tabhi rohit room se bahar aata hai aur
rohit- sangita mai bajar tak ja raha hu kuch kam to nahi hai
sangita- bhaiya mujhe to koi kam nahi hai kichan mai bhabhi se punch lo
rohit- kichan mai jata hai aur sandhya ki moti gand ko uski sadi ke upar se sahlate huye meri rani kuch lana to
nahi hai mai abhi thodi der mai ghum kar aata hu,
sandhya palat kar rohit ka land pakad kar dabate huye, mujhe pata hai aap kaha ja rahe hai, yah mua aise hi
thodi khada ho gaya hai un dono randiyo ko aap ne bahar chudidar salwar pahne jate dekha hai aur us salwar
mai to un dono randiyo ke bhari chutado ko dekh kar to achche-achche ka pani chhut jata hai, apni mummy aur
bua ki moti gand sunghte huye unke piche-piche chal diye na,
rohit- sandhya ki moti gand ko apne hantho se dabochte huye sach sandhya ek bar mai bua aur mummy ko bhi
puri nangi karke chodna chahta hu,
sandhya- rohit ke land ke tope ko khol kar sahlati hui, mujhe pata hai tumhe apni bua aur mummy ki moti gand
bahut pasand hai aur khas kar tumhe apni mummy ki moti gand ko khub phaila kar chatne aur khub kas kar
chodne ka bada man karta hai, par tum fikar na karo jab tum meri har bat mante ho to mai kya apne pati ko uski
mummy ki moti gand ko chudwane mai uski madad nahi kar sakti, ab jao nahi to mummy aur bua dur nikal
jayegi,
rohit turant vaha se bahar aata hai tabhi manohar use bula kar
manohar-rohit bete tum sandhya ka khas khyal rakha karo vah hamare ghar mai ek tarah se nai hi hai aur ye lo
kuch pasie aur uski jarurat ka saman lete aana aur ha usse kaho jaruri nahi hai ki vah din bhar sadi mai hi rahe
uske liye kuch achche jeans vagairah le aao, vaise bhi hamare ghar mai parde ki jarurat nahi hai aur phir vah bhi
to sangita ki tarah meri beti hai
rohit- ji papa mai samajh gaya, mai abhi sandhya ko ja kar bolta hu aur phir rohit sandhya ke pas jakar
rohit- janeman tumne papa ki bat to suni hogi ab jao apne kapde change karke unhe bhi apna jalwa dikha do
rohit bahar aakar tej-tej chal deta hai tabhi use kuch aage uski mummy manju aur bua rukmani najar aati hai
dono randiya apne bhari chutado ko matkati hui ja rahi thi rohit piche-piche thodi duri bana kar apni mummy ki
moti gand aur bua ki moti gand ko apne land ko dabate huye dekh raha tha, tabhi bua ki najar rohit par pad jati
hai aur vah apni bahbhi se kahti hai
bua- dekh didi tera beta kaise teri moti gand ko ghurta hua kisi tutte ki tarah apni ma ki gand ke piche laga hua
chala aa raha hai
manju- muskurate huye are vah tere chutado ko dekh raha hai,
bua- are nahi didi vah tere chutado ko ghur raha hai
manju- vah mera beta hai vah tere aur mere dono ke chutado ko ghur raha hai
tabhi manju muskurate huye chalte-chalte apni gand ke chhed ko apne hath se masalte huye chalne lagti hai
aur rohit sochta hai ki mummy ki moti gand ki guda mai khub mithi-mithi khujli ho rahi hai tabhi itna jor se apni
gand khujla rahi hai,
tabhi manju aur bua dono niche sabjiyo ki dukan par jhuk kar bhav-tav karne lagi unke
jhuke hone se unki salwar puri tarah un dono ke bhari chutado se chipki hui thi aur dono ki penty unki salwar se
saf najar aa rahi thi, rohit ka land apni mummy aur bua ki moti kasi hui gudaj jangh aur moti-moti gand dekh
kar puri tarah tan gaya vah apne land ko masal hi raha tha tabhi sabji wale ki najar rohit par pad gai ki vah in
dono aurto ke bhari chutado ko ghur raha hai aur rohit vaha se chupchap chal deta hai,
udhar manohar ki god mai chadhte huye sangita apne papa ke galo ko chumte huye
sangita- papa kabhi hame kahi bahar ghumne bhi le jaya karo na ghar mai bor ho jate hai
manohar ki lungi ke niche uska land apni beti ki gudaj gand se puri tarah daba hua tha aur manohar ne apni beti
ke bhari chutado ko thoda utha kar apne land ko adjust karke sidhe sangita ki chut se tika diya apne papa ka
land apni gand chut mai chubhne se sangita ek dam se apne papa se chipak jati hai aur manohar apni beti ki
moti kasi hui chuchiyo ko apne hantho mai bhar kar dabane lagta hai,
tabhi sandhya ek mast jeans aur chhoti si
tshirt pahan kar jab bahar aati hai to manohar apni bahu ki madmast gadrai jawani dekh kar sangita ke doodh
ko kas kar masal deta hai aur sangita aah karke apni bhabhi ko dekhne lagti hai sandhya ne bina bra ke ek
chhoti si tshirt pahan rakhi thi jisse uske mote-mote doodh puri tarah saf najar aa rahe the,
manohar ka land apni bahu ke gadraye jism ko dekh kar jhatke mar raha tha tabhi sangita ne kaha wah bhabhi
aap to mast lag rahi ho jara piche ghum kar dikhao aur jab sandhya piche ghumi to apni bahu ke bhari bharkam
chutado ko jeans mai utha hua dekh kar manohar ke muh se pani aa gaya usne kaha
manohar -wah bahu tum to bahut khubsurat aur jawan lagti ho jeans mai beti aaj se aise hi kapde pahna karo
aakhir sangita aur tujhme fark hi kya hai tum dono hi meri beti ho aur phir manohar ne sangita se kaha beti jao
tum bhi aisi hi jeans aur top pahan kar aao mai dekhna chahta hu ki meri dono betiya ek jaise kapde mai kaisi
lagti hai,
kramashah......................
