सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ

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The Romantic
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Re: सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ

Unread post by The Romantic » 06 Nov 2014 21:36



अशोक की मुश्किल
भाग 6
चन्दू वैद्य का इलाज…


गतांक से आगे…
उधर अगले दिन शाम को चन्दू चाचा अशोक के घर पहुँचे, महुआ ने चन्दू चाचा की तरफ़ देखा चन्दू मजबूत कद काठी का इस उमर में भी तगड़ा मर्द लगता था। इलाज के तरीके की जानकारी होने के कारण उनका मर्दाना जिस्म देख महुआ को झुरझुरी के साथ गुदगुदी सी हुई। महुआ ने उनका स्वागत किया।
महुआ –“आइये चाचाजी, चम्पा चाची ने फ़ोन करके बताया था कि आप आने वाले हैं।”
चन्दू चाचा ने महुआ को ध्यान से देखा। महुआ थोड़ी ठिगनी भरे बदन की गोरी चिट्टी कुछ कुछ गोलमटोल सी लड़की जैसी लगती थी। उसके चूतड़ काफ़ी बड़े बड़े और भारी थिरकते हुए से थे और उसका एक एक स्तन एक एक खरबूजे के बराबर लग रहा था। चन्दू चाचा महुआ को देख ठगे से रह गये। उन्हें ऐसे घूरते देख महुआ शरमा के बोली- बैठिये चाचा मैं चाय लाती हूँ।”
चन्दू चाचा –“नहीं नहीं चाय वाय रहने दे बेटा, हम पहले नहायेंगे फ़िर सीधे रात्रि का भोजन करेंगे क्योंकि शाम ढ़लते ही भोजन करने की हमारी आदत है। और हाँ, वैसे तो चम्पा ने बताया ही होगा कि हम वैद्य हैं और उसने मुझे तुम्हारे इलाज के लिए भेजा है सो समय बर्बाद न करते हुए, तेरा इलाज भी हम आज ही शुरू कर देंगे क्योंकि इस इलाज में हफ़्ते से दो हफ़्ते के बीच का समय लगता है।”
चन्दू चाचा नहा धो के आये और महुआ के साथ रात का खाना खाकर वहीं किचन के बाहर बरामदे मे टहलते हुए अनुभवी चन्दू ने महुआ से उसकी जिस्मानी समस्या के बारे में विस्तार से बात चीत की जिससे महुआ की झिझक कम हो गई और वो चन्दू चाचा से अपनेपन के साथ सहज हो बातचीत करने लगी। ये देख चन्दू चाचा ने अपना कहा- “महुआ बेटी एक लोटे मे गुनगुना पानी ले खाने की मेज के पास चल, इतनी देर में अपना दवाओं वाला बैग लेकर तेरा चेकअप करने वहीं आता हूँ।”
जब गुनगुना पानी ले महुआ खाने की मेज के पास पहुंची तो चाचा वहाँ अपने दवाओं वाले बैग के साथ पहले से ही मौजूद थे। वो अपने साथ महुआ के कमरे से एक तकिया भी उठा लाये थे।
चन्दू चाचा टेबिल के एकतरफ़ तकिया लगाते हुए बोले –“ये पानी तू वो पास वाली छोटी मेज पे रख दे और साड़ी उतार के तू इस मेज पर पेट के बल लेट जा, तो मैं तेरा चेकअप कर लूँ।”
महुआ साड़ी उतारने में झिझकी तो चाचा बोले –“बेटी डाक्टर वैद्य के आगे झिझकने से क्या फ़ायदा।”
महुआ शर्माते झिझकते साड़ी उतार मेज पर पेट के बल(पट होकर) लेट गई।
चन्दू चाचा ने पहले उसके कमर कूल्हों के आस पास दबाया टटोला पूछा कि दर्द तो नहीं होता। महुआ ने इन्कार में सिर हिलाया तो चन्दू चाचा ने उसका पेटीकोट ऊपर की तरफ़ उलट दिया और उसके शानदार गोरे सुडोल संगमरमरी गुदाज भारी भारी चूतड़ों पर दबाया, टटोला और वही सवाल किया कि दर्द तो नहीं होता। महुआ ने फ़िर इन्कार में सिर हिलाया तो उसे पलट जाने को बोला अब महुआ के निचले धड़ की खूबसूरती उनके सामने थी। संगमरमरी गुदाज गोरी मांसल सुडौल पिन्डलियाँ, शानदार सुडोल संगमरमरी गुदाज भारी भारी चूतड़ों और केले के तने जैसी रेश्मी चिकनी मोटी मोटी जांघों के बीच दूध सी सफ़ेद पावरोटी सी फ़ूली हुई चूत, जिसपे