घरेलू चुदाई समारोह compleet

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
007
Platinum Member
Posts: 948
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: घरेलू चुदाई समारोह

Unread post by 007 » 28 Oct 2014 21:39



सुनील तो जैसे सकते में था। वह उस शानदार नंगे बदन पर से अपनी आंखें नहीं हटा पा रहा था। उसकी चूत पर गिनती के बाल थे जिससे कि वह दूर से ही चमचमा रही थी- “अगर मैंने तुम्हारे साथ कुछ किया तो कोमल मुझे मार डालेगी। यह तुम भी भली-भांति जानती हो। तुम दोनों की वैसे भी पटती नहीं है…”

“मुझे कोमल से दोस्ती करने का कोई शौक नहीं है न ही ऐसी कोई मंशा है… मैं तो सिर्फ़ तुमसे दोस्ती करना चाहती हूँ… दोस्ती से कुछ ज्यादा…”

यह कहते हुए मनीषा आगे बढ़ी और सुनील की पैंट के बाहर से उसके लण्ड को मुट्ठी में लेने की कोशिश की, और बोली- “अब बेकार में समय मत गंवाओ सुनील… मैं तुम्हारी हूँ। अगर तुम मुझे सिर्फ़ और सिर्फ़ आज ही चोदना चाहते हो और फिर कभी नहीं तो मुझे यह भी मंज़ूर है। मैं वादा करती हूँ कि कोमल को कभी पता नहीं चलेगा। आओ, मैं बहुत गर्म हूँ, मेरी चूत तो ऐसे जल रही है जैसे उसमें आग लगी हो…”

अपनी बात सिद्ध करने के लिये मनीषा ने सुनील का हाथ पकड़कर अपनी लपलपाती चूत पर रख दिया- “तुम अपने आप देख लो कि तुमने मुझे कितना गरमाया हुआ है। तुम मुझे ऐसे छोड़कर तो जाओगे नहीं। है न सुनील… तुम नहीं चाहोगे कि मैं तुम्हारे होते हुए किसी ठंडे वाइर्बेटर का सहारा लूं…”

सुनील ने अपने हाथ को हटाने की कोई कोशिश नहीं की। कुछ सोचे बिना उसकी एक उंगली मनीषा की चूत में धीरे से जा समाई- “तुम वाकई बहुत गर्मी में हो…” कहते हुए सुनील ने अपनी उंगली को थोड़ा और अंदर घुसाया और अपनी एक बांह मनीषा की कमर में डाल दी।

मनीषा ने झुकते हुए सुनील के पैंट की ज़िप खोल दी- “देखूं सुनील तुम्हारे पास मेरे लिये क्या है… देखूं तो तुम्हारा लण्ड कितना बड़ा है…”

“ठीक है, जान अगर तुम्हें इतनी बेसब्री है तो मैं भी तुम्हें तब तक चोदूंगा जब तक तुम मुझे रुकने के लिये मिन्नतें नहीं करोगी… मैनें तुम्हें कई बार आंगन में अधनंगी फुदकते हुए देखा है। अगर मुझे कोमल की फ़िक्र न होती तो मैं कब का तुम्हें चख चुका होता… पर अब मैं नहीं रुकूंगा…”

“मैं भी यही चाहती हूँ कि रुकने के लिये मुझे मिन्नतें करनी पड़ें… पर मैं तुम्हें बता दूँ कि यह इतना आसान नहीं होगा। एक बार तुमने मेरी चूत और गाण्ड का स्वाद चख लिया तो इसके दीवाने हो जाओगे। इनके बिना फिर जी नहीं पाओगे…”

जैसे ही सुनील ने अपने कपड़े उतारना समाप्त किया मनीषा ने अपने घुटनों के बल बैठते हुए उसका लण्ड अपने हाथ में लेकर झुलाना शुरू कर दिया, और बोली- “मैं तुम्हें बता नहीं सकती कि कितनी बार सपनों में मैने यह लण्ड चूसा है…” मनीषा ने हसरत भरी निगाहों से उस शक्तिशाली लौड़े को देखते हुए कहा।

“चूसो इसे मनीषा, आज तुम्हारा सपना साकार हो गया है…”

मनीषा को तो जैसे मलाई खाने का लाइसेंस मिल गया। उसने लपक कर सुनील का लण्ड अपने मुँह में भर लिया। उसके नथुनों में लण्ड की महक समा गई- “हूँउंउंह, और…”

सुनील- “पता नहीं मैं इस मौके को इतने सालों तक क्यों छोड़ता आया…”

मनीषा- “क्योंकी तुम बेवकूफ थे, पर अब तुम होशियार हो गये हो। अब तुम्हें पता है कि तुम्हारे पड़ोस में हलवाई की ऐसी दुकान है जो मुफ्त में जब चाहो मिठाई खिलाने को तैयार है…”

