तड़पति जवानी

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rajaarkey
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Re: तड़पति जवानी

Unread post by rajaarkey » 30 Dec 2014 09:09


पहली बार शीशे के आगे मैने खुद को पूरी तरह से नंगा देखा था.. शीशे मे अपने हुस्न का नज़ारा देख कर मेरे मुँह से सिसकारी सी निकल गयी.. आज पहली बार शीशे के आगे खुद को इस तरह से देख कर मुझे अपनी खूबसूरती का अहसास हुआ था.. आज पहली बार मुझे लगा था कि मैं कितनी सुंदर हू.. आज ही पहली बार मुझे पता चला था कि लोग मुझे घूर घूर कर क्यू देखते है.. ओर आज ही पहली बार मुझे एहसास हुआ था कि अमित की इसमे कोई भी ग़लती नही है. उपर वाले ने मुझे बनाया ही इतनी फ़ुर्सत से है..

अपने रूप को देख कर मेरे चेहरे पर मुस्कान की लहर सी दौड़ गयी.. मेरी योनि के उपर जो हल्के हल्के बाल थे वो मेरी योनि के पानी से गीले हो कर चिपक गये थे.. मेरी योनि से रस अब भी बराबर निकल रहा था.. ना जाने मुझे क्या हुआ ऑर मैने मेरे एक हाथ को ले जा कर अपनी योनि के उपर रख दिया ऑर योनि की लकीर पर जो बाल बिखर से गये थे उन्हे अलग कर दिया.. बालो को सही करके मैं अपनी योनि को सहलाने लगी, थोड़ी देर योनि को सहलाने से ही मेरे घुटनो ने जवाब दे दिया.. दोनो पैर बुरी तरह से कंप-कँपाने लगे ओर योनि ने झटके लेते हुए पानी छ्चोड़ दिया…

शीशे मे ये नज़ारा देख कर मुझे खुद पर एक पल के लिए गुस्सा आया कि मैं ये सब उल्टा सीधा क्या सोच रही हू ऑर कर रही हू.. पर अगले ही पल अपने रूप का जलवा देख कर मेरे चेहरे पर मुस्कान फैल गयी ओर मुझे खुद पर ही प्यार आने लग गया.. अपनी खूबसूरती को आज पहली बार मैने जाना था कि मैं क्या हू..

मेरी हाइट, मेरे मोटे-मोटे गोल उरोज, पतली कमर ऑर भरे हुए नितंब केले के तने के जैसी दो लंबी-लंबी गोरी टांगे ओर उनके बीच मे मेरी छ्होटे बालो से ढाकी योनि को शीशे मे देख कर मुझे खुद पर गर्व होने लग गया था..

इन सब चीज़ो मे जो एक चीज़ खराब लग रही थी वो थे मेरी योनि के उपर छ्होटे-छ्होटे उगे घने बाल.. मेरा हाथ अपने आप दोबारा से मेरी योनि के उपर आ गया.. योनि के उपर के बाल बुरी तरह से गीले हो कर चिप-चिपा रहे थे..

आज पहली बार सही मयनो मे मैने जाना था कि योनि को गीला होने किसे कहते है.. आज मुझे पहली बार पता चला था कि क्यू मनीष मुझे इतना प्यार करते है.. क्यू सुबह उठते ही मेरी योनि पर किस करते है.. क्यू वो रोज सेक्स करने के लिए इतने उतावले रहते है.. सब सोच कर मेरे चेहरे पर फिर से शर्मीली मुस्कुराहट आ गयी..

मेरे घुटनो मे बोहोत तेज दर्द हो रहा था ओर अब खड़ा होना मेरे लिए बोहोत मुश्किल होता जा रहा था इस लिए मैं शीशे के सामने से उठ कर अपने बेड पर आ गयी, बेड पर आ कर मैने अपनी दोनो टाँगो को फैला लिया. टाँगो को फैलाने से मेरी योनि पूरी तरह से खुल गयी ऑर कमरे मे एसी की ठंडी ठंडी हवा का अहसास मुझे मेरी योनि के अंदर हो रहा था.

मेरा हाथ मेरी योनि तक आ गया ओर धीरे धीरे उपर नीचे सहलाने लगी, थोड़ी देर योनि को सहलाने के बाद मेरा हाथ वहाँ था जहा मनीष का लिंग अंदर बाहर होता था. अपने योनि का छेद मिल जाने से मेरी एक उंगली अपने आप उस छेद के अंदर चली गयी. उंगली अंदर करते ही मैं पूरे जोश मे आ गयी थी ओर मेरे मुँह से मादक सिसकारिया निकलना शुरू हो गयी जैसे अभी थोड़ी देर पहले रूपा के मुँह से सुनी थी.

