पंडित & शीला पार्ट--28
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गतांक से आगे ......................
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घर पहुंचकर माधवी धम्म से बेंत वाली चेयर पर जाकर बैठ गयी ..रात भी काफी हो चुकी थी . रितु तो कब की सो चुकी थी .
गिरधर : "चल अब नहा ले ...चूत और गांड में माल भरकर लायी है आज तो ..साली रंडी ..''
कहकर गिरधर हंसने लगा ..
माधवी का मन तो किया की उसका मुंह तोड़ दे ..पर वो लाचार थी . उसने गिरधर की बात को अनदेखा किया और वैसे ही पड़ी रही ...गिरधर अन्दर चला गया और कपडे बदल कर वापिस आ गया .
वापिस आकर उसने देखा की माधवी अभी तक वैसे ही बेठी है ..और शुन्य में ताक रही है . जैसे अपने साथ हुई घटनाओ को लेकर सोच रही थी की ये मेरे साथ ही क्यों हुआ ..क्यों उसके पति ने उसे रंडी की तरह किसी और से चुदवा दिया ..
गिरधर उसके पास आया और उसका हाथ पकड़ कर उठाया और बाथरूम की तरफ ले गया ..वो बेजान सी होकर उसके साथ चल दी .
गिरधर ने उसके कपडे उतारने शुरू किये ..वो कुछ न बोली ..और जब वो पूरी नंगी हो गयी तो गिरधर ने उसे गौर से देखा ..उसका भरा हुआ शरीर उसे शुरू से ही पसंद था ..शादी के इतने सालों के बाद भी उसका हुस्न अभी तक कायम था ..और आजकल हो रही भयंकर चुदाई की वजह से उसमे चार चाँद लग गए थे ..
कहते हैं जब औरत सेक्स करती है तो उसका रूप निखर आता है ..जितना ज्यादा सेक्स, उतनि ज्यादा सुन्दरता ..इसलिए कोई भी खूबसूरत औरत देखो तो समझ जाओ की वो अपनी जवानी के पुरे मजे ले रही है ..
खेर , गिरधर जब उसे टकटकी लगा के देख रहा था तो उसकी लुंगी में उसका हथियार जंग की तेयारी करने लगा ..और धीरे -२ अंगडाई लेता हुआ पूरा खड़ा हो गया .
माधवी आज काफी चुद चुकी थी ..उसमे शायद और चुदने की हिम्मत नहीं बची थी ..पर दुसरो से चुदवाओ और पति को अंगूठा दिखाओ ये वो साबित नहीं करना चाहती थी ..
इसलिए जब गिरधर ने उसके स्तनों को पकड़ कर दबाना शुरू किया तो उसने भी आगे हाथ करके उसके लंड को अपने हाथों में पकड़ लिया ..उसका मन तो नहीं था , पर अपने पति को नाराज करके वो और मुसीबत नहीं लेना चाहती थी .
उसके मुम्मे मिटटी में सने हुए थे . गिरधर ने उन्हें दबा कर मजे लेने शुरू कर दियी ..मिटटी के कण उसकी ब्रेस्ट पर चुभ रहे थे और निशान भी बना रहे थे ..उसने बाल्टी से एक मग्गा पानी लेकर अपने स्तनों के ऊपर डाल लिया ताकि मिटटी साफ़ हो जाए ..
इसी बीच गिरधर ने अपनी लुंगी उतार डाली और नंगा हो गया ..वो माधवी के मुम्मो के ऊपर झुका और उन्हें अपने मुंह में लेकर बच्चे की तरह उसका दूध पीने लगा .
''ईइय्य्याआअ .......उम्म्म्म्म्म .....अह्ह्ह्ह्ह ''
'साली कितनी गर्म औरत है ...इतनी चुदाई होने के बाद भी झट से गर्म हो गयी ..' गिरधर ने मन ही मन सोचा ..
गिरधर उसके पीछे आया और अपने लंड को उसकी फेली हुई गांड के बीच फंसा कर हाथ आगे करके उसके मुम्मोम को पकड़ कर दबाने लगा ..
उनका बाथरूम उनके कमरों के पीछे की तरफ था ..वहीँ पर जहाँ उस दिन पंडित खड़ा होकर सारा नजारा देख रहा था ..गिरधर ने बाथरूम का दरवाजा बंद नहीं किया था , जैसे उन्हें किसी बात का डर ही नहीं था ..
गिरधर जब पीछे खड़ा होकर माधवी की गांड की सिकाई कर रहा था तो आगे खड़ी हुई माधवी की नजरें अचानक ही रितु के कमरे पर चली गयी ..वहां काफी अँधेरा था पर उसे लगा की उसने जैसे किसी को खड़े हुए देखा है वहां ..उसने ध्यान से देखने की कोशिश की तो उसका शक पक्का हो गया ..वहां रितु ही थी ..वो ना जाने कब से उन दोनों का नंगा खेल देख रही थी ..छुप कर .
उसे अपने आप पर बड़ी शरम आई ..उनकी जवान हो रही बेटी उनकी चुदाई बड़े आराम से देख रही थी ..उसने सोचा की गिरधर को बता दे पर अगले ही पल ये सोचकर डर गयी की अगर गिरधर ने सोचा की उनकी चुदाई देखकर रितु को भी मजा आ रहा है तो वो कहीं अपनी बेटी की ही चुदायी ना कर डाले ..वैसे भी उसकी बुरी नजर काफी दिनों से थी अपनी बेटी पर ..
इसलिए वो चुप हो गयी ..पर उसने पलटकर गिरधर के कान में धीरे से कहा ..''सुनिए ..अन्दर चलिए ना ..यहाँ मुझे शर्म आ रही है ..''
गिरधर : "भेन की लोड़ी ...वहां बीच चोराहे पर चुदते हुए तो तुझे शर्म ना आई ..अब यहाँ शरमा रही है तू ..साली रंडी ..यहाँ कौन सा तेरा बाप खड़ा होकर देख रहा है तुझे ..चल नीचे बैठ ..''
पर रितु को उनकी बाते सुनाई नहीं दे रही थी ..
उसने माधवी को नीचे धकेला और अपना फनफनाता हुआ लंड उसके मुंह में पेल कर उसका मुंह चोदने लगा ..
गिरधर ने ऊपर लगा हुआ पानी का फव्वारा (शावर) खोल दिया और ठंडा पानी उनके जिस्मों पर गिरने लगा .
और दूसरी तरफ रितु , जो घर का दरवाजा खुलने की आवाज सुनकर जाग गयी थी और अपनी माँ और बाप को इतनी रात में नहाते और चुदाई करते हुए देखकर सोच रही थी की कितने ठरकी हैं उसके माँ बाप जो टाईम की परवाह किये बिना ही कहीं भी शुरू हो जाते हैं , जैसे आज बाथरूम में जाकर चुदाई करने का मूड हुआ है दोनों का ..
हमेशा की तरह उसने वही लम्बी फ्रोक पहनी हुई थी रात को सोते हुए ..और जब उसने अपने माँ बाप को नंगा होकर एक साथ नहाते हुए देखा तो उसकी फ्रोक के फीते खुल गए और उसने सरका कर उसे नीचे गिरा दिया ..अन्दर उसने सिर्फ ब्रा पहनी हुई थी ..कच्छी तो उसने कभी पहनी ही नहीं थी रात को सोते हुए ..
वो अपनी माँ के मोटे मुम्मों को अपने बाप के हाथों में मसलते हुए देख रही थी ..और उसके हाथ खुद ब खुद अपने मुम्मों पर जा पहुंचे और उन्हें बेपर्दा करते हुए वो खुद ही उन्हें मसलने लगी ..दुसरे हाथ से अपनी चूत को ..और सोचने लगी की काश वो भी ऐसे बाथरूम में सेक्स कर पाती ..
और सेक्स का नाम दिमाग में आते ही उसके सामने पंडित का चेहरा आ गया ..
उसकी नजरों ने अपनी माँ की जगह खुद को और अपने बाप की जगह पंडित को देखना शुरू कर दिया ..
अब तो जैसे वो कोई मूवी देख रही थी ..जिसमे वो और पंडित जी बाथरूम में खड़े होकर सेक्स कर रहे हैं ..और वो खुद अपने हाथों का प्रयोग करके अपनी ब्रेस्ट और चूत को मसल रही थी .
उधर जैसे ही माधवी ने नीचे बैठ कर गिरधर के लंड को चूसना शुरू किया, वो मस्ती में आकर उसे गालियाँ देने लगा ..जो थोडा तेज थी ..और जिन्हें रितु भी सुन पा रही थी ..उसके लिए गालियाँ नयी नहीं थी ..उसने रास्ते में आते जाते और स्कूल में भी कई लड़कों के मुंह से एक दुसरे को गालियाँ देते सूना था ..पर अपने ही बाप के मुंह से गालियाँ सुनते देखकर वो हेरान रह गयी ..पर उसने नोट किया की उन गालियों को सुनकर माधवी और उत्तेजक तरीके से गिरधर का लंड चूस रही है ..यानी गालियाँ सुनकर उसे मजा आ रहा है ..
''चूस भेन चोद ......अह्ह्ह्ह ........साली ......भोंसड़ीकी .......चूस मेरा लंड ....अह्ह्ह्ह्ह ....खा जा ....अह्ह्ह्ह्ह ....साली ....कुतिया ...रंडी कहीं की ...चूस और तेज चूस ..''
रितु के अन्दर भी एक अजीब सी लहर उठने लगी ..उन गालियों को सुनकर ...यानी जैसा उसकी माँ को फील हो रहा था वो उसे भी होने लगा ..वो भी बुदबुदाने लगी ..और अपनी चूत की मालिश और तेजी से करने लगी ..
''अह्ह्ह ...हाँ ...मैं हु रंडी ........अह्ह्ह्ह ... मैं चुसुंगी ...आपका लंड ....अह्ह्ह्ह ....मेरे मुंह में डालो ..उम्म्म्म्म ........मैं हु आपकी कुतिया पापा .....अह्ह्ह्ह ...''
खिड़की से हलकी फुलकी सिस्कारियों की आवाज आते सुनकर गिरधर की नजरें वहां चली गयी ..और अब हेरान होने की बारी उसकी थी ...उसने देखा की उसकी बेटी रितु नंगी सी होकर खिड़की पर बैठी है ..और आँखे बंद करके बडबडा रही है ..और सिस्कारियां ले रही है ..उसके हिलते हुए हाथ देखकर उसे पता चल गया की वो अपनी चूत मसल रही है ...और उसके छोटे - २ स्तन भी उसे दिखाई दिए ..जिन्हें अपने हाथों में लेकर दबाने की उसे कब से चाह थी ..
वो जान गया की उसकी बेटी अपने माँ बाप की चुदाई को छुप कर देखते हुए उत्तेजित हो गयी है ..यानी अब उसे चोदना ज्यादा मुश्किल नहीं होगा ..पर माधवी के सामने वो ये नहीं जताना चाहता था की उसने रितु को देख लिया है ..
इसके दो घाटे थे , एक तो वो उसकी चूत नहीं मार पायेगा अभी ..और दूसरा माधवी भी अपनी बेटी को बचाना चाहेगी और गिरधर को उसके साथ कुछ नहीं करने देगी ..इसलिए उसने सोच लिया की वो रितु के बारे में बाद में सोचेगा ..अभी तो माधवी की ही मार लि जाये ..और रितु को ज्यादा से ज्यादा दिखाया जाए ताकि वो उसके लंड के लिए मचल उठे .
उसने दिवार पर लगा हुआ बटन दबाकर बाथरूम की लाइट जला दी ..बल्ब की रौशनी में दोनों के जिस्म पूरी तरह से जगमगा उठे ..
माधवी : "ये।ये क्यों जला दिया ..बंद करो इसे ... मुझसे नहीं होगा कुछ भी इतनी रौशनी में ...''
वो जानती थी की रितु उन्हें देख रही है ..और रौशनी होने की वजह से तो पूरी तरह से दिखाई देंगे दोनों ..इसलिए वो नहीं चाहती थी की रौशनी हो वहां ..पर बेचारी माधवी ये नहीं जानती थी की गिरधर भी रितु को देख चूका है ...पर दोनों अनजान बनकर एक दुसरे से इस बात को छुपाने की कोशिश कर रहे थे ..