raj sharma stories मस्त घोड़ियाँ compleet
Re: raj sharma stories मस्त घोड़ियाँ
raj sharma stories
मस्त घोड़ियाँ--5
गतान्क से आगे........................
संगीता- खड़ी होकर अभी पहन कर आती हू पापा और संगीता अंदर चली जाती है,
मनोहर- अपनी आँखो से अपनी बहू की गुदाज जवानी का रस पीते हुए, आओ बेटी मेरे पास आओ ज़रा देखु तुम्हारा
जीन्स का कपड़ा तो बहुत अच्छा है और जब संध्या पापा के पास जाती है तो मनोहर सीधे संध्या की मोटी गंद
को अपने हाथो से सहलाते हुए मस्त हो जाता है
मनोहर- संध्या के चुतडो को दबोच कर सहलाते हुए बेटी पहले से तुम्हारा शरीर काफ़ी फैल गया है अब
तो तुम बिल्कुल मम्मी की तरह नज़र आने लगी हो
संध्या- अपने ससुर का हाथ पकड़ कर अपने पेट पर रखते हुए, पापा यहाँ च्छू
कर देखिए अभी मेरा पेट तो
मम्मी जैसा ज़्यादा उठा हुआ नही है ना
मनोहर- अपनी बहू के गुदाज पेट को उसकी टीशर्ट उपर करके सहलाता हुआ उसे खींच कर अपनी गोद मे बैठा लेता
है और उसके गुदाज पेट को सहलाता हुआ उसके गालो को चूम कर अपने दूसरे हाथ से उसकी जाँघो को थोड़ा खोल कर
हल्के से जीन्स के उपर से उसकी चूत पर हाथ रख कर सहलाते हुए, बेटी जब तुम्हारे पेट मे बच्चा आ जाएगा
ना और तुम उसे जब पेदा कर लोगि तब तुम्हारा पेट भी मम्मी जैसा उठ जाएगा तब देखना तुम पूरी तरह खिल
जाओगी,
तभी संगीता एक टाइट जीन्स और टीशर्ट पहन कर बाहर आ जाती है और मनोहर अपनी बेटी की कसी जवानी
गुदाज जंघे देख कर एक दम से संध्या की चूत को अपने हाथ से दबा देता है
संगीता- मुस्कुराते हुए पिछे घूम कर अब देखो पापा मैं ज़्यादा मोटी हू या भाभी
मनोहर - अपने लंड को मसल्ते हुए संध्या तुम भी सामने जाकर खड़ी हो जाओ तब मैं देखता हू कि तुम दोनो
मे किसका फिगुर जीन्स मे ज़्यादा मस्त लगता है संध्या और संगीता दोनो अपने पापा को अपनी मोटी गंद दिखाते
हुए खड़ी हो जाती है और मनोहर दो-दो जवान घोड़ियो को अपनी और चूतड़ उठा कर मतकते देख मस्त हो जाता
है और उठ कर दोनो के भारी चूतादो को सहलाते हुए बेटी तुम दोनो के चूतड़ काफ़ी बड़े है पर संध्या
थोड़ा खेली खाई है तो उसके चूतड़ ज़्यादा फैले हुए लग रहे है,
संगीता अपने पापा के सीने पर हाथ मारते हुए, मतलब पापा हमारा फिगुर आपको अच्छा नही लगा
मनोहर- नही बेटी तुम्हारे चूतड़ बहुत सुंदर है पर थोड़ा और फैल जाएगे तो और फिर मस्त लगेगे
संध्या- अपने ससुर की ओर देख कर पापा आप संगीता के चूतादो को फैला दीजिए ना यह तो कब से मरी जा रही
