मेरी बेकाबू जवानी compleet

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raj..
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Re: मेरी बेकाबू जवानी

Unread post by raj.. » 06 Nov 2014 22:45

raj sharma stories
मेरी बेकाबू जवानी--8


गतान्क से आगे......

घर पे आते ही जब मे सिदःईYआ चढ़ रही थी की तभी पति जी सामने आ गये और मेरे होंठो को चूम के मुझे बाँहो मे उठा लिया और मेरे ससुराल मे ले गये. पति जी ने मुझे घर के अंदर ले जाके सोफे पे बिठा दिया और खुद मेरे पैरो के बीच मे बैठ गये. फिर अपना पूरा जिस्म मेरे जिस्म से लगा दिया और मेरे होंठो को पागलो की तरह चूमने और काटने लगे. मेने उनसे अपने होंठो को छुड़ाने की काफ़ी कोशिश की लेकिन पति जी ने मुझे और भी बहरहमी से होंठो को चूमा और कटा. मेरी आँखो मे आसू भी आ गये थे. फिर 10 मिनट की लड़ाई के बाद उन्होने मुझे छोड़ दिया. मेने सिर को झुकाते हुए पति जी से पूछा “ पति जी कॉलेज मे मुझे बताया गया था कि मेरी मम्मी की तबीयत खराब है “. पति जी ने मुझे फिर से हल्के से चूमा और कहा “ पहले शांत हो जाओ, क्या तुम्हे मेरे उपर ज़रा सा भी विश्वास नही है, तुम्हारी मम्मी मेरी भी तो सास हुई ना, तो क्या मे अपनी प्यारी पत्नी की मम्मी को कुछ होने दूँगा”. फिर से मेरे होंठो को चूमते हुए मुझे बाँहो भर के मुझे बेडरूम ले गये और मुझे बेड पीठ के बल लिटा दिया. फिर पति जी पूरे नंगे हो गये और मेरे उपर लेट गये. पति जी ने मेरे पूरे जिस्म को चूमा और धीरे धीरे करके कॉलेज ड्रेस को निकाल दिया और अपनी अलमारी मे रख दिया. पति जी मेरे बाजू मे आके सो गये और मेरा सिर अपनी छाती के उपर रख दिया और अपने हाथो को मेरे बालो मे घुमाने लगे, मे भी उनकी छाती को चूमने लगी और निपल को चूस ने लगी. इस दौरान पति जी ने कहा “ जया मे आज सुबह तुम्हारे घर गया था, मे तुम्हारी मम्मी-पापा से बात कर रहा था, तुम्हारी मम्मी ने मुझे बताया कि “ भाई साहिब कोई छोटी सी नौकरी हो तो बताना क्यूंकी मे ज़्यादा पढ़ी लिखी नही हू और मेरा समय भी बीत जाए”. दर असल मे भी उन्हे कोई नौकरी करने के लिए ही कहने गया था ताकि हम दोनो पति पत्नी के जैसे रह सके और जिस्म की प्यास को बुझा सके. मे ने ये सुनते ही उनको कहा कि “मेरी पहचान काफ़ी कॉलेज मे है, अरे हा! नज़दीक मे ही एक मुस्लिम कॉलेज है और वाहा पर बच्चो का ख़याल रख सके ऐसी किसी औरत की ज़रूरत है, लेकिन उसमे एक दिक्कत है कि आपको ज़्यादा वक़्त देना पड़ेगा, आपको सुबह 9 बजे से सम को 6 बजे तक वाहा नौकरी करनी पड़ेगी, अगर आपके पति और आपको मंजूर हो तो मे उनसे अभी बात कर लेता हू”. मुस्लिम कॉलेज सुनते ही वो खुश हो गयी और तुरंत हा कर दिया. मेने भी मुस्लिम कॉलेज मे फोन करके तुम्हारी मम्मी की नौकरी पक्की कर दी. मेने कहा “ तो आज से ही आपको कॉलेज मे जाना है”. मेरी बात सुनते ही वो खुश हो गयी, तभी तुम्हारे पापा ने कहा “ अरे लेकिन जया को तो पता नही चलेगा और वो घर बंद देखे गी तो रोने लगेगी”. मेने कहा “ जया की चिंता आप मत कीजये, वो जब कॉलेज से आएगी तो मे उसे बता दूँगा के आप के साथ क्या हुवा है, वो भी इस बात को सुनके खुश हो जाएगी”. पूरी बात सुनके बाद मुझे पति जी के उपर बहुत प्यार आने लगा और मेरी आँखो मे से ख़ुसी के आसू भी आगये और मेने उनके होंठो को चूमने लगी. पति जी मेरे उपर आके अपने लंड को चूत मे डाल के मुझे चोदने लगे, काफ़ी देर ऐसे ही चोदने के बाद पति जी अपने लंड को तेज़ी से अंदर बाहर करने लगे और मेरे जिस्म को अपने हाथो से, मेरे