अधूरी जवानी बेदर्द कहानी

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007
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Re: अधूरी जवानी बेदर्द कहानी

Unread post by 007 » 07 Nov 2014 09:03


जीजाजी भूखे शेर की तरह मेरे घर में इधर उधर घूम रहे थे !
मैं नहा कर आई तब वे कमरे में थे, मैं कमरे में गई खुले और गीले बालों के साथ !
जीजाजी की उत्तेजना चरम सीमा पर थी !
भाभी बाहर झाड़ू लगा रही थी, मैं कमरे में गई तो मुझे कोई गाना याद आया
मैंने वो गा कर थोड़ा ठुमका लगा कर जीजाजी के अपनी कमर हिला के गाण्ड से
टक्कर मारी तो अनजान खड़े जीजाजी पलंग पर गिर गए, मुझे फिर से हंसी छुट
गई, मैं उन्हें देख कर बहुत खुश थी, मेरे लिए सेक्स कोई मायने नहीं रखता
पर जीजाजी का दिमाग सेक्स पर ही घूम रहा था इसलिए वे बस कैसे चोदूँगा-
कैसे चोदूँगा ही अपने दिमाग में सोच रहे थे, कुछ फिक्रमंद भी थे इसलिए
उन्होंने गाण्ड से ठुमका लगा कर गिराने का कोई प्रत्युत्तर नहीं दिया !
मैं खड़ी थी, जीजाजी पलंग पर बैठे थे। मुझे उन पर कुछ दया आई, मैंने अपनी
मैक्सी उठाई और अपनी नंगी चूत उनके सामने कर दी और बोली- अभी भाभी नहाने
जाएगी, तब तुम चौका लगा लेना और यह आइसक्रीम खा लो !
ऐसा कहते ही बैठे-बैठे जीजाजी ने अपना मुँह मेरी नहाई-धोई चिकनी चूत पर
लगाया और सपर-सपर चाटने लगे। आनन्द से मेरी आँखे बंद होने लगी। एक मिनट
भी नहीं चाटा होगा कि बच्चों का शोर सुनाई दिया और मैंने फटाफट अपनी
मैक्सी नीचे की और कमरे से बाहर आ गई। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम
पर पढ़ रहे हैं।
अब जीजाजी का चेहरा और उनकी झुंझलाहट देखने लायक थी !
मैंने उन तीनों बच्चो को कहा- जल्दी जीम कर आ गए?
तो मेरे बेटे ने कहा- जीमन अच्छा नहीं था !
मेरी भाभी वहाँ आ गई थी और बच्चों से कह रही थी- तुम्हें एक जगह और भी जाना है !
बच्चे मना कर रहे थे- वहाँ नहीं जायेंगे, बहुत दूर घर है।
मैंने कहा- यहाँ तो तुम्हें जिमा कर 2-2 रूपये ही दिए थे, वहाँ 5-5 रूपये
देंगे और उनके जिमन भी अच्छा है।
जीजाजी भी जाने का जोर दे रहे थे कि वहाँ जीम के आओगे तो तुम्हें बाइक पर घुमाऊँगा।
खैर जीजाजी की किस्मत ने जोर मारा और बच्चे रवाना हो गए।
उनके जाते ही मैंने दरवाज़ा बंद किया, भाभी ने पानी की बाल्टियाँ बाथरूम
में रखी और अपने कपड़े लेकर बाथरूम में घुस गई।
अब घर सुनसान हो गया था, हम कमरे में भागते से गए और अन्दर वाले कमरे में
जाकर मैंने जीजाजी को कहा- अब फटाफट कर लो !
पर उन्होंने कहा- उस कमरे में नहीं, वहाँ से बाहर का ध्यान नहीं रहेगा।
इस बाहर वाले कमरे में आओ, इससे बाहर भी दीखता भी रहेगा और कमरे की
खिड़की से बाथरूम का दरवाजा भी दीखता रहेगा कि भाभी बाहर निकली तो हमें
पता चल जायेगा।