है, मनोहर अपनी बेटी और बहू दोनो के भारी चूतादो को अपने हाथ से दबाते हुए, बेटी चूतड़ तो तुम दोनो
के फैलाने लायक है हम तो तुम दोनो के चूतादो को फैलाएगे क्यो कि हमारी नज़र मे हमारी बहू और बेटी
एक समान है और हम दोनो को बराबर प्यार करेगे और फिर मनोहर दोनो रंडियो को अपनी बाँहो मे भर कर
चिपका लेता है
मनोहर- तुम दोनो का फिगुर हम बहुत मस्त कर देगे पर तुम दोनो ने हमे वह नये कपड़े पहन कर नही
दिखाए जो कल तुम्हारी मम्मी लेकर आई है,
संगीता- पापा वो तो हमारे लिए पेंटी और ब्रा लेकर आई है
मनोहर- हाँ मैं उन्ही की बात कर रहा हू
संगीता- शरमाते हुए पर पापा मैं वह पेंटी और ब्रा पहन कर आपके सामने कैसे आऊ
मनोहर- अपनी बेटी के गालो पर अपनी जीभ फेरते हुए, अरे बेटी तू तो मेरी बेटी है और तुझे तो मैने नंगी अपनी
गोद मे खिलाया है फिर तू अपने पापा के सामने पेंटी पहन कर नही आ सकती क्या
संगीता- अच्छा ठीक है मैं तो पहन कर आ सकती हू पर भाभी तो आपकी बहू है ना वह कैसे आपके सामने
आएगी,
मनोहर- अरे क्यो नही आ सकती मैं भी तो उसके बाप जैसा हू और फिर तुम ही बताओ संध्या क्या तुमने कभी
अपने पापा मनोज के सामने पेंटी नही पहनी क्या
संध्या- संगीता पापा ठीक कह रहे है मुझे अपने पापा के सामने पेंटी पहनने मे कोई परेशानी नही है
पर पापा अभी घर का सारा काम पड़ा है देखो यहा झाड़ू पोच्छा भी करना है नही तो मम्मी आते ही चिल्लाने
लगेगी,
मनोहर-अच्छा एक काम करो पहले जाओ वह नई वाली ब्रा और पेंटी पहन कर आओ फिर मैं बताता हू क्या करना
है और फिर दोनो रंडिया रूम मे जाकर ब्रा और पेंटी पहन कर आ जाती है, मनोहर अपनी बेटी और बहू की
नंगी गुदाज जवानी को ब्रा और पेंटी मे देखता है तो उसके लंड से पानी की बूंदे बाहर आने लगती है वह,
संध्या जहाँ रेड कलर की ब्रा और पेंटी पहने थी संगीता वही पिंक कलर की ब्रा और पेंटी पहन कर अपने पापा
के सामने खड़ी थी,
मनोहर दोनो मस्तानी लोंदियो को अपने पास बुलाता है और दोनो रंडिया उसके बदन से लिपट
जाती है मनोहर उन दोनो के चूतादो पर उसकी पेंटी के उपर से सहलाता है और उसके बाद उन दोनो को प्यार से
चूमता हुआ, बेटी संगीता तू एक काम कर यहा झाड़ू मार दे और संध्या तू पोछा लगा ले तब तक मैं बैठ कर
पेपर पढ़ लेता हू उसके बाद भी अगर तुम्हराई मम्मी नही आई तो मैं तुम दोनो को अपना फिगुर बनाने के लिए
मदद करता हू,
मस्त घोड़ियाँ--5
गतान्क से आगे........................
