हमने कार चलानी शुरू की. मॅम ने अपने हाथ स्टियरिंग पर रख लिए. मैने अपने हाथ मॅम के हाथों पर रख लिए . आज मॅम की हिप्स मेरे लंड पर बार बार हिल रही थी. कुछ देर बाद मैने कहा
मॅम .अब मैं अपने हाथ स्टियरिंग से हटा रहा हूँ”
हां..अपने हाथ स्टियरिंग से हटा लो”
मैने हाथ स्टियरिंग से उठा कर मॅम की ब्रेस्ट पर रख दिए..और वाह…मज़ा आ गया..मॅम ने आज ब्रा नहीं पहनी थी..इससलिए आज मॅम के ब्रेस्ट बड़े सॉफ्ट और मासल लग रहे तहे..मैने मॅम के ब्रेस्ट को धीरे-धीरे दबाना शुरू कर दिया..मॅम की सिल्क की सलवार में उनके ब्रेस्ट को दबाने में बड़ा मज़ा आ रहा ..मॅम ने अपनी टाँगें(लेग्स) वाइड करली और अब उनकी बुर मेरे लंड पर थी…मैने अपना एक हाथ मॅम की कमीज़ में डाला और मॅम की ब्रेस्ट को दबाने लगा..
मॅम.मज़ा.आ रहा है”
आ..आ..किसमे”
कार चलाने में”
हां.कार चलाने में भी मज़ा आ रहा है”
मॅम.अब आपको स्टियरिंग संभालना आ गया”
ह्म”
अब मैने अपना दूसरा हाथ भी मॅम की कमीज़ में डाल दिया और उसको भी दबाने लगा
आहह..ह..सुमित तुम…आ.. यह क्या कर रहे हो”
मॅम.आपको कार सीखा रहा हूँ”
सुमित.तुम्हारे हाथ कार के स्टियरिंग पर होने चाहिए”
पर मॅम …आपके स्टियरिंग संभालने में ज़्यादा मज़ा आ रहा है”
तुम्हे मेरे साथ ऐसा नहीं करना चाहिए…..और वैसे भी मैं तो एक मोटी और काली औरत हूँ..मुझ में तुम्हे क्या अच्छा लगेगा”
मॅम आपकी एक एक चीज़ अच्छी है”
सुमित मैं थोड़ा थक गयी हूँ..पहले तुम कार रोक लो…आगे जा कर थोड़ी झाड़ियाँ(बुशस) हैं..कार वहाँ ले चलो”
यस मॅम”
मैने कार झाड़ियों में जा कर रोक ली
बस थोड़ी देर आराम कर लेते हैं…हां तो सुमित इस मोटी और काली औरत में तुम्हे क्या अच्छा लगा होगा”
मॅम.एक बात बोलूं”
हाँ बोलो”
मॅम.आपके संतरे बहुत अच्छे हैं”
क्या..संतरे.मैं क्या कोई पेड़ (ट्री) हूँ जो मुझ में संतरे हो”
मॅम यह वाले संतरे” मैने मॅम के ब्रेस्ट को दबाते हुए कहा
आहह.आहह…”
मॅम आपके खरबूज़े भी बहुत अच्छे हैं”
क्या.खरबूज़े.मुझ में खरबूज़े कहाँ हैं”
मॅम आइ मीन टू से युवर हिप्स”
झूट.मेरी हिप्स तो बहुत चौड़ी(वाइड) और मोटी हैं”
यह कहकर मॅम खड़ी हो गयी और अपनी सलवार नीचे कर दी . मॅम ने पॅंटी नहीं पहनी हुई थी
देखो ना …कितनी बड़ी हैं मेरी हिप्स” मैं तो देखता ही रह गया . मॅम की हिप्स मेरे मूँह के पास थी मैं मॅम की हिप्स पर हाथ फेरने लगा
मॅम मुझे तो ऐसी ही हिप्स अच्छी लगती हैं.बड़ी और डार्क”
मॅम..आपके हिप्स की स्मेल बहुत अच्छी”
यह कह कर मैं मॅम की हिप्स पर किस करने लगा. मैं मॅम के क्रॅक मे जीभ (टंग) मारने लगा
