सने मेरी चूत में अपने पूरी जीभ डाल दी. अचानक जीभ अन्दर डालने से मेरी सिसकारी निकल गई. “आह..औ..आ..ह.ह..मेरे..पहलवान…मज़ा आ गया…ऐसे ही चोदो आ.ह..आ.अ..हह..मुझे..जीभ सी…से.मेरी दाना….रगड़ो..उधर…हाँ…ऐसे..ही…करते..रहो…शाबाश…राजू..वाह….” मैं मस्त होने लगी थी.
मैंने फ़िर एक बार दीपू का पूरा लंड अपने मुंह में भर लिया और अन्दर बाहर करते हुए अपने मुंह की चुदाई करने लगी. राजू अपनी खुरदरी जीभ से मेरी चिकनी चूत चाट रहा था और मैंने अपने मुंह में दीपू का लंड ले रखा था. ट्रेन अपनी फुल स्पीड पर चल रही थी. मिली जुली आवाजें आ रहीं थीं “धडक..धडक..खटाक..ख़त..चड़प..चाप..औयो..औ..थाधक…….” दीपू के मुंह से भी आवाजें आने लगीं थीं.
“आह…ये…या.एस…वाह…मेरी…जान…चूस…चूसले..ले…और अन्दर…और आदर ले…भोसड़ी…की..और जोर..से..ले..और ले..ले…वाह…” अब उसने मेरे मुंह में धक्के मारना चालू कर दिया था. मुझे लगा कि उसे मज़ा आ रहा है तो कुछ देर और चूस लेती हूँ क्यूँकि उधर मुझे भी चूत चटवाने में मज़ा आ रहा था.
लेकिन अचानक दीपू ने मेरे मुंह में धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और मेरा सर पकड़ कर अपना पूरा लंड मेरे मुंह में अन्दर बाहर करते हुए ज़ोर से चिल्लाने लगा “आ…..ह…. .ह….आ…ले…कॉम…ओं…नं….मेरी…जान…ले..पीले…पूरा..पी..ले..माँ…..चोद.चूस.. चूस…पी…ले..पी..” अचानक मेरे मुंह में पिचकारी चल गई. मैं समझ गई एक तो बिना चूत का स्वाद चखे ही चल बसा. दीपू मेरे मुंह में अपना पानी डाल चुका था मैंने उसका पूरा रस पी लिया. उसके रस का स्वाद अच्छा था. मैंने उसका लंड चाट चाट कर साफ़ कर दिया. झड़ने के बाद उसने अपने लंड बाहर निकाल लिया और हंसने लगा.
उधर शायद राजू भी चूत चूस चूस कर थक गया था इसलिए वो भी उठ कर खड़ा हो गया और मेरे मुंह के पास लंड ला कर बोला “प्लीज़ जान मेरा भी तो चूसो..” मैंने हँसते हुए उससे कहा “तुम दोनों अगर मेरे मुंह में ही उलटी करके चले जाओगे तो मैं क्या करूंगी..” “नहीं मेरी जान, मैं तो तुम्हारी चूत में ही पानी डालूँगा चिंता मत करो.” राजू ने जवाब दिया.
मैंने राजू का लंड मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया. थोडी देर तक उसका लंड चूसने के बाद उसने अपना लंड मेरे मुंह में से निकाल लिया और मुझसे बोला. “चल..मेरी रानी..अब..कुतिया..बन जा…आज तेरी चूत का बाजा बजाऊंगा.” मैंने फ़ौरन उसका आदेश माना और उलटी हो कर चूत को उसकी तरफ़ कर दिया. उसने भी आसन लगा कर मेरी चूत की छेद पर लंड लगाया और एक करारा धक्का दिया.” आ.इ.ई.गई….आ..आ गया…आ. गया..मेरे राजा..पूरा..अन्दर..आ..गया..” मैं चिल्लाने लगी.
हमारी चुदाई चालू हो गई थी और उधर दीपू ने ज़ल्दी ज़ल्दी अपने कपड़े पहन लिए थे. जब मैंने दीपू को कपड़े पहने हुए देखा तो चुदवाते हुए ही बोली “क्या..आ.अ.हुआ..दीपू…तुम..नहीं..
