माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
The Romantic
Platinum Member
Posts: 1803
Joined: 15 Oct 2014 22:49

Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 20:41

रीमा की बात सुन कर मैं बोला ठीक है माँ तुम ठीक कह रही हो मैं इस तरह से तुम्हारा हक नही छीन सकता। मैं तैयार हूँ उतार दो मेरे कपडे। आज से जब तक मैं तुम्हारे साथ हूँ और जब भी हम मिलेंगे मेरे कपडे तुम ही उतारोगी और तुम ही पहनओगी। यह सुन कर वह बहुत खुश हो गयी और मेरे माथे पर किस किया जैसे एक माँ अपने बेटे को करती है। फिर वह मेरी कमीज के बटन खोलने लगी। उसके भरी पूरी गोरी बाँहे मुझको बहुत अच्छी लग रही थी। फिर उसने सारे बटन खोल दिये और बोली बेटा खडे हो जाओ जिस से मैं तुम्हरी कमीज उतार सकूँ।

मैं खडा हो गया रीमा भी मेरे साथ खडी हो गयी और पीछे कर के मेरी कमीज उतार दी। मैंने नीचे बनियान पहन रखी थी। मेरी कमीज उतार कर रीमा मेरी छाती पर हाथ फेरने लगी। और बोली तुम्हरी छाती कितनी चौडी है। तुम भी कोई कम हैडसम नही हो। तुम इतने सालो अपनी माँ से दूर रहे हो जिसकी वजह से तुम्हारी ये माँ तुमको कुछ प्यार भी नंही कर पायी। चिन्ता मत करो अब तुम मेरे पास आ गये हो अब मैं तुमको अपना सारा प्यार दूंगी। ऐसा कहते वक्त उसके आँखो मे वासना भरी थी। ऐसा कह कर उसने मेरी बनीयान भी उतर दी।

बनियान उतरते वक्त उसने अपने हाथ उपर किये उसने स्लीवलैस ब्लाउस पहन रखा था जिसकी वजह से उसकी काँख मुझको दिखायी दी। उसकी काँख के बाल काले और घने थे। मुझे काँख के बाल बहुत पसन्द हैं। उसकी काँख देखकर मेरी मस्ती और बढ गयी। बनियान उतार कर उसने कमरे के एक कोने मै फेंक दी। अब मेरी छाती पूरी नंगी हो गयी और वो अपने गोरे गोरे हाथ मेरी छाती पर धीरे धीरे फिराने लगी। जिसकी वजह से मेरी उत्तेजना बढने लगी और मेरे निप्पल कडे हो गये।

फिर रीमा ने अपनी एक उँगली को अपने थूक से गिला करके मेरे बाँये निप्पल पर फिरने लगी। और उसका दुसरा हाथ मेरी छाती पर धीरे धीरे चल रहा था। वोह अच्छी तरह से जानती थी कि किस तरह मर्द को मस्त किया जाता है। थोडी देर इसी तरह से मेरे निप्पल पर हाथ फेरने के बाद उसने अपना मुँह मेरे निप्पल पर रख दिया और उसे अपने होंठो के बीच लेकर चुसने लगी। उसके ऐसा करने से मेरे मुँह से एक दम से एक आह निकल गयी। इसका सीधा असर मेरे लंड पर हुआ। वोह मस्ती मे एक दम कडा को गया। अब उसका मेरी पैन्ट मे रहना बडा ही मुश्किल था।

क्रमशः........................

The Romantic
Platinum Member
Posts: 1803
Joined: 15 Oct 2014 22:49

Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 20:59

गतांक से आगे...................

