पंडित & शीला पार्ट--25
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गतांक से आगे ......................
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जहाँ पंडित लेटा था उसे शीला के संगमरमर जैसे बदन का हर कटाव दिखाई दे रहा था ..उसकी मोटी जांघे ..उनके बीच उसकी सफाचट चूत से निकलता गाड़े शहद का झरना ...और उसके ऊपर उसकी पतली कमर और सबसे ऊपर दो विशाल पर्वत ...इतना उत्तेजना से भरपूर दृश्य देखकर पंडित से रहा नहीं गया ...उसने अपने कुर्ते को लेटे हुए ही उतार दिया ..और नीचे से अपनी धोती और कच्छे को भी निकाल फेंका ..वो भी अब नंगा हो चुका था ...
उसने ऊपर हाथ शीला की जांघे पकड़ ली और उसे नीचे खींचा ..वो नीचे आई और झुक कर अपने मोटे मुम्मे पंडित जी के मुंह के आगे अंगूरों की तरह लहरा दिए ..पंडित उसके खरबूजों के ऊपर लगे अंगूरों को अपने दांतों से पकड़ने की कोशिश करने लगा ..
इसी बीच शीला ने अपनी गांड की लेंडिंग पंडित जी के एयरपोर्ट पर करनी शुरू कर दी ...और जैसे जी उनके खड़े हुए राडार ने उसकी उड़नतश्तरी को छुआ वो बिदक सी गयी ...और एकदम घूम कर पंडित जी के पैरों की तरफ हो गयी ..और सीधा उनके लंड को पकड़ कर अपनी गांड के छेद पर लगा दिया ..और बैठ गयी .
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ...''
पंडित और शीला के मुंह से एक साथ सिस्कारियां फुट पड़ी ..
शीला शायद सोच कर आई थी की आज वो अपनी चूत और गांड दोनों मरवाकर रहेगी ...ऐसे ही तो उसके अन्दर की आग भड़क नहीं रही थी ..
पंडित ने उसकी लहराती हुई कमर को पकड़ा और उसे ऊपर नीचे करके उसकी गांड के पेंच ढीले करने लगे अपने स्क्रू ड्राईवर से ..
''अह्ह्ह ओफ़्फ़्फ़्फ़ अह्ह्ह शीला ...अह्ह्ह्ह म्मम्मम ....क्या ....टाईट छेद ....है तेरा ..अह्ह्ह्ह ... उफ्फ्फ्फ़ उम्म्म्म्म ....हा न…. .....अह्ह्ह ..जोर से ...कूद ...और जोर से ..''
और पंडित का कहना मानकर वो जोरों से कूदने लगी उनके लंड पर ...और जल्दी ही दोनों तरफ से झड़ने की ख़बरें आने लगी ..
'अह्ह्ह पंडित जी ....अह्ह्ह ...मैं तो गयी ....अह्ह्ह्ह ....'
'ओह्ह्ह शीला ....अह्ह्ह्ह .....मैं भी आया ...अह्ह्ह्ह्ह ...ले ...अह्ह्ह ..'
और दोनों एक दुसरे के ऊपर गिरकर हांफने लगे ..
और जब साफ़ सफाई करके शीला पंडित जी की बाहों में आकर लेटी तो उसने धीरे से उनके कान में कहा : "आज की पूरी रात मैं आपके पास रहूंगी ..मम्मी पापा गाँव गए हैं शादी में ...कल दोपहर तक ही आयेंगे ..''
उसकी बात सुनकर पंडित के पुरे शरीर में एक लहर सी दौड़ गयी ..
और उसके मुम्मों को अपने हाथों में दबाता हुआ वो सो गया ..
रात के नौ बजने वाले थे ..पंडित जी की नींद खुली ..उन्हें भूख भी लगी थी ..पर खाना बनाने का समय नहीं था उनके पास ..शीला अभी तक गहरी नींद में सो रही थी .
वो सोच ही रहे थे की क्या करे, तभी पिछले दरवाजे पर किसी की आहट हुई ..उन्होंने धीरे से पुछा : ''कौन है ..''
''मैं हु पंडित जी ..माधवी ..''
'इसको भी चुदवाने का शौंक चढ़ गया है लगता है' ..पंडित ने मन ही मन सोचा और दरवाजा खोल दिया ..
सामने माधवी खड़ी थी ..हाथ में एक बड़ा सा बर्तन लिए हुए ...
वो सीधा अन्दर आ गयी ..और बोली : "वो ..आज मैंने कुछ ख़ास बनाया था, सोचा आपके लिए ले आऊं ..''
इतना कहकर उसने वो बर्तन टेबल पर रख दिया ..
आज तो पंडित जी कुछ और भी मांगते तो वो इच्छा भी पूरी हो जाती इतनी भूख लगी थी उन्हें की मना करने की कोशिश भी नहीं की उन्होंने और बर्तन का ढक्कन खोल दिया ..
उसमे चावल और राजमा थे ..और साथ में हरी मिर्च और सलाद ..पूरी तरह से तैयार करके लायी थी वो पंडित जी का खाना ..
उन्होंने जल्दी से एक बड़ी सी प्लेट निकाली और नीचे चटाई पर बैठकर राजमा चावल डाल कर घपा घप खाने लगे ..
और माधवी वहीँ नीचे बैठकर उन्हें बड़े प्यार से खाता हुआ देखने लगी . जैसे वो उसका खुद का पति हो ..
पेट भर कर खाना खाने के बाद वो हाथ धोने के लिए बाथरूम में गए .
तभी बाहर से माधवी की हलकी सी चीख सुनाई दी ..
''पंडित जी .....ये… ...ये ...कौन है ..''
पंडित भागकर बाहर निकला ..माधवी आँखे फाड़े बेड पर नंगी पड़ी हुई शीला को देखे जा रही थी ..
उसपर माधवी का ध्यान अभी -२ गया था ..वो गहरी नींद में सो रही थी ..अपने पेट के बल ..इसलिए उसकी नंगी पीठ थी सिर्फ बाहर ..और चेहरा नहीं दिख रहा था ..और नीचे का हिस्सा चादर से ढका हुआ था .
पंडित जी ने धीरे से कहा : "ओह ..ये . ..ये तो शीला है ..तुम मिली थी न इनसे ..''
वो हेरानी से कभी पंडित को और कभी बेड पर लेटी हुई नंगी शीला को देख रही थी ..जैसे उसे विशवास ही नहीं हो रहा हो की पंडित जी का शीला के साथ भी सम्बन्ध हो सकता है ..पर पंडित जी ऐसे बीहेव कर रहे थे जैसे उनपर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है ..
पर पंडित जी की आँखे माधवी के बदन को चोदने में लगी हुई थी ..उसने सलवार सूट पहना हुआ था ..और हेरत की वजह से और शायद जलन के मारे उसका सीना ऊपर नीचे हो रहा था ..
पंडित जी उसके पीछे गए और उसके गले में बाहें डालकर उसे अपने बदन से लगा लिया ..
पंडित : ''खाना तो तुमने खिला दिया अब कुछ मीठा हो जाए ...''
''छोड़िये मुझे पंडित जी ...आपके पास ये मिठाई है ना ..इसे ही खाइए ..'' माधवी ने अपनी बातों से विरोध जताया पर पंडित जी की बाजुओं से छूटने की कोई कोशिश नहीं की .
पंडित : "ओहो ...तो तुम इसे यहाँ पर देखकर नाराज हो रही हो ..देखो ...समझने की कोशिश करो ..जैसे तुम्हे मजा आता है मेरे साथ, इसे भी आता है ..और देखा जाए तो तुम्हारे पास तो गिरधर है जो तुम्हे चोदकर तुम्हे मजे दे देता है, पर इस विधवा के पास कोई नहीं है ..इसलिए इसको शारीरिक सुख देकर मैं बस समाज सेवा ही कर रहा हु ..और मेरी इसी समाज सेवा के बदले ही ये रितु को फ्री में टयूशन पढ़ाती है ...तुम्हे तो इसका एहसानमंद होना चाहिए ...''
पंडित ने अपनी चाशनी जैसी जबान से उसे कान में धीरे -२ समझाया ..
और वो समझ भी गयी, उसने सोचा, पंडित जी ठीक ही तो कह रहे हैं ..और वैसे भी, वो जो कुछ भी करे, जिसके साथ मर्जी सम्बन्ध रखे, उसे क्या ..जब तक उनका लम्बा लंड उसे मजा दे रहा है, उसे इन बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए ..
ये सोचते हुए उसने अपनी मोटी गांड को पीछे की तरफ दबा कर पंडित जी की धोती में छुपे हुए सांप को जगाने की कोशिश की, पर वो तो पहले से ही जाग रहा था ..और माधवी की गोल मटोल गांड का दबाव अपने ऊपर पाकर वो और जोर से फुफकारने लगा ..पंडित जी के दोनों हाथ माधवी के स्तनों पर आ गए और वो उन्हें गुब्बारों की तरह दबाने लगे ..
माधवी के मुंह से हलकी - २ सिस्कारियां निकलने लगी ..
''अह्ह्ह्ह्ह ....उम्म्म्म ....पंडित जी .....आप जो चाहे करो ...जिसे चाहे चोदो ...मुझे क्या ...बस मेरी चूत का ध्यान रखा करो ...रोज ....अह्ह्ह्ह्ह ...''
उसने पंडित का एक हाथ पकड़ कर अपनी चूत वाले हिस्से पर रख दिया ..पंडित ने उसकी पूरी चूत और आस पास के हिस्से का मांस अपनी हथेली में भर कर जोर से दबा दिया ..वो जोर से सिसकारी मारकर उचक गयी और अपनी गांड के बीच में पंडित जी के लंड को पकड़कर जोर से दबा दिया ..
पंडित जी के मुंह से भी हलकी सी चीख निकल गयी ..
पंडित जी ने उसके सूट को नीचे से पकड़कर ऊपर उठा दिया ..और गले से निकाल कर नीचे फेंक दिया ..माधवी ने क्रीम कलर की ब्रा पहनी हुई थी ..
पंडित जी ने अपना चेहरा नीचे किया और अपने गीले होंठ उसके कंधे पर चिपका दिए ..और जोर - २ से सक करते हुए उसके बदन का नमक पीने लगे ..
''उम्म्म ...पंडित जी ....अह्ह्ह ......'' उसने अपना एक हाथ ऊपर किया और पंडित जी के सर को पकड़ कर अपने कंधे पर और जोर से दबा दिया ...
पंडित जी ने जब अपने होंठ वहां से हटाये तो देखा की उसके कंधे पर एक गहरा लाल निशान बन चुका है ..वो अपने होंठों को उसके बदन से चिपकाए हुए ही उसकी पीठ पर आये और अपनी जीभ से वहां का पसीना साफ़ करते हुए उसकी ब्रा के हुक तक पहुँच गए ..और अपनी मुंह में फंसाकर उन्होंने उसकी ब्रा को खोल दिया ..
माधवी को ऐसा लग रहा था की उसकी पीठ पर कोई गरम और गीली चीज घूम रही है ..जिसकी तपिश से वो जल कर भस्म हो जायेगी ..
ब्रा के खुलते ही उसके मोटे मुम्मे छिटक कर बाहर निकल आये ..और पंडित ने एक ही झटके में उसे अपनी तरफ घुमा कर अपने होंठों में उसका दांया निप्पल दबोच लिया और उसका दूध पीने लगे ..
माधवी के होंठ कांपने लगे ..उसके बदन पर चीटियाँ सी रेंगने लगी ..आज पंडित जी कुछ ख़ास ही मूड में थे ..
पंडित जी ने कुछ देर तक उसका दांया स्तन चूसा जिसकी वजह से माधवी का निप्पल पूरी तरह से खडा होकर चमकने लगा फिर बांये की बारी आई और उसे चूसने लगे ..और फिर उसे भी खड़ा छोड़कर वो नीचे की तरफ खिसक गए ...माधवी ने भी अपने हाथों का जोर लगाकर उन्हें नीचे जाने में मदद की ..
पंडित जी का मुंह सीधा जाकर उसकी रसीली, नशीली, गीली सी चूत पर गया और उन्होंने कपडे समेत उसे मुंह में भर कर जोर से चूस लिया ...
उसने नीचे पेंटी नहीं पहनी हुई थी ..शायद चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार होकर आई थी वो भी ..
सिर्फ हल्का सा कॉटन का कपडा बीच में होने की वजह से माधवी की चूत का सारा रस उनके मुंह में चला गया ...उन्होंने सलवार का महीन कपड़ा चूस चूसकर वहां पर अटका हुआ सार रस पी लिया ...
फिर उन्होंने अपने दांतों का प्रयोग करते हुए उसकी सलवार का नाड़ा भी खोल दिया ..इतना हुनर पता नहीं पंडित जी ने कहाँ से सीखा था ..
नाड़ा खुलते ही उसकी सलवार सीधा नीचे गिर गयी ..और पंडित जी की आँखों के सामने अब उसका ताजमहल पूरा नंगा खडा था ..भीगा हुआ सा ..अपने ही रस में नहाया हुआ ..
पंडित ने अपने हाथ की बीच वाली ऊँगली उसकी चूत की दरार में फंसाई और एकदम से एक नयी धार निकल कर बाहर आ गयी और पंडित जी की हथेली पर आकर ठहर गयी ..पंडित जी ने वो रस अपने मुंह से लगा कर चाट लिया ..उसे चाटते ही उनके अन्दर का शैतान जैसे जाग गया ..उन्होंने उसे धक्का देकर अपने बेड पर लिटाया और उसकी दोनों टाँगे ऊपर हवा में उठाकर उसकी चूत से खीर निकाल निकाल कर खाने लगे ..
माधवी का सर सीधा शीला की कमर के ऊपर जा लगा जैसे कोई तकिया हो ..पर गहरी नींद में होने की वजह से शीला को इस बात का कोई एहसास नहीं हुआ ..
''अयीईईइ .....अह्ह्ह्ह्ह ....पंडित जी ......उम्म्म्म्म .......चूसिये ना ....और जोर से ...अह्ह्ह ....यही है ...मीठा मेरे पास ...खा लो ...सारी मिठाई आपकी है ....उम्म्म्म ...''
पंडित ने अगले दो मिनट के अन्दर ही उसका असली दूध निकल कर बाहर आने लगा जिसे पंडित ने चपर -२ करके पूरा पी लिया ..
ओर्गास्म के वक़्त माधवी के हाथ ऊपर चले गए ..और एक हाथ से शीला के बाल और दुसरे से उसकी गांड के मांस को दबाते हुए जोर से चिल्लाती रही ...और अंत में नीचे आकर वो बेहाल सी होकर गहरी साँसे लेने लगी .
शीला के बदन की चादर उतर चुकी थी ..और उसकी नंगी गांड उभर कर चाँद की तरह चमकने लगी .
