Raj Sharma stories--रूम सर्विस compleet

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raj..
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Re: Raj Sharma stories--रूम सर्विस

Unread post by raj.. » 08 Nov 2014 22:36

करण अब बाहर जा चुक्का था. ऋतु उसके पीछे बाहर चली गयी और कहने लगी

“करण रुक जाओ… मेरी बात तो सुनो प्लीज़.”

“अब क्या सुनना बाकी रह गया हैं.”

“नही सुनो मेरी बात… जैसा तुम सोच रहे हो वैसा नही हैं”

करण लिफ्ट तक पहुच के बटन दबा चुका था.

“कैसा हैं और कैसा नही हैं यह मैने अपनी आँखों से देख लिया हैं”

“प्लीज़ करण मुझे एक मौका दो समझने का”

“क्या समझाओगी तुम ऋतु…. क्या सम्झओगि… यह सम्झओगि की वो लड़का क्या कर रहा हैं इस फ्लॅट में… या यह सम्झओगि की तुमने पी रखी हैं या कुछ और और ”

इतने में लिफ्ट आ गयी… करण लिफ्ट में घुस गया… ऋतु भी उसके पीछे पीछे लिफ्ट में घुस गयी और उसकी बाँह पकड़ के उसे वापस चलने के लिए मिन्नते करने लगी. करण ने उसकी एक ना सुनी और उसकी बाँह पकड़ के ज़ोर से धक्का देके लिफ्ट से बाहर निकाल दिया.

“ऋतु … तुम मेरे साथ ऐसा करोगी यह मैने सोचा भी नही था”

और लिफ्ट का दरवाज़ा बंद हो गया.

ऋतु रोती हुई वापस फ्लॅट में दाखिल हुई तो कमल और पायल दोनो कपड़े पहने हुए ड्रॉयिंग रूम में बैठे हुए थे. तीनो के मूह पे तालेपड़े हुए थे.

मंडे को ऋतु जब ऑफीस पहुचि तो उसके मेलबॉक्स में एचआर डिपयर्टमेंट से एक मैल थी. मैल था उसके टर्मिनेशन का. सब्जेक्ट पढ़ते ही ऋतु के होश उड़ गये. उसको नौकरी से निकाला जा रहा था. ऋतु ने काँपते हाथों से माउस चलाया और मैल ओपन किया.

डियर मिस. ऋतु,

दिस ईज़ टू इनफॉर्म यू दट एफेक्टिव फ्रॉम टुडे युवर सर्वीसज़ आर नो लॉंगर रिक्वाइयर्ड बाइ ग्ल्फ बिल्डर्स. युवर एमौल्मेंट्स टुवर्ड्स वन मोन्थ ऑफ नोटीस पीरियड विल बी इंक्लूडेड इन युवर फाइनल सेटल्मेंट. प्लीज़ कॉंटॅक्ट दा एचआर डिपार्टमेंट फॉर युवर एग्ज़िट प्रोसेस.

युवर्ज़ ट्रूली.

एचआर मॅनेजर

ग्ल्फ बिल्डर्स.

ऋतु को यकीन नही हो रहा था की यह उसके साथ हो रहा हैं. उसकी सेल्स बाकी सभी सेल्स ऑफिसर्स से ज़्यादा थी. पिछले कई महीनो से उसने सबसे ज़्यादा इन्सेंटीव्स और बोनसस लिए थे. उसने एचआर से जाके बात की लेकिन उन लोगों से मदद की उमीद करना भी बेकार था. एचआरवाले कभी किसी के सगे हुए हैं क्या!!

ऋतु ने करण को फोन मिलाया. ज़रूर यह सब करण के कहने पे ही हो रहा हैं. उसका फोन अनरिचेबल आ रहा था. ऋतु ने कई दफ़ा ट्राइ किया लेकिन हर बार सेम रेस्पॉन्स. उधर एचआर डिपार्टमेंट ने ऋतु की फाइल रेडी कर दी थी. कुछ ही मिनिट्स में ऋतु ग्ल्फ की एक्स एंप्लायी होने वाली थी.

उसने आख़िरकार जाके रूपक शाह से करण के बारे में पूछना चाचा.

ऋतु “हेलो मिस्टर रूपक. मैं आपसे कुछ बात करना चाहती हूँ.”

“ऋतु जी…. आइए आइए. कहिए क्या सेवा करूँ आपकी” और उसका हाथ अपनी पॅंट में

टाँगो के बीच खुजली करने लगा.

“मैं बहुत समय से मिस्टर करण से बात करने की कोशिश कर रही हूँ लेकिन उनका फोन लग नही रहा. क्या आप प्लीज़ बता सकते हैं की उनसे कैसे कॉंटॅक्ट कर सकती हूँ”

“करण साहब तो फॉरिन चले गये… आज सुबह ही की फ्लाइट से. सिंगपुर गये हैं. हमारा नया प्रॉजेक्ट हैं ना जो सिंगपुर में .. उसी के सिलसिले में गये हैं.”