पर गिरधर ने तो ये सब जान बूझकर किया था रितु ज्यादा रौशनी में उन दोनों की चुदाई देखे और उत्तेजित हो जाए ..वो उसे अपने हथियार के दर्शन भी करवाना चाहता था ..क्योंकि वो जानता था की लंड देखकर लड़की का पचास परसेंट मन तो बन ही जाता है ..बाकी का वो बना देगा बाद में .
उसने अपना लंड माधवी के मुंह से बाहर निकाला ..वो पूरा खड़ा हुआ था इस समय ..और उसे डंडे की तरह से पकड़कर माधवी के चेहरे को पीटने लगा ..
रितु ने जब अपने बाप का लंड पूरा तन हुआ अपनी आँखों से देखा तो उसके होंठ बड़ी तेजी से फडफडाने लगे ..और उसकी उँगलियाँ अपनी घी से डूबी हुई चूत में किसी पिस्टन की तरह अन्दर बाहर होने लगी ..
''अह्ह्ह्ह्ह ........क्या लंड है .....उम्म्म्म्म ....मेरे मुंह में डाल लो ना ..पापा ....अह्ह्ह्ह ...मुझे दो ..इसे चुसुंगी मैं ...उम्म्म्म ..''
उसने पास पड़ी हुई एक केंडल उठाई और घप्प से उसे अपनी चूत में उतार दिया ...उसने एक हाथ से खिड़की का सरिया पकड़ा और दुसरे में केंडल ..और अपनी एक टांग उठा कर खिड़की तक पहुंचा दी ..और लगी पेलने केंडल को अपने अन्दर एक लंड समझकर ...
''अह्ह्ह्ह्ह्ह ......काश ....मेरी चूत में होता पापा का लंड अह्ह्ह्ह ....उम्म्म्म ...क्या चीज है ....''
उसकी चूत में फिसल रही केंडल से इतना घर्षण हो रहा था की उसे लगा की कहीं वहां आग न लग जाए ..और केंडल जलने लगे .
दूसरी तरफ माधवी का बुरा हाल था ..वो जानती थी की रितु अब बचा खुचा सब देख पा रही होगी ..अपनी माँ को चुदते हुए देखकर वो पता नहीं क्या कर रही होगी ..
इतना सोचते ही उसके दिमाग में अपने बचपन की एक बात ताजा हो गयी ..उसने भी कई बार अपने माँ पिताजी की चुदाई देखि थी ..छुप - २ कर ..और वो भी अपनी चूत को मसलकर या मुली डालकर शांत करती थी ..और संतुष्ट हो जाती थी ..और एक बार जब उसके माँ पिताजी को शक हो गया की उनकी बेटी शायद छुप कर उनका खेल देखती है तो उन्होंने अपनी खिड़कियाँ और दरवाजे पुरे बंद करके चुदाई करनी शुरू कर दी ..ताकि उनकी बेटी यानी माधवी उन्हें ना देख पाए और वो बिगड़े नहीं ..पर उसका असर उल्टा हुआ था ..माधवी ने पड़ोस में रहने वाले एक लड़के को पटाया और उसके लंड को अपनी चूत में पिलवा डाला ..
उसे आज भी याद है, वो उत्तेजना थी ही ऐसी ..
और कहीं रितु भी तो ऐसा नहीं करेगी ..हमारी चुदाई ना देख पाने के बाद कहीं वो भी तो कोई गलत काम नहीं कर बैठेगी ..नहीं - नहीं ..हमारी बेटी ऐसा हरगिज नहीं कर सकती ..वो बाहर जाकर मुंह मारे , इस से अच्छा है की वो उनकी चुदाई देखकर ही तृप्त हो जाए ..
इतना सोचकर उसने अपने शरीर को और उत्तेजक तरीके से खिड़की के पीछे खड़ी अपनी बेटी को दिखाना शुरू कर दिया ..
वो खड़ी हुई और गिरधर का हाथ पकड़ कर थोडा और बाहर आ गयी ..ताकि उनकी राजदुलारी चुदाई को और करीब से देख सके ..
गिरधर ने भी मना नहीं किया ..वो भी अपने लंड को और करीब से रितु के सामने परोसना चाहता था ..
माधवी ने पीछे पड़े हुए फोल्डिंग पलंग की तरफ इशारा किया तो गिरधर भागकर उसे उठा लाया और बाथरूम के बाहर बिछा दिया ..माधवी जाकर उसके ऊपर लेट गयी ..और अपनी टाँगे फेला दी ..
गिरधर ने उन टांगो को अपने कंधे पर रखा और अपना लंड माधवी की चूत में पेलकर एक जोरदार शॉट मारा ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ...म्मम्मम्म ''
एक साथ दो सिस्कारियां निकली ...
एक माधवी की ..और दूसरी रितु की .
रितु को तो ऐसा लगा की जैसे वो लंड उसकी माँ की नहीं , उसकी खुद की चूत में उतर गया है ..उसने वो केंडल भी अपने बाप का लंड समझ कर अपने अन्दर पूरी डाल ली ..आज शायद उसने अपने अन्दर की नयी गहराईयों को छुआ था ..इसलिए उसकी सिस्कारियों में एक सिसक भी थी ..
''ओह्ह्ह्ह्ह ...पापा .....उम्म्म्म्म .......और अन्दर ....डालो ...उम्म्म्म्म ...''
अब चुद तो उसकी माँ रही थी पर पुरे मजे वो ले रही थी ..
पर दोनों के लिए लंड एक ही था ..
गिरधर का ..
और जल्दी ही दोनों झड़ने लगी ...एक साथ ..लंड से ..और केंडल से ..
माधवी चीखी : "अह्ह्ह्ह्ह ......ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ....और तेज ...चोदो ....मुझे ....अह्ह्ह्ह ......उम्म्म्म्म ...और तेज ....हाँ न्नन्न .........ऐसे ही ...औत जोर से ....जोर से ...''
गिरधर : "अह्ह्ह्ह ले और अन्दर ले ...साली .....उम्म्म्म ...अह्ह्ह्ह्ह ....रितु .''
ओह्ह्ह तेरी माँ की चूत ....ये क्या हो गया ..गिरधर ने अपना सर पीट लिया ..ये क्या निकल गया उसके मुंह से ..रितु का नाम ..और वो भी उसके सामने ..और वो भी माधवी को चोदते हुए .
तीनो झड चुके थे .
पर रितु और माधवी दोनों हेरान थे ..रितु इसलिए की उसने शायद सोचा भी नहीं था की गिरधर भी चोदते हुए उसके बारे में सोच रहा होगा ..पर मन ही मन वो खुश भी थी ..की उसके पिताजी भी उसके बारे में सोच रहे हैं, जैसे वो सोच रही है उनके बारे में ..
और माधवी बेचारी ये जानने की कोशिश कर रही थी की गिरधर ने ऐसा जान बूझकर बोला या गलती से ..
उसके बाद गिरधर काफी देर तक अपना लंड मसलता हुआ वहीँ घूमता रहा ...अपनी बेटी को और ज्यादा मजा देने के लिए ..
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Re: पंडित & शीला
पंडित & शीला पार्ट--29
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गतांक से आगे ......................
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माधवी की हालत खराब हो रही थी ..आज पहले पंडित और अब गिरधर ने मिलकर उसके अन्दर का अस्थि पिंजर तक हिला डाला था ..वो बोजिल सी आँखे लिए अन्दर चली गयी , उसे बहुत तेज नींद आ रही थी , वो नंगी ही अन्दर गयी और सो गयी ..
गिरधर ने अपनी धोती पहन ली थी और वो ऊपर से ही अपने लंड को मसल कर मजे ले रहा था ..उसका पूरा ध्यान अब रितु पर था .
रितु भी अभी तक गहरी साँसे लेती हुई खिड़की पर ही खड़ी थी ..उसका एक हाथ खिड़की के सरिये पर था और दूसरा अभी तक उसकी चूत पर ..जिसपर लगा हुआ चिपचिपा और नमकीन मक्खन वो अपनी उँगलियों से फेला - २ कर अपनी चूत का मेकअप कर रही थी .
वो जैसे ही अन्दर जाने के लिए मुड़ी, उसके हाथ के ऊपर गिरधर का हाथ आ लगा. गिरधर ने दूसरी तरफ से आकर उसके हाथ के ऊपर अपना हाथ रखकर उसे जकड लिया था .
रितु सकपका सी गयी ...वो अपनी फेली हुई आँखों से बाहर खड़े हुए गिरधर को देखकर हक्लाती हुई बोली : "पप पप पापा ...आप ...छोड़ो मेरा हाथ ...प्लीस ..''
गिरधर ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया था ..और उसके दिमाग में एक योजना भी आ चुकी थी .
गिरधर (गुर्राते हुए ) : "तू यहाँ क्या कर रही है ...''
वो और भी ज्यादा डर गयी .
गिरधर : "तूने देखा न सब ...मुझे और अपनी माँ को ..वो सब करते हुए ..''
रितु : "क क ...क्या ?"
गिरधर : "चुदाई ....भेनचोद ....चुदाई ...जो अभी मैं तेरी माँ की कर रहा था ..''
गिरधर अपने दांत पीस कर बोल रहा था .
चुदाई का नाम सुनते ही उसकी चूत में सुरसुरी सी होने लगी ..उसके सामने एक दम से पंडित जी का चेहरा घूम गया ..
गिरधर : "बोल ...कब से देख रही है ये सब ...पहले भी देखा है न तूने ..बोल जल्दी ..वरना अन्दर आकर तुझे नंगा करके पिटूँगा ..''
उसकी धमकी सुनकर वो डर गयी ..वो जानती थी की गुस्से में आकर उसका बाप वो सब कर भी सकता है ..अभी जिस तरह से गालियाँ देकर वो माधवी से बात कर रहा था अब वही तरीके से वो रितु को धमका रहा था ..
गिरधर जानता था की माधवी के घर में रहते वो रितु की चुदाई नहीं कर सकता ..वर्ना फिर से वही लडाई झगडे ..और गुस्से में आकर उसने उसे घर से निकाल दिया तो हो सकता है वो पुलिस के पास चली जाए और शायद रितु को भी पुलिस की मदद से अपने साथ ले जाए ..
वो इन सब लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता था ..इसलिए माधवी से छुप कर ही उसे रितु पर काबू पाना होगा .
रितु की आँखों में आंसू आने लगे ..पर गिरधर पर उनका कोई प्रभाव नहीं पड़ा .उसके हाथों का दबाव रितु के हाथों पर और तेज हो गया ..और आखिर वो कसमसाकर बोल ही पड़ी : "हा न्न्न… ..... .देख रही थी मैं ...आप दोनों को छुप कर ...और .. एक बार पहले भी देखा था ..''
गिरधर : "क्यों ...तेरी चूत में खुजली हो रही थी क्या ...बोल ...''
वो कुछ ना बोली ..बस अपनी हिरन जैसी आँखों से उसे घूरती रही ..
गिरधर थोडा और करीब आ गया ..दोनों के बीच लोहे की खिड़की थी ..अन्दर घुप्प अँधेरा था जिस वजह से गिरधर शायद अभी तक देख नहीं पाया था की वो अन्दर किस हाल में खड़ी है ..पर जैसे ही वो खिड़की के करीब आया , हलकी रौशनी में उसने रितु के जिस्म को देखा ..वो ऊपर से नंगी थी ..उसकी फ्रोक कमर तक फंसी हुई थी ..जिसे उसने अपने दुसरे हाथ से पकड़ रखा था ..अगर वो भी गिर जाती तो वो पूरी नंगी खड़ी होती उसके सामने ..
गिरधर की गिद्ध जैसी आँखें उसके चुचियों पर लगे मोतियों की चमक को देखकर चुंधिया रही थी ..उसके मुंह से उसकी जीभ निकल कर ऐसे बाहर आ गयी, मानो वो रितु के निप्पलों पर फेरा रहा हो .
गिरधर ने धीमी और दबाव वाली आवाज में रितु से कहा : "इधर आ ...आगे ..''
रितु ने ना में सर हिलाकर मना कर दिया ..
