Hindi Sex Stories By raj sharma

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raj..
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Re: Hindi Sex Stories By raj sharma

Unread post by raj.. » 17 Dec 2014 20:45

सिखने के बाद चुदाई – ३

हाँ, अपने हाथ स्टीरिंग से हटा लो |

मेने हाथ स्टीरिंग से उठा कर सीधे मेने मैडम के चुचो पे रख दिया………..वह
मज़ा आ गया आज मैडम ने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी, इसीलिए आज मैडम के चुचे
काफी नरम थे | मेने फिर मैडम के चुचो को धीरे धीरे दबाना शुरू कर दिया |
मैडम की सिल्क की सलवार में उनके चुचे को

दबाने में मज़ा आ रहा था | मैडम ने अचानक अपनी टाँगे खोल दी और उसी के
कारण उनकी चुत मेरे लंड पर आ गया | मेने फिर जोश में आके मैडम के कमीज़
में हाथ डाल दिया और उनके चुचो को दबाने लगा |

मैडम, मज़ा आ रहा है क्या ?

अह्ह्ह किसमे ?

कार चलने मैं |

हाँ, कार चलने में मज़ा आ रहा है |

मैडम, अब आपको स्टीरिंग संभालना आ गया |

ह्म्म्म

अब मेने अपना दूसरा हाथ भी मैडम के कमीज़ में डाल दिया और दूसरे चुचे को
दबाने लगा |

अह्हह्ह समीर तुम आह्ह्ह येह्ह्ह्ह क्या कर रहे हो ?

मैडम आपको कार चलाना सिखा रहा हूँ |

समीर तुम्हारे हाथ कार के स्टीरिंग पे होना चाहिए था |

पर मैडम, आपका स्टीरिंग सँभालने में जादा मज़ा आता हैं |

तुम्हे मेरे साथ ऐसा नहीं करना चाहिए……….और वेसे भी में एक काली और मोटी
औरत हू, तुम्हे मुझे क्या अच्छा लगेगा ?

मैडम आपकी एक एक चीज़ अच्छी हैं |

समीर में थोड़ी ठाक गयीं हूँ, पहले तुम कर रोक लो, वो देखो आगे थोड़ी
झाडिया हैं कार वहा ले चलो |

जी मैडम,

मैंने कार झाडियो में जा कर रोक ली |

बस थोड़ी देर आराम कर लेते हैं, हाँ तो समीर तुम्हे इस मोटी और काली औरत
में क्या अच्छा लगा ?

मैडम ,एक बात बोलूं ?

हाँ बोलो

मैडम, आपके संतरे बहुत अच्छे हैं

क्या, संतरे मई क्या कोई पेड हू जो मुज्मे संतरे लगे हैं ?

मैडम यह वाले संतरे ( मैडम के चुचो को दबाते हुए )

आह्ह्ह ह्ह्ह्हाआअ

मैडम आपके खरबूजे भी बहुत अच्छे हैं |

क्या खर्बुझे, मुझमे खरबूजे कहाँ हैं ?

मैडम, मेरे बोलने का मतलब हे आपकी गांड |

झूट, मेरी गांड तो बहुत चौड़ी और मोटी हैं |

यह कहकर मैडम खड़ी हो गयी और अपने सलवार निचे करदी | मैडम ने पेंटी नहीं
पहनी हुई थी |

देखो ना, कितनी बड़ी हैं मेरी गांड |

मैं तो मैडम की गांड देखते रह गया, मैडम की गांड मेरे मूह के पास थी | मई
मैडम की गांड पे हाथ फेरने लगा |

मैडम, आपके गांड की महक बहुत अच्छी हैं |

यह कह कर में मैडम की गांड पे किस करने लगा | फिर उसके बाद मेने मैडम की
गांड की दरार पे जीभ मरने लगा |

ओह समीर…… येह्ह्ह क्या कर रहे हो |

मैडम मुझे खरबूजे काफी पसंद हैं |

ओह्ह…… और क्या क्या पसंद हे तुम्हे ?

बबल गम !