उसकी ठंडी -२ गांड को मसलने में माधवी को बड़ा मजा आ रहा था ..उसकी गांड के छेद से निकल कर पंडित का रस अभी भी बह रहा था, जिसपर ऊँगली लगते ही माधवी को भी पता चल गया की वो क्या है ..उसने अपनी ऊँगली को अपने मुंह में डालकर चूसा और वो रस चाट गयी ..उसे मजा आया ..वो उठी और दूसरी तरफ जाकर उसने शीला की टांगों को फेला दिया ..और अपना मुंह नीचे करके उसकी गांड के छेद पर लगा दिया ..और वहां से डायरेक्ट पंडित जी का जूस पीने लगी ..गहरी नींद में होने के बावजूद शीला के शरीर से हलकी हलकी तरंगे उठने लगी ..
इसी बीच पंडित जी पुरे नंगे हो गए ..और माधवी के पीछे आकर उसके दिल की आकृति वाली मोटी गांड को अपने कब्जे में ले लिया ..पीछे खड़े होने की वजह से उसकी गांड और चूत दोनों के छेद उन्हें साफ़ नजर आ रहे थे
उन्होंने अपना लंड उसकी चूत में लगाकर होले से धक्का मारा ..उसकी चूत से निकल रहा ताजा और मीठा गन्ने का रस इतनी चिकनाई वाला था की एक ही झटके में उनका पहलवान माधवी के अखाड़े में पूरा पहुँच गया ..और कुश्ती करने लगा उसकी क्लिट के साथ ..कभी उसके मुंह पर घूँसा मारता और कभी उसकी कमर पर ...
इसी दौरान शीला जो अभी तक शायद सपने में थी और उसे लग रहा था की पंडित जी उसकी गांड चूस रहे हैं ..उसे माधवी के दांत जोर से अपनी गांड के छेद पर चुभ से गए ..और उसकी नींद एक ही झटके में टूट गयी ..
और जैसे ही उसने पलट कर पीछे देखा वहां का नजारा देखकर वो दंग रह गयी ..उसे सारा माजरा समझते हुए देर नहीं लगी ..
पंडित जी जमीन पर खड़े हुए माधवी को घोड़ी बनाकर उसकी चूत मार रहे थे ..और माधवी उसकी गांड के छेद से रस निकाल कर पी रही थी ..वो दृश्य इतना उत्तेजक था की उसने भी इसका विरोध नहीं किया और उनके साथ ही उनके खेल में कूद पड़ी ..
अब उसने अपना पासा पलट लिया था और वो पीठ के बल लेट गयी ...इस तरह से उसकी चूत अब माधवी के चेहरे के बिलकुल ऊपर थी ..माधवी ने अपना मुंह अब उसके आगे वाले छेद पर लगा दिया ..और वहां से निकल रहे झरने से अपनी प्यास बुझाने लगी ..
शीला की चूत के अन्दर कैद उसकी क्लिट काफी बड़ी थी ..जिसे मसलकर पंडित ने कई बार मजे लिए थे ..माधवी ने उसकी क्लिट को अपने हाथों से पकड़ कर बाहर निकाल और उसे छोटे लंड की तरह चूसने लगी ..
शीला से रहा नहीं गया और उसने माधवी को अपने ऊपर खींच लिया ..और उसके होंठों को अपने मुंह में लेकर किसी जोंक की तरह उसका मुंह चूसने लगी ..
माधवी के आगे खिसक कर शीला के ऊपर लेटने की वजह से पंडित का लंड उसकी चूत से बाहर निकल आया था ..
माधवी की चूत अब सीधा शीला की चूत के ऊपर विराजमान थी ..दोनों एक दुसरे की चूत को रगड़ कर मजे ले रही थी ..
पंडित की आँखों के सामने वो नजारा था ..उन्होंने अपना लंड अपने हाथ में पकड़ा और दोनों के बीच में धकेल दिया ..अब दोनों की चूतों के बीच में उनका लम्बा लंड था ..जिसके एक तरफ शीला की चूत थी और दूसरी तरफ माधवी की ..दोनों चूतें अपनी रगड़ देकर पंडित जी के लंड की मसाज कर रही थी .. पंडित ने थोड़ा एंगल बदला और झुक कर अपना लंड नीचे लेती हुई शीला की चूत में डाल दिया ..दूर जोरों से धक्के मारने लगे ..
शीला ने माधवी के मुम्मे पकडे और उन्हें अपने नुकीले नाखूनों से दबाते हुए जोरों से दबाने लगी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह ....पंडित जी .....क्या मजा आ रहा है आज ...आपकी कृपा ऐसी ही बरसती रही ....अह्ह्ह ..तो मुझे परम आनद की प्राप्ति जल्दी ही मिल जायेगी ...अह्ह्ह्ह ...और तेज चोदो मुझे ...अह्ह्ह्ह ...पंडित जी ...उम्म्म्म्म ..अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ ओ उम्म्म्म ....अह्ह्ह ..''
पर वो झड पाती इससे पहले ही पंडित जी ने अपना लंड बाहर खींच लिया और वापिस माधवी की चूत में डाल दिया और धक्के मारने लगे ...
अब चिल्लाने की बारी माधवी की थी ...
''अयीईइ ....उम्म्म्म्म ...पंडित जी ......अह्ह्ह्ह्ह ...पेलो मेरे अन्दर ....अह्ह्ह्ह्ह ....और अन्दर ....अपना मुसल ...जैसा लंड ....अह्ह्ह्ह्ह ...''
और अगले बीस मिनट तक पंडित का यही खेल चलता रहा ..कभी वो शीला की मारते और कभी माधवी कि. ..
वो दोनों तो काफी देर पहले ही झड चुकीं थी ..
और अंत में थक हारकर उनके लंड ने जवाब दे दिया ...और दोनों को अपने सामने लिटा कर उन्होंने उनके ऊपर रसीले जूस की बारिश कर दी ..
जिसमे नहाकर और एक दुसरे के जिस्मों से चाटकर दोनों ने सच में परम आनंद की प्राप्ति कर ली .
पर वो तीनों ये नहीं जानते थे की दरवाजे के बाहर एक और इंसान उन्हें छेद से देख रहा है और उनकी चुदाई देखकर और चीखे सुनकर उत्तेजित हो रहा है ..
वो था गिरधर ..
माधवी का पति .
गिरधर ने थोडा वेट करने के बाद पंडित जी कर दरवाजा खडकाया .. वो समझ गए की ये गिरधर ही है ..उसी के आने का टाईम था ये तो ..
उन्होंने दरवाजा खोल दिया ..बाहर गिरधर खड़ा था ..
उसने पंडित जी के सामने हाथ जोड़े ..और बिलकुल धीमी आवाज में कहा : ''पंडित जी ..प्लीस मेरा साथ देना ...एक बहुत अच्छा आईडिया आया है अभी ..''
पंडित जी की समझ में कुछ ना आया, पर उन्होंने सर हिला कर अपनी हामी भरी ..और इसके साथ ही गिरधर अन्दर आ गया ..
माधवी और शीला अपनी चुदाई के बाद मुर्छित सी होकर गहरी साँसे ले रही थी ...उन्हें तो दरवाजे की आहट भी नहीं सुनाई दी थी ..
गिरधर ने अन्दर आते ही चिल्ला कर माधवी से कहा : ''माधवी ....बेहया .....कमीनी ....हरामखोर ..ये क्या गुल खिल रही है तू ...''
माधवी एक दम से सकपका कर उठ बैठी ..वो अपने सामने गिरधर को देख कर एकदम से घबरा गयी ....उसने तो सोचा था की गिरधर को उसके और पंडित जी के संबंधो से कोई परेशानी नहीं है ...और खुद गिरधर ने ही उसे कुछ भी करने की छूट दे दी थी ...पर आज ये ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है ..जैसे उसे पंडित के साथ ये सब करना अच्छा नहीं लगा ..
उसने हकलाते हुए जवाब दिया ...: "जी ...जी ...आ. ..आप ...पर ...पर ...आपने ही ...तो ...कहा था मुझे की ...''
गिरधर ने आगे बढकर एक झन्नाटेदार थप्पड़ मार दिया माधवी के चेहरे पर : "साली कुतिया ...मैंने मजाक में कहा था वो सब ...और तूने सच मान लिया ...मुझे शक तो पहले से था तुझपर ...पर आज यकीन हो गया है ...की तू धंधे वाली है ..रंडी है तू साली ...और तेरे साथ मैं अब एक दिन भी नहीं रह सकता ...मेरे घर में रहने की कोई जरुरत नहीं है तुझे आज के बाद ..''
इतना कहकर गिरधर पैर पटकते हुए बाहर जाने लगा ..
माधवी के पैरों की तो जमीन ही निकल गयी ..उसने तो सोचा था की गिरधर भी शायद यही चाहता है ..इसलिए वो पंडित के साथ चल रहे संबंधो को इतनी लापरवाही से निभा रही थी की अगर किसी को पता चल भी जाए तो कोई बात नहीं, उसके पति की रजामंदी तो है न उसके साथ ..पर आज गिरधर का ये रूप देखकर उसे अपने आप पर शर्म आ रही थी ..कल तक जिस पति को वो गालियाँ दे रही थी की उसकी नजर अपनी खुद की बेटी पर है, आज उसी ने रंगे हाथों पकड़ लिया था उसे और पंडित को ..नंगी अवस्था में ..उसका तो अपने पति के अलावा कोई भी नहीं है ..वो कहाँ जायेगी ..क्या करेगी ...ये सोचते हुए उसकी आँखों से आंसुओं की धारा निकल पड़ी ...
उसने रोते हुए अपने पति के पैर पकड़ लिए : "सुनिए ...मुझे माफ़ कर दीजिये ...मुझे बहुत बड़ी गलती हो गयी ...मुझे माफ़ कर दो ...आज के बाद ऐसा नहीं होगा ...सुनिए ...सुनिए तो ..''
पर गिरधर अपनी हंसी पर बड़ी मुश्किल से कंट्रोल करता हुआ बाहर निकला जा रहा था .
और दूसरी तरफ पंडित और नंगी शीला आराम से उन दोनों का ये तमाशा देख रहे थे ..
पंडित तो समझ गया था की गिरधर आखिर ये किसलिए कर रहा है ..पर शीला अनजान थी इन सबसे ..पर फिर भी वो तमाशा देखने में उसे मजा आ रहा था ..
माधवी बदहवास सी होकर नग्न अवस्था में अपने पति की टांगो से लिपटी हुई थी ..
गिरधर ने गुस्से से उसकी तरफ देखा और उसके बाल पकड़ बड़ी बेदर्दी से उसे ऊपर खींचा , वो चिल्ला पड़ी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह .......उफ्फ्फ्फ़ दर्द होता है ....छोड़ो मेरे बाल .....''
पर गिरधर के चेहरे पर शिकन का कोई भाव नहीं था ..उसने उसके बालों को पीछे खींचा और उसके स्तनों को बुरी तरह से दबा दिया ..
''आय्य्यीईईइ .......यॆऎए .........क्या ....अह्ह्ह्ह्ह .....दर्द होता है ....''
गिरधर : "भेन की लोड़ी .....साली रांड ....चुदाई करवाते हुए दर्द नहीं होता ....बोल साली ...लंड घुसवाती है जब अपनी चूत में पंडित जी का ...यहाँ ....तब दर्द नहीं होता ...''
उसने माधवी की चूत अपने हाथ की तीन उंगलियाँ डालकर उसे ऊपर उठा दिया ...दर्द के मारे बेचारी की हवा निकल गयी ...उसने अपने आपको अपने पंजो के बल पर उठा लिया ...और अपने हाथ से गिरधर के हाथों को पकड़ लिया और बड़ी मुश्किल से उसके हाथ को खींचकर बाहर निकाला ...
उसकी आँखे लाल हो चुकी थी ..उसने सोचा भी नहीं था की उसका पति इतना हिंसक भी हो सकता है ..पर गलती उसी की थी ..इसलिए शायद वो उसकी सजा दे रहा है उसे ..
माधवी की चूत से हाथ निकालने के बाद गिरधर ने देखा की उसपर पंडित जी का वीर्य लगा हुआ है ..जिसे माधवी ने अभी -२ अपनी चूत के अन्दर लिया था ..
ये देखकर गिरधर और भड़क गया ..
''साली ....बेशरम ....पंडित जी का माल अपनी चूत में डाल रखा है ...इनका बच्चा पैदा करना है क्या तुझे ...बोल हरामजादी ...''
इतना कहकर उसने वो सार वीर्य उसके मुंह में दाल कर अपनी उँगलियाँ साफ़ कर ली ...और उस बेचारी ने उसे मुंह में ही रख लिया ..कुछ न बोली वो ..
वो आगे बोला : ''मुझे तो लगता है की तेरी ये आदत शादी से पहले की है ..ना जाने कितनी बार चुदवा चुकी होगी तू ..मुझे तो लगता है की रितु भी मेरी बेटी नहीं है ...वो तेरे किसी यार की अय्याशी का नतीजा है ...है ना ...बोल कुतिया ...बोल ''
पंडित & शीला compleet
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Re: पंडित & शीला
पंडित & शीला पार्ट--26
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गतांक से आगे ......................
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माधवी गिडगिडा उठी : "नहीं जी ....ऐसा मत कहिये ...वो आप ही का खून है ..आपकी ही बेटी है ...मेरा कोई सम्बन्ध नहीं था किसी के साथ ...''
गिरधर : "अच्छा तो ये क्या है ...मैं अगर अभी ना आता तो मुझे कभी पता ही नहीं चलता की तू ये गुल भी खिला रही है ...भेन चोद ...मुझे रितु को हाथ लगाने भर से रोक रही थी ..और पुरे दो महीने तक हाथ नहीं लगाने दिया मुझे खुद को भी ...और खुद यहाँ रंगरेलिया मना रही है ...चूत के अन्दर पंडित जी का प्रसाद ले रही है ..रांड कहीं की ...चुद्दकड़ ...अब तू मेरे घर नहीं रहेगी ..और अब रितु पर भी तेरा कोई अधिकार नहीं है ..वो मेरे घर रहेगी ...पर मेरी बेटी बनकर नहीं ..''
उसकी बात का मतलब समझकर माधवी की आँखे फेल सी गयी ..उसके दिमाग ने जैसे काम करना बंद कर दिया ..अगर वो अपनी बेटी के साथ नहीं रहेगी तो गिरधर पता नहीं उसकी फूल सी बेटी के साथ क्या सलूक करेगा ..हे भगवान् ...ये क्या कर दिया मैंने ...''
माधवी : "नहीं ...आप ऐसा मत कहिये ...मुझे घर से मत निकालिए ..मुझे जो सजा देनी है…वो दीजिये ...आप जो कहेंगे मैं करने के लिए तैयार हु ..पर मुझे घर से मत निकालिए ..''
और इतना कहकर वो फफक-फफक कर रोने लगी ..
