गाँव का राजा

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007
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Re: गाँव का राजा

Unread post by 007 » 08 Nov 2014 12:42



"उफफफफफफ्फ़ मामी बस थोड़ा सा……."

"थोड़ा सा क्या……मुझे बहुत ज़ोर पेशाब लगी है……"

"वो नही मामी मैं तो बस थोड़ा छु कर……."

"ठीक है चल छु ले….पर एक बात बता चूत देख कर तेरा मन चाटने का नही करता…….."

"चाटने का…….."

"हा चूत चाटने का………देख कैसी पनिया गई है…..देख गुलाबी वाले छेद को…..ठहर जा पूरा फैला कर दिखाती हू…….देख अंदर कैसा पानी लगा है…इसको चाटने में बहुत मज़ा आता है……….चाटेगा…..चल आ जा.." और बिना कुच्छ पुच्छे उर्मिला देवी ने राजू के सिर को बालो से पकड़ कर अपनी चूत पर झुका दिया. राजू भी राज शर्मा की सेक्सी कहानियों को पढ़ कर जानता तो था ही कि चूत छाती और चूसी जाती है और इनकार करने का मतलब नही था क्या पता मामी फिर इरादा बदल दे इसलिए चुपचाप मामी के दोनो रानो पर अपने हाथो को जमा कर अपना जीभ निकाल कर चूत के गुलाबी होंठो को चाटने लगा. उर्मिला देवी उसको बता रही थी की कैसे चाटना है

"हा पूरी चूत पर उपर से नीचे तक जीभ फिरा के चाट…..हा ऐसे ही सस्स्स्स्स्स्स्सीईई ठीक इसी तरह से हाआअ उपर जो दाना जैसा दिख रहा है ना चूत की भग्नाशा है……..उसको अपनी जीभ से रगड़ते हुए हल्के हल्के चाट……सीईई शाबाश……बहनचोड़ टीट को मुँह में लीईए". राजू ने चूत के भग्नाशे को अपने होंठो के बीच ले लिया और चूसने लगा. उर्मिला देवी की चूतकी टीट चूसा वह मस्त हो कर पानी छोड़ने लगी. पहली बार चूत चाटने को मिली थी तो पूरा जोश दिखा रहा था. जंगली कुत्ते की तरह लफ़र लफ़र करता हुआ अपनी खुरदरी जीभ से मामी की चूत को घायल करते हुए चाटे जा रहा था. चूत की गुलाबी पंखुरियों पर खुरदरी जीभ का हर प्रहार उर्मिला देवी को अच्छा लग रहा था. वो अपने बदन के हर अंग को रगड़वाना चाहती थी, चाहती थी कि राजू पूरी चूत को मुँह में भर ले और स्लूर्र्ररर्प स्लूर्र्रप करते हुए चूसे. राजू के सिर को अपने चूत पर और कस के दबा कर सिस्याईीई "ठीक से चूस…..राजू बेटा……पूरा मुँह में ले कर………हा ऐसे ही…….सीईई मदारचोद्द्द्दद्ड….बहुत मज़ा दे रहा है………आआआआहााअ……सही चूस रहा है कुत्तीईई हाआअ ऐसे ही चूऊवस………..आआआअसस्स्स्सीई"

राजू भी पूरा ठर्की था. इतनी देर में समझ गया था कि उसकी मामी एक नंबर की चुदैल रंडी मदर्चोद किस्म की औरत है. साली छिनाल चूत देगी मगर तडपा तडपा कर. वैसे उसको भी मज़ा आ रहा था ऐसे नाटक करने में. उसने चूत के दोनो फांको को अपने उंगलियों से फैला कर पूरा चौड़ा दिया और जीभ को नुकीला कर के गुलाबी छेद में डाल कर घुमाने लगा. चूत एकद्ूम पासीज कर पानी छोड़ रही थी. नुकीली जीभ को चूत के गुलाबी छेद में डाल कर घुमाते हुए चूत की दीवारो से रिस रहे पानी को चाटने लगा. उर्मिला देवी मस्त हो गांद हवा में लहरा रही थी. अपने दोनो हाथो से चुचियों को दबाते हुए राजू के होंठो पर अपनी फुददी को रगड़ते हुए चिल्लाई