चेहरे और गर्देन को अपने होंठो से काटने लगे. मे इस प्यार से काफ़ी उत्तेजित हो गयी त्ज और दोनो हाथो से पति जी के पीठ को नखुनो से नोच दिया और खून भी निकाल दिया. ऐसे ही करते हुए मे 3 बार पानी निकाल चुकी थी और पति जी 2 बार. फिर हम दोनो ऐसे ही थोड़ी देर के लिए सो गये. मुझे बहुत जोरो से भूक लगी थी इस लिए मेरी नींद टूट गयी. मेने घड़ी मे देखा की अभी 12 बजे थे. मेने देखा कि पति जी मेरे स्तन पे सिर रख के सो रहे थे, मेने उन्हे अपनी बाँहो मे भरते हुए उनके माथे को, आँखो को, गालो को और होंठो को चूम लिया. तुरंत ही नींद से जाग गये और मुझे अपनी बाँहो मे भरते हुयर् मुझे चूम ने लगे, मेरा चेहरा और गर्दन पूरे उनकी होंठो के पानी से भीग गये. फिर पति जी ने कहा “ जया आज से जब भी तुम अपने ससुराल मे होगी तब हम दोनो बिल्कुल नंगे ही होगे, हमारे जिस्म पे कोई कपड़ा नही होगा, हम दोनो जब चाहे तब एक दूसरे के जिस्म को पकड़ के अपना प्यार जाता सके, आइ लव यू जया”. मेने कहा “ पति जी वैसे भी मुझे बिना कपड़े रहना बहुत अच्छा लगता है, आइ लव यू पति जी”. फिट पति जी खड़े हुए और मुझे अपनी बाँहो मे उठा के किचन मे ले गये. किचन मे उन्होने मुझे चूल्‍हे के पास खड़ा किया और खुद भी बाजू मे खड़े हो गये. पति जी ने कहा “ जया अभी मे नाश्ता बनाता हू, तुम देखना के कैसे बनाता हू, क्यूंकी एक पत्नी का कर्तव्य है के वो उनके लिए खाना बनाए, उन्हे अपने हाथो से खिलाए और उनका ढेर सारा प्यार पाए”. मेने सिर झुकाते हुए कहा “ हा पति जी मैं भी यही चाहती हू के आपको और काम ना करना पड़े मैं ही सारा काम कर लूँगी, जैसे मम्मी करती है”. पति जी ने कहा “ वह मेरी जया रानी तुम ने तो मुझे बहुत खुस कर दिया, तुम्हारी बाते हमेशा मीठी ही होती है तुम्हारे होंठो की तरह”. इतना कहते उन्होने मुझे चूम लिया और मुझे चूल्‍हे के पास खड़ा किया और वो मेरे पीछे आ गये, मेरे पीछे आते ही उनका मोटा सा लंड मेरी गन्ड पे लगने लगा, मुझे थोड़ी सी उतेजना हो गयी और मेने भी अपनी गाड़ को थोड़ा सा पीछे ले जाके उनका लंड दबाया. पति जी मेरे इस बर्ताव को देख के मुझे और ज़ोर से पकड़ लिया और मेरी गर्देन को चूम ने लगे. फिर हम दोनो ने नाश्ता बनाया और साथ मे खा भी लिया. पति जी ने कहा “ जया रानी हम दोपहर को सिर्फ़ नाश्ता ही करेंगे, जब मे तुम्हे चोद रहा हुंगा तो तुम्हारा पेट खाली हो ने की बजाह से तुम्हे अच्छा लगेगा”. मेने कहा “ जैसा आप कहे, लेकिन पति जी मैं काफ़ी थक जाती हू, मम्मी कहती है कि थकान हो तो दूध पीना चाहिए”. पति जी ने कहा “ अरे वह जया ऐसे ही तुम अपने जिस्म का ख़याल रखना, रही बात दूध की फ़्रीज़ मे बहुत सारा दूध है तुम उसे पे लेना, ठीक है”. फिर नाश्ता और दूध के बाद हम दोनो हॉल मे सोफे पे जाके बैठ गये. पति जी मेरे बाजू मे अपने लेफ्ट हाथ को मेरी गर्दन मे डालते हुए मुझे चूमने लगे. मैं भी उन्हे चूमने लगी. मुझे बहुत ही अजीब सा लग रहा था के अब तक मैं जिस इंसान को जानती नही थी उसी के साथ नंगी बैठी हुई हू. पति जी मुझे 15 मिनट तक किस करते रहे. फिर उन्होने मुझे कहा “ जया तुम्हारे गले मे मंगलसूत्र बहुत अच्छा लग रहा है, खास करके जब वो तुम्हारे दोनो स्तन के बीच मे आता है, जया मैं चाहता हू कि तुम्हे और भी गहने पहनाऊ”. मेने कहा “ हा पति जी मुझे भी गहने पहनने काफ़ी शौक हे”. पति जी ने कहा “ अच्छा तो मैं अभी ही ज्वेलरी शॉप मे जाके तुम्हारे जिस्म को पूरा गहने से सज़ा दू ऐसे सारे गहने लेके आता हू, तुम इतनी देर मे अपना होमवर्क ख़तम कर दो”.

