नशे की सज़ा compleet

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007
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Re: नशे की सज़ा

Unread post by 007 » 31 Oct 2014 21:25



“ चलो पीछे घूम जाओ “ उसने कहा
और मैं पीछे घूम गयी.
मेरी हथकड़ी खोलते हुए राज बोला-“फिर से घूमो”
और मैं फिर से घूमकर खड़ी हो गयी.

“ अब अपने सारे कपड़े उतार दो और अपना खूबसूरत बदन मुझे दिखाओ” उसने एक हाथ में शराब का ग्लास लेकर उसे अपने होंठों से लगाते हुए हुक्म दिया.

मैं इस तरह के हुक्म के लिए शायद तैय्यार नही थी-इसलिए कुछ सोच विचार मे पड़ गयी.

‘मेरे पास समय कम है और तुम्हे जैल मे 10 साल के लिए बंद करने मे मैं ज़्यादा समय नही लगौँगा.” राज का एक हाथ अभी भी अपने खड़े कॉक को सहलाने मे व्यस्त था और दूसरे हाथ मे वो शराब का ग्लास लिए हुए था.

शर्म और जलालट से मैं जली जा रही थी.मुझे जैल का डर दिखा कर वो मुझे खरीदे हुए गुलाम से भी गया बीता सलूक कर रहा था.लेकिन मेरे पास कोई दूसरा ऑप्षन नही था इसलिए मैने ना चाहते हुए भी अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए.पहले मैने अपने टॉप के उपर वाले दोनो बटन खोल दिए और फिर उसको उतार डाला-अब मेरे उपरी हिस्से पर सिर्फ़ एक रेड ब्रा रह गयी थी-इसके बाद मैने अपना हाथ स्कर्ट की ज़िप की तरफ बढ़ाया और आहिस्ता आहिस्ता स्कर्ट भी मेरे बदन से अलग हो गयी-मेरे बदन पर अब सिर्फ़ ब्रा और पॅंटी रह गयी थी.

“ बस सर, अब और कपड़े मत उतर्वाओ मेरे प्लीज़…मुझे बहुत शर्म आ रही है.” मैने राज से रेक्व्सेस्ट करते हुए कहा.

“ ठीक है.इधर आकर मेरी गोद मे कुछ देर बैठ जाओ”राज ने अपनी दोनो टांगे फैलाते हुए कहा.जैसे ही मैं उसकी गोद मे बैठी उसका एक हाथ मेरे सीने की गोलाईओं से खेलने लगा और दूसरा हाथ मेरी पॅंटी के अंदर चला गया.

007
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Re: नशे की सज़ा

Unread post by 007 » 31 Oct 2014 22:37

गतांक से आगे..............................

कुछ देर तक वो मेरे बदन से ऐसे ही खेलता रहा.फिर अचानक मुझे अपनी गोद से अलग करते हुए बोला-;”चलो फिर से खड़ी हो जाओ !”

उसके हुक्म के मुताबिक मैं फिर से खड़ी हो गयी.ब्रा और पॅंटी अभी भी मेरे बदन पर मौजूद थे.

‘अब अपने बाकी के कपड़े भी उतारो और बिल्कुल नंगी हो जाओ.” इनस्पेक्टर के होंठों पर अजीब सी मुस्कान थी.

मैने आहिस्ता आहिस्ता अपने हाथों को पीछे ले जाकर ब्रा के हुक को खोला और ब्रा मेरे शरीर से अल्ग हो गयी.अपने हाथों से मैने अपने सीने के कबूतरों को ढकने की कोशिश भी की लेकिन एकदम राज की आवाज़ ने मुझे रोक दिया-“हाथ नीचे करो और पॅंटी भी उतारो.”