आ.आ..हह..डालोगे…क्या..आ..हह…एक…ही..बार…में…ठंडा..पड़.आ.ह.. ह..गया…क्या ?”
दीपू ने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया और मुझे चोद रहे राजू के कान में आ कर कुछ बोला और कूपे से बाहर निकल गया. मुझे चुदाई में बहुत मज़ा आ रहा था इसलिए मैंने उनकी बातों पर दयां नहीं दिया और ट्रेन के हिलने की गति के साथ ही हिल हिल कर लंड लेने लगी. अब राजू की धक्को की स्पीड बढ़ने लगी थी और ट्रेन के हिलने की वजह से मुझे भी दोगुना मज़ा आ रहा था.
राजू अब बड़बड़ाने लगा “या..ले…मेरी….जान..ले… पूरा…ले…कुतिया..ले… मेरा..लंड..तेरी…चूत फाड़ डालूँगा…बहन…चोद…ले..” मुझे भी उसकी बातें सुन सुन आकर जोश आने लगा था इसलिए मैं भी बोलने लगी,”चल..और…ज़ोर..से..दे… हाँ..कर…मेरे..रजा.. कर..ले…
च.चल..अगर..तेरे..लंड..में..दम..है ..तो.. मेरी..गांड…में..डाल.. डाल..न..गांडू…गांड..में…डाल…” मेरी बात सुन कर उसने चूत में से अपना लंड निकाल लिया और मेरे गाण्ड के छेद पर लगाने लगा. मैंने भी अपनी पोज़िशन ठीक की और गांड का छेद ऊपर की तरफ़ निकाल कर झुक गई और बोली “चल.. आ.जा.ज़ल्दी….. डाल..दे… गांड…में… धीरे….धीरे.डालना…”
राजू ने गांड के छेद पर निशाना लगाया और एक ज़ोरदार धक्का लगा दिया लेकिन उसका लंड मेरी चूत के पानी से चिकना हो रहा था इसलिए फिसल गया और नीचे चला गया. उसने दुबारा कोशिश की और इस बार पहले से भी ज़ोर से धक्का लगाया. इस बार लंड ने गांड की पटरी पकड़ ली और मेरी गांड को चीरता हुआ अन्दर चला गया.
मेरी चीख निकल गई “आ….अ.अ.. आ..ईई. ई.ई.इ.ई. मार डाला मादरचोद… ऐसे…डालते..हैं..क्या.. फाड़ डाली..मेरी..गांड.. गांडू… मुझे एक बार थोड़ा मरवानी है… आ..ई.ई.ई…” लेकिन उसने मुझे पीछे से पकड़ रखा था इसलिए मैं उसका लंड निकाल नहीं पायी और उसने धक्के लगाने चालू कर दिए.
वाकई उसका लंड गज़ब का मोटा था मुझे बहुत दर्द हो रहा था लेकिन उसने मेरी एक भी नहीं सुनी और धक्का लगाना चालू रखा. आठ दस धक्कों के बाद मुझे भी दर्द कम हुआ और मज़ा आने लगा. अब मैंने नीचे से हाथ डाल कर अपनी चूत को मसलना चालू कर दिया था. मेरी इच्छा हो रही थी की मेरी चूत में भी कोई चीज डाल लूँ लेकिन वो दीपू का बच्चा तो खेल बीच में ही छोड़ कर चला गया था.
meri akeli - train mai chudai ki kahani
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A woman is like a tea bag - you can't tell how strong she is until you put her in hot water.
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Re: meri akeli - train mai chudai ki kahani
तभी अचानक कूपे का दरवाजा खुला और तीन आदमी एक साथ अन्दर आ गए. ट्रेन किसी बड़े स्टेशन पर रुकी हुई थी. अचानक उन लोगों के अन्दर आने से मैं चौंक गई और जल्दी से अलग होकर अपने कपड़े उठा कर अपना बदन छुपाने की कोशिश करने लगी.