हिन्दी में मस्त कहानियाँ
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ओह..ऊओ.सुमित यह क्या कर रहे हो”
मॅम…मुझे खरबूज़े बहुत अच्छे लगते हैं”
ओह्ह..और क्या अच्छा लगता है तुम्हे”
चूयिंग गम”
क्या..चूयिंग-गम.वो कौनसा पार्ट है”
जवाब में मैं मॅम की चूत दबाने लगा
ऊहह..आह.आह.सुमित….चूयिंग-गम को दबाते नहीं हैं”
मॅम..इस पोजीसन से मैं चूयिंग-गम को छू नहीं कर सकता”
सुमित.कार की पिछली सीट पे चूयिंग-गम छुई जा सकती है”
फिर हम दोनो पिछली सीट पर आ गये. मॅम ने टाँगें(लेग्स) खोल ली और अपनी चूत पे हाथ रख कर बोली
सुमित.यह रही तुम्हारी चूयिंग-गम”
मैं मॅम की चूत चाटने लगा. मॅम सीट पे लेटी हुई थी. मेरी जीभ मॅम की चूत पे और मेरे हाथ मॅम की ब्रेस्ट को दबा रहे थे. मैं करीब 10 मिनिट तक मॅम की चूत पे जीभ मारता रहा
सुमित..क्या तुम्हारी पेन्सिल शार्पेंड है”
क्या मतलब”
बुद्धू..मेरे पास शारपनर है और पेन्सिल तुम्हारे पास है..”
यस मॅम..मेरी पेन्सिल को शार्प कर दीजीये”
लेकिन पहले तुम अपनी पेन्सिल दिखाओ तो”
मैने अपनी जीन्स उतार दी . मैने अंडरवेर नहीं पहना था. मैं अपना लंड मॅम के मूँह के पास ले गया तो मॅम ने जल्दी से उसे अपने मूँह में ले लिया.कुछ देर तक मॅम मेरा लंड चूस्ति रही..फिर बोली
सुमित..तुम्हारी पेन्सिल काफ़ी अच्छी क्वालिटी की है”
मॅम क्या आपका शारपनर भी अच्छी क्वालिटी का है”
यह तो पेन्सिल शार्प होने पर ही पता चलेगा”
तो मॅम करलूँ अपनी पेन्सिल शार्प”
येस्स्स्स…सुमित..जस्ट डू इट..फक मी.यस फक मी हार्ड…चोद मी..स्क्रू मी..”
मैने अपना लंड मॅम की चूत में डाल दिया और धक्के देने लगा
ओह्ह्ह..सुमित..माइ डार्लिंग..युवर पेन्सिल ईज़ फिट फॉर माइ शारपनर….आआहह..वेरी गुड..कीप डोइंगगगगगग…सुमित..मेरे संतरों को ना भूलो…इन्हे तुम्हारे हाथों की सख़्त ज़रूरत है”
मॅम.आ.आपकी चूत मारने में बहुत मज़ा आ रहा है”
एयेए…हह..सुमित.बच्चे.अपनी मेडम के संतरों से मिल्क-शेक तो पियो”
फिर मैं धक्के देने के साथ साथ मॅम के निपल्स को मूँह में लेकर चूस्ता रहा. कुछ ही देर बाद मॅम के बूब्स में से दूध निकलने लगा और मैं पीने लगा
आऐईए.सुमित..और तेज़..तेज़ तेज़ धक्का मारो..आज अच्छी तरह ले लो मेरी.मेरे मिल्क-शेक का फ़ायदा उठाओ..स्पीड बढ़ाओ”
मैने तेज़ तेज़ धक्के मारने शुरू कर दिए. करीब 15 मिनिट बाद
एयेए.ओह्ह.सुमीईइत्त्त्त….तेज़…मैं आने वाली हूँ”
मैं और मॅम एक साथ ही झाडे
आ.एयाया..आहा..आइ लव यू सुमित..मज़ा आ गया”
यस मॅम..आपका शारपनर ग़ज़ब का है”
तुम्हारी पेन्सिल भी कमाल की है..”