जोश मे आते ही मैने अपनी गर्दन को एक अदा के साथ झटका ऑर फिर से खुद को शीशे मे देखा. बेड के उपर पड़ा मेरा जिस्म मुझे उस समय दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज़ लग रहा था. मेरे बिखरे हुए बाल मेरे कंधे से होकर मेरे उरोजो को, जो छत की तरफ सीना ताने हुए थे, धक रहे थे. जोश ऑर एसी की ठंडक के अहसास के कारण दोनो निपल्स टाइट हो गये थे.

दोनो खुली हुई टांगे ओर उनके बीच मेरी रिस्ति हुई गीली योनि, ओर योनि के उपर उसे सहलाता हुआ मेरा हाथ. इस नज़ारे को देख कर मैं जोश ओर रोमांच की सारी सीमाए तोड़ कर उसमे खोती चली गयी ओर पहली बार मेरे हाथ ऑर मेरी योनि की जंग सी छिड़ गयी. मुँह से लंबी लंबी सिसकारिया निकलने लगी जो धीरे धीरे तेज होती चली जा रही थी ऑर थोड़ी देर बाद ही मेरा शरीर अकड़ता चला गया ओर मेरे मुँह से निकलने वाली सिसकारिया बंद हो गयी..

जोश ओर रोमांच का तूफान जब थमा तो मेरे जिस्म मे ज़रा भी जान बाकी नही थी. मेरी साँसे बुरी तरह से उखड़ रही थी. मनीष के साथ सेक्स करने के बाद भी मैने खुद को कभी इतना कमज़ोर नही महसूस किया था. पूरे बदन मे आज जो रोमांच की लहर उठी थी आज तक नही उठी थी.

आज अपने हाथो से खुद को इस तरह संतुष्ट करके मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैने सेक्स का मज़ा आज पहली बार लिया था. मेरी योनि से बहता हुआ पानी, बहते हुए मेरे नितंब तक आ गया था. मैने अपने आप को शीशे मे देखा ऑर खुद को देख कर मुस्कुरा उठी. थोड़ी देर बेड पर पड़े मैने अपने नंगे जिस्म को शीशे मे देखने के बाद आँखे बंद कर के लेट गयी.

rajaarkey
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Re: तड़पति जवानी

Unread post by rajaarkey » 30 Dec 2014 09:09


बेड पर लेटे हुए मेरे दिमाग़ मे कयि सारे सवाल चले रहे थे. एक तरफ तो मुझे बोहोत आनंद की प्राप्ति का एहसास हो रहा था ऑर दूसरा मुझे अपने आप पर गुस्सा भी आ रहा था कि मैं ये सब क्या ऑर क्यू कर रही हू. क्या मैं भी उस देहाती अमित के जैसी गंदी हो गयी . ? क्यू मैने ये सब किया.

थोड़ी देर बाद जब मैने आँख खोल कर देखा तो खुद को इस हालत मे देख कर मुझे खुद पर बोहोत गुस्सा आया ऑर साथ ही उस अमित पर भी. मैं मन ही मन उसको कोसने लग गयी. उसकी हिम्मत कैसे हुई कि मेरे घर मे ये सब उल्टी सीधी हरकत करने की. यही सब सोचते हुए मैने जल्दी जल्दी से अपने कपड़े पहने जो मैने नशे की सी हालत मे इस तरह से उतार के फेंक दिए थे जैसे कि ये मेरे शरीर पर बोहोत बड़ा बोझ हो.

मेरा गला पूरा सुख गया था ऑर मुझे पानी की प्यास लगी थी मैं अपने कमरे से निकल कर किचन मे पानी पीने के लिए चल दी. किचन मे आ कर मैने पानी पिया. पानी पीने के बाद मेरे दिमाग़ मे पता नही कहाँ से ये ख़याल आ गया कि अमित के कमरे मे एक बार ऑर देखना चाहिए कि वो क्या कर रहा है. फिर मेरे मन ने अपने आप ही जवाब दिया कि नही मुझे उस तरफ नही जाना चाहिए. क्यू नही जाना चाहिए मैं व्यस्क हू शादी शुदा हू. अगर मैने ये सब देख भी लिया तो कोई पाप तो नही कर दिया. मेरे दिमाग़ अपने ही आप सवाल जवाब पैदा होने लग गये.

मेरा मन नही मान रहा था ये जाने बिना कि क्या वो अब भी अपने कमरे मे वो कर रहा है या उसने बंद कर दिया. यही सोच कर मैं दबे कदमो के साथ किचन से निकल कर अमित के कमरे की तरफ वापस चल दी. उसके कमरे के नज़दीक आते हुए मेरे जहाँ मे बार बार उसका मोटा लंबा लिंग दिखाई देने लगा. क्या लिंग इतना लंबा भी हो सकता है.? ऑर रूपा ने उसके पूरे लिंग को अपनी योनि के अंदर ले लिया. यही सब मेरे दिमाग़ मे बार बार चल रहा था. छी मैं ये सब क्या बेकार की बात सोच रही हू. ओर चाहे कुछ भी हो जाए मैं अब इस अमित को एक पल के लिए भी . नही रहने दूँगी.