गिरधर : "साली ....आती है के नहीं ...या मैं अन्दर आऊ ..''
रितु और भी डर गयी ...वो भी शायद यही चाहती थी की जैसे पंडित ने उसे मजे दियें हैं वैसे ही उसके पापा भी दें ..पर वो ये सब इतनी जल्दी और ऐसे हालात में करना नहीं चाहती थी . और उसे अपनी माँ का भी डर था ..जो अन्दर सो रही थी ..पर उनके आने का डर तो बना ही हुआ था ..फिर ये सोचकर की खिड़की से वो कर ही क्या लेंगे वो थोडा आगे खिसक आई ..
ऊपर से आ रही चाँद की रौशनी जैसे ही उसके मोतियों पर पड़ी गिरधर तो जैसे पागल ही हो गया ..उसने रितु का हाथ छोड़ दिया और अपने हाथ अन्दर लेजाकर उसके संतरों पर रख कर जोरों से दबा दिया ..
''आअह्ह्ह्ह्ह्ह ..........उम्म्म्म्म्म .....''
उसके मुंह से घुटी हुई सी आवाज निकल गयी ..और आँखें बंद सी होने लगी .
खिड़की के सरियों में सिर्फ चार इंच का फांसला था ..जिसमे हाथ डालकर गिरधर बड़ी मुश्किल से उन्हें दबा रहा था .
गिरधर ने अंगूठे और उसके साथ वाली ऊँगली से उसके दोनों निप्पलस को पकड़ा और अपनी तरफ खींच लिया ..
रितु का बाकी शरीर अपने आप निप्पलस के पीछे -२ सरियों से आ लगा ..
अब गिरधर के हाथ बाहर थे और रितु के दोनों निप्पल और उसके मुम्मों का थोडा हिस्सा सरियों से बाहर ..
गिरधर ने अपनी प्यासी जीभ को बाहर निकाला और उसे सीधा लेजाकर अपनी बेटी के चमचम जैसे निप्पल पर रख दी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....पापा ......उम्म्म्म्म्म्म्म ...........अह्ह्ह्ह ..उफ़ ...''
अब तक रितु अपना आपा खो चुकी थी ..उसने अपने पतले - २ हाथ बाहर निकाले और अपना दूध पी रहे गिरधर के सर के पीछे लगाकर उसे और जोर से अपनी ब्रेस्ट पर दबा दिया ..
''लो ......पापा ......अह्ह्ह्ह्ह .....और चुसो ....जोर से ....चुसो ....मुझे .....अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....आप इतना तडपे हो मेरे लिए ....आज अपनी प्यास मिटा लो ....अह्ह्ह्ह्ह्ह ....उम्म्म्म्म्म्म .....येस्सस्सस्स ...... ओह्ह्ह्ह पापा ......यूऊ .....आर .......बेस्ट ......''
अब वो गंवार क्या समझता की उसकी बेटी अंग्रेजी में उसे क्या कह रही है ...पर हिंदी में जो भी बोली वो,उसे सुनकर उसे भी पता चल गया की वो भी वही चाहती है जो वो खुद चाहता है ...चुदाई.
पर वहां घर में अभी वो पोसिबल नहीं था ..माधवी के होते हुए वो रिस्क नहीं लेना चाहता था .
रितु की फ्रोक भी अब खिसककर नीचे जा चुकी थी ..और अब वो सिर्फ अपनी पेंटी में खड़ी थी खिड़की में ..अपने बाप से अपनी ब्रेस्ट चुसवाती हुई . रितु की दांयी ब्रेस्ट चूसने के बाद गिरधर ने उसकी बांयी तरफ रुख किया ..और थोड़ी देर तक उसे चूसने के बाद उसने उसे भी छोड़ दिया ..और धीरे - 2 अपना चेहरा ऊपर किया ..रितु के हाथों का दबाव अभी भी उसके सर के पीछे था ..रितु ने अपने पापा के चेहरे को ऊपर किया और अपने चेहरे के सामने लाकर अपने होंठ आगे कर दिए और उसे फ्रेंच किस्स कर दी ..
''उम्म्म्म्म्मा .....अह्ह्ह्ह्ह ...पुचस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स sssssssssssss ........अह्ह्ह्ह .....म्मम्मम्म ....ओह्ह्ह पापा .......म्म्मूउन्न्न ..... ''
जगह छोटी थी मगर एक दुसरे के होंठों का स्वाद वो ले पा रहे थे ..
गिरधर तो जैसे पागल ही हो गया ..इतने नर्म और मीठे होंठ उसने आज तक नहीं चूसे थे ..और शायद इसलिए उसकी बुरी नजर हमेशा से रितु ने रसीले होंठों पर रहती थी ..जिनपर अपनी जीभ फेरा - २ कर वो सबसे बातें करती थी ..पर उसे क्या मालुम था की उन्ही गीले होंठों को देखकर कितने ही लोग उसके बारे में गन्दा सोचने लग गए हैं ...जैसे की उसका खुद का बाप भी .
रितु का हाथ खिसकता हुआ नीचे गया , गिरधर की धोती तक ..और उसने उसे खोल दिया . उसने अपनी किस्स तोड़ी और नीचे देखा और जैसे ही उसकी नजर अपने बाप के लंड पर पड़ी वो बावली सी होकर नीचे झुक गयी ..ठीक गिरधर के लंड के सामने , और उसे अपने हाथों से पकड़ लिया ...और उसे मसलने लगी ..आज वो पहली बार अपने पापा के लंड को छु रही थी ..जितना सुन्दर वो दूर से दिख रहा था उससे भी ज्यादा वो पास से दिखाई दे रहा था ..
रितु ने अपनी आदत के अनुसार अपने होंठों पर जीभ फेराई और उन्हें पूरी तरह से अपनी लार से गीला कर लिया ..और गिरधर के लंड को अपनी तरफ खींचकर अपने मुंह तक ले आई ..और उन्हें गीले होंठों की सरहद के पार धकेल दिया ...
अब सिस्कारियां मारने की बारी गिरधर की थी .
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ......म्मम्म ....बेटी .....अह्ह्ह्ह्ह .....रितु ...मेरी जान ...मेरी प्यारी ... बेटी ....अह्ह्ह्ह .... चूस .....अह्ह्ह्ह ...हाँ ऐसे ......ही .....अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....उम्म्म्म ....''
रितु ने एक हाथ से गिरधर का लंड पकड़ा हुआ था और उसे चूस रही थी और दुसरे से वो उसकी बाल्स को रगड़ रही थी ..
रितु को ऐसे चूसते हुए देखकर पहले तो गिरधर थोडा हेरान हुआ की इतना बढ़िया लंड चूसना उसने आखिर सीखा कहाँ से ..पर फिर मजे लेने के लिए वो बात एक ही पल में भूल गया ..
पर वो बेचारा क्या जानता था की पंडित जी की कृपा से वो लंड चूसना तो क्या चुदाई करवाना भी सीख चुकी है .
गिरधर ने अपना पूरा शरीर खिड़की से सटा दिया था ...पर फिर भी बीच में सरिया होने की वजह से वो अपना पूरा बम्बू उसके मुंह में नहीं धकेल पा रहा था ..वो बेचारा तो किसी असहाय कैदी की तरह सलाखें पकड़ कर अपना मुंह ऊपर किये ठंडी सिसकियाँ मार रहा था .
अचानक रितु ने अपना दूसरा हाथ, जिसमे उसने अपने पापा की बाल्स को पकड़ा हुआ था, उसे नीचे से लेजाकर गिरधर की गांड के छेद पर लगा दिया ..और अपनी बीच वाली ऊँगली वहां डाल दी ..
गिरधर, जो अभी तक हवा में उड़ रहा था, गांड में ऊँगली का स्पर्श पाते ही सीधा स्वर्ग में पहुँच गया ...और उसने किसी जाल में फंसे हुए कबूतर की तरह से फड़फडाते हुए अपने लंड से गाड़ा और सफ़ेद रस निकाल कर अपनी बेटी के मुंह में दान कर दिया ..
''अग्ग्ग्घ्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......अह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म .....अह्ह्ह्ह्ह ......गया ....आया ...मैं तो आया ......अह्ह्ह्ह .''
वो सारा रस वो किसी कुशल रंडी की तरह से पी गयी ...कुछ उसके होंठों से छलक कर बाहर भी आया और उसके गले और ब्रेस्ट को छूता हुआ नीचे जा गिरा ..वो तब तक गिरधर के लंड को चूसती रही जब तक खुद गिरधर ने उसे धक्का देकर पीछे नहीं किया ..
उसने हाँफते हुए रितु के चेहरे को देखा ...वो किसी प्यासी चुडेल की तरह दिखाई दे रही थी ...जिसे बहुत प्यास थी ...सेक्स की ...लंड की ...वीर्य की ..
उसके बिखरे हुए बाल, गहरी और लाल आँखे , फड़कते हुए होंठ , उनपर लगा हुआ गाडा रस, देखकर गिरधर के तो जैसे होश उड़ गए ...वो सोचने लगा की लंड चुसाई में ही ये इतनी उत्तेजना के साथ उसका साथ दे रही है तो चुदाई के समय तो उसकी बेटी उसे कच्चा ही खा जायेगी ..
पर अभी तो कच्चा खाने का टाइम उसका था ..और वो भी रितु की चूत को .
उसने रितु को उठने का इशारा किया ..और खुद नीचे झुक गया ..उसकी चूत के सामने ..और अन्दर हाथ डालकर उसने रितु की पेंटी को निकाल दिया ..उसकी कच्छी इतनी गीली थी जैसे अभी पानी से निकाली हो ..उसमे फंसा हुआ रस गिरधर ने अपने लंड पर निचोड़ लिया और अपने लंड को रितु की चूत के रस से नहलाकर मसल दिया ..
रितु की चूत टप -2 कर रही थी ..जिसे रोकना बहुत जरुरी था ..गिरधर ने उसकी डबल रोटी पर हाथ रखा और उसे जोर से भींच दिया ..
वो जोर से चीख ही पड़ी ..''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....पापा .......उम्म्म्म्म ....धीरे .....अह्ह्ह्ह ...''
गिरधर को एक पल के लिए तो लगा की कहीं उसकी आवाज सुनकर माधवी जाग न जाए ..इसलिए उसने रितु की चूत को छोड़ दिया ..और दूसरी तरफ मुंह करके देखने लगा की कहीं माधवी के पैरों की आहट तो नहीं आ रही ..
और इसी बीच रितु जो किसी मछली की तरह से मचल रही थी, उसने अपने पापा का हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर फिर से दबा दिया ..और खुद ही उनके हाथ की बीच वाली ऊँगली को अपनी मानसून में भीगी चूत के अन्दर धकेल दिया ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह ......पापा ...''
आज उसके पापा का कोई अंग पहली बार उसकी चूत में गया था ..वो सोचने लगी की अगर ऊँगली के जाने से इतना मजा आ रहा है तो इनका लंड लेने में कितना मजा आएगा ..
गिरधर का भी अब पूरा ध्यान वापिस अपनी बेटी की सेवा करने पर आ गया ..वो अपनी ऊँगली से उसकी चूत की मालिश करने लगा ..और बीच में आ रही क्लिट को भी मसलने लगा ..
रितु अपना पूरा शरीर हवा में लहरा कर मजा ले रही थी ..जैसे वो कोई पतंग और उसके पापा के हाथ में उसकी डोर ..
रितु की रसीली चूत में उँगलियाँ डालते हुए गिरधर के मन में उसे चूसने का भी ख़याल आया ..उसने रितु को खिड़की पर चड़ने के लिए कहा ..वो खिड़की जमीन से तीन फुट के बाद शुरू हो रही थी और ऊपर पांच फुट की ऊँचाई तक जा रही थी ..रितु ने सरियों को पकड़ा और ऊपर चढ़ गयी, और अपना चूत वाला हिस्सा आगे करके खिड़की से सटा दिया ..अब उसकी चूत की फूली हुई गोलाई सरियों के बीचों बीच थी ..जिसपर गिरधर ने जैसे ही अपनी जीभ रखी , रितु ने ऊपर मुंह करके सियार की भाँती एक लम्बी और दूर तक गूंजने वाली सिसकारी मारी ...
