raj sharma stories भाभी का दूध compleet

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007
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Re: raj sharma stories भाभी का दूध

Unread post by 007 » 07 Nov 2014 15:03



Ekdum kase hue they kadak ,wow.phir jaise hi bhabhi seedhi hui to mujhe bhabhi ke jhat ke baalon ke darshan hue par kuchh hi der ke liye halke halke baalon ke beech ubhari hui unki mast jannat si Choot, main to paagal hi ho gaya .bhabhi baith gayi aur nahana shuru kar diya .lekin bathroom chota hone ki wajah se mujhe ab sirf unki peeth dikhai de rahi thi.phir bhi maine apni koshish nahin chhodi socha kabhi to paltengi,kuchh to dikhega.aur mera sayyam kaam aaya kuchh kuchh der main mujhe bhabhi ke Doodhon ke darshan ho hi jate.phir nahana khatam kar bhabhi khadi hui to mujhe unki gaand ke, jhat ke phir darshan hue unhone apna poora sharer ponchha phir apni jhantein.phir kapde pehne pehle BRA phir PENTIE. phir gaun main bhag kar apni jagah par baith gaya.lekin who nazara ab meri aankhon se hat nahin raha tha.


Phir bhagwan ko mere par taras aaya.ek baar bhabhi khana khane ke baad ghoomne jane ke liye kehne lagi, bhai ne kaha main to din bhar thaka hoon main nahin jaunga bhabhi ne kaha bhaiyya aap hi chalo.main to khush ho gaya.

par maine kaha - chhat par tehlenge

bhabhi ne kaha - kyon

M -sadak par aur log bhi ghoom rahe honge

B - to

M - matlab mohalle ke ladke vagirah,woh haapko dekhenge to mujhe achchha nahin lagega

B - bada khaya hai mera.

M - kyon nahin hoga.


Phir hum chhat par ghoomne lage. Us din ke baad hum dono khana khane ke baad chhat par tahalne jaate they. Ghoomte ghoomte kai baar mera hanth bhabhi ke hanth se touch ho jata to bhabhi thoda door chalne lagti, lekin kuchh kehti nahin balki kuchh der ke liye thoda chup ho jati.jab hum munder par ja kar thodi der ko khade hote to unke jitne kareeb khada ho sakoon ho jata. yahi sab kai dinon tak chalta raha.ek din jab roz ki tarah hum munder par khade ho kar batein kar rahe they to maine dheere se unke pet par haanth laga diya bhabhi phir bhi kuchh nahin boli,bas meri taraf dekha aur thodi door ho gayi.maine socha naraz ho gai,lekin jab doosre din bhi unhone ghoomne ko kaha to main samajh gaya ki yellow signal mil chuka hai.phir to us din main ghoomte ghoomte bhabhi se khoob takraya.kabhi hanth kabhi poora shareer hi unse touch karta raha.woh roz ki tarah bas thoda door ho jati.do teen din yahi chala ab maine socha kuchh aage badhna chahiye.
KRAMASHAH..............


007
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Re: raj sharma stories भाभी का दूध

Unread post by 007 » 07 Nov 2014 15:04

भाभी का दूध--2

गतान्क से आगे................
दूसरे दिन,दिन का खाना देने के बाद भाभी बेड पर बैठ कर टी.वी. देखने लगी, मैं भी खाना खाने के बाद उसी बेड पर लेट गया लगभग भाभी के पास.और सोने का बहाना करने लगा थोड़ी देर बाद मैं खिसक कर और लगभग उनसे चिपक गया.

भाभी - क्या हुआ,नींद नहीं आ रही क्या

मैं - हूँ...तकिये मैं घुस के सोने की आदत है ना इसलिए थोड़ा आपके पास घुस गया.

भाभी - आच्छे से सो जाओ

मैं - आपकी गोदी में सिर रख लूँ.

भाभी - रख लो लेकिन सिर्फ़ सिर ही रखना.

