जुली को मिल गई मूली compleet

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raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 13 Oct 2014 08:33

मेरी पेशाब करने की इच्छा हुई. मैं उसी पेड़ के नीचे मूट लेती पर मैने सोचा अगर वर्कर्स के घर की तरफ से कोई मुझे ढूढ़ता हुआ आ गया तो मुझे मूत ते हुए देख लेगा. मीं नही चाहती कि कोई मेरी नंगी चूत या मेरी नंगी गंद देख ले. मैं पास की एक चट्टान की तरफ बढ़ी ताकि उसके पीछे मूत सकूँ. उस चट्टान के पीछे पहुँच कर मैने अपनी जीन्स के बटन खोले, उसको नीचे किया, फिर चड्डी को भी नीचे किया और मूतने बैठ गई. अचानक मुझे कोई आवाज़ सुनाई दी जैसे कोई नज़दीक ही बातें कर रहा है. मैने मूत ते हुए इधर उधर देखा पर कोई नही दिखा. मैं मूत कर खड़ी हुई और अपनी चड्डी और जीन्स वापस पहन ली. मैं अभी भी सोच रही थी कि आवाज़ कहाँ से आई थी. थोड़ा आगे एक और बड़ी चट्टान थी और मुझे लगा की आवाज़ वहाँ से आई है. तब तक एक बार फिर से आवाज़ आई, और कुछ समय तक आती रही. मुझे लगा की उस चट्टान के पीछे दो आदमी बातें कर रहे थे. मैं जान ना चाहती थी कि आख़िर बात क्या है. मैं सावधानी से, बिना आवाज़ किए उस चट्टान की तरफ बढ़ी. मैं उस चट्टान के उपर पहुँची और जो मैने वहाँ देखा, मेरी आँखों को विस्वास नही हुआ. मेरी आँखें खुली की खुली रह गई.

मैने ऐसा पहले कभी भी नही देखा था. एक दम अधभूत नज़ारा था वो. वहाँ केवल एक आदमी था, शायद 40 बरस के आस पास होगा और वो लोकल गोआ की भासा मे चुदाई के आनंद मे बोल रहा था. वो अपनी कमर के नीचे नंगा था और उपर केवल एक शर्ट पहने हुए था. उसकी पॅंट और चड्डी पास ही ज़मीन पर पड़ी थी. मुझे उसका पीछे का भाग और उसकी नंगी गंद दिख रही थी. और जिसको देख कर मेरी आँखें खुली की खुली रह गयी थी वो यह थी कि ना तो वो मूठ मार रहा था और ना ही किसी औरत को चोद रहा था. वो तो एक बकरी को चोद रहा था. उसके पैर फैले हुए थे ताकि बकरी की चूत मे उसका लंड आराम से आ जा सके. उसने उस बकरी को पीछे से पकड़ा हुआ था और उस को किसी औरत की तरह चोद रहा था. वो उस बकरी को रानी, डार्लिंग..... ऐसे बुला रहा था अपनी चुदाई की मस्ती मे. उसकी गंद आगे पीछे हो रही थी. और वो बकरी चुप चाप खड़ी हुई उस आदमी से चुद्वा रही थी जैसे उस को भी चुद्वा कर मज़ा आ रहा हो.

मैं समझ गयी कि शायद वो बकरी उस की रेग्युलर चुदाई की पार्ट्नर थी. चुदाई की मस्ती मे वो बहुत कुछ बोल रहा था, कुछ मैं समझी और कुछ नही भी समझी. वो आदमी शायद हमारे फार्म पर काम करता था और उस को इस से अच्छी और सेफ जगह बकरी को चोद्ने के लिए और कहीं नही मिली थी. एक बार फिर मैने एक अलग तरह की चुदाई देखी कि कैसे जानवर को चोदा जाता है. वो मुझे नही देख सका क्यों कि मैं तो उसके पीछे थी, चट्टान के उपर और घने पेड़ होने की वजह से शॅडो भी नही था. वो लापरवाही से, पूरे मज़े से बकरी को चोद रहा था और मज़ा ले रहा था. अब वो और ज़ोर ज़ोर से अपनी गंद हिलाने लगा था और ज़ोर ज़ोर से बोलने लगा था. उस के धक्कों की स्पीड बढ़ती जा रही थी और उसका लंड तेज़ी से बकरी की चूत मे अंदर बाहर हो रहा था. अब शायद वो झरने के नज़दीक था. अचानक उस ने बकरी को ज़ोर से पकड़ लिया और मैं समझ गयी कि उसने अपने लंड का पानी बकरी की चूत मे छ्चोड़ दिया है. और वो बकरी अभी भी चुप चाप खड़ी थी जैसे उस को भी इस चुदाई का पूरा मज़ा आया हो.

