बुझाए ना बुझे ये प्यास compleet
Re: बुझाए ना बुझे ये प्यास
रजनी उसके चिपक कर खड़ी हो गयी और अपना हाहत उसकी पॅंट के उपर
से उसके लंड पर रख दिया... वो उसकी आँखों मे झाँक रही थी....
दोनो हॉल मे आगाय और राज ने उसे सोफे पर बैठने को कहा.. और
खुद उसके सामने खड़ा हो गया.
"लगता है मेरे लंड के लिए कुछ ज़्यादा ही तड़प रही हो?"
"हां बहोत ज़्यादा" रजनी ने जवाब दिया.
राज ने अपनी पॅंट के बटन खोल अपने लंड को बाहर निकाल लिया.. और
बोला, "में अभी अभी अपने इस लंड से म्र्स सहगल की गॅंड मार कर आ
रहा हूँ.... अगर तुम्हे मेरा लंड चाहिए तो इसे चूस कर खुद के
लिए तयार करना होगा.." उसे उमीद थी की रजनी उसकी ये बात नही
मानेगी.... आज की रात दो बार उसके लंड की गर्मी शांत हो चुकी थी
इसलिए उसे रजनी के मानने ना मानने की परवाह भी नही थी.
राज वैसे ही खड़ा अपनी रखैल की सहेली को देखता रहा थ....कि
अचानक रजनी थोड़ा आगे को झुकी और उसके लंड को अपने मुँह मे ले
लिया.
रजनी के मुँह की गर्माहट पा राज के लंड मे जान आने लगी.. वो
फिर से खड़ा होने लग...वो लंड को इतना अछा चूस रही थी की राज
को स्मझ मे नही आया की उसका लंड उत्तेजना मे खड़ा हो रहा है या
फिर उसकी कला की वजह से.... वो उसके लंड को चूस्टे हुए मसल्ने
लगी... राज को मज़ा आने लगा...
रजनी तो इसी बात से खुश थी की राज महक को चोदने के बावजूद उसे
छोड़ने यहाँ उसके पास आया था.. उसका लंड अब खड़ा होने लग रहा
थ...उस्के लंड को ज़ोर ज़ोर से चूस्टे हुए वो अपनी चूत को मसल्ने
लगी...
राज चुपचाप खड़ा रजनी के मुँह का आनंद उठा रहा था... वो ड्कः
रहा था की वो कितनी कुशलता से उसके लंड को चूस रही थी और
साथ ही अपनी चूत को मसल रही थी.
थोड़े देर बाद राज उसकी टांगो के बीच बैठ गया और उसे खींच
कर सोफे के किनारे पर ले आया... फिर अपने खड़े लंड को उसकी चूत
मे घुसा दिया... वो खुशी से चिल्ला उठी..
"हाआं ऐसे ऑश कितना अछा लग रहा है.. हां ऐसे ही और अंदर
तक घुसा दो.."
राज ने उसकी दोनो जांघों को पकडा और ज़ोर ज़ोर से धक्के मरने
लगा... उसके हर धक्के पर वो भी अपनी कमर उठा उसके लंड को और
अंदर तक लेने लगी...
"हां चोडो मुझे और ज़ोर से चोडो ऑश मज़ा आ जाता है तुम्हारे
लंड से चुड़वाने मे."
राज पूरे जोश मे उसे चोद रहा था... उसकी भरी चुचियाँ मचल
मचल कर आगे पीछे हो रही थी... राज उसके जोश के देख खुद
उत्साहित हो रहा था.. वो रजनी को अभी अपने लंड का... अपनी आदायों
का दीवाना बना देना चाहता था...
"तुम भी कम छिनाल नही... बुद्धी हो गयी हूओ लेकिन लंड के लिए
पागल हो... तुम्हे इसकी भी परवाह नही की मेने अभी थोडी देर पहले
तुम्हारी सहेली की गॅंड और चूत मारी है.. और तुम उसी लंड से
चुडा रही हो." राज ज़ोर ज़ोर के धक्के मार उससे बात कर रहा था.