हम ये बातें फुसफुसा कर कर रहे थे !
मुझे जीजाजी का विचार पसंद आ गया, मैं जीजाजी के दिमाग की कायल हो गई और
उस कमरे में आकर खिड़की से बाथरूम का दरवाज़ा देखा वो बंद था, खिड़की पर
मच्छर जाली लगी थी इसलिए हमें तो बाहर का दिख रहा था बाहर से अन्दर कुछ
नहीं दीखता था।
मैं सीधे पलंग पर लेट गई, अपनी मैक्सी ऊँची कर दी और जीजाजी को कहा-
फटाफट अपना पानी निकाल लो ! और कुछ भी चूमा चाटी नहीं करनी है, वक़्त
बहुत कम है, किसी के आने पर आपका बिना निकले ही रह सकता है, फिर मुझे दोष
मत देना !
जीजाजी ने पैंट की चैन खोली अपने अकड़े हुए लण्ड को मुश्किल से बाहर
निकाला और मेरी ऊँची की हुई टांगों के बीच में बसी चूत के छेद में थूक
लगा कर पेल दिया !
मैंने कहा- कंडोम कहाँ है? मैं ऐसे नहीं चुदवाऊँगी !
वे बोले- यार तुमने हाथ फ़ेरने दिया नहीं, चाटने दिया नहीं, अब 2 मिनट तो
मेरे नंगे लण्ड को तुम्हारी नंगी चूत में जाकर चमड़ी से चमड़ी तो मिलने दे,
मेरी जेब में कंडोम है, अभी लगा लूँगा ! तुम्हारे चूत में ऐसे ही थोड़ी
देर घुसेगा तो यह ज्यादा गर्म हो जायेगा और मेरा भी पानी फटाफट निकल
जायेगा !
मैंने कहा- ठीक है !
अब वे जोर जोर से धक्के लगा रहे थे और उनके हर धक्के से कुछ पुराना पलंग
थोड़ा चूं चूं कर रहा था, मैं सोच रही थी कि कहीं बाहर यह आवाज़ नहीं चली
जाये। पर कोई विकल्प नहीं था।
दो मिनट बाद ही जीजाजी ने लण्ड बाहर निकल लिया और जेब से कंडोम का पैकेट
निकाल कंडोम निकलने लगे।
मैं एकदम पलंग से उठ कर बाहर गई, जीजाजी ने पूछा- क्या हुआ? कहाँ जा रही हो?
मैंने कहा- मैं थोड़ा ध्यान रख कर आ रही हूँ।
मैंने बाहर हाल में जाकर कुछ कुर्सिया खिसकाई ताकि भाभी को पता चले कि
मैं हाल में काम कर रही हूँ, साथ ही भाभी को आवाज़ देकर कहा- पानी ज्यादा
मत ख़राब करना, जल्दी से नहा लो !
वो बोली- अभी तो मैंने शुरू किया है, क्यों परेशान करती हो? अभी मुझे
नहाने में समय लगेगा !
यह सुनकर मुझे पता चल गया कि भाभी अभी नहीं बाहर आएगी और मैं फटाफट
जीजाजी के पास पहुँच गई। वो अपने लण्ड पर कंडोम चढ़ाये हाथ में लेकर
मुट्ठिया दे रहे थे। मुझे पता था ये अपना पानी जल्दी निकलने की कोशिश में
हैं, मैं यहाँ नहीं थी तब वे रुके नहीं थे और हाथ से काम चला रहे थे !
मैं फिर से फटाफट लेट गई और अपनी मैक्सी उठा कर अपनी टांगें ऊँची कर फिर
से चोदने की दावत दी !
जीजाजी तैयार ही थे, उन्होंने फटाफट अन्दर डाला और एक्सप्रेस ट्रेन की
तरह शुरू हो गए। उनके कूल्हे बिजली की गति से ऊपर-नीचे हो रहे थे और उनकी
तूफानी रफ़्तार से मेरी चूत पसीज गई थी, पानी छोड़ रही थी, मुझे स्वर्गिक
आनंद मिल रहा था और मैं पीछे तिरछी होकर खिड़की को देखना बंद कर जीजाजी
से चिपक गई और अपनी गाण्ड उचका-उचका कर चुदा रही थी। मेरी दबी-दबी
आहें-कराहें निकल रही थी।
पहले मेरा मज़े लेने की कोई इच्छा नहीं थी, मैं सोचती थी कि जीजाजी का
पानी निकाल कर इन्हें खुश करना है, पर मेरे भी आनन्द के सोते फ़ूट पड़े थे।
और जीजाजी ने भी झटका खाकर धीरे-धीरे होकर अपना लण्ड फटाफट बाहर निकाला,