मॅम मैं आपके पीछे वाले शारपनर को भी यूज़ करना चाहता हूँ”
पीछे वाला शारपनर..मैने कभी नहीं यूज़ करवाया”
लेकिन मुझे तो करने देंगी ना”
शुवर..लेकिन बाकी का काम घर चल कर..और फिर अभी तो मुझे कार सीखने में कुछ दिन और लगेंगे”
तबसे मैं और मॅम हर मौके पर चुदाई करते थे और मॅम से ट्यूशन पड़ते वक़्त हम दोनो बिल्कुल नंगे होते थे .
समाप्त
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एक यादगार और मादक रात पार्ट --1
मेरा नाम है कैलाश. में देहाती लड़की हूँ, हाइ स्कूल तक पढ़ी हुई. मेरी शादी दो साल पहले हुई है. मेरे पति गंगाधर किसान है. वो 22 साल के हैं और में 18 साल की. घर में हम दोनो ही हैं, उन के माता पिता कई सालों से गुजर गये थे. आज में आप को मेरी निजी कहानी सुनाने जा रही हूँ.
छ्होटी उमर से ही मुझे सेक्स का भान था. हम देहाती बच्च्चे बचपन से ही गाय, भेंस, कुत्ते वगेरह प्राणिओ की चुदाई देख पाते हेँ. मेरे पिताजी के घर कई गाएँ थी. वो जब चुदवाने के लिए हीट में आती थी तब हमारा नौकर सांड़ ले आता था. बचपन से ही मेने सांड़ का पतला लंबा लंड गाय की चूत में जाता देखा था. दस साल की उम्र तक ऐसे सेक्स देखने से मुझे कुछ नहीं होता था. बढ़ती उम्र के साथ गाय की चुदाई देख में उत्तेजित होती जाती थी.
बारह साल में मेरी माहवारी शुरू हुई तब मेरी बड़ी बहन ने मुझे वो कहा जो में जानती थी. उस ने कहा कि पति जो करे वो करने देना, पाँव लंबे रख कर सोते रहना. मेरे सीने पर बड़े बड़े स्तन उभर आए थे और नितंब भारी चौड़े हो गये थे. भोस पर काले घुंघराले बाल निकल आए थे. उसी साल मेरी मँगनी गंगाधर से हो गयी. पहली बार वो हमारे घर आए और हम मिले तब गंगा ने मेरी कच्ची चुचियाँ सहलाई थी, मेरा हाथ थाम कर अपना लंड पकड़ा दिया था. मुझे गुदगुदल हो गई थी. इतने में जीजी ना आ जाती तो उस दिन में अवश्य चुद जाती.
खेर, 16 साल की उम्र में शादी कर के में ससुराल आई. पहली रात ही मेरे पति ने मुझे जिस तरह चोदा ये में कभी भूल ना पाउन्गि. आधा घंटे तक चूमा चाती और स्तन से खिलवाड़ किया, भोस सहलाई, मेरे हाथ से लंड सहलवाया बाद में चूत में डाला. योनि पटल टूटा तब दर्द तो हुआ लेकिन चुदवाने के आवेश में मालूम ना पड़ा. एक घंटे तक चली चुदाई के दौरान में दो बार झड़ी. आज भी वो मुझे ऐसे चोदते हेँ कि जैसे हमारी सुहाग रात हो. हम दोनो एक तुझ से खूब प्यार करते हेँ. हमारे बीच समझौता हुआ है कि वो मन चाहे वो लड़की को चोद सके और में कोई भी मर्द से चुदवा सकती हूँ . लेकिन ऐसा अब तक हुआ नहीं था.
शादी के दो साल बाद मेरे पति के एक दूर के चाचा कई साल अफ्रीका रह कर वापस लौटे. उन के परिवार में एक लड़का था, परेश, मेरी उमर का और एक लड़की थी, माधवी जो दो साल छ्होटी थी. अफ्रीका में वो भाई बहन रेसिडेन्षियल स्कूल में पढ़े थे. चाचा नया घर बनवा रहे थे, उस दौरान वो सब हमारे मकान में ठहरे.
