अनोखा रिश्ता... अनोखी चाहत...hindi sex story

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Re: अनोखा रिश्ता... अनोखी चाहत...hindi sex story

Unread post by sexy » 12 Oct 2015 16:22

समीना टॉमी की इस पोज़िशन से घबरा गयी थी। वो डर गयी थी कि टॉमी जैसे सेहतमंद और भारी जिस्म के कुत्ते के नीचे थी वो। उसे डर लगने लगा के कहीं टॉमी उसे कोई नुकसान ही ना पहुँचा दे... कहीं अपने बड़े-बड़े नोकीले दाँतों के साथ उसे काट ही ना दे। इसी लिये वो थोड़ी सहम सी गयी और अब की बार जब टॉमी ने अपना मुँह नीचे ला कर समीना के होंठों को चाटने की कोशिश की तो समीना अपना मुँह उसके आगे से नहीं हटा सकी और अपने चेहरे को टॉमी के सामने बिल्कुल एक ही जगह पर रखते हुए खौफ़ज़दा नज़रों से उसकी आँखों में देखती रही। टॉमी ने जब देखा कि उसकी मालकिन अब कोई मुज़ाहमत नहीं कर रही है तो उसने अपनी लंबी सी ज़ुबान निकाली और समीना के गुलाबी पतले-पतले होंठों को चाटने लगा। उसकी लंबी खुरदरी गुलाबी ज़ुबान एक ही बार में उसके दोनों होंठों को और पूरे मुँह को चाट लेती और वो उसके होंठों को अपने थूक से गीला करने लगा।

समीना को भी महसूस होने लगा कि टॉमी के अंदाज़ में कोई गुस्सा या वहशियानापन नहीं है बल्कि वो अब अपनी रोज़ की रूटीन की तरह ही समीना को चाट रहा है तो समीना भी थोड़ा रिलैक्स होने लगी। उसने अपने दोनों हाथों को नीचे से उठाया और टॉमी की कमर को सहलाने लगी और कभी-कभी उसके पेट को सहलाने लगती ताकि टॉमी भी कुछ और खतरनाक हरकत करते हुए उसे कोई नुकसान नहीं पहुँचाये। टॉमी भी जैसे इस खेल में मज़ा लेने लगा। वो बार-बार अपनी ज़ुबान से समीना के चेहरे और उसके होंठों को चाट रहा था। एक बार समीना ने टॉमी को पीछे करते हुए उसे रोकने के लिये उसका नाम लेने के लिये अपना मुँह खोला तो जैसे ही समीना का मुँह खुला ठीक इसी वक़्त टॉमी की ज़ुबान समीना के होंठों पर आयी और मुँह खुला पाते हुए सीधी उसके मुँह के अंदर घुस गयी। जैसे ही टॉमी की ज़ुबान समीना के मुँह के अंदर दाखिल हुई तो बे-इख्तियारी तौर पर उसे रोकने के लिये समीना का मुँह बंद हो गया। लेकिन इससे पहले काफ़ी देर हो चुकी थी और जो होना था या जो टॉमी करना चाहता था वो हो चुका था। बल्कि इससे कुछ ज्यादा ही हुआ था और वो ये कि जैसे ही समीना ने अपने मुँह को बंद किया तो टॉमी की लंबी ज़ुबान जोकि पहले ही समीना के मुँह के अंदर दाखिल हो चुकी थी अब समीना का मुँह बंद होने की वजह से उसके होंठों के बीच में जकड़ी गयी... एक जानवर... एक कुत्ते की ज़ुबान एक इंसान... एक इंतेहाई खूबसूरत औरत के मुँह के अंदर। उफफफ क्या मंज़र था। समीना खुद भी हैरान रह गयी कि ये क्या हो गया है। मगर अब तो वो कुछ भी नहीं कर सकती थी।

टॉमी की ज़ुबान अभी भी समीना के मुँह के अंदर थी और अभी भी वो उसे हरकत दे रहा था और अब इस जानवर की ज़ुबान समीना जैसी खूबसूरत औरत की ज़ुबान से रगड़ खा रही थी और उसके मुँह को अंदर से जैसे चाट रही थी। समीना ने अपने दोनों हाथों को उसके बड़े से मुँह पर रखते हुए उसे पीछे करने की कोशिश की और अपना मुँह खोल कर दूसरी तरफ़ किया और टॉमी की ज़ुबान अपने मुँह से निकाली। टॉमी ने भी कोई मुज़ाहमत नहीं की और ना ही कोई ज़बरदस्ती करने की कोशिश की। समीना अपनी जगह से उठने लगी तो अब की बार टॉमी समीना के ऊपर से उतर गया और समीना जल्दी से उठ कर बेड से टेक लगा कर बैठ गयी। टॉमी अभी भी उसके सामने खड़ा था और अभी भी जैसे उसके ऊपर ही चढ़ा हुआ था। मगर अब फ़िर से उसका अंदाज़ प्यार और लाड़ भरा था... खेलने के अंदाज़ में और अब भी वो बार-बार समीना के गालों को अपनी ज़ुबान से छूने की कोशिश कर रहा था और इसमें वो कामयाब भी हो जाता था।

समीना बोली, “बस! बस! इट्स इनफ टॉमी...! गो... गो नाओ!”

टॉमी भी समीना की बात समझ गया हमेशा की तरह और समीना के पास ही बेड के ऊपर बैठ गया समीना के पैरों के करीब और उसके सैंडलों और पैरों को चाटने लगा और अपना सिर और मुँह समीना के पैरों पर रगड़ने लगा। समीना भी आहिस्ता-आहिस्ता टॉमी के जिस्म पर हाथ फिराने लगी और उसके फ़र को सहलाने लगी। आज एक बार तो टॉमी ने समीना को डरा ही दिया था मगर उसके साथ-साथ जो उसने मज़ा दिया था वो भी अलग ही था। ये इसी लज़्ज़त और मज़े का ही नतीजा था कि समीना अभी भी नंगी हालत में सिर्फ़ ब्रा-पैंटी और हाई हील सैंडल पहने हुए अपने टॉमी के पास बेड पे लेटी हुई थी और वो भी बार-बार अपना मुँह और जिस्म समीना के नंगे जिस्म से रगड़ रहा था। दोनों की ही साँसें तेज़-तेज़ चल रही थीं। समीना को अपना मुँह अभी भी टॉमी के थूक से गीला महसूस हो रहा था और अपने मुँह के अंदर उसे अभी भी टॉमी की ज़ुबान का लम्स महसूस हो रहा था और यही सब सोचते हुए समीना मुस्कुराती हुई टॉमी के जिस्म को सहला रही थी।