मेरे हाथ अब अपने बदन के आख़िरी कपड़े को उतारने मे व्यस्त हो गये और कुछ ही पलों में मैं बिल्कुल नंगी होकर राज के सामने खड़ी हुई थी.अपने एक हाथ को मैने अपनी दोनो जांघों के बीच मे ले जाकर अपने नंगेपन को ढकने का नाकाम प्रयास भी किया लेकिन राज की आगे मेरी एक ना चली-“दोनो हाथों से अपने कान पाकड़ो और 100 बार उत्थक बैठक लगाओ.”

मुझे इस तरह के ह्युमाइलियेशन की ज़रा भी उम्मीद नही थी.

मेरे बदन मे कोई भी हरकत ना देख, राज ने शायद मुझे सबक सिखाने के लिए मेरी सज़ा बढ़ाते हुए कहा-“अब 150 उत्थक बैठक लगानी पड़ेंगी.और देर की तो यह सज़ा और भी बढ़ सकती है-तुम्हारी 10 साल की सज़ा कम करने के लिए कुछ और सज़ा तो देनी ही पड़ेगी.ऊत्थक बैठक लगाने पर तुम्हारी 10 साल की सज़ा घटकर 8 साल रह जाएगी.चलो शुरू हो जाओ फटाफट !”

मैने बिना किसी देरी के अपने कान पकड़कर उत्थक बैठक लगानी शुरू कर दी-शर्म और जलालत से मेरे चेहरा लाल हुआ जा रहा था.

“ ऊत्थक बैठक गिनती भी रहो बोल-बोलकर वरना वो काउंट नही होगी और तुम्हे ज़्यादा उत्थक बैठक लगानी पड़ेंगी.”

राज के होंठों पर बिल्कुल वैसी ही मुस्कान थी जैसे किसी तो सेक्षुयली ह्युमिलियेट करते वक़्त होती है. राज के लिए यह नज़ारा बेहद एरॉटिक था क्यूंकी वो एक हाथ में शराब का ग्लास थामे उसकी हल्की हल्की चुस्कियाँ ले रहा था और उसका दूसरा हाथ अपने खड़े हुए लिंग को सहलाने मे व्यस्त था.

जब तक मैं उत्थक बैठक लगाती रही ,अमित अपनी नज़रों से मेरे नंगे जवान बदन का रस पीता रहा.जैसे ही मेरी 150 उत्थक बैठकों की गिनती पूरी हो गयी मेरा एक हाथ अपने आप ही मेरी दोनो टाँगों के बीच चला गया और मेरे योनि प्रदेश को ढकने की नाकाम कोशिश करने लगा.मेरा दूसरा हाथ अपने सीने को ढकने की नाकाम कोशिश मे लग गया.लकिन राज के इरादे कुछ और ही थे-वो मेरी तरफ देखकर कहा-“ चलो अपने दोनो हाथ पीछे करो और धीरे धीरे अपनी कमर मतकाती हुई मेरी तरफ आओ.”

मैं जैसे ही राज के नज़दीक पहुँची, उसका एक हाथ मेरी दोनो टाँगों के बीच के योनि प्रदेश के मखमली भाग को सहलाने मे व्यस्त हो गया-पहली बार किसी मर्द के स्पर्श से मेरे अंदर मानो करेंट सा लगा लेकिन मेरे हाथ पीछे बँधे हुए थे और मेरी इसी असहाय स्तिथि का भरपूर फायडा वो उठा रहा था.बीच बीच में वो मेरे चिकने गोल नितंबों को भी थपथपा कर अपना पूरा मनोरंजन कर रहा था.अचानक उसने अपना हाथ योनि पर से हटाया और बोला-“अपनी टाँगे फैलाओ”

जैसे ही मैने अपनी टाँगे फैलाई उसने दोबारा से मेरे योनि प्रदेश और जांघों के भीतर के चिकने भाग पर अपना हाथ फिराना शुरू कर दिया.अपने दूसरे हाथ से वो अभी भी अपने लिंग को पॅंट के उपर से ही सहलाए जा रहा था जो अब तन कर टेंट की तरह हो गया था.

“ चलो घुटनो के बल बैठ जाओ और मेरी पॅंट की ज़िप को खोलो” राज ने मुझे ऑर्डर दिया.

