हिन्दी में मस्त कहानियाँ

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
rajaarkey
Platinum Member
Posts: 3125
Joined: 10 Oct 2014 10:09

Re: हिन्दी में मस्त कहानियाँ

Unread post by rajaarkey » 01 Nov 2014 12:49


जब वो मेरे सामने आ खड़ी हुई तब मैने उसे सिर से लेकर पाँव तक घूरा।
लौड़े में मस्ती की लहर दौड़ गई।
मै उसे देखकर लुंगी के नीचे अपने लौड़े को मसल रहा था।
"नाम क्या है तेरा?..."
"रुचि...."-वो सहमे हुए भाव से बोली।
"किस क्लास में है?.."
"आठवीं में...."
यानि अभी 14 से 15 साल की थी।
मतलब चूत पर रेशमी बाल आ चुके थे।
और हो सकता था माहवारी भी शुरू हो गई हो।
सोचकर ही लौड़ा लुंगी के अंदर हाँफने लगा।
"किसके घर की है?...."
"राम आसरे मेरे पापा हैं...."
"अच्छा तो तु उस दरुवल की लौडिया है....अच्छा हुआ तू मेरे हाथ लग गई....तेरे बाप से तो काफी पुराना हिसाब चुकता करना है...चल अंदर चल...और अगर ज्यादा आना कानी की तो यहीं पर उल्टा लटका दूँगा...तेरा बाप मेरा झाँट भी नहीं उखाड़ पायेगा।..."
वो और ज्यादा सहम गई।
मैने उसका हाथ पकड़ा और उसे कमरे के भीतर ले आया।
मैने दरवाजे में अंदर से कुण्डी लगा ली।
कहते हैं की भूखे शेर के पंजे में माँस और हबशी पुरूष के चंगुल में फँसी लड़की.....दोनों का एक ही जैसा हश्र होता है। दोनों भूख मिटाने के ही काम आती हैं। एक पेट की तो दूसरी लण्ड की।
दोनों ही खून फेंकती हैं चाहे माँस हो, चाहे कच्ची बुर।
शिकार फँसाने के बाद अगर उसे सब्र के साथ खाया जाय तो ज्यादा मजा आता है।
लेकिन ये साली सब्र बड़ी कमीनी चीज है....होकर भी नहीं होती।
खासतौर पर तब जब फ्री फण्ड की कुँवारी लड़की हाथ लग जाय।
वो भी घर बैठ कर ख्याली पुलाव पकाते हुए।
धन्य हो मेरे परदादा जी जिन्होने ईमली का पेड़ पिछवाड़े लगाया था।
फल ही फल मिल रहा था- खट्टा भी और नमकीन भी।
खट्टा यानी ईमली का मजा और नमकीन मतलब कुँवारी बुर के अनचुदे छेद में अटकी पेशाब की बूँद को जीभ से चाटने का मजा।
लौड़ा भस्म भुरभुरे की एक और बात याद आई कि कुँवारी, अनचुदी, माहवारी हो रही बुर का पेशाब पीने से मर्दाना ताकत बनी रहती है।
इस वक्त मेरी नजर वहाँ थी जहाँ सम्भवतया लड़की की भूरे रोयेंवाली छोटी सी गोरी-गोरी बुर हो सकती थी।
मै लुंगी के भीतर लौड़े के छेद से चू रहे लसलसे पानी को ऊँगली से सुपाड़े पर मल रहा था।
ताकि कुँवारी चूत में घुसने के लिए सुपाड़ा एकदम चिकना हो जाय।
"हमें जाने दीजिये......फिर कभी ईमली तोड़ने नहीं आँऊगी....."
"एक शर्त पे छोड़ दूँगा, अगर.....अपना मूत पिला दे..."
"धत्त्..."
मेरी बात सुनकर लड़की शरमा कर नीचे देखने लगी।
यानि उम्र भले ही छोटी थी लेकिन उतनी अंजान भी नहीं थी।
ये सोच कर मेरी मस्ती और भी बढ़ गई।
"अगर तुमने मेरा कहना नहीं माना तो नंगी करके ईमली के पेड़ पर उल्टा लटका दूँगा...सारे लड़के तुम्हें नंगी देख कर खूब मजा लूटेंगें...."
मेरी ये बात सुनकर वो घबराई भी और थोड़ी सहमी भी।
"बोलो....पिलाओगी अपना पेशाब...."
वह चुपचाप खड़ी रही।
"जल्दी बोलो नहीं तो तुझे अभी ले चलता हूँ...."
इतना कहकर मै एक कदम उसकी तरफ बढ़ा।
उसने जल्दी से अपना सिर हाँ में हिलाया।
मैने जल्दी से एक गद्दा लिया और उसे फर्श पर बिछा दिया।
फिर छत की तरफ सिर करके लेट गया।
शेष अगले भाग में......