गिरधर भी शायद यही सुनना चाहता था ...उसके चेहरे पर एक कुटिल सी विजयी मुस्कान आ गयी ..
उसने उसके दोनों मुम्मों के निप्पल अपने हाथो में पकडे और उसे ऊपर की तरफ खींचने लगा और बोला : "ठीक है ...पर तुझे वही करना होगा जो मैं कहूँगा ..जो मैं चाहूँगा ...समझी कुतिया ...''
उसने दर्द को बर्दाश करते हुए हाँ में सर हिलाया ..
गिरधर पंडित जी के बेड पर आकर बैठ गया जहाँ शीला नंगी लेटी हुई थी ..और उसने अपने सारे कपडे उतार दिए ..और माधवी से कहा ...: ''चल यहाँ आ ..और अपने हाथों का उपयोग किये बिना मेरे पैरों को चाटती हुई मेरे लंड तक आ और उसे चूस ...''
उसने हेरानी से अपने पति की तरफ देखा, जैसे उसे विशवास ही नहीं हुआ हो अपने कानो पर ..इतनी गालियाँ और बेइज्जती करने के बाद गिरधर उसे पंडित जी और शीला के सामने और जलील करना चाहता है ..पर उसके सामने कोई और चारा नहीं था ..उसने रोते -२ अपने हाथ पीछे किये और उन्हें एक दुसरे से बाँध लिया ...और अपनी जीभ निकाल कर उसके पैरों पर रख दी और चाटने लगी ..
इस समय उसे अपनी हालत सच में एक कुतिया की तरह लग रही थी ..
वो चाटती हुई ऊपर तक आई ..उसकी जांघे चाटती हुई और ऊपर आई ..गिरधर के पुरे शरीर में झुरझुरी सी दौड़ रही थी ..उसने बड़ी मुश्किल से अपनी सिस्कारियों पर काबू किया हुआ था ...और जैसे ही माधवी की गीली जीभ ने उसके टटों को छुआ गिरधर के हाथ उसके सर के पीछे आ लगे ...और उसने एक ही झटके में अपना पूरा जंगली लंड उसके मुंह में पेल दिया ...
वो सोच रहा था की जो औरत कल तक उसके लंड को मुंह लगाने से कतराती थी वो आज उसके पैरों को भी चाट रही है ..और लंड को भी ..
माधवी के गले तक जा पहुंचा था उसके पति का लंड एक ही बार में ...उसे ऐसा लगा जैसे उसे उल्टी आ जायेगी ....वो फडफडा उठी ..पर गिरधर ने उसकी इतनी से पकड़ी हुई थी की वो कुछ ना कर पायी ...
पंडित को भी गिरधर का ये खेल पसंद आ रहा था ..वो आज काफी चुदाई कर चुके थे ..इसलिए उसके साथ इस खेल में कूदने का उनका कोई विचार नहीं था ...पर लंड कब खड़ा हो जाए ये तो वो भी नहीं जानते थे ..
और दूसरी तरफ शीला को ये सब काफी पसंद आ रहा था ..उसकी भी एक दबी हुई सी इच्छा थी की कोई उसे भी ऐसे ही डोमिनेट करे ..गालियाँ दे ...मारे ..पर हर इच्छा तो पूरी नहीं होती ना ..पर ये सब देखते हुए उसकी चूत बुरी तरह से गीली हो चुकी थी ..
वो सरक कर गिरधर के पीछे पहुंची और उसकी पीठ से अपने मोटे मुम्मे चिपका दिए ..और उसकी गर्दन पर गीली - २ पप्पियाँ करने लगी ...
गिरधर को भी उसका ये बर्ताव पसंद आया उसने अपना हाथ पीछे किया और उसके बालों से पकड़कर उसे उतनी ही बेदर्दी से आगे की तरफ खींचा जितनी बेदर्दी से उसने माधवी को पकड़ा था ..
वो दोनों के साथ एक ही तरह का बर्ताव कर रहा था ..
वो दोनों के साथ एक ही तरह का बर्ताव कर रहा था ..
''अय्यीईई ......उम्म्म्म ......गिरधर .....अह्ह्ह्ह्ह ....धीरे .....''
शीला की दर्द भरी सिसकारी सुनकर माधवी ने ऊपर की तरफ देखा ..उसका पति उसके ही सामने शीला को आगे खींचकर उसके मुम्मे दबा रहा था और उसके होंठों को जोर से चबा रहा था ..
उसने गिरधर का लंड बाहर निकाल कर कुछ कहना चाहा पर उसका एक और झन्नाटेदार थप्पड़ आ पड़ा उसके चेहरे पर ...और वो किसी कुतिया की तरह बिलबिलाती उठी और उसने फिर से उसके लंड को अपने मुंह में भरा और जोर से चूसने लगी ..
वो समझ चुकी थी की आज उसे वो सब करना होगा जो उसका पति चाहता है और वो सब सहना होगा जो वो उसके साथ कर रहा है ..वो पूरी तरह से असहाय थी ..किसी गुलाम की तरह से अपने हाथ पीछे किये हुए वो उसका लंड चूस रही थी .
जिस तरह से झुक कर माधवी अपने पति का केला खा रही थी, पंडित को उसके पिछवाड़े की रूपरेखा साफ़ दिखाई दे रही थी, उसने आज तक जब भी किसी की गांड या चूत मारी थी, इतना साफ़ और क्लीयर द्रश्य उसने आज तक नहीं देखा था ..किसी बड़े से दिल की आकृति लग रही थी उसकी गांड की, दोनों छेद एक साथ नजर आ रहे थे ..जैसे गोलकुंडा और ताजमहल अड़ोस - पड़ोस में रख दिए हो ...
उसकी पारखी नजरों ने देख लिया की ऐसे बर्ताव के बावजूद उसकी चूत का गीलापन और भी ज्यादा हो चूका था ..
गिरधर के स्वभाव में कोई कमी नहीं आ रही थी ..वो और भी हिंसक सा हो चूका था ..
अब उसका हिंसकपन शीला पर उतर रहा था ..उसने शीला को अपनी गोद में लिटा लिया और झुक कर उसकी नाभि वाले हिस्से पर अपने तेज दांत गाड़ दिए ..
''ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......माआ ..........अह्ह्ह्ह्ह्ह .........''
वो दर्द से दोहरी होकर उसके चेहरे से पूरी लिपट गयी ...शीला के पुरे शरीर ने उसके चेहरे को अपने अन्दर छिपा सा लिया .
गिरधर ने अपने दांये हाथ की चार उँगलियाँ एक साथ उसकी गीली चूत में घुसा दी ..
वो और भी बुरी तरह से छटपटाने लगी ...और नीचे फिसलकर लंड चूस रही माधवी के मुंह पर जा गिरी ..
गिरधर का लंड उसके मुंह से बाहर आ गया ..
उसने माधवी के बाल पकड़ कर उसे ऊपर उठाया और दुसरे हाथ से शीला को उठा कर दोनों को एकदूसरे के सामने घुटनों पर खड़ा कर दिया ..और बोल : "चलो ...चुसो एक दुसरे को ...''
दोनों ने एक दुसरे को देखा और फिर गिरधर को ...और फिर शीला ने पहल करते हुए अपने होंठ आगे किये और माधवी को स्मूच कर लिया ..कुछ देर में ही माधवी भी रंग में आने लगी और दोनों एक दुसरे के बालों में हाथ फिराते हुए जोर - २ से एक दुसरे को चूमने चाटने लगी ..
इसी बीच गिरधर खड़ा हुआ और अपने लंड को जोर - २ से हिलाने लगा ...और एक दम से ही उन दोनों के चेहरे के पास अपने पाईप को लाकर उसमे से तेज धार निकालकर उनके चेहरे को भिगोने लगा ..
पंडित ने ध्यान से देखा ...ये उसका वीर्य नहीं था ...बल्कि पेशाब था ..जो वो उनके चेहरे पर कर रहा था ..
पंडित के साथ -२ वो दोनों भी गिरधर की ऐसी जलील हरकत से चोंक गयी ...अपने चेहरे पर गिर रही पेशाब की धार से बचने के लिए जैसे ही माधवी पीछे होने लगी, गिरधर का एक और चांटा उसके सर के ऊपर पडा ..और वो रोती हुई अपनी आँखे बंद करके वहीँ पर बैठ गयी ...
दूसरी तरफ शीला को शायद ये भी मजेदार लग रहा था ..वो खुलकर उस धार को अपनी छाती , मुंह , आँख और चूत वाले हिस्से पर गिरवा रही थी ..और गर्म धार के साथ वो भी गर्म होती जा रही थी ..
उसने आगे बढकर गिरधर के लंड को पकड़ा और अपने मुंह में धकेल दिया ...और बाकी का बचा हुआ पानी सीधा अपने अन्दर ले लिया ..
माधवी उसकी ऐसी हरकत को देखकर हेरान रह गयी ..और पंडित भी ..
दोनों ने शायद नहीं सोचा था की शीला को ये सब चीजें भी पसंद है .
गिरधर ने उन दोनों के चेहरे के बीच अपना लंड लटका दिया ..और बोला : "चलो ...चुसो दोनों इसे मिलकर ...''
उन दोनों ने अपनी -२ तरफ वाले हिस्से पर अपने होंठ लगाए और उसे बर्फ वाली आइसक्रीम की तरह चूसने और चाटने लगी ..
बीच - २ में उन दोनों के होंठ आपस में भी टच हो रहे थे ...और गिरधर भी कभी अपना पूरा लंड माधवी और कभी शीला के मुंह में डालकर उनसे चूसवाने लगा .
पंडित के लंड की नसें भी दौड़ने लगी इतना कामुक सीन देखकर ..
वो अपने लंड पर हाथ रखकर उसे मसलने लगे .
गिरधर से भी अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था ..उसने दोनों को डोगी स्टाईल में खड़े होने को कहा ...
दोनों एक दुसरे की बगल में कुतिया बनकर खड़ी हो गयी ..गिरधर पीछे से आया ...और अपना हुंकारता हुआ सिपाही सीधा लेजाकर शीला की फुद्दी में पेल दिया ...वो घोड़ी की तरह हिनहिना उठी और अपने आगे वाले हाथों को ऊपर करके खड़ी सी हो गयी ...और उसने अपनी चूत मार रहे गिरधर के गले में अपने हाथ डाल दिए ...और पीछे मुंह करके उसे चूम लिया ...
आसन थोडा मुश्किल था इसलिए धक्के बहुत धीरे लग रहे थे ..पर मजा दोनों को बहुत आ रहा था ..
थोड़ी देर की ठुकाई के बाद गिरधर ने उसे आगे धक्का दे दिया और फिर से कुतिया वाले आसन में लाकर उसे पेलने लगा ...
''अह्ह्ह्ह्ह्ह ....ओह्ह्ह्ह ...गिरधर .....उम्म्म्म ...चोदो ....मुझे ....अह्ह्ह हाँ ..ऐसे ही ....ऐसी चुदाई चाहती थी मैं .....हाँ ....आज मेरी इच्छा पूरी हो गयी ....उम्म्म्म्म्म्म ....अह्ह्ह्ह ...''
वो झड पाती इससे पहले ही गिरधर ने उसकी चूत से लंड वापिस खींच लिया ..और ललचाई नजरों से उनकी चुदाई देख रही माधवी की चूत में पेल दिया ..
वो कसमसा उठी ...पर कुछ बोली नहीं ..उसकी चूत पहले से ही चिकनी हुई पड़ी थी ..
गिरधर ने एक जोरदार हाथ मारकर उसकी चाँद सी गांड पर अपने हाथ के पंजे का निशान छोड़ दिया ..
वो बिलबिला उठी ..
''अय्य्यीईइ .......मर्र्र गयी .......क्या कर रहे हो जी ....''
गिरधर : "भेन चोद ....तेरी करनी की सजा दे रहा हु तुझे रंडी ...एक तो तू गलती करे ऊपर से चुदाई भी मिले ...ऐसा तो हो नहीं सकता न ...ये ले ...''
इतना कहकर उसने एक और जोरदार पंजा मारकर दूसरी तरफ भी अपनी उँगलियों का टेटू बना दिया ..
फिर उसने वहां से भी अपना लंड खींच लिया और माधवी को पीठ के बल नीचे लेटने को कहा ..
और शीला को उसके मुंह पर बैठने को बोला ..अब शीला की रंगीन चूत बिलकुल माधवी के होंठो पर थी ...गिरधर के कहने पर माधवी ने उसे चूसना शुरू कर दिया .
शीला अपनी चूत चुसवाते हुए खड़ी हुई फसल की तरह लहराने लगी ..
तभी गिरधर शीला के सामने की तरफ आया और उसने शीला को पीछे की तरफ होकर अपनी पीठ पर लेटने को कहा ..वो माधवी के शरीर के ऊपर लेट गयी ..गिरधर ने अपना लंड लेजाकर शीला की चूत के दरवाजे पर रखा और अन्दर धकेल दिया ..
एक मजेदार आह की आवाज निकालकर गिरधर के लौड़े को कबूल किया अपनी चूत के अन्दर .
''उम्म्म्म्म्म ....अह्ह्ह्ह ...क्या बात है .....कितना सख्त है तुम्हारा लंड ....उम्म्म… ''
गिरधर ने अपना लंड तो शीला को भेंट कर दिया ..पर नीचे लटक रही उसकी गोटियाँ माधवी के होंठों पर नाच रही थी ..वो अपना मुंह इधर उधर करके उनसे बचने की कोशिश कर रही थी ..
पर गिरधर के दिमाग में उसे जलील करने का एक और विचार घूम रहा था ..उसने अपनी गोटियाँ पकड़कर माधवी के मुंह में डाल दी और चिल्ला कर उन्हें चूसने को कहा ..
और शीला की कमर पर हाथ रखकर उसके शरीर को आगे पीछे करने लगा ..और उसका लंड अब वहीँ खड़ा होकर उसके हिलते हुए जिस्म के नीचे चिपकी हुई चूत के मजे लेने लगा ..
शीला काफी देर से झड़ने के करीब थी ..इसलिए गिरधर के आठ-दस झटकों के बाद उसकी चूत से गर्म रस की रिसायीं होने लगी ...और वो जोर -२ से चिल्लाती हुई झड़ने लगी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह .......उम्म्म्म्म ...मैं तो गयी .....अह्ह्ह्ह्ह्ह .......म्म्म्म्म्म्म्म ......''
गिरधर ने झटके से अपना लंड पीछे खींच लिया ...और शीला की चूत से निकल रहा सारा रस सीधा माधवी के खुले हुए मुंह के अन्दर जाने लगा ..वो बेचारी बिना किसी विरोध के उसे पी गयी ...
अपनी खाली हो चुकी चूत के साथ शीला एक तरफ लुडक गयी ...और गहरी साँसे लेकर अपने आप को नियंत्रित करने लगी ..