“चूसो मुझे मनीषा, चूसो और मेरे रस को पी जाओ…” कहते हुए सुनील ने अपना लण्ड मनीषा के छोटे से मुँह में जड़ तक पेल दिया और धकाधक अंदर-बाहर करने लगा - ऐसे जैसे कि वो मुँह नहीं चूत हो।

मनीषा की वर्षों की इच्छा थी कि वो सुनील के लण्ड का रस जी भरकर पिये। और अब जब वह मौका उसके हाथ में था तो उसे लग रहा था कि वो खुशी से बेहोश न हो जाये। लण्ड के फूलने से उसे यह तो पता लग गया कि उसको थोड़ी ही देर में अपना पेट भरने को माल मिलने वाला है।

“मनीषा, मनीषा, मनीषा…” सुनील ने दोहराया और फ़िर उसने मनीषा का मुँह अपने रस से भर दिया- “पी अब, बड़ी प्यासी थी न तू… अब जी भरकर पी… और ले… और…”

मनीषा ने भी बिना सांस रोके, पूरा का पूरा वीर्य पी लिया, और कहा- “खाली कर दो अपने टट्टों का पानी मेरे मुँह में…” जब मनीषा ने जी और पेट भर लिया तो उसने सुनील का हाथ पकड़ा और बिस्तर की ओर ले गई और उसे बिस्तर पर गिरा दिया। फिर उसने अपनी गर्मागर्म पनियाई हुई चूत को सुनील के मुँह पर रख दिया। उसे तब ज्यादा खुशी हुई जब बिना बोले ही सुनील ने अपनी जीभ को उसकी चूत के संकरे रास्ते से अंदर डाल दिया और लपलपाकर चूसने लगा।

“चोद मुझे अपने मुँह से…” मनीषा ने अपने बड़े मम्मों को अपने हाथों से मसलते हुए और सुनील के मुँह पर अपनी चूत को जोर से रगड़ते हुए चीख मारी।


007
Platinum Member
Posts: 948
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: घरेलू चुदाई समारोह

Unread post by 007 » 28 Oct 2014 21:40

सुनील को चूत चूसने से कोई परहेज़ नहीं था। कोमल की चूत तो वो सालों से चूस ही रहा था, पर उसने और भी कई घाटों का पानी पिया था। उसे इस बात का बड़ा अचरज था कि हरेक का स्वाद अलग रहा था। कोमल की चूत मनीषा से ज्यादा मीठी थी, पर पानी मनीषा ज्यादा छोड़ रही थी।

“मेरी गाण्ड भी चाटो…” मनीषा फिर चीखी और उसने अपने शरीर को थोड़ा सा आगे सरकाया जिससे कि सुनील को आसानी हो। फिर बोली- “हाँ ऐसे ही, तुम वाकई हर काम सही तरीके से करते हो…”

जब सुनील अपने काम में व्यस्त था।

मनीषा ने अपनी चूत को रगड़ना शुरू कर दिया। एक बार पहले भी वह इस तरह से झड़ी थी और आज तक उसे वह दिन याद था। उसे उम्मीद थी कि सुनील अपना मुँह उसकी गाण्ड पर से हटायेगा नहीं। वो बोली- “रुकना नहीं सुनील… अपनी जीभ मेरी गाण्ड के अंदर डालने की कोशिश करो। मुझे एक बार यूं ही झड़ाओ। मुझे यह बहुत अच्छा लगता है। मैं भी तुम्हारे साथ ऐसा ही करूंगी बाद में…” और जब सुनील की जीभ उसकी गाण्ड में गई तो मनीषा तो बेकाबू हो गई।

उसने अपनी चूत को बेहताशा नोचना शुरू कर दिया- “मैं झड़ी रे… खा जा मेरी गाण्ड… तू क्या चुदक्कड़ है रे… वाह झड़ गई रे… न जाने कितने दिन हो गये इस तरह झड़े हुए… तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद सुनील…” जब उसका शरीर काबू में आया तो मनीषा ने नीचे उतरकर सुनील का एक गहरा चुम्बन लिया।

सुनील- “मैं फिर आऊँगा, पर कोमल को इस बारे में पता नहीं चलना चाहिये…”

मनीषा ने अपना मुँह फिर से सुनील के लण्ड की ओर बढ़ाया- “मुझे खुशी है कि तुम मुझे फिर से चोदने के लिये आओगे। पर हम अभी पूरी तरह से फ़ारिग कहाँ हुए हैं… अभी तो मुझे यह जानदार लौड़ा अपनी चूत में अंदर डलवाना है…” यह कहते हुए सुनील का लण्ड मनीषा ने वापस अपने मुँह में डाल लिया।

“यह क्या कर रही हो…” सुनील ने पूछा।

“तुम्हारे लौड़े को वापस से सख्त कर रही हूँ… ज़रा सोचो, इसके बाद मैं तुम्हें इस बल्लम को अपनी चूत में घुसाने दूंगी… पर मुझे पहले इस कड़ा करना है। क्योंकी उसके बाद ही मुझे उस तरह से चोद सकोगे जैसा कि मैं इतने सालों से चाहती हूँ। बोलो, तुम जबरदस्त तरीके से चोदोगे न मुझे…”

