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007
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by 007 » 26 Dec 2014 18:09
rajsharma wrote:बहुत ही मस्त कहानी है दोस्त
thanks bhai
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007
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by 007 » 26 Dec 2014 18:09
लेकिन रत्ना के दिल मैं खलबली मची थी उसने की-होल से झाँक कर देखा रमेश और उनकी वाइफ दोनो एक दूसरे के नाज़ुक अंगो पर हाथ रखे हुए सो रहे थे .. रत्ना वो सीन देखकर पसीने पसीने हो गई रमेश का उभार उसके पायजामे से बाहर स्पष्ट दिख रहा था....रत्ना का दिल हुआ कि जाकर अभी उसे पकड़ ले और मसल डाले लेकिन रिश्ते की मर्यादा मैं बँधी हुई थी वो..लेकिन वो वापस आकर अपपने रूम मैं फिर लेट गई ..और अंधेरे मैं देखती हुई अपपनी पॅंटी नीचे खिसका कर अपपनी आँखो मैं रमेश का चेहरा देखने लगी और उंगलिया आराम से अंदर बाहर करने लगी.. ............................................................. थोड़ी देर बाद रमेश उसके कमरे मैं चुपके से आए और वो सो रही थी तभी रमेश ने धीरे से उसकी मॅक्सी को खिसकाया और घुटनो तक ले आए और प्यार से सहलाने लगे सुरेश उसके बगल मैं ही सो रहा था ना जाने कहा से रत्ना अपपने अंदर इतनी हिम्मत महसूस कर रहा थी कि कुछ भी हो जो हो रहा है आज हो जाने दो..... फिर रमेश उठ कर उसके चेहरे के पास अपपना चेहरा लाए और उसके होंठो पर एक हल्का सा किस किया ...लिप्स की गर्मी से रत्ना निहाल हो गई और उसका सोने ना नाटक जारी था ....फिर रमेश की उंगलिया रेंगती हुई उसके गले से होती हुई उसके सीने पर जा टिकी और उसने बड़े आराम से रमेश ने रत्ना के बूब्स दबाने सुरू कर दिए अब रत्ना खुद को रोक न्ही पा रही थी और सोच रही थी आज इस रिश्ते की मर्यादा तार-तार हो जानी चाहिए और खुल कर खेल का मज़ा लेना चाहिए लेकिन नारी सुलभ लज्जा उसे आँखे खोलने से मना कर रही थी... फिर रमेश से एक तेज़ धार ब्लेड निकाला और उसकी मॅक्सी को गले से लेकर पेट तक चीर दिया और उसकी चूचियाँ काली ब्रा मैं क़ैद नुमायन होने लगी काली ब्रा मैं वो गोरी चूचियाँ इतनी खूबसूरत लग रही थी कि मानो कोई अप्प्सरा सो रही हो फिर रमेश ने अपपने ब्लेड से उसकी ब्रा को भी बीच से काट दिया और इसी के साथ उसकी इज़्ज़त के धागे तार तार हो गये और रमेश ने उन गोरी चूचियों पर रखे गुलाबी दाने को अपपने मूह मैं लगा लिया और चूसने लगा रत्ना के लिए खुद को रोकना नामुमकिन हो गया ... काफ़ी देर चूसने के बाद रमेश ने अपपने हाथ पेट से नीचे योनि प्रदेश की ओर बढ़ाया और अब मॅक्सी उप्पर करने की बजाए अपने तेज़ धार ब्लेड से बीच से ही काट दिया और नीचे उसकी काली पॅंटी दिखने लगी लेकिन अब इसके आगे वो ब्लेड न्ही लगा सकता था क्योंकि ब्लेड उसकी योनि पर भी लग सकता था उसने ब्लेड को साइड मैं रख दिया और अपपनी उंगलियाँ फँसा कर उसकी पॅंटी को नीचे खिसकाने की कोशिश की लेकिन पॅंटी इतनी ज़्यादा टाइट थी कि एक इंच भी नीचे न्ही आई तो रमेश ने उपर से ही उसकी योनि पर हाथ फिराना सुरू कर दिया रत्ना केवल गर्मी से खुद को गीला महसूस कर रही थी तभी उसका हाथ उठा और अपपनी योनि पर चला गया और योनि मसल्ने लगी तभी बिल्ली ने अलमारी मैं रखी काँच की गिलास गिरा दी और उसके टूटने से सुरेश और रत्ना की आँख खुल गई.........
रत्ना: [मन ही मन] लगता है मैने सपना देखा था उउफफफफफफ्फ़ क्या ये सच हो सकता है ...सपने मैं तो बहुत डेंजर पेश आ रहे थे देख लूँगी तुम्हे भी जेठ जी ....जिस दिन मौका लगा तुम्हारा रस भी ज़रूर पीउँगी मैं.....न्ही तो मैं तुम्हारी बहू नही............
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by 007 » 26 Dec 2014 18:10
ये कैसा परिवार !!!!!!!-- 7
गतान्क से आगे....................
