माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

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The Romantic
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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 21:16

गोरी गोरी चिकनी माँसल जाँघे। और उनको और भी सेक्सी बनाती उसकी उँची ऐडी की सैंडल पूरी कयामत लग रही थी रीमा। रीमा बोली ऐसे क्या देख रहा है बेटा जल्दी से मेरे पेटीकोट को प्यार कर ले फिर मेरी चूत चाटना बेटा। मैंने कहा माँ तुम पलट जाओ पहले मैं तुम्हारे चूतड देखना चाहता हूँ। रीमा बोली बेटा क्यो तडपाता है माँ को चूतड बाद मैं देख लेना पहले मेरी चूत की प्यास तो कुछ कम कर दे। पर मैं तो उसके चूतड देखे बिना और कुछ करने के मूड मैं नही था मैंने कहा माँ नही पहले तो मैं तुम्हारे चूतड ही देखूगाँ। रीमा बोली तू भी मानेगा नही चल मैं घुमती हूँ तू देख ले चूतड। उसकी बात सुन कर मैं खुश हो गया।

फिर रीमा घूम कर खडी हो गयी और उसके चूतड मेरी आँखो के सामने आ गये। उफ़ क्या चूतड थे उसके चौडे कमर से बाहर को निकले हुये बडे बडे उनको देखते ही मेरे शरीर मे मस्ती की झुरझुरी दौड गयी। और उसकी छोटी सी पैन्टी उसके चुतडो को छुपाने मे बिल्कुल नाकाम थी और उसके दोनो चुतडो के बीच फंसी हुयी थी। थोडी देर रीमा इसी तरह अपने चूतड मुझे दिखाती रही और मैं उनको निहारता रहा। फिर रीमा पलट गयी और बोली देख लिये मेरे चुतड मेरे बेटे। पर मेरी नजर मैं उसके चूतड ही घूम रहे थे। मेरा लंड आपे से बाहर हुआ जा रहा था मुझे लगा की अगर यही हाल रहा तो मैं अभी झड जाउँगा।

अब मेरा रुकना बिल्कुल मुश्किल था। येहे सोच कर मैंने अपनी आँखे बंद कर ली और अपने ऑफिस के काम के बारे मे सोचने लगा जिस से मेरा ध्यान बट जाये और मैं झडने से बच जाँऊ। रीमा मेरे को इस हालत मे देख कर बोली क्या हुआ बेटे अपनी आँखे क्यो बंद कर ली। मैंने कहा माँ अगर मैं ऐसे ही तुम्को देखता रहा और प्यार करता रहा तो अभी झड जाउँगा इसी लिये आँखे बंद कर के उनसे ध्यान हटाने की कोशिश कर रहा हूँ। रीमा बोली ठीक है मैं तेरी इसमे मदद करती हूँ अपने बदन पर अपनी साडी डाल लेती हूँ जिससे तुम मुझे नंगा ना देख सको। फिर थोडी देर बाद बोली लो बेटा मैने साडी डाल ली अब अपनी आँखे खोल सकते हो।

मैने अपनी आँखे खोल ली रीमा ने अपने पूरे बदन पर साडी लपेट ली थी और मेरे सामने खडी थी और मैं घूटनो के बल बैठा था। मैने कहा माँ इसतरह तो हम प्यार नही कर पायेगे तुम मेरा लंड चूस कर झडा दो फिर आगे प्यार करेगे। रीमा बोली नही तुमको अभी नही झडना है। मेरे पास एक दुसरा उपाय है उससे जब तक तुम नही चाहोगे तब तक नही झडोगे। मैंने कहा ऐसा कौन सा उपाय है माँ ऐसे उपाय के लिये तो मैं तैयार हूँ। रीमा बोली अगर तुमको मंजूर है तो मैं वह उपाय करती हूँ सोच लो हो सकता है तुमको यह उपाय पंसन्द ना आये। मैंने कहा माँ अगर तुम समझती हो की इस उपाय से मैं नही झडुँगा और हम दोनो पुरी मस्ती के साथ चुदायी का मजा ले सकेंगे तो फिर चाहे कितना भी मुश्किल हो मैं तैयार हूँ।

