कामुक संध्या long hindi font sex story
Re: कामुक संध्या long hindi font sex story
ऋतु-आ मज़ा आ गया वाकई तुम दोनो मर्दों ने मेरी जवानी की पायस भुझा दी
किशोर- तो यह थी तेरी पहली चुदाई देखा किरण कैसे इस हरमज़ड़ी की चुदाई की हमारे दाद ने
किरण- हाँ जी मस्त चुदाई की उन्होने
किशोर- ई कुटिया ऋतु अब तू तय्यार है मेरा मस्त लॉडा अपनी छूट मे लेने को
ऋतु- हाँ मलिक आओ मेरी छूट मे लॉडा दल के उसे धान्या कर दो मैं आप का वीर्या अपनी बाकछेड़नी मे दल के उसे आपके गरम वीर्या से नहलौंगी
किशोर- साली कुटिया तुझे छोड़ के तेरी मालकिन किरण को धीखना है की इस हवेली की नौकरानिया कितनी मस्त होके मालिकों का लंड चुस्ती है और उनके साथ जवानी के हर खेल को खेल सकती है
ऋतु- मैं तय्यार हूँ मेरे मलिक आप मेरी छूट जैसे चाहे वैसे मार सकते है
किशोर ने ऋतु को अपने ही बिस्तेर पर ननगी लिटाया और उसकी छूट मे लंड घुसेड़ने लगा यह देख के किरण की आँखें फट गयी उसे विस्वास ही नही हुआ की उसका पति उसी के सामने हवेली की नौकरानी की छूट छोड़ सकता है इधर सरवन ने किरण को पूरी तरह ननगा कर दिया था वो उसकी जांघों पर हाथ फिरा रहा था जिससे उत्तेजित होके किरण की छूट पनिया गयी थी सरवन की इतनी हिम्मत नही थी की वो मलिक के सामने मालकिन की छूट मे उंगली भी दल सके और यहाँ किरण मस्ता भी गयी थी वो आगे बड़ी और किशोर के मूह के सामने छूट रख दी
किरण- छाती मेरी जवानी के मलिक अपनी रानी की छूट चतो देखो तेरे नौकर ने इसे कितना चिकना और द्राविभूत कर दिया है साली यह कुटिया जैसी फूल गयी है इसे चूस के आयार इसे छोड़ के अपना मर्दो वाला धर्मा निभाओ मेरे सरताज
किशोर ने अपना मूह आयेज बदाया और किरना की छूट चाटने लगा और कमर हिला के ऋतु की छूट छोड़ने लगा
किशोर- सरवन इधर आ साले तेरा लॉडा खड़ा हो गया है तो आ ऋतु की गंद मे पेल
सरवन- हाँ मलिक अभी छोड़ता हूँ साली की गंद
किशोर- आ मेरे साथ अपनी जोरू का मस्त गांग बंग करे
सरवन- यह क्या होता है मलिक
किशोर- इसमे कई लोग मिलके एक ही छूट मरते है
सरवन- पर यहाँ तो सिर्फ़ हम दो है
किशोर- तू चिंता मत कर इसकी छूट मरने को मैं अकेला ही काफ़ी हूँ हाँ बाकी मस्ती लेने को तुम सब नौकर हो ना सभी को कोमों रूम मे बुलाओ तो ज़रा
किरण- क्या करोगे अब क्या इस मस्त चिड़िया को कोमों रूम मे छोड़ोगे
किशोर- तू देखती जा
किशोर के कहने पर सरवन ने अपने पास का मोबाइल निकाला और हवेली के पाँच नौकरो को कोमों रूम मे आने को बोला और यह भी बोला की सब आ जाए तो उसे फोन करें
सरवन- बोल दिया मलिक सारे 15 मीं मे कोमों रूम मे होंगे
किशोर किरण की छूट छत रहा था किरण ने मस्ती मे आके चूतड़ हिलने शुरू किए और किशोर ने ऋतु की छूट मे ज़ोर ज़ोर से झटके मरने शुरू किए ऐसा लग रहा था किशोर को ऋतु की घोड़ी पर सवारी करने की बहुत जल्दी हो वो रेस को तुरंत जितना चाहता था और उधर ऋतु भी अपनी कक़ची और कसी हुई घोड़ी को किशोर के घोड़े के लंड के आयेज नाचा नाचा के मस्ती लूट रही थी