रात का वो सपना तो भुलाए न्ही भूल रहा था रत्ना को ....रत्ना सुबह सो कर उठी और घर की साफ सफाई मैं लग गई ..तभी भाभी भी उठ गई और वो भी साथ मैं लग कर सफाई करवाने लगी ..थोड़ी देर बाद रत्ना ने किचन मैं जाकर टी तैयार की सभी लोगो के लिए और रमेश का कप भाभी को देकर बोली भाभी ये चाइ दे आइए भैया को .लेकिन भाभी ने कहा कि मैं मुन्नी को पॉटी करवा रही हूँ प्लीज़ तुम ही दे आओ जाकर तो रत्ना चाइ लेकर खुद ही रमेश के कमरे मैं चली गई रमेश उस वक़्त सो रहें थे ....रत्ना ने दरवाजा बिना नॉक किए ही रूम मैं एंट्री मार दी अब धमाका तो होना ही था ..रमेश पूरी मस्ती मैं सो रहे थे जैसे की अप्प्नि बीवी के साथ संभोग कर रहे हो ...उस अवस्था मैं रत्ना ने पूरी गौर से देखा की रमेश का सामान तननाया खड़ा है और अगर इस वक़्त वो किसी के अंदर जाएगा तो उसको बहाल कर ही देगा . रत्ना को कन्फ्यूषन हो रहा था कि वो एंजाय करे या लज़्ज़ा का दामन ओढ़ ले ..देख कर मज़ा तो लिया जा रहा था लेकिन अगर कोई इस वक़्त रूम मैं आ गया तो क्या होगा , अगर रमेश जी उठ गये तो क्या सोचेंगे ........भाभी अंदर आ गई तो क्या कहेंगी ...समझ न्ही आ रहा था लेकिन रात का सपना रत्ना को याद आ गया कि सपने भी कही ना कही सच का ही हिस्सा होते है .शायद रमेश के दिल मैं कोई भावना छिपि हो और वो भी मुझे चाहते हो केवल जताना न्ही चाहते है इस तरह से 5 मिनूट गुजर गये वो अभी तक आसमंज़स की स्थिति मैं ही खड़ी थी..अब किसी भी वक़्त कोई आ सकता था शर्मिंदगी से बचने का एक ही ज़रिया था कि रमेश को जगा दिया जाए जो होगा देखा जाएगा...रत्ना ने निश्चय कर लिया और....
रत्ना- भाई साब उठिए
रत्ना- भाई....साब चाइ लो
भाई साब जाग तो गये लेकिन उन्होने महसूस कर लिया कि समान तो लोड है इस पोज़िशन मैं न्ही उठ सकता ..वो न्ही उठे
लेकिन रत्ना ने देखा कि रूम मैं कोई न्ही है और मौका देख कर उसने रमेश को हाथ लगा कर उठाना स्टार्ट कर दिया
रत्ना- भाई साब उठिए ना चाइ ठंडी हो रही है...
ये कहते हुए रत्ना ने जाने अंजाने रमेश के पप्पू को भी हाथ लगा लिया लेकिन रमेश जाने कैसा इंसान था न्ही उठा तो रत्ना ने ज़्यादा देर रुकना उचित न्ही समझा ओर चाइ रख कर बाहर निकल गई ...रत्ना के जाने के बाद रमेश ने आख खोली रत्ना के स्पर्श ने उसे पिघला दिया था लेकिन रमेश ने मर्यादा तोड़ना उचित न्ही समझा लेकिन उत्तेजना इतनी ज़्यादा हो गई थी अभी इसी वक़्त उपचार करना ज़रूरी था.. उसने अपपनी बीवी को आवाज़ लगाई
रमेश: कहा हो.......
भाभी: हाँ आई अभी आई
रमेश : आऊऊऊऊऊ
भाभी के आते ही रमेश ने रूम बंद करके भाभी को दबोच लिया
भाभी- अरे ये क्या कर रहे है सुबह सुबह अपपको क्या हो गया है
रमेश- तुमने रत्ना को क्यों भेजा चाइ लेकर
भाभी- मैं मुन्नी को लेकर टाय्लेट मैं थी....
रमेश- तुम जानती हो सुबह सुबह मेरा क्या हॉल होता है तुमने फिर भी उसे भेज दिया
भाभी- हे राम!! मुझे तो याद ही न्ही था तो उस वक़्त भी खड़ा था क्या
रमेश- और क्या रत्ना को देख कर क्या बैठ जाएगा
भाभी- हॅट...तुम भी एसी बात करोगे बहू है तुम्हारी
रमेश- तो मैने कब कहा मेरी बीवी है जो तुम हो वो तो कोई न्ही हो सकता
इतना कह कर रमेश ने उसके ब्लाउज को आगे से खोल दिया और उसकी गोरी चूचिया दिखने लगी..रमेश ने उन ब्राउन निपल्स को मूह मैं लेकर चूसना स्टार्ट कर दिया और भाभी पागल होने लगी अभी उनकी शादी को 4 साल ही तो हुए थे भाभी ने भी हाथ बढ़ा कर के पयज़ामे को नीचे खिसका दिया और उसके सामान को हाथ मैं लेकर सहलाने लगी फिर रमेश अपपना हाथ नीचे की तरफ लाया और साडी के उप्पर से ही कुछ टटोलने लगे और कही पर उन्होने अपपनी उंगलियाँ फँसा दी लेजकर लेकिन जहा उंगलियाँ फाँसी थी वाहा पर भाभी को मज़ा आ गया था था और उन्होने अपपनी टाँगे और चौड़ी कर दी थी ... टाँगे चौड़ी होने से आराम से जगह बन गई थी... रमेश ने उसी पोज़िशन मैं भाभी को धक्का देते हुए दीवार के सहारे ले जाकर खड़ा कर दिया और भाभी की साडी पूरी उपेर कर दी भाभी साडी के अंदर कुछ न्ही पहनती है पेटिकोट के अलावा
भाभी- अरे मुझे लेट तो जाने दो क्या खड़े खड़े ही करोगे
रमेश- हाँ आज ऐसे ही करूँगा
भाभी- लेकिन अंदर कैसे जाएगा
रमेश- क्यों न्ही जाएगा ...ऐसे भी जाएगा
भाभी- ठीक है डालो........