"क्यों दिन में मेरा तूने देखा ऩही था क्या और च्छुआ भी था तुमने तो"
"है, हा देखा था, पर पहली बार देखा था, इससे पहले किसी का ऩही देखा था, तुम पहली हो जिसका मैने देखा था".
"अक्चा इससे पहले तुझे कुच्छ पाता ऩही था क्या"
"ऩही मा, थोरा बहुत मालूम था"
"क्या मालूम था ज़रा मैं भी तो सुनू" कह कर मा ने मेरे लंड को फिर से अपने हाथो में पकर लिया और मुठियाने लगी. इस पर मैं बोला "ओह छ्होर दो मा, ज़यादा करोगी तो अभी निकल जाएगा"
"कोई बात ऩही अभी निकल ले अगर पूरा खोल के दिखा दूँगी तो फिर तो तेरा देखते ही निकल जाएगा, पूरा खोल के देखना है ना अभी", इतना सुनते ही मेरा दिल तो बल्लियों उच्छलने लगा. अभी तक तो मा नखरा कर रही थी और अभी उसने अचानक ही जो दिखाने की बात कर दी मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे लंड से पानी निकल जाएगा.
"है मा, सच में दिखावगी ना"
"हा दिखौँगी मेरे राजा बेटा, ज़रूर दिखौँगी, अब तो तू पूरा जवान हो गया है और, काम करने लायक भी हो गया है, अब तो तुझे ही दिखना है सब कुच्छ और तेरे से अपना सारा काम करवाना है मुझे. मा और तेज़ी के साथ मेरे लंड को मुठिया रही थी और बार बार मेरे लंड के सुपरे को अपने अंगूठे से दबा भी रही थी. मा बोली "अभी जल्दी से तेरा निकल देती हू फिर देख तुझे कितना मज़ा आएगा, अभी तो तेरी ये हालत है की देखते ही झार जाएगा, एक पानी निकल दे फिर देख तुझे कितना मज़ा आता है"
"ठीक है मा निकल दो एक पानी, मैं तुम्हारा दबौउ?"
"पुचहता क्या है, दबा ना, पर क्या दबाएगा ये भी तो बता दे", ये बोलते वाक़ूत मा के चेहरे पर एक शैतानी भारी कातिल मुस्कुराहट खेल गई.
"है, मा, वो तुम्हारी च्चाटिया मा, है"
"च्चाटिया? ये क्या होती है ये तो मर्दो की होती है औरतो का तो कुच्छ और होता है बता तो सही, नाम तो जनता ही होगा ना"
"चु...हु. .है मा मेरे से ऩही बोला जाएगा, छ्होरो नाम को"
"बोल ना शरमाता क्यों है, मा को खोल के दिखाने के लिए बोलने में ऩही शरमाता है पर अंगो के नाम लेने में शरमाता है".
"है मा, तुम्हारी..... ."
"हा हा मेरी क्य......बोल"
"है मा तुम्हारी छुउूउची" ये साबद बोल के ही इतना मज़ा आ गया की लगा जैसे लॉरा पानी फेक देगा.
"हा अब आया ना लाइन पर, दबा मेरी चुचियों को इस से तेरा पानी जल्दी निकलेगा, है क्या भयनकार लॉरा है, पाता ऩही इस उमर में ये हाल है, जब इस छोकरे के लंड का, तो पूरा जवान होगा तो क्या होगा"
मैने अपने दोनो हथेलियो में मा की चुचिया भर ली और उन्हे खूब कस कस के दबाने लगा. ग़ज़ब का मज़ा आ रहा था. ऐसा लग रहा था जैसे की मैं पागल हो जौंगा. दोनो चुचिया किसी अनार की तरह से सख़्त और गुदाज़ थी. उसके मोटे मोटे निपल भी ब्लाउस के उपर से पकर में आ रहे थे. मैं दोनो निपल के साथ साथ पूरी चुचि को ब्लाउस के उपर से पकर कर दबाए जा रहा था. मा के मुँह से अब सिसकारिया निकलने लगी थी और वो मेरा उत्साह बढ़ते जा रही थी.
"है बेटा शाबाश ऐसे ही दबा मेरी चुचियों को, है क्या लॉरा है, पाता ऩही घोरे का है या सांड का, ठहर जा अभी इसे चूस के तेरा पानी निकलती हू" कह कर वो नीचे की र झुक गई जल्दी से मेरा लंड अपने होंठो के बीच क़ैद कर लिया और सुपरे को होंठो के बीच दबा के खूब कस कस के चूसने लगी जैसे की पीपे लगा के कोई कोका-कोला पीटा है. मैं उसकी चुचियो को अब और ज़यादा ज़ोर से दबा रहा था, मेरी भी सिसकारिया निकलने लगी थी, मेरा पानी अब च्छुतने वाला ही था.