ऋतु- आआअहह मलिक मेरी छूट पानी फेकने वाली है आओ मलिक अपना गरम वीर्या मेरी छूट मे डालो मेरे मलिक आआआआआआआआहह
किशोर- रुक साली इतनी जल्दी क्या है अभी घोड़े की सवारी मे और टाइम दे
ऋतु- मलिक आआआआआआआआआअ हह आआआआआआआआअ आप बहुत ज़बरदस्त छोड़ेटे हो आपके आयेज तो कोई रंडी भी 10 – 15 मीं से ज़्यादा नही रुक पाएगी मेरी तो औकात ही क्या है आआआआआआआअ मलिक छोड़ो और ज़ोर से छोड़ो आआआआआअ मैं झाड़ रही हूँ मलिक आआआआआआआआ हह
इतना कह के ऋतु की छूट ने अपना पानी छ्चोड़ दिया ऋतु की छूट मे पानी की धार को बहता महसूस करके किशोर ने भी उस कुटिया की छूट मे अपना वीर्या उदेलना शुरू किया
किशोर- ले मदारचोड़ तू नही मनती तो ले मेरे वीर्या से अपनी बाकछेड़ली को नहला दे साली हरमादी कुटिया की औलाद ले अपनी छूट मे मेरा सला माल
इधर किरण की छूट छाते छाते वो इतनी गरम हो चुकी थी उसने भी अपनी धार किशोर के मूह पर मार दी
किरण- हाए राजा मैं भी च्छुत गयी कमाल की छूट चत्ते हो हाए रीईईईईईई झाड़ गयी मैं तो
किशोर- हाँ रानी आजा आब इसके बाद तेरी इस छूट और गंद को मारूँगा आज तेरी गंद की नाथ उतरई करूँगा
किशोर- तो यह थी तेरी पहली चुदाई देखा किरण कैसे इस हरमज़ड़ी की चुदाई की हमारे दाद ने
किरण- हाँ जी मस्त चुदाई की उन्होने
किशोर- ई कुटिया ऋतु अब तू तय्यार है मेरा मस्त लॉडा अपनी छूट मे लेने को
ऋतु- हाँ मलिक आओ मेरी छूट मे लॉडा दल के उसे धान्या कर दो मैं आप का वीर्या अपनी बाकछेड़नी मे दल के उसे आपके गरम वीर्या से नहलौंगी
किशोर- साली कुटिया तुझे छोड़ के तेरी मालकिन किरण को धीखना है की इस हवेली की नौकरानिया कितनी मस्त होके मालिकों का लंड चुस्ती है और उनके साथ जवानी के हर खेल को खेल सकती है
ऋतु- मैं तय्यार हूँ मेरे मलिक आप मेरी छूट जैसे चाहे वैसे मार सकते है
किशोर ने ऋतु को अपने ही बिस्तेर पर ननगी लिटाया और उसकी छूट मे लंड घुसेड़ने लगा यह देख के किरण की आँखें फट गयी उसे विस्वास ही नही हुआ की उसका पति उसी के सामने हवेली की नौकरानी की छूट छोड़ सकता है इधर सरवन ने किरण को पूरी तरह ननगा कर दिया था वो उसकी जांघों पर हाथ फिरा रहा था जिससे उत्तेजित होके किरण की छूट पनिया गयी थी सरवन की इतनी हिम्मत नही थी की वो मलिक के सामने मालकिन की छूट मे उंगली भी दल सके और यहाँ किरण मस्ता भी गयी थी वो आगे बड़ी और किशोर के मूह के सामने छूट रख दी
किरण- छाती मेरी जवानी के मलिक अपनी रानी की छूट चतो देखो तेरे नौकर ने इसे कितना चिकना और द्राविभूत कर दिया है साली यह कुटिया जैसी फूल गयी है इसे चूस के आयार इसे छोड़ के अपना मर्दो वाला धर्मा निभाओ मेरे सरताज
किशोर ने अपना मूह आयेज बदाया और किरना की छूट चाटने लगा और कमर हिला के ऋतु की छूट छोड़ने लगा
किशोर- सरवन इधर आ साले तेरा लॉडा खड़ा हो गया है तो आ ऋतु की गंद मे पेल