संगीता- खड़ी होकर अभी पहन कर आती हू पापा और संगीता अंदर चली जाती है,
मनोहर- अपनी आँखो से अपनी बहू की गुदाज जवानी का रस पीते हुए, आओ बेटी मेरे पास आओ ज़रा देखु तुम्हारा
जीन्स का कपड़ा तो बहुत अच्छा है और जब संध्या पापा के पास जाती है तो मनोहर सीधे संध्या की मोटी गंद
को अपने हाथो से सहलाते हुए मस्त हो जाता है
मनोहर- संध्या के चुतडो को दबोच कर सहलाते हुए बेटी पहले से तुम्हारा शरीर काफ़ी फैल गया है अब
तो तुम बिल्कुल मम्मी की तरह नज़र आने लगी हो
संध्या- अपने ससुर का हाथ पकड़ कर अपने पेट पर रखते हुए, पापा यहाँ च्छू
कर देखिए अभी मेरा पेट तो
मम्मी जैसा ज़्यादा उठा हुआ नही है ना
मनोहर- अपनी बहू के गुदाज पेट को उसकी टीशर्ट उपर करके सहलाता हुआ उसे खींच कर अपनी गोद मे बैठा लेता
है और उसके गुदाज पेट को सहलाता हुआ उसके गालो को चूम कर अपने दूसरे हाथ से उसकी जाँघो को थोड़ा खोल कर
हल्के से जीन्स के उपर से उसकी चूत पर हाथ रख कर सहलाते हुए, बेटी जब तुम्हारे पेट मे बच्चा आ जाएगा
ना और तुम उसे जब पेदा कर लोगि तब तुम्हारा पेट भी मम्मी जैसा उठ जाएगा तब देखना तुम पूरी तरह खिल
जाओगी,
तभी संगीता एक टाइट जीन्स और टीशर्ट पहन कर बाहर आ जाती है और मनोहर अपनी बेटी की कसी जवानी
गुदाज जंघे देख कर एक दम से संध्या की चूत को अपने हाथ से दबा देता है
संगीता- मुस्कुराते हुए पिछे घूम कर अब देखो पापा मैं ज़्यादा मोटी हू या भाभी
मनोहर - अपने लंड को मसल्ते हुए संध्या तुम भी सामने जाकर खड़ी हो जाओ तब मैं देखता हू कि तुम दोनो
मे किसका फिगुर जीन्स मे ज़्यादा मस्त लगता है संध्या और संगीता दोनो अपने पापा को अपनी मोटी गंद दिखाते
हुए खड़ी हो जाती है और मनोहर दो-दो जवान घोड़ियो को अपनी और चूतड़ उठा कर मतकते देख मस्त हो जाता
है और उठ कर दोनो के भारी चूतादो को सहलाते हुए बेटी तुम दोनो के चूतड़ काफ़ी बड़े है पर संध्या
थोड़ा खेली खाई है तो उसके चूतड़ ज़्यादा फैले हुए लग रहे है,
संगीता अपने पापा के सीने पर हाथ मारते हुए, मतलब पापा हमारा फिगुर आपको अच्छा नही लगा
मनोहर- नही बेटी तुम्हारे चूतड़ बहुत सुंदर है पर थोड़ा और फैल जाएगे तो और फिर मस्त लगेगे
संध्या- अपने ससुर की ओर देख कर पापा आप संगीता के चूतादो को फैला दीजिए ना यह तो कब से मरी जा रही
है, मनोहर अपनी बेटी और बहू दोनो के भारी चूतादो को अपने हाथ से दबाते हुए, बेटी चूतड़ तो तुम दोनो
के फैलाने लायक है हम तो तुम दोनो के चूतादो को फैलाएगे क्यो कि हमारी नज़र मे हमारी बहू और बेटी
एक समान है और हम दोनो को बराबर प्यार करेगे और फिर मनोहर दोनो रंडियो को अपनी बाँहो मे भर कर
चिपका लेता है
मनोहर- तुम दोनो का फिगुर हम बहुत मस्त कर देगे पर तुम दोनो ने हमे वह नये कपड़े पहन कर नही
दिखाए जो कल तुम्हारी मम्मी लेकर आई है,
संगीता- पापा वो तो हमारे लिए पेंटी और ब्रा लेकर आई है
मनोहर- हाँ मैं उन्ही की बात कर रहा हू
संगीता- शरमाते हुए पर पापा मैं वह पेंटी और ब्रा पहन कर आपके सामने कैसे आऊ
मनोहर- अपनी बेटी के गालो पर अपनी जीभ फेरते हुए, अरे बेटी तू तो मेरी बेटी है और तुझे तो मैने नंगी अपनी
गोद मे खिलाया है फिर तू अपने पापा के सामने पेंटी पहन कर नही आ सकती क्या
संगीता- अच्छा ठीक है मैं तो पहन कर आ सकती हू पर भाभी तो आपकी बहू है ना वह कैसे आपके सामने
आएगी,
मनोहर- अरे क्यो नही आ सकती मैं भी तो उसके बाप जैसा हू और फिर तुम ही बताओ संध्या क्या तुमने कभी
अपने पापा मनोज के सामने पेंटी नही पहनी क्या
संध्या- संगीता पापा ठीक कह रहे है मुझे अपने पापा के सामने पेंटी पहनने मे कोई परेशानी नही है