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Re: अधूरी जवानी बेदर्द कहानी

Unread post by 007 » 07 Nov 2014 09:04


कंडोम की गांठ लगा कर अपनी जेब में डाल लिया और बाहर हाल में चले गए !

उनके चेहरे से संतुष्टि झलक रही थी।
मैंने भी अपने पानी से गीली हुई चूत को वहाँ पड़े पुराने कपड़े से पौंछा,
फटाफट चड्डी पहन ली और मैक्सी को सही कर भाभी के बाथरूम के पास चली गई।
मुझे अचम्भा हुआ कि जीजू की चुदाई सिर्फ 6-7 मिनट चली थी, यानि मौके के
हिसाब से वे सही में अपना पानी निकाल लेते हैं ! हाँ गति उनकी बहुत तेज़
थी।
जीजू बाहर हाल में लेट कर अपनी सांसें सही कर रहे थे !
भाभी भी नहा कर बाहर आ गई, थोड़ी देर में बच्चे भी आ गए और अब मेरी ड्यूटी
पूरी हो गई थी इसलिए मुझे कोई चिन्ता नहीं थी !
थोड़ी देर बाद जीजाजी के साथ बाज़ार गई उनकी बाइक पर बैठ कर, मैंने जब तक
दूकान से सामान लिया तब तक आगे एक गन्दा नाला था, जिसमें जीजाजी जेब में
लाया हुआ कंडोम फेंक आये !
वापिस घर पहुँची तो मैंने जीजाजी को कहा- आप अपने गाँव कल ही जाना, सुबह
मेरी जल्दी की गाड़ी है, आप मुझे बाइक पर स्टेशन छोड़ देना ! आपके ससुरजी
भी शाम को आ जायेंगे, उनसे भी मिल लेना और जो बच्चो से वादा किया था,
इन्हें भी बाइक पर घुमा लाओ ! चलो हमें हमारे खेत ले जाओ !
वहाँ पापा की चाय लेकर जानी थी !
अब बाइक पर मैं, मेरी भाभी उसके दो बच्चे एक टंकी पर, दूसरा उसकी गोद में
! जीजाजी और भाभी के बीच में मैं ही बैठी थी, मुझे पता था इतने जने बाइक
पर बैठेंगे तो एक दूसरे से चिपक कर बैठना पड़ेगा और मैं नहीं चाहती थी कि
मेरे जीजाजी के पीठ में मेरी भाभी के स्तन चुभें !
वास्तव में वहाँ मुझे ईष्या हो रही थी।
इस प्रकार हम सब बाइक पर बैठ गए, रास्ते में काफी रेत थी, जीजाजी सावधानी
से चला रहे थे पर एक मोड़ पर हमारी बाइक रेत के कारण टेढ़ी हो गई पर
जीजाजी ने गिरने नहीं दिया।
खैर हम खेत पर पहुँच गए, पापा बहुत खुश हुए जीजाजी को देख कर !
फिर हम वापिस आ गए, तब मेरी मम्मी भी ननिहाअल से आ गई, वो बड़ी शक्की है,
उन्होंने पूछा- तेरे जीजाजी कब आये? ये कभी आते तो नहीं हैं, आज कैसे आ
गए? और तेरी दीदी को साथ क्यों नहीं लाये?
ऐसी बातें वो मुझसे पूछ रही थी। मैंने उसका शक दूर किया पर अब मुझे पता
चल गया था कि अब ऐसा कोई काम नहीं करना है जिससे मम्मी को और शक हो जाये।