सरवन- हाँ मलिक अभी छोड़ता हूँ साली की गंद
किशोर- आ मेरे साथ अपनी जोरू का मस्त गांग बंग करे
सरवन- यह क्या होता है मलिक
किशोर- इसमे कई लोग मिलके एक ही छूट मरते है
सरवन- पर यहाँ तो सिर्फ़ हम दो है
किशोर- तू चिंता मत कर इसकी छूट मरने को मैं अकेला ही काफ़ी हूँ हाँ बाकी मस्ती लेने को तुम सब नौकर हो ना सभी को कोमों रूम मे बुलाओ तो ज़रा
किरण- क्या करोगे अब क्या इस मस्त चिड़िया को कोमों रूम मे छोड़ोगे
किशोर- तू देखती जा
किशोर के कहने पर सरवन ने अपने पास का मोबाइल निकाला और हवेली के पाँच नौकरो को कोमों रूम मे आने को बोला और यह भी बोला की सब आ जाए तो उसे फोन करें
सरवन- बोल दिया मलिक सारे 15 मीं मे कोमों रूम मे होंगे
किशोर किरण की छूट छत रहा था किरण ने मस्ती मे आके चूतड़ हिलने शुरू किए और किशोर ने ऋतु की छूट मे ज़ोर ज़ोर से झटके मरने शुरू किए ऐसा लग रहा था किशोर को ऋतु की घोड़ी पर सवारी करने की बहुत जल्दी हो वो रेस को तुरंत जितना चाहता था और उधर ऋतु भी अपनी कक़ची और कसी हुई घोड़ी को किशोर के घोड़े के लंड के आयेज नाचा नाचा के मस्ती लूट रही थी
ऋतु- आआअहह मलिक मेरी छूट पानी फेकने वाली है आओ मलिक अपना गरम वीर्या मेरी छूट मे डालो मेरे मलिक आआआआआआआआहह
किशोर- रुक साली इतनी जल्दी क्या है अभी घोड़े की सवारी मे और टाइम दे
ऋतु- मलिक आआआआआआआआआअ हह आआआआआआआआअ आप बहुत ज़बरदस्त छोड़ेटे हो आपके आयेज तो कोई रंडी भी 10 – 15 मीं से ज़्यादा नही रुक पाएगी मेरी तो औकात ही क्या है आआआआआआआअ मलिक छोड़ो और ज़ोर से छोड़ो आआआआआअ मैं झाड़ रही हूँ मलिक आआआआआआआआ हह
इतना कह के ऋतु की छूट ने अपना पानी छ्चोड़ दिया ऋतु की छूट मे पानी की धार को बहता महसूस करके किशोर ने भी उस कुटिया की छूट मे अपना वीर्या उदेलना शुरू किया
किशोर- ले मदारचोड़ तू नही मनती तो ले मेरे वीर्या से अपनी बाकछेड़ली को नहला दे साली हरमादी कुटिया की औलाद ले अपनी छूट मे मेरा सला माल
इधर किरण की छूट छाते छाते वो इतनी गरम हो चुकी थी उसने भी अपनी धार किशोर के मूह पर मार दी
किरण- हाए राजा मैं भी च्छुत गयी कमाल की छूट चत्ते हो हाए रीईईईईईई झाड़ गयी मैं तो
किशोर- हाँ रानी आजा आब इसके बाद तेरी इस छूट और गंद को मारूँगा आज तेरी गंद की नाथ उतरई करूँगा
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किरण- जो मर्ज़ी हो वो करो मेरे सरताज सब कबूल है तुम्हारी इस दासी को
किशोर- सरवन वो सब कुत्ते आए या नही
सरवन- मलिक सब आ गये है और कोमों रूम मे आपके आदेश का इंतज़ार कर रहे है
किशोर- ठीक है ई ऋतु
ऋतु- हाँ मलिक
किशोर- चल जा उठ के न्नगी जा कोमों रूम मे तुझे प्यार से सहलाने के लिए 5 लंड इंतज़ार कर रहे ही आज इस हवेली मे तेरे छूट का जस्न होना चाहिए और साली अगर इस रत की बात की भनक किसी को भी लगी तो मेरे से बुरा कोई नही होगा