raj..
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Re: मेरी बेकाबू जवानी

Unread post by raj.. » 06 Nov 2014 22:46



फिर पति जी ज्वेलरी की शॉप मे मेरे लिए बहुत सारे गहने लेने के लिए चले गये.मे अपने ससुराल मे नंगी ही घूम रही थी. मे घर की हर चीज़ को देख रही थी.मेने हॉल मे और आसन वाले रूम मे बहुत सारी नंगी लड़कियो की तसबीर देखी, उसमे से ज़्यादातर पैंटिंग की हुई नंगी तस्वीरे थी. कई तो राजा महाराजे के सेक्स की तस्वीरे थी. मैं जब बेडरूम मे आई तो देखा की अलमारी की बाजू वाली दीवाल पर एक औरत की तस्वीर थी, वो काफ़ी खूबसुरुत थी, उसने अपने बाल खुले रखे थे और एक लाल रंग का कुर्ता पायजामा पहना था, उस तस्वीर के नीचे लिखा था “ स्वर्गीय कविता शर्मा”.मैं समझ गयी की ये मेरे पति जी की पहली पत्नी है, इसलिए मेने दोनो हाथो को जोड़ के उन्हे प्रणाम किया और हम दोनो के आने वाले कल के लिए आशीर्वाद भी माँगा.फिर मे उस कुर्ते को खोजने के लिए अलमारी को खोला. मेने देखा कि उसमे एक भाग मेरे लिए बना था और उस पर मेरा नाम “श्रीमती जया राज शर्मा” और एक भाग मेरे पति देव का था., मैं अपना नाम देख के काफ़ी शर्मा गयी. मेने मेरे भाग मे देखा कि उसमे सारे कपड़े जो बड़े घर की लड़किया पहनती है वैसे थे. जीन्स, टॉप, कुर्ता, पायजामा, लहनगा, चोली, छोटी छोटी चड्डी और ब्रा. मैं उस लाल रंग के कुर्ते पायजामा को खोजने लगी, वो मुझे मिल गया. मेने पहले एक पिंक रंग की चड्डी पहनी, फिर पायजामा पहना जो कि सिल्क का था और वो मेरे जिस्म को गुदगुदा रहा था.फिर मेने कुर्ता पहना, जिस का आगे की ओर का हिस्सा खुला हुवा था, जो मेरे स्तन के आधे हिस्से को बाहर रख रहा था. मेने भी कविता जी के फोटो की तरह खुद को सज़ा दिया और आगे हॉल मे जाके पति जी का इंतेजार करने लगी.
करीब 1 घंटे के बाद पति जी डोर खोलके अंदर आए, मैं भाग के उनके पास चली गयी और उन्हे अपने जिस्म मे लप्पेट लिया.हम दोनो ने एक लंबी किस की. फिर पति जी ने मुझे उनसे थोड़ा दूर करते हुए मुझे सिर से पाव तक देखा और करीब दो मिनट तक देखते ही रहे….,. फिर मेने पति जी के पैरो को छुआ और उन्होने मेरे सिर पे हाथ रख के कहा “ सदा सुहागन रहो”. फिर मुझे अपनी बाँहो मे उठा के बेडरूम मे ले गये.
