो
गयी तब उसने मुझे छोड़ दिया इसलिए मैंने भी शादी कर ली. मेरे पति और
ससुराल वालो को इस बारे में कुछ नहीं पता?. गौरी ने पूछा ?तुझे कोई पसंद
है?. रेखा ने कहा?हा.. मुझे वो विक्रम पसंद है?. गौरी ने कहा ?अच्छी बात
है. उससे शादी कर ले?. रेखा ने कहा?लेकिन उसकी पढाई अभी बाकि है?. गौरी
ने कहा?ठीक है, पढाई के बाद शादी की बात करना. लेकिन अभी तू अपनी चूत को
शांत करवा सकती है?. रेखा हस पड़ी. एक दिन शाम को लेखा कुवे से पानी भरने
जा रही थी. विक्रम ने उसे देख लिया और उसको बुलाया. लेखा दौड़ कर विक्रम
के पास गयी. विक्रम ने कहा?चलो हम खेत के पीछे चलते है. उस दिन की तरह हम
वह खूब मज़ा करेंगे?. लेखा ने कहा?लेकिन पानी भरकर ले जाना है? विक्रम ने
कहा?घबराओ मत. कह देना विक्रम के साथ थी इसलिए थोड़ी देर हो गयी.? दोनों
खेत की तरफ चल पड़े. खेत की छोड़ पर एक पेड के नीचे दोनों बैठ गए. लेखा
ने अपना घड़ा एक तरफ रख दिया. चारो और बड़ी घास होने के कारन किसी की नज़र
उन पर नहीं पड़ सकती थी और वहां लोगो का आना जाना कम था. लेखा ने
कहा?विक्रम में तुमसे बहुत प्यार करती हु?. विक्रम ने कहा?में भी? और
लेखा को अपने गले से लगा दिया. विक्रम लेखा के गाल , सर, गर्दन और होंठो
को चूमने लगा. लेखा भी उसको चूम रही थी. फिर विक्रम ने लेखा की चोली को
खोलकर अलग कर दिया और उसका घाघरा भी उतर दिया. अब लेखा पूरी तरह नंगी
होकर विक्रम की गोद में लेटी हुई थी. विक्रम ने भी अपना कुरता और
पाजामा उतार दिया. लेखा ने पहली बार किसी लड़के का लंड देखा था. विक्रम
का लंड काफी बड़ा था. विक्रम ने अपने लंड को लेखा के हाथ में थमा दिया.
लेखा बड़े प्यार से लेकर सहलाने लगी. विक्रम के बदन पर एक सिरहन दौड़
गयी. विक्रम ने कहा?तुम इसे अपने मुह में लेके चूसो. लेखा ने कहा?में ये
नहीं कर सकती?. विक्रम ने कहा?तुम एक बार करो. बाद में तुम इसे बार बार
चूसना चाहोगी?. लेखा ने विक्रम का लंड मुह में भर लिया और धीरे धीरे
चूसने लगी. विक्रम की आंखे बंद हो रही थी. उससे बड़ा मज़ा आ रहा था. अब
लेखा भी उसके लंड को चूसने में लीन हो गयी थी. अचानक ही विक्रम झड गया
और अपने लंड का पानी लेखा के मुह में ही छोड़ दिया. लेखा को झटका लगा.
उसने लंड को अपने मुह से निकाल दिया. अभी भी लंड से लार टपक रही थी.