कुछ देर के बाद समीना ने अपने बेड से उठ कर कपड़े पहने और दरवाज़ा खोल कर बाहर निकलने लगी। टॉमी ने अपनी मालकिन को बाहर जाते हुए देखा तो वो भी बेड से नीचे उतरा और अपनी दुम्म हिलाता हुआ समीना के पीछे-पीछे चल पड़ा। किचन में समीना ने जा के खानसामा के साथ किचन का काम देखा और टॉमी लाऊँज में ही था। समीना को बस यही डर था कि टॉमी जमाल या किसी के भी सामने कोई वैसी हरकत नहीं कर दे जैसी वो उसके साथ कमरे में करता हुआ आया है। मगर शुक्र है कि टॉमी बिल्कुल अपनी रोज़ की रूटीन की तरह रहा। अपने अंदाज़ में कोई भी तबदीली ज़ाहिर नहीं हुई उसके अंदर जिससे समीना भी खुश और मुतमाइन हुई। लेकिन ये बात ज़रूर है कि उसकी नज़रें सारी शाम टॉमी पर ही टिकी रहीं। वो उसके अंदर आज पैदा होने वाली तबदीली और उसके इस नये अंदाज़ पर गौर करती रही। जैसे-जैसे वो उसके बारे में सोचती जाती, वैसे-वैसे ही उसे अच्छा लगने लगता... कुछ भी बुरा नहीं लगता। तभी उसे ये भी याद आया कि उसने उठ कर अपना मुँह भी नहीं धोया था और ना ही कुल्ली की थी और अभी तक वो टॉमी का थूक वैसे ही अपने चेहरे और मुँह के अंदर लिये हुए फ़िर रही थी। लेकिन इस बात के याद आने पर भी वो बस मुस्कुरा ही दी... बिना खुद से या टॉमी से नफ़रत किये। जब-जब समीना को खयाल आता उस मज़े का जो टॉमी की ज़ुबान ने उसके जिस्म को और खास तौर पर उसकी चूत को चाट कर दिया था तो उसका दिल ज़ोरों से धड़क जाता और दिल चाहता कि बस अभी के अभी एक बार फ़िर उसके सामने नंगी हो जाये और उससे अपने जिस्म को चटवाये और वो ही लज़्ज़त दोबारा हासिल करे मगर उसे पता था कि अभी इस बात का मौका नहीं है। उसे इस लज़्ज़त को दोबारा पाने के लिये अगले दिन तक का इंतज़ार करना होगा जब वो घर में अकेली होगी अपने टॉमी के साथ... सिर्फ़ वो और टॉमी... और फ़िर ही वो मस्तियाँ कर सकेंगे। इस वक़्त तो अपने जज़बातों और ख्वाहिशों पर काबू पाने के लिये समीना ने वोडका का एक बैड़ा पैग बनाया और पीने लगी।

अगली सुबह जमाल नाश्ता कर के अपने दफ़्तर जाने के लिये तैयार हुआ और साढ़े नौ बजे के करीब अपनी कार में बैठ कर निकल गया। समीना को भी एक किट्टी-पार्टी में जाना था तो वो भी तैयार होने लगी। टॉमी उसके पीछे-पीछे अपनी दुम्म हिलाता हुआ फिर रहा था और समीना जानती थी कि वो उसे खुश करने की कोशिश कर रहा है। समीना ने बड़े प्यार से उसके सिर सहलाते हुए कहा कि उसके पार्टी से वापस लौटने तक सब्र करे। फिर समीना हमेशा की तरह नये फ़ैशन का डिज़ाऑयनर सलवार-कमीज़ पहन कर अच्छे से तैयार हुई और साथ में पाँच इंच ऊँची पेन्सिल हील के बेहद सैक्सी सैंडल पहने। फिर वो ग्यारह बजे के करीब ड्राइवर के साथ मर्सिडीज़ कार में पार्टी में जाने के लिये निकल गयी। ये अमीर घरों की औरतों की किट्टी-पार्टी थी जिसमें हर दो हफ़्ते में एक बार बीस-पच्चीस औरतें सज-धज कर शरीक़ होती थीं और पैसे लगा कर ताश खेलती... इधर-उधर की बातें और गॉसिप करतीं थीं। इसके अलावा शराब पीना इन किट्टी-पार्टियों में मामुल था। उस दिन समीना ने पार्टी में काफी इंजॉय किया। जब वो चार घंटे बाद वहाँ से निकली तो काफी शराब पी हुई थी और काफ़ी नशे मे थी लेकिन नशा इतना भी नहीं था कि वो खुद को संभाल ना सके।

घर पहुँच कर ड्राइवर ने कार गेट के अंदर ला कर जैसे ही खड़ी की तो टॉमी भागता हुआ कार तक आया। समीना कार से उतरी तो टॉमी हमेशा की तरह प्यार से उसके सैंडल और पैर चाटने लगा। फिर चौंकीदार ने गेट बंद किया और समीना घर के अंदर की तरफ़ चल दी। चलते हुए उसके कदम ज़ाहिर तौर पे नशे में थोड़े लड़खड़ा से रहे थे। चौंकीदार और ड्राइवर के लिये नयी बात नहीं थी इससे पहले भी बहोत बार उनकी मालकिन कभी अपने शौहर के साथ और कभी अकेली इससे भी ज्यादा नशे की हालत में घर वापस आयी थी। समीना थोड़ा लड़खड़ाती हुई अंदर जा रही थी और टॉमी भी समीना के पीछे-पीछे था अठखेलियाँ करता हुआ... कभी उससे आगे निकलता तो कभी पीछे चलने लगता और कभी उसकी टाँगों से अपना जिस्म सहलाता। समीना उसकी हरकतों को देख-देख कर मुस्कुरा रही थी कि कैसे वो अपनी मालकिन को खुश करने की कोशिश कर रहा है ताकि आज फ़िर वो कल वाला खेल खेल सके। समीना की मुस्कुराहट टॉमी को बता रही थी के उसकी मालकिन को भी कोई एतराज़ नहीं है।

