प्यार का रिश्ता (pyaar ka rishta) compleet

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raj..
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Re: प्यार का रिश्ता (pyaar ka rishta)

Unread post by raj.. » 29 Oct 2014 09:14

कुछ देर लेटने के बाद जब लंड मुरझगया तो मैने सूची की बुर मे पेशाब किया जिससे वो बिल्कुल अनभीग्या थी..... यह क्या मनुव्व यह क्या कर रहे हूऊओ बहुत गरम हाई मेरा पेट फूल रहा हाई आआ और जब मैं पेशाब कर चुका उसकी चूत के अंदर तो मैं सूची के बगल मे लूड़क गया सूची बुर से मैने अपनी पेशाब किसी फव्वारे की तरह निकलते देखी....... . सूची तब भी आआआ ऑश यह क्या निकल रहा है.....

तब मैने सूची को बताया...... ... सूची की बुर को देखा तो उसका मूह फैल गया था....... उस दिन सूची मेरे से 2 बार और चुदवाइ और यह सिलसिला शिवानी के आने तक चलता रहा.......

अब जब शिवानी यूनिवर्सिटी जाती तो मैं और सूची मिलकर चुदाई कर लेते थे......... . एक दिन शिवानी जल्दी घर वापिस आ गयी उसने मेरे को अपने घर से आते हुए रास्ते मे देखलिया उसने मेरे से कहा अपनी गाड़ी यही छोड़ दो और मेरे साथ बैठो....

मैं उसके साथ उसकी गाड़ी मे बैठ गया... शिवानी और मैं लोंग ड्राइव पर निकल गये.. मैने अपने एक फ्रेंड को फोन कर के मेरी गाड़ी उठा कर शिवानी के बंग्लॉ पर रखने के लिए कहकर निसचिंत हो गया ..

"आजकल आप अपनी साली जी पर कुछ ज़्यादा ही मेहरबान हो रहे है....." शिवानी मेरे से कुछ शक करते हुए कह रही थी...

" मेहरबान नही मैं और सूची कई बार मिल चुके है" ' मेरा मतलब है की हम दोनो के अंग से अंग" यानी की मैं उसको कई बार कर चुका हू....

" मनु तुमको शर्म नही आती!!! मेरे से स्ट्रेट फ़ॉर्वाड़ कह दिया" शिवानी थोड़ा तुनक कर बोली....

अब तक हम एक वीरान रास्ते पर आ गये और मैने गाड़ी को नदी के किनारे झाड़ियों के बीच मैं पार्क करवाया जहा से हमारी गाड़ी को सिर्फ़ एरोप्लेन से या बिल्कुल पास आकर ही देखा जा सकता था......मैने अपने सीट को फोल्ड कर लिया तो वो सिंगल बेड हो गयी....

शिवानी ने गुस्से से कहा मनु यह ठीक बात नही है मैं तुमसे कुछ पूछ रही हू और तुम तनिक भी सीरीयस नही हो.....

मैने कहा जैसे मैं लेट गया हू वैसे तुम भी लेट जाओ फिर बाते करैन्गे और तुम्हारे हर सवाल का ज्वाब भी देंगे.......

शिवानी ने वैसा ही किया......

अब मैं और शिवानी उसकी कार के आगे की सीट्स को फोल्ड करके बेड की तरह इस्तेमाल कर रहे थे और हम दोनो एक दूसरे के अगाल-बगल मे लेटे हुए थे.

मैं शिवानी को बहुत गौर से देख रहा था...... हम दोनो चुप थे. मैं जानता था की शिवानी के अंदर कई शक और सवालों के तूफान अंगड़ाई ले रहे है. बहुत देर तक ऐसे ही लेटने के बाद पहले मैने हरकत करी और मैं शिवानी के ऊपेर चढ़ गया और उसको किस करने लगा और पहली बार शिवानी के मदमाती गोलाईयो का स्पर्श अपनी हथेली से किया.....