''स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्मम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म ''
गिरधर ने अपनी लम्बी और खुरदुरी जीभ बाहर निकाली और रितु की चिकनी चूत को नीचे से लेकर ऊपर तक चाटने लगा ..जैसे कोई दूध वाली कुल्फी हो जिसमे से दूध बह कर नीचे न गिर जाए .
दो चार बार चूसने के बाद गिरधर ने रितु की गांड पर अपने हाथ रखे और उसे और जोर से अपने मुंह की तरफ दबा लिया ..और एक लज्जतदार झटके के साथ अपनी बिना हड्डी वाली जीभ उसकी मक्खन जैसी चूत में उतार दी ..
अब तो उत्तेजना के मारे रितु में मुंह से कुछ निकल ही नहीं रहा था ...बस खुले होंठों से गर्म साँसे और साथ में गीली लार ...जो सीधा उसके पापा के मुंह पर गिर रही थी ..
गिरधर ने रितु की चूत को अपनी जीभ से किसी लंड की तरह चोदना शुरू कर दिया ..रितु ने दोनों हाथों से सरिया पकड़ा हुआ था और अपनी चूत को हर झटके से आगे पीछे कर रही थी ..और अंत में जैसे ही उसे लगा की वो झडने वाली है, उसने अपना एक हाथ नीचे किया और अपने बाप के बाल पकड़ कर अपनी चूत पर जोरों से मारने लगी ..
और बड़बड़ाने लगी ...
''आह्ह्ह्ह्ह्ह ....और तेज .....और अन्दर .....अह्ह्ह ..हां न…। उम्म्म्म .....येस्स ....एस ..पापा .....और अन्दर घुसेड़ो ...अह्ह्ह्ह्ह ....अपनी जीभ से मुझे चोदो .....अह्ह्ह ...ओह पापा ......मेरे प्यारे पापा ..... उम्म्म्म्म्म .......... मजा आ रहा है ...यहाँ और चुसो ....हां न…. यहीं पर ....ओह्ह्ह्ह ...येस्स ...पापा ...उम्म्म्म ...अह्ह्ह्ह .....मैं तो गयी .....अह्ह्ह्ह ....आई एम् कमिंग पापा .....''
और गिरधर के मुंह पर उसने अपनी चूत के रस की पिचकारियाँ निकालनी शुरू कर दी ...और वो भी ऐसे जैसे वो मूत रही हो ...इतना तेज प्रेशर था उसके झड़ने का ..उसने अपना सारा रस तोहफे के रूप में गिरधर को दे दिया .
गिरधर तो धन्य हो गया अपनी बेटी से ऐसा उपहार पाकर ..
रितु भी बोझिल आँखों से नीचे उतरी और आगे झुककर अपने पापा के होंठों को चूम लिया और धीरे से बोली .
''हैप्पी फ़ादर्स डे पापा ''
***********
गतांक से आगे ......................
***********
माधवी की हालत खराब हो रही थी ..आज पहले पंडित और अब गिरधर ने मिलकर उसके अन्दर का अस्थि पिंजर तक हिला डाला था ..वो बोजिल सी आँखे लिए अन्दर चली गयी , उसे बहुत तेज नींद आ रही थी , वो नंगी ही अन्दर गयी और सो गयी ..
गिरधर ने अपनी धोती पहन ली थी और वो ऊपर से ही अपने लंड को मसल कर मजे ले रहा था ..उसका पूरा ध्यान अब रितु पर था .
रितु भी अभी तक गहरी साँसे लेती हुई खिड़की पर ही खड़ी थी ..उसका एक हाथ खिड़की के सरिये पर था और दूसरा अभी तक उसकी चूत पर ..जिसपर लगा हुआ चिपचिपा और नमकीन मक्खन वो अपनी उँगलियों से फेला - २ कर अपनी चूत का मेकअप कर रही थी .
वो जैसे ही अन्दर जाने के लिए मुड़ी, उसके हाथ के ऊपर गिरधर का हाथ आ लगा. गिरधर ने दूसरी तरफ से आकर उसके हाथ के ऊपर अपना हाथ रखकर उसे जकड लिया था .
रितु सकपका सी गयी ...वो अपनी फेली हुई आँखों से बाहर खड़े हुए गिरधर को देखकर हक्लाती हुई बोली : "पप पप पापा ...आप ...छोड़ो मेरा हाथ ...प्लीस ..''
गिरधर ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया था ..और उसके दिमाग में एक योजना भी आ चुकी थी .
गिरधर (गुर्राते हुए ) : "तू यहाँ क्या कर रही है ...''
वो और भी ज्यादा डर गयी .
गिरधर : "तूने देखा न सब ...मुझे और अपनी माँ को ..वो सब करते हुए ..''
रितु : "क क ...क्या ?"
गिरधर : "चुदाई ....भेनचोद ....चुदाई ...जो अभी मैं तेरी माँ की कर रहा था ..''
गिरधर अपने दांत पीस कर बोल रहा था .
चुदाई का नाम सुनते ही उसकी चूत में सुरसुरी सी होने लगी ..उसके सामने एक दम से पंडित जी का चेहरा घूम गया ..
गिरधर : "बोल ...कब से देख रही है ये सब ...पहले भी देखा है न तूने ..बोल जल्दी ..वरना अन्दर आकर तुझे नंगा करके पिटूँगा ..''
उसकी धमकी सुनकर वो डर गयी ..वो जानती थी की गुस्से में आकर उसका बाप वो सब कर भी सकता है ..अभी जिस तरह से गालियाँ देकर वो माधवी से बात कर रहा था अब वही तरीके से वो रितु को धमका रहा था ..
गिरधर जानता था की माधवी के घर में रहते वो रितु की चुदाई नहीं कर सकता ..वर्ना फिर से वही लडाई झगडे ..और गुस्से में आकर उसने उसे घर से निकाल दिया तो हो सकता है वो पुलिस के पास चली जाए और शायद रितु को भी पुलिस की मदद से अपने साथ ले जाए ..
वो इन सब लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता था ..इसलिए माधवी से छुप कर ही उसे रितु पर काबू पाना होगा .
रितु की आँखों में आंसू आने लगे ..पर गिरधर पर उनका कोई प्रभाव नहीं पड़ा .उसके हाथों का दबाव रितु के हाथों पर और तेज हो गया ..और आखिर वो कसमसाकर बोल ही पड़ी : "हा न्न्न… ..... .देख रही थी मैं ...आप दोनों को छुप कर ...और .. एक बार पहले भी देखा था ..''
गिरधर : "क्यों ...तेरी चूत में खुजली हो रही थी क्या ...बोल ...''
वो कुछ ना बोली ..बस अपनी हिरन जैसी आँखों से उसे घूरती रही ..
गिरधर थोडा और करीब आ गया ..दोनों के बीच लोहे की खिड़की थी ..अन्दर घुप्प अँधेरा था जिस वजह से गिरधर शायद अभी तक देख नहीं पाया था की वो अन्दर किस हाल में खड़ी है ..पर जैसे ही वो खिड़की के करीब आया , हलकी रौशनी में उसने रितु के जिस्म को देखा ..वो ऊपर से नंगी थी ..उसकी फ्रोक कमर तक फंसी हुई थी ..जिसे उसने अपने दुसरे हाथ से पकड़ रखा था ..अगर वो भी गिर जाती तो वो पूरी नंगी खड़ी होती उसके सामने ..
गिरधर की गिद्ध जैसी आँखें उसके चुचियों पर लगे मोतियों की चमक को देखकर चुंधिया रही थी ..उसके मुंह से उसकी जीभ निकल कर ऐसे बाहर आ गयी, मानो वो रितु के निप्पलों पर फेरा रहा हो .
गिरधर ने धीमी और दबाव वाली आवाज में रितु से कहा : "इधर आ ...आगे ..''
रितु ने ना में सर हिलाकर मना कर दिया ..
गिरधर : "साली ....आती है के नहीं ...या मैं अन्दर आऊ ..''
रितु और भी डर गयी ...वो भी शायद यही चाहती थी की जैसे पंडित ने उसे मजे दियें हैं वैसे ही उसके पापा भी दें ..पर वो ये सब इतनी जल्दी और ऐसे हालात में करना नहीं चाहती थी . और उसे अपनी माँ का भी डर था ..जो अन्दर सो रही थी ..पर उनके आने का डर तो बना ही हुआ था ..फिर ये सोचकर की खिड़की से वो कर ही क्या लेंगे वो थोडा आगे खिसक आई ..
ऊपर से आ रही चाँद की रौशनी जैसे ही उसके मोतियों पर पड़ी गिरधर तो जैसे पागल ही हो गया ..उसने रितु का हाथ छोड़ दिया और अपने हाथ अन्दर लेजाकर उसके संतरों पर रख कर जोरों से दबा दिया ..
''आअह्ह्ह्ह्ह्ह ..........उम्म्म्म्म्म .....''
उसके मुंह से घुटी हुई सी आवाज निकल गयी ..और आँखें बंद सी होने लगी .
खिड़की के सरियों में सिर्फ चार इंच का फांसला था ..जिसमे हाथ डालकर गिरधर बड़ी मुश्किल से उन्हें दबा रहा था .
गिरधर ने अंगूठे और उसके साथ वाली ऊँगली से उसके दोनों निप्पलस को पकड़ा और अपनी तरफ खींच लिया ..
रितु का बाकी शरीर अपने आप निप्पलस के पीछे -२ सरियों से आ लगा ..
अब गिरधर के हाथ बाहर थे और रितु के दोनों निप्पल और उसके मुम्मों का थोडा हिस्सा सरियों से बाहर ..
गिरधर ने अपनी प्यासी जीभ को बाहर निकाला और उसे सीधा लेजाकर अपनी बेटी के चमचम जैसे निप्पल पर रख दी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....पापा ......उम्म्म्म्म्म्म्म ...........अह्ह्ह्ह ..उफ़ ...''
अब तक रितु अपना आपा खो चुकी थी ..उसने अपने पतले - २ हाथ बाहर निकाले और अपना दूध पी रहे गिरधर के सर के पीछे लगाकर उसे और जोर से अपनी ब्रेस्ट पर दबा दिया ..
''लो ......पापा ......अह्ह्ह्ह्ह .....और चुसो ....जोर से ....चुसो ....मुझे .....अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....आप इतना तडपे हो मेरे लिए ....आज अपनी प्यास मिटा लो ....अह्ह्ह्ह्ह्ह ....उम्म्म्म्म्म्म .....येस्सस्सस्स ...... ओह्ह्ह्ह पापा ......यूऊ .....आर .......बेस्ट ......''
अब वो गंवार क्या समझता की उसकी बेटी अंग्रेजी में उसे क्या कह रही है ...पर हिंदी में जो भी बोली वो,उसे सुनकर उसे भी पता चल गया की वो भी वही चाहती है जो वो खुद चाहता है ...चुदाई.
पर वहां घर में अभी वो पोसिबल नहीं था ..माधवी के होते हुए वो रिस्क नहीं लेना चाहता था .
रितु की फ्रोक भी अब खिसककर नीचे जा चुकी थी ..और अब वो सिर्फ अपनी पेंटी में खड़ी थी खिड़की में ..अपने बाप से अपनी ब्रेस्ट चुसवाती हुई . रितु की दांयी ब्रेस्ट चूसने के बाद गिरधर ने उसकी बांयी तरफ रुख किया ..और थोड़ी देर तक उसे चूसने के बाद उसने उसे भी छोड़ दिया ..और धीरे - 2 अपना चेहरा ऊपर किया ..रितु के हाथों का दबाव अभी भी उसके सर के पीछे था ..रितु ने अपने पापा के चेहरे को ऊपर किया और अपने चेहरे के सामने लाकर अपने होंठ आगे कर दिए और उसे फ्रेंच किस्स कर दी ..
''उम्म्म्म्म्मा .....अह्ह्ह्ह्ह ...पुचस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स sssssssssssss ........अह्ह्ह्ह .....म्मम्मम्म ....ओह्ह्ह पापा .......म्म्मूउन्न्न ..... ''
जगह छोटी थी मगर एक दुसरे के होंठों का स्वाद वो ले पा रहे थे ..