गिरधर अब बिस्तर पर जाकर लेट गया और माधवी के बाल पकड़कर उसे भी ऊपर ले गया ..
और उसे अपने ऊपर लाकर लिटा लिया ...और एक ही झटके में उसकी चूत के दरवाजे तोड़ता हुआ अपना शाही लंड फिर से उसके दरबार में पहुंचा दिया ..
तो तड़प उठी ..दर्द से ..जंगलीपन से ...जिल्लत से ..
पर गिरधर पर तो जैसे आज कोई भूत सवार था ..उसने पंडित जी की तरफ देखा ..वो भी तैयार हो चुके थे ..उनका स्टेमिना देखकर गिरधर को भी रश्क सा होने लगा उनसे ..
उसने पंडित जी को इशारा करके ऊपर आने को कहा ..वो समझ गए की गिरधर क्या चाहता है ...वो बेड पर चडे और नीचे झुककर अपने लंड को माधवी की गांड पर लगा दिया ..
अपने पीछे एक दुसरे लंड का एहसास होते ही माधवी का शरीर सिहर उठा ..वो कुछ कहना चाहती थी ..पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी ..पंडित जी के करारे प्रहार से उनका दूत उसकी गांड के अन्दर जाकर अपना सन्देश पड़ चुका था ...अब वो सिर्फ चिल्लाने और सिस्कारियां मारने के अलावा कुछ और नहीं कर सकती थी .
दोनों ने अगले बीस मिनट में उसकी चूत का बेन्ड बजा दिया ..पर उस बेन्ड की आवाज सुनकर दोनों पर कोई असर नहीं पड़ा ...वो तो बस उस धुन पर अपने - २ लंड को नचाते रहे ...
और लगभग आधे घंटे के बाद दोनों ने अपना-२ रस उसकी चूत और गांड में निकाल दिया ...माधवी तो जैसे बेहोश हो चुकी थी ..वो निर्जीव सी होकर नीचे फिसल गयी ..और दोनों उठकर अपने-२ कपडे पहनने लगे ...
शीला ने तो वहीँ रहना था, इसलिए वो नंगी पड़ी रही कोने में ...
माधवी ने जैसे तैसे कपडे पहने और फिर गिरधर उसे अपने साथ वापिस ले गया ..
आज जैसी चुदाई उसकी आज तक नहीं हुई थी ...डबल पेनेट्रेशन सहना हर किसी के बस की बात नहीं है ..इसलिए चलते हुए उसकी टाँगे कांप रही थी .
***********
गतांक से आगे ......................
***********
माधवी गिडगिडा उठी : "नहीं जी ....ऐसा मत कहिये ...वो आप ही का खून है ..आपकी ही बेटी है ...मेरा कोई सम्बन्ध नहीं था किसी के साथ ...''
गिरधर : "अच्छा तो ये क्या है ...मैं अगर अभी ना आता तो मुझे कभी पता ही नहीं चलता की तू ये गुल भी खिला रही है ...भेन चोद ...मुझे रितु को हाथ लगाने भर से रोक रही थी ..और पुरे दो महीने तक हाथ नहीं लगाने दिया मुझे खुद को भी ...और खुद यहाँ रंगरेलिया मना रही है ...चूत के अन्दर पंडित जी का प्रसाद ले रही है ..रांड कहीं की ...चुद्दकड़ ...अब तू मेरे घर नहीं रहेगी ..और अब रितु पर भी तेरा कोई अधिकार नहीं है ..वो मेरे घर रहेगी ...पर मेरी बेटी बनकर नहीं ..''
उसकी बात का मतलब समझकर माधवी की आँखे फेल सी गयी ..उसके दिमाग ने जैसे काम करना बंद कर दिया ..अगर वो अपनी बेटी के साथ नहीं रहेगी तो गिरधर पता नहीं उसकी फूल सी बेटी के साथ क्या सलूक करेगा ..हे भगवान् ...ये क्या कर दिया मैंने ...''
माधवी : "नहीं ...आप ऐसा मत कहिये ...मुझे घर से मत निकालिए ..मुझे जो सजा देनी है…वो दीजिये ...आप जो कहेंगे मैं करने के लिए तैयार हु ..पर मुझे घर से मत निकालिए ..''
और इतना कहकर वो फफक-फफक कर रोने लगी ..
गिरधर भी शायद यही सुनना चाहता था ...उसके चेहरे पर एक कुटिल सी विजयी मुस्कान आ गयी ..
उसने उसके दोनों मुम्मों के निप्पल अपने हाथो में पकडे और उसे ऊपर की तरफ खींचने लगा और बोला : "ठीक है ...पर तुझे वही करना होगा जो मैं कहूँगा ..जो मैं चाहूँगा ...समझी कुतिया ...''
उसने दर्द को बर्दाश करते हुए हाँ में सर हिलाया ..
गिरधर पंडित जी के बेड पर आकर बैठ गया जहाँ शीला नंगी लेटी हुई थी ..और उसने अपने सारे कपडे उतार दिए ..और माधवी से कहा ...: ''चल यहाँ आ ..और अपने हाथों का उपयोग किये बिना मेरे पैरों को चाटती हुई मेरे लंड तक आ और उसे चूस ...''
उसने हेरानी से अपने पति की तरफ देखा, जैसे उसे विशवास ही नहीं हुआ हो अपने कानो पर ..इतनी गालियाँ और बेइज्जती करने के बाद गिरधर उसे पंडित जी और शीला के सामने और जलील करना चाहता है ..पर उसके सामने कोई और चारा नहीं था ..उसने रोते -२ अपने हाथ पीछे किये और उन्हें एक दुसरे से बाँध लिया ...और अपनी जीभ निकाल कर उसके पैरों पर रख दी और चाटने लगी ..
इस समय उसे अपनी हालत सच में एक कुतिया की तरह लग रही थी ..
वो चाटती हुई ऊपर तक आई ..उसकी जांघे चाटती हुई और ऊपर आई ..गिरधर के पुरे शरीर में झुरझुरी सी दौड़ रही थी ..उसने बड़ी मुश्किल से अपनी सिस्कारियों पर काबू किया हुआ था ...और जैसे ही माधवी की गीली जीभ ने उसके टटों को छुआ गिरधर के हाथ उसके सर के पीछे आ लगे ...और उसने एक ही झटके में अपना पूरा जंगली लंड उसके मुंह में पेल दिया ...
वो सोच रहा था की जो औरत कल तक उसके लंड को मुंह लगाने से कतराती थी वो आज उसके पैरों को भी चाट रही है ..और लंड को भी ..
माधवी के गले तक जा पहुंचा था उसके पति का लंड एक ही बार में ...उसे ऐसा लगा जैसे उसे उल्टी आ जायेगी ....वो फडफडा उठी ..पर गिरधर ने उसकी इतनी से पकड़ी हुई थी की वो कुछ ना कर पायी ...
पंडित को भी गिरधर का ये खेल पसंद आ रहा था ..वो आज काफी चुदाई कर चुके थे ..इसलिए उसके साथ इस खेल में कूदने का उनका कोई विचार नहीं था ...पर लंड कब खड़ा हो जाए ये तो वो भी नहीं जानते थे ..
और दूसरी तरफ शीला को ये सब काफी पसंद आ रहा था ..उसकी भी एक दबी हुई सी इच्छा थी की कोई उसे भी ऐसे ही डोमिनेट करे ..गालियाँ दे ...मारे ..पर हर इच्छा तो पूरी नहीं होती ना ..पर ये सब देखते हुए उसकी चूत बुरी तरह से गीली हो चुकी थी ..
वो सरक कर गिरधर के पीछे पहुंची और उसकी पीठ से अपने मोटे मुम्मे चिपका दिए ..और उसकी गर्दन पर गीली - २ पप्पियाँ करने लगी ...
गिरधर को भी उसका ये बर्ताव पसंद आया उसने अपना हाथ पीछे किया और उसके बालों से पकड़कर उसे उतनी ही बेदर्दी से आगे की तरफ खींचा जितनी बेदर्दी से उसने माधवी को पकड़ा था ..
वो दोनों के साथ एक ही तरह का बर्ताव कर रहा था ..
वो दोनों के साथ एक ही तरह का बर्ताव कर रहा था ..
''अय्यीईई ......उम्म्म्म ......गिरधर .....अह्ह्ह्ह्ह ....धीरे .....''
शीला की दर्द भरी सिसकारी सुनकर माधवी ने ऊपर की तरफ देखा ..उसका पति उसके ही सामने शीला को आगे खींचकर उसके मुम्मे दबा रहा था और उसके होंठों को जोर से चबा रहा था ..
उसने गिरधर का लंड बाहर निकाल कर कुछ कहना चाहा पर उसका एक और झन्नाटेदार थप्पड़ आ पड़ा उसके चेहरे पर ...और वो किसी कुतिया की तरह बिलबिलाती उठी और उसने फिर से उसके लंड को अपने मुंह में भरा और जोर से चूसने लगी ..
वो समझ चुकी थी की आज उसे वो सब करना होगा जो उसका पति चाहता है और वो सब सहना होगा जो वो उसके साथ कर रहा है ..वो पूरी तरह से असहाय थी ..किसी गुलाम की तरह से अपने हाथ पीछे किये हुए वो उसका लंड चूस रही थी .
जिस तरह से झुक कर माधवी अपने पति का केला खा रही थी, पंडित को उसके पिछवाड़े की रूपरेखा साफ़ दिखाई दे रही थी, उसने आज तक जब भी किसी की गांड या चूत मारी थी, इतना साफ़ और क्लीयर द्रश्य उसने आज तक नहीं देखा था ..किसी बड़े से दिल की आकृति लग रही थी उसकी गांड की, दोनों छेद एक साथ नजर आ रहे थे ..जैसे गोलकुंडा और ताजमहल अड़ोस - पड़ोस में रख दिए हो ...
उसकी पारखी नजरों ने देख लिया की ऐसे बर्ताव के बावजूद उसकी चूत का गीलापन और भी ज्यादा हो चूका था ..
गिरधर के स्वभाव में कोई कमी नहीं आ रही थी ..वो और भी हिंसक सा हो चूका था ..
अब उसका हिंसकपन शीला पर उतर रहा था ..उसने शीला को अपनी गोद में लिटा लिया और झुक कर उसकी नाभि वाले हिस्से पर अपने तेज दांत गाड़ दिए ..
''ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......माआ ..........अह्ह्ह्ह्ह्ह .........''
वो दर्द से दोहरी होकर उसके चेहरे से पूरी लिपट गयी ...शीला के पुरे शरीर ने उसके चेहरे को अपने अन्दर छिपा सा लिया .
गिरधर ने अपने दांये हाथ की चार उँगलियाँ एक साथ उसकी गीली चूत में घुसा दी ..
वो और भी बुरी तरह से छटपटाने लगी ...और नीचे फिसलकर लंड चूस रही माधवी के मुंह पर जा गिरी ..
गिरधर का लंड उसके मुंह से बाहर आ गया ..
उसने माधवी के बाल पकड़ कर उसे ऊपर उठाया और दुसरे हाथ से शीला को उठा कर दोनों को एकदूसरे के सामने घुटनों पर खड़ा कर दिया ..और बोल : "चलो ...चुसो एक दुसरे को ...''
दोनों ने एक दुसरे को देखा और फिर गिरधर को ...और फिर शीला ने पहल करते हुए अपने होंठ आगे किये और माधवी को स्मूच कर लिया ..कुछ देर में ही माधवी भी रंग में आने लगी और दोनों एक दुसरे के बालों में हाथ फिराते हुए जोर - २ से एक दुसरे को चूमने चाटने लगी ..
इसी बीच गिरधर खड़ा हुआ और अपने लंड को जोर - २ से हिलाने लगा ...और एक दम से ही उन दोनों के चेहरे के पास अपने पाईप को लाकर उसमे से तेज धार निकालकर उनके चेहरे को भिगोने लगा ..
पंडित ने ध्यान से देखा ...ये उसका वीर्य नहीं था ...बल्कि पेशाब था ..जो वो उनके चेहरे पर कर रहा था ..
पंडित के साथ -२ वो दोनों भी गिरधर की ऐसी जलील हरकत से चोंक गयी ...अपने चेहरे पर गिर रही पेशाब की धार से बचने के लिए जैसे ही माधवी पीछे होने लगी, गिरधर का एक और चांटा उसके सर के ऊपर पडा ..और वो रोती हुई अपनी आँखे बंद करके वहीँ पर बैठ गयी ...
दूसरी तरफ शीला को शायद ये भी मजेदार लग रहा था ..वो खुलकर उस धार को अपनी छाती , मुंह , आँख और चूत वाले हिस्से पर गिरवा रही थी ..और गर्म धार के साथ वो भी गर्म होती जा रही थी ..
उसने आगे बढकर गिरधर के लंड को पकड़ा और अपने मुंह में धकेल दिया ...और बाकी का बचा हुआ पानी सीधा अपने अन्दर ले लिया ..
माधवी उसकी ऐसी हरकत को देखकर हेरान रह गयी ..और पंडित भी ..
दोनों ने शायद नहीं सोचा था की शीला को ये सब चीजें भी पसंद है .
गिरधर ने उन दोनों के चेहरे के बीच अपना लंड लटका दिया ..और बोला : "चलो ...चुसो दोनों इसे मिलकर ...''
उन दोनों ने अपनी -२ तरफ वाले हिस्से पर अपने होंठ लगाए और उसे बर्फ वाली आइसक्रीम की तरह चूसने और चाटने लगी ..
बीच - २ में उन दोनों के होंठ आपस में भी टच हो रहे थे ...और गिरधर भी कभी अपना पूरा लंड माधवी और कभी शीला के मुंह में डालकर उनसे चूसवाने लगा .
पंडित के लंड की नसें भी दौड़ने लगी इतना कामुक सीन देखकर ..
वो अपने लंड पर हाथ रखकर उसे मसलने लगे .
गिरधर से भी अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था ..उसने दोनों को डोगी स्टाईल में खड़े होने को कहा ...
दोनों एक दुसरे की बगल में कुतिया बनकर खड़ी हो गयी ..गिरधर पीछे से आया ...और अपना हुंकारता हुआ सिपाही सीधा लेजाकर शीला की फुद्दी में पेल दिया ...वो घोड़ी की तरह हिनहिना उठी और अपने आगे वाले हाथों को ऊपर करके खड़ी सी हो गयी ...और उसने अपनी चूत मार रहे गिरधर के गले में अपने हाथ डाल दिए ...और पीछे मुंह करके उसे चूम लिया ...
आसन थोडा मुश्किल था इसलिए धक्के बहुत धीरे लग रहे थे ..पर मजा दोनों को बहुत आ रहा था ..
थोड़ी देर की ठुकाई के बाद गिरधर ने उसे आगे धक्का दे दिया और फिर से कुतिया वाले आसन में लाकर उसे पेलने लगा ...