"ओह राजू…… मेरा बेटेयाआया…….बहुत मज़ा आ रहा है रे…..ऐसे ही चाट…पूरी चूत चाट ले……..तूने तो फिर से चुदास से भर दिया…….हरामी ठीक से पूरा मुँह लगा कर चाट नही तो मुँह में मूत दुन्गीईईइ……..अच्छी तरह से चाट टत्तत्ट……"

ये अब एकद्ूम नये किस्म की धमकी थी. राजू एक दम असचर्यचकित रह गया. अजीब कंजरफ, कमिनि औरत थी. राजू जहा सोचता अब मामला पटरी पर आ गया है, ठीक उसी समय कुच्छ नया शगूफा छोड़ देती. चूत पर से मुँह हटा दिया और बोला "ओह मामी……..तुमको पेशाब लगी है तो जाओ कर आओ…" चूत से मुँह हटा ते ही उर्मिला देवी का मज़ा किरकिरा हुआ तो उसने राजू केबालो को पकड़ लिया और गुस्से से भनभनाते हुई उसको ज़ोर से बिस्तर पर पटक दिया और छाती पर चढ़ कर बोली "चुप मादर्चोद…….अभी चाट ठीक से…….अब तो तेरे मुँह में ही मुतुँगी….पेशाब करने जा रही थी तब क्यों रोका…….."कहते हुए अपनी चूत को राजू के मुँह पर रख कर ज़ोर से दबा दिया. इतनी ज़ोर से दबा रही थी की राजू को लग रहा था की उसका दम घूट जाएगा. दोनो चूतर के नीचे हाथ लगा कर किसी तरह से उसने चूत के दबाब को अपने मुँह पर से कम किया मगर उर्मिला देवी तो मान ही नही रही थी. चूत फैला कर ठीक पेशाब वाले छेद को राजू के होंठो पर दबा दिया और रगड़ते हुए बोली "चाट ना…चाट ज़रा मेरी पेशाब वाले छेद को….नही तो अभी मूत दूँगी तेरे मुँह पर…….हरामी……कभी किसी औरत को मूत ते हुए नही देखा है ना….अभी दिखाती हू तुझे" और सच में एक बूँद पेशाब टपका दिया…….अब तो राजू की समझ में नही आ रहा था की क्या करे कुच्छ बोला भी नही जा रहा था. राजू ने सोचा साली ने अभी तो एक बूँद ही मूत पिलाया है पर कही अगर कुतिया ने सच में पेशाब कर दिया तो क्या करूँगा चुप-चाप चाटने में ही भलाई है, ऐसे भी पूरी चूत तो चटवा ही रही है. पेशाब वाले छेद को मुँह में भर कर चाटने लगा. चूत के भग्नाशे को भी अपनी जीभ से छेड़ते हुए चाट रहा था. पहले तो थोड़ा घिंन सा लगा था मगर फिर राजू को भी मज़ा आने लगा. अब वो बड़े आराम से पूरी फुददी को चाट रहा था. दोनो हाथो से गुदाज चूतरों को मसलते हुए चूत का रस चख रहा था. उर्मिला देवी अब चुदास से भर चुकी थी "उफफफफफफफफफ्फ़…सीई बहुत…मज़ा…..हाई रीईईई तूने तो खुजली बढ़ा दी कंजरे…….अब तो फिर चुदवाना ही पड़ेगा…..भोसड़ी के लंड खड़ा है कि……." राजू जल्दी से चूत पर से मुँह हटा कर बोला "ख खड़ा है मामी……एकद्ूम खड़ा हाईईईईईईईई"

007
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Re: गाँव का राजा

Unread post by 007 » 08 Nov 2014 12:43



"कैसे चोदना है…….चल छोड़ मैं खुद……"

"हाई नही मामी….इस बार…..मैं………"

"फिर आजा मा के लॉड……..जल्दी से…….बहुत खुजली हो……." कहते हुए उर्मिला देवी नीचे पलंग पर लेट गई. दोनो टांग घुटनो के पास से मोड़ कर जाँघ फैला दिया, चूत की फांको ने अपना मुँह खोल दिया था. राजू लंड हाथ में लेकर जल्दी से दोनो जाँघो के बीच में आया और चूत पर लगा कर कमर को हल्का सा झटका दिया. लंड का सुपरा उर्मिला देवी की भोसड़ी में घुस गया. सुपरा घुसते ही उर्मिला देवी ने अपनी गांद उचका दी. मोटा पहाड़ी आलू जैसा सुपरा पूरा घुस चुका था. मामी की फुददी एकद्ूम गरम भट्टी की तरह थी. चूत की गर्मी को पाकर राजू का लंड फनफना गया. राज शर्मा को याद करते हुए उसने पानी छोड़ रही चूत में लंड को गांद तक का ज़ोर लगा कर ठेला. लंड कच से मामी की चूत में फिसलता चला गया.