परेश और माधवी बड़े प्यारे थे. उन के साथ मेरी अच्छि बन गयी थी. नये घर में जाने के बाद भी वे रोज मेरे घर आते थे और दुनिया भर की बातें करते थे. मेने देखा कि उन दोनो काफ़ी हुशियार थे लेकिन सेक्स के बारे में बिल्कुल अग्यात थे. परेश मानता था कि लड़की के मुँह से लड़के का मुँह लगने से बच्चा पैदा होता है. माधवी कुच्छ ज़्यादा जानती थी लेकिन उसे पता नहीं था कि चुदाई कैसे की जाती है.
एक दिन गंगाधर को दूसरे गाँव जाना हुआ. इतने बड़े मकान में रात को अकेले रहने से मुझे डर लगता था. मेने परेश और माधवी को सोने के लिए बुला लिए, चाचा चाची की मंज़ूरी साथ.
रात का खाना खा कर हम ताश खेलने लगे. परेश ने रानी डाली उस पर मेने राजा डाला. माधवी शरमाती हुई हसी और बोली, "रानी पर राजा चढ़ गया, अब बच्चा होगा."
परेश : क्या बकवास करती हो ?
माधवी : तू नहीं समझेगा. है ना भाभी ?
में : ये तो ताश है. इस में बच्चा कच्चा कुच्छ नहीं होता.
बाज़ी आगे चली. माधवी की रानी पर मेने गुलाम डाला. माधवी फिर बोली : भाभी, रानी पर गुलाम चढ़ने से तो राजा उसे मार डालेगा.
परेश अब गुस्सा हो गया, पन्ने फैंक दिए और बोला : ये क्या चढ़ने उतरने की चला रक्खी है ?
मेने उसे शांत किया. मुँह च्छुपाए माधवी हस रही थी. वो बोली : भैया, भाभी से कहो तो बच्चा कैसे पैदा हो ता है.
परेश चुप रहा. मेने धीरे से पुचछा : कहो तो सही, में जानूँ तो.
परेश ने माधवी से कहा : छिपकली, तू ही बता दे ना, हुशियार कहीं की
माधवी की शर्म और हसी थमती ना थी, परेश का गुस्सा थमता ना था.
मेने कहा : माधवी तू ही बता.
सर झुका कर, दाँतों में उंगली डाल कर वो बोली : भीया कहते हैं कि लड़का लड़की का हाथ पकड़ कर मुँह से मुँह लगाता है तब बच्चा पैदा होता है.
में : और तुम क्या कहती हो ?
माधवी ने मुँह फेर लिया और बोली : नहीं बताती, मुझे शर्म आती है.
अब परेश बोला : में कहूँ. वो कहती है कि जब लड़की पर लड़का चढ़ता है तब बच्चा होता है. क्या ये सच है भाभी ?
में : सच तो है लेकिन पूरा नहीं. माधवी, जानती हो कि उपर चढ़ कर लड़का क्या करता है ?
सर हिला कर माधवी ने हा कही और बोली : चोदता है.
ये सुन कर परेश अवाक हो गया. फिर बोला : माधवी गंदा बोली.
में समझ गयी कि दोनो में से किसी को पता नहीं था कि चोदना क्या है.
में ; जानती हो चोदना क्या होता है ?
माधवी : एक दूजे के मूह से मुँह मिलते हैं.
परेश : वो तो में कब का कह रहा हूँ.
में : रूको.मुँह से मुँह लगता है चुदाई में, लेकिन इस से ज़्यादा ओर कुच्छ भी होता है.
माधवी : भाभी तुम बताओ ना.. बड़े भैया तुम्हे रोज...रोज..चोदते होंगे ना ?
परेश : माधो , तुम बहुत गंदा बोलती हो.
माधवी : तुम्हे क्या ? तुम भी बोलो.
में : झगाडो मत. अब कौन बताएगा कि लड़का और लड़की में फ़र्क क्या है ?