थोड़ी सी रेश्मी काली झाँटें। चन्दू चाचा ने पहले उसके पेट कमर नाभी के आसपास दबाया टटोला फ़िर उसकी नाभी में उंगली डाल के घुमाया तो महुआ की सिसकी निकल गई। इस छुआ छेड़ी से वैसे भी उसका जिस्म कुछ कुछ उत्तेजित हो रहा था। सिसकी सुन चन्दू चाचा ने ऐसे सिर हिलाया जैसे समस्या उनकी समझ में आ रही है। वो तेजी से उसके पैरों की तरफ़ आये और बोले –“ अब समझा, महुआ बेटी! जरा पैरों को मोड़ नीचे की तरफ़ इतना खिसक आ कि तेरा धड़ तो मेज पे रहे पर पैर मेज पर सिर्फ़ टिके हों और जरूरत पड़ने पर उन्हें नीचे लटका के जमीन पर टेक सके।
महुआ ने वैसा ही किया चन्दू चाचा ने दोनों हाथों की उंगलियों से पहले उसकी रेश्मी झांटे हटाईं और फ़िर चूत की फ़ाँके खोल उसमें उंगली डाल कर बोले जब दर्द हो बताना, जैसे ही महुआ ने सिसकी ली चाचा ने अपनी उंगली बाहर खींच ली और बोले –“चिन्ता की कोई बात नहीं तू बिलकुल ठीक हो जायेगी, पर पूरा एक हफ़्ता लगेगा इसलिए इलाज अभी तुरन्त शुरू करना ठीक होगा।” इतनी देर तक एकान्त मकान में चंदू चाचा के मर्दाने हाथों की छुआ छेड़ से उत्तेजित महुआ सोचने समझने की स्थिति में नहीं थी, वैसे भी पति की रजामन्दी के बाद सोचने समझने को बचा ही क्या था सो महुआ बोली –“ठीक है चाचा।”
चन्दू चाचा ने एक तौलिया महुआ के चूतड़ों के नीचे लगा कर गुनगुने पानी से उसकी रेशमी झाँटें गीली की फ़िर अपने बैग से दाढ़ी बनाने की क्रीम निकाल उनपर लगाई और उस्तरा निकाल फ़टाफ़ट झाँटें साफ़कर दीं। महुआ के पूछने पर उन्होंने बताया कि झाँटें न होने पर मलहम जल्दी और ज्यादा असर करता है। अब चन्दू चाचा ने चूतड़ों के नीचे से तौलिया बाहर निकाला फ़िर उसी से चूत और उसके आसपास का गीला इलाका पोंछपाछ के सुखा दिया। अब महुआ की बिना झाँटों की चूत सच में दूध सी सफ़ेद और पावरोटी की तरह फ़ूली हुई लग रही थी।
चाचा ने अपना मलहम निकाला और महुआ की चूत की फ़ाँके अपने बायें हाथ के अंगूठे और पहली उंगली से खोल अपने दूसरे हाथ की उंगली अंगूठे से उसमें धीरे धीरे मलहम लगाने लगे।
पहले से ही उत्तेजित महुआ को अपनी चूत में कुछ गरम गरम सा लगा फ़िर धीरे धीरे गर्मी के साथ कुछ गुदगुदाहट भरी खुजली बढ़ने लगी जोकि चुदास में बदल गई। जैसे जैसे चन्दू चाचा चूत में मलहम रगड़ रहे थे वैसे वैसे चूत की गर्मी और चुदास बढ़ती जा रही थी। महुआ के मुँह से सिस्कियाँ फ़ूट रही थी और उसकी दोनों टांगे हवा में उठ फ़ैलती जा रही थी। चाचा के मलहम उंगलियो के कमाल से थोड़ी ही देर में महुआ ने अपनी टांगे हवा मे फैला दी और सिस्कारी ले के तड़पते हुए चिल्लाई-
" इस्स्स्स्स्स्स आहहहहहह चाचा, ये मुझे क्या हो रहा है लग रहा है कि मैं अपने ही जिस्म की गर्मी में जल जाऊँगी, प्लीज़ कुछ कीजिये अब बर्दास्त नही हो रहा।”
चन्दू चाचा –“ अभी इन्तजाम करता हूँ बेटा।”
ये कहते हुए चन्दू चाचा अपनी धोती हटा के अपना फ़ौलादी लण्ड निकाला और उसके सुपाड़े पर अपना ढेर सा जादुई मलहम थोप के चूत के मुहाने पर रखा। फ़िर सुपाड़ा लगाये लगाये ही आगे झुक महुआ का ब्लाउज खोला और दोनो हाथों से दोनो बड़े बड़े बेलों को ज़ोर ज़ोर से दबाते हुए बारी बारी से निपल चूसने लगे। चुदासी चूत की पुत्तियाँ मुँह खोल के लण्ड निगलने लगीं और लण्ड का सुपाड़ा अपने आप चूत में घुसने लगा। मारे मजे के महुआ की आँखें बन्द थी और दोनों टांगे हवा में फ़ैली हुई थीं । जब लण्ड घुसना रुक गया और चाचा ने लण्ड आगे पीछे कर के चुदाई