गिरधर तो जैसे पागल ही हो गया ..इतने नर्म और मीठे होंठ उसने आज तक नहीं चूसे थे ..और शायद इसलिए उसकी बुरी नजर हमेशा से रितु ने रसीले होंठों पर रहती थी ..जिनपर अपनी जीभ फेरा - २ कर वो सबसे बातें करती थी ..पर उसे क्या मालुम था की उन्ही गीले होंठों को देखकर कितने ही लोग उसके बारे में गन्दा सोचने लग गए हैं ...जैसे की उसका खुद का बाप भी .
रितु का हाथ खिसकता हुआ नीचे गया , गिरधर की धोती तक ..और उसने उसे खोल दिया . उसने अपनी किस्स तोड़ी और नीचे देखा और जैसे ही उसकी नजर अपने बाप के लंड पर पड़ी वो बावली सी होकर नीचे झुक गयी ..ठीक गिरधर के लंड के सामने , और उसे अपने हाथों से पकड़ लिया ...और उसे मसलने लगी ..आज वो पहली बार अपने पापा के लंड को छु रही थी ..जितना सुन्दर वो दूर से दिख रहा था उससे भी ज्यादा वो पास से दिखाई दे रहा था ..
रितु ने अपनी आदत के अनुसार अपने होंठों पर जीभ फेराई और उन्हें पूरी तरह से अपनी लार से गीला कर लिया ..और गिरधर के लंड को अपनी तरफ खींचकर अपने मुंह तक ले आई ..और उन्हें गीले होंठों की सरहद के पार धकेल दिया ...
अब सिस्कारियां मारने की बारी गिरधर की थी .
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ......म्मम्म ....बेटी .....अह्ह्ह्ह्ह .....रितु ...मेरी जान ...मेरी प्यारी ... बेटी ....अह्ह्ह्ह .... चूस .....अह्ह्ह्ह ...हाँ ऐसे ......ही .....अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....उम्म्म्म ....''
रितु ने एक हाथ से गिरधर का लंड पकड़ा हुआ था और उसे चूस रही थी और दुसरे से वो उसकी बाल्स को रगड़ रही थी ..
रितु को ऐसे चूसते हुए देखकर पहले तो गिरधर थोडा हेरान हुआ की इतना बढ़िया लंड चूसना उसने आखिर सीखा कहाँ से ..पर फिर मजे लेने के लिए वो बात एक ही पल में भूल गया ..
पर वो बेचारा क्या जानता था की पंडित जी की कृपा से वो लंड चूसना तो क्या चुदाई करवाना भी सीख चुकी है .
गिरधर ने अपना पूरा शरीर खिड़की से सटा दिया था ...पर फिर भी बीच में सरिया होने की वजह से वो अपना पूरा बम्बू उसके मुंह में नहीं धकेल पा रहा था ..वो बेचारा तो किसी असहाय कैदी की तरह सलाखें पकड़ कर अपना मुंह ऊपर किये ठंडी सिसकियाँ मार रहा था .
अचानक रितु ने अपना दूसरा हाथ, जिसमे उसने अपने पापा की बाल्स को पकड़ा हुआ था, उसे नीचे से लेजाकर गिरधर की गांड के छेद पर लगा दिया ..और अपनी बीच वाली ऊँगली वहां डाल दी ..
गिरधर, जो अभी तक हवा में उड़ रहा था, गांड में ऊँगली का स्पर्श पाते ही सीधा स्वर्ग में पहुँच गया ...और उसने किसी जाल में फंसे हुए कबूतर की तरह से फड़फडाते हुए अपने लंड से गाड़ा और सफ़ेद रस निकाल कर अपनी बेटी के मुंह में दान कर दिया ..
''अग्ग्ग्घ्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......अह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म .....अह्ह्ह्ह्ह ......गया ....आया ...मैं तो आया ......अह्ह्ह्ह .''
वो सारा रस वो किसी कुशल रंडी की तरह से पी गयी ...कुछ उसके होंठों से छलक कर बाहर भी आया और उसके गले और ब्रेस्ट को छूता हुआ नीचे जा गिरा ..वो तब तक गिरधर के लंड को चूसती रही जब तक खुद गिरधर ने उसे धक्का देकर पीछे नहीं किया ..
उसने हाँफते हुए रितु के चेहरे को देखा ...वो किसी प्यासी चुडेल की तरह दिखाई दे रही थी ...जिसे बहुत प्यास थी ...सेक्स की ...लंड की ...वीर्य की ..
उसके बिखरे हुए बाल, गहरी और लाल आँखे , फड़कते हुए होंठ , उनपर लगा हुआ गाडा रस, देखकर गिरधर के तो जैसे होश उड़ गए ...वो सोचने लगा की लंड चुसाई में ही ये इतनी उत्तेजना के साथ उसका साथ दे रही है तो चुदाई के समय तो उसकी बेटी उसे कच्चा ही खा जायेगी ..
पर अभी तो कच्चा खाने का टाइम उसका था ..और वो भी रितु की चूत को .
उसने रितु को उठने का इशारा किया ..और खुद नीचे झुक गया ..उसकी चूत के सामने ..और अन्दर हाथ डालकर उसने रितु की पेंटी को निकाल दिया ..उसकी कच्छी इतनी गीली थी जैसे अभी पानी से निकाली हो ..उसमे फंसा हुआ रस गिरधर ने अपने लंड पर निचोड़ लिया और अपने लंड को रितु की चूत के रस से नहलाकर मसल दिया ..
रितु की चूत टप -2 कर रही थी ..जिसे रोकना बहुत जरुरी था ..गिरधर ने उसकी डबल रोटी पर हाथ रखा और उसे जोर से भींच दिया ..
वो जोर से चीख ही पड़ी ..''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....पापा .......उम्म्म्म्म ....धीरे .....अह्ह्ह्ह ...''
गिरधर को एक पल के लिए तो लगा की कहीं उसकी आवाज सुनकर माधवी जाग न जाए ..इसलिए उसने रितु की चूत को छोड़ दिया ..और दूसरी तरफ मुंह करके देखने लगा की कहीं माधवी के पैरों की आहट तो नहीं आ रही ..
और इसी बीच रितु जो किसी मछली की तरह से मचल रही थी, उसने अपने पापा का हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर फिर से दबा दिया ..और खुद ही उनके हाथ की बीच वाली ऊँगली को अपनी मानसून में भीगी चूत के अन्दर धकेल दिया ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह ......पापा ...''
आज उसके पापा का कोई अंग पहली बार उसकी चूत में गया था ..वो सोचने लगी की अगर ऊँगली के जाने से इतना मजा आ रहा है तो इनका लंड लेने में कितना मजा आएगा ..
गिरधर का भी अब पूरा ध्यान वापिस अपनी बेटी की सेवा करने पर आ गया ..वो अपनी ऊँगली से उसकी चूत की मालिश करने लगा ..और बीच में आ रही क्लिट को भी मसलने लगा ..
रितु अपना पूरा शरीर हवा में लहरा कर मजा ले रही थी ..जैसे वो कोई पतंग और उसके पापा के हाथ में उसकी डोर ..
रितु की रसीली चूत में उँगलियाँ डालते हुए गिरधर के मन में उसे चूसने का भी ख़याल आया ..उसने रितु को खिड़की पर चड़ने के लिए कहा ..वो खिड़की जमीन से तीन फुट के बाद शुरू हो रही थी और ऊपर पांच फुट की ऊँचाई तक जा रही थी ..रितु ने सरियों को पकड़ा और ऊपर चढ़ गयी, और अपना चूत वाला हिस्सा आगे करके खिड़की से सटा दिया ..अब उसकी चूत की फूली हुई गोलाई सरियों के बीचों बीच थी ..जिसपर गिरधर ने जैसे ही अपनी जीभ रखी , रितु ने ऊपर मुंह करके सियार की भाँती एक लम्बी और दूर तक गूंजने वाली सिसकारी मारी ...
''स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्मम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म ''
गिरधर ने अपनी लम्बी और खुरदुरी जीभ बाहर निकाली और रितु की चिकनी चूत को नीचे से लेकर ऊपर तक चाटने लगा ..जैसे कोई दूध वाली कुल्फी हो जिसमे से दूध बह कर नीचे न गिर जाए .
दो चार बार चूसने के बाद गिरधर ने रितु की गांड पर अपने हाथ रखे और उसे और जोर से अपने मुंह की तरफ दबा लिया ..और एक लज्जतदार झटके के साथ अपनी बिना हड्डी वाली जीभ उसकी मक्खन जैसी चूत में उतार दी ..
अब तो उत्तेजना के मारे रितु में मुंह से कुछ निकल ही नहीं रहा था ...बस खुले होंठों से गर्म साँसे और साथ में गीली लार ...जो सीधा उसके पापा के मुंह पर गिर रही थी ..
गिरधर ने रितु की चूत को अपनी जीभ से किसी लंड की तरह चोदना शुरू कर दिया ..रितु ने दोनों हाथों से सरिया पकड़ा हुआ था और अपनी चूत को हर झटके से आगे पीछे कर रही थी ..और अंत में जैसे ही उसे लगा की वो झडने वाली है, उसने अपना एक हाथ नीचे किया और अपने बाप के बाल पकड़ कर अपनी चूत पर जोरों से मारने लगी ..
और बड़बड़ाने लगी ...
''आह्ह्ह्ह्ह्ह ....और तेज .....और अन्दर .....अह्ह्ह ..हां न…। उम्म्म्म .....येस्स ....एस ..पापा .....और अन्दर घुसेड़ो ...अह्ह्ह्ह्ह ....अपनी जीभ से मुझे चोदो .....अह्ह्ह ...ओह पापा ......मेरे प्यारे पापा ..... उम्म्म्म्म्म .......... मजा आ रहा है ...यहाँ और चुसो ....हां न…. यहीं पर ....ओह्ह्ह्ह ...येस्स ...पापा ...उम्म्म्म ...अह्ह्ह्ह .....मैं तो गयी .....अह्ह्ह्ह ....आई एम् कमिंग पापा .....''
और गिरधर के मुंह पर उसने अपनी चूत के रस की पिचकारियाँ निकालनी शुरू कर दी ...और वो भी ऐसे जैसे वो मूत रही हो ...इतना तेज प्रेशर था उसके झड़ने का ..उसने अपना सारा रस तोहफे के रूप में गिरधर को दे दिया .
गिरधर तो धन्य हो गया अपनी बेटी से ऐसा उपहार पाकर ..
रितु भी बोझिल आँखों से नीचे उतरी और आगे झुककर अपने पापा के होंठों को चूम लिया और धीरे से बोली .
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Re: पंडित & शीला
पंडित & शीला पार्ट--30
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गतांक से आगे ......................
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अगले दिन सुबह पंडित जी अपने सारे काम निपटा कर फिर से नूरी के घर की तरफ चल दिए .. उन्होंने वादा किया था नूरी से की उसके वापिस जाने से पहले वो रोज उसकी चुदाई करेंगे ..नूरी ने सुबह ही उन्हें फ़ोन करके बता दिया था की उसके अब्बा इरफ़ान आज सुबह किसी काम से बाहर जा रहे हैं और बारह बजे तक ही वापिस आयेंगे ..
पंडित जी वैसे भी पूरी रात नहीं सो पाए थे ..शीला जो थी उनके पहलु में और वो भी पूरी नंगी ..माधवी और गिरधर के जाने के बाद उन्होंने दो बार और चुदाई की थी ..पर नूरी को चोदने का लालच उन्हें दोबारा सोने भी नहीं दे रहा था इसलिए फ्री होते ही वो उसके घर की तरफ लगभग भागते हुए नजर आये .
वहां पहुंचकर देखा की नूरी तो अपने बाप की दूकान पर बैठी है और ग्राहकों को सामान दे रही है ..वैसे ठीक भी था , अब रोज- २ कोई दुकानदार अपनी दूकान बंद भी नहीं कर सकता , उसके ग्राहक टूट जाते हैं , इसलिए शायद इरफ़ान ने नूरी को दूकान पर बिठा दिया था और खुद अपना काम निपटाने के लिए बाहर चला गया था .
पंडित जी को देखते ही नूरी का चेहरा खिल उठा ..वहां उस वक़्त 4 लोग और भी खड़े थे ..इसलिए अपनी ख़ुशी वो खुल कर प्रकट नहीं कर पा रही थी ..