ये बातें मैंने जीजाजी को भी इशारों से बता दी थी !
जीजाजी ने पूछा- यार, मैं रात को रुकूँगा तो मेरा काम हो सकता है क्या?
पर मैंने उनको सख्ती से चेतावनी दे दी कि आपका काम मैंने कर दिया है, अब
रात को आपने कुछ करने की कोशिश की तो अपना रिश्ता आज से टूट जायेगा !
इतना सुनते ही जीजाजी चुप हो गए और बोले- मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगा, मैं
संतुष्ट हूँ, बस अपने रिश्ते तोड़ने वाली बात मत करो यार ! मेरे दिल में
दर्द होता है !
मुझे जल्दी उठना था, रात को सामान भी बांधना था। वास्तव में जीजाजी ने
अपना वादा निभाया, मुझे नहीं छेड़ा, चुपचाप हाल में सोते रहे।
मुझे पता था कि मेरी मम्मी कमरे में सो रही हैं पर हर आहट पर उनके कान
लगे हुए हैं, अब उनको क्या पता कि जो होना था वो दोपहर में ही हो गया !
औरत का मन होता है तो वो कहीं भी और कभी भी चुदवा लेती है, उसके लिए कोई
पहरा काम नहीं आता है !
सुबह चार बजे जयपुर के लिए गाड़ी थी, मैंने जीजाजी को और अपने भाई को 3.30
बजे उठा दिया था, वो दोनों और मैं साथ-साथ स्टेशन गए। मुझे पता था कि
लेडीज डिब्बा गार्ड के डिब्बे के पास लगता है इसलिए हम काफी पीछे गए,
आगे-आगे भाई चल रहा था और उसके कंधे पर मेरा बैग था। स्टेशन के इस तरफ 4
बजे से पहले इतने यात्री भी नहीं थे इसलिए जीजाजी चलते चलते कई बार मेरे
चूतड़ों पर हाथ फेर देते थे तो कभी स्तन दबा देते थे। कुछ ठण्ड भी लग रही
थी और मैं उनके चिपक कर भी चल रही थी। मेरा भाई जो आगे चल रहा था, उसे
हमारी इस लीला का कुछ पता नहीं था !
मैं भी रात में जीजाजी के सेक्स के लिए कोशिश नहीं करने पर उनसे खुश थी,
मुझे पता था कि उनके लिए कितना मुश्किल हुआ होगा पने पर काबू करना इसलिए
मैंने चलते चलते उनका गाल चूम कर उन्हें इसका इनाम दे दिया !
गाड़ी आई और मैं बैठ गई, जीजाजी और मेरा भाई दोनों बाहर रहे। मेरी भी
ट्रेन चल रही थी, मैं उन्हें देख रही थी, साथ जाते जाते दोनों ही लम्बे
थे, दोनों लम्बू वापिस घर जा रहे थे जब तक मैं देखती रही मैं और वे दोनों
हाथ हिलाते रहे। फिर मैं आकर बर्थ पर बैठ गई और अपनी ड्यूटी संभाल ली !
जीजाजी का फोन आता, कहते- अब जब भी तुम्हें गाँव जाना हो, मुझे फोन करना,
मैं जयपुर आ जाऊँगा, एक रात वहीं होटल में ठहरेंगे, फिर साथ ही गाँव आ
जायेंगे !