बेडरूम मे मुझे कविता जी की तस्वीर के पास ले गये और तस्वीर को देख के कहने लगे “ कविता ये जया है मेरी पत्नी और तुम्हारी सोतन…. , कविता ये वही लड़की है जिसका जिकर मे तुम्हे कुछ दिनो से कर रहा था, और मेने तुम्हे वचन भी दिया था कि एक दिन इसे तुम्हारी सोतन बना के ही रहूँगा, तुम्हारे गुजर जाने के पहले हम दोनो अपने जिस्म की भूक को मिटा ते थे वैसे ही आज से मे “ राज शर्मा” अपनी छोटी उमर वाली, कमसिन जवानी से भरी, अपने जिस्म को सिर्फ़ मेरे लिए सजाने वाली, जो हर वक़्त मेरे ख़यालो मे खोने वाली “ श्रीमती जया राज शर्मा “ एक दूसरे की जिस्म की भूक को मिटाएँगे और शायद ये भूक कभी ख़तम ही ना हो”.
मैं ये सब सुनके एक दम पागल सी हो गयी और ये सोचने लगी कि कविता जी और पति देव जी क्या क्या करते थे जिस्म की प्यास को मिटाने के लिए और शरम के मारे अपना मूह उनके गले मे छुपा दिया. पति जी ने ये देखा और बोले “ कविता ये मेरी पत्नी जो है वो बहुत ही शरमाती है बिल्कुल तुम्हारी तरह और मेरी हर बात को अपना कर्तव समझ कर खूब अच्छी तरह उसे निभाती है. सच मे कविता तुम्हारे जाने के बाद मुझे कोई अच्छा साथी नही मिला था, लेकिन अब मुझे मेरी ज़िंदगी मिल गयी है. मैं अपनी पत्नी के जिस्म की प्यास को कभी बुझने नही दूँगा और दिन रात इसके जिस्म को प्यार करूँगा. जया तुमने मेरी पहली पत्नी की जगह लेने की बहुत ही बढ़िया शुरुआत की है”. मेने कहा “ पति जी मेने कविता जी से अपने आने वाले कल के लिए बहुत सारी ख़ुसीया माँगी है”. पति जी मेरी इस बात से खुस हुए और मेरे होंठो को चूम दिया.
पति जी ने मुझे बेड पे बिठा दिया और खुद मेरे पीछे आके बैठ गये और मुझे पीछे से कमर मे हाथ डाल के ज़ोर से पकड़ लिया, मेरा पूरा जिस्म काप गया. फिर उन्होने मेरे बालो को सिर के उपर से ज़ोर से पकड़ के अपने चेहरे की ओर घुमा दिया और मेरे होंठो को किस करने लगे. पहले धीरे धीरे मेरे होंठो को चूमा और फिर कुछ पल के बाद अपने लेफ्ट हाथ से बालो को ज़ोर से पकड़ के मेरे उपले होंठो अपने दोनो होंठो मे दबाते हुए बहुत ज़ोर से काट दिया., उस दोरान मैं काफ़ी तड़प रही थी और मेरे दोनो हाथो को पति जी के पीठ और बालो मे घुमाने लगी और अपनी हाथो की मुट्ठी से नोचने लगी. करीब पाँच या छे मिनट तक उन्होने मेरे दोनो होंठो को ऐसे ही काट दिया और मेने ने उन्हे नोच दिया. मैं बुरी तरह से हाफ़ रही थी क्यूंकी मेरी साँसे भारी हो रही थी. पति जी ने मुझे अपनी छाती से लगा कर मुझे शांत किया. फिर वो मेरे चेहरे को अपने हाथो मे रख के मेरी ओर देखने लगे, उस वक़्त मेरे बाल मेरे चेहरे के पास आ गये थे और मेरे दोनो होठ लाल हो चुके थे, मेने नज़रे नीचे कर ली थी. मेरे इस समर्पण को देखते हुए उन्होने मेरे दोनो होंठो को एक साथ अपने मूह मे ले लिया और हल्के से उनके उपर जीभ घुमाने लगे, मानो वो मेरे होंठो की मालिस कर रहे हो….,. पति जी मेरे लिए इतना सब करने के बाद मेरी नज़र मे सच मच के भगवान बन गये और मेने अपने दोनो हाथो के उनके पैरो के पास ले जाके उनके चरण सप्र्श किए. मेरे ऐसे करने से उन्होने मुझे सिर पे चूमा और मुझे अपनी बाहोमे भरते हुए उनके जिस्म से सटा दिया.
