मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त – Meri Sex Story

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sexy
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Re: मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त – Meri Sex Story

Unread post by sexy » 22 Sep 2015 11:24

गुल-चुप कर बदमाश बहुत बोलने लगी हो तुम.
मेरी नज़र बार बार गुल दीदी के उरजों के उपर जा रही थी जो की काफ़ी बड़े बड़े थे. लगभग 34द साइज़ था उनका. मैने थोड़ा झीजकते हुए उनके उरजों की तरफ इशारा करते हुए दीदी से पूछा.
रीता-दीदी आपके ये इतने बड़े कैसे हो गये.
मेरी बात सुनकर दीदी एक दम से चौंक गई और मेरा कान पकड़ते हुए बोली.
गुल-किस से सीखी तुमने ये सब बातें लगता है अब तुम्हारे स्कूल में जाना पड़ेगा मुझे.
रीता-दीदी मैं तो ऐसे ही पूछ रही थी.
गुल-ऐसे कैसे पूछ रही थी आप.
मैने अपने उरजों को पकड़ते हुए कहा.
रीता-अब देखो ना दीदी मेरे ये कितने छ्होटे हैं और आपके कितने बड़े. क्या आपने किसी से खिचवाए हैं दीदी.
गुल-चुप कर पागल कही की. अरे पगली ये नॅचुरल होता है जैसे जैसे आपकी एज बढ़ेगी तो ये भी बढ़ते जाएँगे.
मैने शरारात में कहा.
रीता-नही दीदी मुझे तो अभी बड़े करने है ये.
गुल-अरे ओह पागल लड़की तेरे उरोज तेरी एज के हिसाहब से बड़े है. जब तू मेरी एज में आएगी तो देखना मेरे उरजों से भी बड़े हो जाएँगे ये.
रीता-वाउ क्या सच में ऐसा होगा दीदी.
गुल-एस चलो अब मुझे पढ़ने दो. वैसे भी अंधेरा हो गया है या तो यही सो जयो आप वरना घर पे जयो जल्दी चाची जी फिकर कर रही होंगी.
रीता-ओक दीदी. बाइ.
मैं दीदी के घर से बाहर निकली तो बाहर काफ़ी अंधेरा हो चुका था. मैं अपने घर की तरफ चलने लगी. आचनक मुझे पीछे से किसी ने मज़बूती के साथ दबोचा और एक हाथ मेरे मूह पे रखते हुए मुझे एक साइड में खीचते हुए ले गया. गुलनाज़ दीदी के घर के साथ साथ एक गली मुड़ती थी वो मुझे वही पे ले गया और गली में जाकर उसने मुझे दीवार के साथ सटा दिया. मैं जी तोड़ कोशिश कर रही थी उस से च्छुतने की मगर बहुत मज़बूती से उसने मुझे थाम रखा था. अब मेरा चेहरा दीवार की और था वो बिल्कुल मेरे पीछे मेरे साथ सात कर खड़ा था. उसका एक हाथ मेरे मूह पे था तो दूसरा हाथ मेरे पेट पे था जिसकी वजह से वो मुझे मजबूती से पकड़े हुए था. उसने अपना चेहरा मेरे कानो के पास किया और कहा.
‘ही डार्लिंग कब से तुम्हारा इंतेज़ार कर रहा हूँ‚
आवाज़ को सुनते ही मैं पहचान गई की ये आकाश था. मुझे थोड़ी रहट मिली ये सुन कर की ये आकाश ही है. लेकिन उसकी हरकत पे अब मुझे गुस्सा आने लगा था. उसने मेरे मूह पे से हाथ हटा लिया और दोनो हाथ मेरे पेट पे फिरने लगा. मैने गुस्से से उसे कहा.
रीता-आकाश ये क्या बट्मीज़ी है छोड़ो मुझे.
आकाश-बड़ी मुश्क़िल से हाथ लगी हो अब कैसे छोड़ दम तुझे.
रीता-देखो आकाश हड्द होती है बेशर्मी की. मुझे तुमसे ये उमीद नही थी.
आकाश-मैने कोन सा तुम्हे उमीद रखने को कहा था.
अब उसने मेरी टी-शर्ट को थोड़ा उपर उठा दिया था और उसके हाथ मेरे नंगे पेट पे घूमने लगे थे और उसके होंठ मेरी गर्दन पे घूम रहे थे. मेरे शरीर में उसकी च्छेद-च्छाद की वजह से कुरृूणत उठने लगा था.
मैने एक दफ़ा फिरसे उसे मिन्नत भरे स्वर में कहा.
रीता-आकाश प्ल्स तुम समझते किउन नही अगर किसी ने देख लिया तो बहुत बदनामी होगी मेरी.
आकाश-कोई नही आएगा इस अंधेरे में डार्लिंग तुम बस मज़े लो.
अब उसका एक हाथ मेरी योनि पे चला गया था और वो उसे लोवर के उपर से मसालने लगा था. मैं अब पिघलने लगी थी और हल्की हल्की सिसकारियाँ मेरे मूह से निकल रही थी. उसके होंठ मेरे होंठों तक आना चाहते थे लेकिन मैं अपने होंठों को दूसरी तरफ कर लेती थी. शायद मैं नही चाहती थी की वो मेरे होंठ चूसे या शायद ये जगह सही नही थी इस सब के लिए.
तभी हमारे कानो में किसी के कदमो की आवाज़ आई. शायद कोई उसी तरफ आ रहा था. आवाज़ को सुनते ही जैसे ही आकाश की पकड़ मुझ पर थोड़ी ढीली हुई तो मैं एक दम से उसकी गिरफ से निकल गई और भागती हुई घर में आ गई.