शुरू नहीं की और चूचियाँ दबाते हुए ज़ोर ज़ोर से निपल चूसना जारी रखा तो महुआ ने आँखें खोली हाथ से अपनी चूत मे टटोला और महसूस किया कि सुपाड़े के अलावा करीब आधा इन्च लण्ड और चूत में घुस गया था जब्कि पहले उसकी चूत में अशोक के लण्ड का सुपाड़ा घुसने के बाद आगे बढ़ता ही नहीं था। उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। तभी शायद चाचा को भी महसूस हो गया कि लण्ड चूत में आगे जाना रुक गया सो उन्होंने चूचियों से मुँह उठाया और कहा –“अब आगे का इलाज इस मेज पर नहीं हो सकता सो तू मेरी कमर पर पैर लपेट ले और अपनी बाहें मेरे गले मे डाल ले ताकि मैं तुझे उठा के बिस्तर पर ले चलूँ, आगे की कार्यवाही वहीं होगी।”
महुआने वैसा ही किया सोने के कमरे की तरफ़ जाते हुए लगने वाले हिचकोलों से लण्ड चूत में अन्दर को ठोकर मारता था,उन धक्कों की मार से महुआ के मुँह से तरह तरह की आवाजें आ रहीं थी-
"उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ओउुुुुुुुुुउउ ऊऊऊऊओह इस्स्सआःाहहहहहहहहह ऊहोहोूहोो अहहहहह उूुुउउफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ इस्स्सआःाहहहहहहहहह"
सोने के कमरे में पहुँच चाचा महुआ को लिये लिए ही बिस्तर पर इस प्रकार आहिस्ते से गिरे कि लण्ड बाहर न निकल जाये। चाचा ने महसूस किया कि सुपाड़े के अलावा करीब एक इंच महुआ की चूत के अन्दर चला गया है, पहले दिन को देखते हुए ये बहुत बड़ी कामयाबी है, ये सोच, महुआ के गदराये गोरे गुलाबी नंगे जिस्म के ऊपर झुककर उसकी बड़ी बड़ी चूचियों दबोच उसके गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख चूसते हुए उतने ही लण्ड से चोदने लगे। उन्के मुँह से आवाजें आ रही थीं –
“उम्मह हम्मह उह्ह्ह्ह्ह उम्मह हम्मह उह्ह्ह्ह्ह उम्मह हम्मह उह्ह्ह्ह्ह उम्मह हम्मह उह्ह्ह्ह्ह उम्मह हम्मह उह्ह्ह्ह्ह उम्मह हम्मह उह्ह्ह्ह्ह”
उधर महुआ भी चुदाते हुए तरह तरह की आवाजें कर रहीं थी –
"उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ओउुुुुुुुुुउउ ऊऊऊऊओह इस्स्सआःाहहहहहहहहह ऊहोहोूहोो अहहहहह उूुुउउफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ इस्स्सआःाहहहहहहहहह"
एक जमाने से अशोक के हलव्वी लण्ड से होने वाले दर्द के डर से महुआ टालमटोल कर करके, चुदने से बचती चली आई थी सो जब आज इतने अरसे से उसकी बिन चुदी चूत चन्दू चाचा के कमाल से चुदासी हो इस तरह चुदने पर ज्यादा देर ठहर नहीं पाई और जल्दी ही झड़ने के करीब पहुँच गई और उसके मुँह से निकला –
"अहह चाचा लगता है मेरी झड़ जायेगी यहह आज तक इतनी गीली कभी नही हुई चाचा उफफफफफफफइस्स्सआःाहहहउम्म्महह"
ये देख अनुभवी चोदू चन्दू चाचा अपनी स्पीड बढ़ा के बोला-
“शाबाश बेटी झड़ खूब जम के झड़ मैं भी अब अपना झाड़ता हुँ ले शाबाश ले अंदरअहहहहहहहहहहहहहहहहाहोह "
और दोनों झड़ गये । महुआ की चूत में उसे ऐसा लगा जैसे काफ़ी वक्त के प्यासे को पानी मिल गया और माल चूत के अंदर जाते ही उसके मुँह से निकला-
"उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ओउुुुुुुुुुउउ ऊऊऊऊओह"
और इस तरह चन्दू चाचा ने पहले राउण्ड का इलाज खत्म किया। वो महुआ के ऊपर से उतर कर बगल में लेट गये और बोले –“तूने बहुत अच्छी तरह से हर काम मेरे कहे मुताबिक किया। अगर तू ऐसे ही मेरे कहे मुताबिक चलती रही तो मेरे मलहम के कमाल से तू बहुत जल्द अशोक के लायक तैयार हो जायेगी। मेरे मलहम का एक कमाल ये भी है और तेरी चूत कभी ढीली या बुड्ढी नही होगी। तेरी चाची की चूत अभी तक एकदम टाइट और जवान है।”