धोबन और उसका बेटा
-
- Platinum Member
- Posts: 1803
- Joined: 15 Oct 2014 22:49
Re: धोबन और उसका बेटा
"है, रे मेरी मा निकला रे निकला मेरा निकल गया ओह मा सारा सारा का सारा पानी तेरे मुँह में ही निकल गया रे". मा का हाथ अब और टर गति से चलने लगा ऐसा लग रहा था जैसे वो मेरे पानी को गाता-गत पीते जा रही है. मेरे लंड के सुपरे से निकले एक-एक बूँद पानी चूस जाने के बाद मा ने अपने होंठो मेरे को मेरे लंड पर से हटा लिया और मुस्कुराती हुई मुझे देखने लगी और बोली कैसा लगा. मैने कहा "बहुत अक्चा और बिस्तेर पर एक तरफ लुढ़क गया. मेरे साथ साथ मा भी लुढ़क के मेरे बगल में लेट गई और मेरे होंठो और गालो को थोरी देर तक चूमती रही.
थोरी देर तक आँख बंद कर के परे रहने के बाद जब मैं उठा तो देखा की मा ने अपनी आँखे बंद कर रखी है और अपने हाथो से अपने चुचियों को हल्के हल्के सहला रही थी. मैं उठ कर बैठ गया और धीरे से मा के पैरो के पास चला गया. मा ने अपना एक पैर मोरे रखा था और एक पैर सीधा कर के रखा हुआ उसका पेटिकोट उसके जेंघो तक उठा हुआ था. पेटिकोट के उपर और नीचे के भागो के बीच में एक गॅप सा बन गया था. उस गॅप से उसकी झांग अंदर तक नज़र आ रही थी. उसकी गुदज जेंघो के उपर हाथ रख के मैं हल्का सा झुक गया और अंदर तक देखने के लिए हालाँकि अनादर रोस्नी बहुत कम थी परंतु फिर भी मुझे उसके काले काले झतो के दर्शन हो गये. झतो के कारण चूत तो ऩही दिखी परंतु चूत की खुसबु ज़रूर मिल गई. तभी मा ने अपनी आँखे खोल दी और मुझे अपने जेंघो के बीच झकते हुए देख कर बोली "है दैया उठ भी गया तू मैं तो सोच रही थी अभी कम से कम आधा घंटा शांत परा रहेगा, और मेरी जेंघो के बीच क्या कर रहा है, देखो इस लरके को बुर देखने के लिए दीवाना हुआ बैठा है," फिर मुझे अपने बाँहो में भर कर मेरे गाल पर चुम्मि काट कर बोली "मेरे लाल को अपनी मा का बुर देखना है ना, अभी दिखती हू मेरे छ्होरे, है मुझे ऩही पाता था की तेरे अंदर इतनी बेकरारी है बुर देखने की"
मेरी भी हिम्मत बढ़ गई थी "है मा जल्दी से खोलो और दिखा दो"
"अभी दिखती हू, कैसे देखेगा, बता ना"
"कैसे क्या मा, खोलो ना बस जल्दी से"
"तो ले ये है मेरे पेटिकोट का नारा खुद ही खोल के मा को नंगा कर दे और देख ले"
"है, मा मेरे से ऩही होगा, तुम खोलो ना"
"क्यों ऩही होगा, जब तू पेटिकोट ऩही खोल पाएगा तो आगे का काम कैसे करेगा"
"है मा आगे का भी काम करने दोगि क्या?"