थोड़ी देर बाद उस ने अपना लंड बकरी की चूत से बाहर निकाला. मैने देखा कि उसका लंड एक दम काला, लंबा और काफ़ी मोटा था. शायद उस बकरी को उसके लंबे और मोटे लंड से चुद्वाने मे बहुत मज़ा आया होगा. उस ने नीचे पड़ी पेड़ की पत्तियों से अपना लंड सॉफ किया और अब मैने देखा की बकरी भी थोड़ी आगे हो गयी और अपनी चूत चाट कर सॉफ करने लगी.

मैं पीछे मूडी और अपने कॉटेज की तरफ रवाना हो गई. जो मैने देखा था वो मेरी ज़िंदगी मे पहली बार देखा था. इस तरह किसी आदमी को बकरी को चोदते हुए मैने पहले कभी नही देखा था. मैं अपने कॉटेज मे जल्दी से जल्दी पहुँचना चाहती थी क्यों कि वो नज़ारा देखने के बाद मैं गरम होने लगी थी और मेरी चड्डी मेरी चूत से निकलने वाले रस से गीली होने लगी थी.

मैं अपने कॉटेज मे पहुँची और मैं दरवाजा अंदर से बंद किया. आप की सूचना के लिए बता दूं कि किसी का भी कॉटेज के अंदर बिना बुलाए आना मना है. रोज़ सुबह एक सफाई वाली औरत आ कर अंदर से सफाई करती है. वॉचमन बाहर की बाउंड्री के गेट पर रहता है. इस लिए यहाँ मैं आज़ाद थी, कॉटेज के अंदर कुछ भी करने के लिए.

raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 13 Oct 2014 08:33

मैने बेडरूम मे आ कर अपने सभी कपड़े उतार कर नंगी हो कर अटॅच्ड बाथरूम मे आ गई. मैने शवर चालू किया और शवर के ठंडे पानी के नीचे खड़ी हो कर अपने सेक्सी नंगे बदन पर हाथ फिराना चालू किया. मेरा मन हो रहा था कि काश मेरे चाचा या मेरा प्रेमी मेरे साथ इस समय होता तो मैं जम कर चुद्वाती. लेकिन क्या करती, दोनो ही नही थे, दोनो ही गोआ के बाहर थे. मैने अपना एक हाथ अपनी रसीली चूत पर रखा और दूसरे हाथ से अपनी चुचियों को मसल्ने लगी. मेरी सफाचत चूत बाहर और अंदर के पानी से पूरी तरह गीली थी. मेरा बदन ठंडे पानी के नीचे भी गरम हो रहा था और फिर मैं अपने आप को ज़्यादा देर तक रोक नही पाई. मैने अपनी चूत मे अपनी उंगली डाली और जल्दी जल्दी अपनी चूत को अपनी ही उंगली से चोद्ने लगी. मेरी उंगली मेरी चिकनी और रसीली चूत मे अंदर बाहर होने लगी. क्यों कि मैं पहले से ही काफ़ी गरम थी जब से मैने उस आदमी को बकरी की चूत चोद्ते हुए देखा था, मैं जल्दी ही झार गई, पर मुझे ज़्यादा मज़ा नही आया. मेरी उंगली अभी भी मेरी चूत के अंदर ही थी और मैने अपने दोनो पैर भींच रखे थे. थोड़ी देर बाद मैने अपनी चूत से अपनी गीली उंगली निकाली और शवर बंद कर दिया.

फिर मैने नल खोला और अपने दोनो पैर चौड़े करके, नल की धार के नीचे अपनी चूत को अड्जस्ट कर के बैठी. अब नल की तेज धार सीधी मेरी चूत पर आ रही थी. चूत पर गिरता नल का पानी मुझे बहुत मज़ा दे रहा था. ये एक अनोखा तरीका है खुद को चोद्ने का. नल की बहती हुई तेज धार जो सीधी मेरी खुली हुई चूत के बीच मे गिर रही थी और जल्दी ही मेरा बदन अकड़ने लगा और मैं एक झटका खा कर बहुत ज़ोर से झर गई. मैं तो जैसे स्वर्ग की सैर कर रही थी इतनी ज़ोर से झार के.

अपने जलते हुए बदन की गर्मी मिटा कर मैं बाथरूम से बाहर आई तो करीब 5.30 हो चुके थे.