''अह्ह्ह्ह्ह्ह ....ओह्ह्ह्ह ...गिरधर .....उम्म्म्म ...चोदो ....मुझे ....अह्ह्ह हाँ ..ऐसे ही ....ऐसी चुदाई चाहती थी मैं .....हाँ ....आज मेरी इच्छा पूरी हो गयी ....उम्म्म्म्म्म्म ....अह्ह्ह्ह ...''
वो झड पाती इससे पहले ही गिरधर ने उसकी चूत से लंड वापिस खींच लिया ..और ललचाई नजरों से उनकी चुदाई देख रही माधवी की चूत में पेल दिया ..
वो कसमसा उठी ...पर कुछ बोली नहीं ..उसकी चूत पहले से ही चिकनी हुई पड़ी थी ..
गिरधर ने एक जोरदार हाथ मारकर उसकी चाँद सी गांड पर अपने हाथ के पंजे का निशान छोड़ दिया ..
वो बिलबिला उठी ..
''अय्य्यीईइ .......मर्र्र गयी .......क्या कर रहे हो जी ....''
गिरधर : "भेन चोद ....तेरी करनी की सजा दे रहा हु तुझे रंडी ...एक तो तू गलती करे ऊपर से चुदाई भी मिले ...ऐसा तो हो नहीं सकता न ...ये ले ...''
इतना कहकर उसने एक और जोरदार पंजा मारकर दूसरी तरफ भी अपनी उँगलियों का टेटू बना दिया ..
फिर उसने वहां से भी अपना लंड खींच लिया और माधवी को पीठ के बल नीचे लेटने को कहा ..
और शीला को उसके मुंह पर बैठने को बोला ..अब शीला की रंगीन चूत बिलकुल माधवी के होंठो पर थी ...गिरधर के कहने पर माधवी ने उसे चूसना शुरू कर दिया .
शीला अपनी चूत चुसवाते हुए खड़ी हुई फसल की तरह लहराने लगी ..
तभी गिरधर शीला के सामने की तरफ आया और उसने शीला को पीछे की तरफ होकर अपनी पीठ पर लेटने को कहा ..वो माधवी के शरीर के ऊपर लेट गयी ..गिरधर ने अपना लंड लेजाकर शीला की चूत के दरवाजे पर रखा और अन्दर धकेल दिया ..
एक मजेदार आह की आवाज निकालकर गिरधर के लौड़े को कबूल किया अपनी चूत के अन्दर .
''उम्म्म्म्म्म ....अह्ह्ह्ह ...क्या बात है .....कितना सख्त है तुम्हारा लंड ....उम्म्म… ''
गिरधर ने अपना लंड तो शीला को भेंट कर दिया ..पर नीचे लटक रही उसकी गोटियाँ माधवी के होंठों पर नाच रही थी ..वो अपना मुंह इधर उधर करके उनसे बचने की कोशिश कर रही थी ..
पर गिरधर के दिमाग में उसे जलील करने का एक और विचार घूम रहा था ..उसने अपनी गोटियाँ पकड़कर माधवी के मुंह में डाल दी और चिल्ला कर उन्हें चूसने को कहा ..
और शीला की कमर पर हाथ रखकर उसके शरीर को आगे पीछे करने लगा ..और उसका लंड अब वहीँ खड़ा होकर उसके हिलते हुए जिस्म के नीचे चिपकी हुई चूत के मजे लेने लगा ..
शीला काफी देर से झड़ने के करीब थी ..इसलिए गिरधर के आठ-दस झटकों के बाद उसकी चूत से गर्म रस की रिसायीं होने लगी ...और वो जोर -२ से चिल्लाती हुई झड़ने लगी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह .......उम्म्म्म्म ...मैं तो गयी .....अह्ह्ह्ह्ह्ह .......म्म्म्म्म्म्म्म ......''
गिरधर ने झटके से अपना लंड पीछे खींच लिया ...और शीला की चूत से निकल रहा सारा रस सीधा माधवी के खुले हुए मुंह के अन्दर जाने लगा ..वो बेचारी बिना किसी विरोध के उसे पी गयी ...
अपनी खाली हो चुकी चूत के साथ शीला एक तरफ लुडक गयी ...और गहरी साँसे लेकर अपने आप को नियंत्रित करने लगी ..
गिरधर अब बिस्तर पर जाकर लेट गया और माधवी के बाल पकड़कर उसे भी ऊपर ले गया ..
और उसे अपने ऊपर लाकर लिटा लिया ...और एक ही झटके में उसकी चूत के दरवाजे तोड़ता हुआ अपना शाही लंड फिर से उसके दरबार में पहुंचा दिया ..
तो तड़प उठी ..दर्द से ..जंगलीपन से ...जिल्लत से ..
पर गिरधर पर तो जैसे आज कोई भूत सवार था ..उसने पंडित जी की तरफ देखा ..वो भी तैयार हो चुके थे ..उनका स्टेमिना देखकर गिरधर को भी रश्क सा होने लगा उनसे ..
उसने पंडित जी को इशारा करके ऊपर आने को कहा ..वो समझ गए की गिरधर क्या चाहता है ...वो बेड पर चडे और नीचे झुककर अपने लंड को माधवी की गांड पर लगा दिया ..
अपने पीछे एक दुसरे लंड का एहसास होते ही माधवी का शरीर सिहर उठा ..वो कुछ कहना चाहती थी ..पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी ..पंडित जी के करारे प्रहार से उनका दूत उसकी गांड के अन्दर जाकर अपना सन्देश पड़ चुका था ...अब वो सिर्फ चिल्लाने और सिस्कारियां मारने के अलावा कुछ और नहीं कर सकती थी .
दोनों ने अगले बीस मिनट में उसकी चूत का बेन्ड बजा दिया ..पर उस बेन्ड की आवाज सुनकर दोनों पर कोई असर नहीं पड़ा ...वो तो बस उस धुन पर अपने - २ लंड को नचाते रहे ...
और लगभग आधे घंटे के बाद दोनों ने अपना-२ रस उसकी चूत और गांड में निकाल दिया ...माधवी तो जैसे बेहोश हो चुकी थी ..वो निर्जीव सी होकर नीचे फिसल गयी ..और दोनों उठकर अपने-२ कपडे पहनने लगे ...
शीला ने तो वहीँ रहना था, इसलिए वो नंगी पड़ी रही कोने में ...
माधवी ने जैसे तैसे कपडे पहने और फिर गिरधर उसे अपने साथ वापिस ले गया ..
आज जैसी चुदाई उसकी आज तक नहीं हुई थी ...डबल पेनेट्रेशन सहना हर किसी के बस की बात नहीं है ..इसलिए चलते हुए उसकी टाँगे कांप रही थी .
-
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Re: पंडित & शीला
पंडित & शीला पार्ट--27
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गतांक से आगे ......................
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पंडित ने दरवाजा बंद कर लिया ..और नंगा ही आकर अपने बेड पर आकर लेट गया ..अपनी फेक्ट्री की सफाई करके शीला भी उनके साथ आकर सो गयी ...दोनों थक चुके थे ..रात के बारह बजने वाले थे ..इसलिए वो जल्दी ही सो गए ..इतनी चुदाई के बाद दोनों थक चुके थे ..पर पंडित और शीला ने सहमति से ये डिसाइड किया की तीन बजे उठ कर एक बार और चुदाई करेंगे ..
दूसरी तरफ, माधवी और गिरधर अपने घर की तरफ जा रहे थे ..और जाते - २ भी गिरधर माधवी को परेशान करता हुआ , उसकी गांड पर हाथ मारता हुआ, उसे गन्दी-गन्दी गालियाँ देता हुआ चल रहा था ..उसने अपनी जेब से एक पव्वा निकाला और पीने लगा ..उसकी गालियाँ नशे के साथ बढती चली जा रही थी ..
गिरधर : "भेन की लोडी ...आज तूने अपना रंग दिखा ही दिया ..किसी के भी आगे अपनी टाँगे खोल कर लेट जाती है भूतनीकी ..भेन चोद ..ये बता तुझे मेरा लंड कम पड़ता है क्या ...जो पंडित के सामने अपना भोसड़ा खोल कर बैठ गयी ...बोल हरामजादी ...''
कहते हुए गिरधर ने उसकी गांड पर एक करारा हाथ दे मारा ...माधवी दर्द से तिलमिला उठी .
''आयीईई ...बस करो ....अब और कितना जलील करोगे ...मुझे तो लगा था की तुम भी यही चाहते हो ..इसलिए ...इसलिए ..''
एक और चांटा आकर उसके गाल पर पड़ा :''भेन चोद ...जबान लड़ातीहै ..उल्लू की पट्ठी ..कौन सा पति ये चाहता है की उसकी बीबी का किसी और के साथ सम्बन्ध हो ..पर तुझे तो इन सब बातों का कोई असर ही नहीं है ..तेरी चूत में तो खुजली हो रही थी ..लंड चाहिए था तुझे तो ..मेरी बातें समझने की इतनी ही अकल है तुझमे तो ये नहीं समझी की मैं रितु के साथ क्या करना चाहता हु ..''
माधवी : "पर ...वो आपकी बेटी है ..''
गिरधर : "बेटी गयी तेल लेने ...जैसी रंडी तू है ..वैसी ही वो भी बनती जा रही है ..आजकल उसके तेवर देखे हैं तूने ..कैसे गांड मटका कर चलती है ..ऐसे कपडे पहनती है की मन करता है बीच चोराहे पर उसे घोड़ी बना कर चोद डालू ...साली ...रंडी की औलाद रंडी ..''
माधवी (रोते हुए ) : "भगवान् के लिए ऐसा मत बोलिए ..अपनी बेटी के लिए ..उसे इन सब बातों की समझ नहीं है ..''
गिरधर : "वो तो तुझे मैं दिखा दूंगा ..किन बातों की समझ है उसमे और किन बातों की नहीं ..''
माधवी बेचारी असहाय सी होकर उसकी बातें सुनती रही और वो दोनों चलते रहे ..
रात काफी हो चुकी थी ..अँधेरा भी काफी था .
एक बड़े से चोराहे पर पहुंचकर जब वो दोनों सड़क क्रॉस कर रहे थे तो पीछे से एक आवाज आई : "क्या भाव है इसका ...''
गिरधर को तो एक पल लगा कोई उससे सब्जी का भाव पूछ रहा है ..वो नशे में था ..पर तभी उसे ध्यान आया की उसके पास ठेला तो है नहीं ..फिर किस चीज का भाव पूछ रहा है कोई ..
उसने मुड कर देखा ..एक पचास साल का मुसलमान (उसकी बिना मूंछ की लम्बी दाड़ी थी) खड़ा था ..उसने फिर से पूछा : "क्या रेट है तेरी आइटम का ..बोल साले भड़वे ''
ओह तेरी की ...अब गिरधर की समझ में आया ..दरअसल वो जिस चोराहे से गुजर रहे थे वो वहां का रेड लाइट एरिया था ..जहाँ सड़क पर रंडियां और उनके दलाल घूमते रहते थे ..पर रात काफी होने की वजह से वहां अब लगभग सन्नाटा था ..पर इस मुल्ले को लगा होगा की माधवी कोई रंडी है और गिरधर उसका दल्ला .
माधवी ने उसकी बात को नरन्दाज किया और आगे चल दी ..पर गिरधर वहीँ खड़ा हुआ कुछ सोचने लगा ..उसके शेतानी दिमाग ने काम करना शुरू कर दिया ..
वो उस मुल्ले से बोला : "ये कोई ऐसा वैसा माल नहीं है साब ..एकदम कड़क है ये ..''
और ये मुसलमान कोई और नहीं ..इरफ़ान था ..नूरी का पिता . जो अपनी बीबी के मरने के बाद अक्सर इस इलाके में आता और अपनी संतुष्टि करके वापिस चला जाता ..
पर इरफ़ान और गिरधर / माधवी एक दुसरे को नहीं जानते थे .
इरफ़ान : "वो तो लग ही रहा है ..इसे आजतक मैंने पहले नहीं देखा यहाँ ..और तो और ऐसा माल ही नहीं देखा आज तक इस इलाके में ..''
वो अपने पायजामे में खड़े हुए लंड को मसलने लगा ..
गिरधर को ऐसी बातें करता देखकर माधवी के पैरों के नीचे से जमीन ही निकल गयी ...उसने गिरधर को अपने पास बुलाया और बोली : "ये क्या कर रहे हो आप ...मुझे रंडी समझ कर वो भाव पूछ रहा है और आप भी उसका साथ दे रहे हैं ...चलो जल्दी से यहाँ से ..ये इलाका इन्ही बातों के लिए बदनाम है ..''
गिरधर गुर्राया : "चुप कर भेन की लोडी ...तू मुझे न समझा की मैं क्या करू और क्या नहीं ..जब अपने यार पंडित से अपनी माँ चुदवा रही थी तब तुझे इन सब बातों का पता नहीं था क्या ..वो भी तो रंडीपन ही था ...और ये भी वही है ..तू उसे फ्री में अपनी चूत बांटती फिर रही थी ..अब वही चूत के पैसे मिलेंगे तो तुझे अखर रहे हैं ..चुप चाप खड़ी रह और वही कर जैसा मैं कहता हु ..वरना कल ही तुझे तलाक दे दूंगा और सभी को तेरी और पंडित की करतूत के बारे में बता दूंगा ..''
गिरधर की धमकी सुनकर बेचारी माधवी सिसक - २ कर रोने लगी ..वो समझ चुकी थी की वो गिरधर के सामने पूरी तरह से असहाय है ..''
गिरधर वापिस इरफ़ान भाई के पास गया .
इरफ़ान : "क्या हुआ मियां ...कोई परेशानी है क्या ..''
गिरधर : ''अरे नही साब ...नयी है न इस धंधे में ...अभी एक कस्टमर बैठ कर गया है ... इसलिए मना कर रही है ..''
इरफ़ान : ''एक दिन में सिर्फ एक बार ...साली की टाईट होगी तब तो ...''
उसकी आँखों से हवस टपक रही थी ..
गिरधर बोल : "आप बताओ साहब ....कैसी लगी आपको ..''
इरफ़ान : "तभी तो पुछा था ..क्या रेट है ..जल्दी बोल ..''
गिरधर समझ गया की वो उसकी बीबी के जिस्म को देखकर मस्त हो चूका है ..
वो बोला : "पुरे पांच हजार ''
इरफ़ान : "भाई ये तो बहुत ज्यादा है ...कुछ तो कम करो ..''
गिरधर : "साब ...ऐसा माल आपको दोबारा नहीं मिलेगा ...सोच लो ..''
इरफ़ान : "यार बात तो तू सही कह रहा है ...चल ठीक है ..तू भी क्या याद रखेगा ..''
इतना कहकर उसने अपनी जेब से हजार के पांच नोट निकाल कर उसके हाथ में रख दिए ..