क्या…..बबल गम वो कोंसी जगह हे ?

जवाब में मेने मैडम की चुत दबाने लगा |

ओह्ह समीर…….बबल गम को दबाते नहीं हे |

मैडम…….इस हल में मैं बबल गम नहीं खा सकता |

समीर पीछे सिट पे आओ, वहा पे आराम से खा सकते हैं |

फिर हम दोनों पिछले सिट पर आ गए, मैडम ने अपनी टाँगे खोल ली और अपनी चुत
पे हाथ रख कर बोली समीर यह रही तुम्हारी बबल गम |

मेने मैडम की चुत चाटने लगा | मैडम सिट पे लेती हुई थी, मेरी जीभ मैडम की
चुत पे और हाथ मैडम की चुचो को दबा रहे थे | मई करीब दस मिनट तक चुत पे
जीभ मरता रहा |

समीर क्या तुम्हारी पेंसिल छिली हुई हे ?

क्या मतलब ?

बुद्धू, मेरे पास शार्पनर है और तुम्हारे पास पेंसिल |

जी मैडम, मेरा पेंसिल को छिल दीजिए |

लेकिन पहले तुम अपनी पेंसिल तो दिखाओ

मेने अपनी जींस उतार दी, मेने अंदर चड्डी नहीं पहनी थी | मेने अपना लंड
लिया और मैडम के मुह के पास ले गया तो मैडम ने उसे अपने मुह में ले लिया,
और फिर जोर जोर से उसे चूसने लगी | कुछ देर तक चूसते रही और फिर बोली
समीर तुम्हारी पेंसिल काफी अच्छी हैं |

मैडम, क्या आपका शार्पनर भी अच्छी कुआलिती की है ?

यह तो पेंसिल छिलने के बाद ही पता चलेगा |

तो मैडम, में अपनी पेंसिल छिल लूँ क्या ?

हाँ समीर, जस्ट डू ईट ………………..फक मी हार्ड………..चोद दे मुझे………..

मेने अपना लोडा मैडम की चुत में डाल दिया और धक्के देने लगा |

ओह्ह्ह्ह समीर……मेरे जान…तुम्हारी पेंसिल एक दम मेरे चुत के लिए हैं…………
आआह्ह्ह्ह्ह्ह एक दम सही ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह और करो और और
करो……ह्म्म्म्म्म्म समीर मेरे संतरो को भी दबाव……इन्हें तुम्हारी काफी
जरुरत हैं |

मैडम, आपकी चुत मरने में काफी मज़ा आ रहा हैं |

आया.ह्ह्ह्ह…….समीर मेरे बच्चे अपनी मैडम के संतरो से जूस तो पीओ……..

फिर मेने धक्के देने के साथ साथ मैडम के निप्पल को मुह में लेकर चुस्त
रहा…………..कुछ देर बाद मैडम के चुचो में से दूध निकलने लगा और में उसे
पिता रहा |

आईए समीर.और तेज और तेज और और और धक्का लगाओ और लगाओ आज अच्छी तरह ले लो
मेरी….मेरे दूध को भी अच्छी तरह से पि लो …….और तेज करो |

मेने तेज तेज धक्के देना शुरू कर दिया | करीब १५ मिनट बाद

आ ऊह्ह्ह्ह्ह समीईर तेज और तेज में आने वाली हू ह्म्म्म्म्म्म्म ओह्ह्ह ऐईईईईइ

मई और मैडम फिर एक साथ ही झड गए |

आ आ अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अह्हह्ह आई लव यु समीर….मज़ा आ गया |

जी मैडम, आपका शार्पनर गज़ब का हैं |

तुम्हारी पेंसिल भी कमाल की हैं |

मैडम मई आपके पीछे वाले शार्पनर को भी इस्तेमाल करना चाहता हू |

पीछे वाला शार्पनर………… मेने कभी नहीं इस्तेमाल करवाया हैं |

लेकिन मुझे तोह करने दोगी ना ?