महुआ ये सोच के मन ही मन मुस्कुराई कि तब तो अशोक को बहुत मजा आ रहा होगा। बिचारे ने जमाने से कोई चूत जम के नही चोदी थी।
ऐसे ही बातें करते दोनों को नींद आ गई।
क्रमश:…………………

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Re: सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ

Unread post by The Romantic » 06 Nov 2014 21:41

अशोक की मुश्किल
भाग 7

महुआ की फ़तह…




गतांक से आगे…
जल्दी सो जाने के कारण दूसरे दिन दोनों की नींद जल्दी खुल गई। रोजमर्रा के कामों से निबट के महुआ ने चाय और नाश्ता बनाया, फ़िर दोनों ने ब्रेड अण्डे के साथ जम के नाश्ता किया।
चाचा बैठक मे आकर बैठ गये और महुआ को बुलाया जब महुआ आई तो चाचा बोले –“महुआ बेटी कल के इलाज से तू सुपाड़े के अलावा एक इन्च और लण्ड अपनी चूत में लेने में कामयाब रही इसका मतलब अगर हम दोनों मेहनत करें तो शायद एक हफ़्ते से भी कम में तू अशोक से पूरा लण्ड डलवा के चुदवाने लायक बन सकती है मेरे कहे मुताबिक लगातार इलाज करवाती रहे। यहाँ इस अकेले घर में हम दोनों को और कोई काम तो है नहीं सो क्यों न हमलोग लगातार इलाज मन लगाकर इस काम को जल्द से जल्द खत्म करने की कोशिश करें?”
महुआ –“ठीक कहा चाचाजी। मैं भी जल्द से जल्द अशोक के लायक बन के उसे दिखाना चाहती हूँ।
चन्दू चाचा –“तो ऐसा कर ये साड़ी खराब करने के बजाय अगर स्कर्ट ब्लाउज हो तो साड़ी उतार के स्कर्ट ब्लाउज पहन ले।
उधर महुआ स्कर्ट ब्लाउज पहनने गई इधर चन्दू चाचा ने अपना मलहम का डिब्बा बैग से निकाल के महुआ की चूत के इलाज की पूरी तैयारी कर ली। चन्दू चाचा ने स्कर्ट ब्लाउज पहने महुआ को आते देखा। स्कर्ट ब्लाउज में उसके बड़े बड़े खरबूजे जैसे स्तन और भारी चूतड़ थिरक रहे थे ।
चन्दू चाचा ने हाथ पकड़कर उसे अपनी गोद में खींच लिया। उनकी गोद में बैठते ही महुआ ने चन्दू चाचा का लण्ड अपनी स्कर्ट में गड़ता महसूस किया। उसने अपने चूतड़ थोड़े से उठाये और चन्दू चाचा की धोती हटा के उनका लण्ड नंगा किया और अपनी स्कर्ट ऊपर कर चन्दू चाचा का लण्ड अपने गुदाज चूतड़ों मे दबा कर बैठ गई
चन्दू चाचा ने उसका ब्लाउज खोलते हुए कहा- वाह बेटी ऐसे ही हिम्मत किये जा।
बटन खुलते ही महुआ ने ब्लाउज उतार दिया । चन्दू चाचा उसके खरबूजे सहलाने दबाने और निपल मसलने लगे। कुछ ही देर में महुआ के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। अचानक महुआ ऊठी और चन्दूचाचा की तरफ़ मुँह घुमाकर उनकी गोद में दोनों तरफ़ पैर कर बैठ गई । चन्दू चाचा ने देखा महुआ की चूचियाँ उनके मसलने दबाने से लाल पड़ गई हैं। अब महुआ की चूत चन्दूचाचा के लण्ड पर लम्बाई मे लेट सी गई। महुआ ने अपने एक स्तन का निपल चन्दूचाचा के मुँह में ठूँसते हुए सिसकारी भरते हुए कहा कहा –“ स्स्स्स्ससी इलाज शुरू करो न चाचा।”
चन्दू चाचा –“अभी लो बेटा।”
कहकर चन्दू चाचा ने अपना मलहम निकाला और महुआ की चूत की फ़ाँके खोल फ़ाँकों के बीच थोप दिया फ़िर अपने लण्ड के सुपाड़े पर भी मलहम थोपा और उसे महुआ के हाथ में पकड़ा दिया और अपने दोनों हाथों से उसकी बड़ी बड़ी खरबूजे जैसी चूचियाँ थाम सहलाने, दबाने, उनपर मुँह मारने निपल चूसने चुभलाने में मस्त हो गये। उनकी हरकतों से उत्तेजित महुआ ने उनका लण्ड अपने हाथ में ले अपनी चूत के मुहाने पर रखा और सिसकारियाँ भरते हुए अपनी चूत का दबाव लण्ड पर डाला। पक से सुपाड़ा चूत में घुस गया । मारे मजे के महुआ और चन्दू चाचा दोनों के मुँह से एक साथ निकला –