कुँवारी लौडिया होती तो शायद रुकता, मगर यहा तो उर्मिला देवी की सैकड़ो बार चुदी चूत थी, जिसकी दीवारो ने आराम से रास्ता दे दिया. उर्मिला देवी को लगा जैसे किसी ने उसकी चूत में मोटा लोहे का डंडा गरम करके डाल दिया. लंड चूत के आख़िरी कोने तक पहुच कर ठोकर मार रहा था.

"उफफफफ्फ़..हरामी आराम से नही डाल सकता था…….एक बार में पुर्र्रराआआअ….."

आवाज़ गले में ही घुट गई क्योंकि ठर्की राजू अब नही रुकने वाला था. गांद उच्छाल उच्छाल कर पका-पक लंड पेले जा रहा था. मामी की बातो को सुन कर भी उनसुनी कर दी. मन ही मन उर्मिला देवी को ग़ाली दे रहा था…साली, कुतिया इतना नाटक करवाया है…….बेहन की लॉडी ने…..अब इसकी बातो को सुन ने का मतलब है फिर कोई नया नाटक खड़ा कर देगी……जो होगा बाद में देखूँगा……पहले लंड का माल इसकी चूत में निकाल दू…….सोचते हुए दना-डन गांद उच्छाल-उच्छाल कर पूरे लंड को सुपरे तक खींच चूत में डाल रहा था. कुच्छ ही देर में चूत की दीवारो से पानी का सैलाब बहने लगा. लंड अब सटा-सॅट फुच फुच की आवाज़ करते हुए अंदर बाहर हो रहा था. उर्मिला देवी भी बेपनाह मज़े में डूब गई. राजू के चेहरे को अपने हाथो से पकड़ उसके होंठो को चूम रही थी, राजू भी कभी होंठो कभी गालो को चूमते हुए चोद रहा था. उर्मिला देवी के मुँह से सिसकारिया निकल रही थी…

"सेसिईईईईईई……आईईईईईई…और ज़ोर सीईईईई राजू…….उफफफफफ्फ़ बहुत मज़ा आआअक्कककककक…….फ़ाआआअर दीईईगाआआअ…..उफफफफफफ्फ़ मधर्च….."

"उफफफफफफ्फ़ मामी बहुत मज़ा आ रहा हाईईईईईईई……."

"हा राजू बहुत मज़ा आ रहा है…….ऐसे ही धक्के मार….बहुत मज़ा दे रहाहै तेरा हथियार……हाई सीईई चोद्द्द….अपने घोड़े जैसे……लंड सेयीई"

तभी राजू ने दोनो चुचियों को हाथो में भर लिया और खूब कस कर दबाते हुए एक चुचि को मुँह में भर लिया और धीरे धीरे गांद उच्छालने लगा. उर्मिला देवी को अच्छा तो लगा मगर उसकी चूत पर तगड़े धक्के नही पड़ रहे थे.

"मादरचोड, रुकता क्यो है, दूध बाद में पीना पहले गांद तक का ज़ोर लगा के चोद"

"हाई मामी थोडा दम तो लेने दो…….पहली बार………"

"चुप हरामी…….गांद में दम नही……तो चोदने के लिए क्यों मर रहा था……..मामी की चूत में मज़ा नही आ रहा क्या……."

"ओह मामी मेरा तो सपना सच हो गयाआ…….हर रोज सोचता था कैसे आपको चोदु……आज…….मामी……..ओह मामी…….बहुत मज़ा आ रहा हाईईईईईईईईई…..बहुत गरम हाईईईईईई आपकी चूत"

"हा गरम और टाइट भी है…. चोदो….आह…..चोदो अपनी इस चुदासी मामी को ओह…..बहुत तडपी हू……….मोटा लंड खाने के लिए……तेरा मामा, बेहन का लंड तो बसस्स्सस्स……..तू……अब मेरे पास ही रहेगा…..तेरी मा चाहे गांद मरा ले मगर उसके पास नही भेजने वाली……यही पर अपनी जाँघो के बीच दबोच कर रखूँगी……"

"हा मामी अब तो मैं आपको छोड़ कर जाने वाला नहियीईईईई…….ओह मामी सच में चुदाई में कितना मज़ा है……गाओं में मा के पास कहा से ऐसा मज़ा मिलेगा…. मामी देखो ना कितने मज़े से मेरा लंड आपकी चूत में जा रहा और आप उस समय बेकार में चिल्ला….."