पक्का, लेकिन बाकि का काम घर चल कर | और फिर अभी तोह मुझे कार सिखने में
कुछ दिन और लगेगा |

तबसे मई और मैडम हर मोके पर चुदाई करते और मैडम से पड़ते वक्त हम दोनों
बिकुल नंगे होते थे |


raj..
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Re: Hindi Sex Stories By raj sharma

Unread post by raj.. » 17 Dec 2014 22:10

मेरी मौसी सास



मेरी उम्र छब्बीस वर्ष है, मेरी शादी को दो साल हो गये हैं,मेरी बीबी बहुत सुन्दर और मुझे बहुत प्यार करने वाली है, अब से लगभग छः महीने पहले मेरी बीबी मुझे अपनी एक मौसी के पास लेकर गई थी, उसकी मौसी दिल्ली में रहती है, तथा उनका काफी अच्छा घर परिवार है,कहने को तो वो मेरी बीबी की मौसी है लेकिन देखने में वो मेरी बीबी की बहन जैसी ही लगती है, उन्हें देख कर कोई नहीं कह सकता की वो शादी शुदा होंगी, वैसे भी वो मेरी बीबी से दो साल ही बड़ी है,


उनके अभी कोई बच्चा नहीं था शायद फेमिली प्लानिंग अपना रखी थी, उनके पति एक सरकारी फर्म में मैनेजिंग डायरेक्टर के पद पर काम करते हैं, उनके पति हालांकि उम्र में मौसी से सीनियर हैं मगर बहुत ही आकर्षक और स्वस्थ ब्यक्ति हैं,

हमलोग फुर्सत निकाल कर मौसी के यहाँ गये थे, आराम से एक महिना गुजार कर आना था, मौसी हमें देख कर बहुत खुश हुवी, खास कर मेरी तो उन्होंने बहुत आव भगत की, हम पति पत्नी को उन्होंने उपर का बेडरूम दे रखा था,

उस दिन मैं सबरे उठा, तब मेरी बीबी गहरी नींद में सोई हुवी थी, मैनें काफी रात तक जो उसकी जम कर चुदाई की थी, अभी सूरज तो नहीं निकला था लेकिन उजाला चारों और फैल चुका था, मैनें ठंडी हवा लेने की गरज से खिड़की के पास जा कर पर्दा खिंच दिया, सुबह की धुंध चारों तरफ छाई थी, सीर निचा करके निचे देखा तो दिमाग को एक झटका सा लगा, नीचे लोन में मौसी केवल एक टाइट सी बिकनी पहने दौड़ कर चक्कर लगा रही थी,
उनके गोरे शरीर पर काली बिकनी ऐसे लग रही थी जैसे पूनम के चाँद पर काले रंग का बादल छा कर चाँद को और भी सुन्दर बना रहा हो,



बालों को उन्होंने पीछे कर के हेयर बेंड से बाँधा हुवा था, इसलिए उनका चौड़ा चमकीला माथा बहुत ही अच्छा दिख रहा था, बिकनी के बाहर उनकी चिकनी गोरी जांघें ऊपर कुल्हों तक दिख रही थी, भागने के कारण धीरे धीरे उछलती हुवी उनकी चूचियाँ तथा गोरी मखमली बाँहें और सुनहरी बगलें बहुत सुन्दर छटा बिखेर रही थीं, उन्हें देख कर मेरी नसों का खून उबाल खा गया, तभी वे मेरी खिड़की के निचे रुकी और झुकते और उठते हुवे कसरत करने लगी, वे जैसे ही झुक कर खड़ी होती उपर होने के कारण मुझे उनकी चूचियाँ काफी गहराई तक दिख जाती,

तभी जाने कैसे उन्होंने उपर नजर डाली और मुझे खिड़की पर खड़ा देख लिया, मैं हडबडा कर वहाँ से हटना चाहा, परन्तु उनके चेहरे पर मोहक मुस्कान देख कर मैं रुक गया, उन्हें मुस्कुराते देख कर मैं भी धीरे से मुस्कुरा दिया, तभी मैं चौंका वो मुझे इशारे से निचे बुला रही थी,