घर के अंदर आकर समीना ने अंदर से दरवाज़ा लॉक कर लिया। अब वो घर के अंदर टॉमी के साथ बिल्कुल अकेली थी। उसे थोड़ी सी बेचैनी भी हो रही थी कि पता नहीं अब क्या होगा। समीना सोफ़े की कुर्सी पर बैठी थी और टॉमी भी उसके करीब ही नीचे ज़मीन पर इधर-उधर फ़िर रहा था... समीना के इर्द गिर्द... उसको लुभाने और अपनी तरफ़ मुत्वज्जाह करने के लिये। समीना ने टेबल पर प्लेट में रखी ब्रेड का एक टुकड़ा कुछ दूर नीचे क़लीन पर फेंका और टॉमी को उसे खाने का इशारा किया। टॉमी ने उस ब्रेड के टुकड़े की तरफ़ देखा और फ़िर से अपना सिर समीना के पैरों पर रगड़ते हुए समीना के गिर्द घूमने लगा। समीना ने दो चार टुकड़े ब्रेड के और भी नीचे फ़ेंके मगर टॉमी ने उनकी तरफ़ भी तवज्जो नहीं दी। समीना समझ गयी कि आज टॉमी की दिलचस्पी कुछ खाने पीने में नहीं बल्कि उसके साथ कल वाला खेल खेलने में है।

कुछ देर के बाद समीना अपनी जगह से उठी और अलमारी में रखे हुए कुत्तों के स्पेशल बिस्कुट निकाल कर एक प्लेट में रख कर नीचे कार्पेट पर टॉमी के आगे रखे। टॉमी उनको खाने लगा और समीना टॉमी को वहीं किचन में छोड़ कर अपने कमरे में आ गयी। समीना ने अपने कमरे में आते ही सैंडल छोड़ कर अपने बाकी सारे कपड़े उतार दिये और बाथरूम में चली गयी फ्रेश होने के लिये। समीना फ्रेश होकर फ़ारिग़ हुई तो कपड़े पहनने की बजाय एक बड़ा सा तौलिया अपने जिस्म पर लपेट कर बाहर निकल आयी। तौलिया उसके मम्मों के ऊपरी हिस्से से ले कर उसकी आधी रानों तक था और बाकी का पूरे का पूरा गोरा-गोरा जिस्म बिल्कुल नंगा था। समीना के लिये ये कोई नयी बात नहीं थी। वो अक्सर नहाने के बाद भी ऐसे ही बिना तौलिया लपेटे ही बाहर आकर सबसे पहले अपने सैंडल पहनती और फ़िर बाल ब्रश करने के बाद फ़िर कपड़े पहनती थी। आखिर घर के अंदर और कोई होता ही नहीं था तो वो किससे डरती या पर्दा करने की कोशिश करती। आज भी समीना नहा कर तौलिया लपेट कर बाहर आयी और बेडरूम में सोफ़े की कुर्सी पर बैठ गयी। सैंडल तो उसने पहले उतारे ही नहीं थे।

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Re: अनोखा रिश्ता... अनोखी चाहत...hindi sex story

Unread post by sexy » 12 Oct 2015 16:22

शराब का नशा समीना पर अभी भी छाया हुआ था और समीना को ये सुरूर बहोत खुशगवार लग रहा था। शराब के नशे की कैफ़ियत में हमेशा ही समीना के जिस्म की गर्मी बढ़ जाती थी और चूत में मीठी सी मस्ती भरी कसक उठने लगती थी। वो आँखें बंड करके बैठी हुई टॉमी के बारे में सोचने लगी। वो कुछ फ़ैसला नहीं कर पा रही थी कि कल की तरह आज भी टॉमी के साथ मज़े और लज़्ज़त का वो ही खेल खेले या कि नहीं। एक तरफ़ उसे ये बात रोक रही थी कि वो एक इंसान है तो कैसे किसी जानवर को अपने जिस्म से इस तरह खेलने दे सकती है जबकि ये बात मुआशरे... मज़हब... और इख्लाकियत... सबके खिलाफ़ थी। मगर दूसरी तरफ़ शैतान उसे बहका रहा था कि जो मज़ा उसे कल एक कुत्ते की ज़ुबान से मिला है वो कभी उसे मर्द... एक इंसान की ज़ुबान से नहीं मिला था। और फ़िर अंग्रेज़ औरतें तो पता नहीं क्या-क्या करती हैं जानवरों के साथ... और वो तो सिर्फ़ थोड़ा बहोत अपने टॉमी के साथ खेल ही रही है ना। वो औरतें तो कुत्तों से ही नहीं बल्कि गधे-घोड़ों से भी अपनी चूत तक चुदवा लेती हैं और वो तो बस अपने जिस्म को ही अपने कुत्ते से चटवा रही है ना। यही सब सोचते हुए उसका हाथ तौलिये के नीचे अपनी चूत तक पहुँच चुका था और वो अपनी चूत को सहला रही थी। उसे इस बात का पता भी नहीं चला था कि कब उसका हाथ अपनी चूत पे पहुँच के उसे सहलाने लगा था। आखिर में समीना ने सब कुछ हालात पर छोड़ दिया कि जो होगा देखा जायेगा।

बेडरूम का दरवाज़ा लॉक नहीं था... बस हल्का सा ही बंद था। थोड़ी देर में समीना को दरवाज़ा खुलने की आवाज़ सुनायी दी। उसने आँखें खोल कर दरवाज़े की तरफ़ देखा तो खुले हुए दरवाज़े में से टॉमी कमरे में दाखिल हो रहा था। उसे अपने कमरे में दाखिल होता हुआ देख कर समीना का दिल ज़ोर से उछल पड़ा और उसके हाथ भी एक लम्हे के लिये तो काँप ही गये और उसने अपनी चूत सहलाना बंद कर दिया। टॉमी छोटे-छोटे क़दमों के साथ आहिस्ता-आहिस्ता दौड़ता हुआ समीना की तरफ़ आया और आकर अपना मुँह समीना की नंगी बाज़ू से रगड़ने लगा। समीना ने भी अपने एक हाथ के साथ टॉमी के सिर को सहलाना शुरू कर दिया।