पति जी ने कहा “ जया मे आज तुम्हारे लिए सोने की और चीज़े लाया हू, जैसे पहले मेने सोने की चैन दी थी वैसे ही और भी समय आते मैं तुम्हे पहनाउँगा”. पति जी ने पहले सोने के कंगन मेरे हाथो मे पहनाए, फिर पैरो मे सोने की पायल, कानो मे सोने के झुमके, कमर पे सोने का पट्टा, हाथो मे सोन के बजुबंद, सिर पे सोने का माँग टीका. अंत मे उन्होने एक बक्से मे से एक सोने की करीब 15 तोले की चैन निकाली, जिसके साथ एक लोकेट था, उस लोकेट के एक बाजू मे “ राज & जया “ लिखा था और दूसरी बाजू मे “ जिस्म की प्यास “ लिखा था, यानी ये साफ जाहिर था के हमारा रिस्ता एक दूसरे के जिस्म की प्यास को बुझाने के जिए ही बना है. मेने उस लोकेट की दोनो बाजू को चूमा और पति जी ने मेरे गले मे उसे पहना दिया. उसका वजन काफ़ी ज़्यादा था इस लिए मेरी गर्देन थोड़ी सी झुक गयी तो पति जी ने कहा “ जया पहले के जमाने मे औरत अपना सिर उठा के न चल सके इसलिए उसे भारी सोने की चैन पहना ते थे और ये हर औरत का पति धर्म भी होता है कि वो अपने पति देव की हर बात को सिर झुका कर माने और उस मे पूरा सहयोग दे”.
पति जी ने मुझे बेड से खड़ा किया और मेरे सारे कपड़े जोकि मेने सिर्फ़ उनके लिए पहने थे उन्हे निकाल दिया और मुझे पूरा नंगा कर दिया. उन्होने मुझे बाँहो मे भरते हुए बेड पे पीठ के बल लिटा दिया और खुद मेरे दोनो पैरो के बीच मे आके मेरी चूत के पास अपना मोटा सा लंड सटा दिया. मेरी चूत ने कब पानी छोड़ दिया था मुझे पता ही नही चला, क्यूंकी मे सेक्स मे होती क्रिया से अंजान थी, क्यूंकी मैं अभी भी छोटी बच्ची जैसा ही व्यवहार करती थी. पति जी ने जान लिया था कि मेरी चूत गीली हो चुकी है इसलिए उन्होने मुझे झट से नंगा कर दिया. पति जी अपना मोटा सा लंड मेरी चूत मे डाल ने लगे और मेरे उपर झुक के मेरे होंठो को चूमने लगे. मेरी चूत मे उनका लंड, मोटा होने की बजाह से आसानी से घुस नही रहा था, उन्होने थोड़ा थोडा करते हुए लंड पूरी तरह से चूत मे डाल दिया, उस वक़्त उनके हर एक धक्के से मेरी चूत मे एक नया अहसास हो रहा था, मानो के वो कोई दुख देने वाला दर्द नही बल्कि एक मीठा दर्द करने वाले लंड के ज़रिए पति जी की जिस्म की प्यास बुझाने वाला था. मैं अपने जिस्म की प्यास को बुझाने के लिए पति जी को पूरा सहयोग दे रही थी.
क्रमशः........




