“फिर से ऐसी हरकत कर के देख तेरे बाजुओं को जिस्म से अलग कर दूँगा. साली टाँगें फैला कर अपने हाथों को सर के उपर उठा कर खड़ी हो देखें कैसी माल है तू.”
मैने वैसा ही किया जैसा उसने चाहा था. मैं नंगी हालत मे अपने पैरों को फैला कर और हाथ उपर करके उनके सामने अपने बदन की नुमाइश कर रही थी. तीनो ने मुझे जी भर कर हर अंदाज से देखा.
“तू सच बता कि तू क्यों सरदार से मिलना चाहती है. हम लोग 50 आदमी हैं यहा अगर तू ने चालाकी करने की कोशिश की तो तुझे इतनी बुरी तरह चोदेन्गे कि तू रहम की भीख माँगने लगे गी.” कह कर उसने मेरे दोनो निपल्स को सख्ती से पकड़ कर बुरी तरह उमेथ्ने लगा. मैने उससे बचने के लिए अपने हाथ नीचे किए तो सटाक से नितंबों पर एक च्छड़ी की मार पड़ी मैं इस अचानक हुए हमले से लगभग उच्छल पड़ी.
“तुझे हाथ उपर उठा कर रखने को कहा था. “ मैने हर कर अपने हाथ वापस उपर उठा दिए. अब वो आदमी बिना रोक टोक के मेरे स्तनो को बुरी तरह मसल रहा था. और मैं दर्द से चीख रही थी. कुच्छ देर बाद वो आदमी पीछे हटा. बाकी दोनो आदमियों ने मुझे सम्हाल लिया.
“मुझे छ्चोड़ दो…. मैं बिल्कुल निर्दोष हूँ. मुझे किसी से कुच्छ लेना देना नही है.” मैं रोए जा रही थी.
वो आदमी पीछे रखी एक कुर्सी पर बैठ गया. और उन दोनो को इशारा किया. उन दोनो ने मुझे लगभग घसीट ते हुए लाकर उसकी गोद मे गिरा दिया. उस आदमी ने मुझे अपनी गोद मे कुच्छ इस तरह लिटाया कि मेरा मुँह ज़मीन की ओर था उसकी गोद मे मेरे कमर का हिस्सा था. उसके चेहरे के सामने मेरे नितंब थे. मेरे घुटने मुड़े हुए थे.
तभी एक आदमी ने एक च्छड़ी लाकर उसे दी. मैं कुच्छ समझ पति तभी ”सटाक” से उस च्छड़ी की मार मेरे नितंबों पर पड़ी.
“उईईई माआआआ…” मैं उसकी मार से चिहुनक उठी. फिर एक के बाद एक मार पड़ती चली गयी जब तक ना मेरे दोनो नितंब सुर्ख लाल हो गये.
“आअहह……माआआ…..नहियीईईई……” मैं चीखे जा रही थी मगर मेरी आवाज़ सुनने और मुझ पर रहम करने वाला वहाँ कोई भी नही था. वो मारता जा रहा था और मुझसे मेरे बारे मे पूछ्ता जा रहा था. जब उसे कुच्छ ज़्यादा जानकारी नही मिली तो उसने मेरे नितंबों को अलग कर मेरे गुदा मे वो स्टिक काफ़ी अंदर तक डाल दी. मैं च्चटपटाने लगी.
जब उसका हाथ शांत हुआ तो बाकी दोनो ने मुझे बाहों से पकड़ कर उठाया.
“ आब बता सब कुच्छ वरना तेरी इस नाज़ुक चमड़ी को तेरे बदन से नोच कर अलग कर दूँगा.” उसका चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था.
“ मैं…आपको किस तरह यकीन दिलाऊ की आप जो समझ रहे हो मैं वो नही हूँ.” मैं उसके पैरों के पास घुटने के बल बैठ कर उससे रहम की भीख माँगने लगी.
“ चल बे दोनो वापस शुरू हो जाओ. साली बहुत बड़े जिगर वाली है तो क्या हुआ मैं भी पत्थर से पसीना निकाल देने का बल रखता हूँ.”
फिर उन लोगों ने मेरे गुदा से वो च्छड़ी निकाली. मेरे पैर लड़खड़ा रहे थे. मैं अपने पैरों पर खड़ी होने की कोशिश कर रही थी मगर मेरे कमर का हिस्सा सुन्न सा हो गया था. मेरे नितंब इतनी बुरी तरह जल रहे थे कि मैं उन दोनो का सहारा लेकर ही खड़ी रही.
फिर दोनो मुझे बालों से खींचते हुए एक कोने मे रखे एक लकड़ी के घोड़े के पास ले गये. लकड़ी का वो घोड़ा देखने मे वैसा ही था जैसे घोड़े की सवारी छ्होटे बच्चे करते हैं मगर इस घोड़े की उँचाई तीन फुट की आस पास थी और सबसे अजीबो ग़रीब जो चीज़ था वो था कि घोड़े के पीठ पर लगा एक तीन इंच घेर का और एक फुट से कुच्छ लंबा बेलनकार लकड़ी का टुकड़ा. घोड़े के कुच्छ उपर छत से दो रस्सियाँ लटक रही थी. दोस्तो कहानी अभी बाकी है आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः....
रश्मि एक सेक्स मशीन compleet
Re: रश्मि एक सेक्स मशीन
raj sharma stories
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -4
गतान्क से आगे.....
मैं ठिठक कर उस घोड़े को अस्चर्य से देखने लगी. मुझे असमंजस मे देख कर दोनो बहूदे तरीके से हँसने लगे.
“ तूने पहले कभी घुड़सवारी की है? आअज तुझे इस घोड़े की सवारी कराएँगे. जिंदगी भर कभी ऐसी घोड़े की सवारी दोबारा करने को नही मिलेगी तुझे. खूब जम कर सवारी करना. जिससे तेरी चूत की भूख ख़त्म हो जाए”
उन्हों ने छत से लटकती रस्सियों से मेरे दोनो हाथ बाँध दिए. दोनो रस्सियों के बीच एक डंडा बँधा था जिससे रस्सियाँ एक दूसरे से लगभग तीन फुट की दूरी पर रहें.
उन रस्सियो के दूसरे सिरे एक गिरारी से होकर दूसरी ओर एक खूँटे से बँधे थे. तीसरा आदमी जो उन दोनो का बॉस लग रहा था उठ कर उन रस्सियों को खींचने लगा फल स्वरूप मेरे हाथ छत की ओर उठ गये और मैं पंजो पर खड़ी हो गयी. कुच्छ और खींचते ही मेरे पैर ज़मीन से उपर उठ गये.