समीना सोफ़े की कुर्सी पर ऐसे बैठी हुई थी के सिर्फ़ उसका तौलिया उसके जिस्म पर था। उसके मम्मों का ऊपरी हिस्सा और उनके दर्मियान बनती हुई गहरी लकीर भी साफ़ नज़र आ रही थी। निचले हिस्से में उसका तौलिया उसकी आधी रानों तक चढ़ा हुआ था और उसकी गोरी-गोरी आधी रानें और उनसे नीचे पूरी की पूरी चिकनी टाँगें बिल्कुल नंगी थीं। पैरों में बेशक ऊँची पेन्सिल हील के सैंडल मौजूद थे। टॉमी ने जब अपनी मालकिन को उसकी मोहब्बत का जवाब मोहब्बत से देते हुए देखा तो वो फ़ौरन ही समीना के घुटनों को अपनी ज़ुबान से चाटने लगा।

समीना हौले से चिल्लायी, “ऐऐऐ टॉमी! क्या कर रहे हो यार! अभी मैं पार्टी में से थकी हुई आयी हूँ और तुम फ़िर से मेरा जिस्म चाटने लगे हो... हटो पीछे प्लीज़्ज़्ज़!”

समीना उसे कह तो रही थी मगर उसे अपने पास से हटाने के लिये कोई ज़ोर नहीं लगा रही थी। बल्कि उसके सिर पे हाथ फेरते हुए उसे पीछे हटाना चाह रही थी। मगर टॉमी कहाँ मानने वाला था। था तो कुत्ता ही ना... उसने भला किसी की क्या बात माननी है। वो अपनी मर्ज़ी की मुताबिक़ नीचे समीना के सैंडलों के तलवों से ले कर उसकी घुटनों तक उसकी टाँगों को चाटने लगा और अपनी लंबी सी गुलाबी गीली-गीली ज़ुबान से समीना की टाँगों को गीला करने लगा। बूरा तो समीना को भी नहीं लग रहा था। अभी जो काफ़ी देर तक यहाँ बैठी वो सोच रही थी वो सब कुछ एक बार फ़िर उसके साथ होने लगा था। एक बार फ़िर उसका जिस्म-ओ-दिल, दिमाग का साथ छोड़ कर लज़्ज़त का साथ देने लगे थे और बहकने लगे थे... इस अनोखे प्यार... अनोखी चाहत में खोने लगे थे। “आह... हे.. हे... हे... ऊँममम... सीईईई!” उसके मुँह से सिसकारियाँ सी निकलने लगी थीं। वो टॉमी को खुद से दूर करने की बजाय आहिस्ता-आहिस्ता उसका जिस्म और सिर सहला रही थी। टॉमी को और भी शह दे रही थी।

टॉमी था तो कुत्ता... मगर था ज़हीन। अपनी मालकिन की मर्ज़ी को समझ गया था। वो भी अब समीना के पैरों और घुटनों को चाटना छोड़ कर अब समीना के नंगे बाज़ुओं को चाटने लगा था। टॉमी भी पूरे जोश में था। उसकी ज़ुबान बड़ी तेज़ी के साथ उसके मुँह में अंदर-बाहर हो रही थी और समीना के नंगे गोरे-गोरे बाज़ुओं को चाट रही थी। फ़िर वो उसके कंधों तक पहुँच गया और समीना के कंधों को अपनी ज़ुबान से चाटने लगा। फ़िर टॉमी ने अपना मुँह खोल कर समीना के कंधे की गोलाई को अपने अगले नोकदार दाँतों के बीच में लिया और आहिस्ता से उसे अपने अगले दाँतों में दबाने लगा जैसे कि वो समीना को काटने लगा हो। मगर वो काट नहीं रहा था बल्कि जानवरों के मखसूस अंदाज़ में वो समीना से... अपनी मालकिन से... प्यार कर रहा था। पहले-पहल तो समीना को डर लगा कि टॉमी उसे काटने लगा है मगर जब टॉमी के नोकीले दाँतों का बस हल्का-हल्का दबाव ही उसे अपने कंधों पर महसूस हुआ तो उसका खौफ़ कम हुआ और जब टॉमी के इस तरह से हौले-हौले काटने से समीना को लुत्फ़ आया तो उसके मुँह से भी बे इख्तियार सिसकरी निकल गयी और साथ में ही लज़्ज़त के मारे उसकी आँखें बंद हो गयीं। टॉमी के दाँत समीना को अपने गोश्त में धंसते हुए महसूस तो हो रहे थे मगर उसे लग रहा था कि इस में उसे कोई तकलीफ नहीं हो रही थी। इसी लिये वो भी उसे अब रोक नहीं रही थी। टॉमी ने अपने दाँत हटाये तो समीना के कंधे पर उसके दाँतों के हल्के-हल्के निशान पड़ रहे थे और टॉमी ने इसी जगह को अपनी ज़ुबान से चाटना शुरू कर दिया।

लज़्ज़त के मारे समीना की आँखें बंद हो रही थीं। टॉमी उसके नंगे गोरे-गोरे कंधे को चाटता हुआ उसकी गर्दन की तरफ़ बढ़ने लगा और उसकी गर्दन को अपनी ज़ुबान से चाटने लगा। टॉमी से समीना का हर तरह का खौफ़ खतम हो चुका हुआ था। अब वो उसे रोक नहीं रही थी बल्कि उसके जिस्म पर अपना हाथ फ़ेर रही थी और उसके जिस्म को सहला रही थी... उसकी गर्दन को सहला रही थी। जैसे ही टॉमी की ज़ुबान... लंबी खुरदरी ज़ुबान समीना के चेहरे पर पहुँची तो उसने आज एक बार फ़िर से समीना के गोरे-गोरे गालों को चाटना शुरू कर दिया। वो गाल जो आज तक सिर्फ़ उसके शौहर ने ही चूमे और चाटे थे और अब एक कुत्ता भी इस में उसके शौहर का हिस्सेदार हो चुका था। जमाल खान जैसे बड़े आदमी की खूबसूरत बीवी के गोरे-गोरे गालों को एक कुत्ता... उनका अपना कुत्ता चाट रहा था और अपने थूक से उसका पूरे का पूरा चेहरा भर रहा था। अब तो उसकी ज़ुबान समीना के होंठों पर भी पहुँच रही थी और उसके होंठों को चाटने लगी। आज समीना ने टॉमी की इस हरकत का कुछ बुरा नहीं मनाया। बल्कि अपने सामने खड़े हुए टॉमी की गर्दन को सहलाती रही। समीना सोफ़े की कुर्सी पर बैठी हुई थी और टॉमी उसके सामने खड़ा था। इस पोज़िशन में टॉमी का मुँह समीना के चेहरे के बराबर आ रहा था। इस क़दर बड़ा कद और जसामत थी टॉमी की।