“उम्म्म्म्म्म्म्म्ह”
उसी समय चाचा चन्दू चाचा ने हपक के उसकी बड़ी बड़ी चूचियों पर मुँह मारा । दरअसल चाचा को महुआ की बड़ी बड़ी खरबूजे जैसी चूचियों में ज्यादा ही मजा आ रहा था इसीलिए उनकी सहलाने, दबाने, उनपर मुँह मारने निपल चूसने चुभलाने की रफ़्तार में तेजी आती जा रही थी। जैसे जैसे उनकी रफ़्तार बढ़ रही थी वैसे वैसे महुआ भी अपनी चूत का दबाव लण्ड पर बढ़ा रही थी और उसकी चूत मलहम के कमाल से रबड़ की तरह फ़ैलते हुए चन्दू चाचा का लण्ड अपने अन्दर समा रही थी। जब लण्ड अन्दर घुसना बन्द हो गया तो महुआ ने नीचे झुक कर देखा आज, कल के मुकाबले एक इंच ज्यादा लण्ड चूत में घुसा था इस कामयाबी से खुश हो चुदासी महुआ अपनी कमर चला के चाचा के लण्ड से चुदवाने लगी।
चन्दू चाचा –“शाबाश बेटा इसी तरह मेहनत किये जा, तू जितनी मेहनत करेगी, उतनी ही जल्दी तुझे कामयाबी मिलेगी और अशोक को ताज्जुब से भरी खुशी होगी और वो तेरा दीवाना हो जायेगा।”
अगले पाँच दिन चन्दू चाचा और महुआ ने चुदाई की माँ चोद के रख दी। चाहे बिस्तर में हों, बैठक में, रसोई में या बाथरूम में जरा सी फ़ुरसत होते ही चन्दू चाचा महुआ को इशारा करते और दोनों मलहम लगा के शुरू हो जाते पाँचवें दिन शाम को दोनों इसी तरह कुर्सी पर बैठे चुदाई कर रहे थे और कि अचानक महुआ चन्दू चाचा का पूरा लण्ड लेने में कामयाब हो गई वो खुशी से किलकारी भर उठी बस फ़िर क्या था चन्दू चाचा ने उसे गोद में उठाया और ले जा के बिस्तर पर पटक दिया और बोले –“शाबाश बेटा आज तू पूरी औरत बन गई अब सीख मर्द औरत की असली चुदाई, तेरा आखरी पाठ।”
ये कह चन्दू चाचा ने महुआ की हवा में फ़ैली दोनों टांगे उठाकर अपने कंध़ों पर रख लीं
अपने फ़ौलादी लण्ड का सुपाड़ा उसकी अधचुदी बुरी तरह से भीगी चूत के मुहाने पर रखा और एक ही धक्के में पूरा लण्ड ठाँस दिया और धुँआधार चुदाई करने लगा। महुआ को आज पहली बार पूरे लण्ड से चुदाने का मजा मिल रहा था सो वो अपने मुँह से तरह तरह की आवाजें निकालते हुए चूतड़ उछाल उछाल के चुदा रही थी। जिस तरह महुआ चूतड़ उछाल रही थी उसे देख चन्दू चाचा बोले-
“शाबाश बेटी अब मुझे पूरा भरोसा हो गया कि तू अशोक को खुशकर वैद्यराज चुदाईआचार्य चोदू चन्द चौबे चाचा उर्फ़ चोदू वैद्य का नाम ऊँचा करेगी।”
चन्दू चाचा भी आज पाँच दिनों से मन मार कर आधे अधूरे लण्ड से चुदाई कर कर के बौखलाये थे सो आज पूरी चूत मिलने पर धुँआधार चोद रहे थे। दोनों की ठोकरों की ताकत और जिस्म टकराने की फ़ट फ़ट की आवाज बढ़ती जा रही थी आधे घण्टे की धुँआधार चुदाई के बाद अचानक महुआ के मुँह से निकला –
" अहह और जोर से चोदू चाचा जल्दी जल्दी ठोक मेरी चूत, वरना झड़ने वाली है चाचा उफफफफफफफइस्स्सआःाहहहउम्म्महह"
चन्दू चाचा –“ ले अंदर और ले मैं भी अहहहहहहहहहहहहहहहहाहोह "
और दोनों झड़ गये। साँसों पे काबू पाने के बाद महुआ ने चाची को फ़ोन मिलाया।
जब फ़ोन की घण्टी बजी, उस समय चम्पा चाची पलंग पर लेटी दोनों टाँगे फ़ैलाये अशोक के लण्ड से अपनी चूत कुटवा रही थी उनका गदराया जिस्म अशोक के पहाड़ जैसे बदन के नीचे दबा हुआ था और अशोक उन्हें रौंदे डाल रहा था। चम्पा चाची बड़बड़ा रही थीं –“हाय इस लड़के का तो मन ही नहीं भरता, अरी महुआ! देख तेरा आदमी चाची को पीसे डाल रहा है अहह अहहहहहहहहहहहहहहहहाहोह!”