“छ्चोड़ दो ऊवू क्या कर रहे हो. ऊऊहह…….” वो आदमी रस्सियों को लगातार खींचता रहा और मेरा जिस्म उपर उठता चला गया. मेरे पास खड़े दोनो ने मेरी टॅंगो को पकड़ कर अलग कर दिया. मैं उनकी हरकतों का मतलब समझ कर बुरी तरह से काँप उठी. मुझे लगा शायद कल का सवेरा मेरे नसीब मे नही है.
दोनो मुझे खींचते हुए उस घोड़े के पास ले आए.
“हे भगवाअन मुझे बचाओ. मैं मर जौन्गीईई……..ऊऊओ नहियीई ऐसा मत करना. प्लीईएज मैं सबको खुश कर दूँगी. मुझे माआफ़ कार दो.” मैं रोने लगी.
उन लोगों ने मेरी परवाह किए बिना मेरी दोनो टाँगों को फैला कर मुझे घोड़े के उपर स्थित कर के छत से बँधी रस्सी को धीरे धीरे ढीला करने लगे. मैं नीचे आती जा रही थी. कुच्छ देर बाद उन्हों ने मुझे हवा मे ही रोक कर उस घोड़े को मेरे नीचे इस तरह सेट किया कि उसकी पीठ पर लगा वो लकड़ी का टुकड़ा मेरी दोनो जांघों के बीच था.
मेरा जिस्म वापस नीचे आने लगा. मैने घबराहट मे अपनी आँखें बंद कर ली और आगे होने वाले दरिंदगी की पराकाष्ठा का इंतेज़ार करने लगी. मैं अपनी टाँगो को सिकोड़ने की पूरी ताक़त से कोशिश कर रही थी. मगर दो मजबूत मर्द के सामने मेरी क्या चलती?
कुच्छ ही देर मे मेरी योनि को किसी ठंडी चीज़ ने च्छुआ. मैं बुरी तरह डर गयी थी. कुच्छ उंगलियों ने मेरी योनि की फांकों को अलग कर के मेरी योनि को चौड़ा किया. मेरे झूलते बदन को इस तरह सेट किया की वो लकड़ी का टुकड़ा मेरी योनि की खुली फांकों के बीच था. अब वो मुझे इस अवस्था मे रख कर एक दूसरे को पल भर के लिए देखे फिर तीनो ने अपने हाथों मे थमी चीजोंको छ्चोड़ दिया. मेरी दोनो टाँगे फ्री होते ही मैने उन्हे सिकोड़ने की कोशिश कि मगर तब तक देर हो चुकी थी. तीसरे आदमी के द्वारा मुझे हवा मे लटकाए हुए रस्सियों को छ्चोड़ देने की वजह से मेरे जिस्म का पूरा वजन नीचे की ओर पड़ा और मैं उस लकड़ी के उपर के सिरे पर दो पल टिकी रही . तीसरे ही पल वो लकड़ी का खंबा मेरी चूत को चीरता हुया अंदर घुसता चला गया. मेरे जिस्म अपने वजन से नीचे आने लगा और मैं दर्द से चीखने लगी. चीखते चीखते मुझ पर बेहोशी छाने लगी तो पास खड़े आदमियों मे पानी के झपके देकर मुझे होश मे ला दिया.
मेरा जिस्म तभी रुका जब वो लकड़ी का गुल्ला पूरी तरह मेरी चूत मे धँस नही गया. मेरे पैर अब भी ज़मीन्को नही छ्छू पाए थे. काश मेरे पैर ज़मीन को छ्छू जाते तो पैरों का सहारा पाकर मैं अपनी योनि को उस गुल्ले से निकाल पाती.
ऐसा लग रहा था मानो मेरी योनि को फाड़ कर रख दिया हो. खून की एक पतली धार मेरी योनि से रिस्ते हुए घुटने की तरफ बढ़ रही थी और मैं दोबारा बेहोश होने लगी मगर एक आदमी ने लाकर एक बाल्टी पानी मेरे सिर पर उधेल दी. पानी इतना ठंडा था की मेरे दाँत बजने लगे.
मैं उस पल को कोस रही थी जब मैने उच्छल उच्छल कर इस प्रॉजेक्ट को अपने हाथ मे लिया. अगर पहले इस टॉर्चर के दसवें हिस्से का भी पता होता तो मैं सपने मे भी यहाँ नही आती. ये तो नॅडलाइट्स नही आदमी की खाल मे छिपे दरिंदे थे.
तीनो मुझे उस अवस्था मे खड़ा रख कर आगे क्या किया जाय ये सोच रहे थे कि एक आदमी अंदर आया और बैठे हुए आदमी के कानो मे कुच्छ कहा.
“चल इसे छ्चोड़… “ दोनो ने एक पल अस्चर्य से उसकी तरफ देखा. “ साले जो बोलता हूँ जल्दी कर वरना इस घोड़े की अगली सवारी तुम दोनो करोगे.” उसके इतना कहते ही दोनो किसी कठपुतली की तरह मेरी ओर बढ़े, “ उतार इसे घोड़े पर से.” दोनो ने मुझे सहारा देकर उस घोड़े से उतार दिया. मेरी टाँगे मेरे जिस्म का बोझ सम्हाले नही रख सकी और मैं वहीं फर्श पर ढेर हो गयी. मेरे जिस्म मे कोई हलचूल नही थी. दोनो आदमी उस टेंट से निकल गये
मैं ज़मीन पर पड़े पड़े सूबक रही थी. तीसरा आदमी अब भी उसी तरह मेरे सामने खड़ा हुया था. उसने अपने बूट की एक लटजोरदार ठोकर मेरे नितंबो पर मारी. मैं दर्द से बिल्बिलाते हुए चित हो गयी जिससे मेरे नितंब ज़मीन की तरफ हो कर उसके मार से बच जाएँ. मगर अगले ही पल उसके बूट की एक और ठोकार मेरे जांघों के बीच मेरी योनि के उपर पड़ी. मैं दर्द से दोहरी हो गयी.
“म्म्माआअ……मुझे मत मरूऊओ….प्लीईएसस” मैं रोने लगी थी.
“चल अब नाटक बंद कर और उठ कर कपड़े पहन ले. या इसी लिबास मे जाना है तंगराजन जी के पास.”
इतना सुनना था कि मेरे निढाल जिस्म मे एक अजीब सी स्फूर्ति भर गयी. मैं उठी और उठ कर अपने कपड़े ढूँढने लगी. कपड़े उस टेंट के एक कोने पर पड़े हुए मिले. मैं अपने कपड़े पहन कर उस आदमी के सामने आकर खड़ी हुई. सारे कपड़े मिल गये नही मिला तो मेरी पॅंटी. मेरी पॅंटी को पूरे टेंट मे छान मारा मगर वो कहीं नही मिला. शायद किसीने उसे उठा कर अपने पास रख ली हो किसी यादगार के रूप मे. मैने बिना पॅंटी के ही घाघरा पहन लिया.