मैं -मतलब

भाभी - कुच्छ नहीं सो जाओ चुप चाप


मैं थोड़ी देर लेटा रहा पर उनकी खुश्बू मुझे जितना सुकून दे रही थी उतना ही उत्तेजित भी कर रही. मैं धीरे से उनसे और चिपक गया अब मेरा मूह भाभी के पेट से चिपका था और भाभी के दूध मेरे इतना करीब कि मैं अगर अपना मूह थोड़ा सा भी उपर करूँ तो शायद वो मुझसे टच हो जाते.मेरे साँसें गर्म हो चुकी थी और मैं उसे जान बूझ कर भाभी के दूधों के पास 'जहाँ ब्रा ख़तम होती है' छ्चोड़ रहा था.भाभी की साँसें भी तेज हो रही थी.तभी मैने अपना आपा खो दिया और अपना एक हाथ भाभी की कमर पे कस कर और चिपक गया और ब्रा के नीचे वाले हिस्से से टच हो गया.भाभी को मानो एकदम कुर्रेंट लग गया हो.उन्होने तुरंत मुझे झिड़क दिया.

मैं - क्या हुआ

भाभी - चलो उठो

मैं -क्या हुआ

भाभी -ये क्या कर रहे हो

मैं -कुच्छ नहीं,मुझे आपकी खुश्बू बहोत अच्छि लगती है.वोही सूंघ रहा था.

भाभी - चलो अब जाओ.हमने कहा था ना सिर्फ़ सोना.


पर मुझे पता नहीं कौन सा भूत सवार था मैने उठते उठते भाभी को एक पप्पी कर दी.
भाभी सुन्न हो के मुझे बस देखती रही और कुच्छ नहीं बोली.मुझे लगा मैने ये क्या कर दिया.मैं उठा.और अपने दोस्तों से मिलने बाहर चला गया.


रात को मैं जब घर लौट के आया तो बड़ा डरा हुआ था.भाभी ने मुझे खाना दिया मैं खाना खा के अपने बिस्तर पर लेट गया .भाई के सोने के थोड़ी देर में भाभी आई और मेरे पैर की साइड जो सोफा लगा था उसमे बैठ गई.मैने उनको देख कर थोडा मुस्कुरा दिया.

007
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Re: raj sharma stories भाभी का दूध

Unread post by 007 » 07 Nov 2014 15:05


भाभी - आज घूमने नहीं चलोगे

मैं - मैने सोचा लेट हो गये.

भाभी – लेट हो गये या कोई और बात

मैं – और क्या बात

भाभी – दिन की, अच्च्छा बताओ आपने ऐसा क्यों किया.

मैं – बस मैं आपकी खुश्बू सूंघ के बहक गया था

भाभी – खूशबू, ऐसी कैसी खुश्बू आती है मेरे पास से

मैं – पता नहीं पर मैं अपने आपको रोक नहीं पाता

भाभी – अभी भी आ रही है क्या, इधर आओ

और मैने झट से पलट कर अपना मूह भाभी की ओर कर लिया.भाभी ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा.सचमुच मैने आपको अच्छि लगती हूँ.मैने मौके की नज़ाकत समझ कर भाभी की गोद में सर रख दिया.और अपने मूह को भाभी की जांघों में रगड़ने लगा.

भाभी – आच्छे तो आप भी मुझे लगते हो, पर ये सब ग़लत है, हमारा रिश्ता कुछ और है.

मैं – रिश्ता तो दिल से बनता है अगर मैं और आप एक दूसरे को दिल से चाहते हैं तो हमारा रिश्ता प्यार का हुआ ना.

भाभी – तो प्यार तो हम करते ही हैं.