रीमा मुस्कुरायी और आगे बढ कर मेरे माथे पर किस कर लिया। फिर उसने अपना पेटीकोट उठाया और उसका नाडा खीच कर निकाल दिया और बोली बेटा मैं तुम्हारे लंड पर जहाँ ये तुम्हारे बदन पर जुडा है अपने पेटीकोट का नाडा बाँध दूँगी और तेरी इन लंड की बॉल को भी नाडे से कस कर बाँध दुँगी जिससे इनका रस कितना भी उबाल मारेगा पर लंड से बाहर नही निकल पायेगा इस तरह से तु मेरा साथ जो चाहे कर सकता है बिना अपने झडने के डर से। फिर तू मुझे जितनी देर जाहे चोद सकता है। मुझे पता है इसमे तेरे लंड को थोडा दर्द होगा क्योकि मैं बहुत कस के बाँधुगी पर बाद मैं तुझको मजा भी आयेगा बोल बेटा कैसा लगा मेरा उपाय।

मैं बोला बहुत ही अच्छा उपाय है माँ और तुम्हारे इस मस्ताने बदन के लिये यह दर्द कुछ भी नही है माँ मैं तैयार हूँ। फिर रीम मेर सामने घुटनो के बल खडी हो गयी और बोली बेटा तू खडा हो जा जिस से मुझके नाडा बाँधने मे आसानी होगी। मैंने कहा थीक है माँ और मैं उठ कर खडा हो गया मेरा लंड रीमा के मुँह के सामने जबरदस्त खडा होकर झूल रहा था। उसने बिना मेरा लंड छुये हुये नाडा मेरे लंड के बेस पर रखा और फिर एक गांठ कस कर लगा दी। इसतरह से कस के नाडा बाँधने से मेरे अंदर दर्द की एक लहर दौड गयी। फिर उसने मेरे लंड के ईर्दगिर्द दो चार और लपेटे घुमा कर नाडे के एक हिस्से को मेरे बॉल के बेस के चारो और घुमाया तथा दुसरे सिरे को मेरे दोनो बॉल के बीच मे से ले जाकर पहले एक बाल के चारो और फिर दुसरी बाल के चारो और कस के लपेट कर नाडे के दुसरे हिस्से के साथ पूरी ताकत लगा कर कस कर बाँध दिया।

फिर अच्छी तरह से मेरे मेरे लंड पर नाडा बाँध लेने के बाद रीमा ने मेरे लंड के सुपाडे को कस कर चूम लिया और बोली मेरे प्यारे बेटे का प्यारा लौडा। यह कह कर रीमा खडी हो गयी और बोली लो बेटा मैंने अपना काम कर दिया अब तुम्हारा लंड नही झडेगा। फिर मैंने रीमा का मुँह अपने हाथो मे लेकर उसके होठो को चूम लिया। रीमा बोली बेटा अब देर मत कर जल्दी से प्यार कर मेरे पेटीकोट को फिर मेरी चूत चूस ले बेटा। ऐसा कह कर मैं फिर घुटनो के बल नीचे बैठ गया और रीमा का पेटीकोट उठा लिया और रीमा के तरफ देखा। रीमा ने अभी भी साडी अपने चारो और लपेट रखी थी। मैंने रीमा से कहा माँ अब तुम अपनि साडी उतार दो इसतरह अपने मस्ताने बदन को साडी मे छुपाने कि अब कोई जरुरत नही है। रीमा मुस्कुरायी और अपनी साडी उतार कर फैंक दी।

फिर मैंने पेटीकोट उठाया और उसको प्यार करने मे जुट गया। सबसे पहले उसको पुरा गहरी साँस लेकर सुंघा और उसकी चूत गाँड और चुतड की मिली जुली गंध का सेवन किया। वह गंध इतनी मस्तानी थी की अगर रीमा ने नाडा नही बांधा होता तो मैं पक्का से झड जाता। थोडी देर पेटीकोट को सुघंने के बाद मैने उसको चुमना और चाटना शुरु कर दिया और १० मिनट मै पेटीकोट का भी वही हाल किया जो ब्लाउस का किया था पेटीकोट भी मेरे थूक से गिला हो गया था। फिर मैंने पेटीकोट रीमा को दे दिया। रीमा बोली बेटा अब तुमने मेरे पेटीकोट को चूम चाट कर प्यार कर लिया अब आओ बेटा मेरी चूत चाट कर मेरी मस्ती झडा दो देखो इसने भी रस बहा बहा कर मेरी पैन्टी को कितना गीला कर दिया है।

क्रमशः.......................

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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 21:18

गतांक से आगे.......................