पर पापा अभी घर का सारा काम पड़ा है देखो यहा झाड़ू पोच्छा भी करना है नही तो मम्मी आते ही चिल्लाने
लगेगी,
मनोहर-अच्छा एक काम करो पहले जाओ वह नई वाली ब्रा और पेंटी पहन कर आओ फिर मैं बताता हू क्या करना
है और फिर दोनो रंडिया रूम मे जाकर ब्रा और पेंटी पहन कर आ जाती है, मनोहर अपनी बेटी और बहू की
नंगी गुदाज जवानी को ब्रा और पेंटी मे देखता है तो उसके लंड से पानी की बूंदे बाहर आने लगती है वह,
संध्या जहाँ रेड कलर की ब्रा और पेंटी पहने थी संगीता वही पिंक कलर की ब्रा और पेंटी पहन कर अपने पापा
के सामने खड़ी थी,
मनोहर दोनो मस्तानी लोंदियो को अपने पास बुलाता है और दोनो रंडिया उसके बदन से लिपट
जाती है मनोहर उन दोनो के चूतादो पर उसकी पेंटी के उपर से सहलाता है और उसके बाद उन दोनो को प्यार से
चूमता हुआ, बेटी संगीता तू एक काम कर यहा झाड़ू मार दे और संध्या तू पोछा लगा ले तब तक मैं बैठ कर
पेपर पढ़ लेता हू उसके बाद भी अगर तुम्हराई मम्मी नही आई तो मैं तुम दोनो को अपना फिगुर बनाने के लिए
मदद करता हू,
Re: raj sharma stories मस्त घोड़ियाँ
मनोहर सोफे पर आराम से बैठ गया और अपनी लूँगी से अपने तने हुए लंड को बाहर निकाल लिया उसके मोटे लंड
पर संध्या की जैसे ही नज़र पड़ी वह वही बैठ कर फर्श पर पोछा लगते हुए अपने ससुर का लंड देखने लगी
आज उसने पापा का लंड बहुत करीब से देखा था और उसकी चूत पूरी फूल गई थी, संध्या का मूह अपने ससुर की
तरफ था और उसके मसल मोटे-मोटे दूध उसकी ब्रा से आधे से ज़्यादा बाहर निकले हुए थे उसकी पेंटी उसकी फूली
हुई चूत की फांको मे फसि हुई थी और मनोहर अपने लंड को अपनी दोनो जाँघो के बीच दबाता हुआ अपनी बहू की
फूली चूत को उसकी पैंटी मे कसी देख रहे थे
तभी संध्या ने दूसरी और मूह करके पोछा लगाना शुरू कर
दिया और मनोहर अपनी बहू के भारी चूतादो को देख कर मस्त हो गया तभी संध्या वहाँ से थोड़ा उठी और
उसकी पेंटी उसकी गोरी और मस्त गंद की दरार मे फस गई और जब संध्या चलने लगी तो उसकी गंद बड़े मस्त अंदाज मे थिरक रही थी, तभी संध्या ने एक दम से अपनी गंद खुजलाते हुए फिर से पोछा करने बैठ गई और
मनोहर का लंड अपनी बहू के मस्ताने चूतादो को देख कर पागल हो गया,
दूसरी और संगीता झुकी हुई अपनी गंद अपने बाप की ओर करके झाड़ू मार रही थी और मनोहर अपनी बेटी की मासल
भरी हुई गंद और कसी हुई चुचिया जो ब्रा से छलक रही थी को देख कर मस्त हो रहा था, मनोहर ने गौर
किया कि उसकी बहू का पेट रोहित का लंड लेने से थोड़ा उठा हुआ नज़र आ रहा था जबकि उसकी बेटी संगीता का पेट अभीथोड़ा ही उभरा था, वही संगीता के चूतड़ बाहर की तरफ उठे हुए खूब कसे नज़र आ रहे थे और संध्या की
गंद थोड़ा चौड़ी नज़र आ रही थी, मनोहर दो-दो रंडियो की नंगी गंद देख कर अपने आपे से बाहर हो रहा
था,
संध्या और संगीता दोनो मंद-मंद मुस्कुराते हुए एक दूसरे को देख रही थी और कुछ ज़्यादा ही अपनी
गंद मटका -मटका कर काम कर रही थी,
तभी संगीता झाड़ू मारते-मारते अपने पापा के सोफे के पास पहुच कर नीचे बैठ जाती है और मनोहर अपनी बेटी
के मस्त बड़े-बड़े रसीले दूध को ब्रा मे कस देख कर मस्त हो जाता है
संगीता- पापा पेर उपर करो ज़रा सोफे के नीचे झाड़ू मार दू और फिर मनोहर ने जैसे ही पेर उपर उठाए
संगीता को अपने पापा का मोटा लंड नज़र आ गया जो पूरी तरह तना हुआ था और उसके नीचे उसके पापा के मस्त
गोते झूल रहे थे संगीता ने एक हाथ से सोफे के नीचे झाड़ू मारते हुए दूसरे हाथ से अपने पापा के मस्त गोटू
को पकड़ कर उनके लंड के टोपे पर अपना मूह झुका दिया और अपने पापा का लंड मूह मे भर कर चूस्ते हुए
झाड़ू देने लगी,
अपने पापा के लंड का मस्त टोपा चूस कर संगीता मस्त हो रही थी तभी संध्या ने उसे देख