" आररी.....अर्रे. .... यह क्या?!?!?! मनु..... प्लज़्ज़्ज़्ज़ ऐसा मत करो.... रूको तो सही ........" शिवानी मिस्रित भाव से झुंझलाती हुई और मुझे अपने ऊपेर से हटाने की कोशिश करती हुई बोली लेकिन मैने अपने हाथों का प्रेशर उसकी जवानी की गोलाईयो पर बढ़ा दिया.... शिवानी पतले कपड़े का सूट और वैसे ही ब्रा पहने हुए थी जिसके कारण मैं उसके निपल्स का ऐएहसास अपने हथेली के नीचे कर रहा था...... अब शिवानी ज़्यादा विरोध नही कर रही थी..... मैने शिवानी के पैर फैलाए और उसकी सलवार के बीच मे अपना राइट घुटना रगड़ना चालू कर दिया... शिवानी शायद एमसी से थी सो वो चिल्ला पड़ी..." मनु यह क्या हो गया है आज तुम्हे...... तुम से मुझे ऐसे उम्मीद नही थी......"

मैं उसको मुस्कुराते हुए देखता रहा और मैं उसके ऊपेर से हट कर अपनी सीट को वापस उठा कर बैठ गया ......

वो काफ़ी देर तक मुझे बड़बड़ाते रही और गालियाँ देती रही....... शिवानी को सच मे बहुत गुस्सा आ गया था वो भी सीट उठाकर बैठ गई.....

मैने कहा 'शिवि चल जल्दी से गाड़ी स्टार्ट कर ... और वापिस चल"

हमारी गाड़ी चल पड़ी.... वापिस आते आते तक हम दोनो मे से किसी ने बात नही की सिर्फ़ मैं ही किसी रोमॅंटिक गाने को सिटी बजाते हुए गुनगुनता बैठा रहा.... जैसे ही गाड़ी सहर मे दाखिल हुई.... शिवानी ने मेरी तरफ देखा और उसके आँसू निकल पड़े.... बोली " मनु. मुझे बहुत दुख है की तुमने अपना वादा और मेरा विश्वास दोनो तोड़ दिए...." तुम भी दूसरे मर्दों जैसे बेवफा निकले.... अब हम कभी नही मिलेंगे..... .

मैने कहा "शिवि जी गाड़ी रोकिए प्ल्ज़....."

उसने गाड़ी रोक दी....मैं उतरा और गेट लगाते हुए कहा " बाइ माइ डार्लिंग..... .."

इसके पहले की वो कोई जवाब देती मैने एक ऑटो पकड़ा और उसमे सवार होकर अपनी मंज़िल को और निकल गया ............

raj..
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Re: प्यार का रिश्ता (pyaar ka rishta)

Unread post by raj.. » 29 Oct 2014 09:15

करीब 1-1½ साल तक हम यूँ ही किन्ही दो अजनाबियो की तारह मिलते रहे मैं जानता था की जैसा उसके बिना मैं तड़प रहा हू वैसे ही वो भी तड़प रही होगी.. पर मैं जो करना चाहता था की उसके दिल मे अपने लिए नफ़रत पैदा करना वो मैं कर चुका था... इसके साथ साथ मैं और सूची मेरे प्लेसस पर मिलकर खूब चुदाई करते सूची ने अपनी दो सहेलियों को भी मेरे से चुदवाया था...पर मैं कभी सूची से शिवानी के बारे मे नही पूछता था यदि वो बात करती तो मैं उसे डाँट देता था और उसकी उसे कीमत तबाद-तोड़ चुदाई से चुकानी पड़ती थी..और एक दिन हम एक दोस्त की एंगेज्मेंट पार्टी पर बैठे हँसी मज़ाक कर रहे थे... मेरा और शिवानी का रिश्ता सभी को मालूम था मुझे मेरे दोस्त भगवान से भी ज़्यादा प्यारे है सो मैं उनसे खूब मिलता जुलता था.....मेरे दोस्त अश्विन की होने वाली बीबी और हम 5-6 दोस्त फंक्षन निपटाने के बाद एक रूम मे बैठकर हँसी मज़ाक कर रहे थे... तभी मेरे दोस्त की होने वाली बीबी(अनु) जिसकी सगाई कुछ देर पहले हुई थी मेरे से पूछ बैठी......