ऋतु- नही मलिक कैसे लगेगी बड़े मलिक और मालकिन तो बाहर गये है छ्होटे मलिक शहर मे रहते है और रागिनी मेंसब् तो उपर फर्स्ट फ्लोर पर कब की सो चुकी होंगी अपनी नींद की डॉवा लेके
(रागिनी ने अपना नाम सुना तो वो सिहर गयी उसे दर लगा की कहीं किसी नौकर या ऋतु या उसके भाई भाभी ने उसे देख लिया तो उसकी बुरी दूरगत ना हो एक पल को उसका हवेली का खून काहूला की नौकर और नौकरानियों की तो वो खुद भी मा छोड़ डालेगी रही भाई और भाभी की बात जो होगा देखा जाएगा उसे यह मस्त ससेकने देखते रहना चाहिए इधर किशोर ने ऋतु को नंगी ही कोमों रूम की तरफ भेज दिया और सरवन को बोला की वो उसके लिए दारू का ग्लास बनाए और खुद खिड़की के पास जाके देखने लगा की बाकी के नौकर कैसे ऋतु की छूट बजाते है किरण भी उसके साथ न्नगी की खिड़की के पास खड़ी हो गयी सरवन ने जब उसकी दारू का इंतज़ाम कर दिया तो किशोर ने उसे भी निर्देश दिया की वो भी जाके ऋतु के गंद बंग या मस्त सामूहिक छोड़न प्रक्रिया मे बाकी नौकरो का साथ दे सकता है सरवन खुखूसी वहाँ से चला गया क्योंकि अगर वो रूम मे रहता तो उसे ऋतु की छूट मे हिस्सा नही मिल पता और बाकी नौकर उसकी बीवी की छूट को मस्त होके छोड़ते क्योंकि उसे पता था की ऋतु की जवानी पर सारे नौकरों की निगाह थी और सब ऋतु को छोड़ने लो लालआयाइत रहते थे)
किरण ने सोचा की संध्या अभी अनछुइ कली है वो उसे मर्दों के लिए तैयार कर देगी तो संध्या को जिंदगी मे चुदाई का कष्ट नही होगा. उसे क्या पता था की उसकी संध्या एक रांड़ है जो अभी कुछ दिन पहले ही मर्द का स्वाद चख चुकी है. संध्या ने भी कुछ बताया नही और किरण की गोल और पुष्ट चुचि पर अपने होंठ रख दिए. उसका नंगा बदन किरण की जवानी मे आग लगा रहा था उसे ऐसा लग रहा था की कोई मर्द उसे भोगें जा रह है वो संध्या को एक लड़की की जगह एक मादक मर्द के रूप मे देख रही थी. किरण ने संध्या की नरम चुची दबोच ली.
संध्या- अहहाआआआआआआआआआअ…………………… मोम धीरे से
किरण- मैं धीरे कर दूँगी पर जो मर्द तुझे पहली बार नोचेग तेरी नरम छ्चाटी के दर्शन करेगा तेरी जवानी को मादरजात नंगा करेगा, तुझे चोद्ने के लिए अपने बिस्तेर पर ले जाएगा वो तेरी इन नर्म चुची को चबा डालेगा मेरी रानी तुझे बिल्कुल नही छोड़ेगा. तू है ही इतनी मादक और कामुक तुझे पूरी रात कुतिया बनाके छोड़ेगा तेरी चीखे निकलवा देगा. तू भी बोलेगी और चोद राजा
संध्या- प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ मोम मेरे को मर्द और औरत के बीच के इस अनोखे रिश्ते के बारे मे पूरी जानकारी दो प्रॅक्टिकल के साथ.————tu kya sikhayegi wo pahale hi sikh li hai wo to ab bol ke chudane ka maja le rahi hai
धर ऋतु नंगी ही कोमों रूम की तरफ आई ऋतु को मस्त आलमास्त नंगी देख के नौकरों के लॉड खड़े हो गये एक नौकर ने पुचछा
पिंकू- हाए ऋतु यह क्या हो गया हवेली मे पूरी नंगी होके घूम रही है बहुत चुदसी हो गयी है क्या. सरवन के लॉड से प्यास नही भुजती क्या