लिया और अपनी मोटी गंद मतकाते हुए उनकी और आने लगी, मनोहर ने सामने देखा तो वह मस्त हो गया उसकी
बहू उसकी और मस्ताने अंदाज मे चल कर आ रही थी और उसकी चूत उसकी पेंटी के अंदर बहुत फूली हुई नज़र आ
रही थी,
संध्या- ने संगीता को उठाते हुए चलो ननद रानी अगर तुमने झाड़ू मार दी हो तो मैं भी सोफे के नीचे पोछा
लगा देती हू और फिर संगीता वहाँ से खड़ी हो गई और संध्या नीचे बैठ कर अपने ससुर के लंड को अपने मूह
मे भर लेती है और जब अपने गीले हाथो से मनोहर के गोटे सहलाती है तो मनोहर मस्त होकर संध्या की
मोटी चुचियो को कस कर मसल देता है,
तभी संगीता नीचे बैठ कर अपने पापा के गोटू को चूसने लगती है और संध्या अपने ससुर के लंड के टोपे को
चूसने लगती है और मनोहर दोनो रंडियो के एक-एक दूध को कस कर अपने हाथो से दबाता रहता है उसे अपनी
बेटी और बहू के दूध को एक साथ मसल्ने मे बड़ा मज़ा आ रहा था, उधर संगीता और संध्या अपने पापा की
एक-एक गोटियो को अपने हाथो से सहलाते हुए उनके लंड के फूले हुए सूपदे को अपनी जीभ निकाल कर एक साथ
चाटने लगती है और बीच-बीच मे उनकी जीभ एक दूसरे से जब टकराती है तो दोनो एक दूसरे की जीभ को चूसने
लगती है,
दोनो घोड़िया उकड़ू बैठी थी और अपने पापा का लंड चाट रही थी और जैसे ही उनकी जीभ आपस मे टकराई
दोनो ने एक दूसरे की जीभ चूस्ते हुए एक दूसरे की चूत मे हाथ डाल कर पेंटी के उपर से एक दूसरे की चूत
सहलाने लगी,
संगीता- ओह पापा क्या मस्त लंड है आपका, कितना मोटा है बिल्कुल डंडे की तरह तना हुआ है,
संध्या- पापा आपकी बहू ज़्यादा अच्छा चूस रही है या बेटी
मनोहर- तुम दोनो की रसीली जीभ बहुत मस्त है पर टेस्ट किसका कैसा है यह तो मुझे तुम्हारी जीभ चूसने
पर ही पता चलेगा, तभी दोनो रंडिया खड़ी होकर अपने पापा के आस पास बैट जाती है और एक साथ दोनो अपनी
जीभ निकाल कर अपने पापा को पिलाने लगती है, मनोहर उन दोनो की हर्कतो से पागल हो जाता है और दोनो की जीभ
अपने मूह मे भर कर पागलो की तरह चूमने लगता है,
संध्या-पापा आपको कैसा लगा हमारी जीभ का टेस्ट
मनोहर- दोनो के मोटे-मोटे दूध को उनकी ब्रा के उपर से कस कर मसलता हुआ, मेरी बेटियो बहुत रसीली हो तुम
दोनो और तुम्हारी जीभ भी बहुत रसीली है
संध्या-संगीता को देख कर मुस्कुराते हुए पापा अभी आपने मेरा और अपनी बेटी संगीता का असली रस तो पिया ही
नही है,
जब आपकी दोनो बेटियाँ एक साथ आपको अपना रस पिलाएगी तब आप कहेगे कि वाकई मेरी दोनो बेटियाँ बड़ी
रसीली है,
मनोहर- संगीता के होंठो को चूम कर संध्या की ओर देखता है और उसके गोरे गालो को खिचते हुए, तो फिर
बेटी देर किस बात की है,
संध्या- पापा अभी मम्मी सब्जिया लेने गई है और वह आती ही होगी और वैसे भी संगीता चाहती है कि जब आप
अपनी दोनो बेटियो का रस एक साथ पिए तब समय की कोई पाबंदी ना हो इसलिए अभी का समय ठीक नही है
मनोहर- पर बेटी तब तक मैं कैसे रह पाउन्गा,
तभी बाहर से कोई डोर बेल बजाता है और संगीता और संध्या दोनो दौड़ कर अपने रूम की ओर भाग जाती है और
मनोहर उन दोनो को पेंटी मे दौड़ता देख कर उनकी गुदाज गंद का दीवाना हो जाता है और उठ कर गेट खोलने
चल देता है,
रात के 10 बज रहे थे और संध्या और रोहित एक दूसरे के होंठो को किस कर रहे थे और संध्या अपनी जीभ बार-बार रोहित को दिखाती और रोहित लपक कर संध्या की जीभ पीने की कोशिश करता,
रोहित- जानेमन तुम बहुत तड़पाती हो
संध्या- रोहित का लंड मसल्ते हुए, पर तड़पाने के बाद सुख भी तो बहुत देती हू ना, अब आज ही देख लो कैसा मज़ा दिलवाया मैने तुम्हे जब संगीता को तुमसे चुदवा दिया,
क्रमशः......................