“आ मेरे साथ.” कह कर वो आदमी उस टेंट से बाहर निकाला. मैं भी उसके पीछे पीछे हो ली. उसने अलग थलग बने एक टेंट की ओर इशारा किया.
“वहाँ बाथरूम है. जा और जाकर अपना हुलिया ठीक कर. बॉस के सामने जाना है तो कुछ बन संवर के तो जा. नही तो वो तुझे कोई ऐसी वैसी महिला समझ बैठेगा.” वो आदमी जो इतनी देर से मुझसे इतनी बुरी तरह पेश आ रहा था. जिसके हावभाव से लग रहा था कि आज मुझे जिंदा नही छ्चोड़ेगा. अब वो एक दम ही शांत नज़र आ रहा था.
मैने अंदर जा कर देखा की फर्र्स की जगह वहाँ एक पत्थर का स्लॅब बिच्छा हुआ था और पास मे कुच्छ बल्टियों मे पानी रखा था. टेंट की एक दीवार पर रस्सी से एक टूटा फूटा आईना लगा था. मैने उस आईने मे अपने अक्स को देख कर पहले पानी से मुँह धोया फिर अपने बॉल संवारे. अपने सामानो से निकाल कर चेहरे पर हल्का सा मेकप किया और फिर के साथ लाई एक स्किन कलर की लिपस्टिक को होंठों पर फेरा. उसके बाद एक नज़र अपने कपड़ों पर दौड़ाई. वैसे तो सब ठीक ही था बस कुच्छ सलवटें पड़ गयी थी. मैने अपने बदन पर नज़र डाली. कई जगह मसले जाने से नीले नीले निशान पड़ गये थे. स्पेशली मेरी चूचियो को तो इन लोगों ने बड़ी बुरी तरह मसला था. ब्रा के कप्स ठीक करते हुए भी दर्द हो रहा था.
मैं जब वहाँ से बाहर निकली तो उस आदमी को तब भी मेरा इंतेज़ार करते हुए पाया. तब शाम हो रही थी. इस घने जंगल मे रात को यही रुकना पड़ेगा. तंगराजन कब मिलेगा क्या पता. और मिलने के बाद भी उसका इंटरव्यू लेना है. पता नही वो इसके लिए राज़ी भी होगा या नही. यही सब सोचते सोचते हुए मैं उस आदमी के पीछे पीछे चल दी. वो मुझे लेकर बीच मे बने उस मकान के अंदर घुसा. बाँस के बने उस मकान मे सारी आधुनकि सुविधाएँ उपलब्ध थी.
सामने एक बैठक था. मुझे लेकर वो वहीं रुक गया. कुच्छ देर बाद अंदर का दरवाजा खुला और एक आदमी बाहर आया. वो मुझे भीतर ले गया. मेरे साथ आया वो आदमी बाहर ही रह गया.
“ बॉस डिन्नर ले रहे हैं. आपको भी इन्वाइट किया है. खाना ख़तम होने तक कोई आवाज़ मत करना. और जो भी कहे सिर झुका कर सुन लेना. नही तो इस जंगल के जानवरों की आज दावत हो जाएगी. हड्डिया भी सारी मिल जाए तो गनीमत है. ” उसने मुझे हिदायत दी और मुझे लेकर एक कमरे मे प्रवेश किया. सामने एक डाइनिंग टेबल लगी थी उसके सिरहाने वाली कुर्सी पर एक आदमी सरीखा कोई बैठा था.
उसको आदमी सरीखा ही कहना बेहतर होगा. तंगराजन छह फीट 4” कद का काफ़ी बलिशट आदमी था. उसका वजन 130 किलो से क्या कम रहा होगा. रंगत एक दम काले काजल की तरह कहने से भी कोई ग़लत नही होगा. पूरे जिस्म पर भालू की तरह लंबे लंबे बाल सिर पर घुंघराले बाल और चेहरे पर एक घनी मूछ किसी डाकू की तरह लगता था.
उसने नंगे बदन पर एक तहमद बाँध रखी थी. मुझे अपने सामने वाली सीट की ओर इशारा किया.
मैने झुक कर उसका अभिवादन किया जिसका उसने कोई जवाब नही दिया. मैं कुर्सी पर बैठ गयी. सामने केले के पत्ते पर चावल और दाल परोसा गया. तंगराजन भी वही खा रहा था. हम चुपचाप खाना खाने लगे. खाना ख़त्म होने पर तंगराजन उठा और मुझे पहले हाथ मुँह धोने का इशारा किया. जब हम दोनो हाथ मुँह धो लिए तो वो बिना कुच्छ कहे उस कमरे से निकल गया. मैं कुच्छ देर तक चुप चाप खड़ी रही. तभी जो आदमी हमे खाना परोस रहा था उसने मुझे उस दरवाजे की तरफ इशारा किया.
“जाओ अंदर….पो…रा..” उसने मुझे तंगराजन के पीछे जाने को कहा. मैं घबराती शरमाती कमरे मे घुसी. मैने देखा तंगराजन उस वक़्त कुच्छ पढ़ने मे व्यस्त था. मुझे देखते ही उसने उस किताब को एक ओर रख दिया.
“कम इन.” मैने पहली बार उसकी आवाज़ सुनी. ऐसा लगा मानो जंगल मे कोई शेर दहाड़ रहा हो. मैने आँखें उठाकर उसकी लाल लाल आँखों मे देखा. ऐसा लगता था मानो आँखों मे खून उतर आया हो. दोस्तो कहानी अभी बाकी है आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः....
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -4
गतान्क से आगे.....
मैं ठिठक कर उस घोड़े को अस्चर्य से देखने लगी. मुझे असमंजस मे देख कर दोनो बहूदे तरीके से हँसने लगे.
“ तूने पहले कभी घुड़सवारी की है? आअज तुझे इस घोड़े की सवारी कराएँगे. जिंदगी भर कभी ऐसी घोड़े की सवारी दोबारा करने को नही मिलेगी तुझे. खूब जम कर सवारी करना. जिससे तेरी चूत की भूख ख़त्म हो जाए”
उन्हों ने छत से लटकती रस्सियों से मेरे दोनो हाथ बाँध दिए. दोनो रस्सियों के बीच एक डंडा बँधा था जिससे रस्सियाँ एक दूसरे से लगभग तीन फुट की दूरी पर रहें.
उन रस्सियो के दूसरे सिरे एक गिरारी से होकर दूसरी ओर एक खूँटे से बँधे थे. तीसरा आदमी जो उन दोनो का बॉस लग रहा था उठ कर उन रस्सियों को खींचने लगा फल स्वरूप मेरे हाथ छत की ओर उठ गये और मैं पंजो पर खड़ी हो गयी. कुच्छ और खींचते ही मेरे पैर ज़मीन से उपर उठ गये.