लेखा ने लंड को पकड़कर उसे चाटने लगी. विक्रम लेखा के बूब्स को दबाने
लगा. लेखा ने कहा?विक्रम मेरी चूत गीली हो रही है लगता है मेरी चूत से
भी अपनी पानी निकलेगा . विक्रम लेखा के दोनों टाँगे फैला दी और उसकी
चूत में अपनी ऊँगली डाल दी. उसने देखा उसकी ऊँगली गीली हो चुकी थी. वो
ऊँगली निकाल कर चाटने लगा. ये देखकर लेखा और गर्माने लगी और उसकी चूत
से फुवार्रा छुट पड़ा. विक्रम अपनी जीब से उसके रस को चाटने लगा. फिर
उसने कुछ रस लेकर अपने लंड पर लगा दिया और लंड को लेखा की चूत के
द्वार पर रख कर हल्का सा धक्का दिया. लंड आसानी से लेखा की चूत के
अन्दर घुस गया. लेखा चिल्ला उठी?ईईइ मा..में मर गयी..आः?ऊई. मेरी चूत फट
गयी?. विक्रम पूरे जोश में अपने लंड को लेखा की चूत के अन्दर बाहर कर
रहा था. लेखा अब चिल्लाने के बजाये सिस्कारिया भर रही थी.उसने अपनी टाँगे
और फैला दी. विक्रम साथ में उसके बूब्स को भी दबा रहा था. लेखा कह रही
थी?विक्रम और जोर से..वह?अआः.. और जोर से..बहुत मज़ा आ रहा
है..आह..सी..आह. इतने में लेखा एक बार और झड गयी और विक्रम ने भी अपना
पानी लेखा की चूत में उड़ेल दिया. अब अँधेरा हो रहा था. दोनों ने फिर
अपने कपडे पहन लिए . विक्रम ने लेखा को एक गोली दी और बोला?इसे खा लेना
तो तुम्हारे बच्चा नहीं होगा. वर्ना तुम माँ बन जाओगी ?. लेखा ये सुनकर
डर गयी. लेखा अपना घड़ा लेकर कुवे की और चल पड़ी और पानी भरकर घर गयी. उसके
माँ ने देर होने की वजह पूछी तो लेखा ने कहा?में विक्रम से मिली थी और
बात करते करते देर हो गयी?.जब से गौरी की बात सुनी थी तब से रेखा भी
बेचैन सी रहने लगी थी. उसे अपनी चूत की अंगार को शांत करना था. एक दिन
सुबह रेखा संडास करने के लिए निकल पड़ी. विक्रम ने रेखा को देख लिया और
उसका पीछा किया. वो रेखा के ठीक पीछे पीछे जा रहा था. रेखा को थोडा सा
शक हुआ की कोई उसके पीछे है. वो पहाड़ के पीछे जाकर झाड़ियो में अपने
घाघराको ऊपर करके संडास करने के लिए बैठ गयी. विक्रम एक पेड़ के पीछे
से ये सब देख रहा था. लेकिन उसे कुछ साफ साफ दिखाई नहीं दे रहा था. रेखा
की चूत की झलक उसे दिखाई दी और ये देखकर ही मुठ मारने लगा. रेखा को
पेड़ के पीछे झाड़ियो में कुछ आहट सुनाई दी. उसे लगा की कोई उसे देख
रहा है. वो जल्दी से अपनी गांड साफ करके घास में से छुपकर वहां से निकल
गयी. विक्रम मुठ मारने में मशगुल था. उसने देखा तो रेखा वहां से जा
चुकी थी. वो जैसे ही अपना पाजामा ऊपर कर रहा था पीछे से किसीने उसके
कंधे पर हाथ रख दिया. उसने मुड़कर देखा तो रेखा थी. विक्रम एकदम चौंक गया.
रेखा ने पूछा ?तो आप मेरा पीछा कर रहे थे?. अगर गांड देखने का इतना ही
शौक है तो चलो मैं दिखाती हु. रेखा ने अपना घाघरा उतार के ज़मीन पर डाल
दिया. अब वो निचे से बिलकुल नंगी थी. रेखा ने कहा?चलो जो करना है करलो ?.
विक्रम ने आगे बढकर उसकी गांड के पास जाकर बैठ गया और दोनों चुत्डो पर
हाथ फेरकर दबाने लगा. बाद में उसकी गांड को फैलाकर उसके छेद में नाक
डालकर सूघने लगा. विक्रम ने कहा?रेखा तुम्हारी गांड से बड़ी मादक खुसबू आ
रही है?. रेखा ने अभी अभी संडास किया था इसलिए उसकी गांड से गंद आ रही
थी. विक्रम ने थोड़ी देर अपनी नाक उसकी गांड के छेद में डालकर रगडी और
फिर जीब निकाल कर चाटने लगा. रेखा ने कहा?बहुत अच्छा लग रहा है
विक्रम.? विक्रम उसकी गांड के छेद में जीब डालकर घुमा रहा था और अपनी
हाथ आगे ले जाकर रेखा की चूत के छेद में ऊँगली डालकर हिला रहा था. रेखा
आहे भरने लगी?ऊओह?आः?सीह?आः?.थोड़ी देर में रेखा की चूत से रस बहने लगा
और विक्रम का पूरा हाथ गीला कर दिया. विक्रम रस से भरे हाथ को चाटने
लगा. ये देखकर रेखा और भी गरमा गयी और चोली के ऊपर से अपने बूब्स को दबा
रही थी. रेखा ने कहा?विक्रम में तुमसे प्यार करती हु. तुम मेरी चूत की
प्यास कब भुजाओगे ?. विक्रम ने कहा?वक़्त आने दो. मैं तुम्हारी चूत की
प्यास भुजाऊंगा?. इतने में कुछ लोगो की बातें करने की आवाज़ आने लगी.