"भोसड़ी के लंड वाला है ना, तुझे क्या पता……..इतना मोटा लंड किसी कुँवारी लौंडिया में घुसा देता तो……अब तक बेहोश…..मेरे जैसी चूत्मरानि औरत को भी एक बार………बहुत मस्त लंड है ऐसे ही पूरा जड़ तक थेल थेल कर चोद आआआआ……..सीईईई बहनचोद्द्द्द्दद्ड….तू तो पूरा खिलाड़ी हो,,,,,"


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Re: गाँव का राजा

Unread post by 007 » 08 Nov 2014 12:43



लंड फॅक फॅक करता हुआ चूत के अंदर बाहर हो रहा था. उर्मिला देवी गांद उच्छाल उच्छाल कर लंड ले रही थी. उसकी बहकी हुई चूत को मोटे 10 इंच के लंड का सहारा मिल गया था. चूत इतरा-इतरा कर लंड लील रही थी. राजू का लंड पूरा बाहर तक निकल जाता था और फिर कच से चूत के गुलाबी दीवारो को रौन्द्ता हुआ सीधा जड़ तक ठोकर मारता था. दोनो अब हाँफ रहे थे. चुदाई की रफ़्तार में बहुत ज़यादा तेज़ी आ गई थी. चूत की नैया अब किनारा खोज रही थी. उर्मिला देवी ने अपने पैरो को राजू के कमर के इर्द गिर्द लपेट दिया था और गांद उच्छालते हुए सिसकते हुए बोली "ओह सीई राजा अब मेरा निकल जाएगा………ज़ोर ज़ोर से चोद……पेलता रह……तेरी मा को चोदु……मार ज़ोर सीई…….निकाल दे अपना माआआल्ल अपनी मामी की चूत के अंदर……..ओह ओह"

"ही ममिीईई मेरा भी निकलेगा सीईईई तुम्हारी बूऊऊररररर में डाल दूंगाआआअ……मेरे लंड कययाया पनीईईई……..ओह ममिीईईईईई….हीईीई……मामी चूत्मरानि……उफफफफफफफ्फ़."

"ही मैं गैिईईईईईईईईईई ओह आआअहहााआ सीईए" करते हुए उर्मिला देवी ने राजू को अपनी बाहों में कस लिया, उसकी चूत ने बहुत सारा पानी छ्चोड़ दिया. राजू के लंड से तेज फ़ौव्वारे की तरह से पानी निकलने लगा. उसकी कमर ने एक तेज झटका खाया और लंड को पूरा चूत के अंदर पेल कर वो भी हान्फ्ते हुए ओह करते हुए झरने लगा. लंड ने चूत की दीवारो को अपने पानी से सारॉबार कर दिया. दोनो मामी भांजा एक दूसरे से पूरी तरह से लिपट गये. दोनो पसीने से तर-बतर एक दूसरे की बाहों में खोए हुए बेशुध हो गये.

करीब पाँच मिनिट तक इसी अवस्था में रहने के बाद जैसे उर्मिला देवी को होश आया उसने राजू को कंधो के पास से पकड़ कर हिलाते हुए उठाया "राजू उठ…मेरे उपर ही सोएगा क्या". राजू जैसे ही उठा पक की आवाज़ करते हुए उसका मोटा लंड चूत में से निकल गया. वो अपनी मामी के बगल में ही लेट गया. उर्मिला देवी ने अपने पेटिकोट से अपनी चूत पर लगे पानी कोपोच्छा और उठ कर अपनी चूत को देखा तो उसकी की हालत को देख कर उसको हसी आ गई. चूत का मुँह अभी भी थोडा सा खुला हुआ था. उर्मिला देवी समझ गई की राजू के हाथ भर के लंड ने उसकी चूत को पूरा फैला दिया है. अब उसकी चूत सच में भोसड़ा बन चुकी है और वो खुद भोस्डेवाली. माथे पर छलक आए पसीने को वही रखे टवल से पोच्छने के बाद उसी टवल से राजू के लंड को बड़े पायर से साफ कर दिया. राजू मामी को देख रहा था. उर्मिला देवी की नज़रे जब उस से मिली तो वो उसके पास सरक गई और राजू के माथे का पसीना पोछ कर पुचछा "मज़ा आया….." राजू ने भी मुस्कुराते हुए जवाब दिया "हा मामी…..बहुत". अभी ठीक 5 मिनिट पहले रंडी के जैसे गाली गलौज़ करने वाली बड़े प्यार से बाते कर रही थी.

