नौकरी हो तो ऐसी

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The Romantic
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Re: नौकरी हो तो ऐसी

Unread post by The Romantic » 24 Dec 2014 12:54



वकील बाबू की लड़की की पॅंटी नीचे तक सरक गयी थी, और कॉंट्रॅक्टर बाबू अपने हाथ से अपने तंबू को रगड़ रहे थे. अचानक से आआआआआआअह……. की आवाज़ आई किसी ने ध्यान नही दिया, सबको लगा गाड़ी ने धक्का खा लिया इसलिए किसी के मुँह से निकली होगी परंतु वो आवाज़ वकील बाबू का लंड अपनी बेटी की चूत के अंदर जाने के वजह से निकली थी… मुझे अभी थोड़ी थोड़ी बारीकी से आह… आह… की आवाज़ सुनाई देने लगी …. उधर रावसाब भी अपने तंबू को हिला रहे थे और वकील बाबू की बेटी की चुचियो को चुपके से सहला रहे थे.

तभी मैने देखा वकील बाबू ने ज़रा ज़ोर से धक्के मारना शुरू किया और अपनी बेटी को ज़ोर से उपर नीचे करने लगे. गाड़ी चले जा रही थी और वो अपनी बेटी को चोदे जा रहा था. ये देख के मैं बस पागल हो रहा था. मैने अपना एक हाथ आगे निकाल के सेठानी की चुचि को पकड़ लिया और मसलने लगा इससे सेठानी दंग रह गयी पर उसने मेरा हाथ हटाया नही बल्कि थोड़ा सा काँच की तरफ झुक के तिरछा हो गयी

इधर वकिलबाबू अपने धक्को मे बहुत ज़्यादा गति ला चुके थे जिसके कारण लड़की की बारीक आवाज़ आह …आह…. से उहह… उहह…मे बदल गयी वो बुरी तरह से दबी हुई थी और वकील बाबू फुल स्पीड मे अपना हथोडा उपर नीचे करके उसे नीचे की तरफ ज़ोर से दबा रहे थे. लड़की उपर उठने की कोशिश करती पर वकील बाबू उसे नीचे दबा देते. मुझे लग रहा था कि वकील बाबू का लंड उसके लिए ज़रा जायदा ही बड़ा था क्यू कि जैसे ही वो नीचे जाती वो उपर उठने की कोशिश करती, वकील बाबू फॅट से उसे नीचे दबा देते और उसके मुँह से उहह.. की आवाज़ निकल जाती … थोड़ी देर बाद उसने उठने की कोशिश की और इस बार रावसाब ने उसे नीचे दबा दिया, वो बरदाश्त करने की हालत मे नही थी …. और वकिलबाबू ने अपनी गति और ज़्यादा करदी और लड़की के मुँह से अभी उम्म्मह…. उंह की आवाज़े ज़्यादा ही निकलने लगी. इतने मे वकील बाबू शांत हो गये… लगता है उनकी शांति का कारण अपनी बेटी के चूत के अंदर अपन रस छोड़ना था… गाड़ी मे थोडिसी शांति होते दिखाई दी… तभी मैने देखा कि कॉंट्रॅक्टर बाबू ने वकील बाबू के बेटी की चूत के छेद के अंदर उंगली डाल दी और अंदर तक घुसा दी और अपने मुँह से चाटने लागे. लड़की शांत हो गयी थी उसकी चूत से पानी टपक रहा था जो कि वकील बाबू का ही वीर्य था.

तभी मैने देखा तो दंग रह गया

रावसाब वकील बाबू की तरफ देखते हुए बोले “अरे तुम इस खिड़की पास आ जाओ ये काँच ठीक से लगने के कारण मुझे जोरोसे हवा लग रही है”

और फिर वकील बाबू काँच की तरफ सरक गये और रावसाब बीच मे, जैसे ही वकील बाबू की लड़की, वकील बाबू के साथ काँच की तरफ सरकने लगी, रावसाब ने उसकी कमर को पकड़ के अपनी गोद मे खीच लिया और बोले “अरे बेटी बैठो इधर मेरे गोद मे ही.. काँच के पास बहुत हवा आ रही है..”

वकील बाबू की लड़की ना चाहते हुए भी रावसाब की गोद मे बैठ गयी. वो बैठी ही थी कि मुझे पॅंट की चैन खोलने की हल्की सी आवाज़ आई. मैने थोड़ा मुँह नीचे करके देखा तो रावसाब अपना तगड़ा घोड़ा निकाल रखे थे और आक्रमण की तय्यारी मे थे, जब से मैने इन चारो भाइयो को देखा था तबसे मेरे दिमाग़ मे एक ही बात चल रही थी ये तीनो जो मेरे साथ बैठे वो काले और इतने तगड़े क्यू है और जो चार नंबर के है मास्टर जी वो गोरे और पतले क्यू है, ये बात मेरे समझ से इस वक़्त बाहर थी…
क्रमशः………………………………


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Re: नौकरी हो तो ऐसी

Unread post by The Romantic » 24 Dec 2014 12:55

नौकरी हो तो ऐसी--10

गतान्क से आगे......