rajaarkey
Platinum Member
Posts: 3125
Joined: 10 Oct 2014 10:09

Re: हिन्दी में मस्त कहानियाँ

Unread post by rajaarkey » 01 Nov 2014 12:49

कुँवारी जवानी--2
"जैसे मूतने बैठती है उसी तरह कच्छी सरका कर मेरे मुँह के पास आकर बैठ जा..."
वह चुचाप खड़ी रही फिर बोली-
"मै नहीं कर पाऊँगी...."
मैने उसकी तरफ घूर कर देखा-
"क्यों?.."
"मेरा महीना चल रहा है...."
ये सुन कर मेरा कमीना दिल और बुर-चोद लौड़ा जोर-जोर से हाँफने लगा।
"कोई बात नहीं तू आकर मेरे मुँह में पेशाब कर बस.."
"पर..पर.. बहुत बदबू करेगा..."
"कोई बात नहीं तेरी बदबू मेरे लिए खुशबू है...आ जा..."
फिर वो सकुचाती हुई मेरे पास तक आई।
"कैसे करू मेरी समझ में नहीं आ रहा...."
"अरे अपना एक पैर मेरी गर्दन के इधर रख और दूसरा उधर...फिर धीरे से अपनी कच्छी सरका कर बैठ जा.."
सकुचाती हुई शरमाते हुए उसने वही किया।
अब मेरा सिर उसकी स्कर्ट के ठीक नीचे था।
मै नीचे से उसकी लाल रंग की कच्छी देख रहा था।
जहाँ पर उसकी बुर थी वहाँ पर काफी ऊभार था।
मतलब उसने पैड लगाया हुआ था।
वह खड़ी होकर अपने स्कर्ट को इस तरह दबाने लगी ताकि मै उसकी बुर न देख पाँऊ।
"ऐसे ढकेगी तो अपना मूत कैसे पिलायेगी....चल जल्दी से कच्छी सरका कर मेरे मुँह में मूत..."
इतना कहकर मैने अपना भाड़ जैसा मुँह बा दिया।
तब उसने सकुचाते हुए कच्छी के अंदर हाथ डाला और विस्पर का पैड धीरे से बाहर निकाल लिया।
जिस पर मेरी निगाह पड़ गई।
जहाँ बुर का छेद था वहॉ खून की 2-3 बूँदें सूख कर जम गई थीं।
उसकी जाँघें भी खूब मोटी, चिकनी और भरी-भरी थीं।
उसने शरमाते हुए अपनी कच्छी धीरे से नीचे सरकाई और मेरे मुँह के पास बैठ गई।
मेरा चेहरा उसकी स्कर्ट के घेरे में था।
मैने गौर से उसकी छोटी सी बुर को देखा।
उसमें से सड़े अण्डे जैसी बड़ी ही मीठी-मीठी खुशबू निकल रही थी।
बुर की फाँकें चिपकी हुई थीं और उनके बीच में एक चीरा लगा था।
चूत पर बहुत हल्की-हल्की झाँटें भी निकल आई थी।
यानी लड़की जवान हो रही थी।
बुर को देखते ही मेरा लौड़ा गधे की तरह जोर-जोर से हाँफने लगा।
"जय हो बाबा लौड़ा भस्म भुरभुरे..."
और मैने उसकी बुर को चभुवाके अपने मुँह में भर लिया।
मै जीभ को उसकी दरार में धँसा-धँसा के चाट रहा था।
मेरे ऐसा करते ही लड़की भी सिसियाने लगी।
"सीSSSS....सीSSSSS....ऊई मम्मी.....आह..."
वो जितना सिसियाती मै उतनी कसकर उसकी बुर चूसता।
उसकी गाँड़ भी खूब चिकनी थी।
बुर चाटते वक्त मै उसके चूतरों को खुब सहला रहा था।
धीरे-धीरे वो भी गोल-गोल अपने चूतरों को मटकाने लगी तब पहली बार मुझे ये पता चला की 14-15 साल की उमर मे भी लड़कियों के अंदर जवानी की गरमी उबलने लगती है।
बुर चाटते वक्त एकाएक मेरे मुँह में नमकीन स्वाद कुछ ज्यादा आने लगा।
मैने बुर की फाँकों को चीर कर दरार में एकदम नीचे देखा।
एक लाल छेद बार-बार खुलता और बंद हो रहा था और साथ ही उसमें से चिपचिपा पानी निकल रहा था।
इसी पानी को बोलते हैं- कुँवारी चूत का रस।
मैने होंठ गोल करके छेद पर चिपका दिया और जोर-जोर से चूसने लगा।
लड़की एकदम मस्ता चुकी थी।
अब वह भी अपनी स्कर्ट उठा कर देख रही थी कि मै कैसे उसकी बुर चाट रहा हूँ।
लड़की का चेहरा तमक कर धीरे-धीरे लाल होने लगा था।
वह धीरे-धीरे अपने चूतरों को गोल-गोल घूमाने लगी।
मै समझ गया की लड़की मदहोश हो चुकी है।
"चल मेरी चिकनी....मूत मेरे मुँह में.....पिला दे अपना अमृत..."
इतना बोलकर मै उसकी बुर की मूत्रिका को चुसने लगा।
"हाय मम्मी....निकल जायेगी अंकल...."
"अंकल नहीं मेरी जान राजा बोल...मेरे राजा..."
"हाय....सच में निकल जायेगी मेरे राजा.....आईईई..."
आई-आई करती हुई एकाएक उसने पेशाब की एक धार मारी। जिसे मै चटखारे लेकर पी गया।
"और मूत मेरी रानी.....बड़ा मीठा पेशाब है....मूत....थोड़ा जोर लगा..."
लड़की ने गाँड़ का छेद सिकोड़ कर ताकत लगाई।
लेकिन 2-3 बूँद के अलावा नहीं निकला।
"नहीं निकलेगा...."
"बहुत हो गई चूत चटाई.....अब होगी तेरी बुर चोदाई...."
इतना बोल कर उसे मैने गोंद में उठा लिया और खटिये पर ला पटका।
फिर क्या था मैने लौड़ा भस्म भुरभुरे का नाम लिया और उसे धर दबोचा।
इस वक्त मै एकदम जन्मजात नंगा था।