" मनु जी जब जब इनसे (यानी उसके होने वाले पति से और मेरे दोस्त से) फोन पर बात होती थी तो आपकी मोहब्बत की चर्चा ज़रूर होती थी..."

"वो ना जाने कितनी ख़ुसनसीब लड़की रही होगी जिसको आपने पवित्र प्यार दिया....."

"पर आज मैं आपसे कुछ माँगना चाहती हू उम्मीद है आप मुझे निराश नही करेंगे यही मेरे जीवन की सबसे बड़ी और मेरी एँगमेंट का और मेरी शादी का गिफ्ट भी होगा" अनु मेरे से बोली

" बताइए क्या चाहती है"...... मैने कहा...

" आपने उसे... या उसने आप को क्यों छोड़ दिया".... प्ल्ज़ बताइए

"देखिए अनु जी इस मुबारक मौके पे हम जैसे नासुक्रे लोगो से बात तो क्या उनकी परछाईयों से भी बचना चाहिए" मैने अनु को कहा...

" मनु जी आपसे किसने कह दिया आप नासुक्रे इंसान है.. आप जैसा मनुता तो शायद ही बिरला कोई इंसान होगा..." बताइए ना प्ल्ज़्ज़ अनु ने फिर रिक्वेस्ट की...

अनु की रेक़ेस्ट का साथ सभी ने दिया....

मैने कहा " ठीक है सबकी यही इक्च्चा है तो यही सही पर यह बात किसी बी तरह शिवानी तक नही पहुचनी चाहिए"

देखो यार मैं शादी सुदा एक बाल-बच्चोदार आदमी हू" अब इस उमर मे आकर यह प्यार-इस्क़-मोहबत बेमानी है.....

वो अभी नादान लड़की है उसको समझाने वाला कोई नही है... उसके मा बाप मार चुके है रिश्ते दारों का पता नही ऐसे मे उसके जज्बताओं के साथ नही खेल सकता.... उसकी आत्मा पवित्र है उसका शरीर पवित्र है मैं उसे छूकर गंदा नही करना चाहता...... मैं आज भी उसे अपनी जिंदगी से ज़्यादा प्यार करता हू.. मैं उसको पाना चाहता हू मैं उसका होना चाहता हू पर मैं यह सब नही कर सकता....... .. मैं भी चुप हो गया और कमरे मे भी सन्नाटा छा गया ....

raj..
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Re: प्यार का रिश्ता (pyaar ka rishta)

Unread post by raj.. » 29 Oct 2014 09:15

मुझे ना जाने कितने मौके मिले उसके साथ एककार होने के मैं कब का उसे लड़की से औरत बना चुका होता पर मेरी आत्मा मुझे रोक देती थी. अंदर से आवाज़ आती थी नही मनु यह पाप है उसका साथ दो की वो बहके नही पर उसको धोका मत दो....

इस बीच उसकी सहेली सूची मेरे से जुड़ गई... वो शिवानी से ज़्यादा सुन्दर तो नही पर हा सेक्सी बहुत थी और मुझे मालूम था की उसका फार्मेसी डिपार्टमेंट मे कइयों से शारीरिक संबंध है सो जैसे ही उसने मुझे बुलाया सो मैने उसे भोगा... यही नही सूची ने अपनी 2-3 सहेलियों को मेरे साथ सुलाया...... पर यह सब काम मैं शिवानी के साथ नही करना चाहता था.... और कहते है इस्क़-मुस्क़-और खाँससी छुपाए नही छुपते यही हुआ मेरे और सूची के संबंधों का पता शिवानी को चल गया. हो सकता है पूरा ना चला हो पर उसको कुछ शक-ओ-सुबा तो हो ही गई थी.... मेरे दिमाग़ मे प्लान आया की क्यों ना इस मौके का फायडा उठाया जाए ...... यदि किसी का शक दूर ना करो और उसके साथ कोई हरकत कर दो तो वो बहुत चिड जाता है....मैने ऐसा ही किया और मैं सक्सेज हो गया..... वो मेरे से गुस्सा हो गई और मैने एक साल के लिए सहर ही छोड़ दिया.....क्योंकि मैं जब से उससे मिला उसको बहुत समझाया पर वो नही मानी.... और शायद मैं भी अपना आपा खोता जा रहा था कमजोर पड़ता जा रहा था.....