जैसे-जैसे टॉमी की ज़ुबान समीना के होंठों को चाटती जाती थी, वैसे-वैसे समीना की मस्ती में इज़ाफ़ा होता जा रहा था। उसे आज ये सब कुछ बुरा नहीं लग रहा था और उसने एक बार भी टॉमी को पीछे हटाने की कोशिश नहीं की और अपने होंठों को उसके सामने से हटाये बगैर टॉमी के सामने बैठी थी। आहिस्ता-आहिस्ता समीना के होंठ खुलने लगे। दोनों होंठों के दर्मियान में खला बनने लगा और पता नहीं क्यों और कैसे, बिना सोचे समझे, बंद आँखों के साथ ही। समीना की ज़ुबान उसके मुँह से बाहर निकल आयी और अगले ही लम्हे समीना की ज़ुबान टॉमी की ज़ुबान से टकरा रही थी। टॉमी की ज़ुबान तेज़ी के साथ हरकत करती हुई समीना की ज़ुबान को चाट रही थी और अब तो समीना की ज़ुबान ने भी थोड़ी हरकत शुरू कर दी हुई थी। दोनों की ज़ुबानें एक दूसरे से टकरा रही थीं और समीना टॉमी के साथ ऐसे मस्त थी जैसे कि वो कोई जानवर नहीं बल्कि उसका कोई आशिक़ हो जिसके साथ वो मस्ती कर रही हो। एक बार तो समीना ने खुद टॉमी की लंबी सी ज़ुबान को अपने होंठों में पकड़ने की कोशिश की और एक-दो बार की कोशिश के बाद इसमें कामयाब हुई। मगर सिर्फ़ थोड़ी देर के लिये ही वो उसकी ज़ुबान को चूस सकी और फ़िर टॉमी की ज़ुबान उसके मुँह में से सरक गयी और फिसल कर बाहर निकल गयी।

ऐसे ही टॉमी के साथ कीसिंग करते हुए और उसके साथ ज़ुबान लड़ाते हुए समीना को पता भी नहीं चला कि कब उन दोनों के जिस्मों की हरकत से समीना के जिस्म पर लिपटा हुआ तौलिया जो उसके सीने के उभारों को... उसके मम्मों को ढाँपे हुए था, वो खुल कर उसके सीने से सरक कर उसकी गोद में आ गिरा। उसके साथ ही समीना के खूबसूरत गोरे-गोरे मम्मे टॉमी के सामने नंगे हो गये। समीना के होंठों और फ़िर ठोढ़ी को चाटता हुआ टॉमी नीचे उसके सीने की तरफ़ आने लगा और फ़िर समीना के गोरे-गोरे सीने को अपनी लंबी ज़ुबान से चाटने लगा। उसकी ज़ुबान जैसे ही समीना के मम्मे से टकरायी तो समीना के मुँह से सिसकारी निकल गयी। मगर टॉमी कहाँ रुकने वाला था। वो तेज़ी के साथ समीना के मम्मों को चाटने लगा... कभी एक को तो कभी दूसरे को। जैसे-जैसे टॉमी की ज़ुबान समीना के निप्पलों को रगड़ने लगी तो समीना तो जैसे तड़पने लगी। मुँह से सिसकारियाँ निकालते हुए वो टॉमी के सिर को अपने सीने की तरफ़ खींचने लगी। अजीब हालत हो रही थी समीना की। आज तक कभी पहले समीना को अपने निप्पलों के छुए जाने से इस क़दर मज़ा नहीं आया था जितना आज उसे टॉमी की ज़ुबान अपने निप्पलों से छूने की वजह से मिल रहा था।

कुछ देर तक समीना के सीने और मम्मों को चाटने के बाद एक बार फ़िर से टॉमी ने समीना को अपने तरीके से काटना शुरू कर दिया। इस बार टॉमी ने अपना मुँह खोला और समीना के पूरे के पूरे मम्मे को अपने बड़े से मुँह के अंदर लेने लगा। अपने दाँतों के दर्मियान और अपने दाँतों में लेकेर उसने एक बार फ़िर से आहिस्ता-आहिस्ता समीना के मम्मे को काटना शुरू कर दिया और अपने दाँतों के बीच में उनको दबाने लगा। समीना के मुँह से हल्की-हल्की चींखें निकलने लगीं... दर्द और खौफ़ के मारे नहीं बल्कि लज़्ज़त के साथ। टॉमी समीना के मम्मों को बारी-बारी ऐसे जगह-जगह से काट रहा था कि जैसे वो उनको खाने की कोशिश कर रहा हो। ऐसे ही तेज़ी के साथ अपनी काटने की जगह तबदील करते हुए समीना का एक निप्पल उसके दाँतों के बीच आ गया और जैसे ही टॉमी ने उसे काटा तो समीना की तो जैसे जान ही निकल गयी। एक तेज़ सिसकारी और चींख उसके हलक़ से निकली... अपने निप्पल में होने वाले हल्के से दर्द की वजह से। मगर उसके साथ ही उसके सारे जिस्म में लज़्ज़त-अमेज़ लहरें दौड़ने लगीं। उसकी चूत गीली होने लगी जोकि इस वक़्त उसके जिस्म का वाहिद हिस्सा था जोकि तौलिये से ढका हुआ था।