मैं – बस फिर प्यार में जो होता है होने दो


कहते हुए मैं अपने सर को रगड़ते हुए भाभी की चूत के पास तक पहुँच गया था कि अचानक भाभी ने मेरा चेहरा दोनो हाथो से पकड़ कर अपनी ओर किया और अपनी मुंदी ना में हिलाने लगी.भाभी की ये अदा भी मुझे भा गई क्योंकि इसमे उनकी मंज़ूरी के साथ मजबूरी में मनाही थी.मैं समझ गया कि भाभी को कोई ऐतराज नहीं होगा और मैं अपने सपनों को साकार करने में लग गया.मैने तुरंत अपना चेहरा भाभी के दूधों के ऊपर रख दिया और और दो मिनट तक तो मुझे होश ही नहीं रहा भाभी ने भी एक गहरी साँस लेकर अपने आपको मेरे सुपुर्द कर दिया और अपना सर सोफे से टिका लिया ऐसा लगा मानो दोनो को राहत मिली हो.अब मैने धीरे धीरे भाभी के स्तनों को अपने मूह से ही रगड़ना शुरू कर दिया (जैसे सोचे थे वैसे ही कड़क दूध थे भाभी के) रगड़ते रगड़ते मैं भाभी की गर्देन तक पहुँच गया फिर गाल और फिर सीधे भाभी के नर्म होंटो को अपने मूह में लेकर उनका रस पीने लगा मेरा एक हाथ भाभी के स्तनों को सहला रहा था.


जी भर के होंठों रस पीने के बाद दूध पीने की बारी थी मैं धीरे से नीचे आया और भाभी के सलवार के गले से अंदर घुसने लगा.लेकिन भाभी के आधे दूध तक ही पहुँच पाया .फिर मैने भाभी का कुर्ता उठाया और भाभी के पेट को चूमते हुए भाभी के दूधों तक पहुँच गया पर भाभी ने ब्रा पहन रखी थी.मैने अपने दोनो अंगूठे भाभी की ब्रा के अंदर डाल कर उसे उठाने की कोशिश की पर भाभी ने मुझे रोक दिया कहा

भाभी - अभी नहीं ये उठ जाएँगे

मैं – फिर कब

भाभी- - कल जब ये ऑफीस चले जाएँगे


और फिर उठ कर अपने कमरे में चली गई


सुबह मैं लेट ही उठा जब भाई के ऑफीस जाने का टाइम हो चुक्का था .जब तक मैं नहा के तय्यार हो गया.भाई के ऑफीस जाते ही मैने भाभी को पीछे से पकड़ लिया और किस करने लगा.

भाभी – लगता है सब्र नहीं हो रहा

मैं – कैसे होये सब्र, चलो ना

भाभी – पहले खाना खा लो

मैं – नहीं बाद में

भाभी – खा लो ताक़त आएगी


और जा कर मेरे लिए खाना ले आई.जब तक मैने खाना खाया भाभी बेड पर लेट कर टी.वी. देखने लगी.मैं खाना ख़तम कर के सीधे भाभी के बगल में लेट गया और भाभी को अपनी बाहों में भर कर किस करने लगा


भाभी ने अपनी आँखे बंद कर ली थी मैं भाभी को चूमते चूमते दूधों पर आ गया भाभी ने येल्लो कलर की सादी पहनी थी मैं साड़ी का पल्लो हटा कर ब्लाउस के ऊपर से ही दूधों को पीने लगा कुच्छ देर यूँ ही करते करते मैने भाभी के ब्लाउस के हुक खोलना शुरू कर दिए,एक एक कर मैने सारे हुक खोल दिए अब भाभी मेरे सामने ब्रा में थी . भाभी की ब्रा के अंदर भाभी के मस्त दूध एक दम कसे हुए थे.ब्रा बिल्कुल फिटिंग की थी मैने अब ब्रा के ऊपर से ही भाभी के दूध पर धीरे धीरे हाथ फेरना शुरू कर दिए और फिर धीरे से पीछे हाथ कर ब्रा के हुक भी खोल दिए ,हुक खुलते ही दोनो दूध आज़ाद हो गये.ब्रा को हटते ही मेरे सामने भाभी के सुडोल स्तन आ गये जितना सोचा था उससे भी सुंदर एकदम कड़क ब्राउन कलर की निपल अकड़ कर मानो मुझे ही देख रहे थे और बुला रहे थे मैने बिना देर किए एक निपल को अपने मूह में ले लिया.और दूसरे को अपने हाथ से दबाने लगा.
क्रमशः..............

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