Re: बुझाए ना बुझे ये प्यास
रजनी को भी राज की ये अदा बहोत आक्ची लगने लगी थी.. वो भी उसके
साथ ऐसी ही गॅंड बातें करना चाहती थी...
"म्र्स शर्मा तुम्हे मेरा ये मोटा लंड बहोत पसंद है ना? तुम्हारी
चूत तो इसकी दीवानी हो गयी है." राज ने फिर कहा.
"तुम ऐसी बातें करते हो ना तो मुझे बहोत मज़ा आता है.. मेरे
साथ भी वैसे ही बोलो जैसे तुम महक के साथ बोलते हो" रजनी अपनी
कमर उठा उसके लंड को अपनी चूत मे और अंदर तक लेट हुए बोली.
"तो तुम्हे बुद्धी रांड़ बुलयुन तो कैसा रहेगा?" राज ने पूछा.
"नही तुम मुझे म्र्स शर्मा कह कर बुलाओ.. में गरमा जाती हूँ ये
सोच कर मुझ जैसी अधेड़ औरत तुम जैसे नौजवान लड़के को भी
गरम कर सकती है..." रजनी ने कहा.
"तुम भी साली छिनालों की छीनाल हो म्र्स शर्मा... " राज ने उसे
चिढ़ाते हुए कहा.
तभी रजनी की चूत ने पानी छोड दिया... उत्तेजना मे उसका समुचा
बदन कांप रहा था और उसकी चूत पानी छोड रही थी.. वो अपनी
कमर उठा उसके लंड को अपनी चूत मे जकड़ने लगी.. और पानी छोड़ती
रही...
जब उसकी चूत थोडी शांत हुई तो वो अपनी चुचियों को भींचते हुए
किसी रंडी की तरह राज से बोली, "अब मुझे ये मोटा लंड अपनी गॅंड मे
चहिये..इस लंबे लंड से महक की तरह भी गॅंड मरो."
राज ने अपना लंड उसकी चूत से निकाल लिया और उसके बगल मे बैठ
गया.. "अगर तुम्हे भी म्र्स सहगल की तरह चाहिए तो तुम्हे भी
मेहनत करनी होगी." राज ने कहा.
रजनी इतनी गर्मी हुई थी की उसे तो किसी बात की परवाह ही नही थी..
वो तो कुछ भी करने के लिए तय्यार थी.. वो राज की गोद मे बैठ
गयी.. और उसके लंड को अपनी गॅंड के छेड़ से लगा उस बार बैठ
गयी.. उसका लंड उसकी गॅंड की दीवारों को चीरता हुआ अंदर घुस
गया... अब वो ज़ोर ज़ोर से उछाल उछाल कर उसके लंड को अपनी गॅंड मे
लेने लगी अपनी दोनो चुचियों को जोरों से मसल्ते हुए वो उछाल रही
थी.
राज बड़े प्यार से उसकी गॅंड को अपने लंड पर उपर नीचे होते देखता
रहा... क्या रात बीती थी उसकी आज.. दो दो छीनाल दिल खोल कर उससे
चुडा रही थी... उसका लंड अकड़ने लगा था... लेकिन इसके पहले की
वो पानी छोड़ता... रजनी फिर जोरों से सिसक पड़ी.. चिल्ला पड़ी.. और
शायद उसकी चूत ने एक बार फिर पानी छोड दिया था...
वो शांत पड़ने लगी तो राज ने उसे उठा कर सोफे के सहारे घोड़ी बना
दिया और उछाल उछाल कर उसकी गॅंड मरने लगा.. तीन चार ज़ोर के
धक्के मार दिए... जब उससे नही रहा गया तो उसने अपना लंड बाहर
निकाल अपना वीर्या उसकी गॅंड पर छोड दिया.
राज भी तक गया था..."अब मेरे इस लंड को किसी सॉफ कपड़े से सॉफ
कर दो..?"