गलियों में सब्जी बेचने वाले गिरधर ने एक साथ इतने पैसे नहीं देखे थे ..वो फटी हुई आँखों से उन नोटों को देखता रह गया ..
इरफ़ान : "पर तुम्हारा अड्डा कहाँ है ...कहाँ लेकर जाऊ इसको ''
गिरधर : "साब ...अब तो सरे अड्डे बंद हो चुके हैं ..हम भी बस वापिस ही जा रहे थे ..इसलिए आपको यहीं कहीं झाड़ियों में ..या फिर सडक किनारे करना पड़ेगा ..''
इरफ़ान : "तेरी आइटम के बदले और कोई होता न तो अभी मना कर देता ..पर अब रुका नहीं जा रहा ..चल उधर चल ..वहां काफी घनी झाड़ियाँ है ..''
गिरधर ने हक्की बक्की होकर खड़ी हुई माधवी का हाथ पकड़ा और इरफ़ान के पीछे चल दिया ..
वो जानती थी की उसके पति ने एक रात के लिए उसका सौदा कर दिया है ..और वो भी 50 साल के एक मुसलमान के साथ ..पर वो गिरधर की धमकी से सहम चुकी थी ..इसलिए कुछ नहीं बोल पा रही थी .
वहीँ मेन रोड के बीचो बीच एक सरकारी नर्सरी थी ..जहाँ काफी पेड़ पोंधे रखे हुए थे ...उसके दोनों तरफ पांच फुट ऊँची झाड़ियाँ थी ..
और अँधेरा भी था ..
वहां जाकर इरफ़ान बोला : "ये जगह सही है ...किसी को कुछ दिखाई भी नहीं देगा ..''
माधवी उसकी बात सुनकर भोचक्की रह गयी ..वो उसे बीच सड़क पर चोदना चाहता था ..एक तो पहले से ही उसकी हालत खराब थी और ऊपर से बीच चोराहे पर चुदने के ख़याल से ही वो भयभीत होकर वापिस गिरधर के पास पहुंची और धीरे से बोली : "सुनिए ...ये ...ये ..क्या कर रहे हैं आप. ..ये इंसान आपकी पत्नी को एक रंडी समझ रहा है ..और उसे बीच रास्ते में चोदना चाहता है ..आपको इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है ..''
गिरधर चिल्लाया : "चुप कर हरामखोर ..ये देख रही है न क्या है ...पैसा ..पैसा है ये ..पुरे पांच हजार ..और वो भी तेरी फटी हुई चूत के बदले ..जिसमे तूने मेरे और पंडित के अलावा और ना जाने कितने लंड लिए हैं ..वही समझ के एक और ले ले ..मजे तो तुझे आते ही हैं ..मेरी खातिर एक बार और मजे कर ..''
उसने पैसे जेब में वापिस डाल लिए .
दूसरी तरफ इरफ़ान अपना पायजामा खोलकर खड़ा हो चुका था ..और अपने लंड को हथेली के बीच दबा कर मसल रहा था ..
माधवी कुछ और भी कहना चाहती थी ..पर तभी उसकी नजर इरफ़ान की तरफ चली गयी ..और उसके लंड का साईज देखकर वो पलकें झपकाना भी भूल गयी ..इतना लम्बा ...इतना मोटा लंड उसने आज तक नहीं देखा था ..उसकी चूत में कंपकंपी सी छूट गयी ..मुल्ले की उम्र को देखकर लग नहीं रहा था की उसके पायजामे में तोप बंद होगी, जो किसी की भी चूत के परखच्चे उड़ा सकती है ..एक गीले रस की लहर माधवी की चूत को भिगोती हुई बाहर छलक पड़ी .
इरफ़ान ने उसे अपनी तरफ आने का इशारा किया ..वो किसी रोबोट की तरह चलती हुई उसके पास जाकर खड़ी हो गयी ..
इरफ़ान : "वाह ...क्या माल है तू ..साली ..कहाँ थी पहले ..''
उसने अपना दांया हाथ उसके बांये मुम्मे पर रखकर जोर से दबा दिया ..उसकी पकड़ इतनी तेज थी की वो चिल्ला पड़ी ...''आअयीईई ....ये ...क्या ....कर रे हो ...धीरे ...''
इरफ़ान : "साली ...पुरे पांच हजार दिए हैं तेरे दल्ले को ..धीरे करने के लिए नहीं दिए ..समझी ..''
और उसने अपना दूसरा हाथ रखकर उसकी दूसरी ब्रेस्ट को भी दबा डाला .
वो बेचारी दर्द के मारे अपने पंजों पर खड़ी होकर सिसकने लगी ..उसके चेहरे को अपने करीब पाकर इरफ़ान ने अपने पान से भीगे होंठ उसके गुलाबी होंठों पर रख दिए ..और उन्हें पीने लगा ..
माधवी को घिन्न सी आ गयी ..पान की खुशबू उसे काफी पसंद थी ..पर उसके साथ ही तम्बाकू और सुपारी के टुकड़े जब उसके मुलायम होंठो से टकराए तो उसे उलटी सी आने को हुई ...
वो छटपटा कर इरफ़ान से अलग हो गयी ..और गिरधर की तरफ दयनीय दृष्टि से देखा ..पर वो हरामी आराम से एक पत्थर पर बैठकर अपने मोबाइल से उन दोनों की मूवी बना रहा था ..और माधवी को अपनी तरफ देखता पाकर चिल्ला कर उससे बोला : "देख क्या रही है कुतिया ...चल वापिस जा ..''
वो खून का घूंट पीकर रह गयी ..
इरफ़ान ने पीछे से आकर उसके कुर्ते को पकड़कर उसकी गर्दन से निकाल दिया ..और पीछे से ब्रा भी खोलकर नीचे गिरा दी ..
माधवी एक पत्थर की मूर्ति की तरह खड़ी हुई अपने पति को घूर रही थी ..
इरफ़ान ने उसके कंधे पकड़कर नीचे धकेला ...और सीधा अपने लंड के सामने लाकर पटक दिया ..और अपना चाशनी से भीगा हुआ क्रीम रोल उसके मुंह में डालकर धक्के मारने लगा और उसका मुंह चोदने लगा ..
माधवी के होंठ उसके लंड के चरों तरफ ऐसे फंस गए थे मानो इरफ़ान उसका मुंह नहीं गांड मार रहा हो ..
उनकी सारी हरकतें गिरधर रिकॉर्ड कर रहा था ..
अब इरफ़ान से भी सब्र नहीं हो पा रहा था ..उसने माधवी के मुंह को पांच मिनट तक चोदने के बाद उसे खड़ा किया और उसकी कमर में बंधा हुआ सलवार का नाड़ा खोलकर उसे नीचे से भी नंगा कर दिया ..उसने पेंटी नहीं पहनी हुई थी ..
उसकी सफाचट चूत देखकर उसके मुंह में पानी आ गया ..और उसने झुककर उसकी चूत से मुंह लगा दिया ...वो तड़प उठी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह .......ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ....''
उसकी जगह पंडित होता तो वो उसे अब तक चबा जाती ...पर अपनी तरफ से सेक्स के लिए वो कोई पहल नहीं करना चाहती थी ..
पर उसके हाव भाव और उसकी सिस्कारियां सब बयां कर रही थी ..
उसने मुल्लाजी के सर के बाल पकड़ लिए और उसके मुंह पर अपनी चूत को रगड़ - २ कर मूली की तरह से घिसने लगी ..
उसकी चूत के अन्दर उसका और पंडित का मिला जुला रस था ..जो सीधा इरफ़ान के मुंह में जाने लगा ..पर उसे शायद उसका एहसास भी नहीं हुआ ..
माधवी हवा में थी और इरफ़ान के मुंह के ऊपर अपने पंजो के बल बड़ी मुश्किल से खड़ी थी .. उसने इधर उधर देखा की कोई पकड़ने का साधन मिल जाए पर कुछ न था वहां ...उसने ऊपर देखा तो एक झुके हुए पेड़ की टहनी थी ऊपर ..उसने उचक कर उसे पकड़ लिया और अब वो अपने दोनों हाथ ऊपर करके इरफ़ान के मुंह पर नाच रही थी ..अब उसे भी मजा आने लगा था ..उसने सोचा जब चूत को लंड मिल ही रहा है तो रोते हुए क्यों करवाए ..वो भी अब खुलकर इरफ़ान का साथ देने लगी थी ...
अचानक वो डाली टूट गयी और माधवी लडखडाती हुई नीचे मिटटी पर जा गिरी ...वहां की जमीन गीली थी ..इसलिए उसे कोई चोट नहीं लगी ..उसका सर अब गिरधर की टांगो के बीच में था ..वो आराम से उसके चेहरे के एक्सप्रेशन अपने मोबाइल में कैद कर पा रहा था ..
इरफ़ान अब उसकी टांगो के बीच लेट सा गया ..उन दोनों को गन्दी और गीली जमीन से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था ..दोनों पर हवस बुरी तरह से चढ़ चुकी थी .
इरफ़ान ने उसकी टांगों को अपने कंधे पर रखा और उसकी चिकनी चूत के अन्दर अपनी तनी हुई जीभ किसी लंड की तरह से पेल दी ..माधवी ने एक जोरदार चीख मारते हुए उसके सर के बाल फिर से पकड़ लिए ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......ओफ़्फ़्फ़्फ़ ......उम्म्म्म .....चुसो .....अह्ह्ह ...हां न… ...ऐसे ही ..चुसो ...मेरी फुद्दी ....उम्म्म्म ....आअय्य्य्य .....मैं ...तो गयी .....''
और उसकी चूत से गर्म पानी का फव्वारा सा निकल पड़ा ...और गीली जमीन और गीली हो गयी ..
अपने ओर्गास्म तक पहुंचकर माधवी ने उत्तेजनावश इरफ़ान का चेहरा पकड़ कर उसे अपने ऊपर खींच लिया ...और उसके होंठों को अपने होंठों से सटाकर जोर जोर से चूसने लगी ...अब उसे ना तो पान वाले मुंह से कोई घिन्न आ रही थी और ना ही कोई शर्म ..वो उन्हें तब तक चूसती रही जब तक उसकी चूत से एक - २ बूँद निकल कर बाहर ना आ गयी ...
फिर उसने अपनी नशीली आँखे खोली ..और बड़े ही प्यार से मुल्लाजी की आँखों में देखा ..और अपना हाथ नीचे करके उसने उनके लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर लगा लिया और धीरे से बोली : "कमाल करते है आप तो मुल्लाजी ..क्या चूसते हो ..अब जरा इस लंड का भी कमाल दिखाओ मुझे ...''
और इतना कहकर उसने ऊपर बढकर फिर से उनके होंठों को चूम लिया और इरफ़ान की गांड पर दबाव डालकर उसके लंड को अपनी चूत पर जोर से दबा दिया ...
इतना मोटा लंड उसकी चूत में पहली बार जा रहा था ..इसलिए दर्द होना स्वाभाविक था ..दर्द के मारे उसका मुंह पूरा खुल गया ..और इरफ़ान को उसके मुंह के अन्दर के टोंसिल तक दिखाई दे गए ..उसने नीचे झुककर अपना बचा खुचा मुसल भी उसकी ओखली में उतार दिया और उसके खुले हुए मुंह में अन्दर अपनी जीभ डालकर उसके अंदरूनी गालों को चाटने लगा ..
थोड़ी देर तक रुकने के बाद उसने धक्के मारने शुरू किये ...
''अह्ह्ह्ह्ह ...ओफ़्फ़्फ़्फ़ उम्म्म्म्म ...मुल्लाजी ........अह्ह्ह्ह ...क्या कमाल का लंड है आपका ...उम्म्म्म ......इतना मोटा ...मैंने कभी नहीं लिया ...अह्ह्ह ...और तेज ....और तेज करो ..फाड़ दो मेरी चूत ....अह्ह्ह्ह ...अह्ह्ह्ह ....''
उसने अपने हाथ ऊपर किये और गिरधर के पैर पकड़ लिए ..ताकि वो इरफ़ान के धक्कों से ऊपर न खिसक जाए ...
इरफ़ान भी अब अपने हाथों को उसके मुम्मों पर रखकर उसे बुरी तरह से पेल रहा था ..
फिर जैसे ही इरफ़ान को लगा की वो झड़ने वाला है ..उसने अपना मुसल बाहर खींच लिया ..
और माधवी को खड़ा होने को कहा ..वो बुरी तरह से मिटटी में सन चुकी थी ...
उसे अपनी हालत का एहसास हुआ ...वो बीच चोराहे पर नंगी होकर एक अनजान आदमी से रंडियों की तरह से चुद रही थी ..और उसका खुद का पति ये सब देख भी रहा था और रिकॉर्ड भी कर रहा था ..
झाड़ियों की वजह से उन्हें कोई देख तो नहीं पा रहा था ..पर सड़क से निकल रही गाड़ियों की रौशनी कभी कभार उनके जिस्म पर पड़ रही थी .जिसका उनपर कोई असर ही नहीं था .
वो खड़ी हुई तो इरफ़ान ने उसे नर्सरी की दिवार की तरफ मुंह करके खड़े होने को कहा ..और खुद पीछे से आकर उसकी गांड के छेद पर लंड लगाकर खडा हो गया ..
गांड मारना उसे सबसे अच्छा लगता था ..
माधवी ने भी मना नहीं किया ...उसे इतना मजा जो मिल रहा था ...
जैसे ही उसका लंड गांड की सीमा में दाखिल हुआ वो जोर से चीख लड़ी ...उसे लगा की आज उसकी गांड जरुर फट जाएगी ...
पर ऐसा कुछ नहीं हुआ ..औरतों की जादुई गांड होती ही ऐसी है ...जितना भी मोटा लंड अन्दर चला जाए ..कोई असर नहीं होता उनपर ..
पर अभी इरफ़ान ने दो चार धक्के ही लगाये थे की तभी बाहर से एक पुलिस हवलदार अन्दर आ गया ..उसके हाथ में एक डंडा था और हाथ में टोर्च ...
पुलिस को देखकर गिरधर और माधवी की हालत पतली हो गयी ..
पर इरफ़ान निश्चिंत होकर उसकी गांड पेलता रहा ..
इरफ़ान को देखकर वो हवलदार बोला : "अरे मुल्लाजी ...आज बीच चोराहे पर ही शुरू हो गए ...''
वो दोनों शायद एक दुसरे को जानते थे ..
इरफ़ान ने गिरधर की तरफ इशारा करके उससे बात करने को कहा ..वो अपना रिधम खराब नहीं करना चाहता था ..
फिर वो हवलदार गिरधर की तरफ बड़ा ..और बोला : "क्यों बे दल्ले ...तुझे पहले तो कभी नहीं देखा इस इलाके में ...कौन है तू ...''
उसकी कड़क आवाज सुनकर वो सकपका सा गया ..और बोला : "साहब ...मैं बस अभी आया हु ..दो दिन पहले ..''
