रात को ऊर्मि दीदी के पती आए और मुझे देख'कर उन्हे भी आनंद हुआ. हम'ने यहाँ वहाँ की बातें की और उन्होने मेरे बारे में और मेरे माता, पिता के बारे में पुछा. उन्होने मुझे दो दिन रह'ने को कहा और फिर बाद में ऊर्मि दीदी को आठ दिन के लिए हमारे घर ले जा'ने के लिए कहा. मेने उन्हे ठीक है कहा.
दूसरे दिन दोपहर को ऊर्मि दीदी और में उसकी ननद के घर जा'ने के लिए तैयार हो रहे थे. ऊर्मि दीदी ने हमेशा की तरह बिना संकोच मेरे साम'ने कपड़े बदल लिए और मेने भी मेरी आदत की तरह उसके अध नंगे बदन का चुपके से दर्शन लिया. बहुत दिनो के बाद मेने मेरी बहेन को ब्रा में देखा. उफ़!! कित'नी बड़ी बड़ी लग रही थी उसकी चुचीया! देखते ही मेरा लंड उठ'ने लगा और मेरे मन में जंगली ख़याल आने लगे कि तरार से उसकी ब्रेसीयर फाड़ दूं और उसकी भरी हुई चुचीया कस के दबा दूं. लेकिन मेरी गान्ड में उतना दम नही था.
बाद में तैयार होकर हम बस से उसकी ननद के घर गये और मेरे भानजे यानी मेरी बहेन के लडके को हम वहाँ मिले. अप'ने मामा को देख'कर वो खूस हो गया. हम मामा-भानजे काफ़ी देर तक खेल'ते रहे. मेने जब उसे पुछा के अप'ने नाना, नानी को मिल'ने वो हमारे घर आएगा क्या तो उस'ने 'नही' कहा. उसके जवाब से हम सब हंस पड़े. दीदी ने उसे बताया के वो आठ दिन के लिए मुंबई जा रही है और उसे अप'नी आंटी के साथ ही रहना है तो वो हंस के तैयार हो गया. बाद में मैं और दीदी बस से उसके पती की दुकान'पर गये. एकाद घंटा हमलोग वहाँ पर रुके और फिर वापस घर आए. बस में चढते, उतरते और भीड़ में खड़े रहते मेने अप'नी बहेन के मांसल बदन का भरपूर स्पर्शसूख् लिया.
घर आने के बाद वापस ऊर्मि दीदी का कपड़े बदल'ने का प्रोग्राम हो गया और वफ़ादार दर्शक की तरह मेने वापस उसे कामूक नज़र से चुपके से निहार लिया. जब से में अप'नी बहेन के घर आया था तब से में कामूक नजरसे उस'का वस्त्रहरण करके उसे नंगा कर रहा था और उसे चोद'ने के सप'ने देख रहा था. मुझे मालूम था के ये संभव नही है लेकिन यही मेरा सपना था, मेरा टाइमपास था, मेरा मूठ मार'ने का साधन था.
दूसरे दिन दोपहर को में हॉल में बैठ'कर टीवी देख रहा था. ऊर्मि दीदी मेरे बाजू में बैठ'कर कुच्छ कपडो को सी रही थी. हमलोग टीवी देख रहे थे और बातें भी कर रहे थे. में रिमोट कंट्रोल से एक के बाद एक टीवी के चनेल बदल रहा था क्योंकी दोपहर के सम'य कोई भी प्रोग्राम मुझे इंटारेस्टेंग नही लगा रहा था. आखीर में एक मराठी चनेल'पर रुक गया जिस'पर आड़ चल रही थी. ऱिमोट बाजू में रख'कर मेने सोचा के आड़ ख़त्म होने के बाद जो भी प्रोग्राम उस चनेल'पर चल रहा होगा वो में देखूँगा. आड़ ख़त्म हो गयी और प्रोग्राम चालू हो गया.
उस प्रोग्राम में वो मुंबई के नज़दीकी हिल स्टेशन के बारे में इंफार्मेशन दे रहे थे. पह'ले उन्होने महाबालेश्वर के बारे में बताया. फिर वो खंडाला के बारे में बता'ने लगे. खंडाला के बारे में बताते सम'य वो खंडाला के हरेभरे पहाड़, पानी के झर'ने और प्रकृती से भरपूर अलग अलग लुभाव'नी जगह के बारे में वीडियो क्लिप्स दिखा रहे थे. स्कूल के बच्चो की ट्रिप, ऑफीस के ग्रूपस, प्रेमी युगल और नयी शादीशुदा जोड़ी ऐसे सभी लोग खंडाला जा के कैसे मज़ा कर'ते है यह वो डक्युमेन्टरी में दिखा रहे थे.
Bahan ki ichha -बहन की इच्छा
Re: Bahan ki ichha -बहन की इच्छा
nice update
Re: Bahan ki ichha -बहन की इच्छा
bahut badhiya kahaani hai