"रजनी एक नॅपकिन ले आई और प्यार से उसके लंड को पौंचने लगी..
अची तरह सॉफ करने के बाद उसे बड़े प्यार से चूम लिया, "सही मे
बहोत प्यारा है ये... में तो पागल और दीवानी हो गयी हूँ इसकी...
जी करता है की हर वक्त इस अपनी गॅंड और चूत मे लिए रहूं."
राज ने अपने कपड़े पहेने और जाने लगा, "फिर जब ज़रूरत पड़े तो
फोन करना बंदा हाज़िर हो जाएगा." कहकर वो चला गया.
Re: बुझाए ना बुझे ये प्यास
बुझाए ना बुझे ये प्यास--8
महक सहगल के दीमाग मे हज़ार बातें घूम रह थी. वो सोच रही
थी की उसे कल क्या क्या करना है. सुबह किराने वेल की दुकान पर
जाकर किचन के लिए समान लीखाना है, लौडरी से कपड़े लेने
है, कुछ दवाइयाँ ख़रीदनी है और फिर किसी दुकान पर जाकर एक
नॉवेल ख़रीदनी है जिसके बारे मे उसने इतना कुछ पढ़ा है.
कल के लिए काफ़ी काम था उसके पास अचानक ही उसकी सोच टूटी जब
उसके पति अजय सहगल ने एक हुंकार भरते हुए अपना वीर्या उसकी चूत
मे छोड़ दिया.
महक आज फिर प्यासी रह गयी थी, उसका पति एक बार फिर उसे
मझधार मे छोड सो गया था. उसने अपना हाथ अपनी चूत पर रखा तो
देखा की उसकी चूत उसके पति के वीर्या से भरी हुई थी. वो इस गीली
चूत के साथ सोना नही चाहती थी, वो उठी और बाथरूम मे घुस
गयी. फिर अपनी चूत और हाहत को आक्ची तरह सॉफ करने के बाद वो
कमरे मे वापस आ गयी. उसे अभी नींद नही आ रही थी इसलिए वो
हॉल मे आ गयी और टीवी देखने लगी.
महक अपने पति से बहोत प्यार करती थी लेकिन उसकी चूत का वो क्या
करे जो हमेशा प्यासी रह जाती थी. वो इतनी बेशर्म भी नही थी
की खुद पति के उपर चढ़ उसके लंड को अपनी चूत मे ले धक्के मारे
की उसकी चूत झाड़ जाए. पर उसने अपनी पति से कभी शिकायत नही
की थी और एक आचसी पत्नी की फ़र्ज़ नीभती रही.
वैसे महक बहोत ही सेक्सी थी, उसका दिल करता था की उसका पति उसकी
जाम कर चुदाई करे. आम औरतों की तरह उसके भी कई सपने थे, कई
कल्पना थी कई इच्छाएँ थी. लेकिन वो जानती थी की उसके पति को
वो सब पसंद नही था और शायद उसकी इच्छा, उसकी कल्पना इन जिंदगी
मे पूरी नही हो पाएँगी.
जब भी टीवी पर या फिर कोई मूवी देखते वक़्त किसी सेक्स सीन को
देखती तो उसकी दबी हुई भावनाएँ ज़ोर मारने लगती लेकिन उसने कभी
अपने पति को इस बात की भनक भी लगने नही डी थी.
शादी से पहले उसने सिर्फ़ एक ही मर्द से रिश्ता बनाया था वो भी
कॉलेज के दीनो मे जब उसने यही कोई दो चार बार उसे गाड़ी के पीछले
सीट पर चोदा था. उसे याद नही आता की उसके साथ चुदाई करते वक़्त
भी उसकी चूत ने कभी पानी छोड़ा हो.