ऋतु- (कामुकता के साथ) हाए राजा जो मज़ा तेरे लॉड मे है वो सरवन मे कहाँ आजा मेरी जवानी का मज़ा लेना है तो तुम सब सालो नंगे होके आ जाओ मैदान मे मैं देखती हूँ कितना भूखार है तुम लोगो के लॉड मे
बाबू- साली तेरी छूट का भुर्ता ना बांडूं तो मेरा नाम बाबू नही दिन भर रसोई मे साथ कम करती है जी होता है वहीं पटक के छोड़ दूं तेरी छूट छत छत के छोड़ूँगा तुझे मेरी किचन की चिकनी छूट
राजा- बता तो साली इतनी रत गये नंगी घूमती फिर रही है किसने आग लगाई तेरे छूट मे रोज़ घूमती है या आज कोई स्पेशल त्योहार है तेरी छूट का
किशोर- सरवन वो सब कुत्ते आए या नही
सरवन- मलिक सब आ गये है और कोमों रूम मे आपके आदेश का इंतज़ार कर रहे है
किशोर- ठीक है ई ऋतु
ऋतु- हाँ मलिक
किशोर- चल जा उठ के न्नगी जा कोमों रूम मे तुझे प्यार से सहलाने के लिए 5 लंड इंतज़ार कर रहे ही आज इस हवेली मे तेरे छूट का जस्न होना चाहिए और साली अगर इस रत की बात की भनक किसी को भी लगी तो मेरे से बुरा कोई नही होगा
ऋतु- नही मलिक कैसे लगेगी बड़े मलिक और मालकिन तो बाहर गये है छ्होटे मलिक शहर मे रहते है और रागिनी मेंसब् तो उपर फर्स्ट फ्लोर पर कब की सो चुकी होंगी अपनी नींद की डॉवा लेके
(रागिनी ने अपना नाम सुना तो वो सिहर गयी उसे दर लगा की कहीं किसी नौकर या ऋतु या उसके भाई भाभी ने उसे देख लिया तो उसकी बुरी दूरगत ना हो एक पल को उसका हवेली का खून काहूला की नौकर और नौकरानियों की तो वो खुद भी मा छोड़ डालेगी रही भाई और भाभी की बात जो होगा देखा जाएगा उसे यह मस्त ससेकने देखते रहना चाहिए इधर किशोर ने ऋतु को नंगी ही कोमों रूम की तरफ भेज दिया और सरवन को बोला की वो उसके लिए दारू का ग्लास बनाए और खुद खिड़की के पास जाके देखने लगा की बाकी के नौकर कैसे ऋतु की छूट बजाते है किरण भी उसके साथ न्नगी की खिड़की के पास खड़ी हो गयी सरवन ने जब उसकी दारू का इंतज़ाम कर दिया तो किशोर ने उसे भी निर्देश दिया की वो भी जाके ऋतु के गंद बंग या मस्त सामूहिक छोड़न प्रक्रिया मे बाकी नौकरो का साथ दे सकता है सरवन खुखूसी वहाँ से चला गया क्योंकि अगर वो रूम मे रहता तो उसे ऋतु की छूट मे हिस्सा नही मिल पता और बाकी नौकर उसकी बीवी की छूट को मस्त होके छोड़ते क्योंकि उसे पता था की ऋतु की जवानी पर सारे नौकरों की निगाह थी और सब ऋतु को छोड़ने लो लालआयाइत रहते थे)
किरण ने सोचा की संध्या अभी अनछुइ कली है वो उसे मर्दों के लिए तैयार कर देगी तो संध्या को जिंदगी मे चुदाई का कष्ट नही होगा. उसे क्या पता था की उसकी संध्या एक रांड़ है जो अभी कुछ दिन पहले ही मर्द का स्वाद चख चुकी है. संध्या ने भी कुछ बताया नही और किरण की गोल और पुष्ट चुचि पर अपने होंठ रख दिए. उसका नंगा बदन किरण की जवानी मे आग लगा रहा था उसे ऐसा लग रहा था की कोई मर्द उसे भोगें जा रह है वो संध्या को एक लड़की की जगह एक मादक मर्द के रूप मे देख रही थी. किरण ने संध्या की नरम चुची दबोच ली.