007
Platinum Member
Posts: 948
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: घरेलू चुदाई समारोह

Unread post by 007 » 28 Oct 2014 21:40



मनीषा को लगभग 20 सेकंड लगे सुनील के लौड़े को अपने लिये तैयार करने में। उसके बाद सुनील ने उसके कंधों को जोर से पकड़ा और उसे उसकी कमर के बल लिटा दिया। मनीषा के हाथ ने उसके लण्ड को अपने हाथ में लिया और उसका मोटा सुपाड़ा अपनी सुलगती हुई चूत के मुहाने पर लगा दिया, और उसने आंख बंद करते हुए कहा- “अब मुझे और इंतज़ार न कराओ…”

“हुर्रर…” सुनील ने एक ही धक्के में अपना पूरा का पूरा लौड़ा मनीषा की चूत में पेल दिया। जिस भीषण गर्मी ने उसके लण्ड का स्वागत किया वह अभूतपूर्व थी। इस जोरदार धक्के से वह खुद भी मनीषा पर जा गिरा और उसका बलिष्ठ सीना मनीषा के विशालकाय स्तनों को दबाने लगा।

लण्ड से भरी हुई मनीषा ने आंखें खोलीं- “मैं जानती थी, मैं जानती थी कि तुम्हारा लण्ड मेरे अंदर तक खलबली मचा देगा… मैं जानती थी…” उसके बाद तो मनीषा को रोकना ही असम्भव हो गया। उसने अपनी गाण्ड उचका-उचका कर जो चुदवाना चालू किया तो सुनील की तो आंखें ही चौंधिया गईं।

उसने भी दनादन अपने लौड़े से पूरे जोर के साथ लम्बे-लम्बे गहरे-गहरे धक्के लगाने शुरू कर दिये। मनीषा भी उसे और जोर और गहराई से चोदने के लिये प्रोत्साहित कर रही थी। सुनील को आश्चर्य था कि इतनी संकरी चूत में यह महाचुदक्कड़ औरत कितना बड़ा लौड़ा खा सकती थी। वो जितना जोर से पेलता, वह उतना ही ज्यादा की माँग करती थी। उसकी प्यासी चूत उसके लण्ड को केले के छिलके की तरह पकड़े हुए थी। जब उसका लण्ड अंदर की तरफ जाता था तो उसे ऐसा लगता था जैसे वह भट्ठी उसके लण्ड को ही छील देगी।

मनीषा ने अपनी जीभ सुनील के मुँह में डाल दी- “मुझे और जोर से चोदो… मेरे मुँह को भी अपनी जीभ से चोदो…”

सुनील ने उसका मुँह और चूत दोनों को तन-मन से चोदना चालू रखा। जब दोनों एक साथ झड़े तो जैसे तूफ़ान आ गया। मनीषा तो जैसे उस भारी लण्ड को छोड़ने को ही राज़ी नहीं थी। न वो रुकी न सुनील और दोनों का ज्वालामुखी फट गया।

“हाय मेरे महबूब, फाड़ दे मेरी चूत को… मैं झड़ रही हूँ मेरे यार… ओ मेरी माँ देख तेरी बेटी का क्या हाल कर दिया इस पड़ोसनचोद ने… हाय रे, मैं मरी रे…” उसके शरीर का कौन सा अंग क्या क्रिया कर रहा था इस बात से वो बिलकुल अनभिज्ञ हो चुकी थी।

जब वह थोड़ी ठंडी हुई तो मनीषा ने सबसे पहले सुनील का लण्ड अपने मुँह से साफ़ किया। फिर उसने मज़ाक किया- “क्या तुम उस दराज को आज ठीक करोगे…”

सुनील उसकी बात समझ न पाया और बोला- “नहीं आज नहीं, मैं कल आकर ठीक कर दूंगा। कल कोमल दिन भर घर में नहीं होगी और इसमें काफी समय लग सकता है…”

“मैं यहीं रहूंगी…” मनीषा मुश्कुराई। उसे पता था कि कल सुनील कौन सी दराज को ठीक करने आएगा।

“सजल यह लो कार की चाभी और जाकर थोड़ी ठंडी बियर ले आओ। प्रमोद को भी अपने साथ ले जाओ…” कोमल ने सजल से कहा। उसने उन दोनों दोस्तों को कार में जाते हुए देखा। उसकी नज़र जब प्रमोद के कसे हुए जिश्म पर पड़ी तो उसकी चूत में एक खुजली सी हुई। वह वापस घर के अंदर जाते हुए यही सोच रही थी कि क्या वो प्रमोद से अपनी प्यास मिटाने में कामयाब हो पायेगी…

Post Reply