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Re: मेरी बेकाबू जवानी

Unread post by raj.. » 06 Nov 2014 22:47

raj sharma stories

मेरी बेकाबू जवानी--9


गतान्क से आगे......

करीब दस मिनट तक वो मुझे ऐसे ही चोद्ते रहे, हम दोनो के जिस्म से पसीना बह रहा था. मेरी इतनी हिम्मत नही थी की मैं पति जी को बोल सकु के अब बस कीजिए, लेकिन मेरे चेहरे के हावभाव से उन्हे लगता था कि मैं थक गयी हू, इसलिए वो थोड़ी देर के लिए लंड को चूत मे से बाहर ना निकालते हुए मेरे उपर ऐसे ही लेटे रहे. उन्होने मेरे चेहरे को देखा, जो कि पूरा पसीने से भीगा हुवा था और मेरे बाल चेहरे के उपर आ रहे थे, पति जी ने बालो को हल्के से हटाते हुए मेरे सिर पे हाथ घुमाने लगे और मेरे गालो पर किस करने लगे. मुझे आजतक इस तरहसे किसी ने प्यार नही किया था, सच कहते है अपने से बड़े इसान का प्यार जितना मिले उतना कम है, आज मुझे यकीन हो गया था बूढ़े इंसान ही छोटे बच्चो को सही प्यार दे सकते है, चाहे वो किसी भी रूप मे हो. मेने उन्हे अपनी बाँहो मे ज़ोर से दबा दिया और अपनी चूत मे अंदर तक गये हुए लंड को और अंदर ले ने के लिए अपने पैरो को पति जी की कमर पे दबाने लगी.
मेरे ऐसे करने से उन्हे ग्रीन सिग्नल मिल गया और तुरंत अपने जिस्म को मेरे जिस्म के उपर सही तरह करते हुए अपने लंड को बाहर निकाला और फिर एक ही झटके मे पूरा का पूरा लंड मेरी चूत मे अंदर तक डाल दिया. इस बार हर धक्के पे लंड को पूरा बाहर निकालते और पूरा लंड चूत मे अंदर डालते थे. वो हर बार लंड चूत मे जानेके बाद मेरे चेहरे को देखते थे, मैं हर बार मेरे होंठो को दांतो तले दबाती थी क्यूंकी मुझे ये मीठा दर्द सहन नही हो रहा था. करीब दस या पंद्रह धक्के के बाद वो शांत हो गये और अपना वीर्य मेरी चूत मे छोड़ दिया, हालाकि मैं इसलिए भी थक गयी थी कि मेरी चूत ने पाँच या छे बार पानी छोड़ दिया था. फिर हम दोनो सो गये.
शाम को 6 बजे पति जी ने मुझे एक हल्की किस करके उठाया और हम दोनो बाथरूम मे जाके फ्रेश हो गये. पति जी ने कहा “ जया अभी तुम्हे अपने मायके जाना पड़ेगा, मेरी सासू मा अभी 7 बजे आती ही होगी”. मैं अपने कॉलेज के कपड़े पहन्के, पति जी का आशीर्वाद लेके अपने घर पे आ गयी. घर मे आते ही मैं अपने बेडरूम गयी और अपना होमे वर्क पूरा करने बैठ गयी, क्यूंकी मुझे रात को अपने पति देव के साथ सोना था और सुबह मुझे वापस कॉलेज भी जाना था. करीब 7 बजे मम्मी और पापा दोनो घर पर आ गये, मुझे पढ़ता हुए देख के मुझे