मेरे इस सवाल पर मा ने मेरे गालो को मसालते हुए पुच्छ, "क्यों आगे का काम ऩही करेगा क्या, अपनी मा को ऐसे ही पायसा छ्होर देगा, तू तो कहता था की तुझे ठंडा कर दूँगा, पर तू तो मुझे गरम कर छ्होर्ने की बात कर रहा है"
"है मा, मेरा ये मतलब ऩही था, मुझे तो अपने कानो पर विस्वास ऩही हो रहा की तुम मुझे और आगे बढ़ने दोगि"
"गढ़े के जैसा लंड होने के साथ साथ तेरा तो दिमाग़ भी गढ़े के जैसा ही हो गया है, लगता है सीधा खोल के ही पुच्छना परेगा, बोल छोड़ेगा मुझे, छोड़ेगा अपनी मा को, मा की बुर चतेगा, और फिर उसमे अपना लॉरा डालेगा, बोल ना"
"है मा, सब करूँगा, सब करूँगा जो तू कहेगी वो सब करूँगा, है मुझे तो विस्वश ऩही हो रहा की मेरा सपना सच होने जा रहा है, ओह मेरे सपनो में आने वाली पारी के साथ सब कुच्छ करने जा रहा हू"
"क्यों सपनो में तुझे और कोई ऩही मैं ही दिखती थी क्या"
"हा मा, तुम्ही तो हो मेरे सपनो की परी, पूरे गाओं में तुमसे सुंदर कोई ऩही"
"है, मेरे 16 साल का जवान छ्होकरे को उसकी मा इतनी सुंदर लगती है क्या?"
-
- Platinum Member
- Posts: 1803
- Joined: 15 Oct 2014 22:49
Re: धोबन और उसका बेटा
"हा मा, सच में तुम बहुत सुंदर हो और मैं तुम्हे बहुत दीनो से चू...."
"हा, हा बोल ना क्या करना चाहता था, अब तो खुल के बात कर बेटे, शर्मा मत अपनी मा से अब तो हुमने शर्म की हर वो दीवार गिरा दी है जो जमाने ने हमारे लिए बनाई है"
"है मा मैं कब से तुम्हे चॉड्ना चाहता था पर कह ऩही पाता था"
"कोई बात ऩही बेटा अभी भी कुच्छ ऩही बिगरा है वो भला हुआ की आज मैने खुद ही पहल कर दी, चल आ देख अपनी मा को नंगा और आज से बन जा उसका सैययान"
कह कर मा बिस्तेर नीचे उतार गई और मेरे सामने आके खरी हो गई और धीरे धीरे करके अपने ब्लाउस के एक बटन को खोलने लगी. ऐसा लग रहा था जैसे चाँद बदल में से निकल रहा है. धीरे धीरे उसकी गोरी गोरी चुचिया दिखने लगी. ओह गजब की चुचिया थी, देखने से लग रहा था जैसे की दो बरे नारियल दोनो तरफ लटक रहे हो. एक डम गोल और आगे से नुकीले तीर के जैसे. चुचियों पर नासो की नीली रेखाए स्पस्त दिख रही थी. निपल थोरे मोटे और एकद्ूम खरे थे और उनके चारो तरफ हल्का गुलबीपन लिए हुए गोल गोल घेरा था. निपल भूरे रंगे के थे. मा अपने हाथो से अपने चुचियों को नीचे से पकर कर मुझे दिखती हुई बोली "पसंद आई अपनी मा की चुचि, कैसी लगी बेटा बोल ना, फिर आगे का दिखौँगी"
"है मा तुम सच में बहुत सुंदर हो, ओह कितनी सुंदर चुउ..हिय है ओह"
मा ने अपने चुचियों पर हाथ फेरते हुए और अच्छे से मुझे दिखाते हुए हल्का सा हिलाया और बोली "खूब सेवा करनी होगी इसकी तुझे, देख कैसे शान से सिर उठाए खरी है इस उमर में भी, तेरे बाप के बस का तो है ऩही अब तू ही इन्हे संभालना" कह कर वो फिर अपने हाथो को अपने पेटिकोट के नारे पर ले गई और बोली "अब देख बेटा तेरा को जन्नत का दरवाजा दिखती हू, अपनी मा का स्पेशल मालपुआ देख, जिसके लिए तू इतना तरस रहा था". कह कर मा ने अपने पेटिकोट के नारे को खोल दिया. पेटिकोट उसके कमर से सरसरते हुए सीधा नीचे की गिर गया और मा ने एक पैर से पेटिकोट को एक तरफ उच्छल कर फेक दिया और बिस्तर के और नज़दीक आ गई फिर बोली "है बेटा तूने तो मुझे एक डम बेशरम बना दिया", फिर मेरे लंड को अपने मुति में भर के बोली "ओह तेरे इस सांड जैसे लंड ने तो मुझे पागल बना दिया है, देख ले अपनी मा को जी