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Re: मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त – Meri Sex Story

Unread post by sexy » 22 Sep 2015 11:24

आकाश से बचकर में घर में आ गई और घर आकर मुझे थोड़ी रहट मिली. मैने भैया न्ड आंटी-पापा के साथ मिलकर खाना खाया और अपने रूम में जाकर सो गई.
सुबह हुई तो मैं बिस्तेर से उठ गई. आगे जिस रीता को हिला हिला कर उठना पड़ता था वो आज खुद ही उठ गई थी. आंटी मेरे रूम में आई और मुझे उठी हुया देखकर हैरान होती हुई बोली.
आंटी-आज ये ग़ज़ब कैसे हो गेया. मेरी रीतू आज खुद ही उठ गई.
मैने आंटी को हग किया और उनके गाल पे किस कराती हुई बोली.
रीता-आज से रीतू अपने आप ही उठेगी.
आंटी ने भी जवाब में मेरे फोरहेड पे किस की और कहा.
आंटी-बहुत अच्छे मेरी स्वीतू. चल बाहर आकर नाश्ता कर ले.
रीता-आप त्यार रखो मैं रीडी होकर आती हूँ.
आंटी-आज कहाँ जाना है तुझे.
रीता-स्कूल जाना है आंटी और कहाँ.
आंटी-ओये रीतू आज सनडे है.
रीता-क्या…?
आंटी-और नही तो क्या तू कैसे भूल गई सनडे को.
मेरे दिमाग़ में आया अरे आज तो सचमुच सनडे है.
रीता-हन आंटी आज तो सनडे ही है.
फिर मैं और आंटी ड्रॉयिंग रूम में आकर बैठ गये और चाय पीने लगे. हॅरी भैया भी हमारे पास आकर बैठ गये और आंटी ने उनको भी चाय दी. फिर मुझे कुछ याद आया और मैने भैया से कहा.
रीता-भैया आज मुझे मार्केट जाना है.
हॅरी-क्या काम है तुझे.
रीता-भैया मुझे बुक्स लेनी है.
हॅरी-तो जाकर ले आ.
रीता-नही मैं आपके साथ जौंगी.
हॅरी-मेरे पास टाइम नही है.
रीता-आज सनडे तो है भैया प्ल्स चलो ना.
आंटी-हॅरी बेटा जयो बची के साथ.
हॅरी-पर आंटी….
आंटी-पर… वॉर कुछ नही तू रीतू को लेकर जाएगा तो बस लेकर जाएगा.
हॅरी-ओक जैसा आप कहें.
और भैया उठ कर अपने रूम में चले गये. मैने देखा जाते वक़्त भैया का चेहरा थोड़ा मुरझाया हुया था. मैने अपनी चाय ख़त्म की और उठ कर भैया के रूम की और चल पड़ी. कीनकी भैया को मैं उदास नही देख पाती थी. उनके रूम का दरवाज़ा खुला ही था. मैं अंदर गई तो देखा भैया फोन पे किसी के साथ बात कर रहे थे. उनकी पीठ मेरी तरफ थी.
मैं चुपके के उनके पास गई और बातें सुन ने लगी.
हॅरी-करू यार तू समझती किउन नही मुझे अपनी रीतू के साथ मार्केट जाना है आज.
इतना बोल कर भैया चुप हो गये शायद दूसरी तरफ से कोई कुछ बोल रहा था.
हॅरी-नही करू यार आज नही आ पौँगा समझा कर तू बची थोड़े ना है.
फिर भैया चुप हो गये और फिर एक दम से बोले.
हॅरी-अरे करू करू सुन तो……
और फोन कट गया या शायद करू मेडम ने काट दिया.
फोन कट होते ही भैया मेरी तरफ घूमे और मुझे देखते ही उनके होश उस गये.
हॅरी-अरे रीतू…तुम यहाँ कब आई.