मुझे रात की ड्यूटी करने वाले वॉचमन को कुछ ज़रूरी इन्स्ट्रक्षन देने थे इस लिए मैं कपड़े पहन कर बाहर आई. दिन की ड्यूटी करने वाला वॉचमन गेट पर अपने कॅबिन मे था. मैने उस से रात के वॉचमन ( मदन ) के बारे मे पूछा तो उसने बताया कि वो अपने रूम मे है जो कि हमारे कॉटेज के पीछे बना हुआ था. दोनो वॉचमन के रहने के लिए रूम कॉटेज के पीछे बने थे. मैने उसको बुलाने के बजाय खुद ही उस के रूम की तरफ जाने की सोची.

मैं जब उसके रूम के पास पहुँची तो पाया कि उसका रूम अंदर से बंद है. अचानक मैने कुछ आवाज़ें सुनी ऊ..... .आ ..... ऊऊओह .......... आआहह.

मैं जानती थी कि मदन अकेला रहता था. फिर ये आवाज़ें कैसी? ज़रूर वो किसी औरत को अपने रूम मे बुला कर चोद रहा था, पर मैने कोई जानना आवाज़ नही सुनी. मैं उसके रूम की खुली खिड़की की तरफ बढ़ी. उस दिन का दूसरा अनोखा ड्रामा देख कर मैं दंग रह गई.

मदन पूरी तरह नंगा था और उस के साथ एक 16 / 17 बरस का लड़का था, वो भी पूरा नंगा था. मदन उस लड़के की गंद मार रहा था. लड़का घोड़ी बना हुआ था और उस लड़के को पीछे से कुत्ते की तरह चोद रहा था. मदन का लंड पूरा उस भोले भाले दिखने वाले लड़के की गंद मे था और वो लड़का दर्द के मारे ऊऊहह.....आआहह आआहह कर रहा था. जब भी मदन अपने लॅंड का धक्का उसकी गंद मे लगता, लड़का दर्द के मारे धीरे धीरे चिल्लाता था. वो बहुत ही प्यारा सा और सुंदर लड़का था. उसकी गंद छ्होटी सी थी पर बहुत ही प्यारी लग रही थी गोल गोल. उस लड़के का लंड गुलाबी रंग का था. लड़के का लंड मोटा नही था पर लंबा था. मैने देखा की मदन का लंड भी कोई मोटा नही था पर फिर भी उस लड़के को गंद मरवाने मे दर्द हो रहा था. उस लड़के का लंड मुझे पूरा दिख रहा था क्यों कि वो घोड़ी बना हुआ था और मदन पीछे से उसकी गंद मार रहा था. मिने गंद मारने और मरवाने की कई मूवी देखी थी पर पहली बार अपनी आँखों के सामने किसी को गंद मारते और मरवाते हुए देख रही थी. उस लड़के की गंद मारते हुए मदन ने अपना हाथ नीचे करके उस लड़के के पतले, गुलाबी लंड को पकड़ा और उस को हिलाने लगा. वो उस लड़के की गंद मार रहा था और उसके लंड को पकड़ कर मूठ मार रहा था. थोड़ी देर बाद उस ने उस लड़के की गंद से अपना लंड निकाल कर सॉफ किया तो मैने देखा की मदन का लंड साधारण लंबाई का था और मोटा भी नही था लेकिन मज़बूत लग रहा था उस का काला लंड. अब वो दोनो नंगे एक दूसरे के आमने सामने बैठे थे. मदन ने उस लड़के के हाथ मे अपना लंड दिया और उस को मूठ मारने को कहा. लड़के ने वो ही किया जो मदन ने कहा था. उसने मदन का लंड अपनी हथेली मे पकड़ा और उपर नीचे.... उपर नीचे करते हुए मूठ मारने लगा. मदन पहले ही उस की गंद मार कर गरम हो चुका था इस लिए जल्दी ही उस के लंड ने पानी निकाल दिया. फिर मदन ने उस लड़के के प्यारे से, गुलाबी लंड को पकड़ा और ज़ोर ज़ोर से हिलाते हुए मूठ मारने लगा. अब लगता था की लड़के को भी मूठ मरवाने मे मज़ा आने लगा था और उसकी आँखें बंद होने लगी थी. जिस तरह उसने मदन के लंड पर मूठ मारी थी, उस से लगता था की उस लड़के को चुदाई के बारे मे ज़्यादा मालूम नही था. मदन ज़ोर ज़ोर से, जल्दी जल्दी मूठ मार रहा था लेकिन काफ़ी समय तक लड़के का पानी नही निकला था. लगता था बड़ा हो कर वो चुदाई का उस्ताद बनेगा और किसी भी औरत या लड़की को बहुत देर तक चोदेगा. मदन ने तक कर अपना हाथ बदली किया और अपने दूसरे हाथ से फिर से ज़ोर ज़ोर से उस लड़के के लंड को हिलाते हुए आगे पीछे...... उपर नीचे करने लगा. थोड़ी देर बाद लड़के की गंद उपर होने लगी और उसके लंड ने ज़ोर से हवा मे पानी छ्चोड़ा.