मेरा दिल जोर से धड़क गया, मैनें एक नजर अपनी सोती बीबी पर डाली, वो अभी भी बेखबर सो रही थी, फिर मैं निचे आ गया, मौसी जी लोन में ही जोगिंग कर रही थी,

"लोन में ही जोगिंग कर रही हैं मौसी जी " मैंने उनके पास जाकर कहा तो वे भी मुस्कुरा कर बोली,

" जो भी जगह जोगिंग के लिये उपयुक्त लगे वहीँ जोगिंग कर लो, तुम भी किया करो सेहत के लिये अच्छी होती है,"

" ठीक कह रही हैं आप " मैंने कहा,


वो फीर दौड़ पड़ी और मुझसे बोली " तो आओ मेरे साथ, कम ऑन "

मैं भी उनके साथ दौड़ने लगा, वे मुझसे जरा भी नहीं हिचक रही थी, मैं दौड़ते हुवे बहुत करीब से उनके महकते अंगों को देख रहा था,

" मौसा जी कहाँ हैं?" मैनें उनकी जाँघों पर नजर टीका कर पूछा,

" वे आज हैदराबाद गये हैं, कंपनी के काम से, सुबह जल्दी की फ्लाईट थी, शायद पांच छः दिन बाद लौटेंगे," उन्होंने जवाब दिया

ना जाने कयों मुझे तसल्ली के साथ साथ ख़ुशी भी हुई,

" आपका फिगर तो बहुत सुन्दर है मौसी जी " बहुत देर से दिमाग में घूमता ये सवाल आखिर मेरे मुंह से निकल ही गया,

मेरी आशा के विपरीत वे एकाएक रुक गई, मैं भी रुक गया, ये सोच कर की कहीं बुरा तो नहीं मान गई मेरा दिल धड़का, जबकि वे धीरे से मुस्कुरा कर मेरी आँखों में झाँक कर बोली,

" तुम्हारे शब्द लुभावनें हैं लेकिन अंदाज गलत है,"

" क्या मतलब," मैं चौंका,

" यदि मैं या मेरी हमउम्र लड़की तुमसे ये कहे की अंकल तुम्हारी पर्सनेल्टी बहुत अच्छी है तो तुम्हे कैसा लगेगा," मौसी जी ने मुझसे कहा,

" ओह...! " मेरे होंठ सिकुड़ गये, मैं उनकी बात का मतलब समझ गया था, क्योंकि वो मुझसे तो उम्र में छोटी थी, इसलिए उन्हें मेरा उनको मौसी जी कहना अच्छा नहीं लगा था, वैसे तो मुझे भी उनको मौसी जी कहना जरा अजीब सा लगता था लेकिन बीबी के रिश्ते के कारण मौसी नहीं तो और क्या कहता, यही बात उस वक्त मैनें उनसे कह दी,


" मैं भी आपको मौसी कहाँ कहना चाहता हूँ, मगर और क्या कहूँ,"

जवाब में वो शोखी से मुस्कुराई और मेरे बहुत करीब आकर मेरे सिने को अपने हांथों से थपथपा कर बोली

" वैसे तो मेरा नाम सुजाता है, मगर जो लोग मुझे पसन्द करते हैं वे सभी मुझे सूजी कहते हैं,"

" और जिन्हें आप पसन्द करती हैं उनसे आप खुद को सुजाता कहलवाना पसन्द करती हैं या सूजी," मैनें उनसे पूछा

वे मेरी बटन से छेड़छाड़ करती हुई मेरी आँखों में झाँक कर बोली " सूजी "

" यदि मैं आपको सूजी कहूँ तो?"