तभी फ़ोन की घण्टी बजी चाची ने लेटे लेटे चुदते हुए फ़ोन का स्पीकर आन किया और हाँफ़ती सी आवाज में कहा –“हलो!”
महुआ –“हलो चाची! हाँफ़ रही हो क्या अशोक ज्यादा ही थका रहा है?”
महुआ ने चाची को छेड़ा ।
चम्पा चाची(अशोक की कमर में टाँगे लपेट मुँह पे उंगली रख और आँखें तरेर कर आवाज न करने और चुदाई धीमी करने का इशारा करते हुए)-“अरे नहीं रसोईं की तरफ़ थी सो फ़ोन उठाने के लिए दौड़ के आई इसीलिए साँस उखड़ रही है।” चाची ने झूठ का सहारा लिया।
महुआ –“छोड़ो चाची! अब मैं बच्ची नहीं रही चन्दू चाचा ने मेरा इलाज कर मुझे जवान औरत बना दिया आप की टक्कर की, सो फ़िकर ना करें मैं कल सुबह आ रही हूँ आपको अशोक की तरफ़ से दी जाने वाली इस रोज रोज कि थकान और हाँफ़ी से छुटकारा दिलाने।”
जवाब में अशोक ने चाची की चूत में जोर का धक्का मारते हुए कहा –“शाबाश महुआ! जल्दी से आजा ! मेरा मन तुझसे जल्द जल्द कुश्ती करने को हो रहा है।”
महुआ –“बस आज और सबर करो राजा! कल से तो अपनी कुश्ती रोज ही होगी और सबर भी क्या करना, तुम तो साले वैसे भी मजे कर ही रहे हो, इस खबर की खुशी में और जी भर के चाची को खुश करो और उनका आशीर्वाद लो।”
चम्पा चाची(पलट कर अशोक को नीचे कर ऊपर से उछल उछल के उसके लण्ड पर चूत ठोकते हुए)-“अरे! मैं बाज आई ऐसे बेटी दामाद से, बेटी जल्दी से आजा और ले जा अपने इस पहलवान को, तो मैं कुछ चैन की साँस लूँ। फ़िर चाहे तू कुश्ती लड़ या दंगल। अच्छा अब रात बहुत हो गई है सोजा। कल जब तू आ जायेगी तब बात करेंगे।”
महुआ फ़ोन रखते रखते भी छेड़ने से बाज नहीं आई –“ठीक है मैं फ़ोन रखती हूँ आप अपना कार्यक्रम जारी रखें।”
इतना कहकर महुआ ने फ़ोन काट दिया।
तभी अशोक ने नीचे से कमर उछाल चूत में लण्ड ठाँसते हुए नहले पे दहला मारा –“अरे चाची चैन की साँस लेने की तो भूल जाओ । ये पहलवान वो शेर है जिसके मुँह में खून लग गया है वो भी तुम्हारा, कहने का मतलब जिसके लण्ड को चस्का लग़ गया है वो भी तुम्हारी इस मालपुए सी चूत का अब ये इतनी आसानी से पीछा छोड़ने वाला है नहीं, वैसे भी आपने वादा किया है कि अब जबतक मैं यहाँ हूँ आप रोज मेरे लण्ड से अपनी चूत फ़ड़वायेंगी और जब भी मैं यहाँ आऊँगा आपकी चूत को अपने लण्ड के लिए तैयार पाऊँगा।”
चाची ने मुस्कुरा के आँखें तरेरीं और चूतड़ उछालते हुए बोलीं -“अपने मतलब की ऐसी बातें सब कैसी याद हैं, अभी कोई काम की बात बताऊँ तो दूसरे ही दिन कहेगा कि चाची मैं भूल गया।”
अशोक हँसते हुए उनके उछलते बिखरते उरोजों पर मुँह मारने लगा।…………
क्रमश:………………

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Re: सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ

Unread post by The Romantic » 06 Nov 2014 21:43

अशोक की मुश्किल
भाग 8
कब के बिछड़े…

गतांक से आगे…
अगले दिन चन्दू चाचा और महुआ अलसाये से उठे फ़िर धीरे धीरे जाने की तैयारी की। धीरे धीरे इसलिए क्योंकि बीच बीच में चन्दू चाचा महुआ को चुदाई की ट्रिक्स सिखाने लगते वो भी महुआ के बदन पर प्रेक्टिकल कर के । सो करीब शाम 5 बजे चन्दू चाचा, महुआ को ले चाची के घर पहुंचे। खाना पीना होते होते 7 बज गये अंधेरा हो गया तो चाची ने चन्दू चाचा –“अब इतनी रात में कहाँ जाओगे चन्दू यहीं रुक जाओ। ”