संध्या- अहहाआआआआआआआआआअ…………………… मोम धीरे से
किरण- मैं धीरे कर दूँगी पर जो मर्द तुझे पहली बार नोचेग तेरी नरम छ्चाटी के दर्शन करेगा तेरी जवानी को मादरजात नंगा करेगा, तुझे चोद्ने के लिए अपने बिस्तेर पर ले जाएगा वो तेरी इन नर्म चुची को चबा डालेगा मेरी रानी तुझे बिल्कुल नही छोड़ेगा. तू है ही इतनी मादक और कामुक तुझे पूरी रात कुतिया बनाके छोड़ेगा तेरी चीखे निकलवा देगा. तू भी बोलेगी और चोद राजा
संध्या- प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ मोम मेरे को मर्द और औरत के बीच के इस अनोखे रिश्ते के बारे मे पूरी जानकारी दो प्रॅक्टिकल के साथ.————tu kya sikhayegi wo pahale hi sikh li hai wo to ab bol ke chudane ka maja le rahi hai
धर ऋतु नंगी ही कोमों रूम की तरफ आई ऋतु को मस्त आलमास्त नंगी देख के नौकरों के लॉड खड़े हो गये एक नौकर ने पुचछा
पिंकू- हाए ऋतु यह क्या हो गया हवेली मे पूरी नंगी होके घूम रही है बहुत चुदसी हो गयी है क्या. सरवन के लॉड से प्यास नही भुजती क्या
ऋतु- (कामुकता के साथ) हाए राजा जो मज़ा तेरे लॉड मे है वो सरवन मे कहाँ आजा मेरी जवानी का मज़ा लेना है तो तुम सब सालो नंगे होके आ जाओ मैदान मे मैं देखती हूँ कितना भूखार है तुम लोगो के लॉड मे
बाबू- साली तेरी छूट का भुर्ता ना बांडूं तो मेरा नाम बाबू नही दिन भर रसोई मे साथ कम करती है जी होता है वहीं पटक के छोड़ दूं तेरी छूट छत छत के छोड़ूँगा तुझे मेरी किचन की चिकनी छूट
राजा- बता तो साली इतनी रत गये नंगी घूमती फिर रही है किसने आग लगाई तेरे छूट मे रोज़ घूमती है या आज कोई स्पेशल त्योहार है तेरी छूट का
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ऋतु- (चटखारे लेके) यह तो तुम लोग सोचो सालो दिन मे मेरी छूट मरने की सोचते हो रत मे अपनी अपनी बीवियों को मेरा नाम ले लेके छोड़ते हो हरमियों मुझे सब पता है मेरी छूट के कितने दीवाने हो
तीनो नौकर- हाए रे कसिए पता
ऋतु- सालो कुत्टो तुनहरी वो कुटियाएँ मुझे सब बताती है कैसे उनके मूह मे मेरा नाम लेके अपना वीर्यपत करते हो
नरेश- मैं तो अभी कुँवारा हूँ मेरी शादी कहाँ हुई मैं तो तेरी छूट मरने के सपने लेके मूठ मरता रहता हूँ मेरी तमन्ना आअज पूरी होगी
ऋतु- (नरेश के कन मे) हाँ राजा पर तू जो इनकी बीवियों को च्छूप च्छूप के छोड़ता है वो राज बतौ क्या राजा और बाबू को दोनो तेरी गंद मार लेंगे
नरेश- – (ऋतु की च्चती को सहलाते हुए) नही मेरी जान मुझे माफ़ कर साले बड़े मोटे लॉड वेल है मैं मार जवँगा तू जैसे बोलेगी तेरा साथ दूँगा
राजेश- क्या फुसफुसा रहे हो तुम दोनो इधर आ ऋतु जान तेरी जवान च्चती का मज़ा मैं भी लूँगा साली तू तो हमारी मंडली की प्रिया भाभिजी हो जिसकी छूट के दीवाने सारे नौकर है आओ आज तुझे छोड़ के अपनी अपनी पुरानी साध पूरी कर लें
ऋतु- (कामुकता से) हाँ आओ मर्दों मेरे असली वेल मर्द के आने से पहले मेरे हर एक च्छेद को अपने लॉड से भर दो छोड़ डालो मुझे जी भर के ऋतु की जवानी पर राज करो मेरे राजाओ आओ छोड़ो मेरी नशीली और कामुक छूट को मेरी मस्त टाइट गंद को एक मेरे मूह मे लौद अदलो और दो मर्द मेरी जवान तनी हुई च्चती से खेलो मैं तुम सबके लॉड को मसलूंगी खेलूँगी कहूँगी और मस्त चुड़ूँगी सब लोग मिलके जहड़ना मेरे मूह मे सबकी मलाई कहूँगी आज
ऋतु की इतनी कामुक बाते सुनते ही सभी नौकरों ने अपने कपड़े उतार दिए 5 मोटे मूसल लंड ऋतु की जवानी की ऊवार बड़े और उसके नंगे जिस्म से लिपट गये ऋतु ने भी तीन लुंडो को अपने च्छेदों मे डाला और दो लुंडो लो मूठ मरने के लिए हाथों मे जाकड़ लिया
ऋतु – आओ राजा छोड़ो अपनी जवान और न्नगी ऋतु को मुझे प्यासा मत छ्चोड़ना कसम है जो कोई भी लॉडा आज मेरी गरम छूट से बच के गया तो तू क्या सोच रहा है रे नरेश
नरेश- हाए मेरी जान आज सचसी मे तेरी छूट मरने को मिलेगी भगवान से आज और भी मननगा होता तो शायद मिल जाता
ऋतु- क्या माँगा था तूने
नरेश- आज रत को मूठ मार के सोते समय यही सोचा था की काश तू छोड़ने को मिल जाए तो रत मस्त गुजर जाए अगर पता होता तो……….