मैने अपनी कमर पे हाथ रखते हुए भैया को घूराते हुए पूछा.
रीता-भैया ये करू कोन है.
भैया अंजान बनते हुए बोले.
हॅरी-क.क.क.कोन करू….मैं किसी क.क.करू को नही जनता.
रीता-ज़्यादा होशियार मत बनो सीधे-2 बताओ वरना मैं आंटी को बतने चली की भैया किसी करू से बात कर रहे थे.
और मैं वहाँ से चलने को हुई तो भैया ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने बेड पे बिठा लिया और कहा.
हॅरी-नही नही रीतू आंटी को कुछ मत बठाना प्ल्स यार.
रीता-तो मुझे बताओ मज़रा क्या है.
हॅरी-रीता यार करुणा मेरी गर्ल-फ़्रेंड है.
रीता-ओह वाउ यानी की मेरी भाभी.
हॅरी-हन हाँ तेरी भाभी.
रीता-तो क्या बोल रही थी मेरी भाभी.
हॅरी-यार हमने आज मिलने का प्रोग्राम बनाया था मगर आज मुझे तुम्हारे साथ जाना है जब मैने ये सब उसे बताया तो वो नाराज़ हो गई और फोन काट दिया.
रीता-ऐसा किया उन्होने. ज़रा दुबारा लगाओ फोन मैं बात कराती हूँ.
हॅरी-नही नही रहने दे रीता अब.
रीता-आप लगते हो या ज़ाऊ आंटी के पास.
हॅरी-रुक रुक लगता हूँ मेरी मा.
भैया ने भाभी का नो. मिलाया और मुझे फोन दे दिया. उधर से भाभी ने फोन उठाया और कहा.
करू-हन अब क्या है.
रीता-हेलो हेलो इतना गुस्सा और वो भी रीता के सामने.
भाभी हड़बड़ते हुए.
करू-सॉरी सॉरी रीता मुझे लगा हॅरी का फोन होगा.
रीता-कोई बात नही. नमस्ते भाभी.
करू-नमस्ते रीतू. कैसी हो तुम.
रीता-एक दम पर्फेक्ट आप बताओ मेरे भैया पे गुस्से किउन हो रही थी आप.
करू-नही नही रीता वो तो बस ऐसे ही मज़ाक कर रही थी मैं.
रीता-अछा अब ध्यान से सुनो आप. मैं और भैया मार्केट आ रहे हैं और ठीक 10आम पे आप भी मार्केट पॉंच जाना कीनकी मुझे अपनी भाभी को देखना है.
करू-एस ये हुई ना बात मेरा भी छिलकोज़ू से मिलने का बहुत मॅन कर रहा था और आज तो अपनी ननद से भी मिल लूँगी मैं.
रीता-ये छिलकोज़ू कोन है.
करू-हॅरी और कोन. मैं प्यार से उसे छिलकोज़ू ही भूलती हूँ.
रीता-अरे वा. ओक तो मैं और छिलकोज़ू आ रहे हैं आपसे मिलने.
करू-ओक रीतू.
भैया हमारी बातें सुन कर मुस्कुरा रहे थे.
मैने उन्हे फोन देते हुए कहा.
रीता-छिलकोज़ू जी अब जल्दी से रीडी हो जयो.
हॅरी-रीतू तू भी अब करू की बोली बोलने लगी.
रीता-भाभी छिलकोज़ू बुलाती हैं तो कोई प्रोब नही मैं बुलाती हूँ तो जनाब को गुस्सा आ रहा है.
अब जल्दी से रीडी होकर बाहर आयो.
10आम मैं और भैया बाएक पे मार्केट के लिए निकल पड़े. मैने आज वाइट कलर का टाइट पाजमी सूट पहना था. जब मैं और भैया घर से निकले तो आकाश अपने दोस्तो के साथ वहीं खड़ा था. जब हम उसके पास से गुज़रे तो मैने जान बुझ कर अपनी एक टाँग उठाकर दूसरी के उपर रख ली ताकि अपने टाइट पाजमी में क़ैद गोरी जाँघ आकाश को दिखाकर उसे जला सकुन.