मैं वहाँ से हट गई और वापस मैन गेट पर आ कर दिन के वॉचमन को मदन को मेरे पास कॉटेज के ऑफीस मे भेजने को कहा.

raj..
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Re: जुली को मिल गई मूली

Unread post by raj.. » 13 Oct 2014 08:34

मैं वापस कॉटेज मे आ गई और सोच रही थी उस के बारे मे, जो दो अनोखी चुदाई मैने पिछले दो घंटों मे देखी थी. बहुत ही अलग किस्म की दो चुदाई. आदमी बकरी को चोद रहा था और आदमी लड़के को चोद रहा था.

मैं उस प्यारे से लड़के के बारे मे सोच रही थी. खास करके उसके गुलाबी लंड के बारे मे जो बहुत ही प्यारा लगता था. मैने कभी किसी लड़के का गुलाबी लंड नही देखा था., देखा था तो डार्क कलर का मेरे पापा का लंड, मेरे चाचा का लंड और मेरे प्रेमी का लंड. हां, और उस दिन बकरी चोद्ते आदमी का और लड़के को चोद्ते मदन का लंड. तो ये थी लंड की लिस्ट जो अब तक मैने देखे थे.

हां, तो बात उस लड़के के पतले, लंबे और गुलाबी लंड की हो रही थी. सब से खास बात मैने नोट की वो ये कि उस लड़के का पानी निकलने मे काफ़ी वक़्त लगा था. किसी भी औरत को सॅटिस्फाइ करने के लिए ये बहुत ज़रूरी है कि मर्द का पानी निकलने मे बहुत टाइम लगे. मैने मन ही मन उस लड़के का गुलाबी लंड अपनी चूत मे डलवा कर कम से कम एक बार तो चुद्वाने की ठान ली. मैने चाचा और अपने प्रेमी के बारे मे सोचा, पर ईमानदारी की बात ये है कि उस लड़के के गुलाबी लंड ने मुझे इतना मोहित किया कि मेरे दिमाग़ मे घूम फिर कर वो और उसका प्यारा सा गुलाबी लंड ही आ रहा था.

मदन मेरे सामने खड़ा था और उसके चेहरे से ये बिल्कुल भी नही लग रहा था कि अभी अभी वो एक छ्होटे लड़के की गंद मार कर आया है. वो एकदम नॉर्मल लग रहा था. मुझे जो इन्स्ट्रक्षन उस को देने थे वो मैने दिए. मैने उसको उस लड़के की गंद मारने के बारे मे कोई बात नही की. जब मैने उसको जाने को कहा तो उसने मुझसे अपने एक रिश्तेदार की नौकरी की रिक्वेस्ट की. मैं समझ गई कि वो उस लड़के की बात कर रहा था.

मैने पूछा - कौन है वो?

मदन - मेमसाब, वो मेरा एक रिश्तेदार है, मेरे ही गाँव का है, उस का नाम रतन है और वो 17 साल का है. वो पढ़ा लिखा नही है और बहुत ही ग़रीब है. लेकिन बहुत समझदार, मेहनती और ईमानदार है. वो अपनी मा का एक ही लड़का है और उस का बाप नही है. उसको मैने ये सोच कर यहाँ बुला लिया की उसको कुछ ना कुछ तो काम यहाँ मिल जाएगा. उस को खेती के बारे मे भी पता है.

मैं उस को पूछना चाहती थी कि उस के साथ वो अपने रूम मे क्या कर रहा था, पर मैने इस के बारे मे चुप रहना ही ठीक समझा. मैने ये भी सोचा कि अगर मैने अभी उस लड़के को बुलाया तो में अपने आपे मे नही रहूंगी क्यों कि उसका प्यारा सा गुलाबी लंड मेरे दिमाग़ मे घर कर चुका था. मैने सोच समझ कर उस से चुद्वाने का सोचा.