थोड़ी ही देर मे मैं वापस उस खिड़की के नज़दीक आ गयी थी. मैं खिड़की से अंदर की तरफ झाँकने ही वाली थी कि मुझे दरवाजा खुलने की आवाज़ सुनाई दी. मेरा पूरा बदन एक अंजाने डर से थरथरा गया. मैं जल्दी से वहाँ से हटी ऑर वापस किचन की तरफ चल दी.

मैं जल्दी जल्दी अपने कदम बढ़ाते हुए किचन के अंदर आ गयी. तभी पीछे से वो भी किचन के अंदर आ गया. मैं उस से नज़रे नही मिला पा रही थी. मुझे डर लगने लग गया था कि कही ये कुछ कह ना दे.

भाभी जी बोहोत प्यास लगी है एक ग्लास पानी मिलेगा ? उसने मुझे पीछे से आवाज़ देते हुए कहा.

मैं किचन की स्लॅब से जैसे ही ग्लास उठाने के लिए आगे की तरफ झुकी मुझे फिर से ऐसा लगा कि उसने मेरे नितंब को हाथ लगा कर दबा दिया है. मेरा मन उसे उसकी इस हरकत पर गाली देने को कर रहा था, क्यूकी मेरे नितंब पर उसके हाथ लगाने से मेरे हाथ से ग्लास छूट कर नीचे गिर गया. मैं बुरी तरह से हड़बड़ा गयी थी ऑर जब उसकी तरफ घूरते हुए देखा तो उसने अपने मुँह पर ठीक उसी तरह से हाथ रख रखा था जिस तरह से खिड़की से मैने उसका लिंग देखने के बाद अपने मुँह पर हाथ रख रखा था.

उसकी इस हरकत से तो मेरा खून ऑर भी बुरी तरह से खूल गया. उसने अपने मुँह से हाथ हटाया ओर वही गंदी सी हँसी अपने चेहरे पर ले कर मुस्कुराते हुए मुझे देखने लग गया. मैने उसे वापस ग्लास मे पानी दिया ऑर किचन से बाहर निकलने लगी. वो दरवाजे को आधे से ज़्यादा घेरे हुए खड़ा हुआ था जिस कारण मैने उसकी तरफ देखा ऑर इशारे से उसे रास्ते से हटने को कहा. उसने दरवाजे से हटने की जगह मुझे खाली ग्लास पकड़ा दिया. मैने ग्लास ले कर रख दिया ऑर बाहर निकलने लगी.

तभी उसने मुझे पीछे से टोक दिया.

भाभी जी आप को मज़ा आया कि नही ? उसने अपने चेहरे पर उसी गंदी हँसी के साथ मेरी तरफ देखते हुए कहा.

मैं बिना कुछ बोले उसकी तरफ घूर कर देखा.

वैसे भाभी जी आप से एक बात कहु आप हो बोहोत खूबसूरत. मनीष भैया ने सच मे बोहोत पुन्य करे होगे जो उन्हे आप जैसी लड़की मिली.
क्रमशः............


rajaarkey
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Re: तड़पति जवानी

Unread post by rajaarkey » 30 Dec 2014 09:10


Tadapti Jawani-paart-5

gataank se aage.........

Kamre me aakar maine apne bistar par charo khane cheet ho kar let gayi or apni aankhe band kar li.. mera dil bohot joro se dhadak raha tha..mere pura maathe par paseena aa gaya tha.. or yoni puri tarah se gili ho kar barabar risav kar rahi thi..

ye meri jindgi me pehli baar hua tha ki maine kisi ko is tarah se dekha tha.. manish ne kayi baar blue film chalaye par un film ko dekhne ka mera jara bhi man nahi hota tha infect mujhe blue film ya porn story bohot gandi lagti thi..

aaj jo kuch bhi maine apne ghar me apni aankho ke saamne dekha use dekh kar to meri halat bohot kharab ho gayi thi.. dono taango ke beech yoni ras ki chip-chipahat alag mujhe uttejit kiye ja rahi thi..

thodi hi der me maine apni aankhe kholi or meri najar jab saamne lage dressing table par lage mirror par gayi to.. kamre ke andar tube light ki safed roshni puri tarah se faili hui thi or laal rang ki saari me mera roop agar koi mujhe dekhta to aisa lagta ki jaise gulaab ka phool khila hua ho..