“ओह.. कब तक आएँगे वापस कुछ आइडिया हैं आपको?”

“अब बड़े लोगों का मैं क्या बताउ… आज आ सकते हैं.. अगले हफ्ते आ सकते हैं.. अगले महीने भी आ सकते हैं. कुछ कह नही सकते. क्यू आपको कोई काम था उनसे.”

“नही .. थॅंक्स”

“अर्रे आप बेहिचक मुझे बताइए… मुझे उनकी जगह समझिए और आपका जोभी काम हो वो मैं कर देता हूँ.”

“बाइ”

ऋतु जब कमरे से बाहर निकली तो उसको रूपक के हस्ने की आवाज़ आई. रूपक उस मजबूर लड़की की बेबसी पे ठहाके लगा रहा था.

उमीद की सभी किर्ने धुन्द्ली होती जा रही थी. ऋतु को समझ नही आ रहा था की क्या करे. जाए तो कहाँ जाए. ऋतु ने शाम को अपने पेपर्स कलेक्ट किए ऑफीस से और घर आ गयी. उसका दिमाग़ जैसे काम करना बंद कर चुक्का था. बिना लाइट्स जलाए बैठी रही घर में. सुबह के करीब उसकी आँख लगी तो सपने में उसे करण दिखा. और करण का टिमटिमाता हुआ चेहरा जैसे उसपर हस रहा था. हस रहा था ऋतु के इस हाल पे और मानो उससे कह रहा हो “तेरी यही सज़ा हैं कमिनि”.

raj..
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Re: Raj Sharma stories--रूम सर्विस

Unread post by raj.. » 08 Nov 2014 22:37

ऋतु की तो दुनिया ही उजड़ गयी थी… एक हफ्ते पहले वो कितनी खुश थी. अच्छी नौकरी, करण का प्यार, रहने के लिए बढ़िया फ्लॅट, गाड़ी, अच्छे कपड़े, ज्यूयलरी.. सब कुछ था उसके पास… और बस एक झटके में करण उससे दूर हो गया, उसकी नौकरी चली गयी और बाकी चीज़ों का मोह ख़तम हो गया. वो एक हफ्ते से अपने कमरे में पड़ी हुई थी. ना कहीं बाहर गयी ना किसी से मिली ना ही फोन उठा रही थी. गम के सागर में उसकी जीवन की नैया डावाँ डोल हो रही थी.

ऋतु की पुरानी सहेली पूजा को कहीं से पता चला की ऋतु की नौकरी छूट गयी हैं और वो बहुत डिप्रेस्ड हैं. वो एक दिन ऋतु को मिलने आई. दरवाज़ा खटखटाया. ऋतु ने जब दरवाज़ा खोला तो पूजा को देखते ही फूट फूट के रोने लगी और उसके गले लग गयी. दोनो अंदर गये और ऋतु ने पूजा के सामने अपना दिल खोल दिया और सब कुछ बता दिया.. पूजा ने ऋतु को होसला दिलाया और उससे समझदारी से काम लेने का मशवरा दिया.

पूजा के जाने के बाद ऋतु ने खूब सोचा और उसे यह एहसास हुआ की वो अपनी ज़िंदगी एक सेट्बॅक की वजह से बर्बाद नही कर सकती. उसने अगले दिन ही पेपर्स में जॉब के लिए खोज चालू कर दी. रिसेशन की वजह से वैसे ही नौकरियाँ कम थी और जो मिल भी रही थी वो सॅलरी बहुत कम दे रही थी. ऋतु को अब इस ऐशो आराम की ज़िंदगी की आदत पड़ गयी थी. उसकी कार का एमी 10000 रुपये था हर महीने. ऋतु को जल्दी ही कोई जॉब लेनी थी. फ्लॅट का किराया कार का एमी और भी कई खर्चे थे जो.

अंत में ऋतु को एक जॉब मिल गयी. प्रेस्टीज होटेल में हाउस्कीपर की. सॅलरी उसकी उमीद से बहुत कम थी लेकिन ऋतु को कुछ ना कुछ तो चाहिए था. उसके पास थोड़ी बहुत सेविंग थी लेकिन वो काफ़ी नही थी. नौकरी होने से उसका मन भी लगा रहता. ऋतु किसी भी काम को छोटा बड़ा नही समझती थी इसलिए हाउस्कीपर की जॉब लेने में उसे कोई झिझक नही थी.