समीना को इस क़दर लज़्ज़त मिली... इतना मज़ा आया कि उसने टॉमी का सिर अपने दोनों हाथों में पकड़ा और अपने मुँह की तरफ़ लाते हुए अपने होंठ टॉमी के मुँह के अगले काले हिस्से यानी उसके होंठों पर रख दिये और एक बार उसे चूमने के बाद उसके होंठों पर अपनी ज़ुबान फिराने लगी। टॉमी की हरकतें समीना को मस्त करती जा रही थीं। कुछ देर पहले तक वो टॉमी के साथ कुछ करने या ना करने का फ़ैसला नहीं कर पा रही थी और अब वो खुद को टॉमी के रहम-ओ-करम पर छोड़ चुकी थी और हालात की लहरों पर बहती चली जा रही थी... टॉमी के साथ... जो मस्ती और अनोखी लज़्ज़त के सफ़र में समीना के साथ था। बल्कि इस सफ़र पे समीना को ले जाने वाला भी टॉमी ही था।

कुछ देर के बाद समीना ने अपने जिस्म पर मौजूद आखिरी मगर बे-मक़सद कपड़ा... अपनी रानों पर पड़ा हुआ तौलिया भी उतार के नीचे कार्पेट पे फेंक दिया और अब वो टॉमी के सामने ऊँची हील के सैंडल के अलावा बिल्कुल नंगी थी और टॉमी...वो तो अज़ल से ही नंगा था। जैसे ही टॉमी ने समीना की नंगी रानों को देखा तो फ़ौरन ही नीचे को आकर उसकी रानों को चाटने लगा... कभी एक तो कभी दूसरी को... कभी यहाँ से तो कभी वहाँ से... समीना की रानों को चाटता हुआ टॉमी उसकी रानों के अंदर के हिस्सों की तरफ़ आने की कोशिश कर रहा था और हवस की मारी समीना उसे रोक भी नहीं सकी। उसकी टाँगें खुद-ब-खुद ही खुल गयीं और टॉमी की ज़ुबान समीना के जिस्म के सबसे नाज़ुक और सबसे खास और सब से प्राइवेट हिस्से उसकी चूत की तरफ़ बढ़ने लगी। जैसे ही टॉमी की ज़ुबान ने एक बार में ही समीना की फूल जैसी खुली हुई चूत को पूरे का पूरा चाटा तो समीना का तो पूरे का पूरा जिस्म ही अपनी जगह से उछल कर रह गया। उसने खुद को गिरने से बचाने के लिये टॉमी के मज़बूत जिस्म को जल्दी से दोनों हाथों से पकड़ लिया। अब टॉमी बिना किसी रोकटोक के समीना की चूत को चाट रहा था।

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Re: अनोखा रिश्ता... अनोखी चाहत...hindi sex story

Unread post by sexy » 12 Oct 2015 16:23

दो दिन के अंदर ही समीना जैसी इज़्ज़तदार और खूबसूरत औरत इस हद तक खुल चुकी हुई थी कि इस वक़्त वो बिल्कुल नंगी हो कर बैठी हुई अपने कुत्ते से अपनी चूत चटवा रही थी। इसमें इस बेचरी औरत का भी कोई क़सूर नहीं था। ये तो कमाल था टॉमी जैसे समझदार और तजुर्बेकार कुत्ते का जो अपनी हरकतों और अपनी ज़ुबान के साथ किसी भी औरत को मदहोश करके अपने सामने बेबस कर देने में माहिर था। हक़ीकत में टॉमी कोई आम कुत्ता नहीं था। वो खास तौर से तरबियत-याफ़्ता था। अपने काम में माहिर था यानी उसे तरबियत ही ये दी गयी हुई थी कि एक औरत को कैसे गरम करना और कैसे उसे चोदना है। अपनी इसी खूबी और अपने काम में मुकम्मल महारत की वजह से ही टॉमी अपनी पुरानी मालकिन ज़हरा का पसंदीदा कुत्ता था जिससे चुदवा-चुदवा कर ज़हरा कभी भी बोर नहीं हुई थी। और आज समीना भी सिर्फ़ एक दिन की मुज़ाहमत के बाद ही टॉमी के सामने अपनी सारी मुज़ाहमत खतम कर बैठी हुई थी और इस वक़्त इस कुत्ते के सामने अपनी चूत खोल के बैठी इससे अपनी चूत चटवाती हुई मज़े ले रही थी। कुत्ता भी ऐसे मज़े ले-ले के समीना की चूत से बह कर निकलने वाले पानी को ऐसे चाट रहा था कि जैसे अंदर से कोई शहद निकल रहा हो जिसका वो एक क़तरा भी ज़ाया जाने नहीं देना चाहता हो।

टॉमी की खुरदरी, लंबी गुलाबी ज़ुबान इतनी बुरी तरह से समीना की चूत को चाट रही थी कि समीना के जिस्म से उसकी जान निकली जा रही थी। उसके मुँह से ज़ोर दार सिसकरियाँ निकल रही थीं जोकि पूरे कमरे में फैल रही थीं। शराब के नशे और कुत्ते की ज़ुबान के चाटने की मस्ती में चूर समीना के लिये सोफ़े की कुर्सी पर टिक कर बैठना और अपना तवज़ुन बरकरार रखना बहोत मुश्किल हो रहा था क्योंकि उसके चूतड़ फिसल कर आगे किनारे पे टिके हुए थे और सोफ़े की कुर्सी भी बिना हथों वाली थी। मगर फ़िर भी वो किसी ना किसी तरह टॉमी को पकड़ कर अपने थरथराते हुए जिस्म को सहारा देने की कोशिश कर रही थी। अचानक टॉमी की लंबी ज़ुबान फिसल कर समीना की चूत के सुराख के अंदर चली गयी... सिर्फ़ एक लम्हे के लिये। मगर वो लम्हा तो जैसे कोई करंट सा लग गया समीना के जिस्म में और समीना का पूरे का पूरा जिस्म अपनी जगह से उछल पड़ा और अगले ही लम्हे समीना नीचे कार्पेट पे गिरी हुई थी। उसने नीचे कार्पेट से उठने की कोई कोशिश नहीं की और ना ही टॉमी ने उसे उठने का कईं मौका दिया। वो जल्दी से अपनी जगह से घूम कर एक बार फ़िर से समीना की चूत की तरफ़ आ गया और समीना की रानों को चाटने लगा। समीना ने भी फौरन अपनी टाँगों को खोलते हुए टॉमी को दोबारा अपनी चूत की तरफ़ मुतवज्जह कर लिया था। अब तो जैसे टॉमी चाहता था... जो चाहता था... समीना के साथ वो ही कर रहा था और समीना भी बिल्कुल वैसा ही कर रही थी... बिना कोई मुज़ाहमत किये... बिना कोई इंकार किये।