“छ्चोड़ दो ऊवू क्या कर रहे हो. ऊऊहह…….” वो आदमी रस्सियों को लगातार खींचता रहा और मेरा जिस्म उपर उठता चला गया. मेरे पास खड़े दोनो ने मेरी टॅंगो को पकड़ कर अलग कर दिया. मैं उनकी हरकतों का मतलब समझ कर बुरी तरह से काँप उठी. मुझे लगा शायद कल का सवेरा मेरे नसीब मे नही है.
दोनो मुझे खींचते हुए उस घोड़े के पास ले आए.
“हे भगवाअन मुझे बचाओ. मैं मर जौन्गीईई……..ऊऊओ नहियीई ऐसा मत करना. प्लीईएज मैं सबको खुश कर दूँगी. मुझे माआफ़ कार दो.” मैं रोने लगी.
उन लोगों ने मेरी परवाह किए बिना मेरी दोनो टाँगों को फैला कर मुझे घोड़े के उपर स्थित कर के छत से बँधी रस्सी को धीरे धीरे ढीला करने लगे. मैं नीचे आती जा रही थी. कुच्छ देर बाद उन्हों ने मुझे हवा मे ही रोक कर उस घोड़े को मेरे नीचे इस तरह सेट किया कि उसकी पीठ पर लगा वो लकड़ी का टुकड़ा मेरी दोनो जांघों के बीच था.
मेरा जिस्म वापस नीचे आने लगा. मैने घबराहट मे अपनी आँखें बंद कर ली और आगे होने वाले दरिंदगी की पराकाष्ठा का इंतेज़ार करने लगी. मैं अपनी टाँगो को सिकोड़ने की पूरी ताक़त से कोशिश कर रही थी. मगर दो मजबूत मर्द के सामने मेरी क्या चलती?
कुच्छ ही देर मे मेरी योनि को किसी ठंडी चीज़ ने च्छुआ. मैं बुरी तरह डर गयी थी. कुच्छ उंगलियों ने मेरी योनि की फांकों को अलग कर के मेरी योनि को चौड़ा किया. मेरे झूलते बदन को इस तरह सेट किया की वो लकड़ी का टुकड़ा मेरी योनि की खुली फांकों के बीच था. अब वो मुझे इस अवस्था मे रख कर एक दूसरे को पल भर के लिए देखे फिर तीनो ने अपने हाथों मे थमी चीजोंको छ्चोड़ दिया. मेरी दोनो टाँगे फ्री होते ही मैने उन्हे सिकोड़ने की कोशिश कि मगर तब तक देर हो चुकी थी. तीसरे आदमी के द्वारा मुझे हवा मे लटकाए हुए रस्सियों को छ्चोड़ देने की वजह से मेरे जिस्म का पूरा वजन नीचे की ओर पड़ा और मैं उस लकड़ी के उपर के सिरे पर दो पल टिकी रही . तीसरे ही पल वो लकड़ी का खंबा मेरी चूत को चीरता हुया अंदर घुसता चला गया. मेरे जिस्म अपने वजन से नीचे आने लगा और मैं दर्द से चीखने लगी. चीखते चीखते मुझ पर बेहोशी छाने लगी तो पास खड़े आदमियों मे पानी के झपके देकर मुझे होश मे ला दिया.
मेरा जिस्म तभी रुका जब वो लकड़ी का गुल्ला पूरी तरह मेरी चूत मे धँस नही गया. मेरे पैर अब भी ज़मीन्को नही छ्छू पाए थे. काश मेरे पैर ज़मीन को छ्छू जाते तो पैरों का सहारा पाकर मैं अपनी योनि को उस गुल्ले से निकाल पाती.
ऐसा लग रहा था मानो मेरी योनि को फाड़ कर रख दिया हो. खून की एक पतली धार मेरी योनि से रिस्ते हुए घुटने की तरफ बढ़ रही थी और मैं दोबारा बेहोश होने लगी मगर एक आदमी ने लाकर एक बाल्टी पानी मेरे सिर पर उधेल दी. पानी इतना ठंडा था की मेरे दाँत बजने लगे.
मैं उस पल को कोस रही थी जब मैने उच्छल उच्छल कर इस प्रॉजेक्ट को अपने हाथ मे लिया. अगर पहले इस टॉर्चर के दसवें हिस्से का भी पता होता तो मैं सपने मे भी यहाँ नही आती. ये तो नॅडलाइट्स नही आदमी की खाल मे छिपे दरिंदे थे.
तीनो मुझे उस अवस्था मे खड़ा रख कर आगे क्या किया जाय ये सोच रहे थे कि एक आदमी अंदर आया और बैठे हुए आदमी के कानो मे कुच्छ कहा.
“चल इसे छ्चोड़… “ दोनो ने एक पल अस्चर्य से उसकी तरफ देखा. “ साले जो बोलता हूँ जल्दी कर वरना इस घोड़े की अगली सवारी तुम दोनो करोगे.” उसके इतना कहते ही दोनो किसी कठपुतली की तरह मेरी ओर बढ़े, “ उतार इसे घोड़े पर से.” दोनो ने मुझे सहारा देकर उस घोड़े से उतार दिया. मेरी टाँगे मेरे जिस्म का बोझ सम्हाले नही रख सकी और मैं वहीं फर्श पर ढेर हो गयी. मेरे जिस्म मे कोई हलचूल नही थी. दोनो आदमी उस टेंट से निकल गये
मैं ज़मीन पर पड़े पड़े सूबक रही थी. तीसरा आदमी अब भी उसी तरह मेरे सामने खड़ा हुया था. उसने अपने बूट की एक लटजोरदार ठोकर मेरे नितंबो पर मारी. मैं दर्द से बिल्बिलाते हुए चित हो गयी जिससे मेरे नितंब ज़मीन की तरफ हो कर उसके मार से बच जाएँ. मगर अगले ही पल उसके बूट की एक और ठोकार मेरे जांघों के बीच मेरी योनि के उपर पड़ी. मैं दर्द से दोहरी हो गयी.
“म्म्माआअ……मुझे मत मरूऊओ….प्लीईएसस” मैं रोने लगी थी.
“चल अब नाटक बंद कर और उठ कर कपड़े पहन ले. या इसी लिबास मे जाना है तंगराजन जी के पास.”
इतना सुनना था कि मेरे निढाल जिस्म मे एक अजीब सी स्फूर्ति भर गयी. मैं उठी और उठ कर अपने कपड़े ढूँढने लगी. कपड़े उस टेंट के एक कोने पर पड़े हुए मिले. मैं अपने कपड़े पहन कर उस आदमी के सामने आकर खड़ी हुई. सारे कपड़े मिल गये नही मिला तो मेरी पॅंटी. मेरी पॅंटी को पूरे टेंट मे छान मारा मगर वो कहीं नही मिला. शायद किसीने उसे उठा कर अपने पास रख ली हो किसी यादगार के रूप मे. मैने बिना पॅंटी के ही घाघरा पहन लिया.