नूरी : "आइये पंडित जी ..प्रणाम ..कहिये क्या लेंगे ..''
पंडित : "च ....चावल ....''
नूरी मुस्कुरायी और :बोली "थोडा रुकिए ...अभी देती हु .."
और इतना कहकर दुसरे ग्राहकों को निपटाने लगी ..
पंडित जी उसे गोर से देख रहे थे ..उसने एक लम्बी सी टी शर्ट और लोअर पहना हुआ था ..पड़ी ही मस्त लग रही थी वो उस ड्रेस में ..
थोड़ी ही देर में वो फ्री हो गयी तो पंडित जी ने कहा : "तुम जब दूकान संभाल रही हो तो मुझे बुलाने की क्या जरुरत थी ...''
नूरी : "आप क्यों नाराज हो रहे हैं पंडित जी ..आप जल्दी से अन्दर आइये ..''
इतना कहकर उसने काउंटर के साईड का फट्टा ऊपर उठाया और अन्दर जाने का रास्ता खोल दिया ..पंडित जी बेचारे कुछ सोचने लगे फिर नूरी के चेहरे को देखकर अपना मन पक्का किया और अन्दर आ गए नूरी ने वो रास्ता फिर से बंद कर दिया ..
नूरी ने उनका हाथ पकड़ा और अन्दर की तरफ ले गयी, दूकान के पीछे की तरफ एक और कमरा था, जिसे इरफ़ान ने गोडाउन बना रखा था , चावल, दाल , आटे की बोरियां रखी थी वहां ..
अन्दर जाते ही नूरी पंडित जी से लिपट गयी ..और उन्हें चूमने लगी ..
पंडित जी ने बड़ी मुश्किल से अपने आप को उससे छुड़ाया : "यहाँ सही नहीं होगा ...कोई बाहर आ गया तो मुश्किल हो जायेगी ..''
पर नूरी नहीं मानी .. वो उन्हें चूमती रही ..आखिरकार लंड वाला कब तक अपने आप को संभाले ..पंडित जी ने भी विरोध करना छोड़ दिया और टी शर्ट के ऊपर से ही उसके खरबूजों को दबाने लगे ..
नूरी का दांया हाथ सीधा पंडित जी के खड़े हुए लंड पर गया और उसने एक झटके में अन्दर हाथ डालकर उसे पकड़ लिया ..
''अह्ह्ह्ह्ह ......नूरी .....''
समय कम था इसलिए वो सब जल्दी - 2 कर रही थी ..उसने नीचे बैठ कर पंडित जी के लंड का एक चुप्पा लिया ही था की बाहर से आवाज आई : "इरफ़ान भाई ...ओ इरफ़ान भाई ..कहाँ हो .."
बाहर कोई ग्राहक आया था ..नूरी जल्दी से उठी, अपना चेहरा ठीक किया और पंडित जी को चुप रहने का इशारा करके बाहर निकल गयी ..
पंडित जी भी सोचने लगे की वो भी ना जाने किस मुसीबत में फंस गए हैं ..उन्हें अन्दर आना ही नहीं चाहिए था ..
नूरी के बाहर जाते ही ग्राहक खुश होते हुए बोला : "अरे वाह ...आज तो नूरी खुद सामान देगी अपने हाथों से ..''
वो शायद उसे जानता था ..
नूरी : "आप सामान बताइए सुलेमान भाई ..मखन मत लगाइए ..''
सुलेमान : "मक्खन तो तुझपर लगा हुआ है ..बातें सुनकर भी फिसली चली जाती है ..''
कुछ देर रूककर वो बोला : "अच्छा , मुझे दस किलो चावल देना ''
अगले ही पल नूरी वापिस अन्दर आ गयी ..उसके हाथ में एक बड़ी सी पोलिथिन थी ..पंडित जी जल्दी से चावल वाली बोरी में से दस किलो चावल निकाल कर उसके अन्दर डाल दिए ..नूरी जाने लगी तो कुछ सोचकर वो पलटी और पंडित जी का हाथ पकड़ कर सीधा अपने लोअर के अन्दर डाल दिया ..उसने अन्दर पेंटी नहीं पहनी थी और उसकी चूत बिलकुल चिकनी थी ..उसकी सोंधी सी महक पंडित जी को बाहर तक आ रही थी ..उसकी तपिश से उनके लंड का पारा ऊपर चढ़ गया और उसने उसे जोर से दबा दिया ..
और फिर उनका हाथ बाहर निकलवाकर वो बाहर चल दी ..
सुलेमान : "अरे नूरी ...तू तो हांफ रही है ..मुझे बोल दिया होता मैं अन्दर आ जाता चावल उठाने ..''
पर शायद नूरी उसे ज्यादा मुंह नहीं लगाना चाहती थी ..उसने जल्दी से पैसे लिए और उसे चलता किया ..
उसके जाते ही वो भागकर वापिस अन्दर आई ..और पंडित जी से लिपट गयी ...
पंडित जी ने आनन् फानन में उसका लोअर नीचे किया ..और अपनी धोती भी खोल कर नीचे गिरा दी ..नूरी ने उनका कच्छा भी खोल दिया ..पंडित जी भी जान गए थे की उन दोनों के पास ज्यादा समय नहीं है ..उन्होंने चावल की बोरियों के ऊपर नूरी को पीठ के बल लिटाया और धप्प से एक ही झटके में उसकी चूत के अन्दर अपना पहलवान उतार दिया ..
दोनों ने अभी तक अपने पुरे कपडे नहीं उतारे थे ..पर उत्तेजना इतनी थी दोनों में की उसके बिना भी उन्हें आज तक का सबसे ज्यादा मजा आ रहा था ..
पंडित जी ने उसकी टी शर्ट ऊपर की और झुक कर उसके अंगूर अपने मुंह में भर लिये .
नूरी ने पंडित जी के सर को पकड़ कर अपनी छाती पर रगड़ सा दिया
''अह्ह्ह्ह्ह .....पंडित जी .....चोदो ....अपनी रांड को .....अह्ह्ह्ह .....चूस .....और जोर से चूस ....अन्न्न्न ......''
पंडित जी के लंड का इंजन बड़ी तेजी से उसकी चूत की पटरी पर दौड़ रहा था ..पंडित जी का हर झटका नूरी को चावल की बोरी के और अन्दर धकेल रहा था ..
पर वो अभी और आगे चल पायें तभी बाहर से इरफ़ान की आवाज आ गयी : "अरे नूरी ...कहाँ चली गयी ..दूकान खुली छोड़ के ..''
नूरी ने जल्दी से पंडित जी को पीछे किया, अपना लोअर ऊपर किया और अपना हुलिया ठीक करके बाहर भागी ..
पंडित जी की तो जान ही निकल गयी, वो समझ गए की आज तो वो गए काम से .
बाहर जाते ही नूरी बोली : "अरे अब्बा ....मैं तो अन्दर की सफाई कर रही थी ..कोने में कितनी गंदगी है ..एक बोरी भी फटी हुई है, उसमे से चावल गिर रहे हैं ..बस वही समेट रही थी .."
इरफ़ान : "अरे बेटा ...वो तो सब चलता रहता है ..कभी समय ही नहीं मिलता मुझे अन्दर की सफाई करने का ..तू कर रही है तो अच्छा है ..पर ऐसे गल्ला खुला छोड़कर अन्दर मत जाया कर ..ग्राहक वापिस चले जाते हैं ..चल अब तू ऊपर चली जा और खाना बनाकर रख ..मैं आ गया हु अब तो ''
उसकी बातें अन्दर छुपा हुआ पंडित सुन रहा था ..वो सोचने लगा की अगर नूरी ऊपर चली गयी तो इरफ़ान कभी भी अन्दर आकर उसे पकड़ लेगा ..
नूरी : "चली जाती हु ..पर अभी अन्दर वाला काम तो निपटा लू ..''
इतना कहकर वो वापिस अन्दर आ गयी ..पंडित का चेहरा और लंड दोनों लटके हुए थे ..पर नूरी के मन में कुछ और ही चल रहा था ..उसने अन्दर आते ही पंडित के लंड को अपने मुंह में ठूसा और उसे फिर से जगाने के काम में लग गयी ..
बाहर उसका बाप बैठा था, उसके बावजूद वो पंडित के साथ वही सब करने में लगी थी, कितनी हिम्मत थी इस लड़की में ..
पंडित का लंड जल्द ही फिर से जोश में आ गया ..नूरी फिर से नीचे से नंगी हुई और अब चावल की बोरी पर लेटने की बारी पंडित जी की थी ...वो उछल कर पंडित जी के ऊपर चढ़ गयी और उनके लंड महाराज को अपने अन्दर लेकर उनके ऊपर उछलने लगी ...
और इस बार वो रुकी नहीं ...तब तक उछलती रही जब तक उसकी चूत से बारिश की बूंदे निकलकर बाहर छिटकने नहीं लग गयी ..
'' आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म .......ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह येस्सस्सस्स .........''
उसने पंडित जी के लंड को अपनी चूत में पकड़कर बुरी तरह से निचोड़ डाला ...
पंडित भी जल्दी से उठा ...वो जानता था की रोज की तरह उसके पास ज्यादा समय नहीं है ...बाद में चाहे वो पकड़ा जाए या बच जाए, पर अभी उसे नूरी की चूत मारकर अपने लंड का गुस्सा भी शांत करना था ..
उसने नूरी को अपनी जगह पर लिटाया और पेल दिया वापिस अपना मूसल उसके अन्दर ..
''अझ्ह्ह्ह्ह्ह .......धीरे .....पंडित जी ......उम्म्म्म ....''
पंडित जी के धक्के लगने लगे उसके अन्दर ...
तभी फिर से बाहर से इरफ़ान की आवाज आई
"नूरी ....अन्दर से दो किलो चावल लेकर आ ''
शायद कोई ग्राहक आया था ..
पर अब नूरी के पास समय नहीं था ....वो चुद रही थी ..और ना ही पंडित उसे छोड़ना चाहता था ..
वो उसे चोदता रहा ...और पांच मिनट तक धक्के देने के बाद उसने अपना सारा रस निकाल कर उसके अन्दर डाल दिया ..
नूरी जल्दी से उठी ..कपडे पहने और चावल लेकर बाहर चल दी .
इरफ़ान : "इतनी देर लगा दी ...''
और ग्राहक को दे दिए ..और उसके जाने के बाद वो बोला : "मुझे तो भूख लगी है बहुत ..तू जाकर खाना बना, मैं आता हु .."
नूरी : "खाना तो बना पड़ा है ...आप जाकर खा आओ ..फिर मैं चली जाउंगी .."
इरफ़ान : "पहले तो नहीं बोली तू की खाना बना पड़ा है ..चल ठीक है ..मैं जाता हु .."
और वो ऊपर चला गया ...उसके जाते ही नूरी अन्दर आई, पंडित जी तब तक तैयार हो चुके थे ..
नूरी ने जल्दी से उन्हें बाहर निकाला और अगली बार जल्दी ही मिलने का वादा करके वो बाहर निकल गए ..
पंडित जी रास्ते में ही थे तो उन्हें नूरी का फ़ोन फिर से आया .
नूरी : "पंडित जी ...कहाँ तक पहुंचे ..''
पंडित : "अभी तो रास्ते में ही हु ..मंदिर ही जा रहा हु ..पर तुमने तो आज मरवाने के पुरे इंतजाम कर लिए थे ..''
नूरी : "ही ही ...आप कब से डरने लग गए पंडित जी ..आपके पास तो हर मुसीबत का हल होता है ..आप तो अंतर्यामी है ..फिर आप क्यों डर रहे थे .. उस दिन पार्क में जब आपने मेरी चुदाई की थी तब भी आप इतना नहीं डरे थे, जितना आज डर गए ..''
पंडित : "उस दिन की बात और थी ..पर आज इरफ़ान भाई बैठे थे बाहर ..जब तुम दोबारा आकर मेरे ऊपर चढ़ गयी थी ..तुम्हे अपने अब्बा का भी डर नहीं लगा ये सब करते हुए ..''