विक्रम जल्दी से खड़ा हो गया और रेखा ने घाघरा जल्दी से लेकर पहन लिया.
दोनों वहां से चल पड़े. रास्ते में रेखा ने कहा मैं कल शाम को नदी पर
नहाने जाउंगी . तुम वह आ जाना?. विक्रम खुश हो गया. उसे दोनों बहनों को
चोदने को मिल रहा था. और दोनों उससे प्यार भी करती थी. दुसरे दिन शाम
होते ही विक्रम नदी के पास जाकर बैठ गया. लेकिन काफी देर के बाद भी रेखा
नहीं आई. सूरज ढल रहा था. कुछ देर बाद उसे कोई आता हुआ दिखाई दिया. वो
रेखा थी. विक्रम ने पूछा ?तुमने आने में देर क्यों कर दी?. रेखा ने
कहा?मैंने सोचा थोडा अँधेरा हो जायेगा तो कोई हमे देख नहीं सकता.? विक्रम
बहुत खुश हो गया. फिर रेखा ने अपनी चोली और घघरा उतार दिया और पूरी तरह
नंगी हो गयी. विक्रम ने अपना कुरता और पाजामा उतार दिया. दोनों फिर एक
दुसरे से लिपट गए और पानी में उतर गए . रेखा के बूब्स विक्रम की छाती से
दब रहे थे. विक्रम का लंड खड़ा हो गया था और वो रेखा की जांघो के बीच
घुस रहा था. दोनों पानी डालकर एक दुसरे को साबुन से रगड़कर साफ़ करने लगे.
विक्रम रेखा के बूब्स और पेट को हलके हलके हाथ से रगड़ रहा था. रेखा
विक्रम की छाती पर हाथ घूमा रही थी. बीच में दोनों एक दुसरे को चूमा
चाटी भी करते थे. विक्रम ने रेखा की चूत को अपनी हथेली में भर लिया और
उसकी चूत के होंठो को दबाने लगा. रेखा चिल्ला उठी. रेखा ने कहा?तुम तो
बड़े बेरहम हो. ज़रा धीरे से?. विक्रम ने कहा?ऐसा मौका बार बार नहीं
मिलता?. रेखा ने कहा?मैं तो हमेशा तैयार हु. तुम जब चाहे मुझे चोद सकते
हो?. विक्रम ये सुनकर खुश हो गया और अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में डाल
दी. रेखा साबुन लगाकर विक्रम के लंड की सफाई कर रही थी. लंड अभी भी
तना हुआ था. रेखा ने कहा?तुम्हारा लंड तो काफी बड़ा है?. विक्रम ने
कहा?तुम्हारी कोरी चूत देखकर ये और बड़ा हो गया?. रेखा ने झुककर उसके
लंड को अपने मुह में ले लिया और चूसने लगी. काफी देर तक चूसती रही तब
विक्रम उसके मुह में झड गया . रेखा ने उसके लंड का सारा पानी पी
लिया. फिर विक्रम ने रेखा की गांड के ऊपर और छेद में साबुन लगाया. अपने
लंड पर भी साबुन लगाकर और लंड को रेखा की गांड के छेद के पास रखकर एक
धक्का दिया. लंड पूरा रेखा की गांड में घुस गया. रेखा चिल्ला उठी. उसने
कहा?निकालो अपना लंड . मुझे दर्द हो रहा है?. विक्रम ने कहा?थोड़ी देर
में दर्द कम हो जायेगा?. विक्रम अपना लंड उसकी गांड के अन्दर बाहर करने
लगा और अब रेखा को बहुत मज़ा आ रहा था. १५ मिनट तक रेखा की गांड की खूब
चुदाई करने के बाद विक्रम झड गया दोनों ने एक दुसरे की अच्छी तरह सफाई
की. नहाकर कपडे पहन लिए और घर की और चल पड़े. घर पहुचने पर माँ ने पूछा
?रेखा इतनी देर क्यों लगा दी?. रेखा ने कहा?एक सहेली भी साथ में थी नदी
पर. उसके साथ बात करते करते वक़्त निकल गया और पता भी नहीं चला?. अब
विक्रम ने १० स्टड. की एक्साम दी. उसे पास होने की कोई उम्मीद नहीं थी.