rajaarkey
Platinum Member
Posts: 3125
Joined: 10 Oct 2014 10:09

Re: हिन्दी में मस्त कहानियाँ

Unread post by rajaarkey » 01 Nov 2014 12:50


लौड़ा लोहे की तरह टाइट होकर फनफना रहा था।
मुझे नंग-धड़ंग देख कर लड़की घबरा गई थी।
मैने जल्दी से उसे नंगी करके अपनी बाँहों में दबोच लिया और उसकी चिकनी टाँगों को अपनी मर्दाना टाँगों के बीच दबाकर अपने चौड़े सीने से उसके नींबुवों को मसलने लगा।
और लौड़ा उसकी छोटी सी बुर का चुम्मा ले रहा था की बस मेरी जान अभी फाड़ता हूँ तुझे।
जब मैने देखा की लड़की का चेहरा लाल पड़ चुका तो मैने आसन जमा लिया और उसकी टाँगों को खोलकर अपने कंधें पर डाल लिया और हिनहिनाते लौड़े को उसकी 14 साल की रोयेंदार, कसी, कुँवारी बुर के छेद पर टिकाकर उसे सीने से चिपका लिया फिर हुमक कर उसकी बुर में पेल दिया।
लौड़ा उसकी चूत के अंदर धँस गया।
वह परकटी कबुतरी की तरह फड़फड़ाने लगी।
साली बुर बहुत टाइट थी लेकिन कसी बुर के अंदर जाने के बाद लौड़ा और गरमा गया था।
फिर क्या था मैने उसे कसकर दबोचा और पूरी ताकत से पेल दिया।
लौड़ा उसकी चूत को बाता हुआ सीधे उसकी बच्चेदानी से जा टकराया।
"ऊई मम्मी....फट गई मेरी.......आह....छोड़ दीजिए आई माई...."
जब वह सिसकने लगी तो मैने उसके होंठों को अपने मुँह में भर लिया और उसकी गाठदार चूचियों को मसलने लगा तथा एक हाथ से उसके चिकने-चिकने चूतरों को पकड़कर दबोचने लगा। लौड़ा चूत में घुसाये मैं कम से कम पाँच मिनट तक वैसे ही लेटा रहा।
जब लड़की अपना चूतर धीरे-धीरे मटकाने लगी तो मै समझ गया की उसकी बुर में धीमा-धीमा दर्द हो रहा है।
अब वह अपने बुर पर धक्के पेलवाना चाहती थी।
मै धीरे-धीरे उसकी बुर में पेलने लगा।
"आई मम्मी....दुःख रही है....सीSSSS...धीरे से...."
वह सिसियाते हुए कसकर मेरे सीने से चिपक गई।
वह जितना कसके चिपकती मै उतनी कसकर उसकी बुर में लौड़ा चाप देता।
कुछ देर बाद वह भी धीरे-धीरे अपना चूतर उछालने लगी फिर क्या था मैं कस-कस के पूरी ताकत से उसकी बुर में लौड़ा चापने लगा।
थोड़ी देर में वह सिसियाते हुए मुझसे चिपक गई।
उसकी चूत से चुदाई का रस निकल रहा था।
उसके बाद मैने कस-कस के उसकी बुर में पेला और कुत्ते की तरह हाँफता हुआ झड़ गया।
उसके बाद वो लड़की रोज-रोज आने लगी।
सिर्फ उसे ही नहीं बल्कि उसकी सहेलियों को भी मैने फँसाकर लौड़ा भस्म भुरभुरे की बात का पालन किया।
यानि हर महीने एक कुँवारी चूत का मुँह खोलने लगा।
और वाकई में मै आज एक मर्द हूँ।
अगर आप लोग भी अपनी मर्दानगी बरकरार रखना चाहते हैं तो वही कीजिए जो मै करता हूँ।......धन्यवाद॥
""जय हो बाबा लौड़ा भस्म भुरभुरे की...""

Post Reply