मैंने कहा- पहले कुछ नहीं कह सकती, बाद में सोचेंगे !
मेरी माहवारी की तारीख जीजाजी को पता होती, मेरी माहवारी हमेशा महीने के
4 दिन पहले आती उस हिसाब से जीजाजी हर माहवारी की तारीख का अंदाज़ अगले
महीने 4 दिन पहले से लगा लेते !
अब आप सोचेंगे माहवारी का कहानी में क्या मतलब? पर मतलब है इसलिए यह बात
बता रही हूँ !
मैंने उन्हें 3-4 दिन पहले गाँव जाने की तारीख बता दी तो उन्होंने कहा-
तेरी माहवारी आने की तारीख है उस दिन, इसलिए तू मेडिकल स्टोर से
संडे-मंडे की गोलियाँ ले लेना, दो दिन पहले से रोज़ की एक ! ये गोलियाँ
माहवारी का दिन आगे खिसकाने के काम आती हैं !
पर मुझे गोलियाँ लेना पसंद नहीं था इसलिए मैं उन्हें झूठ ही कह दिया कि हाँ ले ली !
वो फोन पर बात करते, उनके लिए मेरे फिक्स डायलोग थे ! जैसे वो एक बात
पूछते थे- अपना काम कब व कैसे होगा?
मेरा डायलोग था- देख के मौका मारो चौका !
वो पूछते- कंडोम कितने लाऊँ?
मेरा डायलोग होता था- एज यू लाइक !
हर फोन पर मुझसे चुम्बन जरूर मांगते थे और कहते थे- ये चुम्बन जब तुम
मुझसे मिलेगी तो वापिस लौटा दूँगा !
जब तक चुम्बन नहीं देती, मुझे फोन नहीं रखने देते, अगर रख भी देती तो
चुम्बन के लिए वापिस लगा देते !
जिस दिन मैं रवाना हुई, जिसका डर था, वही हो गया, मेरी माहवारी शुरू हो गई !
मैंने कपड़ा लगाया और रवाना हुई। अब मैंने जीजाजी फोन किया- कहाँ हो?
वो बोले- रास्ते में हूँ, आ रहा हूँ मेरी जान !
मैंने कुछ अटकते अटकते कहा- आपका काम तो नहीं होगा !

उन्होंने एकदम से पूछा- क्यों?
मैंने कहा- मेरी माहवारी शुरू हो गई है !

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Re: अधूरी जवानी बेदर्द कहानी

Unread post by 007 » 07 Nov 2014 09:04


उन्होंने फिर पूछा- संडे मंडे गोली नहीं ली क्या?
मैंने झूठ ही कहा- आज सुबह ही ली है पर नहीं रुका !
जीजाजी ने कहा- अरे यार। दो दिन पहले से लेनी थी। खैर कोई बात नहीं। मुझे
तेरे साथ रहना है ! रात भर मेरे सीने से चिपक कर सो जाना, मेरा दिल हल्का
हो जायेगा और मुझे तुमसे बातें करनी हैं, साथ रहना है, सेक्स कोई जरूरी
नहीं है।
वे मुझे होटल में ले गए और फ़िर वही कहा कि सेक्स जरूरी नहीं है।
मैं उनकी बातें सुनकर उनके प्रति प्यार में भर गई, फिर मैंने कहा- वैसे
मेरे इतना ज्यादा खून नहीं आता है, फिर आज तो पहला दिन है !
तो बोले- फिर तुम चिंता मत करो, वैसे भी मैं कंडोम साथ लाया हूँ और उनको
प्रयोग करता ही हूँ, बस आइसक्रीम खाने को नहीं मिलेगी !
मैंने सोचा- चलो, ज्यादा नाराज़ तो नहीं हुए ! मैं सोच रही थी कि मेरी
गलती से उनका आनन्द चला गया पर वो मुझ पर नाराज़ नहीं हुए !
मुझे किसी ने कहा था कि औरत के जब माहवारी आती है तो कुछ बदबू सी आती है,
अब मुझे इस बदबू का कोई पता ही नहीं चलना था क्योंकि मेरे नाक में कोई
बीमारी है, मुझे ना तो कोई खुशबू आती है और ना ही बदबू, इस कारण मैं कई
बार सब्जी बनाते बनाते जला देती हूँ !
इसलिए जीजाजी कभी अपने बिस्तर पर खुशबू छिड़क कर या फ़ूल बिछा कर चुदाई
करते हैं तो मैं कहती हूँ मुझे उस खुशबू का कोई पता ही नहीं चलता तो
क्यों पैसे लगाते हो !
फिर उन्होंने कहा- तुम्हारी नाक का ऑप्रेशन करवाना पड़ेगा !
मैंने कहा- मुझे नहीं करवाना, मुझे तो चीरे और टांके के नाम से ही डर
लगता है और आपको फायदा है, आप भले कैसे ही रहो, मुझे तो बदबू आएगी नहीं !