मुज़ाहमत और इंकार... ये तो वहाँ होते हैं ना जहाँ इंसान को मज़ा नहीं आ रहा हो जबकि यहाँ... यहाँ तो समीना को इस सब में पूरा-पूरा मज़ा आ रहा था। टॉमी की ज़ुबान समीना की चूत पर चल रही थी और उसके पूरे जिस्म को जला रही थी उसमें पैदा होने वाली आग के साथ। समीना तो अपनी रानों को पूरा खोले हुए टॉमी के आगे पड़ी हुई थी और वो उसकी दोनों टाँगों के बीच में खड़ा... अपना सिर झुकाये... अपना मुँह समीना की चूत पर रखे हुए... अपनी लंबी ज़ुबान के साथ समीना की चूत को चाटता जा रहा था। टॉमी की लंबी ज़ुबान तेज़ी के साथ चल रही थी। कभी वो उसकी पूरी की पूरी चूत को अपनी ज़ुबान से एक साथ ही चाटने लगता और कभी उसकी चूत के ऊपरी हिस्से पर अपनी पूरी तवज्जो लगा देता। समीना की चूत के दोनों लबों के दर्मियान... बिल्कुल ऊपर के हिस्से में उसकी चूत का दाना... टॉमी की बेरहम खुरदरी ज़ुबान के रहम-ओ-करम पर था... जिसे टॉमी की ज़ुबान मुसलसल रगड़ रही थी... चाट रही थी और कुछ ही देर पहले तक टॉमी को रोकने का इरादा करने वाली समीना अब अपनी आँखें बंद किये हुए उसके सामने सिर्फ सैंडल पहने बिल्कुल नंगी पड़ी हुई थी... तड़प रही थी... सिसक रही थी। मगर ये तड़प और सिसक किसी तकलीफ या दर्द के मारे नहीं थी बल्कि लज़्ज़त की वजह से थी और उसके मुँह से निकलने वाली तेज़ सिसकारियाँ पूरे कमरे में गूँज रही थीं। उसके दोनों हाथ टॉमी के सिर पर थे... उसे अपने से दूर करने के लिये नहीं बल्कि उसके मुँह को और भी अपनी तरफ़ खींचने के लिये।

कुछ ही देर में समीना ने अपनी दोनों टाँगें उठायीं और उनको टॉमी की कमर के ऊपर रखते हुए उसके हेवानी जिस्म को अपनी गोरी-गोरी नाज़ुक और सैक्सी टाँगों के बीच में दबाने लगी ताकि वो कहीं भाग ना जाये। समीना अपने सैंडल के तलवों और गोरे-गोरे पैरों के ऊपरी हिस्से के साथ टॉमी की नरम-नरम फ़र को सहला रही थी। उसके पैर उसकी पूरी कमर पर सरक रहे थे और कभी वहाँ से नीचे उसकी टाँगों को सहलाने लगती... कुछ भी ना सोचते हुए... बस आँखें बंद किये हुए। अपनी चूत पर उसकी ज़ुबान के मज़े लेते हुए उस जानवर के जिस्म को अपने पैरों से सहलाना उसे अच्छा लग रहा था। टॉमी के जिस्म और उसकी टाँगों को अपने सैंडल और पैरों के साथ सहलाते हुए पता नहीं कब और कैसे उसका पैर नीचे जाने लगा... टॉमी के पेट के नीचे की तरफ़ और ऐसे ही उसका पैर किसी सख्त सी चीज़ से टकराया... जिसकी समीना को फौरी तौर पे कुछ समझ नहीं आयी। वो उसे भी उसकी टाँग की कोई हड्डी ही समझी... सख्त सी लंबी सी।

आँखें बंद थीं समीना की मगर दिमाग जैसे किसी नशे से बाहर आ रहा था और अपने पैरों के साथ इस चीज़ को जाँचने की कोशिश कर रहा था। जानने की कोशिश में था कि ये क्या है जो उसके पैरों के साथ टकरा रहा है। दोनों पैर अब उसके दिमाग की मदद कर रहे थे... इस चीज़ को कोई नाम देने के लिये और फ़िर समीना के दिमाग में एक छनका सा हुआ... लंड... लौड़ा... लन्न... एक साथ ही इस चीज़ के कईं नाम उसके दिमाग में आये और अचानक से ही उसके दोनों पैर इस चीज़ से दूर हट गये। मगर टॉमी की ज़ुबान की उसकी चूत पर रगड़ और चूत से बहते हुए चिकने पानी ने उसे सब कुछ एक बार फ़िर से भूलने पर मजबूर कर दिया और वो फ़िर से सिसकने लगी। थोड़ी ही देर में उसका पैर एक बार फ़िर से टॉमी के पेट के नीचे उसके लंड की तरफ़ बढ़ा और अगले ही लम्हे उसके पैरों ने एक बार फ़िर से टॉमी के लंड को छूना शुरू कर दिया... आहिस्ता-आहिस्ता... टॉमी को डिस्टर्ब किये बिना। फ़िर वो आहिस्ता-आहिस्ता टॉमी के लंड को अपने दोनों पैरों के बीच में ले कर... एक सैंडल के तलवे से दूसरे पैर के ऊपर दबाते हुए... सहलाने लगी। टॉमी की ज़ुबान के लम्स के साथ ही वो अपनी मंज़िल को पहुँच रही थी। उसकी चूत के अंदर गर्मी बढ़ती जा रही थी और वो पानी छोड़ने वाली थी।

अगले ही लम्हे समीना ने मज़बूती से टॉमी के सिर को अपने हाथों से जकड़ लिया और फ़िर उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया। चंद लम्हों में ही समीना का जिस्म ढीला पड़ने लगा। उसकी साँसों की रफ़्तार तेज़ हो गयी। वो लंबे-लंबे साँस लेती हुई अब खुद को नॉर्मल कर रही थी और टॉमी अपनी ज़ुबान के साथ समीना की चूत से निकलने वाला गाढ़ा-गाढ़ा पानी चाटता जा रहा था। चूत का पानी निकलने के बाद समीना ने टॉमी को खुद से आहिस्ता से पीछे को ढकेला और इस बार टॉमी उसको छोड़ कर उससे दूर हो गया... मगर उसके सिर की तरफ़... उसके हाथों की पहोंच में ही उसके करीब बैठ कर हाँफने लगा। उसका जिस्म भी हिल रहा था और ज़ुबान भी बाहर लटक रही थी। समीना उसी की तरफ़ देख रही थी... बड़े ही प्यार से... बड़ी ही चाहत से... क्योंकि आज जिस कदर इस जानवर ने उसे मज़ा दिया था वो उसे कभी पहले नहीं आया था और इस मज़े के लिये वो दिल से टॉमी की शुक्र गुज़ार थी। वहाँ क़लीन पर से उठने को उसका दिल भी नहीं कर रहा था... चेहरे पर सुकून ही सुकून था... और एक मुस्कान...!