भर के" मेरी नज़रे मा के जेंघो के बीच में टिकी हुई थी. मा की गोरी गोरी चिकनी रनो के बीच में काले काले झतो का एक तिकोना बना हुआ था. झांट बहुत ज़यादा बरे ऩही थे. झांतो के बीच में से उसकी गुलाबी चूत की हल्की झलक मिल रही थी, मैने अपने हाथो को मा के जेंघो पर रखा और थोरा नीचे झुक कर ठीक चूत के पास अपने चेहरे को ले जा के देखने लगा. मा ने अपने दोनो हाथ को मेरे सिर पर रख दिया और मेरे बालो से खेलने लगी फिर बोली "रुक जा ऐसे ऩही दिखेगा तुझे आराम से बिस्तर पर लेट के दिखती हू"
"ठीक है, आ जाओ बिस्तेर पर, मा एक बार ज़रा पिच्चे घुमओ ना"
"हा, हा बोल ना क्या करना चाहता था, अब तो खुल के बात कर बेटे, शर्मा मत अपनी मा से अब तो हुमने शर्म की हर वो दीवार गिरा दी है जो जमाने ने हमारे लिए बनाई है"
"है मा मैं कब से तुम्हे चॉड्ना चाहता था पर कह ऩही पाता था"
"कोई बात ऩही बेटा अभी भी कुच्छ ऩही बिगरा है वो भला हुआ की आज मैने खुद ही पहल कर दी, चल आ देख अपनी मा को नंगा और आज से बन जा उसका सैययान"
कह कर मा बिस्तेर नीचे उतार गई और मेरे सामने आके खरी हो गई और धीरे धीरे करके अपने ब्लाउस के एक बटन को खोलने लगी. ऐसा लग रहा था जैसे चाँद बदल में से निकल रहा है. धीरे धीरे उसकी गोरी गोरी चुचिया दिखने लगी. ओह गजब की चुचिया थी, देखने से लग रहा था जैसे की दो बरे नारियल दोनो तरफ लटक रहे हो. एक डम गोल और आगे से नुकीले तीर के जैसे. चुचियों पर नासो की नीली रेखाए स्पस्त दिख रही थी. निपल थोरे मोटे और एकद्ूम खरे थे और उनके चारो तरफ हल्का गुलबीपन लिए हुए गोल गोल घेरा था. निपल भूरे रंगे के थे. मा अपने हाथो से अपने चुचियों को नीचे से पकर कर मुझे दिखती हुई बोली "पसंद आई अपनी मा की चुचि, कैसी लगी बेटा बोल ना, फिर आगे का दिखौँगी"
"है मा तुम सच में बहुत सुंदर हो, ओह कितनी सुंदर चुउ..हिय है ओह"
मा ने अपने चुचियों पर हाथ फेरते हुए और अच्छे से मुझे दिखाते हुए हल्का सा हिलाया और बोली "खूब सेवा करनी होगी इसकी तुझे, देख कैसे शान से सिर उठाए खरी है इस उमर में भी, तेरे बाप के बस का तो है ऩही अब तू ही इन्हे संभालना" कह कर वो फिर अपने हाथो को अपने पेटिकोट के नारे पर ले गई और बोली "अब देख बेटा तेरा को जन्नत का दरवाजा दिखती हू, अपनी मा का स्पेशल मालपुआ देख, जिसके लिए तू इतना तरस रहा था". कह कर मा ने अपने पेटिकोट के नारे को खोल दिया. पेटिकोट उसके कमर से सरसरते हुए सीधा नीचे की गिर गया और मा ने एक पैर से पेटिकोट को एक तरफ उच्छल कर फेक दिया और बिस्तर के और नज़दीक आ गई फिर बोली "है बेटा तूने तो मुझे एक डम बेशरम बना दिया", फिर मेरे लंड को अपने मुति में भर के बोली "ओह तेरे इस सांड जैसे लंड ने तो मुझे पागल बना दिया है, देख ले अपनी मा को जी भर के" मेरी नज़रे मा के जेंघो के बीच में टिकी हुई थी. मा की गोरी गोरी चिकनी रनो के बीच में काले काले झतो का एक तिकोना बना हुआ था. झांट बहुत ज़यादा बरे ऩही थे. झांतो के बीच में से उसकी गुलाबी चूत की हल्की झलक मिल रही थी, मैने अपने हाथो को मा के जेंघो पर रखा और थोरा नीचे झुक कर ठीक चूत के पास अपने चेहरे को ले जा के देखने लगा. मा ने अपने दोनो हाथ को मेरे सिर पर रख दिया और मेरे बालो से खेलने लगी फिर बोली "रुक जा ऐसे ऩही दिखेगा तुझे आराम से बिस्तर पर लेट के दिखती हू"
"ठीक है, आ जाओ बिस्तेर पर, मा एक बार ज़रा पिच्चे घुमओ ना"