हाउस्कीपर की जॉब बहुत ही डिमॅंडिंग थी. रोज़ करीब 16 रूम्स की देख रेख का ज़िम्मा ऋतु पे थे. ऋतु पूरे मन से अपना काम करती थी. उसकी मेहनत सबकी नज़र में आ रही थी. उसकी सूपरवाइज़र कुमुद नाम की एक 35 साल की औरत थी. डाइवोर्स और कोई बच्चा नही. कुमुद देखने में बहुत ही खूबसूरत थी और 35 साल की होने के बावजूद उसने अपने आप को इस कदर मेनटेन किया था की कोई उसे देख के 30-32 की ही समझता. बोल चाल के लिहाज से भी कुमुद बहुत सोफिस्टीकेटेड औरत थी. ऋतु का काम कुमुद को बहुत पसंद आया.

ऋतु प्रोबेशन पे दो महीने से काम कर रही थी. आज उसकी सूपरवाइज़र कुमुद मेडम ने उसे किसी काम से बुलाया था. ऋतु ने धीरे से कुमुद मेडम के ऑफीस का दरवाज़ा खटखटाया.

कुमुद -“कम इन”.

ऋतु – “गुड मॉर्निंग मेडम. आपने मुझे बुलाया.”

कुमुद -“हेलो ऋतु.. प्लीज़ हॅव ए सीट”.

ऋतु – “थॅंक यू मेडम”

कुमुद -“ऋतु आज तुम्हे इस होटेल में दो महीने हो गये हैं प्रोबेशन पे. तुम्हारे काम से मैं बहुत खुश हूँ. यू आर ए गुड वर्कर, स्मार्ट आंड ब्यूटिफुल. आंड हमारे प्रोफेशन में यह सभी क्वालिटीज बहुत मायने रखती हैं. दिस ईज़ व्हाट दा गेस्ट्स लाइक.”.

ऋतु यह सुनके स्माइल करने लगी.. उसे बहुत खुशी हुई यह जानके की उसकी सूपरवाइज़र कुमुद उसके काम से खुश हैं. यह नौकरी ऋतु के लिए बहुत ज़रूरी थी. रिसेशन की वजह से ऋतु अपनी पिछली जॉब से हाथ धो बैठी थी.

ऋतु – “थॅंक यू मेडम… आइ एंजाय वर्किंग हियर आंड आपसे मुझे बहुत सीखने को मिला हैं इन दो महीनो में.”

कुमुद ने एक पेपर उसकी तरफ सरका दिया.-“ऋतु… यह तुम्हारा नया एंप्लाय्मेंट कांट्रॅक्ट हैं. इसको साइन करके तुम प्रेस्टीज होटेल की एंप्लायी बन जाओगी. ”.

प्रेस्टीज होटेल वाज़ वन ऑफ दा बेस्ट फाइव स्टार होटेल्स इन टाउन. इट वाज़ सिचुयेटेड अट ए प्राइम लोकेशन नियर दा इंटरनॅशनल एरपोर्ट आंड ऐज ए रिज़ल्ट ए लॉट ऑफ डिप्लोमॅट्स, पॉलिटिशियन्स, फॉरिनर्स आंड बिज़्नेस्मेन स्टेड देअर. ए जॉब अट प्रेस्टीज वुड मीन ए स्टेडी सोर्स ऑफ इनकम. ऋतु वाज़ हॅपी. फाइनली शी हॅड बिन एबल टू इंप्रेस हर सूपरवाइज़र आंड वाज़ नाउ बीयिंग अपायंटेड बाइ दा होटेल इन ए पर्मनेंट पोज़िशन.

कुमुद -“ऋतु आइ लाइक यू वेरी मच. यू आर आंबिशियस. आइ सी दा फाइयर इन यू. इन फॅक्ट यू रिमाइंड मी ऑफ युवरसेल्फ. आइ आम स्योर यू हॅव ए ग्रेट फ्यूचर इन अवर लाइन”. शी विंक्ड.

raj..
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Re: Raj Sharma stories--रूम सर्विस

Unread post by raj.. » 08 Nov 2014 22:38

ऋतु थोड़ी हैरान हुई की कुमुद मेडम ने आँख क्यू मारी लेकिन एक नकली सी मुस्कुराहट चेहरे पे खिला के थॅंक यू कहा.

कुमुद -“क्या बात हैं ऋतु तुम खुश नही हो इस नौकरी से. टेल मी”.

ऋतु – “नही मेम ऐसी बात नही हैं… सॅलरी देख के थोड़ा सा मायूस हुई हूँ लेकिन आइ अंडरस्टॅंड की अभी मैं नयी हूँ आंड मुझे इतनी ही सॅलरी मिलनी चाहिए.”

कुमुद -“ऋतु .. प्रेस्टीज होटेल के स्टाफ की पे इस शहर के बाकी होटेल्स के स्टाफ की पे से कम से कम 25% हाइ हैं. आर यू हॅविंग एनी मॉनिटरी प्रॉब्लम्स??? टेल मी ऋतु”.