कई बार उसने हस्तमैथुन करने की भी सोची लेकिन उसके ख़याल मे
ऐसा कुछ था ही नही जिससे वो उत्तेजित हो अपनी चूत का पानी छुड़ा
सके. उसे कभी कभी लगता था की वो अपनी भवनाई अपनी इक्चा को
दबा कर ग़लती कर रही है, उसे भी और औरतों के तरह देह सुख का
हक़ है लेकिन वो खुद इतनी शर्मीली थी की उसे अपनी किसी सहेली से
बात करते हुए शरम भी आती थी.
महक सहगल के दीमाग मे हज़ार बातें घूम रह थी. वो सोच रही
थी की उसे कल क्या क्या करना है. सुबह किराने वेल की दुकान पर
जाकर किचन के लिए समान लीखाना है, लौडरी से कपड़े लेने
है, कुछ दवाइयाँ ख़रीदनी है और फिर किसी दुकान पर जाकर एक
नॉवेल ख़रीदनी है जिसके बारे मे उसने इतना कुछ पढ़ा है.
कल के लिए काफ़ी काम था उसके पास अचानक ही उसकी सोच टूटी जब
उसके पति अजय सहगल ने एक हुंकार भरते हुए अपना वीर्या उसकी चूत
मे छोड़ दिया.
महक आज फिर प्यासी रह गयी थी, उसका पति एक बार फिर उसे
मझधार मे छोड सो गया था. उसने अपना हाथ अपनी चूत पर रखा तो
देखा की उसकी चूत उसके पति के वीर्या से भरी हुई थी. वो इस गीली
चूत के साथ सोना नही चाहती थी, वो उठी और बाथरूम मे घुस
गयी. फिर अपनी चूत और हाहत को आक्ची तरह सॉफ करने के बाद वो
कमरे मे वापस आ गयी. उसे अभी नींद नही आ रही थी इसलिए वो
हॉल मे आ गयी और टीवी देखने लगी.
महक अपने पति से बहोत प्यार करती थी लेकिन उसकी चूत का वो क्या
करे जो हमेशा प्यासी रह जाती थी. वो इतनी बेशर्म भी नही थी
की खुद पति के उपर चढ़ उसके लंड को अपनी चूत मे ले धक्के मारे
की उसकी चूत झाड़ जाए. पर उसने अपनी पति से कभी शिकायत नही
की थी और एक आचसी पत्नी की फ़र्ज़ नीभती रही.
वैसे महक बहोत ही सेक्सी थी, उसका दिल करता था की उसका पति उसकी
जाम कर चुदाई करे. आम औरतों की तरह उसके भी कई सपने थे, कई
कल्पना थी कई इच्छाएँ थी. लेकिन वो जानती थी की उसके पति को
वो सब पसंद नही था और शायद उसकी इच्छा, उसकी कल्पना इन जिंदगी
मे पूरी नही हो पाएँगी.
जब भी टीवी पर या फिर कोई मूवी देखते वक़्त किसी सेक्स सीन को
देखती तो उसकी दबी हुई भावनाएँ ज़ोर मारने लगती लेकिन उसने कभी
अपने पति को इस बात की भनक भी लगने नही डी थी.
शादी से पहले उसने सिर्फ़ एक ही मर्द से रिश्ता बनाया था वो भी
कॉलेज के दीनो मे जब उसने यही कोई दो चार बार उसे गाड़ी के पीछले
सीट पर चोदा था. उसे याद नही आता की उसके साथ चुदाई करते वक़्त
भी उसकी चूत ने कभी पानी छोड़ा हो.
कई बार उसने हस्तमैथुन करने की भी सोची लेकिन उसके ख़याल मे
ऐसा कुछ था ही नही जिससे वो उत्तेजित हो अपनी चूत का पानी छुड़ा
सके. उसे कभी कभी लगता था की वो अपनी भवनाई अपनी इक्चा को
दबा कर ग़लती कर रही है, उसे भी और औरतों के तरह देह सुख का
हक़ है लेकिन वो खुद इतनी शर्मीली थी की उसे अपनी किसी सहेली से
बात करते हुए शरम भी आती थी.