मैंने कहा माँ तुम्हारी चूत चाट के झडाने से पहले मैं तुम्हारा शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ। तुमने जो मेरे लंड को अपने पेटीकोट के नाडे के साथ बाँध दिया है उसकी वजह से मैं जब तक चाँहू तब तक बिना झडे तुम्हारा मजा ले सकता हूँ। तुम्हारे इस काम के लिये मैं पहले तुम्हारे चुतडो और गाँड के छेद पर किस करना चाहता हूँ। मेरी बात सुनकर रीमा ने आश्चर्य से अपने हाथ अपने मुँह पर रख लिये और बोली। ओह मेरे राजा तू ये क्या कह रहा है। मेर पूरा बदन तो मस्ती मै भर गया है बेटा। आज से पहले कई लोगो ने मेरे चूतडो का चुम्बन लिया है। पर किसी ने भी मेरी गाँड के छेद के साथ नही खेला। तुम पहले मर्द हो जो यह करना चाहता है।

इसपर मैंने कहा माँ अगर ऐसी ही बात है तो मैं तुम्हारी गाँड को बहुत प्यार करुगाँ अपने मुँह से पर तुम्हारी चूत को अच्छी तरह से चुसने के बाद अभी सिर्फ एक किस करुगाँ। रीमा ने आगे बढ कर मुझे गले लगा लिया उसके घुडियाँ मेरी छाती से रगड खाने लगी। और बोली बेटा मैं बहुत खुश हूँ आज मैं जाने कब से अपनी गाँड किसी मर्द से चटवाना चाहती थी। औरतो ने तो मेरी गाँड चाटी है पर किसी मर्द ने आज तक नही। तुम आज मेरा यह सपना पूरा कर सकते हो। पर बेटा मैं तुमसे गाँड चटाउँगी पर अभी नही तुम से एक बार अच्छी तरह से चुदाने के बाद इत्मिनान से जिस से तुम अपना सारा ध्यान मेरी गाँड चाटने मे लगा सको मैंने कहा थीक है माँ जैसी तुम्हारी मर्जी।

फिर रीमा मेरे गाल पर किस करके अलग हो गयी और पलट कर खडी हो गयी। और रीमा का सबसे सुन्दर सबसे मस्त अंग मेरे सामने था उसके चूतड और उनके बीच फंसी उसकी पैन्टी। मैंने आगे बढ कर पहले उसके बाँये चूतड पर फिर उसके दाँये चूतड पर किस किया। फिर मैं रीमा से बोला माँ अब तुम अपने हाथो से पकड कर अपने चूतडो को फैलाओ जिस से मैं तुम्हारी गाँड पर किस कर सकूँ। रीमा बोली बेटा मैं फैलाती हूँ अपनी गाँड पर तू मेरे पैन्टी के उपर से ही किस करना पैन्टी उतार कर बाद मे मैं तुमसे किस कराउँगी। मैंने कहा थीक है माँ।

फिर रीमा ने थोडा सा आगे झुक कर अपने दोनो चूतड पकड लिये और बोली बेटा तैयार है। मैने कहा हाँ माँ। फिर रीमा ने अपने चूतड खीच कर फैला लिये। उसकी पैन्टी उसकी गाँड की दरार मैं और घुस गयी। मुझसे बिल्कुल भी नही रुका गया और मैंने आगे बढ कर जहाँ पर उसकी गाँड होने का मुझे अंदाजा था वहाँ पर मैंने एक गहरा चुम्बन ले लिया। रीमा के मुँह से एक बडी आह निकल गयी। मैंने रीमा से पूछा माँ मैंने थीक जगह पर किस किया था क्या। रीमा बोली हाँ बेटा बिल्कुल गाँड के छेद पर। और तुम्हारे किस करते ही मैं स्वर्ग मैं पहुँच गयी।

फिर रीमा उठ कर खडी हो गयी और बोली अब मैने तुम्हारी सारी इच्छाये पूरी कर दी चलो अब खडे हो जाओ और मेरी चूत चाट कर मेरी मस्ती झडा दो। मैंने कहा थीक है माँ। और मैं उठ कर खडा हो गया रीमा अपने चुतड मटकाती हुयी छोटे वाले सोफे कि तरफ चल दी चलने से पहले उसने पीछे मुड कर देखा और मुस्कुराते हुये अपनी उगली से इशारा करते हुये मुझे अपनी तरफ बुलाया। मैं उसके पीछे चल अपनी आँखो को उसके चूतड पर टिका कर चल दिया। फिर वह सोफे पर जा कर सोफे के एक दम किनारे पर अपने चूतड टिका कर और अपनी पीठ पीछे कर कर सोफे पर सहारा ले कर बैठ गयी।