मैं और भैया मार्केट पॉंच चुके थे और मैने एक बुक शॉप से जो बुक्स लेनी थी वो भी ले ली थी. अब मुझे भूख लगी तो मैने भैया को कुछ खिलाने के लिए बोला. भैया ने बाएक स्टार्ट की मुझे पीछे बिठाया और हम पास में ही एक बहुत ही अच्छे रेस्टौरेंट में जाकर बैठ गये. हमने जूस ऑर्डर किया और करू भाभी का इंतेज़ार करने लगे. भैया ने फोन करके भाभी को उसी रेस्टौरेंट पे आने को बोला था. हमने जूस ख़त्म ही किया था की एक बहुत ही सुंदर लड़की अपनी स्कॉटी स्टॅंड पे लगाकर हमारी तरफ आने लगी. जैसे ही वो हमारे पास आई तो भैया ने उठ कर उसे हग किया और कहा.
हॅरी-रीतू ये है तुम्हारी भाभी करुणा.
मैने भी उठ कर भाभी को गले लगाया और उन्हे बेठ्ने के लिए कहा. वो हमारे साथ ही बैठ गई और भैया ने भाभी से पूछा.
हॅरी-कुछ पियोगी करू.
करू-एस तुम्हारा खून.
भाभी की बात सुनते ही मुझे हसी आ गई.
हॅरी-अब क्या हुया यार.
करू-मुझे ये बताओ तुमने माना किउन किया था मिलने से.
हॅरी-करू यार अब छोड़ भी पूरेानी बातें देख रीतू तुझसे मिलने आई है.
मैने देखा भैया मेरा नाम लेकर दाँत से बचना चाहते थे.
रीता-नो नो भाभी हम बाद में मिलेंगे पहला आप भैया का खून पियो जी भर के.
मेरी इस बात से भाभी और भैया दोनो मुस्कुराने लगे और भाभी हस्ती हुई बोली.
करू-हॅरी ये बिल्कुल वैसी ही है जैसा तुमने बताया था. एक दम क्यूट सी गुड़िया.
अब भाभी को क्या पता था की उनकी इस क्यूट सी गुड़िया ने कैसे अपने जलवे दिखाकर आकाश के होश उसा रखे हैं.
हॅरी-हन करू ये हमारे घर में सबसे प्यारी है शादी के बाद तुझे भी इसका पूरा ख़याल रखना पड़ेगा.
करू गुस्से से भैया को देखते हुए बोली.
करू-शादी तो तभी होगी जब तुम बात आगे बाधाओगे. एक दम घूनचू हो तुम.
मैं ‘घूनचू‚ वर्ड सुनते ही फिरसे हासने लगी और धीरे से कहा.
रीता-भैया का दूसरा नाम ‘घूनचू‚

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Re: मैं चीज़ बड़ी हूँ मस्त मस्त – Meri Sex Story