अनु और अश्विन दोनो रूम से उठकर बाहर निकल गये.... कुछ देर बाद लौटे..... अनु ने कहा " मनु एक बात बताओ की क्या तुम सिर्फ़ देना और सिर्फ़ देना चाहते हो कुछ लेना नही" तुम समझते क्या हो अपने आप को.... की तुम सच मे कोई भगवान हो अरे तुम तो एक ऐसे इंसान हो जो किसी को सिर्फ़ दर्द देते हो..... तुम्हारी ग़लतफहमी है की तुम सभी की मुश्किले अपने सिर पर ले कर उनको हल्का करते हो....

अनु की इस बात पर मैं चौंक पड़ा मैं ही नही जीतने वाहा पर थे सभी चौंक पड़े..... दोस्तो मैं बहस होने लगी .... और अनु अकेली पड़ने लगी... मेरा मन रोने को कर रहा था.... सो मैने उस दिन दारू पी ली.... ना जाने कितनी नीट ही पी गया .......... और मैं अपने होश खो बैठा.. मैं नशे मे चूर चूर हो गया था.... जब मेरी नींद खुली तो मैने टाइम देखा 2-30 हो रहे थे मुझे नही पता मैं उस कमरे से एक आलीशान बेडरूम मे कैसे पहुचा..... . उस बेडरूम की खुसबू मुझे जानी पहचानी लग रही थी मेरे शरीर पर जीन्स-टी-शर्ट की जगह कुर्ता पयज़ामा था... मेरे कपड़े कपबोर्ड की दरवाजे पर टँगे थे... मैं जैसे ही पलंग से उठा तो मेरे शरीर ने मेरा साथ छोड़ दिया और मैं धदाम से ज़मीन पर गिर पड़ा... मेरे पैर मे पट्टी बँधी हुई थी मैं रात की घटना को याद करने की कोशिश कर रहा था......मैं उठा और ड्रेसिंग टेबल पे रखा पानी का गिलास उठाकर जैसे ही मूह से लाया वो ताज़ा नीबू पानी लगा मैं पी गया मैने जग से फिर से पानी लिया वो भी ताज़ा नीबू पानी था...

कुछ देर तक मैं वही ड्रेसिंग टेबल से टिक-कर बैठा रहा फिर अपना सेल ढुंडा वो वन्हि टेबल पर रखा था... मैने उस्मै डेल्ड और रेसीएवेड कॉल्स चेक करी.... मैं उठकर बाथरूम मे गया फ्रेश होकर मैने अपने कपड़े बदले और जैसे ही रूम से बाहर निकलने लगा तो एक बहुत ही खनकती हुई सी आवाज़ मेरे कानो से टकराई....

मनु मैं दौड़ी दौड़ी आपके ही पास आ रही थी...... मुझे चलने मे काफ़ी तक़लीफ़ हो रही थी.......वो अनु थी जिसने मुझे अपने कंधे का सहारा देकर वापिस रूम मे ले जाकर सोफे पर बिठाया..... .

मैने अनु से सॉरी कहा और पूछा अनु प्ल्ज़ मुझे बताओ कल रात क्या हुआ....

"ज़्यादा कुछ नही... मनु.... आपने बस 3-4 बॉटल झोनी वॉकर व्हीश्के नीट अपने गले के नीचे कर के ज़िद करके उठे और भाग खड़े हुए.. जबार्दुस्त नशे के कारण सीडीयों से गिरे लेकिन फिर भी आप ना माने अपने अपनी बाइक स्टार्ट की और जाकर एक गाड़ी से भीड़ गये... उसके बाद आपको हम हॉस्पिटल ले गये जिससे भिड़े घायल तो वो भी बहुत है.... पर ठीक है... और आपको यह चोट लगी बस.... कोई 35-40 स्टिचेस है और हल्के हल्के दो फ्रॅक्चर बस......

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