" नो प्रोब्लम, बल्कि मुझे ख़ुशी होगी " कह कर उन्होंने वापस दौड़ लगा दी,

मेरा दिल बुरी तरह धड़कने लगा, मौसी यानी सूजी मुझे अपने दिल की बात इशारों में समझा गई थी,उस समय मैनें खुद को किसी शहंशाह से कम नहीं समझा, सूजी थी ही इतनी सुन्दर की उसकी समीपता पाकर कोई भी अपने को शहंशाह समझ सकता था,



मैं मन में बड़ी अजीब सी अनुभूति लिये बेडरूम में आया, मेरी बीबी अभी अभी जागी थी,
वो बेड से उठ कर बड़े अचरज से मुझे देख कर बोली,

"कहाँ गये थे इतनी सुबह सुबह,"

" जोगिंग करने " मेरे मुंह से निकल गया

" जोगिंग " मेरी बीबी ने अचरज से अपनी आँखें फाड़ी,

" व ...वो मेरा मतलब है, मैं सुबह जल्दी उठ गया था ना इसलिये सोचा चलो जोगिंग की प्रेक्टिस की जाये, मगर सफल ना हो सका तो वापस चला आया," मैनें जल्दी से बात बनाई, मेरी बात सुन कर बीबी हंसी और बाथरूम में घुस गई,

फिर दो दिन निकल गये, मैं अपनी बीबी के सामने मौसी को मौसी जी कहता और अकेले में सूजी, इस बिच सूजी के ब्यवहार में आश्चर्य जनक परिवर्तन हुवा था, वो मेरे ज्यादा से ज्यादा करीब होने की कोशीश करती, बहुत गंभीर और परेशान सी दिखाई देती जैसे की मुझसे चुदवाने को तड़प रही हो, उसे चोदने के लिये तड़प तो मैं भी रहा था, मगर अपनी बीबी के कारण मैं उसे छिप कर बाहों में भर कर चूमने के सिवा कुछ ना कर सका, और आखिर परेशान होकर सूजी नें खुद ही एक दिन मौका निकाल लिया,


क्योंकि उनके पति को लौटनें में अब दो ही दिन रह गये थे, उनके पति के आने के बाद तो मौका निकालना लगभग नामुमकिन हो जाता, सूजी ने उस रात मेरी बीबी की कोफी में नींद की कुछ गोलियां मिला कर उसे पिला दी, थोडी देर में जब मेरी बीबी गहरी नींद में सो गई तो मैं फटाफट सूजी के बेडरूम में पहुँच गया,

वो तो मुझे मेरा इन्तजार करते हुवे मिली, मैनें झट उसे बांहों में भर कर भींच लिया और उसके चेहरे और शुर्ख होंठों पर ढेर सारे चुम्बन जड़ दिये, जवाब में उसने भी चुम्बनों का आदान प्रदान गर्मजोशी से दिया,

वो इस वक्त झीनी सी सफेद रंग की नाइटी में थी, जिसमें से उसका सारा शरीर नजर आ रहा था, मेरा खून कनपटीयों पर जमने लगा था, मैनें खिंच कर नाइटी को प्याज के छिलके की तरह उतार फेंका, पेंटी और ब्रा में कसे उसके दुधिया कटाव गजब ढा रहे थे, मैनें पहले ब्रा के उपर से ही उसकी कठोर चुचियों को पकड़ कर दबाया और काफी सख्ती दिखा दी,

" उफ ...सी...ई ...क्या कर रहे हो? सूजी के मुंह से निकला " ये नाजुक खिलौनें हैं इनके साथ प्यार से खेलो,"

raj..
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Re: Hindi Sex Stories By raj sharma

Unread post by raj.. » 17 Dec 2014 22:11

मैनें हंस कर उन्हें छोड़ने के बाद पीछे हाँथ ले जा कर पेंटी में हाँथ घुसा दिया और उसके मोटे मुलायम चुतड के उभारों को मुट्ठी में भर लिया, इसी बिच सूजी ने मेरे पेंट के फूले हुवे स्थान पर हाँथ रख कर मेरे लंड को पकड़ा और जोर से भींच दिया,

" आह..." मैनें कराह कर अपना हाँथ उसकी पेंटी में से बाहर खिंच लिया, तब मुस्कुरा कर सूजी ने मेरा लंड छोड़ते हुवे कहा,

" क्यों जब तुम्हारे लंड पर सख्ती पड़ी तो मुंह से आह निकल गई और मेरे नाजुक अंगों पर सख्ती दिखा रहे थे,"