उसने इरफ़ान की तरफ देखा तो उसने उंगलियाँ मसलकर पैसे देने को कहा हवलदार को ..
गिरधर ने अपनी जेब से एक हजार का नोट निकालकर हवलदार को दे दिया ..वो भी हजार का नोट देखकर हक्का बक्का रह गया ..उसे दल्लों से शायद सौ दोसो रूपए ही मिलते थे ..आज पहली बार किसी ने इतने पैसे दिए थे उसको ..
उसने पैसे जेब में रख लिए और पलटकर फिर से इरफ़ान और माधवी की चुदाई देखने लगा ..
हवलदार को अपनी तरफ घूरते हुए देखकर माधवी का चेहरा शर्म से झुक गया ..पर एक अजीब सा रोमांच भी हुआ ...की एक बीच सड़क पर नंगी चुद रही है वो ..एक अनजान आदमी से ..और एक दूसरा आदमी उसे देख भी रहा है ...
उसने अब अपना चेहरा वापिस ऊपर उठा लिया ..उसके पपीते जैसे मुम्मे हर झटके से बुरी तरह हिल रहे थे ...जिन्हें देखकर हवलदार की पेंट में भी उभार आने लगा ..पर तभी बाहर से पुलिस जिप्सी की आवाज आई जिसे सुनकर वो भागकर बाहर निकल गया ...शायद उसके किसी सीनियर की थी जो राउंड लगा रही थी ..
उसके जाते ही इरफ़ान ने और तेजी से धक्के मारकर उसकी गांड के पेंच ढीले करने शुरू कर दिए ..
और अगले पांच मिनट के बाद जैसे ही वो झड़ने लगा उसने फिर से अपना लंड बाहर निकाल लिया ...और माधवी को नीचे बेठा कर उसके चेहरे के आगे जाकर अपने लंड की पिचकारियों से उसके चेहरे को पूरा सफ़ेद कर दिया ..
वो रस की बोछार किसी गर्म पानी की तरह महसुसू हो रही थी माधवी को ..
और जब वो पूरा झड गया तो हांफता हुआ वो साईड में जाकर बैठ गया ..और फिर थोड़ी देर बाद दिवार पर लगे नल से अपने हाथ और पैरों को साफ़ किया ..और फिर अपने कपडे पहनकर खड़ा हो गया ..
वो गिरधर के पास आया ..और अपनी जेब से एक हजार का नोट और निकाला और उसे दे दिया ..और बोला : "मुझे पता है ये कोई रोज के धन्दे वाली नहीं है ..जब भी अगली बार इसे चुदवाने के लिए निकले तो मुझे फ़ोन पर दियो ..''
इतना कहकर उसने उसके हाथ से मोबाइल लेकर उसमे अपना नंबर सेव कर दिया ..मुल्लाजी के नाम से ..और बाहर निकल गया ..
और दूसरी तरफ माधवी नंगी पुंगी सी अपनी चूत और गांड पिलवाकर किसी रंडी की तरह से मिटटी में लिपि पुती सी जमीन पर बैठी थी ..
गिरधर ने उसे जल्दी से खड़ा होकर चलने के लिए कहा ...उसने बिना अपना जिस्म साफ़ किये कपडे पहने और बाहर निकल आये ..रात में उन्हें देखने वाला कोई नहीं था ..वो वापिस घर जाकर आराम से नहाना चाहती थी ..
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गतांक से आगे ......................
***********
पंडित ने दरवाजा बंद कर लिया ..और नंगा ही आकर अपने बेड पर आकर लेट गया ..अपनी फेक्ट्री की सफाई करके शीला भी उनके साथ आकर सो गयी ...दोनों थक चुके थे ..रात के बारह बजने वाले थे ..इसलिए वो जल्दी ही सो गए ..इतनी चुदाई के बाद दोनों थक चुके थे ..पर पंडित और शीला ने सहमति से ये डिसाइड किया की तीन बजे उठ कर एक बार और चुदाई करेंगे ..
दूसरी तरफ, माधवी और गिरधर अपने घर की तरफ जा रहे थे ..और जाते - २ भी गिरधर माधवी को परेशान करता हुआ , उसकी गांड पर हाथ मारता हुआ, उसे गन्दी-गन्दी गालियाँ देता हुआ चल रहा था ..उसने अपनी जेब से एक पव्वा निकाला और पीने लगा ..उसकी गालियाँ नशे के साथ बढती चली जा रही थी ..
गिरधर : "भेन की लोडी ...आज तूने अपना रंग दिखा ही दिया ..किसी के भी आगे अपनी टाँगे खोल कर लेट जाती है भूतनीकी ..भेन चोद ..ये बता तुझे मेरा लंड कम पड़ता है क्या ...जो पंडित के सामने अपना भोसड़ा खोल कर बैठ गयी ...बोल हरामजादी ...''
कहते हुए गिरधर ने उसकी गांड पर एक करारा हाथ दे मारा ...माधवी दर्द से तिलमिला उठी .
''आयीईई ...बस करो ....अब और कितना जलील करोगे ...मुझे तो लगा था की तुम भी यही चाहते हो ..इसलिए ...इसलिए ..''
एक और चांटा आकर उसके गाल पर पड़ा :''भेन चोद ...जबान लड़ातीहै ..उल्लू की पट्ठी ..कौन सा पति ये चाहता है की उसकी बीबी का किसी और के साथ सम्बन्ध हो ..पर तुझे तो इन सब बातों का कोई असर ही नहीं है ..तेरी चूत में तो खुजली हो रही थी ..लंड चाहिए था तुझे तो ..मेरी बातें समझने की इतनी ही अकल है तुझमे तो ये नहीं समझी की मैं रितु के साथ क्या करना चाहता हु ..''
माधवी : "पर ...वो आपकी बेटी है ..''
गिरधर : "बेटी गयी तेल लेने ...जैसी रंडी तू है ..वैसी ही वो भी बनती जा रही है ..आजकल उसके तेवर देखे हैं तूने ..कैसे गांड मटका कर चलती है ..ऐसे कपडे पहनती है की मन करता है बीच चोराहे पर उसे घोड़ी बना कर चोद डालू ...साली ...रंडी की औलाद रंडी ..''
माधवी (रोते हुए ) : "भगवान् के लिए ऐसा मत बोलिए ..अपनी बेटी के लिए ..उसे इन सब बातों की समझ नहीं है ..''
गिरधर : "वो तो तुझे मैं दिखा दूंगा ..किन बातों की समझ है उसमे और किन बातों की नहीं ..''
माधवी बेचारी असहाय सी होकर उसकी बातें सुनती रही और वो दोनों चलते रहे ..
रात काफी हो चुकी थी ..अँधेरा भी काफी था .
एक बड़े से चोराहे पर पहुंचकर जब वो दोनों सड़क क्रॉस कर रहे थे तो पीछे से एक आवाज आई : "क्या भाव है इसका ...''
गिरधर को तो एक पल लगा कोई उससे सब्जी का भाव पूछ रहा है ..वो नशे में था ..पर तभी उसे ध्यान आया की उसके पास ठेला तो है नहीं ..फिर किस चीज का भाव पूछ रहा है कोई ..
उसने मुड कर देखा ..एक पचास साल का मुसलमान (उसकी बिना मूंछ की लम्बी दाड़ी थी) खड़ा था ..उसने फिर से पूछा : "क्या रेट है तेरी आइटम का ..बोल साले भड़वे ''
ओह तेरी की ...अब गिरधर की समझ में आया ..दरअसल वो जिस चोराहे से गुजर रहे थे वो वहां का रेड लाइट एरिया था ..जहाँ सड़क पर रंडियां और उनके दलाल घूमते रहते थे ..पर रात काफी होने की वजह से वहां अब लगभग सन्नाटा था ..पर इस मुल्ले को लगा होगा की माधवी कोई रंडी है और गिरधर उसका दल्ला .
माधवी ने उसकी बात को नरन्दाज किया और आगे चल दी ..पर गिरधर वहीँ खड़ा हुआ कुछ सोचने लगा ..उसके शेतानी दिमाग ने काम करना शुरू कर दिया ..
वो उस मुल्ले से बोला : "ये कोई ऐसा वैसा माल नहीं है साब ..एकदम कड़क है ये ..''
और ये मुसलमान कोई और नहीं ..इरफ़ान था ..नूरी का पिता . जो अपनी बीबी के मरने के बाद अक्सर इस इलाके में आता और अपनी संतुष्टि करके वापिस चला जाता ..
पर इरफ़ान और गिरधर / माधवी एक दुसरे को नहीं जानते थे .
इरफ़ान : "वो तो लग ही रहा है ..इसे आजतक मैंने पहले नहीं देखा यहाँ ..और तो और ऐसा माल ही नहीं देखा आज तक इस इलाके में ..''
वो अपने पायजामे में खड़े हुए लंड को मसलने लगा ..
गिरधर को ऐसी बातें करता देखकर माधवी के पैरों के नीचे से जमीन ही निकल गयी ...उसने गिरधर को अपने पास बुलाया और बोली : "ये क्या कर रहे हो आप ...मुझे रंडी समझ कर वो भाव पूछ रहा है और आप भी उसका साथ दे रहे हैं ...चलो जल्दी से यहाँ से ..ये इलाका इन्ही बातों के लिए बदनाम है ..''
गिरधर गुर्राया : "चुप कर भेन की लोडी ...तू मुझे न समझा की मैं क्या करू और क्या नहीं ..जब अपने यार पंडित से अपनी माँ चुदवा रही थी तब तुझे इन सब बातों का पता नहीं था क्या ..वो भी तो रंडीपन ही था ...और ये भी वही है ..तू उसे फ्री में अपनी चूत बांटती फिर रही थी ..अब वही चूत के पैसे मिलेंगे तो तुझे अखर रहे हैं ..चुप चाप खड़ी रह और वही कर जैसा मैं कहता हु ..वरना कल ही तुझे तलाक दे दूंगा और सभी को तेरी और पंडित की करतूत के बारे में बता दूंगा ..''
गिरधर की धमकी सुनकर बेचारी माधवी सिसक - २ कर रोने लगी ..वो समझ चुकी थी की वो गिरधर के सामने पूरी तरह से असहाय है ..''
गिरधर वापिस इरफ़ान भाई के पास गया .
इरफ़ान : "क्या हुआ मियां ...कोई परेशानी है क्या ..''
गिरधर : ''अरे नही साब ...नयी है न इस धंधे में ...अभी एक कस्टमर बैठ कर गया है ... इसलिए मना कर रही है ..''
इरफ़ान : ''एक दिन में सिर्फ एक बार ...साली की टाईट होगी तब तो ...''
उसकी आँखों से हवस टपक रही थी ..
गिरधर बोल : "आप बताओ साहब ....कैसी लगी आपको ..''
इरफ़ान : "तभी तो पुछा था ..क्या रेट है ..जल्दी बोल ..''
गिरधर समझ गया की वो उसकी बीबी के जिस्म को देखकर मस्त हो चूका है ..
वो बोला : "पुरे पांच हजार ''
इरफ़ान : "भाई ये तो बहुत ज्यादा है ...कुछ तो कम करो ..''
गिरधर : "साब ...ऐसा माल आपको दोबारा नहीं मिलेगा ...सोच लो ..''
इरफ़ान : "यार बात तो तू सही कह रहा है ...चल ठीक है ..तू भी क्या याद रखेगा ..''
इतना कहकर उसने अपनी जेब से हजार के पांच नोट निकाल कर उसके हाथ में रख दिए ..
गलियों में सब्जी बेचने वाले गिरधर ने एक साथ इतने पैसे नहीं देखे थे ..वो फटी हुई आँखों से उन नोटों को देखता रह गया ..
इरफ़ान : "पर तुम्हारा अड्डा कहाँ है ...कहाँ लेकर जाऊ इसको ''
गिरधर : "साब ...अब तो सरे अड्डे बंद हो चुके हैं ..हम भी बस वापिस ही जा रहे थे ..इसलिए आपको यहीं कहीं झाड़ियों में ..या फिर सडक किनारे करना पड़ेगा ..''
इरफ़ान : "तेरी आइटम के बदले और कोई होता न तो अभी मना कर देता ..पर अब रुका नहीं जा रहा ..चल उधर चल ..वहां काफी घनी झाड़ियाँ है ..''
गिरधर ने हक्की बक्की होकर खड़ी हुई माधवी का हाथ पकड़ा और इरफ़ान के पीछे चल दिया ..
वो जानती थी की उसके पति ने एक रात के लिए उसका सौदा कर दिया है ..और वो भी 50 साल के एक मुसलमान के साथ ..पर वो गिरधर की धमकी से सहम चुकी थी ..इसलिए कुछ नहीं बोल पा रही थी .
वहीँ मेन रोड के बीचो बीच एक सरकारी नर्सरी थी ..जहाँ काफी पेड़ पोंधे रखे हुए थे ...उसके दोनों तरफ पांच फुट ऊँची झाड़ियाँ थी ..
और अँधेरा भी था ..
वहां जाकर इरफ़ान बोला : "ये जगह सही है ...किसी को कुछ दिखाई भी नहीं देगा ..''
माधवी उसकी बात सुनकर भोचक्की रह गयी ..वो उसे बीच सड़क पर चोदना चाहता था ..एक तो पहले से ही उसकी हालत खराब थी और ऊपर से बीच चोराहे पर चुदने के ख़याल से ही वो भयभीत होकर वापिस गिरधर के पास पहुंची और धीरे से बोली : "सुनिए ...ये ...ये ..क्या कर रहे हैं आप. ..ये इंसान आपकी पत्नी को एक रंडी समझ रहा है ..और उसे बीच रास्ते में चोदना चाहता है ..आपको इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है ..''
गिरधर चिल्लाया : "चुप कर हरामखोर ..ये देख रही है न क्या है ...पैसा ..पैसा है ये ..पुरे पांच हजार ..और वो भी तेरी फटी हुई चूत के बदले ..जिसमे तूने मेरे और पंडित के अलावा और ना जाने कितने लंड लिए हैं ..वही समझ के एक और ले ले ..मजे तो तुझे आते ही हैं ..मेरी खातिर एक बार और मजे कर ..''
उसने पैसे जेब में वापिस डाल लिए .
दूसरी तरफ इरफ़ान अपना पायजामा खोलकर खड़ा हो चुका था ..और अपने लंड को हथेली के बीच दबा कर मसल रहा था ..
माधवी कुछ और भी कहना चाहती थी ..पर तभी उसकी नजर इरफ़ान की तरफ चली गयी ..और उसके लंड का साईज देखकर वो पलकें झपकाना भी भूल गयी ..इतना लम्बा ...इतना मोटा लंड उसने आज तक नहीं देखा था ..उसकी चूत में कंपकंपी सी छूट गयी ..मुल्ले की उम्र को देखकर लग नहीं रहा था की उसके पायजामे में तोप बंद होगी, जो किसी की भी चूत के परखच्चे उड़ा सकती है ..एक गीले रस की लहर माधवी की चूत को भिगोती हुई बाहर छलक पड़ी .