फ़िर चाची ने धीरे से जोड़ा ताकि कोई और न सुन ले –“दो घड़ी इस पुरानी दोस्त के पास भी बैठ लो।”
चन्दू चाचा(मुस्कुराकर) –“ठीक है चम्पा।”
जल्द ही महुआ और अशोक मेहमानों वाले कमरे में अपनी अपनी मुद्दतों की अधूरी सुहागरात पूरी करने के लिए पहुँचे।
उनके जाते ही चम्पा चाची चन्दू चाचा को लगभग घसीटते हुए अपने कमरे में ले गई। कमरे मे पलंग के अलावा उस खेली खायी एक्सपर्ट चुदक्कड़ चम्पा चाची ने ज़मीन पर भी एक बहुत साफ सुथरा बिस्तर लगा हुआ था और उसपर दो तकिये भी लगे थे, जिसे देख चन्दूचाचा, चम्पा की तरफ़ अर्थ पूर्ण ढ़ंग से देख के मुस्कुराये –“वाह! चम्पारानी तेरे इरादे तो काफ़ी खतरनाक लगते हैं।”
जवाब में चम्पा चाची ने चन्दू चाचा को पलंग पर धक्का दे बैठा दिया फ़िर उनकी धोती हटा कर उनका हलब्बी लण्ड निकाल हाथ से सहला के बोली –“जमाना हो गया चन्दू तेरा ये मूसल देखे हुए।”
फ़िर चम्पा अपना पेटीकोट उठा चन्दू चाचा की गोद में अपने शानदार बड़े बड़े गोल भारी गुदाज चूतड़ रखकर बैठ गयी । चन्दू चाचा के सीने से चम्पा चाची की गुदाज पीठ सटी थी। चन्दू चाचा के हलब्बी गरम लण्ड पर चम्पा चाची की फ़ूली पावरोटी सी चूत धरी थी और वो चन्दू चाचा के लण्ड की गरमी से अपनी चूत सेंक कर गरम कर रही थीं। चन्दूचाचा ने अपनी गोद में चाची के शानदार बड़े बड़े गोल भारी गुदाज चूतड़ों का मजा लेते हुए अपने दोनो हाथ उनके ब्लाउज में घुसेड़ दिये और उनकी बड़ी बड़ी चुचियों को टटोलने लगे। चम्पा चाची सिस्कारियाँ भरने लगीं, उनकी पहले से गरम चुदक्कड़ चूत बहुत जल्द पानी छोड़ चन्दू चाचा के लण्ड को तर करने लगी।
अचानक चम्पा चाची उठी और उन्होंने चन्दू चाचा की तरफ़ घूमकर उनकी तरफ़ मुँह करके फ़िर से गोद में सवारी गाँठ ली, जैसे घोड़े के दोनों तरफ़ एक एक पैर डालकर बैठते हैं। अब चन्दू चाचा के लण्ड का सुपाड़ा चम्पा चाची की चूत के मुहाने से टकरा रहा था चन्दू चाचा ने देखा चाची की बड़े खरबूजों जैसी चूचियाँ मसलने से लाल हो गईं थी। चन्दू चाचा उन पर मुंह मारने लगे। ये देख चम्पा चाची अपने दोनो हाथों से अपना एक भारी स्तन पकड़ अपना निपल चन्दू के मुँह में दे बोली –
“जोर जोर से चूस चन्दू राजा।”
चन्दू चाचा चूचियों को बारी बारी से अपने मुँह मे ले कर चाटने और चूसने लगे और चम्पा चाची सिस्कारियाँ भरते हुए मस्ती से अपने दोनो हाथों से अपनी चूचियाँ उठा उठा कर चन्दू चाचा से चुसवा रही थी। चम्पा चाची मस्त हो अपनी दोनो जांघों के बीच चन्दू चाचा का हलब्बी लण्ड मसल्ने रगड़ने लगी. यह देख कर चन्दू चाचा अपना हाथ चम्पा चाची की चूत पर ले गये और उसने धीरे से चम्पा चाची की चूत के अंदर एक उंगली डाल दी. फिर चूत के फाकों पर अपनी उंगली फेरने लगे. उनकी चूत बुरी तरह भीगी हुई थी. चन्दू चाचा उनकी चूत की घुंडी को अपनी उँगलिओं से पकड़ने और मसल्ने लगा. चम्पा चाची इससे बहुत उत्तेजित हो सिसकारी भरने लगी –
“इस्स्स्स्स्स्स्स…!