और मैं हंस देती थी !
जीजाजी ने कहा- तब तो अच्छा है, मेरे सेंट और स्प्रे के पैसे बच गए !
पर मुझे लग रहा था कि शायद जीजाजी को मेरी बदबू ना आ जाये ! इसलिए मैंने
उन्हें उलाहना दिया- आज मैं आपके काम की नहीं हूँ, इसलिए आप ना तो नजदीक
आ रहे हैं और ना ही मुझे गले लगा रहे हैं !
इतरा कर कही हुई मेरी यह बात सुनकर जीजाजी फटाफट मेरे पास आकर लेट गए और
मुझे गले से लगा लिया, बोले- ऐसी बात नहीं है जान ! तूने मुझे पहले ही
बता दिया था ना फिर भी मैंने तुझे उस वक़्त भी यही कहा था ना कि मुझे
तुम्हारे से चिपक कर सोना है, उससे ही मुझे बहुत ख़ुशी मिल जाएगी !
ऐसा सुनकर मैं भी खुश हो गई और उनके चिपक गई !
अब वो मुझे बाँहों में पकड़ कर चूम रहे थे, उनके हाथ मेरे कंधों और स्तनों
पर फिर रहे थे, वो मेरी गोलाइयों को मसल रहे थे, उनके होंठ मेरे चेहरे,
मेरे गाल, चिबुक, मेरे कानों की लटकन और ललाट पर चुम्बन कर रहे थे !
मैं भी कभी कभी उन्हें चूम लेती थी और फिर वो मेरे होंठ चूसने लगे, बीच
बीच में वो मेरे साँस लेने के लिए छोड़ देते !
मुझे आज तक यह तरीका नहीं आया कि होंट चूसते चुसाते साँस कैसे ली जाती
है, जीजाजी को भी पता था इसलिए वो होंट छोड़कर मुझे साँस लेने का मौका दे
रहे थे !
मैं गर्म हो रही थी और गोली ना लेने के लिए पछता भी रही थी, पर अब क्या हो सकता था।
अब वे मसलते-मसलते पेट तक आ गए थे और जांघों पर हाथ फेर रहे थे इस बीच
उन्होंने अपनी लुंगी हटा कर चड्डी उतार दी थी, अपना फनफनाता और बुरी तरह
से अकड़ा लण्ड मेरे हाथ में पकड़ा दिया था जिसे मैं कभी दबा रही थी, मसल
रही थी और कभी उसे ऊपर नीचे कर रही थी।
वो आड़े होकर मेरे हाथ में ही झटके लगा रहे थे। मैंने हथेली गोल करके ऐसा
उनका लण्ड पकड़ा हुआ था जैसे वो चूत चोद रहे हों। अब उनके लण्ड का स्पर्श
मेरी कमर और पेट पर हो रहा था ! मेरी सांसें तेज हो गई थी, चूत में जैसे
चींटियाँ काट रही थी और ऐसा लग रहा था कि चूत में कुछ अटका हुआ है जिसे
अन्दर कुछ डाल कर निकलना पड़ेगा !
मेरे चेहरे पर बदलते भाव जीजाजी ने महसूस कर लिए और मेरी चूत चड्डी के
ऊपर से ही दबाने लगे। वो अन्दर अंगुली नहीं करके पूरी चूत को अंगूठे और
अंगुली के बीच में पकड़ कर दबा रहे थे और मेरी सिसकारियाँ निकल रही थी।
आखिर मेरे सब्र का बांध टूट गया और मैंने बेशरम हो कर पूछ लिया- आप
चोदोगे मुझे? इस हालत में भी चोद दोगे? आपको अजीब और गन्दा तो नहीं
लगेगा?