इरफ़ान ने उसे अपनी तरफ आने का इशारा किया ..वो किसी रोबोट की तरह चलती हुई उसके पास जाकर खड़ी हो गयी ..
इरफ़ान : "वाह ...क्या माल है तू ..साली ..कहाँ थी पहले ..''
उसने अपना दांया हाथ उसके बांये मुम्मे पर रखकर जोर से दबा दिया ..उसकी पकड़ इतनी तेज थी की वो चिल्ला पड़ी ...''आअयीईई ....ये ...क्या ....कर रे हो ...धीरे ...''
इरफ़ान : "साली ...पुरे पांच हजार दिए हैं तेरे दल्ले को ..धीरे करने के लिए नहीं दिए ..समझी ..''
और उसने अपना दूसरा हाथ रखकर उसकी दूसरी ब्रेस्ट को भी दबा डाला .
वो बेचारी दर्द के मारे अपने पंजों पर खड़ी होकर सिसकने लगी ..उसके चेहरे को अपने करीब पाकर इरफ़ान ने अपने पान से भीगे होंठ उसके गुलाबी होंठों पर रख दिए ..और उन्हें पीने लगा ..
माधवी को घिन्न सी आ गयी ..पान की खुशबू उसे काफी पसंद थी ..पर उसके साथ ही तम्बाकू और सुपारी के टुकड़े जब उसके मुलायम होंठो से टकराए तो उसे उलटी सी आने को हुई ...
वो छटपटा कर इरफ़ान से अलग हो गयी ..और गिरधर की तरफ दयनीय दृष्टि से देखा ..पर वो हरामी आराम से एक पत्थर पर बैठकर अपने मोबाइल से उन दोनों की मूवी बना रहा था ..और माधवी को अपनी तरफ देखता पाकर चिल्ला कर उससे बोला : "देख क्या रही है कुतिया ...चल वापिस जा ..''
वो खून का घूंट पीकर रह गयी ..
इरफ़ान ने पीछे से आकर उसके कुर्ते को पकड़कर उसकी गर्दन से निकाल दिया ..और पीछे से ब्रा भी खोलकर नीचे गिरा दी ..
माधवी एक पत्थर की मूर्ति की तरह खड़ी हुई अपने पति को घूर रही थी ..
इरफ़ान ने उसके कंधे पकड़कर नीचे धकेला ...और सीधा अपने लंड के सामने लाकर पटक दिया ..और अपना चाशनी से भीगा हुआ क्रीम रोल उसके मुंह में डालकर धक्के मारने लगा और उसका मुंह चोदने लगा ..
माधवी के होंठ उसके लंड के चरों तरफ ऐसे फंस गए थे मानो इरफ़ान उसका मुंह नहीं गांड मार रहा हो ..
उनकी सारी हरकतें गिरधर रिकॉर्ड कर रहा था ..
अब इरफ़ान से भी सब्र नहीं हो पा रहा था ..उसने माधवी के मुंह को पांच मिनट तक चोदने के बाद उसे खड़ा किया और उसकी कमर में बंधा हुआ सलवार का नाड़ा खोलकर उसे नीचे से भी नंगा कर दिया ..उसने पेंटी नहीं पहनी हुई थी ..
उसकी सफाचट चूत देखकर उसके मुंह में पानी आ गया ..और उसने झुककर उसकी चूत से मुंह लगा दिया ...वो तड़प उठी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह .......ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ....''
उसकी जगह पंडित होता तो वो उसे अब तक चबा जाती ...पर अपनी तरफ से सेक्स के लिए वो कोई पहल नहीं करना चाहती थी ..
पर उसके हाव भाव और उसकी सिस्कारियां सब बयां कर रही थी ..
उसने मुल्लाजी के सर के बाल पकड़ लिए और उसके मुंह पर अपनी चूत को रगड़ - २ कर मूली की तरह से घिसने लगी ..
उसकी चूत के अन्दर उसका और पंडित का मिला जुला रस था ..जो सीधा इरफ़ान के मुंह में जाने लगा ..पर उसे शायद उसका एहसास भी नहीं हुआ ..
माधवी हवा में थी और इरफ़ान के मुंह के ऊपर अपने पंजो के बल बड़ी मुश्किल से खड़ी थी .. उसने इधर उधर देखा की कोई पकड़ने का साधन मिल जाए पर कुछ न था वहां ...उसने ऊपर देखा तो एक झुके हुए पेड़ की टहनी थी ऊपर ..उसने उचक कर उसे पकड़ लिया और अब वो अपने दोनों हाथ ऊपर करके इरफ़ान के मुंह पर नाच रही थी ..अब उसे भी मजा आने लगा था ..उसने सोचा जब चूत को लंड मिल ही रहा है तो रोते हुए क्यों करवाए ..वो भी अब खुलकर इरफ़ान का साथ देने लगी थी ...
अचानक वो डाली टूट गयी और माधवी लडखडाती हुई नीचे मिटटी पर जा गिरी ...वहां की जमीन गीली थी ..इसलिए उसे कोई चोट नहीं लगी ..उसका सर अब गिरधर की टांगो के बीच में था ..वो आराम से उसके चेहरे के एक्सप्रेशन अपने मोबाइल में कैद कर पा रहा था ..
इरफ़ान अब उसकी टांगो के बीच लेट सा गया ..उन दोनों को गन्दी और गीली जमीन से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था ..दोनों पर हवस बुरी तरह से चढ़ चुकी थी .
इरफ़ान ने उसकी टांगों को अपने कंधे पर रखा और उसकी चिकनी चूत के अन्दर अपनी तनी हुई जीभ किसी लंड की तरह से पेल दी ..माधवी ने एक जोरदार चीख मारते हुए उसके सर के बाल फिर से पकड़ लिए ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......ओफ़्फ़्फ़्फ़ ......उम्म्म्म .....चुसो .....अह्ह्ह ...हां न… ...ऐसे ही ..चुसो ...मेरी फुद्दी ....उम्म्म्म ....आअय्य्य्य .....मैं ...तो गयी .....''
और उसकी चूत से गर्म पानी का फव्वारा सा निकल पड़ा ...और गीली जमीन और गीली हो गयी ..
अपने ओर्गास्म तक पहुंचकर माधवी ने उत्तेजनावश इरफ़ान का चेहरा पकड़ कर उसे अपने ऊपर खींच लिया ...और उसके होंठों को अपने होंठों से सटाकर जोर जोर से चूसने लगी ...अब उसे ना तो पान वाले मुंह से कोई घिन्न आ रही थी और ना ही कोई शर्म ..वो उन्हें तब तक चूसती रही जब तक उसकी चूत से एक - २ बूँद निकल कर बाहर ना आ गयी ...
फिर उसने अपनी नशीली आँखे खोली ..और बड़े ही प्यार से मुल्लाजी की आँखों में देखा ..और अपना हाथ नीचे करके उसने उनके लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर लगा लिया और धीरे से बोली : "कमाल करते है आप तो मुल्लाजी ..क्या चूसते हो ..अब जरा इस लंड का भी कमाल दिखाओ मुझे ...''
और इतना कहकर उसने ऊपर बढकर फिर से उनके होंठों को चूम लिया और इरफ़ान की गांड पर दबाव डालकर उसके लंड को अपनी चूत पर जोर से दबा दिया ...
इतना मोटा लंड उसकी चूत में पहली बार जा रहा था ..इसलिए दर्द होना स्वाभाविक था ..दर्द के मारे उसका मुंह पूरा खुल गया ..और इरफ़ान को उसके मुंह के अन्दर के टोंसिल तक दिखाई दे गए ..उसने नीचे झुककर अपना बचा खुचा मुसल भी उसकी ओखली में उतार दिया और उसके खुले हुए मुंह में अन्दर अपनी जीभ डालकर उसके अंदरूनी गालों को चाटने लगा ..
थोड़ी देर तक रुकने के बाद उसने धक्के मारने शुरू किये ...
''अह्ह्ह्ह्ह ...ओफ़्फ़्फ़्फ़ उम्म्म्म्म ...मुल्लाजी ........अह्ह्ह्ह ...क्या कमाल का लंड है आपका ...उम्म्म्म ......इतना मोटा ...मैंने कभी नहीं लिया ...अह्ह्ह ...और तेज ....और तेज करो ..फाड़ दो मेरी चूत ....अह्ह्ह्ह ...अह्ह्ह्ह ....''
उसने अपने हाथ ऊपर किये और गिरधर के पैर पकड़ लिए ..ताकि वो इरफ़ान के धक्कों से ऊपर न खिसक जाए ...
इरफ़ान भी अब अपने हाथों को उसके मुम्मों पर रखकर उसे बुरी तरह से पेल रहा था ..
फिर जैसे ही इरफ़ान को लगा की वो झड़ने वाला है ..उसने अपना मुसल बाहर खींच लिया ..
और माधवी को खड़ा होने को कहा ..वो बुरी तरह से मिटटी में सन चुकी थी ...
उसे अपनी हालत का एहसास हुआ ...वो बीच चोराहे पर नंगी होकर एक अनजान आदमी से रंडियों की तरह से चुद रही थी ..और उसका खुद का पति ये सब देख भी रहा था और रिकॉर्ड भी कर रहा था ..
झाड़ियों की वजह से उन्हें कोई देख तो नहीं पा रहा था ..पर सड़क से निकल रही गाड़ियों की रौशनी कभी कभार उनके जिस्म पर पड़ रही थी .जिसका उनपर कोई असर ही नहीं था .
वो खड़ी हुई तो इरफ़ान ने उसे नर्सरी की दिवार की तरफ मुंह करके खड़े होने को कहा ..और खुद पीछे से आकर उसकी गांड के छेद पर लंड लगाकर खडा हो गया ..
गांड मारना उसे सबसे अच्छा लगता था ..
माधवी ने भी मना नहीं किया ...उसे इतना मजा जो मिल रहा था ...
जैसे ही उसका लंड गांड की सीमा में दाखिल हुआ वो जोर से चीख लड़ी ...उसे लगा की आज उसकी गांड जरुर फट जाएगी ...
पर ऐसा कुछ नहीं हुआ ..औरतों की जादुई गांड होती ही ऐसी है ...जितना भी मोटा लंड अन्दर चला जाए ..कोई असर नहीं होता उनपर ..
पर अभी इरफ़ान ने दो चार धक्के ही लगाये थे की तभी बाहर से एक पुलिस हवलदार अन्दर आ गया ..उसके हाथ में एक डंडा था और हाथ में टोर्च ...
पुलिस को देखकर गिरधर और माधवी की हालत पतली हो गयी ..
पर इरफ़ान निश्चिंत होकर उसकी गांड पेलता रहा ..
इरफ़ान को देखकर वो हवलदार बोला : "अरे मुल्लाजी ...आज बीच चोराहे पर ही शुरू हो गए ...''
वो दोनों शायद एक दुसरे को जानते थे ..
इरफ़ान ने गिरधर की तरफ इशारा करके उससे बात करने को कहा ..वो अपना रिधम खराब नहीं करना चाहता था ..
फिर वो हवलदार गिरधर की तरफ बड़ा ..और बोला : "क्यों बे दल्ले ...तुझे पहले तो कभी नहीं देखा इस इलाके में ...कौन है तू ...''
उसकी कड़क आवाज सुनकर वो सकपका सा गया ..और बोला : "साहब ...मैं बस अभी आया हु ..दो दिन पहले ..''
उसने इरफ़ान की तरफ देखा तो उसने उंगलियाँ मसलकर पैसे देने को कहा हवलदार को ..
गिरधर ने अपनी जेब से एक हजार का नोट निकालकर हवलदार को दे दिया ..वो भी हजार का नोट देखकर हक्का बक्का रह गया ..उसे दल्लों से शायद सौ दोसो रूपए ही मिलते थे ..आज पहली बार किसी ने इतने पैसे दिए थे उसको ..
उसने पैसे जेब में रख लिए और पलटकर फिर से इरफ़ान और माधवी की चुदाई देखने लगा ..
हवलदार को अपनी तरफ घूरते हुए देखकर माधवी का चेहरा शर्म से झुक गया ..पर एक अजीब सा रोमांच भी हुआ ...की एक बीच सड़क पर नंगी चुद रही है वो ..एक अनजान आदमी से ..और एक दूसरा आदमी उसे देख भी रहा है ...
उसने अब अपना चेहरा वापिस ऊपर उठा लिया ..उसके पपीते जैसे मुम्मे हर झटके से बुरी तरह हिल रहे थे ...जिन्हें देखकर हवलदार की पेंट में भी उभार आने लगा ..पर तभी बाहर से पुलिस जिप्सी की आवाज आई जिसे सुनकर वो भागकर बाहर निकल गया ...शायद उसके किसी सीनियर की थी जो राउंड लगा रही थी ..
उसके जाते ही इरफ़ान ने और तेजी से धक्के मारकर उसकी गांड के पेंच ढीले करने शुरू कर दिए ..
और अगले पांच मिनट के बाद जैसे ही वो झड़ने लगा उसने फिर से अपना लंड बाहर निकाल लिया ...और माधवी को नीचे बेठा कर उसके चेहरे के आगे जाकर अपने लंड की पिचकारियों से उसके चेहरे को पूरा सफ़ेद कर दिया ..
वो रस की बोछार किसी गर्म पानी की तरह महसुसू हो रही थी माधवी को ..
और जब वो पूरा झड गया तो हांफता हुआ वो साईड में जाकर बैठ गया ..और फिर थोड़ी देर बाद दिवार पर लगे नल से अपने हाथ और पैरों को साफ़ किया ..और फिर अपने कपडे पहनकर खड़ा हो गया ..
वो गिरधर के पास आया ..और अपनी जेब से एक हजार का नोट और निकाला और उसे दे दिया ..और बोला : "मुझे पता है ये कोई रोज के धन्दे वाली नहीं है ..जब भी अगली बार इसे चुदवाने के लिए निकले तो मुझे फ़ोन पर दियो ..''
इतना कहकर उसने उसके हाथ से मोबाइल लेकर उसमे अपना नंबर सेव कर दिया ..मुल्लाजी के नाम से ..और बाहर निकल गया ..
और दूसरी तरफ माधवी नंगी पुंगी सी अपनी चूत और गांड पिलवाकर किसी रंडी की तरह से मिटटी में लिपि पुती सी जमीन पर बैठी थी ..
गिरधर ने उसे जल्दी से खड़ा होकर चलने के लिए कहा ...उसने बिना अपना जिस्म साफ़ किये कपडे पहने और बाहर निकल आये ..रात में उन्हें देखने वाला कोई नहीं था ..वो वापिस घर जाकर आराम से नहाना चाहती थी ..