ऋतु – “मेम … आपसे क्या छुपाना. इसी पहले आइ वाज़ वर्किंग एज ए सेल्स एजेंट फॉर ए रियल एस्टेट कंपनी. और सॅलरी वाज़ बेस्ड ऑन दा अमाउंट ऑफ सेल्स वी डिड. आइ वाज़ वन ऑफ दा बेटर सेल्स पर्सन इन दा टीम आंड माइ टार्गेट्स वर ऑल्वेज़ मेट. हर महीने आराम से चालीस पचास हज़ार इन हॅंड आ जाता था. ई वाज़ ऑल्सो गिवन थे स्तर परफॉर्मर अवॉर्ड आंड मेरे सीनियर्स हमेशा मेरी तारीफ करके पीठ थपथपाते थे. ”

ऋतु जानती थी उसके सीनियर हमेशा उसको चोदने की फिराक मैं रहते थे

“इतनी इनकम थी वहाँ की मैने पीजी छोड़ दिया और एक 2 बेडरूम फ्लॅट ले लिया किराए पे और अकेली रहने लगी वहाँ. मैने टीवी, फ्रिड्ज, माइक्रोवेव, एसी और अपने ऐशो आराम का सब समान ले लिया. कुछ कॅश, कुछ क्रेडिट कार्ड और कुछ इंस्टल्लमेंट पे. एक गाड़ी भी ले ली ईएमआइ पे."

“रिसेशन की मार ऐसी पड़ी की रियल एस्टेट सबसे बुरी तरह से हिट हुआ. आजकल कोई पैसा लगाने को तैयार ही नही हैं. बाइयर्स आर नोट इन दा मार्केट. जहाँ मैं पहले हर हफ्ते 2-3 फ्लॅट्स सेल करती थी और तगड़ी कमिशन कमा लेती थी अब वहीं पुर महीने में 1 सेल भी हो जाए तो गनीमत थी”

ऋतु असली बात छुपा गयी लेकिन कुमुद को इस बात का एहसास हो गया की ऋतु की माली हालत ठीक नही हैं और वो एक फाइनान्षियल क्राइसिस से गुज़र रही हैं. उसको ऋतु में एक महत्वाकांक्षी लड़की की झलक मिली जो यह जानती थी की उसको क्या चाहिए. बस तरीका क्या हैं यह पाने का वो बताने की ज़रूरत थी. कुमुद के दिमाग़ में एक प्लान दौड़ा. और वो मन ही मन मुस्कुराने लगी.

ऋतु जैसे तैसे अपनी सॅलरी में महीने का खर्च चला रही थी… गाड़ी की ईएमआइ फ्लॅट का किराया और उसका रख रखाव सब मिलकर इतना हो जाता था की उसके पास बहुत ही कम पैसे बचते थे. हाथ तंग होने की वजह से अब वो पहले की तरफ शॉपिंग और रेस्टोरेंट्स में खाना नही खा पाती थी. मेकप, ब्यूटीशियन के पास जाना, महनगे कॉफी शॉप्स एट्सेटरा में जाना अब सब बंद हो चुक्का था.

हालात इतने खराब हो गये की वो अपनी गाड़ी की इनस्टालमेंट्स टाइम पे नही दे पाई तो रिकवरी एजेंट्स उसके दरवाज़े पे खड़े हो गये. आख़िरकार उन्होने गाड़ी जब्त कर ली और ऋतु बेबस सी कुछ ना कर सकी. बिना गाड़ी के होटेल पहुचने में उसे देर हो गयी. जब वो होटेल पहुचि तो कुमुद ने उसे आते हुए देखा. उसने आज तक ऋतु को कभी 5 मिनट भी लेट आते हुए नही देखा था. आज ऋतु के 1 घंटा लेट होने पर कुमुद को असचर्या हुआ. उसने ऋतु को रोक के पूछा

“क्या हुआ ऋतु आज तुम लेट कैसे हो गयी.”

“गुड मॉर्निंग मेम. कुछ प्राब्लम हो गयी थी जिसकी वजह से मैं लेट हो गयी”

“क्या हुआ?”

“कुछ नही मेम… अब प्राब्लम नही रही”

“अर्रे बताओ भी क्या हुआ… शायद मैं तुम्हारी मदद कर सकूँ.”

“मेम…मैं वो…आक्च्युयली..” ऋतु नीचे देखते हुए बोली

कुमुद ऋतु के पास आई और उसके कंधे पे हाथ रखा. ऋतु ने कुमुद की और देखा. ऋतु की आँखें बद्दबाई हुई थी. किस तरह वो अपनी सूपरवाइज़र को बताए की उसकी गाड़ी जब्त कर ली थी रिकवरी एजेंट्स ने क्यूकी उसने ईएमआइ नही दी थी.

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