वे मेरी आँखों के लाल डोरे वासना से थरथराते होंट देख रहे थे, बोले- मुझे
कोई फर्क नहीं पड़ता, मैं कई बार तेरी दीदी को माहवारी में चोद चुका हूँ
और वैसे भी मुझे कंडोम लगा कर चोदना है, जो भी लगेगा, कंडोम के लगेगा हम
सावधानी से चुदाई करेंगे !
फिर मैंने सावधानी से अपनी चड्डी उतारी, मेरी टांगें ऊँची हो गई थी, फिर
मैंने सावधानी से चूत पर लगा कपड़ा हटाया, उस पर खून नहीं लगा हुआ था,
वैसे भी मेरे खून नाम मात्र का आता है, मेरी चूत के अन्दर कुछ लाल लाल सा
लग रहा था।
मैं जीजाजी के चेहरे की तरफ देख रही थी पर मुझे वहाँ घृणा नज़र नहीं आई
बल्कि उनके चेहरे पर मेरी चूत देख कर चोदने का जोश दिख रहा था।
मैंने राहत की साँस ली, चड्डी और कपड़े को पलंग के नीचे रख कर अपनी टांगें
उठा कर उनका इंतजार करने लगी।
उन्होंने फटाफट दराज़ से कंडोम निकाला, वे कमरे में आते ही अपनी काम की
चीजें कंडोम आदि दराज़ में रख देते हैं, और उसे अपने लण्ड पर चढ़ा लिया।
वो अपने घुटनों के बल बैठे थे, फिर कंडोम के ऊपर ही अपने सुपारे पर थूक
लगाया और उसे पकड़ कर मेरी चूत के छेद पर अटका दिया। उन्हें पता था कि गलत
जगह र्ख कर धक्का लगने पर मेरी चूत और गाण्ड के बीच की चमड़ी कट सी जाती
है और मैं दर्द से दोहरी हो जाती हूँ और फिर वो घाव कई दिन बोरोलीन लगाने
से ठीक होता है। इसलिए वे पहले अपने हाथ से अपने लण्ड को सही जगह टिकाते
हैं फिर अन्दर धकेलते हैं, आधा अन्दर चले जाने के बाद फिर और से धक्का
मारते हैं। उन्होंने वही किया और उनका लण्ड मेरे इंतजार करती और खून से
गीली चूत में सररर से जैसे उसे चीरता सा चला गया।
थोड़ी देर तक जब तक उनका लण्ड मेरी कई दिनों की बिना चुदी चूत जो महीने भर
में बिना चुदाई के कुंवारी जैसी हो जाती है, को रवां करता है, 10-15
धक्कों के बाद मेरी चूत इस नए मेहमान को पूरा कबूल करती है फिर उसके
स्वागत के लिए पानी छोड़ती है, तब यह आराम से आ जा सकता है, फिर उनके
धक्के तूफानी हो जाते हैं। अब उन्हें मेरे घर की तरह जल्दी तो छूटना नहीं
था पर स्थिति खास अच्छी भी नहीं थी।
मुझे जब मज़ा आता तो मैं अपनी योनि का संकुचन करती तो उनकी गति धीमी हो
जाती और बोलते- तेरे पास यह गोड गिफ्ट है, ऐसा कोई नहीं कर सकती, तू तो
अपनी चूत को भींच कर मुझे किसी कुंवारी लड़की को चोदने जैसा मज़ा दे देती
है।
और फिर मैं ज्यादा भींच लेती तो उनकी चुदाई रुक जाती और बोलते- साली
तोड़ेगी क्या? यार कुछ तो ढीला छोड़ जिससे मैं अन्दर-बाहर कर सकूँ !