वो कुछ देर तक चुप रही ..और फिर धीरे से बोली : "आपको तो पता है पंडित जी ..मेरे मन में अपने अब्बा को लेकर कैसे विचार थे ..वो तो मुझे आपने समझा दिया और आपकी कृपा से मेरी चूत की प्यास बुझने लगी ..वर्ना मैंने तो पूरा मन बना लिया था की मैं अब्बा को किसी भी तरह से अपने जाल में फंसा कर रहूंगी ..उसके बाद चाहे मैं पूरी जिन्दगी उनकी रखेल बनकर ही क्यों न रहू घर पर ...लेकिन आपसे चुदाई करवाकर मुझे एक अलग ही तरह का मजा आया ..और मैं अपने अब्बा के बारे में सब कुछ भूल सी गयी ...पर आज जब हम वो सब कर रहे थे और अब्बा आ गए तो मेरे मन में एक अजीब सा ख्याल आया ...वो दूकान में बैठे थे और अन्दर मैं आपके लंड को अपनी चूत में ले रही थी ..पता है क्या सोचकर ..की वो लंड आपका नहीं , अब्बा का है ..''
पंडित उसकी बातें सुनकर हक्का बक्का रह गया ..
नूरी ने आगे कहा : "और जब मुझे ये एहसास हुआ की अब्बा मुझे चोद रहे हैं तो मुझे एक अजीब से नशे का एहसास हुआ, ऐसा नशा जिसमे डूबकर मैं पूरी जिन्दगी उभरना नहीं चाहती ..जरा सोचिये पंडित जी , अपने अब्बा के बारे में सोचकर ही मेरी ऐसी हालत थी की मैंने उनसे डरे बिना आपसे चुदवा लिया , जरा सोचिये, अगर वो सब मेरे साथ करेंगे तो मेरा क्या हाल होगा ...''
नूरी की साँसे तेज हो गयी ये सब बोलते हुए, शायद वो अपने अब्बा के बारे में सोचकर उत्तेजना फील कर रही थी .
पंडित अभी तक वेट कर रहा था उस बात का जिसके लिए नूरी ने फोन किया था ..
आखिरकार नूरी बोल ही पड़ी : "पंडित जी ...आपने मेरे लिए इतना किया है ...प्लीस पंडित जी ..आप ही कुछ रास्ता निकालिए ..मुझे किसी भी तरह से चुदवाना है अपने अब्बा से ...नहीं तो मैं पागल हो जाउंगी ..मैं अपने कपडे फाड़कर उनके सामने पहुँच जाउंगी ...फिर चाहे कुछ भी हो, मुझे नहीं पता ..''
पंडित समझ गया की वो अपने अब्बा के लंड को निगलने के लिए अब कुछ भी कर सकती है ..
पंडित : "पर तुमने तो कहा था की प्रेग्नेंट होने तक तुम मेरे अलावा कुछ और नहीं सोचोगी ..''
पंडित ने आखिरी कोशिश की ..
नूरी (शर्माते हुए) : "वो तो मैं हो चुकी हु पंडित जी ...आपकी कृपा से मेरे पेट में आपका बच्चा पहुँच चूका है ..मैंने कल ही चेक किया था प्रेगाकिट्ट से ..और ये बात मैं आपको आज बताना भी चाहती थी ..पर अब्बा के आ जाने से सब गड़बड़ हो गया ...''
पंडित उसकी बात सुनकर बहुत खुश हुआ ..उसे अपने ऊपर गर्व सा हुआ ..अपने लंड को धीरे से मसलकर उसने उसकी पीठ थपथपाई ..
पंडित : "अरे वाह ...ये तो बहुत अच्छा हुआ ..अब तुम जल्दी से घर जाने कि तय्यारी करो ..''
नूरी : "वो तो मुझे जाना ही है ..पर उससे पहले मुझे अब्बा से चुदवाना भी है ..इसलिए मैंने अभी फ़ोन किया है ..आप जल्दी से इसके बारे में कुछ सोचिये और मुझे बताइए ..''
इतना कहकर उसने फोन रख दिया .
पंडित सोचने लगे की किस तरह से वो नूरी और इरफ़ान की चुदाई करवाए .
ये सोचते हुए वो मंदिर पहुँच गए, दोपहर का समय था इसलिए मंदिर में कोई नहीं था ..वो सीधा अपने कमरे में चले गए ..
वहां पहुंचकर देखा की गिरधर उनका इन्तजार कर रहा है ..
पंडित जी : "अरे गिरधर ...तुम इस वक़्त यहाँ क्या कर रहे हो ..''
दरअसल वो समय रितु के आने का भी था ..इसलिए पंडित जी घबरा रहे थे की कहीं गिरधर को उनके बारे में पता न चल जाए ..
गिरधर : "प्रणाम पंडित जी ...बात ही कुछ ऐसी थी की मैं रात का इन्तजार ही नहीं कर सकता था ..''
पंडित : "बोलो ..ऐसी क्या बात है .."
गिरधर ने बताना शुरू किया ..की कल रात को उनके घर से निकलने के बाद कैसे घर जाते हुए उसने अपनी पत्नी को गालियाँ निकाली और उसको रंडी की तरह किसी और से चुदवा भी डाला ..
रंडी की तरह चुदवाने की बात सुनकर पंडित भी हेरान रह गया ..उसे गिरधर की मानसिकता का अंदाजा भी नहीं था की वो अपनी खुद की पत्नी के साथ ऐसा भी कर सकता है ..
***********
गतांक से आगे ......................
***********
अगले दिन सुबह पंडित जी अपने सारे काम निपटा कर फिर से नूरी के घर की तरफ चल दिए .. उन्होंने वादा किया था नूरी से की उसके वापिस जाने से पहले वो रोज उसकी चुदाई करेंगे ..नूरी ने सुबह ही उन्हें फ़ोन करके बता दिया था की उसके अब्बा इरफ़ान आज सुबह किसी काम से बाहर जा रहे हैं और बारह बजे तक ही वापिस आयेंगे ..
पंडित जी वैसे भी पूरी रात नहीं सो पाए थे ..शीला जो थी उनके पहलु में और वो भी पूरी नंगी ..माधवी और गिरधर के जाने के बाद उन्होंने दो बार और चुदाई की थी ..पर नूरी को चोदने का लालच उन्हें दोबारा सोने भी नहीं दे रहा था इसलिए फ्री होते ही वो उसके घर की तरफ लगभग भागते हुए नजर आये .
वहां पहुंचकर देखा की नूरी तो अपने बाप की दूकान पर बैठी है और ग्राहकों को सामान दे रही है ..वैसे ठीक भी था , अब रोज- २ कोई दुकानदार अपनी दूकान बंद भी नहीं कर सकता , उसके ग्राहक टूट जाते हैं , इसलिए शायद इरफ़ान ने नूरी को दूकान पर बिठा दिया था और खुद अपना काम निपटाने के लिए बाहर चला गया था .
पंडित जी को देखते ही नूरी का चेहरा खिल उठा ..वहां उस वक़्त 4 लोग और भी खड़े थे ..इसलिए अपनी ख़ुशी वो खुल कर प्रकट नहीं कर पा रही थी ..
नूरी : "आइये पंडित जी ..प्रणाम ..कहिये क्या लेंगे ..''
पंडित : "च ....चावल ....''
नूरी मुस्कुरायी और :बोली "थोडा रुकिए ...अभी देती हु .."
और इतना कहकर दुसरे ग्राहकों को निपटाने लगी ..
पंडित जी उसे गोर से देख रहे थे ..उसने एक लम्बी सी टी शर्ट और लोअर पहना हुआ था ..पड़ी ही मस्त लग रही थी वो उस ड्रेस में ..
थोड़ी ही देर में वो फ्री हो गयी तो पंडित जी ने कहा : "तुम जब दूकान संभाल रही हो तो मुझे बुलाने की क्या जरुरत थी ...''
नूरी : "आप क्यों नाराज हो रहे हैं पंडित जी ..आप जल्दी से अन्दर आइये ..''
इतना कहकर उसने काउंटर के साईड का फट्टा ऊपर उठाया और अन्दर जाने का रास्ता खोल दिया ..पंडित जी बेचारे कुछ सोचने लगे फिर नूरी के चेहरे को देखकर अपना मन पक्का किया और अन्दर आ गए नूरी ने वो रास्ता फिर से बंद कर दिया ..
नूरी ने उनका हाथ पकड़ा और अन्दर की तरफ ले गयी, दूकान के पीछे की तरफ एक और कमरा था, जिसे इरफ़ान ने गोडाउन बना रखा था , चावल, दाल , आटे की बोरियां रखी थी वहां ..
अन्दर जाते ही नूरी पंडित जी से लिपट गयी ..और उन्हें चूमने लगी ..
पंडित जी ने बड़ी मुश्किल से अपने आप को उससे छुड़ाया : "यहाँ सही नहीं होगा ...कोई बाहर आ गया तो मुश्किल हो जायेगी ..''
पर नूरी नहीं मानी .. वो उन्हें चूमती रही ..आखिरकार लंड वाला कब तक अपने आप को संभाले ..पंडित जी ने भी विरोध करना छोड़ दिया और टी शर्ट के ऊपर से ही उसके खरबूजों को दबाने लगे ..
नूरी का दांया हाथ सीधा पंडित जी के खड़े हुए लंड पर गया और उसने एक झटके में अन्दर हाथ डालकर उसे पकड़ लिया ..
''अह्ह्ह्ह्ह ......नूरी .....''
समय कम था इसलिए वो सब जल्दी - 2 कर रही थी ..उसने नीचे बैठ कर पंडित जी के लंड का एक चुप्पा लिया ही था की बाहर से आवाज आई : "इरफ़ान भाई ...ओ इरफ़ान भाई ..कहाँ हो .."
बाहर कोई ग्राहक आया था ..नूरी जल्दी से उठी, अपना चेहरा ठीक किया और पंडित जी को चुप रहने का इशारा करके बाहर निकल गयी ..
पंडित जी भी सोचने लगे की वो भी ना जाने किस मुसीबत में फंस गए हैं ..उन्हें अन्दर आना ही नहीं चाहिए था ..
नूरी के बाहर जाते ही ग्राहक खुश होते हुए बोला : "अरे वाह ...आज तो नूरी खुद सामान देगी अपने हाथों से ..''
वो शायद उसे जानता था ..
नूरी : "आप सामान बताइए सुलेमान भाई ..मखन मत लगाइए ..''
सुलेमान : "मक्खन तो तुझपर लगा हुआ है ..बातें सुनकर भी फिसली चली जाती है ..''
कुछ देर रूककर वो बोला : "अच्छा , मुझे दस किलो चावल देना ''
अगले ही पल नूरी वापिस अन्दर आ गयी ..उसके हाथ में एक बड़ी सी पोलिथिन थी ..पंडित जी जल्दी से चावल वाली बोरी में से दस किलो चावल निकाल कर उसके अन्दर डाल दिए ..नूरी जाने लगी तो कुछ सोचकर वो पलटी और पंडित जी का हाथ पकड़ कर सीधा अपने लोअर के अन्दर डाल दिया ..उसने अन्दर पेंटी नहीं पहनी थी और उसकी चूत बिलकुल चिकनी थी ..उसकी सोंधी सी महक पंडित जी को बाहर तक आ रही थी ..उसकी तपिश से उनके लंड का पारा ऊपर चढ़ गया और उसने उसे जोर से दबा दिया ..
और फिर उनका हाथ बाहर निकलवाकर वो बाहर चल दी ..
सुलेमान : "अरे नूरी ...तू तो हांफ रही है ..मुझे बोल दिया होता मैं अन्दर आ जाता चावल उठाने ..''
पर शायद नूरी उसे ज्यादा मुंह नहीं लगाना चाहती थी ..उसने जल्दी से पैसे लिए और उसे चलता किया ..
उसके जाते ही वो भागकर वापिस अन्दर आई ..और पंडित जी से लिपट गयी ...
पंडित जी ने आनन् फानन में उसका लोअर नीचे किया ..और अपनी धोती भी खोल कर नीचे गिरा दी ..नूरी ने उनका कच्छा भी खोल दिया ..पंडित जी भी जान गए थे की उन दोनों के पास ज्यादा समय नहीं है ..उन्होंने चावल की बोरियों के ऊपर नूरी को पीठ के बल लिटाया और धप्प से एक ही झटके में उसकी चूत के अन्दर अपना पहलवान उतार दिया ..