"थक गया क्या……..सो जा, पहली बार में ही तूने आज इतनी जबरदस्त मेहनत की है जितनी तेरे मामा ने सुहाग रात को नही की होगी" राजू को उठ ता देख बोली "कहा जा रहा है"

"अभी आया मामी…..बहुत ज़ोर की पेशाब लगी है"

"ठीक है मैं तो सोने जा रही हू…….अगर मेरे पास सोना होगा तो यही सो जाना नही तो अपने कमरे में चले जाना…….केवल जाते समय लाइट ऑफ कर देना"

पेशाब करने के बाद राजू ने मामी के कमरे की लाइट ऑफ की और दरवाज़ा खींच कर अपने कमरे में चला. उर्मिला देवी तुरंत सो गई, उन्होने इस ओर ध्यान भी नही दिया. अपने कमरे में पहुच राजू धड़ाम से बिस्तर पर गिर पड़ा उसे ज़रा भी होश नही था.

सुबह करीब सात बजे के उर्मिला देवी की नींद खुली. जब अपने नंगेपन का अहसास हुआ तो पास में पड़ी चादर खींच ली. अभी उसका उठने का मन नही था. बंद आँखो के नीचे रात की कहानी याद कर उनके होंठो पर हल्की मुस्कुराहट फैल गई. सारा बदन गुद-गुदा गया. बीती रात जो मज़ा आया वो कभी ना भूलने वाला था. ये सब सोच कर ही उसके गालो में गड्ढे पड़ गये की उसने राजू के मुँह पर अपना एक बूँद पेशाब भी कर दिया था. उसके रंगीन सपने साकार होते नज़र आ रहे थे. उपर से उर्मिला देवी भले ही कितनी भी सीधी साधी और हासमुख दिखती थी अंदर से वो बहुत ही कामुक कुत्सित औरत थी. उसके अंदर की इस कामुकता को उभारने वाली उसकी सहेली हेमा शर्मा थी. जो अब उर्मिला देवी की तरह ही एक शादी शुदा औरत थी और उन्ही के शहर में रहती थी. हेमा, उर्मिला देवी के कॉलेज के जमाने की सहेली थी. कॉलेज में ही जब उर्मिला देवी ने जवानी की दहलीज़ पर पहला कदम रखा था तभी उनकी इस सहेली ने जो हर रोज अपने चाचा-चाची की चुदाई देखती थी उनके अंदर काम वासना की आग भड़का दी. फिर दोनो शहेलिया एक दूसरे के साथ लिपटा चिपटि कर तरह-तरह के कुतेव करती थी, गंदी-गंदी किताबे पढ़ती थीउनकी सबसे पहली पसंद राज शर्मा की सेक्सीकहानियाँ थी और शादी के बाद अपने पतियों के साथ मस्ती करने के सपने देखा करती. हेमा का तो पता नही मगर उर्मिला देवी की किस्मत में एक सीधा साधा पति लिखा था जिसके साथ कुच्छ दीनो तक तो उन्हे बहुत मज़ा आया मगर बाद में सब एक जैसा हो गया. और जब से लड़की थोड़ी बड़ी हो गई राजू का मामा हफ्ते में एक बार नियम से उर्मिला देवी की साड़ी उठाता लंड डालता डाकम पेल करता और फिर सो जाता. उर्मिला देवी का गदराया बदन कुच्छ नया माँगता था. वो बाल-बच्चे घर परिवार सब से निसचिंत हो गई थी सब कुच्छ अपनी रुटीन अवस्था में चल रहा था. ऐसे में उसके पास करने धरने के लिए कुच्छ नही था और उसकी कामुकता अपने उफान पर आ चुकी थी. अगर पति का साथ मिल जाता तो फिर…… मगर उर्मिला देवी की किस्मत ने धोखा दे दिया. मन की कामुक भावनाओ को बहुत ज़यादा दबाने के कारण, कोमल भावनाए कुत्सित भावनाओ में बदल गई थी. अब वो अपने इस नये यार के साथ तरह-तरह के कुतेव करते हुए मज़ा लूटना चाहती थी.


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