मैं भी उसकी बात सुन कर हंसने लगा, उसके बाद मैनें सूजी को और सूजी ने मुझे सारे कपड़े उतार कर नंगा कर दिया, और मैं उसके शरीर को दीवानगी से चूमने लगा,वो भी मेरे लंड को हाँथ में पकड़े आगे पीछे कर रही थी,

" वाह, काफी तगड़ा लंड है तुम्हारा तो,"



मैं उसकी एक चूची को मुंह में भर कर चूसने लगा तथा एक हाँथ से उसकी जांघ को सहलाते हुवे उसकी चिकनी चूत पर हाँथ फेरा, एकदम साफ़ चिकनी और फुली हुई चूत थी उसकी, एकदम डबलरोटी की तरह, उसके एक एक अंग का कटाव ऐसा था की फरिस्तों का ईमान भी डिगा देता, शायद नियमित जोगिंग के कारण ही उसका शरीर इतना सुन्दर था,

मैनें उसे बेड पर बिठा कर उसकी जांघें फैलाने के बाद उसकी खुबसूरत चूत को चूम लिया, और फीर जीभ निकाल कर चूत की दरार में फिराई तो उसने सिसकी भर कर अपनी जाँघों से मेरे सीर को अपनी चूत पर दबा दिया, मैनें उसकी चूत के छेद में जो की एकदम सिंदूर की तरह दहक कर लाल हो रहा था उसमें अपनी लम्बी नाक घुसा दी, उसकी दहकती चूत में से भीनी भीनी सुगन्ध आ रही थी


तभी सूजी ने मुझे उठाया, उत्तेजना के कारण उसका चेहरा बुरी तरह तमतमा रहा था
उसने मुझे उठाने के बाद कहा,

" अब मैं तुम्हारा लंड खाऊँगी,"

"खा लो,"
मैनें हंस कर कहा तो सचमुच जमीन पर घुटनों के बल बैठ गई और अपना मुंह फाड़ कर मेरा लंड अपने मुंह में भर कर चूसने लगी, मेरी बीबी ने भी कभी इस तरह मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर नहीं चूसा था, क्योंकि उसे तो घिन आती थी, इसी कारण जब आज सूजी नें मेरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसा तो एक अजीब से सुख के कारण मेरा शरीर अकड़ रहा था,

वो मेरे चूतडों को हांथों से जकडे हुवे अपना मुंह आगे पीछे करते हुवे मेरा लंड चूस रही थी, उसके सुर्ख होंठों के बिच फंसा मेरा लंड सटासट उसके मुंह में अन्दर बाहर हो रहा था, सूजी मुस्कुराती आँखों से मुझे ही देख रही थी, फिर एकाएक वो अपनी गर्दन जोर जोर से आगे पीछे चलाने लगी तो मुझे लगा की मैं उसके मुंह में ही झड़ जाउंगा, इसलिए मैनें उसका सीर पकड़ कर लंड को मुंह से निकालने की कोशिश की और बोला,


" छ ...छोड़ दो सूजी डार्लिंग नहीं तो मैं तुम्हारे मुंह में ही पिचकारी छोड़ दूंगा,"

परन्तु इतना सुनने के बाद भी उसने मेरा लंड अपने मुंह से बाहर नहीं निकाला बल्कि ना के इशारे में सीर हिला दिया, तो मैं समझ गया की वो मुझे अपने मुंह में ही झडवा कर मानेगी, उसने मेरे चूतडों को और जोर से जकड़ लिया और तेज तेज गर्दन हिलाने लगी, तो मैं चाह कर भी अपना लंड उसके मुंह से बाहर नहीं निकाल सका,
आखिर मैं उसके मुंह में झड़ गया और उसके उपर लद गया, मेरे वीर्य की पिचकारी उसके मुंह में छुट गई तो उसने गर्दन उपर निचे करना रोक दिया और मेरे लंड के सुपाड़े को किसी बच्चे की तरह निप्पल के जैसे चूसने लगी, सारा वीर्य अच्छी तरह चाट कर ही वो उठी और चटकारा लेकर मुझ से बोली,