और मैं मुस्कुरा कर थोड़ा ढीला छोड़ती और फिर कस लेती ! फिर ढीला छोडती !
इससे उनका और मेरा आनन्द बढ़ जाता और वे दुगने जोश से धक्के मारने लगते !
मेरा भी पानी कई बार छुट गया था जिसका सबूत मैंने उनका गला काट कर दे
दिया था, फिर 15 मिनट के बाद वे भी झटके खाते-खाते रुक गए और सावधानी से
अपना लण्ड बाहर निकाला।
कंडोम लाल हो रहा था पर उन्होंने उसे हटाकर कंडोम के मुँह पर गांठ लगा दी
और उसमें जीजाजी के अजन्मे करोड़ों बच्चो को भी बंद कर दराज़ में दाल दिया
और नंगे ही बाथरूम जाकर पेशाब कर और लण्ड को धोकर आ गए।
फिर मैं गई और गीज़र चला कर गर्म पानी से 10-15 मिनट तक चूत धोई। गर्म
पानी मेरी चुदी चूत को भला लग रहा था, मैं आधे घंटे तक बाथरूम में ही रही
और गर्म पानी से अपनी चूत सेंकती रही जो मुझे बड़ी भली लग रही थी !
क्योंकि माहवारी में मेरा चुदाने का मौका कई साल बाद आया था इसलिए कुछ
ज्यादा ही दर्द था पर जीजाजी ने सही कहा था कि आ तेरी नाली साफ कर दूँ
ताकि कचरा जो अटका हुआ है तेजी से बहे !
वास्तव मेरी योनि से रक्तस्राव की रफ़्तार तेज हो गई थी ! मेरे इतनी देर
बाथरूम में रहने के दौरान जीजाजी 2-3 बार बाथरूम के पास आकर देख गए थे कि
अब तक मैं बाथरूम में क्या कर रही हूँ !
होटल में हम दोनों ही बाथरूम का दरवाज़ा बंद नहीं करते है इसलिए वे देखने
आये तो कभी तो मैं उन्हें कमोड पर बैठी मिली और कभी चूत पर गर्म पानी के
छपके लगाती !
और वो मुस्कुरा कर वापिस चले जाते ! जबाब में मैं भी हंस कर कहती- देखो
आपने पीट पीट कर इसका क्या हाल कर दिया है, इसको गर्म पानी से सेक रही
हूँ।

थोड़ी देर बाद फिर आये और बोले- मुझे भी पेशाब लगी है !
मैंने कहा- कर लो ! मेरे सामने मूत निकलता नहीं है? सीटी की आवाज़
निकालूँ क्या जिससे आपको सू सू लग जाये जैसे बच्चे को लग जाता है !
वे हंस पड़े अपना लण्ड निकाल कर कमोड के अन्दर धार मारनी चाही, मैं लगातार
उन्हें देख रही थी और वास्तव में काफी देर तक उनको पेशाब नहीं लगी। फिर
उन्होंने अपनी आँखें बंद रखी तब उनकी धार बड़े जोर से बह निकली !
फिर हम वहाँ से पलंग पर आ गए और पास में बैठ कर टीवी देखने लगे !
उनके हाथ मेरे यहाँ-वहाँ घूम रहे थे और कई बार उन्होंने मेरा मुँह चूमा
और कहा- इस हालत में भी अपने दर्द की परवाह ना करके जो तुमने चुदा कर
मुझे मजा दिया है इसके लिए धन्यवाद !
मैं मुस्कुरा कर रह गई !

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