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Re: नशे की सज़ा

Unread post by 007 » 31 Oct 2014 22:37

मैं घुटनो के बल बैठ गयी और अपने हाथ उसकी पॅंट की ज़िप खोलने के लिए जैसे ही बढ़ाए,उसने मुझे रोकते हुए कहा-“हाथों से नही अपने मूह से खोलो मेरी पॅंट की ज़िप को.” इससे बढ़कर ह्युमाइलियेशन शायद किसी लड़की का नही हो सकता था लेकिन मैं पूरी तरह उसके चंगुल मे फँस चुकी थी.मैने काफ़ी कोशिश करने के बाद अपने मूह और होंठों का इस्तेमाल करते हुए उसकी पॅंट की ज़िप खोल दी और उसका तना हुआ लिंग यकायक मेरे गाल्लों से टकराया.

“अभी तक तुम बिल्कुल ठीक तरह से सहयोग कर रही हो “,

राज ने मेरी तरफ देखा-“ अब अगर तुमने मुझे मेरे लिंग को चाटने और चूसने मे भी मुझे खुश कर दिया तो तुम्हारी बाकी की बची 8 साल की सज़ा घटकर सिर्फ़ 5 साल ही रह जाएगी.बोलो मंज़ूर है ?”

“हां सर” मेरे मूह से निकला.

“क्या हां सर.सॉफ सॉफ बोल.” अमित ने अपने लिंग का स्पर्श मेरे होंठों से कराते हुए कहा.

“हां सर मैं आपके लिंग को चटकार,चूमकर और चूस्कर आपको पूरी तरह से खुश कर दूँगी ताकि मेरी सज़ा घटकर 5 साल रह जाए.” मेरे मूह से अपने आप ही यह सब निकल गया.

“ चलो अब शुरू हो जाओ ! “ इनस्पेक्टर ने अपनी टाँगे फैलाते हुए जैसे मेरा काम आसान कर दिया.

मैने जैसे ही अपने होंठों से उसके लिंग के ईगल भाग का स्पर्श किया,उसने मेरे गाल्लों पर हल्की सी चपत लगाते हुए मुझे रोक दिया- “ चाटने के लिए होंठों का नही जीभ का इस्तेमाल करते हैं.चलो अपनी जीभ निकालो और मेरे पूरे लिंग के उपर फिराते हुए इसे चातो.”

मैं उसका मतलब समझ गयी और उसके हुक्म के मुताबिक उसके लिंग के उपरी भाग पर अपनी जीभ फिरानी शुरू कर दी.कुछ देर तक वो मेरी जीभ से अपने लिंग की ऐसे ही मालिश करवाकर मज़े लेता रहा.

“चलो अब इसे अपने मूह के अंदर करो और फिर से इस पर अपनी जीभ फिरओ.” राज ने मुझे अगला हुक्म देते हुए कहा.उसे शायद होंठों के वजए जीभ के इस्तेमाल में ज़्यादा मज़ा आ रहा था.मैने वही किया जो वो चाहता था-मेरी सज़ा का घटना उसकी खुशी पर ही निर्भर था.

जब मुझे अपनी जीभ फिराते हुए कुछ देर हो गयी,तो वो फिर से बोला-“ इसे और अंदर तक लेकर चूसना शुरू करो.ध्यान रहे तुम्हारे दाँतों का इससे स्पर्श भी नही होना चाहिए और बीच बीच में अपनी जीभ भी फिराती रहना ताकि भरपूर मज़ा आता रहे.” ऐसा लग रहा था जैसे राज अपनी किसी फॅंटेसी को पूरा करना चाहता था और उसके अंदर के सभी अरमान शब्द बन कर उसके होंठों से बाहर आ रहे थे.मैने भी अब अपना मन बना लिया था कि राज को पूरी तरह खुश करके अपनी सज़ा कम करवाकर ही रहूंगी इसके लिए चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े.

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