“आ मेरे साथ.” कह कर वो आदमी उस टेंट से बाहर निकाला. मैं भी उसके पीछे पीछे हो ली. उसने अलग थलग बने एक टेंट की ओर इशारा किया.
“वहाँ बाथरूम है. जा और जाकर अपना हुलिया ठीक कर. बॉस के सामने जाना है तो कुछ बन संवर के तो जा. नही तो वो तुझे कोई ऐसी वैसी महिला समझ बैठेगा.” वो आदमी जो इतनी देर से मुझसे इतनी बुरी तरह पेश आ रहा था. जिसके हावभाव से लग रहा था कि आज मुझे जिंदा नही छ्चोड़ेगा. अब वो एक दम ही शांत नज़र आ रहा था.
मैने अंदर जा कर देखा की फर्र्स की जगह वहाँ एक पत्थर का स्लॅब बिच्छा हुआ था और पास मे कुच्छ बल्टियों मे पानी रखा था. टेंट की एक दीवार पर रस्सी से एक टूटा फूटा आईना लगा था. मैने उस आईने मे अपने अक्स को देख कर पहले पानी से मुँह धोया फिर अपने बॉल संवारे. अपने सामानो से निकाल कर चेहरे पर हल्का सा मेकप किया और फिर के साथ लाई एक स्किन कलर की लिपस्टिक को होंठों पर फेरा. उसके बाद एक नज़र अपने कपड़ों पर दौड़ाई. वैसे तो सब ठीक ही था बस कुच्छ सलवटें पड़ गयी थी. मैने अपने बदन पर नज़र डाली. कई जगह मसले जाने से नीले नीले निशान पड़ गये थे. स्पेशली मेरी चूचियो को तो इन लोगों ने बड़ी बुरी तरह मसला था. ब्रा के कप्स ठीक करते हुए भी दर्द हो रहा था.
मैं जब वहाँ से बाहर निकली तो उस आदमी को तब भी मेरा इंतेज़ार करते हुए पाया. तब शाम हो रही थी. इस घने जंगल मे रात को यही रुकना पड़ेगा. तंगराजन कब मिलेगा क्या पता. और मिलने के बाद भी उसका इंटरव्यू लेना है. पता नही वो इसके लिए राज़ी भी होगा या नही. यही सब सोचते सोचते हुए मैं उस आदमी के पीछे पीछे चल दी. वो मुझे लेकर बीच मे बने उस मकान के अंदर घुसा. बाँस के बने उस मकान मे सारी आधुनकि सुविधाएँ उपलब्ध थी.
सामने एक बैठक था. मुझे लेकर वो वहीं रुक गया. कुच्छ देर बाद अंदर का दरवाजा खुला और एक आदमी बाहर आया. वो मुझे भीतर ले गया. मेरे साथ आया वो आदमी बाहर ही रह गया.
“ बॉस डिन्नर ले रहे हैं. आपको भी इन्वाइट किया है. खाना ख़तम होने तक कोई आवाज़ मत करना. और जो भी कहे सिर झुका कर सुन लेना. नही तो इस जंगल के जानवरों की आज दावत हो जाएगी. हड्डिया भी सारी मिल जाए तो गनीमत है. ” उसने मुझे हिदायत दी और मुझे लेकर एक कमरे मे प्रवेश किया. सामने एक डाइनिंग टेबल लगी थी उसके सिरहाने वाली कुर्सी पर एक आदमी सरीखा कोई बैठा था.
उसको आदमी सरीखा ही कहना बेहतर होगा. तंगराजन छह फीट 4” कद का काफ़ी बलिशट आदमी था. उसका वजन 130 किलो से क्या कम रहा होगा. रंगत एक दम काले काजल की तरह कहने से भी कोई ग़लत नही होगा. पूरे जिस्म पर भालू की तरह लंबे लंबे बाल सिर पर घुंघराले बाल और चेहरे पर एक घनी मूछ किसी डाकू की तरह लगता था.
उसने नंगे बदन पर एक तहमद बाँध रखी थी. मुझे अपने सामने वाली सीट की ओर इशारा किया.
मैने झुक कर उसका अभिवादन किया जिसका उसने कोई जवाब नही दिया. मैं कुर्सी पर बैठ गयी. सामने केले के पत्ते पर चावल और दाल परोसा गया. तंगराजन भी वही खा रहा था. हम चुपचाप खाना खाने लगे. खाना ख़त्म होने पर तंगराजन उठा और मुझे पहले हाथ मुँह धोने का इशारा किया. जब हम दोनो हाथ मुँह धो लिए तो वो बिना कुच्छ कहे उस कमरे से निकल गया. मैं कुच्छ देर तक चुप चाप खड़ी रही. तभी जो आदमी हमे खाना परोस रहा था उसने मुझे उस दरवाजे की तरफ इशारा किया.
“जाओ अंदर….पो…रा..” उसने मुझे तंगराजन के पीछे जाने को कहा. मैं घबराती शरमाती कमरे मे घुसी. मैने देखा तंगराजन उस वक़्त कुच्छ पढ़ने मे व्यस्त था. मुझे देखते ही उसने उस किताब को एक ओर रख दिया.
“कम इन.” मैने पहली बार उसकी आवाज़ सुनी. ऐसा लगा मानो जंगल मे कोई शेर दहाड़ रहा हो. मैने आँखें उठाकर उसकी लाल लाल आँखों मे देखा. ऐसा लगता था मानो आँखों मे खून उतर आया हो. दोस्तो कहानी अभी बाकी है आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः....
Re: रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -5
गतान्क से आगे.....
“वॉट डू यू वॉंट? तुम मुझसे मिलना क्यों चाहती थी.” उसने गुर्राते हुए पूछा.
“मैं एक इंटरव्यू लेना चाहती हूँ आपका. आपकी कुच्छ तस्वीरें लेना चाहती हूँ.” मैने डरते डरते हुए कहा.
उसने ज़ोर ज़ोर से तीन बार ताली बजाई, “गुड…यू आर आ ब्रेव गर्ल. तुमने सोच कैसे लिया कि तुम मेरा इंटरव्यू लेना चाहोगी और मैं तैयार हो जाउन्गा? आज तक मुझसे इतना पूछ्ने की भी किसी ने हिम्मत नही दिखाई.”
“मैं अपने पेपर मे आपका इंटरव्यू छपून्गि.”
“ मेरा इंटरव्यू और फोटो लेने के लिए शेर का कलेजा चाहिए. है तेरे पास? उसने मेरे स्तनो की ओर देखते हुए पूछा.