मैने देखा तो रावसाब ने वकील बाबू की लड़की को उपर उठाया और उसकी चढ्ढि बाहर निकाल के पॅंटी भी निकाल दी… कांट्रेक्टर बाबू ने चुपके से पॅंटी अपनी पॉकेट मे रख दी, और रावसाब ने फिरसे उसको चढ्ढि पहेना दी. अभी उनका लंड अंदर जानेके लिए कोई प्राब्लम नही थी क्यूकी अभी पॅंटी की मुसीबत बीच मे नही थी.


फिर उन्होने वकील बाबू के बेटी के चुचिया ज़ोर्से दबाई और उसे थोड़ा उपर उठा दिया, जैसे ही उन्होने उसे उपर उठा दिया मुझे पता चल गया कि अभी तो वकील बाबू की बेटी की लगने वाली है क्यू कि रावसाब वकील बाबू से दो गुना तगड़े थे और मजबूत भी…. इसीलिए वकील बाबू की बेटी उनकी गोद मे बैठने से भाग रही होगी क्यू कि उसे पता होगा कि इधर वो अगर फस गयी तो फिर उसे कोई बचा नही सकता रावसाब से…

रावसाब ने उसे उपर उठाया और निशाना लगाके उसे नीचे दबाने लगे पर वो नीचे आने के लिए ज़्यादा ही विरोध करने लगी, तभी कॉंट्रॅक्टर बाबू ने उसकी कमर पकड़ कर नीचे दबोच दिया वैसे ही उसके मुँह से “उईईईईईईईईईईईईईईईईईईई माआआआ….” “उहह…….ईईईईई…….उूुुुउउ….ईईईईई…”
“उूुुुुुउउ….आअहह…..उहह….”
की आवाज़ बड़ी ही बारीक चीख खुद पे नियत्रन करते हुए निकली
मैं समझ गया था कि उसके लिए रावसाब का लंड सहन से बाहर था, तब भी वो ज़्यादा कुछ आवाज़ किया बिना खुद पे काबू पाने की कोशिश कर रही थी.

अभी फिरसे रावसाब ने बड़ी हिम्मत करके उसे उपर उठाया और ज़ोर्से दबा के अपने लंड पे बिठा दिया, फिरसे थोड़ी आवाज़ आई ….अभी राव साब ने थोड़ा नीचे दबाना शुरू किया…. मैं ठीक से देख नही पा रहा था लेकिन ऐसे लग रहा था कि उसके पैर नियंत्रण से बाहर हिल रहे है. वो सिकुड रही थी…

अभी धक्को की गति बढ़ने के कारण वो और सिकुड़ने लगी …और रावसाब उसे उपर नीचे करने लगे…. उन्होने उसकी कमर अपने हाथ मे पकड़ के ज़ोर्से उसे उपर नीचे करने लागे और एक दम से “आहह….” की आवाज़ निकली और फिर गाड़ी मे शांति हो गयी…. वकील बाबू की बेटी की हालत काफ़ी पतली हो चुकी थी वो ठीक से हिल भी न्ही पा रही थी ….उसकी चूत से वीर्य की धारा गाड़ी की सीट पे गिर रही थी…उसमे कॉंट्रॅक्टर बाबू हाथ लगाके उस वीर्य के हाथ वकील बाबू की लड़की के मुँह मे डाल रहे थे…. वो इच्छा नही होते हुए भी अपना मुँह खोल के उनकी उंगलिया चूस रही थी…. मुझे तो लग रहा था कि ये गाड़ी से उतरने के बाद चल भी नही पाएगी......

मेरे एक हाथ मे सेठानी की चुचि थी…जो मैं ये दृश्य देख के ज़ोर ज़ोर से दबा रहा था …एक दृश्य के बीच मे मैने दो बार शेतानी के निपल्स नाख़ून से दबा दिए जिसके कारण शेतानी हॅकीबॅक्की रह गयी परंतु गाड़ी मे होने के कारण वो कुछ नही कर पाई….