main apne bed se uth kar mirror ke saamne ja kar khadi ho gayi or khud ko sheese me niharne lag gayi.. maine sheeshe ke aage khade ho kar apna haath apne kandhe pe rakha or apni saari ka pallu sarkar diya.. dusre hi pal sheeshe me khud ko dekh kar meri aankhe apne aap sharm se jhuk gayi..

aaj pehli baar maine sheeshe me khud ko is najar se dekha tha.. kyuki us samay mere dimaag me amit ke kahe shabd goonj rahe the ki nisha bhabhi kya maal hai kya dikhti hai wo, yahi sab soch kar main sheeshe me khud ko niharne lag gayi.. is najar se to maine apne aap ko tab bhi nahi dekha tha jab manish ne mujhe sheeshe ke aage taiyaar hote hue kayi baar kaha ki nisha aaj to tum bohot hi Qayamat lag rahi ho.. laal rang ka blouse or us me kaid mere dono uroj or uske neeche meri gore rang ki naabhi, unhe dekh kar mere hontho par apne aap hi muskurahat aa gayi..

maine ek baar fir se sheeshe me apne dono uroj ko dekha.. mere dono uroj aise lag rahe the jaise do himalay parwat garv ke saath apna sar uthaye khade hue ho.. apne uroj dekhte hi rupa ke dono nange uroj meri aankho ke aage aa gaye or main apne uroj ki tulna uske urojo se karne lagi, jisme maine khud ko hi winner paya..

apne dono urojo ko rupa se bada or golayi liye shape dekh kar mere chehre par halki si muskurahat aa gayi.. maine apna ek haath apne nange pet par firate hue apne daayi traf ke uroj pe rakha to meri aankhe apne aap hi band hone lag gayi, or mera daaya haath mere uroj par dabta chala gaya..

us din pehli baar maine apne aap ko is andaaj me chhua tha or unhe chhute hi mujhe jaisa mehsoos hua mere andar jo romanch paida hua waisa romanch to manish ke chhunen or dabane or munh me lekar chusne se bhi nahi aaya tha.. us waqt na jane kon sa nasha mere upar sawar ho gaya tha.. mera daya haath mere uroj par davaab dheere dheere bhadane lag gaya..

wo nasha mujh par is kadar bhari hota chala gaya ki maine apne blouse ke batano ko kholna shuru kar diya.. shaadi ke itne saalo baad bhi mujhe sex ka nasha itna nahi chadha tha jitna us waqt chadh gaya tha.. ek ek karke maine apne blouse ke saare batan khol diye or use utar kar bed par fenk diya..

black colour ki bra ke andar meri dono moti moti uroj jaise us waqt khud mujh par hi kahar barsa rahi thi.. bra meri chhati par ek dam kasa hua tha jiski wajah se aadhe mere dono uroj aadhe se jyada bahar nikal kar aa rahe the.. sheese me khud ko dekh kar fir mere chehre par garwanvit muskaan aayi.. rupa ke uroj mujhse chhote the or saanvle bhi the jabki mere uroj us se bade or dhoodh ki tarah goore rakhe hue the..

maine apne dono haatho se apne dono uroj ko ek baar kas kar dabbaya or fir apne dono haath peeche apni peeth par le ja kar bra ka hook khol diya.. apne haath ka sparsh apni peeth par padte hi fir se mere pure badan me romanch ki ek lahar si daud gayi or mere dono gutno me kanpan khona shuru ho gaya..

bra ka hook khulte hi mere dono uroj khul kar mere saamne aa gaye.. apne urojo ko dekh kar ek taraf is tarah se dekh kar mujhe sharm aa rahi thi par dusri taraf mujhe garav bhi bhi ho raha tha ki mere uroj rupa se bade or sundar hai.. maine apne dono urojo ko apne haatho me bhar liya or unhe halke halke dabane lag gayi..

apne haatho se urojo ko halka halka dabate hi mere munh se ek thandi aah nikal gayi.. jis karan meri taango ke beech meri yoni ne or bhi teji ke saath behna shuru kar diya tha.. apni taango ke beech nami ka ahsaas hote hi mera dhyan apne shareer ke neechle hisse ki taraf gaya.. romanch ke sagar me gote lagane or yoni ke lagatar behne ke karan meri dono taange ek dure se chipak si gayi thi.. dono taango ke beech me pakad aisi thi ki meri yoni se uthne wali chahat ko wo andar hi baandh kar rakhna chahti ho.. yahi soch kar mere haatho ka davab mere urojo par bhi sakht hota chala gaya..

maine apni saari ko foran apne shareer se alag kiya or bed ke upar fenk diya.. saari ko utarne ke baad maine dheere dheere apne peticot ko is tarah se apne jism se alag kiya jaise koi bohot mushkil kaam kar rahi hu.. halke haath se maine apna petticoat bhi utar kar bed ki taraf uchhal kar fenk diya..

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