" मजा आ गया जानेमन, बड़ा स्वादिष्ट रस है तुम्हारा,"

परन्तु अब तो मैं बेकार हो चूका था, मेरा लंड सिकुड़ कर आठ इंच से दो इंच का हो गया था,
मैनें उसे देख कर शिकायती लहजे में कहा,

" ये बात अच्छी नहीं है सूजी, तुमने मेरे साथ धोखा किया है,"

" अरे नहीं डार्लिंग धोखा कैसा, मैं अभी तुम्हारे लंड को दोबारा जगाती हूँ,"

कहने के बाद सूजी मेरा सिकुड़ा हुवा लंड हांथों में पकड़ कर उठाने की कोशिश करने लगी, भला वो अब इतनी जल्दी कहाँ उठने वाला था, मगर सूजी तो पूरी उस्ताद निकली,

उसने मुझे धकेल कर फर्श पर चित लिटाया और मेरी जाँघों पर चढ़ कर बैठ गई, तथा मेरे सिकुड़े हुवे लंड को पकड़ कर अपनी दहकती हुई चूत के छेद पर रगड़ने लगी, मैं भी उसकी चुचियों को दबाने लगा, उसकी चूचियां बड़ी सुन्दर और कठोर थी, जल्दी ही मेरे लंड में थोड़ा कड़ापन आ गया,


उसी समय सूजी ने मेरे थोड़ा कठोर हो चुके लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर रखा और अंगूठे की सहायता से जबरदस्ती अपनी चूत में ठूंस लिया, चूत के अन्दर की गर्मी पाकर तो मेरा लंड एकदम से खडा होने लगा और चूत में पड़े पड़े ही सीर उठाने लगा,

सूजी ने लंड को बाहर नहीं निकाला बल्कि वो संभल कर लंड के उपर ही बैठ गई, मेरा लंड जितना तनता जा रहा था उतना सूजी की चूत की दीवारों को फैलाता हुवा अन्दर घुसता जा रहा था, एक समय ऐसा आया की सूजी को अपने घुटनों की सहायता से उपर उठाना पड़ा, क्योंकि मेरा लंड अब तो पहले से भी ज्यादा लम्बा और कड़ा होकर करीब आधा तक उसकी चूत की गहराई में पहुँच कर चूत के छेद को चौड़ा करके कस चूका था, लंड अभी भी धीरे धीरे उठ रहा था, उसे इस तरह बढ़ता देख कर सूजी सिसिया कर उठ गई और लंड का सुपाड़ा सट से बाहर आ गया, वो बोली,


" बा....बाप रे....ये तो बढ़ता ही जा रहा है,"

" इस पर बैठो ना सूजी," मैनें उसे दोबारा लंड पर बैठने के लिये कहा, मगर वो नकली हैरानी दिखाते हुवे बोली,

" ना....ना बाबा ना, इतने लम्बे और मोटे लंड को मेरी कोमल चूत कैसे सहन कर पाएगी, इसे तुम्हारा ये बम्बू जैसा लंड फाड़ देगा,"

अब मैं उठा और सूजी से बोला,

" लो कम ऑन सूजी, तुम कोई बच्ची नहीं हो जो मेरे लंड से इतना डर दिखा रही हो,"

सूजी तो फालतु में नाटक कर रही थी, मैं तो एक बार झड़ चूका था, इसलिए मुझे कोई जल्दीबाजी नहीं थी, मगर सूजी की चूत में आग तब से अब तक उसी तरह लगी हुई थी, वो चुदवाने के लिये बुरी तरह उतावली हो रही थी, ये उसके चेहरे से ही झलक रहा था,
सो इस बार वो कोई भी नखरा किये बिना चुपचाप अपने घुटनें और हथेलियाँ फर्श पर टिका कर जानवरों वाली कंडीसन में हो गई, यानि वो जानवरों वाली पोजीसन में वो पीछे से लंड चूत में डलवा कर चुदवाना चाहती थी,

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