पर जब रिजल्ट आया तो उसने देखा वो पास हो गया. उसने लेखा और रेखा को ये
खबर सुनाई. दोनों बहुत खुश हो गए. बलदेव सिंह भी बेटे की कामयाबी पर खुश
हो गया. अब विक्रम शहर जाकर कुछ नौकरी करना चाहता था. बलदेव सिंह ने
कहा?जैसी तुम्हारी मर्ज़ी?. एक दिन रुकमनी और कल्याण को अपने किसी
रिश्तेदार की लड़की की शादी के लिए शहर जाना था. वो रेखा और लेखा को भी
ले जाना चाहते थे. रेखा ने साफ़ मना कर दिया. उसने सोचा अगर माँ, बापू और
लेखा चले जाये तो वो विक्रम के साथ अकेले कुछ वक़्त बिता सकेगी . रेखा के
मना करने पर कल्याण ने कहा?लेखा तुम भी दीदी के साथ यही रुक जाओ. हम
दोनों जाकर आते है?. रेखा ने बहुत समझाया की वो लेखा को भी साथ में ले
जाये. उसने कहा?डरने की कोई बात नहीं है बापू और फिर पड़ोस में विक्रम और
उसकी दादी भी तो है?. लेकिन उसकी माँ के जिद करने पर उसको मान जाना पड़ा
और लेखा को रेखा के साथ रहने की लिए कहा गया. जाने से पहले कल्याण ने
जाकर विक्रम और उसकी दादी को कहा?हम दो दिन के लिए शहर जा रहे है. तुम
ज़रा रेखा और लेखा का ख्याल रखना?. विक्रम ये सुनकर खुश हो गया और कहा?हम
अच्छी तरह उनका ख्याल रखेंगे?. दुसरे दिन दोपहर को कल्याण और रुकमनी शहर
के लिए निकल पड़े. शाम को विक्रम लेखा और रेखा के पास आया. दोनों बहने
उसको देखर खुश हो गयी. लेखा ने कहा?विक्रम तुम रात को यही रुक जाओ न??
विक्रम ने कहा?कोई बात नहीं. मैं यही रुक जाता हु?. फिर रात को तीनो ने
साथ में खाना खाया. विक्रम कल्याण के कमरे में सोने चला गया. लेखा और
रेखा अपने कमरे में सोने की तयारी करने लगी.
करीब एक घंटे तक सन्नाटा था पूरे घर में. विक्रम अभी सोया नहीं था. वो
खयालो में खोया हुआ था की अचानक उसकी कमरे का दरवाज़ा खुला और उसने देखा
रेखा कमरे में दाखिल हो रही थी. विक्रम उठकर खटिये पर बैठ गया. रेखा
उसके पास आकर उससे लिपट गयी. विक्रम भी उसे लिपट गया और दोनों एक दुसरे
को चूमने लगे. रेखा ने कहा?मैं तो लेखा के सोने का इंतज़ार कर रही थी.
मेरी चूत में खुजली हो रही थी और जब तुम बापू के कमरे हो तो मेरीचूत और
बेचैन हो उठी. मेरी चूत को तुम्हारा लंड चाहिए?. विक्रम ने कहा?मैं भी
सोच रहा था की तुम कब आओगी?. दोनों खटिये पर लेट गए. विक्रम ने सिर्फ
पजामा पहना हुआ था. रेखा विक्रम की छाती के ऊपर हाथ घूमा रही थी. वो
विक्रम के गाल, गर्दन, छाती और पेट पर चूमने लगी. विक्रम उसकी पीठ पर
हाथ घुमा रहा था. रेखा ने उसके पजामे का नाडा खोल दिया और नीचे की तरफ
खीच लिया. विक्रम ने अन्दर कुछ न पहना था. उसका ६ इंच का लंड एकदम तन
कर खड़ा था जो अब सांप के तरह फन उठाये खड़ा था.
रेखा उसके लंड के नजदीक जाकर उसे अपने हाथ में भर लिया और दबाने लगी.
उसने लंड के उपरी कवच को निचे की तरफ किया जिससे लंड का अन्दर का लाल
रंग का हिस्सा दिखने लगा. रेखा ने उसे अपने मुह में भर लिया और धीरे
धीरे चूसने लगी. विक्रम मस्त हुए जा रहा था. बिच बिच में रेखा उसके लंड
के नीचे की गोलियों को चाट रही थी. विक्रम अब कराह ने लगा था. अब
उससे और नहीं रुका जा रहा था उसने वही झाड दिया और रेखा ने उसके लंड
से निकले रस को पूरी तरह चाट लिया. विक्रम ढीला हो कर खटिया पे लेटा था.
दोस्तों कहानी अभी बाकी है पढ़ते रहिये रेखा और लेखा की चुदाई एक साथ--3
आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः.........................