वह मेरे दुसरे निप्पल को अपने हाथ के नाखून से जोर जोर से कुरेद रही थी। एक तो निप्पल चुसे जाने की मस्ती दूसरा निप्पल कुरेदे जाने की वजह से होता दर्द ने मुझे तो स्वर्ग मे पहुँचा दिया था। इस बेताह मस्ती के कारण मेरे मुँह से आह ओह के आवाज निकल रही थी। मैने अपने हाथ उसकी पीठ और एक बाँह पर रख रखा था। एक हाथ से उसकी बाँह मसल रहा था और दुसरे हाथ उसकी पीठ और कमर पर फेर रहा था। वोह करीब ३-४ मिनट तक ऐसे ही करती रही फिर रीमा बाँयी निप्पल छोड कर दाँयी निप्पल को चुसने लगी और बाँयी निप्पल को नाखुनो से कुरेदने लगी।

दुसरे निप्पल को अच्छी तरह से चुसने के बाद ही उसने मेरे को छोडा। फिर मेरी और देख कर आँखो मे आँखे डाल कर पूछा कैसा लगा बेटा माँ का तुम्हारी निप्पल चुसना। मैं बोला क्या बताँऊ माँ बस इतना कह सकता हूँ कि तुम्हारे इस बेटे को तुमसे बहुत कुछ सीखना है। सीखाओगी न माँ अपने इस अनाडी बेटे को। रीमा बोली जरूर बेटा आखिर माँ होती किस लिये है। माँ का तो ये कर्तव्य है के उसके बेटे की शादी से पहले उसे सेक्स की पूरी शिक्षा दे प्रेक्टिकल के साथ जिससे की उसकी पत्नी सुहाग रात को ये ना कह सके की उसकी माँ ने उसको कुछ भी नहीं सिखाया।

उसके मुहँ से ये बात सुन कर मैं बोला माँ तुम्हारे विचार कितने उत्तम हैं। अगर तुम जैसी सबकी माँ हो तो किसी भी बेटे को रंडी के पास जाने की जरूरत ही नही। सुन कर उसने मेरे होंठो पर किस कर लिया और बोली तुम बिल्कुल मेरे बेटे कहलाने के लायक हो। चलो मैं अब तुम्हारा लंड पैन्ट से बाहर निकाल देती हूँ। ये भी मुझको गाली दे रहा होगा कि बात तो लंड को बाहर निकालने की कर रही थी और निप्पलस को मजा देने लगी। कह रहा होगा कितनी निर्दयी है तुम्हारी माँ। नंही माँ मेरा लंड तो बल्की बहुत खुश है की मेरी माँ तुम हो।

वह तो कह रहा है की जिस तरह से तुम मेरी माँ हो तुम्हारी चुत उसकी माँ हुयी ओर जब तुम इतनी मस्त हो तो उसकी माँ और भी मस्त होगी वोह भी अपनी माँ से मिलने और उसकी बाँहो मै जाने के लिये बेचैन है। रीमा बोली उसके लिये तो उसको थोडा इंतजार करना पडेगा। पहले मैं अपने बेटे को और उसके लंड को तो जी भर के प्यार कर लूँ और अपने बेटे से अपने आप को और लंड की माँ को प्यार करा लूँ तब कही जा कर वोह अपनी माँ से मिल सकता हे समझे। मैंने कहा हाँ माँ तुम ठीक कह रही हो।

इतना कह कर रीमा ने मेरी पैन्ट खोलनी शुरु कर दी। जब रीम मेरी पैन्ट खोल रही थी तो उसकी नजर मेरी तरफ थी। वह मेरी तरफ देख कर मन्द मन्द मुस्कुरा रही थी। सबसे पहले उसने मेरी बेल्ट को निकाल कर फेंक दिया। ओर मेरी पैन्ट का बटन खोलने लगी। बटन ओर चैन खोल कर उसने कमर से पकड कर एक ही झटके मे मेरी पैन्ट नीचे कर दी और साथ मै खुद भी नीचे बैठ गयी। मैंने भी अपने पैर उठा कर पैन्ट निकालने मे उसकी मदद की।


The Romantic
Platinum Member
Posts: 1803
Joined: 15 Oct 2014 22:49

Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 21:00

उसने पैन्ट निकाल कर उसको भी एक कोने मे फेंक दिया। मैंने अन्डर वीयर पहन रखा था। रीमा का मुँह बिल्कुल मेरे लंड के सामने था। मेरा लंड पूरी तरह से खडा था जो कि मेरे अन्डर वीयर के उभार से पता चल रहा था। उसने मेरी तरफ़ देखा और अपनी जीभ बाहर निकाल कर अपने होठों पर फिराने लगी। जैसे कोई बहुत ही स्वादिष्ठ चीज देख ली हो। और फिर एक दम से आगे बढ कर मेरे लंड को उन्डर वीयर के उपर से किस करने लगी उन्डर वीयर की इलास्टिक से लेकर नीचे जाँघो के जोड तक। फिर रीमा ने मेरे उन्डर वीयर की को कमर से पकड कर एक ही झटके मैं खीच कर उतार दिया।