परेश : लड़के को दाढ़ी मुछ होते हेँ और लड़की के सीने पर चुचियाँ.
में : सही. लेकिन मुख्य फ़र्क कौन सा है ?
माधवी : जाँघो बीच लड़की की पिंकी होती है और लड़के की नुन्नि.
में : बराबर. जब वो बड़े होतेहें तब उसे भोस और लॉडा कहते हेँ.
मेरा नाम है कैलाश. में देहाती लड़की हूँ, हाइ स्कूल तक पढ़ी हुई. मेरी शादी दो साल पहले हुई है. मेरे पति गंगाधर किसान है. वो 22 साल के हैं और में 18 साल की. घर में हम दोनो ही हैं, उन के माता पिता कई सालों से गुजर गये थे. आज में आप को मेरी निजी कहानी सुनाने जा रही हूँ.
छ्होटी उमर से ही मुझे सेक्स का भान था. हम देहाती बच्च्चे बचपन से ही गाय, भेंस, कुत्ते वगेरह प्राणिओ की चुदाई देख पाते हेँ. मेरे पिताजी के घर कई गाएँ थी. वो जब चुदवाने के लिए हीट में आती थी तब हमारा नौकर सांड़ ले आता था. बचपन से ही मेने सांड़ का पतला लंबा लंड गाय की चूत में जाता देखा था. दस साल की उम्र तक ऐसे सेक्स देखने से मुझे कुछ नहीं होता था. बढ़ती उम्र के साथ गाय की चुदाई देख में उत्तेजित होती जाती थी.
बारह साल में मेरी माहवारी शुरू हुई तब मेरी बड़ी बहन ने मुझे वो कहा जो में जानती थी. उस ने कहा कि पति जो करे वो करने देना, पाँव लंबे रख कर सोते रहना. मेरे सीने पर बड़े बड़े स्तन उभर आए थे और नितंब भारी चौड़े हो गये थे. भोस पर काले घुंघराले बाल निकल आए थे. उसी साल मेरी मँगनी गंगाधर से हो गयी. पहली बार वो हमारे घर आए और हम मिले तब गंगा ने मेरी कच्ची चुचियाँ सहलाई थी, मेरा हाथ थाम कर अपना लंड पकड़ा दिया था. मुझे गुदगुदल हो गई थी. इतने में जीजी ना आ जाती तो उस दिन में अवश्य चुद जाती.
खेर, 16 साल की उम्र में शादी कर के में ससुराल आई. पहली रात ही मेरे पति ने मुझे जिस तरह चोदा ये में कभी भूल ना पाउन्गि. आधा घंटे तक चूमा चाती और स्तन से खिलवाड़ किया, भोस सहलाई, मेरे हाथ से लंड सहलवाया बाद में चूत में डाला. योनि पटल टूटा तब दर्द तो हुआ लेकिन चुदवाने के आवेश में मालूम ना पड़ा. एक घंटे तक चली चुदाई के दौरान में दो बार झड़ी. आज भी वो मुझे ऐसे चोदते हेँ कि जैसे हमारी सुहाग रात हो. हम दोनो एक तुझ से खूब प्यार करते हेँ. हमारे बीच समझौता हुआ है कि वो मन चाहे वो लड़की को चोद सके और में कोई भी मर्द से चुदवा सकती हूँ . लेकिन ऐसा अब तक हुआ नहीं था.
शादी के दो साल बाद मेरे पति के एक दूर के चाचा कई साल अफ्रीका रह कर वापस लौटे. उन के परिवार में एक लड़का था, परेश, मेरी उमर का और एक लड़की थी, माधवी जो दो साल छ्होटी थी. अफ्रीका में वो भाई बहन रेसिडेन्षियल स्कूल में पढ़े थे. चाचा नया घर बनवा रहे थे, उस दौरान वो सब हमारे मकान में ठहरे.