पर संध्या की जैसे ही नज़र पड़ी वह वही बैठ कर फर्श पर पोछा लगते हुए अपने ससुर का लंड देखने लगी
आज उसने पापा का लंड बहुत करीब से देखा था और उसकी चूत पूरी फूल गई थी, संध्या का मूह अपने ससुर की
तरफ था और उसके मसल मोटे-मोटे दूध उसकी ब्रा से आधे से ज़्यादा बाहर निकले हुए थे उसकी पेंटी उसकी फूली
हुई चूत की फांको मे फसि हुई थी और मनोहर अपने लंड को अपनी दोनो जाँघो के बीच दबाता हुआ अपनी बहू की
फूली चूत को उसकी पैंटी मे कसी देख रहे थे
तभी संध्या ने दूसरी और मूह करके पोछा लगाना शुरू कर
दिया और मनोहर अपनी बहू के भारी चूतादो को देख कर मस्त हो गया तभी संध्या वहाँ से थोड़ा उठी और
उसकी पेंटी उसकी गोरी और मस्त गंद की दरार मे फस गई और जब संध्या चलने लगी तो उसकी गंद बड़े मस्त अंदाज मे थिरक रही थी, तभी संध्या ने एक दम से अपनी गंद खुजलाते हुए फिर से पोछा करने बैठ गई और
मनोहर का लंड अपनी बहू के मस्ताने चूतादो को देख कर पागल हो गया,
दूसरी और संगीता झुकी हुई अपनी गंद अपने बाप की ओर करके झाड़ू मार रही थी और मनोहर अपनी बेटी की मासल
भरी हुई गंद और कसी हुई चुचिया जो ब्रा से छलक रही थी को देख कर मस्त हो रहा था, मनोहर ने गौर
किया कि उसकी बहू का पेट रोहित का लंड लेने से थोड़ा उठा हुआ नज़र आ रहा था जबकि उसकी बेटी संगीता का पेट अभीथोड़ा ही उभरा था, वही संगीता के चूतड़ बाहर की तरफ उठे हुए खूब कसे नज़र आ रहे थे और संध्या की
गंद थोड़ा चौड़ी नज़र आ रही थी, मनोहर दो-दो रंडियो की नंगी गंद देख कर अपने आपे से बाहर हो रहा
था,
संध्या और संगीता दोनो मंद-मंद मुस्कुराते हुए एक दूसरे को देख रही थी और कुछ ज़्यादा ही अपनी
गंद मटका -मटका कर काम कर रही थी,
तभी संगीता झाड़ू मारते-मारते अपने पापा के सोफे के पास पहुच कर नीचे बैठ जाती है और मनोहर अपनी बेटी
के मस्त बड़े-बड़े रसीले दूध को ब्रा मे कस देख कर मस्त हो जाता है
संगीता- पापा पेर उपर करो ज़रा सोफे के नीचे झाड़ू मार दू और फिर मनोहर ने जैसे ही पेर उपर उठाए
संगीता को अपने पापा का मोटा लंड नज़र आ गया जो पूरी तरह तना हुआ था और उसके नीचे उसके पापा के मस्त
गोते झूल रहे थे संगीता ने एक हाथ से सोफे के नीचे झाड़ू मारते हुए दूसरे हाथ से अपने पापा के मस्त गोटू
को पकड़ कर उनके लंड के टोपे पर अपना मूह झुका दिया और अपने पापा का लंड मूह मे भर कर चूस्ते हुए
झाड़ू देने लगी,
अपने पापा के लंड का मस्त टोपा चूस कर संगीता मस्त हो रही थी तभी संध्या ने उसे देख
लिया और अपनी मोटी गंद मतकाते हुए उनकी और आने लगी, मनोहर ने सामने देखा तो वह मस्त हो गया उसकी
बहू उसकी और मस्ताने अंदाज मे चल कर आ रही थी और उसकी चूत उसकी पेंटी के अंदर बहुत फूली हुई नज़र आ
रही थी,
संध्या- ने संगीता को उठाते हुए चलो ननद रानी अगर तुमने झाड़ू मार दी हो तो मैं भी सोफे के नीचे पोछा
लगा देती हू और फिर संगीता वहाँ से खड़ी हो गई और संध्या नीचे बैठ कर अपने ससुर के लंड को अपने मूह
मे भर लेती है और जब अपने गीले हाथो से मनोहर के गोटे सहलाती है तो मनोहर मस्त होकर संध्या की