मेरा लंड उत्तेजना के कारण मस्त होकर बुरी तरह से खडा हो गया थ। जैसे ही रीमा ने मेरा उन्डर वीयर उतारा मेरा लंड उसके मुँह के सामने एक लम्बे साँप की तरह फुँकार मारते हुये नाचने लगा। मेरा लंड देख कर रीमा बोली हाय रे इतना बडा लंड है मेरे बेटे का। फिर उसने मेरे लंड को अपने हाथ मे पकड लिया। जैसे ही उसने मेरे लंड को अपने कोमल हाथो मे पकडा मुझे ऐसा लगा ४४० वोल्ट का करंट लगा हो। मेरे लंड का हाल तब था जबकी उसने अभी तक एक भी कपडा अपने बदन से नही उतारा था। मैं सोचने लगा कि जब मैं उसको नंगा देखुँगा तो मेरा क्या हाल होगा।

रीमा मेरे लंड को अपनी एक हथेली मे रख कर दूसरे हाथ से उसको सहला रही थी जैसे किसी बच्चे को प्यार से पुचकारते हैं। थोडी देर तक इसी तरह मेरे लंड को पुचकारने के बाद रीमा उठ कर खडी हो गयी और बोली लो निकाल दिया मैंने तुम्हारे लंड को बाहर। अब हम चल कर बैठते हैं और थोडी प्यार भरी बातें करते हैं। फिर मैं सोफे पर बेठ गया और रीमा से बोला आओ माँ मेरी गोदी मैं बैठ जाओ। हम लोग जब चाट किया करते थे तब भी सबसे पहले मैं रीमा को अपनी गोदी मे बिठा लेता था। रीमा थोडी सी मुस्कुरायी और आ कर मेरी गोदी मे बैठ गयी।

रीमा इस तरह से मेरी गोदी मे बेठी थी की मेरा लंड उसकी गाँड की दरार मे फंसा था। जैसा की मुझको मेरे लंड पर महसूस हो रहा था। उसने अपनी पीठ मेरे कंधे से लगा ली थी और अपनी गोरी दाँयी बाँह मेरे गले के पीछे से निकाल कर दुसरे हाथ से पकड ली। ओर मैंने पीछे से अपने हाथ उसके कमर मे डाल कर उसके नंगे पेट को पकड लिया। उसके इस तरह से बैठने के कारण उसकी भारी भरकम चूचियाँ मेरे मुँह के सामने आ गयी। साथ ही साथ उसके मस्ताने चुतडो का दवाब मेरे लंड पर पड रहा था। मैं अपने आप को बडा ही खुशकिस्मत समझ रहा था इतनी मस्तानी औरत मेरी गोद मे बैठी थी।

मेरी नजर उसकी बडी बडी गोलाईयो की तरफ़ थी। चुचियो के बीच की दरार ऐसी थी जैसे कि निमंत्रण दे रही हो कि आओ और घुसा दो अपना मुँह इस खायी के अन्दर। फिर रीमा ने पूछा अब बताओ बेटा कैसी लगी तुमको अपनी ये बेशर्म माँ। मैंने कहा बहुत ही मस्तानी सेक्सी महा चुदक्कड चुदासी और रस से भरपूर। इस पर रीमा मुस्कुरा दी और बोली ऐसे शब्द कोई भी औरत किसी मर्द से अपने बारे मे सुने तो बस निहाल हो जाये। और तुमने तो ये सब मेरे लिये कहा अपनी माँ के लिये, सुनकर मेरा दिल गदगद हो गया। इसका मतलब है की मैं तुमको रिझाने मे सफ़ल रही।


Post Reply