मैने मदन से कहा कि मैं कल फिर आने वाली हूँ, तब वो उस लड़के को मेरे पास ले आए.

और मैं घर के लिया रवाना हो गई. रास्ते मे ही, कार चलते चलते मैने उस लड़के को नौकरी देने की सोच ली.

घर पहुँचने के बाद मैने अपने पापा से बात की और हम ने उस को अपने कॉटेज की देख भाल करने के काम के लिए रखने का डिसाइड किया.

अगले दिन, मैं फिर फार्म हाउस गई और वहाँ ग्राउंड फ्लोर पर अपने ऑफीस मे बैठी काम कर रही थी की मदन और वो लड़का (रतन) ऑफीस मे आए.

मदन ने लड़के से कहा " ये हमारी मेम्साब है."

रतन ने आगे आ कर मेरे पैरों को हाथ लगाया और बोला

" मेमसाब! मेरा नाम रतन है. मैं बहुत ईमानदारी और बहुत मेहनत से काम करूँगा. आप जो भी काम बताएँगी, वो करूँगा, जो भी सॅलरी देंगी, ले लूँगा, मुझे नौकरी की बहुत ज़रूरत है क्यों कि मेरी एक बुद्धि और बीमार मा है गाँव मे. हम बहुत ग़रीब है."

मैं - मदन, तुम जाओ. मैं इस लड़के से बात करना चाहूँगी.

मदन चला गया और मैने रतन से बैठने को कहा.

रतन - मेमसाब! आप के सामने मैं कैसे बैठ सकता हूँ.

मैं - तुम बैठ सकते हो, क्यों कि अभी तक तुम मेरे नौकर नही हो, मैने अभी तक तुम को नौकरी पर नही रखा है.

और वो डरता हुआ धीरे से एक कुर्सी के कोने पर बैठ गया.

मैं - मदन से तुम्हारा क्या रिश्ता है?

रतन - कोई नज़दीक का रिश्ता नही है मेम्साब! दूर के रिश्ते मे मेरा भाई लगता है.

मैं - तुम क्या काम कर सकते हो?

रतन - जो आप कहेंगी मेम्साब. मैं खेती का काम कर सकता हूँ, आप के लिए खाना बना सकता हूँ, जो आप बोलेंगी वो काम करूँगा.

मैं - यहाँ मदन के साथ कितने दिनो से रह रहे हो?

रतन - आज चौथ दिन है मेम्साब. मदन ने कहा था कि जब भी साहेब या मेम्साब आएँगे, वो मेरी नौकरी के लिए बात करेगा.

मैं - ठीक है. तुम को नौकरी मिल जाएगी, पर मुझे झूट बोलने वाले पसंद नही है.

रतन - मैं झूट नही बोलूँगा मेम्साब. हमेशा सच बोलूँगा.

मैं - तुम मदन के साथ रहना चाहते हो या अलग रूम मे रहना चाहते हो?

रतन - जैसा आप चाहें मेम्साब.

मैं - तुम क्या चाहते हो?

रतन - मुझे सब मंजूर है मेम्साब. अगर आप मुझे अलग रूम देती है तो मैं अपनी मा को यहाँ बुला लूँगा या किसी के साथ अड्जस्ट करलूंगा. जैसा आप चाहें.

मैं - क्या तुम मदन को पसंद करते हो?

रतन - बहुत पसंद करता हूँ मेम्साब. उसी के कारण तो मुझे नौकरी मिली है.

मैं - वो उस का एहसान है तुम पर. मैने पूछा है क्या तुम मदन को सही मे पसंद करते हो?

वो कुछ जवाब नही दे सका और मैं इस का कारण समझती थी. उसको मदन से अपनी गंद मरवाना पसंद नही था. शायद वो अपनी ख़ुसी से अपनी गंद नही मरवाता था.

मैं - मैने तुम से कहा था, मुझे झूठ बोलने वाले पसंद नही है. तुम्हारा मदन से सही मे क्या रिश्ता है? मेरा मतलब कल शाम को 5.30 / 6.00 बजे से है.

उस की आँखें चौड़ी हो गई और मूह खुला का खुला रह गया. वो समझ गया कि मुझे सब पता चल गया है. उसने मेरे पैर पकड़ लिए और बोला " मुझे माफ़ कार्दिजिए मेम्साब. मैं वो सब करने को मजबूर था. मुझे शरम आती है पर मुझसे ज़बरदस्ती की गयी थी. मैं अब वैसा कभी नही करूँगा."

और वो एक बच्चे की तरह रोने लगा.

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