मोटी चुचियो को कस कर मसल देता है,
तभी संगीता नीचे बैठ कर अपने पापा के गोटू को चूसने लगती है और संध्या अपने ससुर के लंड के टोपे को
चूसने लगती है और मनोहर दोनो रंडियो के एक-एक दूध को कस कर अपने हाथो से दबाता रहता है उसे अपनी
बेटी और बहू के दूध को एक साथ मसल्ने मे बड़ा मज़ा आ रहा था, उधर संगीता और संध्या अपने पापा की
एक-एक गोटियो को अपने हाथो से सहलाते हुए उनके लंड के फूले हुए सूपदे को अपनी जीभ निकाल कर एक साथ
चाटने लगती है और बीच-बीच मे उनकी जीभ एक दूसरे से जब टकराती है तो दोनो एक दूसरे की जीभ को चूसने
लगती है,
दोनो घोड़िया उकड़ू बैठी थी और अपने पापा का लंड चाट रही थी और जैसे ही उनकी जीभ आपस मे टकराई
दोनो ने एक दूसरे की जीभ चूस्ते हुए एक दूसरे की चूत मे हाथ डाल कर पेंटी के उपर से एक दूसरे की चूत
सहलाने लगी,
संगीता- ओह पापा क्या मस्त लंड है आपका, कितना मोटा है बिल्कुल डंडे की तरह तना हुआ है,
संध्या- पापा आपकी बहू ज़्यादा अच्छा चूस रही है या बेटी
मनोहर- तुम दोनो की रसीली जीभ बहुत मस्त है पर टेस्ट किसका कैसा है यह तो मुझे तुम्हारी जीभ चूसने
पर ही पता चलेगा, तभी दोनो रंडिया खड़ी होकर अपने पापा के आस पास बैट जाती है और एक साथ दोनो अपनी
जीभ निकाल कर अपने पापा को पिलाने लगती है, मनोहर उन दोनो की हर्कतो से पागल हो जाता है और दोनो की जीभ
अपने मूह मे भर कर पागलो की तरह चूमने लगता है,
संध्या-पापा आपको कैसा लगा हमारी जीभ का टेस्ट
मनोहर- दोनो के मोटे-मोटे दूध को उनकी ब्रा के उपर से कस कर मसलता हुआ, मेरी बेटियो बहुत रसीली हो तुम
दोनो और तुम्हारी जीभ भी बहुत रसीली है
संध्या-संगीता को देख कर मुस्कुराते हुए पापा अभी आपने मेरा और अपनी बेटी संगीता का असली रस तो पिया ही
नही है,
जब आपकी दोनो बेटियाँ एक साथ आपको अपना रस पिलाएगी तब आप कहेगे कि वाकई मेरी दोनो बेटियाँ बड़ी
रसीली है,
मनोहर- संगीता के होंठो को चूम कर संध्या की ओर देखता है और उसके गोरे गालो को खिचते हुए, तो फिर
बेटी देर किस बात की है,
संध्या- पापा अभी मम्मी सब्जिया लेने गई है और वह आती ही होगी और वैसे भी संगीता चाहती है कि जब आप
अपनी दोनो बेटियो का रस एक साथ पिए तब समय की कोई पाबंदी ना हो इसलिए अभी का समय ठीक नही है
मनोहर- पर बेटी तब तक मैं कैसे रह पाउन्गा,
तभी बाहर से कोई डोर बेल बजाता है और संगीता और संध्या दोनो दौड़ कर अपने रूम की ओर भाग जाती है और
मनोहर उन दोनो को पेंटी मे दौड़ता देख कर उनकी गुदाज गंद का दीवाना हो जाता है और उठ कर गेट खोलने
चल देता है,
रात के 10 बज रहे थे और संध्या और रोहित एक दूसरे के होंठो को किस कर रहे थे और संध्या अपनी जीभ बार-बार रोहित को दिखाती और रोहित लपक कर संध्या की जीभ पीने की कोशिश करता,
रोहित- जानेमन तुम बहुत तड़पाती हो
संध्या- रोहित का लंड मसल्ते हुए, पर तड़पाने के बाद सुख भी तो बहुत देती हू ना, अब आज ही देख लो कैसा मज़ा दिलवाया मैने तुम्हे जब संगीता को तुमसे चुदवा दिया,
क्रमशः......................