फिर उसने अपनी एक टाँग उठायी और मेरे लंड पर अपनी उँची ऐडी के सैंडल छुआती हुयी बोली तो तैयार है मेरी चूत की सेवा के लिये। मैंने कहा हाँ माँ। फिर रीमा ने अपनी टाँगे पुरी तरह से चौडी करके फैला ली और उनको सोफे के हथे रख दिया। जिससे उसकी टाँगे चौडी हो गयी और उनको सोफे के गद्देदार हथों पर सहारा भी मिल गया। इस आसन मैं रीमा घंटो तक अपनी चूत चटा सकती थी बिना किसी परेशानी के। रीमा बोली आजा बेटा बहुत देर से मुझको तू तडपा रहा है। अब मेरी बारी है अब मैं तुझको तडपाउँगी तब तुझे पता चलेगा कि माँ के साथ मस्ती करने से क्या होता है समझा। मैंने कहा हाँ माँ।

फिर रीमा बोलि ले तेरी इस रंडी माँ ने अपनी टाँगे खोल दी है और मेरी गीली चूत तैयार है। अब चूस ले इसको और झडा दे मेरा पानी। अब तो जम कर कफी देर तक तेरे से अपनी चूत की सेवा कराउँगी ४-५ बार झडुँगी उसके बाद ही तुझे कुछ करने दूँगी समझा और खबरदा जो तूने अपने लंड को छुने की भई कोशिश की। अगर मैंने तुमको अपने लंड से खेलते हुये देख लिया तो फिर आज तो तुम झडने के बारे मे भूल ही जाओ। ना आज पुरे दिन तुम्हारे लंड पर से नाडा खुलेगा ना तुम झडोगे समझे। अपना सारा ध्यान मेरी चूत और उसमे से निकलने वाले रस पर लगा समझ गया रंडी की औलाद। उसकी बात सुनकर बदन मे झुरझुरी दौड गयी। उसनी यह बात बहुत ही सिरयस होकर कही थी।

बिना झडे एक दिन तक अपने लंड को इस तरह से नाडे मे बधे रहने की बात सुनकर मैं बहुत घबरा गया और मैंने सोच लिया की सब कुछ भूल कर रीमा की चूत को चाटने की तरफ ध्यान दूगाँ। मैंने कहा ठीक है माँ मैं अपने लंड को बिल्कुल भी नही छुउँगा। सुनकर रीमा जोर से चिल्लायी तो आजा फिर सले खडा खडा देख क्या रहा है मेरी खुली चूत निमंत्रण दे रही चुस अब इसको। उसकी बात सुनकर मैं घुटनो के बल नीचे बैठ गया। उसकी रस से भीगी गिली चूत पैन्टी से ढकी हुयी मेरे सामने थी। सबसे पहले मैंने उसकी जाँघो पर हाथ रख कर उसकी चूत पर एक गहरा चुम्बन दिया। और फिर उसकी जाँघो पर धीरे धीरे हाथ फेरते हुये उसकी पैन्टी पर चारो तरफ गहरे चुम्बन देता रहा।

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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 21:18

रीमा ने अपना सर पीछे करके सोफे पर रख दिया और आँखे बंद करके मेरे चुम्बनो का मजा लेती रही उसके मुँह से हल्की हल्की करहाने की आवाजे आ रही थी। थोडी देर उसकी चूत के चुम्बन लेने के बाद मैंने उसकी चूत को निहारने का निश्चय किया। फिर मैंने अपने हाथ के उगली उसकी पैन्टी के किनारे फिराने लगा और उसकी चूत निहारने लगा बीच बीच मे मैं उसकी चूत कि किस करता जा रहा था जिस से उसको ये ना लगा के मैं अपनी आँखे सेक रहा हूँ। उसकी चूत उसकी काली पैन्टी मैं पुरी तरह से ढकी हुयी थी पर उसकी पैन्टी से काफी बाल बाहर निकल रहे थे इसका मतलब उसने अपनी झाँटे नही काटी थी। और उसकी पैन्टी इतनी ज्यादा गिली हो चूकी थी कि उसकी चूत की आउट लाईन पैन्टी मे से पता की जा सकती थी।