ऋतु- (नरेश को अपनी च्चती की ऊवार खींच के उसके कन मे ) तो किसकी बर छोड़ने की माँगता बता ना साले तेरी प्यारी चुदसी भाभी हूँ
नरेश- (ऋतु के कन मे) तो रागिनी मेंसब् की बर माँगता री कम से कम आज रत तो कई रोज उस कामिनी की कामुक जवानी के बारे मे सोच के मूठ मारी है जैसे तू आज मिली काश किसी दिन वो भी न्नगी होके मेरे लॉड के नीचे आ जाए तो जिंदगी बन जाए
इधर रागिनी खिड़की के पास खड़ी ती उसे सुनाई दे गया और उधर किरण की खिड़की तक यह संवाद नही पहुँचे रागिनी का मूह लाल पद गया उसे जब उसकी ही हवेली का कुँवारा नौकर छोड़ना चाहता है तो इसका मतलब है की सारे नौकर उसकी जवानी को चूसना चाहते होंगे उसकी बर ने लसलसा के और पानी छ्चोड़ दिया वो समझ गयी जो मूली वो किचन से चुरा के लाई थी उसे कम मे लाना होगा काहिर वो चुदाई का अगला नज़ारा देखने लगी
इधर ऋतु अपनी छूट गंद और मूह के साथ साथ दोनो हाथों मे लंड पकड़े हुई थी और मस्त चुदाई का मज़ा ले रही थी उसकी कामुक जवानी को पाँच जवान लॉड मस्ल रहे थे और उसकी सिसकारी कमरे मे गूँज रही थी
नरेश- धीरे धीरे मचल साली कोई सुन लेगा
ऋतु- (झूठ बोलते हुए)कोई नही है साले आज इस हवेली मे नौकरों को छ्चोड़ के सब साहेब और मेमसाहेब लोगो को मैं खुद शादी के लिए छ्चोड़ के आई हूँ सालो अपनी अपनी मर्दानगी का ज़ोर लगाओ और छोड़ डालो ऋतु को
बाबू- साली तू चूड़ना च्चती है तो और ज़ोर से चिल्ला और बता किस तरह से हम पाँचो तेरी कामुक जवानी को उधेड़ डाले साली इसीलिए आज न्नगी घूम रही है हवेली मे ताकि पाच पाँच लॉड तेरी छूट का बाज़ा बाज़ा सके
ऋतु- सालो तुम पाँच छोड़ुव को बताना पड़ेगा मेरे हर च्छेद मे अपनी मलाई दल दो मुझे इस मेज पर अपनी अपनी मलाई गिरा के चटवओ मेरी गंद का छेड़ चतो उसे उंगली से चौड़ा करो इतना चौड़ा की मेरे पति कल छोड़े तो जान जाए की तुम लोगो मे मेरी गंद और बर दोनो मारी है
तीनो नौकर- हाए रे कसिए पता
ऋतु- सालो कुत्टो तुनहरी वो कुटियाएँ मुझे सब बताती है कैसे उनके मूह मे मेरा नाम लेके अपना वीर्यपत करते हो
नरेश- मैं तो अभी कुँवारा हूँ मेरी शादी कहाँ हुई मैं तो तेरी छूट मरने के सपने लेके मूठ मरता रहता हूँ मेरी तमन्ना आअज पूरी होगी
ऋतु- (नरेश के कन मे) हाँ राजा पर तू जो इनकी बीवियों को च्छूप च्छूप के छोड़ता है वो राज बतौ क्या राजा और बाबू को दोनो तेरी गंद मार लेंगे
नरेश- – (ऋतु की च्चती को सहलाते हुए) नही मेरी जान मुझे माफ़ कर साले बड़े मोटे लॉड वेल है मैं मार जवँगा तू जैसे बोलेगी तेरा साथ दूँगा
राजेश- क्या फुसफुसा रहे हो तुम दोनो इधर आ ऋतु जान तेरी जवान च्चती का मज़ा मैं भी लूँगा साली तू तो हमारी मंडली की प्रिया भाभिजी हो जिसकी छूट के दीवाने सारे नौकर है आओ आज तुझे छोड़ के अपनी अपनी पुरानी साध पूरी कर लें