और चन्दू चाचा ने चम्पा चाची के होठों पर अपने होंठ रख दिये और चूसने लगे तभी चाची ने अपनी जीभ उनके मूँह मे डाल दी तो चन्दू चाचा उसे चूसने लगे। चम्पा चाची ने मारे उत्तेजना के चन्दू चाचा का हाथ अपनी जांघों में भींच लिया और उनकी धोती खींच के फ़ेक दी और अपने चूतड़ उछालते हुए बोली,
"हा्य चन्दू राजा, इस्स्स्स्स्स्स्स…! मेरी चुदासी चूत मे आग लगी है,अब जल्दी कर वरना ये बिना चुदे ही झड़ जायेगी।
चन्दू चाचा, चम्पा चाची को गोद में लिए लिए ही खड़े हो गये और जमीन पर बिछे बिस्तर पर लिटा दिया फ़िर एक तकिया उनके भारी चूतड़ों के नीचे लगा दिया जिससे उनकी फ़ूली चूत और भी उभर आई। दोनों पुराने खिलाड़ी थे । चाची ने उनका लण्ड थाम कर उसका सुपाड़ा अपनी भीगी चूत के मुहाने पर धरा और टाँगे उनके कंधों पर रख ली। चन्दू ने धक्का मारा। पक से सुपाड़ा अन्दर।
“इस्स्स्स्स्स्स्स…आह!”
चाची ने सिसकी ली।
चन्दू चाचा –“वाह चम्पा रानी तेरी तो अभी भी वैसी ही टाईट है जैसी पन्द्रह साल की उमर में थी।”
चम्पा चाची –“हाय चन्दूराजा! और ये ऐसी तब है जब्कि मैं पिछले एक हफ़्ते से अपनी भतीजी के पति यानि दामादजी के असाधारण हलव्वी लण्ड से धुँआदार चुद रही हूँ। अशोक न दिन देखता है न रात वख्त-बेवख्त हर वख्त उसे मेरा बदन सेक्सी लगता है और हर जगह चुदाई के लिए रूमानी बाथरूम हो या बेडरूम बैठ्क हो या रसोई, बस लण्ड सटा के लिपटने लगता है। हाय। मुझे तो अब गिनती भी याद नहीं कि उसने कितनी बार चोदा होगा। सब तेरे मलहम का प्रताप है राजा।”
चन्दू चाचा (दूसरा धक्का मारते हुए) –“वाह चम्पा रानी तब तो नवजवान लड़के के नवजवान लण्ड से तुमने खूब खेला होगा, बड़े मजे किये होंगे।”
चम्पा चाची(नीचे से चूतड़ उछाल कर चन्दू का बचा लण्ड भी अपनी चूत में निगलते हुए) –“हाय चन्दू! मजे तो मैं इस समय भी कर रही हूँ राजा।पूरी जवानी चूत का खेत लण्ड के बिना सुखाने के बाद ऊपर वाले को तरस आ ही गया और सींचने को दो दो धाकड़ लण्ड भेज दिये।”
चन्दू चाचा (धक्का लगाते हुए) –“हाय चम्पा रानी ये हरा भरा मांसल बदन ये पावरोटी सी फ़ूली मालपुए सी चूत । ऊपर से मुहल्ले भर की बुज़ुर्ग चाची का ठप्पा चाहे जितना खेलो कोई कभी शक कर ही नहीं सकता। ऐसा बुढ़ापा ऊपरवाला सबको दे।”
चाची हँस पड़ी। दोनों पुराने खिलाड़ियों ने तीसरे ही धक्के में पूरा लण्ड धाँस लिया और उछल उछल के चुदाई का मजा लेने लगे।
अशोक और महुआ का किस्सा इससे कुछ ज्यादा रफ़्तार वाला था। दोनों ने एक दूसरे को हफ़्ते भर से देखा तक नहीं था, वैसे भी दोनों मे जिस्मानी ताल्लुक कभी कभार आधा अधूरा ही होता था सो दोनों को ही चन्दू चाचा के इलाज के असर को आजमाने की जल्दी थी। कमरे में पहुँचते ही अशोक महुआ से लिपट गया और बोला –“महुआ रानी, कितने दिनों बाद तू हाथ आई है अब बोल तू है तैयार! कुश्ती के लिए, आज मैं कोई रियायत करने के मूड में नहीं हूँ।”
महुआ –“घबरा मत राजा आज मैं पीछे हटने वाली नहीं हूँ।”
तभी अशोक ने महुआ के पेटीकोट में हाथ डाल के उसकी चूत दबोच ली, महुआ ने सिसकी की तो अशोक ने उंगली चुभो दी। उसने पाया कि चूत पहले की तरह ही टाइट है वो आश्चर्य से बोला –“तू तो बोली थी कि तेरा इलाज पूरा हो चुका ये तो वैसी ही टाईट है?”
महुआ –“यही तो चाचा के मलहम का कमाल है।”
“देखते हैं”
कहते हुए अशोक ने उसके कपड़े नोच डाले महुआ ने भी तुर्की बतुर्की उसे नंगा कर दिया ये देख अशोक ने नंगधड़ग महुआ को उठाके बिस्तर पर पटक दिया महुआ ने दोनों टाँगे फ़ैला कर उसके लण्ड को चुनौती दी अशोक उसपर टूट पड़ा। दोनों ने उस रात पहले ही राउण्ड में इतनी धुआंदार चुदाई की, कि न चाहते हुए भी उस थकान से उन्हें कैसे नींद आ गई उन्हें पता ही नहीं चला।
क्रमश:………………………

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