उसकी चूत से इतना रस बह चुका था की उसकी जाँघो भी उसके चूत रस मे भीग गयी थी और चूत रस की बूंदे आसानी से उसकी जाँघो पर देखी जा सकती थी। उसकी इसहालत को देख कर मैंने सोचा रीमा सही मैं बहुत तडपी है चूत चटाने के लिये अब उसकी इस इच्छा को पूरा कर ही देना चाहिये। यह सोच कर सबसे पहले मैंने उसकी पैन्टी के चारो और निकल आये उसके रस को पीना उचित समझा। फिर मैंने अपने हाथो से उसकी जाँघो पर लगा कर उनको और चौडा कर दिया। फिर अपनी जीभ निकाल कर उसकी पैन्टी के चारो और का रस चाटना शुरु कर दिया।रीमा तो किसी और ही दुनिया मे थी और आराम से लेट कर चूत चटवाने का माजा लेने के फिराक मे थी। इस लिये जैसे ही मैंने उसकी पैन्टी के चारो और का रस को चाटना शुरु किया तो बोली हाय रे जालिम अभी भी मुझे तडपा रहा है। चाट ले कुत्ते मेरा रस पी माँ के लोडे चाट चल पहले मेरा रस मेरी जाँघो से ही चाट मैं भी देख तुझसे पुरा बदला लुँगी तू देखता जा। हाय से क्या मस्त चलाता है तू अपनी जीभ मेरी जाँघ पर चाट और चाट। फिर थोडी देर मे मैंने उसकी पैन्टी के आस पास का सारा रस पी लिया। सारा रस पीने के बाद मैंने मैंने उसकी पैन्टी की और कूच किया सबसे पहले अपनी जीभ निकाल कर उसकी पैन्टी को चाटना शुरु कर दिया जैसे मैं कई दिनो का भूखा हूँ।

जैसे से ही मैंने पैन्टी के उपर अपनी जीभ चलानी शरु की रीमा ने मस्ती मैं करहाना शुरु कर दिया और और उसके मुँह से आह ओह की आवाजे आनी शुरु हो गयी। थौडी देर उसकी पैन्टी इसी तरह से चाटने के बाद मैंने अपनी जीभ से नोक बना कर पैन्टी के उपर से चूत की लकीर पर जीभ फिरानी शुरु कर दी उपर से नीचे और नीचे से उपर। इस तरह करने से मैं अपनी जीभ को एक बार ज्यादा उपर ले गया। जिससे रीमा एक दम से उछल पडी और बोली हाय से मार डाला मेरे राजा ओह मेरे चूत के दाने पर क्या रगडी है अपनी जीभ और रगडो मेरे लाल और रगडो इसी तरह। फिर मैंने अपनी जीभ पर और दवाब देकर जोर जोर से उपर से नीचे तक रगडना शुरू कर दिया। मेरी इस हरकत से रीमा और मस्ता गयी।

उसकी मस्ती मेरे चूत चाटने से बढती जा रही थी। फिर रीमा अपने सर को इधर उधर पटकने लगी और जोर जोर से चिलाने लगी। ओह हाय से सी सी ऽऽऽऽऽऽऽऽऽ उम्ह्ह्ह ऽऽऽऽऽऽऽऽ मार डाला रे क्या मस्त चूसता है रे तू कहाँ से ट्रेनिग ली है रे तूने बहनचोद चला चला ऐसे ही और जोर जोर से हाँ ऐसे हि मेरे रज्जा तेरे पर वारी जाऊँ ओह्ह्ह ऽऽऽऽऽ हाँ रे सिर्फ जीभ मत चला मेरे राजा मेरी चूत को चूस भी हाय से क्या मस्त मर्द मिला है इतने दिनो बाद आज जम कर मजा लूगी। बडा ही प्यार है रे तू माँ का कितना ख्याल रख रहा है रे उम्म्म्म ऽऽऽऽऽ। उस्की बात सुनकर मैंने भी उसकी चूत पर जीभ फिराते फिराते बीच बीच मे उसकी पैन्टी को चाट भी लेता था। जिससे जीभ चलाने से जो रस बाहर निकलता था चाटने से वह मेरे मुँह मे चाला जाता था और मैं अपनी जीभ को अपने मुँह मे रोल करके उसके रस का मजा लेता था।

फिर करीब १० मिनट तक मैं उसकी चूत पर इसी तरह जीभ फिराता रहा और चाटता रहा। इस तरह से करने से उसको मजा तो बहुत आ रहा था पर उसको झडने मे बहुत समय लग रहा था और इस वजह से उसकी हालत बहुत खराब हो रही थी। मेरा लंड भी मस्ती चाहता था पर मुझे पता था श्याद उसको तो काफी देर इंतजार करना पडे। फिर मैंने उसकी देखकर उसकी पैन्टी को उस जगह पर जहाँ पर उसके चूत का दाना था जोर से मुँह मे भर कर चूसना शुरु कर दिया। शायद मेरा निशाना सही जगह पर पडा था और उसकी चूत का दाना मेरे मुँह मे आ गया था। मेरे इस तरह से उसकी चूत का दाना चूसने से रीमा तो बिल्कुल पागल हो गयी।

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