Unread post by sexy » 22 Sep 2015 11:24

भैया को मेरी कही ये बात सुन गई और वो बोले.
हॅरी-रीतू तू भी इसके साथ मिल गई.
करू-मेरी ननद है वो मेरा ही साथ देगी.
हॅरी-तुम्हारी ननद बाद में है पहले मेरी बेहन है वो समझी.
करू-अरे तो जल्दी से अपने पेरेंट्स से बात करो ना शादी की ताकि ये रीतू मेरी ननद बने और में इसे जी भर के प्यार करू.
भाभी की बात सुनते ही मेरे दिमाग़ में घंटी बाजी ‘कहीं करू भाभी लेज़्बीयन तो नही‚
हॅरी-करू यार मुझे समझ नही आ रहा मैं कहाँ से बात शुरू करू आंटी पापा के साथ.
करू-मुझे नही पता मैने भी तो अपने आंटी पापा से बात की है अब तुम किउन नही कर रहे हो.
अब मैने उन्हे रोकते हुए कहा.
रीता-आतटेनसीओं प्लीज़. इस मामले में मैं आपकी हेल्प कर सकती हूँ.
मेरे मूह से ये बात सुनते ही वो दोनो अपनी चेर‚स उठाकर बिल्कुल मेरे पास आ गये और भाभी उत्सुकता के साथ बोली.
करू- वो कैसे रीता. वैसे मुझे पता है मेरी स्वीतू ही ये काम कर सकती है.
हॅरी-हन हाँ स्वीतू बता ना कैसे.
रीता-आप लोग शादी की टेंशिोन छोड़ दो.
मेरी बात सुनते ही भाभी बोली.
करू-ये लो भाई घूनचू और बेहन महा घूनचू. अरे पागल अगर टेंशिोन ही छोड़ दी तो शादी कैसे होगी.
रीता-ओह हो भाभी पूरी बात तो सुनो. मेरा मतलब था की शादी की बात मैं करूँगी घर में आप टेंशिोन मत लो मगर मेरी भी एक शरात है.
करू-अरे तू बोल ना मुझे सारी शर्तें मंज़ूर है.
रीता-देखो देखो कितनी जल्दी है शादी की.
करू-जब तेरे सामने ऐसी सिचुयेशन आएगी ना तब पूछूंगी तुझसे.
रीता-ओक ओक अब शरात सुनो.
‘मुझे एक मोबाइल चाहिए वो भी महनगा वाला‚
करू-अरे बस इतनी सी बात. पक्का रहा तेरी भाभी तुझे मोबाइल दिलाएगी.
रीता-ओक तो फिर कुछ दिन सबर करो. जल्दी ही गुड न्यूज़ मिलेगी आपको.
करू भाभी ने मेरी गालों पे किस करते हुए कहा.
करू-तू सचमुच कमाल की है रीतू.
हॅरी-रीतू यार ध्यान से बात करना घर पे.
रीता-भैया आप जानते तो हो मुझे. वैसे भी भाभी अब मुझे पसंद आ गई हैं अब तो ये ही मेरी भाभी बनेगी.
करू-ओक तो चलो अब सबसे पहले रीतू को मैं फोन दिलौंगी.
हॅरी-छोड़ ना करू मैं दिला दूँगा इसे.
करू-ऐसे कैसे अपनी ननद को मोबाइल के रूप में पहला गिफ्ट मैं ही दूँगी.
फिर हम एक मोबाइल की शॉप में गये और मैने काफ़ी मोबाइल्स देखे और आख़िर में नोकिया न97 मुझे पसंद आ गया और उसके साथ टाटा डोकोमो का कनेक्षन मैने ले लिया. करू भाभी ने बिल पे किया और हम वहाँ से निकालकर फिरसे रेस्टौरेंट में आ गये. बहुत भूख लग रही थी हमने वहाँ से लंच किया और फिर भाभी और मैने मॉब. नो एक्सचेंज किए और मैं और भैया भाभी को बाये बोल कर घर की तरफ निकल पड़े.
रास्ते में भैया ने मुझसे पूछा.

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