“ मैं किसी से नही डरती कह कर मैने अपने स्तनो को और उसकी ओर तान दिया.”
“बड़े थन और बड़े जिगर मे अंतर होता है लड़की.” कह कर उसने मेरे स्तनो को इशारा किया “ इनमे दूध भरता है आग नही.”
“ मैं लड़की हूँ मगर अपने इन से अच्छे अच्छो के दिल मे आग लगा सकती हूँ.” मैने अपने स्तनो की ओर इशारा करते हुए कहा
“ अच्छा बहुत बोलती है. देखूं तो कैसा है तेरा….बदन” कह कर उसने मेरे शर्ट को कोल्लेर से दोनो हाथों से पकड़ कर अलग कर दिया. बटन्स गोलियों की तरह शर्ट से टूट कर पूरे कमरे मे फैल गये.
मैने अपने हाथों से अपनी नग्नता च्चिपाने की व्यर्थ कोशिश की. मगर उस दानव के सामने तो मैं एक छ्होटी चिड़िया की तरह थी, जिसकी वो जब चाहे गर्देन मरोड़ सकता था. मैने भी देख लिया इन ख़तरनाक लोगों के बीच मेरी ओर से कोई छ्होटी सी हरकत की कीमत मुझे अपनी जान देकर चुकानी पड़ सकती थी. लेकिन फिर भी मैने अपने आप को बचाने की एक आधी अधूरी कोशिश की.
“मैं…मैं शादी शुदा हूँ. किसी की बीवी तुम्हे मुझसे इस तरह का व्यवहार नही करना चाहिए.” मैने कहा,
“शादी शुदा है तो क्या हुआ. यहाँ से जायगी तो कुच्छ सीख कर ही जाएगी. अपने हज़्बेंड को जब यहाँ से सीखे हुए दाव पेंच दिखयगी तो तेरा हज़्बेंड भी खुश होगा.”
“मैं अपने हज़्बेंड से कैसे कहूँगी कि मैं किसी और के साथ रात गुज़ार कर आई हूँ. मेरे बदन के ये दाग बिना कुच्छ कहे ही सब बता देंगे कि मेरे साथ क्या क्या हुआ.”
“ठीक है मैं तुझे छ्चोड़ता हूँ तू जा….तुझे मेरा इंटरव्यू भी नही मिलेगा.” उसने कह कर मुझे एक दम से छ्चोड़ दिया.
“नही मैं तो आपका इंटरव्यू लेकर ही जाउन्गि. ये मेरे प्रेस्टीज का सवाल है.” मैने उसके करीब जा कर कहा.
“तू पहली लड़की है जो यहाँ आकर भी मेरे सामने खड़ी है. आज तक यहाँ पर जो भी आया है. उसे जानवर बहुत चाव से खा गये. “ उसने मुझसे कहा,” यहाँ मेरी जानकारी के बिना कोई पत्ता भी नही हिल सकता. तो फिर तेरी क्या मज़ाल है. तू क्या सोचती है तू अपनी कोशिशों से यहाँ तक पहुँची है? हाहाहा…तू जब गाओं मे मेरे बारे मे पूछ्ती फिर रही थी तब से मुझे तेरे बारे मे मालूम है. मुझे पता चल गया था की तू खूबसूरत और कसा हुआ माल है इसलिए मैं खुद ही तेरे लिए रास्ता बनाता गया.”
मैं उसकी बातें सुन कर हैरान रह गयी.
“तू अब नखरे दिखाना छ्चोड़. मैं इस हाथ ले उस हाथ दे पर विस्वास करता हूँ.” उसने मुझे वापस अपनी बाहों मे लेते हुए कहा,” पहले तू ये सोच ले कि तुझे मेरा इंटरव्यू लेना है या नही.”
“ मैं तुम्हारा इंटरव्यू लिए बिना यहाँ से न आयी जाउन्गी.” मैं भी अपनी बात पर आड़ गयी.
“ तो फिर एक शर्त है.” उसने मुझे गहरी नज़रों से देखते हुए कहा. जब मैं चुप ही रही तो उसने आगे कहा,” तुम मेरा इंटरव्यू ले सकती हो बदले मे तुम्हे दो दिन तक मेरा गुलाम बन कर रहना पड़ेगा.”
मैने कोई जवाब नही दिया. उसने मुझे चुप देख कर मेरी आधी मर्ज़ी समझ कर आगे बोलने लगा, “ मैं जो भी कहूँगा तुझे बिना किसी सवाल के करना पड़ेगा. एक भी बार विरोध किया या कोई सवाल पूछा तो दो हंटर पड़ेंगे. बोलो तैयार हो?”
मैने बिना कुच्छ कहे अपना सिर सहमति मे झुका दिया. वो कुच्छ देर तक मेरी दशा देख कर मुस्कुराता रहा.
“अगर तुम मेरी शर्त मान गयी तो…..” उसने मेरे चेहरे को अपनी हथेली से उठाकर मुझे एक किस किया, “ तुम पहली लड़की होगी जो यहाँ से बच कर जिंदा वापस लौटेगी.” उसने मुझे खींच कर अपने सीने से लगा लिया. उसके दोनो हाथ मेरी पीठ पर फिरते हुए मेरे नितंबों को मसल्ने लगे. मैं कसमसा कर उससे अलग हुई.
इनके किसी भी हरकत पर विरोध दिखाना मूर्खता भरा काम था. मैने एक बार अपने हाथों से अपने ब्रा के कप्स ढकने की कोशिश की मगर तंगराजन के मेरे हाथ को झटक देने के बाद मैने किसी तरह की कोई कोशिश नही की. तब भी नही जब तंगराजन ने मेरे स्तनो को ब्रा के उपर से मसल्ते हुए उसके दोनो कप्स के बीच की पट्टी पर अपनी उंगलियाँ फँसा कर एक झटका दिया और मेरा ब्रा सारे बंधन तोड़ता हुया उसके हाथ मे आ गया. उसका झटका इतना ज़ोर का था कि मैं खुद लड़खड़ा कर तंगराजन के सीने से चिपक गयी. ऐसा लगा मानो मेरा नग्न बदन किसी चट्टान से जा टकराया हो.
तंगराजन ने मेरे दो टुकड़े हुए ब्रा को एक ओर फेंक कर मेरे नग्न बदन को निहारा.
मैने शर्म से अपनी आँखें बंद कर ली.
“ह्म्म्म्म अच्च्छा माल है. मुत्थु ने लगता है तुम्हारे इन दोनो फूलों को बुरी तरह मसला है.” उसने अपने दोनो हाथों से मेरे स्तनो को उठाते हुए कहा, “च्च्च…..इन मक्खन से गेंदों पर कैसी नीले नीले निशान पड़ गये हैं. ठहर जा छिनाल तू अब मेरी गुलाम है, मेरी दासी समझी”
मैने हामी मे सिर हिलाया. मैं अब इसके रहमो करम पर थी उसकी मर्ज़ी के बिना कुच्छ कर भी नही सकती थी.