समीना का बेडरूम अजीब मंज़र पेश कर रहा था। समीना जैसी खूबसूरत औरत अपने खूबसूरत जिस्म के साथ बिल्कुल नंगी... सिर्फ़ ऊँची पेन्सिल हील की सैंडल पहने अपने कमरे के कार्पेट पर पड़ी हुई थी और उसका वफ़ादार कुत्ता उसके करीब ही बैठा हुआ था। चूत का पानी निकलने के बाद समीना ने अपना सिर घुमा के टॉमी की तरफ़ देखा और फ़िर मुस्कुरा के अपना हाथ आगे बढ़ाया और उसके मुँह को सहलाने लगी। कुत्ता भी अपनी मालकिन की तरफ़ से अपने काम को... अपनी करकरदगी को पसंद किये जाने पर खुश हो रहा था। समीना आहिस्ता-आहिस्ता उसके सिर को सहला रही थी। समीना मुस्कुराते हुए उसको देखते हुए अपनी उंगली को उसके नोकीले दाँतों पर फिराने लगी। उसे थोड़ा अजीब लग रहा था मगर उसे ये भी पता था... ये भी एहसास था कि उसके उन दाँतों ने उसे किस तरह मज़ा दिया था... उसके मम्मों को काटते हुए।

टॉमी के मुँह पर से समीना का हाथ उसकी गर्दन पर आ गया और फिर उसके पेट को सहलाने लगी। जब समीना की नज़र टॉमी की खुली और फ़ैली हुई टाँगों पर पड़ी... और उसे वहाँ वो ही चीज़ नज़र आयी जिसे वो थोड़ी देर पहले अपने पांव और सैंडल से सहला रही थी। समीना की नज़र उसी पर जम कर रह गयी... टॉमी के लंड पर! वो उसे देखे जा रही थी... बिना किसी और तरफ़ देखे... बिना अपनी पलकें झपकाये। वो सुर्ख रंग का लंबा सा... चमकता हुआ किसी हड्डी की तरह ही लग रहा था। मगर इस वक़्त बहोत ज्यादा अकड़ा हुआ नहीं था फ़िर भी काफ़ी लंबा लग रहा था। करीब-करीब आठ इंच तो होगा वो इस वक़्त भी। आगे से बिल्कुल पतला सा नोकदार और पीछे को जाते हुए मोटा होता जाता था... फैलता जाता था। उसके लंड के अगले सुराख में से भी हल्का-हल्का पानी रिस रहा था। समीना का हाथ अभी भी टॉमी के जिस्म पर था और उसकी पसलियों को सहला रहा था। समीना का हाथ आहिस्ता-आहिस्ता आगे को सरकने लगा... टॉमी के लंड की तरफ़! उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था। वो खुद को रोकना चाह रही थी मगर उसका जिस्म उसके काबू में नहीं था। हाथ आहिस्ता-आहिस्ता सरकता हुआ आगे को बढ़ रहा था। चंद लम्हों में ही समीना का हाथ टॉमी के लंड के करीब पहुँच चुका हुआ था। अपने धड़कते हुए दिल के साथ समीना ने अपनी उंगली से उसके लंड की नोक को छुआ और फ़ौरन ही अपना हाथ वापस खींच लिया... जैसे उसमें कोई करंट हो... या जैसे उसका लंड उसकी उंगली को काट लेगा... या उसे डंक मार देगा! मगर टॉमी के लंड में ज़रा सी हरकत पैदा होने के सिवा और कुछ भी नहीं हुआ। उसका लंड वैसे का वैसे ही उसकी रान के ऊपर पड़ा रहा।

कुछ ही देर के बाद समीना ने दोबारा से अपनी उंगली से टॉमी के लंड को छूना शुरू कर दिया। इस पोज़िशन में लेटे हुए समीना का हाथ बड़ी ही मुश्किल से टॉमी के लंड तक पहुँच रहा था। कुछ सोच कर समीना थोड़ा सी हरकत करते हुए टॉमी के जिस्म के निचले हिस्से की तरफ़ सरक गयी। अब उसकी उंगली बड़ी आसानी के साथ टॉमी के पूरे लंड पर सरक रही थी... उसे सहला रही थी। समीना ने टॉमी के चेहरे की तरफ़ देखा मगर उस जानवर ने कौनसा कोई अपने चेहरे से तासुरात देने थे जो वो समीना की हरकत से खुशी का इज़हार करता। लेकिन एक बात की समीना को तसल्ली थी कि टॉमी कोई नापसंदीदगी भी नहीं दिखा रहा था और उसी की तरफ़ देखते हुए समीना के हाथ की पूरी उंगलियाँ उसके लंड के गिर्द लिपट गयीं। बहोत ही गरम... चिकना-चिकना और सख्त और लंबा और मज़बूत महसूस हो रहा था उसे टॉमी का लंड। समीना ने उसे अपने हाथ में ले कर आहिस्ता-आहिस्ता अपनी मुठ्ठी के अंदर ही उसे आगे पीछे करना शुरू कर दिया। टॉमी का लंड उसकी मुठ्ठी में आगे पीछे को सरक रहा था और उसके लंड के चिकनेपन से समीना का हाथ भी चिकना हो रहा था। उसके लंड को महसूस करती हुई वो उसका मवाज़ना इंसानी लंड के साथ भी कर रही थी यानी अपने शौहर के लंड के साथ और बिना किसी चीज़ को नापे वो आसानी से कह सकती थी कि टॉमी का लंड उसके शौहर के लंड से लंबा और मोटा है।

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