परेश और माधवी बड़े प्यारे थे. उन के साथ मेरी अच्छि बन गयी थी. नये घर में जाने के बाद भी वे रोज मेरे घर आते थे और दुनिया भर की बातें करते थे. मेने देखा कि उन दोनो काफ़ी हुशियार थे लेकिन सेक्स के बारे में बिल्कुल अग्यात थे. परेश मानता था कि लड़की के मुँह से लड़के का मुँह लगने से बच्चा पैदा होता है. माधवी कुच्छ ज़्यादा जानती थी लेकिन उसे पता नहीं था कि चुदाई कैसे की जाती है.
एक दिन गंगाधर को दूसरे गाँव जाना हुआ. इतने बड़े मकान में रात को अकेले रहने से मुझे डर लगता था. मेने परेश और माधवी को सोने के लिए बुला लिए, चाचा चाची की मंज़ूरी साथ.
रात का खाना खा कर हम ताश खेलने लगे. परेश ने रानी डाली उस पर मेने राजा डाला. माधवी शरमाती हुई हसी और बोली, "रानी पर राजा चढ़ गया, अब बच्चा होगा."
परेश : क्या बकवास करती हो ?
माधवी : तू नहीं समझेगा. है ना भाभी ?
में : ये तो ताश है. इस में बच्चा कच्चा कुच्छ नहीं होता.
बाज़ी आगे चली. माधवी की रानी पर मेने गुलाम डाला. माधवी फिर बोली : भाभी, रानी पर गुलाम चढ़ने से तो राजा उसे मार डालेगा.
परेश अब गुस्सा हो गया, पन्ने फैंक दिए और बोला : ये क्या चढ़ने उतरने की चला रक्खी है ?
मेने उसे शांत किया. मुँह च्छुपाए माधवी हस रही थी. वो बोली : भैया, भाभी से कहो तो बच्चा कैसे पैदा हो ता है.
परेश चुप रहा. मेने धीरे से पुचछा : कहो तो सही, में जानूँ तो.
परेश ने माधवी से कहा : छिपकली, तू ही बता दे ना, हुशियार कहीं की
माधवी की शर्म और हसी थमती ना थी, परेश का गुस्सा थमता ना था.
मेने कहा : माधवी तू ही बता.
सर झुका कर, दाँतों में उंगली डाल कर वो बोली : भीया कहते हैं कि लड़का लड़की का हाथ पकड़ कर मुँह से मुँह लगाता है तब बच्चा पैदा होता है.
में : और तुम क्या कहती हो ?
माधवी ने मुँह फेर लिया और बोली : नहीं बताती, मुझे शर्म आती है.
अब परेश बोला : में कहूँ. वो कहती है कि जब लड़की पर लड़का चढ़ता है तब बच्चा होता है. क्या ये सच है भाभी ?
में : सच तो है लेकिन पूरा नहीं. माधवी, जानती हो कि उपर चढ़ कर लड़का क्या करता है ?
सर हिला कर माधवी ने हा कही और बोली : चोदता है.
ये सुन कर परेश अवाक हो गया. फिर बोला : माधवी गंदा बोली.
में समझ गयी कि दोनो में से किसी को पता नहीं था कि चोदना क्या है.
में ; जानती हो चोदना क्या होता है ?
माधवी : एक दूजे के मूह से मुँह मिलते हैं.
परेश : वो तो में कब का कह रहा हूँ.
में : रूको.मुँह से मुँह लगता है चुदाई में, लेकिन इस से ज़्यादा ओर कुच्छ भी होता है.
माधवी : भाभी तुम बताओ ना.. बड़े भैया तुम्हे रोज...रोज..चोदते होंगे ना ?
परेश : माधो , तुम बहुत गंदा बोलती हो.
माधवी : तुम्हे क्या ? तुम भी बोलो.
में : झगाडो मत. अब कौन बताएगा कि लड़का और लड़की में फ़र्क क्या है ?
परेश : लड़के को दाढ़ी मुछ होते हेँ और लड़की के सीने पर चुचियाँ.
में : सही. लेकिन मुख्य फ़र्क कौन सा है ?
माधवी : जाँघो बीच लड़की की पिंकी होती है और लड़के की नुन्नि.
में : बराबर. जब वो बड़े होतेहें तब उसे भोस और लॉडा कहते हेँ.