मैं चुपचाप खड़ी रही. उसने मेरे सिर के पीछे बँधे बलों को खोल दिया जिससे मेरे सिल्की बालो ने मेरी पीठ को धक लिया था. मेरे बाल कमर तक लंबे थे. उनके खुल जाने से मैं और सेक्सी लगने लगी थी. तभी तगराजन ने किसी को आवाज़ दी. एक आदमी अंदर आया. उसके हाथ मे एक जानवरों के गले पर बाँधने वाला पट्टा था और उस पर चैन लगी थी. उसने वो पट्टा मेरे गले पर बाँध दिया. मैं कुच्छ भी नही कर सकी. उसने चैन तंगराजन के हाथ मे दे दी. तंगराजन ने चैन को हाथ मे लेकर एक झटका दिया. मैं उसके झटका देने पर लड़ खड़ा गयी.
मैं किसी पालतू जानवर की तरह उसके सामने खड़ी थी. मुझे सदियों पुराने गुलामो को दर्शाती हुई तस्वीरें याद हो आइ जिसमे गुलामों मे और जानवरों मे कोई अंतर नही दिखता था.
मुझे किसी अंजान आदमी के सामने इस तरह खड़े अगर मेरी फॅमिली वाले देखते तो क्या सोचते. मेरे हज़्बेंड को मेरे उस असाइनमेंट पानी की बधाई के बारे मे दोबारा सोचना पड़ता. मेरी सास तो शायद शर्म से ही मर जाती और मेरे कॉलीग्स उनकी तो लंड अपनी बारी का इंतेज़ार कर रहे होते. अभी कुच्छ ही महीने पहले घूँघट के पीछे छिपी उस छुइ मुई सी लड़की एक वासना की गुलाम के रूप मे इसकी कोई कल्पना भी नही कर सकता था.
“अब देखूं नीचे क्या छिपा हुया है.” कह कर उसने मेरे घाघरा को भी फाड़ कर टुकड़े टुकड़े कर दिया. नीच कुच्छ नही पहने होने की वजह से अब मैं बिल्कुल नंगी खड़ी थी.
“वाआह…..बहुत चिकनी है. मज़ा आ जाएगा. मैने तेरे कपड़े खोल दिए अब तू भी मेरे कपड़े हटा कर मेरे बदन को देख.” उसने कहा. मैं चुप चाप खड़ी रही. उसने अपने हाथ से मेरी कलाई पकड़ ली और उसे अपने तहमद के उपर रखा. उसकी पकड़ इतनी सख़्त थी कि एक बार पकड़ने पर ही कलाई दुखने लगी. मैने भी उसके तहमद की गाँठ को खोल कर उसके बदन से हटा दिया. दोस्तो कहानी अभी बाकी है
गतान्क से आगे.....
“वॉट डू यू वॉंट? तुम मुझसे मिलना क्यों चाहती थी.” उसने गुर्राते हुए पूछा.
“मैं एक इंटरव्यू लेना चाहती हूँ आपका. आपकी कुच्छ तस्वीरें लेना चाहती हूँ.” मैने डरते डरते हुए कहा.
उसने ज़ोर ज़ोर से तीन बार ताली बजाई, “गुड…यू आर आ ब्रेव गर्ल. तुमने सोच कैसे लिया कि तुम मेरा इंटरव्यू लेना चाहोगी और मैं तैयार हो जाउन्गा? आज तक मुझसे इतना पूछ्ने की भी किसी ने हिम्मत नही दिखाई.”
“मैं अपने पेपर मे आपका इंटरव्यू छपून्गि.”
“ मेरा इंटरव्यू और फोटो लेने के लिए शेर का कलेजा चाहिए. है तेरे पास? उसने मेरे स्तनो की ओर देखते हुए पूछा.
“ मैं किसी से नही डरती कह कर मैने अपने स्तनो को और उसकी ओर तान दिया.”
“बड़े थन और बड़े जिगर मे अंतर होता है लड़की.” कह कर उसने मेरे स्तनो को इशारा किया “ इनमे दूध भरता है आग नही.”
“ मैं लड़की हूँ मगर अपने इन से अच्छे अच्छो के दिल मे आग लगा सकती हूँ.” मैने अपने स्तनो की ओर इशारा करते हुए कहा
“ अच्छा बहुत बोलती है. देखूं तो कैसा है तेरा….बदन” कह कर उसने मेरे शर्ट को कोल्लेर से दोनो हाथों से पकड़ कर अलग कर दिया. बटन्स गोलियों की तरह शर्ट से टूट कर पूरे कमरे मे फैल गये.
मैने अपने हाथों से अपनी नग्नता च्चिपाने की व्यर्थ कोशिश की. मगर उस दानव के सामने तो मैं एक छ्होटी चिड़िया की तरह थी, जिसकी वो जब चाहे गर्देन मरोड़ सकता था. मैने भी देख लिया इन ख़तरनाक लोगों के बीच मेरी ओर से कोई छ्होटी सी हरकत की कीमत मुझे अपनी जान देकर चुकानी पड़ सकती थी. लेकिन फिर भी मैने अपने आप को बचाने की एक आधी अधूरी कोशिश की.
“मैं…मैं शादी शुदा हूँ. किसी की बीवी तुम्हे मुझसे इस तरह का व्यवहार नही करना चाहिए.” मैने कहा,
“शादी शुदा है तो क्या हुआ. यहाँ से जायगी तो कुच्छ सीख कर ही जाएगी. अपने हज़्बेंड को जब यहाँ से सीखे हुए दाव पेंच दिखयगी तो तेरा हज़्बेंड भी खुश होगा.”
“मैं अपने हज़्बेंड से कैसे कहूँगी कि मैं किसी और के साथ रात गुज़ार कर आई हूँ. मेरे बदन के ये दाग बिना कुच्छ कहे ही सब बता देंगे कि मेरे साथ क्या क्या हुआ.”
“ठीक है मैं तुझे छ्चोड़ता हूँ तू जा….तुझे मेरा इंटरव्यू भी नही मिलेगा.” उसने कह कर मुझे एक दम से छ्चोड़ दिया.
“नही मैं तो आपका इंटरव्यू लेकर ही जाउन्गि. ये मेरे प्रेस्टीज का सवाल है.” मैने उसके करीब जा कर कहा.