अभी 30 मिनट का रास्ता बाकी था……

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Re: नौकरी हो तो ऐसी

Unread post by The Romantic » 24 Dec 2014 12:56


अब कॉंट्रॅक्टर बाबू जो कद मे वकील बाबू से दुगने थे और रावसाब के बराबर दिखते थे, वो बहुत ही ज़्यादा गरम हो गये थे, उन्होने वकील बाबू की बेटी की चूत मे उंगली डाल दी. चुदाई की वजह से उसकी चूत बहुत आकर्षक और गुलाबी हो गयी थी. कॉंट्रॅक्टर बाबू वकील बाबू की बेटी की चूत की फाके खीच रहे थे फिर उंगलिया अंदर डाल रहे थे, वकील बाबू की बेटी मुँह उपर नीचे कर रही थी पर इससे ज़्यादा, उससे हो नही पा रहा था… उसका विरोध एक चीटी के बराबर का लग रहा था. उधर कॉंट्रॅक्टर बाबू ने वकील बाबू की बेटी के चूत के बाल, जो मुलायम और छोटे छोटे थे, चूत से उंगली निकाल के, खिचने शुरू कर दिए ….. उन्हे इससे बहुत ही मज़ा आ रहा था…

इधर रावसाब ने वकील बाबू के बेटी के भरे फूले आम जिनके उपर, लाल –लाल और छोटे निपल्स थे, उन निपल्स को ज़ोर्से निचोड़ा, तो वैसेही वो कराह उठी, रावसाब इस खेल के बहुत पुराने खिलाड़ी मालूम हो रहे थे, मैं अपना मुँह नीचे करके बैठा था लगभग 1.30 घंटे से, मेरे मन मे दर्द होने लगा था, उसी समय रावसाब ने वकील बाबू की बेटी की कामीज़ से हाथ निकाल के कमीज़ नीचे से नाभि तक उपर उठाई और नाभि मे अपनी एक बड़ी मज़ली उंगली डाल दी और उस बड़ी उंगली को ज़ोर्से घुमाने लगे, वैसे ही वो और ज़ोर्से कराह उठी….

खिड़की मे बैठे वकील बाबू अभी अपनी बेटी की चुदाई देख के खुश लग रहे थे, क्यूँ कि उनका काला घोड़ा फिरसे खड़ा हो गया था ...उनका काला घोड़ा जिसपे अभी भी बाजू बाजू मे गाढ़ा चिपचिपा वीर्य और बेटी के कमनीय चूत का मादक रस लगा था.... वकील बाबू ने अपनी बेटी का कोमल हाथ पकड़ा और चुपके से अपने काले घोड़े के सूपदे पे रख दिया और अपने हाथ से उसके हाथ को जो काले गहरे रंग के सूपदे पर था, उसे उपर नीचे करने लागे, वकील बाबू की बेटी अपने बाप के लंड की काली चमड़ी खुद अपने हाथोसे उपर नीचे कर रही थी….

अब वकील बाबू ने बेटी की चूत पर हाथ रखना चाहा वैसे ही उन्हे उस जगह पे कंटॅकटर बाबू का हाथ महसूस हुआ, उन्होने उसका हाथ और उंगलिया झटके से निकाल दी, और अपने बेटी की चिकनी गीली चट के अंदर जो गधे जैसे लंड की चुदाई से फूली हुई थी उसमे डाल दी और अंदर बाहर करने लागे, इससे वकील बाबू के बेटी का हाल बहुत बुरा होने लगा और उसकी चूत जो अब तक 4-5 बार पानी छोड़ चुकी थी, फिरसे पानी छोड़ने लगी….

इधर मेरे बाजू मे बैठे कॉंट्रॅक्टर का गहरा काले-लाल रंग के सुपादे के छेद से हल्का हल्का वीर्य के पहले का पानी छोड़ रहा था….. उनके सूपदे का आकर लगभग गधे के सूपदे से ज़रूर मिलता होगा…मैने जिंदगी मे पहली बार इतना बड़ा सूपड़ा देखा… मैं सोच मे पड़ गया… इनका सूपड़ा ही इतना बड़ा है तो पूरा लंड कितना बड़ा होगा और अगर ये लंड इस बेचारी की चूत मे अगर गया तो वो तो ज़रूर बेहोश हो जाएगी..


मैने कब्से सेठानी का निपल अपने एक हाथ मे दबोच रखा था, और अपने नखुनो से उसे तडपा रहा था, सेठानी की साँसे इस वजह से काफ़ी तेज़ चल रही थी.. पर वो अपने पे काबू पाने की पूरी कोशिश कर रही थी … क्यू कि उसे पता था ये बात अगर सेठ जी को पता चल गयी तो उसकी और मेरी खैर नही…. मैने अपना हाथ सेठानी के पीठ के उपर्से से निकाल के पीठ मे डाल दिया… वैसे ही मुझे सेठानी के घने बालो ने इशारा किया मैने 10-15 बॉल हाथ मे पकड़े और उन्हे सहलाने लगा और बीच मे ही ज़ोर्से खिचने लगा इससे सेठानी की और पतली होने लगी वो चरम सीमा के द्वार पे पहुच रही थी.

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