परेशान नही किया. मम्मी ने खाना बनाया और मुझे आवाज़ दी कि जया बिटिया खाना ख़ालो. जैसे ही मैं किचन मे गयी तो देखा कि मेरे पति जी भी वाहा पर बैठे थे, मम्मी ने बताया कि आज उनकी वजह से मुझे नौकरी मिली है तो मैने उन्हे खाने पे बुलाया है. मैं पति जी के बाजू मे बैठ गयी, हम नीचे बैठ के ही खाना खाते थे. मेरा राइट पैर पति जी के लेफ्ट पैर को लग रहा था, उन्होने मेरे पैर की उंगलियो मे अपने पैर की उंगलिया फँसा दी और दबाने लगे. मम्मी ने हम सब की थाली परोसी. खाते वक़्त पापा ने पूछा “ जया तुम्हे राज जी से चावी मिल गयी थी ?”, मेने कहा “ हा पापा और उन्होने ने ही मुझे बताया कि आज कितना ख़ुसी का दिन था मम्मी के लिए”.
मेरी बात को बीच मे ही काट ते हुए पति जी ने कहा “ अरे संजय जी आपकी बिटिया तो बहुत होसियार है पढ़ने-लिखने मे और घर के काम मे भी. मैं ने जब उसे चावी दी और इसकी मम्मी की बात बताई तो उसने कहा “ आप मेरे घर आइए, मैं आपके लिए चाइ बनाती हू” तो मेने कहा “ जया तुम मेरी बेटी की तरह ही हो तुम मेरे इस घर को भी अपना ही घर समझ के यॅन्हा ही चाइ बना लो, हम दोनो साथ मे चाइ पी लेते हैं. चाइ पीते हुए हमने काफ़ी बाते की और तभी मेने जान लिया कि आपकी बिटिया बहुत तेज है, इस लिए मैं चाहता हू कि जया कॉलेज के आने के बाद मेरे साथ मेरे घर मे पढ़े और मैं भी पूरा दिन पढ़ता ही हू तो मुझे भी एक मित्र मिल जाएगा, और उसके कॉलेज की सारी किताबे मेरे पास है और मेने उसे बहुत ही अंदर तक पढ़ा है तो मैं उसे अच्चेसे पढ़ा भी सकूँगा और इसे कोई और ट्यूशन की भी ज़रूरत नही पड़ेगी, हा लेकिन फिस की जगह मैं आपकी पत्नी के हाथ का खाना ज़रूर खाना चाहूँगा”.
पापा ने कहा “ अरे राज जी ये तो बहुत ही बढ़िया बात कही आपने. हम जबसे यहा आए है ये काफ़ी उदास रहती थी. अब आपके साथ रहेगी तो अपने आप को अकेला भी नही समझेगी और उसकी पढ़ाई भी अच्छी तरह से होगी”. पापा ने मुझ से पूछा “ क्यू जया जाएँगी ना राज जी के यहा”. मेने कहा “ हा पापा मे जाउन्गी और खूब अच्छी तरह से उन्हे खुस रखूँगी और इन्हे किसी भी बात की शिकायत का मौका भी नही दूँगी, वो जो कहेंगे वो मानूँगी और जैसा करने को कहेंगे वैसा ही करूँगी”. सब खुस हो गये थे मेरी बात को ले कर, मम्मी पाप को अब मेरी चिंता नही थी, मेरे पति जी भी मेरी उनकी हर बात को मानने वाली बात पर काफ़ी गर्व महसूस कर रहे थे, क्यूंकी एक पत्नी का यही पति धर्म होता है.


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