“तू पहली लड़की है जो यहाँ आकर भी मेरे सामने खड़ी है. आज तक यहाँ पर जो भी आया है. उसे जानवर बहुत चाव से खा गये. “ उसने मुझसे कहा,” यहाँ मेरी जानकारी के बिना कोई पत्ता भी नही हिल सकता. तो फिर तेरी क्या मज़ाल है. तू क्या सोचती है तू अपनी कोशिशों से यहाँ तक पहुँची है? हाहाहा…तू जब गाओं मे मेरे बारे मे पूछ्ती फिर रही थी तब से मुझे तेरे बारे मे मालूम है. मुझे पता चल गया था की तू खूबसूरत और कसा हुआ माल है इसलिए मैं खुद ही तेरे लिए रास्ता बनाता गया.”
मैं उसकी बातें सुन कर हैरान रह गयी.
“तू अब नखरे दिखाना छ्चोड़. मैं इस हाथ ले उस हाथ दे पर विस्वास करता हूँ.” उसने मुझे वापस अपनी बाहों मे लेते हुए कहा,” पहले तू ये सोच ले कि तुझे मेरा इंटरव्यू लेना है या नही.”
“ मैं तुम्हारा इंटरव्यू लिए बिना यहाँ से न आयी जाउन्गी.” मैं भी अपनी बात पर आड़ गयी.
“ तो फिर एक शर्त है.” उसने मुझे गहरी नज़रों से देखते हुए कहा. जब मैं चुप ही रही तो उसने आगे कहा,” तुम मेरा इंटरव्यू ले सकती हो बदले मे तुम्हे दो दिन तक मेरा गुलाम बन कर रहना पड़ेगा.”
मैने कोई जवाब नही दिया. उसने मुझे चुप देख कर मेरी आधी मर्ज़ी समझ कर आगे बोलने लगा, “ मैं जो भी कहूँगा तुझे बिना किसी सवाल के करना पड़ेगा. एक भी बार विरोध किया या कोई सवाल पूछा तो दो हंटर पड़ेंगे. बोलो तैयार हो?”
मैने बिना कुच्छ कहे अपना सिर सहमति मे झुका दिया. वो कुच्छ देर तक मेरी दशा देख कर मुस्कुराता रहा.
“अगर तुम मेरी शर्त मान गयी तो…..” उसने मेरे चेहरे को अपनी हथेली से उठाकर मुझे एक किस किया, “ तुम पहली लड़की होगी जो यहाँ से बच कर जिंदा वापस लौटेगी.” उसने मुझे खींच कर अपने सीने से लगा लिया. उसके दोनो हाथ मेरी पीठ पर फिरते हुए मेरे नितंबों को मसल्ने लगे. मैं कसमसा कर उससे अलग हुई.
इनके किसी भी हरकत पर विरोध दिखाना मूर्खता भरा काम था. मैने एक बार अपने हाथों से अपने ब्रा के कप्स ढकने की कोशिश की मगर तंगराजन के मेरे हाथ को झटक देने के बाद मैने किसी तरह की कोई कोशिश नही की. तब भी नही जब तंगराजन ने मेरे स्तनो को ब्रा के उपर से मसल्ते हुए उसके दोनो कप्स के बीच की पट्टी पर अपनी उंगलियाँ फँसा कर एक झटका दिया और मेरा ब्रा सारे बंधन तोड़ता हुया उसके हाथ मे आ गया. उसका झटका इतना ज़ोर का था कि मैं खुद लड़खड़ा कर तंगराजन के सीने से चिपक गयी. ऐसा लगा मानो मेरा नग्न बदन किसी चट्टान से जा टकराया हो.
तंगराजन ने मेरे दो टुकड़े हुए ब्रा को एक ओर फेंक कर मेरे नग्न बदन को निहारा.
मैने शर्म से अपनी आँखें बंद कर ली.
“ह्म्म्म्म अच्च्छा माल है. मुत्थु ने लगता है तुम्हारे इन दोनो फूलों को बुरी तरह मसला है.” उसने अपने दोनो हाथों से मेरे स्तनो को उठाते हुए कहा, “च्च्च…..इन मक्खन से गेंदों पर कैसी नीले नीले निशान पड़ गये हैं. ठहर जा छिनाल तू अब मेरी गुलाम है, मेरी दासी समझी”
मैने हामी मे सिर हिलाया. मैं अब इसके रहमो करम पर थी उसकी मर्ज़ी के बिना कुच्छ कर भी नही सकती थी.
मैं चुपचाप खड़ी रही. उसने मेरे सिर के पीछे बँधे बलों को खोल दिया जिससे मेरे सिल्की बालो ने मेरी पीठ को धक लिया था. मेरे बाल कमर तक लंबे थे. उनके खुल जाने से मैं और सेक्सी लगने लगी थी. तभी तगराजन ने किसी को आवाज़ दी. एक आदमी अंदर आया. उसके हाथ मे एक जानवरों के गले पर बाँधने वाला पट्टा था और उस पर चैन लगी थी. उसने वो पट्टा मेरे गले पर बाँध दिया. मैं कुच्छ भी नही कर सकी. उसने चैन तंगराजन के हाथ मे दे दी. तंगराजन ने चैन को हाथ मे लेकर एक झटका दिया. मैं उसके झटका देने पर लड़ खड़ा गयी.
मैं किसी पालतू जानवर की तरह उसके सामने खड़ी थी. मुझे सदियों पुराने गुलामो को दर्शाती हुई तस्वीरें याद हो आइ जिसमे गुलामों मे और जानवरों मे कोई अंतर नही दिखता था.
मुझे किसी अंजान आदमी के सामने इस तरह खड़े अगर मेरी फॅमिली वाले देखते तो क्या सोचते. मेरे हज़्बेंड को मेरे उस असाइनमेंट पानी की बधाई के बारे मे दोबारा सोचना पड़ता. मेरी सास तो शायद शर्म से ही मर जाती और मेरे कॉलीग्स उनकी तो लंड अपनी बारी का इंतेज़ार कर रहे होते. अभी कुच्छ ही महीने पहले घूँघट के पीछे छिपी उस छुइ मुई सी लड़की एक वासना की गुलाम के रूप मे इसकी कोई कल्पना भी नही कर सकता था.
“अब देखूं नीचे क्या छिपा हुया है.” कह कर उसने मेरे घाघरा को भी फाड़ कर टुकड़े टुकड़े कर दिया. नीच कुच्छ नही पहने होने की वजह से अब मैं बिल्कुल नंगी खड़ी थी.
“वाआह…..बहुत चिकनी है. मज़ा आ जाएगा. मैने तेरे कपड़े खोल दिए अब तू भी मेरे कपड़े हटा कर मेरे बदन को देख.” उसने कहा. मैं चुप चाप खड़ी रही. उसने अपने हाथ से मेरी कलाई पकड़ ली और उसे अपने तहमद के उपर रखा. उसकी पकड़ इतनी सख़्त थी कि एक बार पकड़ने पर ही कलाई दुखने लगी. मैने भी उसके तहमद की गाँठ को खोल कर उसके बदन से हटा दिया. दोस्तो कहानी अभी बाकी है