दोनों ने अभी तक अपने पुरे कपडे नहीं उतारे थे ..पर उत्तेजना इतनी थी दोनों में की उसके बिना भी उन्हें आज तक का सबसे ज्यादा मजा आ रहा था ..
पंडित जी ने उसकी टी शर्ट ऊपर की और झुक कर उसके अंगूर अपने मुंह में भर लिये .
नूरी ने पंडित जी के सर को पकड़ कर अपनी छाती पर रगड़ सा दिया
''अह्ह्ह्ह्ह .....पंडित जी .....चोदो ....अपनी रांड को .....अह्ह्ह्ह .....चूस .....और जोर से चूस ....अन्न्न्न ......''
पंडित जी के लंड का इंजन बड़ी तेजी से उसकी चूत की पटरी पर दौड़ रहा था ..पंडित जी का हर झटका नूरी को चावल की बोरी के और अन्दर धकेल रहा था ..
पर वो अभी और आगे चल पायें तभी बाहर से इरफ़ान की आवाज आ गयी : "अरे नूरी ...कहाँ चली गयी ..दूकान खुली छोड़ के ..''
नूरी ने जल्दी से पंडित जी को पीछे किया, अपना लोअर ऊपर किया और अपना हुलिया ठीक करके बाहर भागी ..
पंडित जी की तो जान ही निकल गयी, वो समझ गए की आज तो वो गए काम से .
बाहर जाते ही नूरी बोली : "अरे अब्बा ....मैं तो अन्दर की सफाई कर रही थी ..कोने में कितनी गंदगी है ..एक बोरी भी फटी हुई है, उसमे से चावल गिर रहे हैं ..बस वही समेट रही थी .."
इरफ़ान : "अरे बेटा ...वो तो सब चलता रहता है ..कभी समय ही नहीं मिलता मुझे अन्दर की सफाई करने का ..तू कर रही है तो अच्छा है ..पर ऐसे गल्ला खुला छोड़कर अन्दर मत जाया कर ..ग्राहक वापिस चले जाते हैं ..चल अब तू ऊपर चली जा और खाना बनाकर रख ..मैं आ गया हु अब तो ''
उसकी बातें अन्दर छुपा हुआ पंडित सुन रहा था ..वो सोचने लगा की अगर नूरी ऊपर चली गयी तो इरफ़ान कभी भी अन्दर आकर उसे पकड़ लेगा ..
नूरी : "चली जाती हु ..पर अभी अन्दर वाला काम तो निपटा लू ..''
इतना कहकर वो वापिस अन्दर आ गयी ..पंडित का चेहरा और लंड दोनों लटके हुए थे ..पर नूरी के मन में कुछ और ही चल रहा था ..उसने अन्दर आते ही पंडित के लंड को अपने मुंह में ठूसा और उसे फिर से जगाने के काम में लग गयी ..
बाहर उसका बाप बैठा था, उसके बावजूद वो पंडित के साथ वही सब करने में लगी थी, कितनी हिम्मत थी इस लड़की में ..
पंडित का लंड जल्द ही फिर से जोश में आ गया ..नूरी फिर से नीचे से नंगी हुई और अब चावल की बोरी पर लेटने की बारी पंडित जी की थी ...वो उछल कर पंडित जी के ऊपर चढ़ गयी और उनके लंड महाराज को अपने अन्दर लेकर उनके ऊपर उछलने लगी ...
और इस बार वो रुकी नहीं ...तब तक उछलती रही जब तक उसकी चूत से बारिश की बूंदे निकलकर बाहर छिटकने नहीं लग गयी ..
'' आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म .......ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह येस्सस्सस्स .........''
उसने पंडित जी के लंड को अपनी चूत में पकड़कर बुरी तरह से निचोड़ डाला ...
पंडित भी जल्दी से उठा ...वो जानता था की रोज की तरह उसके पास ज्यादा समय नहीं है ...बाद में चाहे वो पकड़ा जाए या बच जाए, पर अभी उसे नूरी की चूत मारकर अपने लंड का गुस्सा भी शांत करना था ..
उसने नूरी को अपनी जगह पर लिटाया और पेल दिया वापिस अपना मूसल उसके अन्दर ..
''अझ्ह्ह्ह्ह्ह .......धीरे .....पंडित जी ......उम्म्म्म ....''
पंडित जी के धक्के लगने लगे उसके अन्दर ...
तभी फिर से बाहर से इरफ़ान की आवाज आई
"नूरी ....अन्दर से दो किलो चावल लेकर आ ''
शायद कोई ग्राहक आया था ..
पर अब नूरी के पास समय नहीं था ....वो चुद रही थी ..और ना ही पंडित उसे छोड़ना चाहता था ..
वो उसे चोदता रहा ...और पांच मिनट तक धक्के देने के बाद उसने अपना सारा रस निकाल कर उसके अन्दर डाल दिया ..
नूरी जल्दी से उठी ..कपडे पहने और चावल लेकर बाहर चल दी .
इरफ़ान : "इतनी देर लगा दी ...''
और ग्राहक को दे दिए ..और उसके जाने के बाद वो बोला : "मुझे तो भूख लगी है बहुत ..तू जाकर खाना बना, मैं आता हु .."
नूरी : "खाना तो बना पड़ा है ...आप जाकर खा आओ ..फिर मैं चली जाउंगी .."
इरफ़ान : "पहले तो नहीं बोली तू की खाना बना पड़ा है ..चल ठीक है ..मैं जाता हु .."
और वो ऊपर चला गया ...उसके जाते ही नूरी अन्दर आई, पंडित जी तब तक तैयार हो चुके थे ..
नूरी ने जल्दी से उन्हें बाहर निकाला और अगली बार जल्दी ही मिलने का वादा करके वो बाहर निकल गए ..
पंडित जी रास्ते में ही थे तो उन्हें नूरी का फ़ोन फिर से आया .
नूरी : "पंडित जी ...कहाँ तक पहुंचे ..''
पंडित : "अभी तो रास्ते में ही हु ..मंदिर ही जा रहा हु ..पर तुमने तो आज मरवाने के पुरे इंतजाम कर लिए थे ..''
नूरी : "ही ही ...आप कब से डरने लग गए पंडित जी ..आपके पास तो हर मुसीबत का हल होता है ..आप तो अंतर्यामी है ..फिर आप क्यों डर रहे थे .. उस दिन पार्क में जब आपने मेरी चुदाई की थी तब भी आप इतना नहीं डरे थे, जितना आज डर गए ..''
पंडित : "उस दिन की बात और थी ..पर आज इरफ़ान भाई बैठे थे बाहर ..जब तुम दोबारा आकर मेरे ऊपर चढ़ गयी थी ..तुम्हे अपने अब्बा का भी डर नहीं लगा ये सब करते हुए ..''
वो कुछ देर तक चुप रही ..और फिर धीरे से बोली : "आपको तो पता है पंडित जी ..मेरे मन में अपने अब्बा को लेकर कैसे विचार थे ..वो तो मुझे आपने समझा दिया और आपकी कृपा से मेरी चूत की प्यास बुझने लगी ..वर्ना मैंने तो पूरा मन बना लिया था की मैं अब्बा को किसी भी तरह से अपने जाल में फंसा कर रहूंगी ..उसके बाद चाहे मैं पूरी जिन्दगी उनकी रखेल बनकर ही क्यों न रहू घर पर ...लेकिन आपसे चुदाई करवाकर मुझे एक अलग ही तरह का मजा आया ..और मैं अपने अब्बा के बारे में सब कुछ भूल सी गयी ...पर आज जब हम वो सब कर रहे थे और अब्बा आ गए तो मेरे मन में एक अजीब सा ख्याल आया ...वो दूकान में बैठे थे और अन्दर मैं आपके लंड को अपनी चूत में ले रही थी ..पता है क्या सोचकर ..की वो लंड आपका नहीं , अब्बा का है ..''
पंडित उसकी बातें सुनकर हक्का बक्का रह गया ..
नूरी ने आगे कहा : "और जब मुझे ये एहसास हुआ की अब्बा मुझे चोद रहे हैं तो मुझे एक अजीब से नशे का एहसास हुआ, ऐसा नशा जिसमे डूबकर मैं पूरी जिन्दगी उभरना नहीं चाहती ..जरा सोचिये पंडित जी , अपने अब्बा के बारे में सोचकर ही मेरी ऐसी हालत थी की मैंने उनसे डरे बिना आपसे चुदवा लिया , जरा सोचिये, अगर वो सब मेरे साथ करेंगे तो मेरा क्या हाल होगा ...''
नूरी की साँसे तेज हो गयी ये सब बोलते हुए, शायद वो अपने अब्बा के बारे में सोचकर उत्तेजना फील कर रही थी .
पंडित अभी तक वेट कर रहा था उस बात का जिसके लिए नूरी ने फोन किया था ..
आखिरकार नूरी बोल ही पड़ी : "पंडित जी ...आपने मेरे लिए इतना किया है ...प्लीस पंडित जी ..आप ही कुछ रास्ता निकालिए ..मुझे किसी भी तरह से चुदवाना है अपने अब्बा से ...नहीं तो मैं पागल हो जाउंगी ..मैं अपने कपडे फाड़कर उनके सामने पहुँच जाउंगी ...फिर चाहे कुछ भी हो, मुझे नहीं पता ..''
पंडित समझ गया की वो अपने अब्बा के लंड को निगलने के लिए अब कुछ भी कर सकती है ..
पंडित : "पर तुमने तो कहा था की प्रेग्नेंट होने तक तुम मेरे अलावा कुछ और नहीं सोचोगी ..''
पंडित ने आखिरी कोशिश की ..
नूरी (शर्माते हुए) : "वो तो मैं हो चुकी हु पंडित जी ...आपकी कृपा से मेरे पेट में आपका बच्चा पहुँच चूका है ..मैंने कल ही चेक किया था प्रेगाकिट्ट से ..और ये बात मैं आपको आज बताना भी चाहती थी ..पर अब्बा के आ जाने से सब गड़बड़ हो गया ...''
पंडित उसकी बात सुनकर बहुत खुश हुआ ..उसे अपने ऊपर गर्व सा हुआ ..अपने लंड को धीरे से मसलकर उसने उसकी पीठ थपथपाई ..
पंडित : "अरे वाह ...ये तो बहुत अच्छा हुआ ..अब तुम जल्दी से घर जाने कि तय्यारी करो ..''
नूरी : "वो तो मुझे जाना ही है ..पर उससे पहले मुझे अब्बा से चुदवाना भी है ..इसलिए मैंने अभी फ़ोन किया है ..आप जल्दी से इसके बारे में कुछ सोचिये और मुझे बताइए ..''
इतना कहकर उसने फोन रख दिया .
पंडित सोचने लगे की किस तरह से वो नूरी और इरफ़ान की चुदाई करवाए .
ये सोचते हुए वो मंदिर पहुँच गए, दोपहर का समय था इसलिए मंदिर में कोई नहीं था ..वो सीधा अपने कमरे में चले गए ..
वहां पहुंचकर देखा की गिरधर उनका इन्तजार कर रहा है ..
पंडित जी : "अरे गिरधर ...तुम इस वक़्त यहाँ क्या कर रहे हो ..''
दरअसल वो समय रितु के आने का भी था ..इसलिए पंडित जी घबरा रहे थे की कहीं गिरधर को उनके बारे में पता न चल जाए ..
गिरधर : "प्रणाम पंडित जी ...बात ही कुछ ऐसी थी की मैं रात का इन्तजार ही नहीं कर सकता था ..''
पंडित : "बोलो ..ऐसी क्या बात है .."
गिरधर ने बताना शुरू किया ..की कल रात को उनके घर से निकलने के बाद कैसे घर जाते हुए उसने अपनी पत्नी को गालियाँ निकाली और उसको रंडी की तरह किसी और से चुदवा भी डाला ..
रंडी की तरह चुदवाने की बात सुनकर पंडित भी हेरान रह गया ..उसे गिरधर की मानसिकता का अंदाजा भी नहीं था की वो अपनी खुद की पत्नी के साथ ऐसा भी कर सकता है ..