ऋतु- (कामुकता से) हाँ आओ मर्दों मेरे असली वेल मर्द के आने से पहले मेरे हर एक च्छेद को अपने लॉड से भर दो छोड़ डालो मुझे जी भर के ऋतु की जवानी पर राज करो मेरे राजाओ आओ छोड़ो मेरी नशीली और कामुक छूट को मेरी मस्त टाइट गंद को एक मेरे मूह मे लौद अदलो और दो मर्द मेरी जवान तनी हुई च्चती से खेलो मैं तुम सबके लॉड को मसलूंगी खेलूँगी कहूँगी और मस्त चुड़ूँगी सब लोग मिलके जहड़ना मेरे मूह मे सबकी मलाई कहूँगी आज
ऋतु की इतनी कामुक बाते सुनते ही सभी नौकरों ने अपने कपड़े उतार दिए 5 मोटे मूसल लंड ऋतु की जवानी की ऊवार बड़े और उसके नंगे जिस्म से लिपट गये ऋतु ने भी तीन लुंडो को अपने च्छेदों मे डाला और दो लुंडो लो मूठ मरने के लिए हाथों मे जाकड़ लिया
ऋतु – आओ राजा छोड़ो अपनी जवान और न्नगी ऋतु को मुझे प्यासा मत छ्चोड़ना कसम है जो कोई भी लॉडा आज मेरी गरम छूट से बच के गया तो तू क्या सोच रहा है रे नरेश
नरेश- हाए मेरी जान आज सचसी मे तेरी छूट मरने को मिलेगी भगवान से आज और भी मननगा होता तो शायद मिल जाता
ऋतु- क्या माँगा था तूने
नरेश- आज रत को मूठ मार के सोते समय यही सोचा था की काश तू छोड़ने को मिल जाए तो रत मस्त गुजर जाए अगर पता होता तो……….
ऋतु- (नरेश को अपनी च्चती की ऊवार खींच के उसके कन मे ) तो किसकी बर छोड़ने की माँगता बता ना साले तेरी प्यारी चुदसी भाभी हूँ
नरेश- (ऋतु के कन मे) तो रागिनी मेंसब् की बर माँगता री कम से कम आज रत तो कई रोज उस कामिनी की कामुक जवानी के बारे मे सोच के मूठ मारी है जैसे तू आज मिली काश किसी दिन वो भी न्नगी होके मेरे लॉड के नीचे आ जाए तो जिंदगी बन जाए
इधर रागिनी खिड़की के पास खड़ी ती उसे सुनाई दे गया और उधर किरण की खिड़की तक यह संवाद नही पहुँचे रागिनी का मूह लाल पद गया उसे जब उसकी ही हवेली का कुँवारा नौकर छोड़ना चाहता है तो इसका मतलब है की सारे नौकर उसकी जवानी को चूसना चाहते होंगे उसकी बर ने लसलसा के और पानी छ्चोड़ दिया वो समझ गयी जो मूली वो किचन से चुरा के लाई थी उसे कम मे लाना होगा काहिर वो चुदाई का अगला नज़ारा देखने लगी
इधर ऋतु अपनी छूट गंद और मूह के साथ साथ दोनो हाथों मे लंड पकड़े हुई थी और मस्त चुदाई का मज़ा ले रही थी उसकी कामुक जवानी को पाँच जवान लॉड मस्ल रहे थे और उसकी सिसकारी कमरे मे गूँज रही थी
नरेश- धीरे धीरे मचल साली कोई सुन लेगा
ऋतु- (झूठ बोलते हुए)कोई नही है साले आज इस हवेली मे नौकरों को छ्चोड़ के सब साहेब और मेमसाहेब लोगो को मैं खुद शादी के लिए छ्चोड़ के आई हूँ सालो अपनी अपनी मर्दानगी का ज़ोर लगाओ और छोड़ डालो ऋतु को
बाबू- साली तू चूड़ना च्चती है तो और ज़ोर से चिल्ला और बता किस तरह से हम पाँचो तेरी कामुक जवानी को उधेड़ डाले साली इसीलिए आज न्नगी घूम रही है हवेली मे ताकि पाच पाँच लॉड तेरी छूट का बाज़ा बाज़ा सके
ऋतु- सालो तुम पाँच छोड़ुव को बताना पड़ेगा मेरे हर च्छेद मे अपनी मलाई दल दो मुझे इस मेज पर अपनी अपनी मलाई गिरा के चटवओ मेरी गंद का छेड़ चतो उसे उंगली से चौड़ा करो इतना चौड़ा की मेरे पति कल छोड़े तो जान जाए की तुम लोगो मे मेरी गंद और बर दोनो मारी है