उन तीन लोगों के अन्दर आते ही राजू ज़ोर से चहक कर बोला “आओ बॉस !! मैंआप लोगों का ही इंतज़ार कर रहा था. उसने ज़ल्दी से कूपे का दरवाजा अन्दर सेलॉक कर लिया और मेरी तरफ़ मुड कर बोला ” चिंता मत करो मैडम ये लोग भी अपनेदोस्त हैं,
अभी तुम्हारी इच्छा चूत में कुछ डलवाने की हो रही थी ना इसलिए इन लोगों को बुलवाया है. चलो शुरू करते हैं.”
मुझे इस तरह से उन लोगों का अन्दर आना अच्छा नहीं लगा. मैंने नाराज होते हुए कहा “चुप रहो तुम !! मुझे क्या तुम लोगों ने रंडी समझ रखा है. जो भी आएगा मैं उससे चुदवा लूंगी. तुम लोग अभी मेरे कूपे से बाहर चले जाओ नहीं तो मैं शोर मचा दूंगी.”
मेरे इस तरह नाराज होने से वो लोग डर गए और मुझे मनाते हुए राजू ने कहा ” नहीं मैडम ऐसा नहीं है अगर आप नहीं चाहोगी तो कुछ भी नहीं करेंगे.” जो लोग अभी अभी अन्दर आए थे उनमें से एक ने कहा “नहीं मैडम हमें तो दीपक ने भेजा था अगर आप को बुरा लगता है तो हम लोग बाहर चले जाते हैं. प्लीज़ आप शोर मत मचाना हमारी नौकरी चली जायेगी.”
इस तरह वो चारों ही मुझे मनाने में लग गए. मैंने मन ही मन सोचा कि अब इन लोगों ने मुझे नंगा तो देख ही लिया है और अभी तक अपना काम भी नहीं हुआ है. सुबह तो ट्रेन से उतर कर चले ही जाना है फ़िर ये लोग कौन सा कभी दुबारा मिलने वाले हैं. चलो आज आज तो चुदाई का मजा ले ही लिया जाए. फ़िर पता नहीं कब इतने लंडों की बरात मिले.
ये सोच कर मैंने उनको डराते हुए कहा “ठीक है मैं तुम लोगों को केवल आधा घंटे का समय देती हूँ तुम लोग जल्दी जल्दी अपना काम करो और यहाँ से निकल जाओ और अब कोई और इस कूपे में नहीं आना चाहिए.”
वो चारों खुश हो गए और “जी मैडम ! जी मैडम” करने लगे. राजू ने उन लोगों से कहा कि चलो अब मैडम का मूड दुबारा से बनाना पड़ेगा तुम लोग आगे आ जाओ”.
वो चारों मेरे करीब आ गए और दो लोगों ने मेरे एक एक बोबे को हाथ से दबाना शुरू कर दिया और एक जना नीचे बैठ कर मेरी चूत में जीभ डालने लगा. राजू ने अपना लंड जो अब कुछ ढीला हो गया था उसे मेरे मुंह में डाल दिया. अभी उसका लंड पूरा टाइट नहीं हुआ था इसलिए मेरे मुंह आराम से आ गया और मैं फिर से उसका लंड चूसने लगी.
थोड़ी ही देर में मेरी आग फिर भड़क गई और मैं फ़िर से उसी मूड में आ गई. मैंने राजू का लंड तैयार करते हुए उससे कहा,”चलो राजू तुम अपना अधूरा काम पूरा करो !”
मेरी बात सुनते ही राजू हँसते हुए मेरे पीछे आ गया और बोला “क्यों नहीं मैडम अभी लो !!”
अब सब लोगों ने अपनी अपनी पोज़िशन ले ली. मै डौगी स्टाईल में झुक गई एक जन मेरे नीचे था मैंने अपनी गांड नीचे झुकाते हुए उसका लंड अपनी चूत में डाल लिया और पीछे से राजू ने अपना लंड मेरी गांड में डाल दिया. मेरे मुंह के पास दो लोग अपने लंड निकाल कर खड़े हो गए. इस पोज़िशन में आने के बाद घमासान चुदाई चालू हो गई.
अपने सभी छेदों में लंड डलवाने के बाद मैं जल्दी ही अपने चरम पर पहुँच गई और मेरे मुंह से फिर ना जाने क्या क्या निकलने लगा. “आ..आ.ई.. आबी..अबे..हरामी… राजू…ज़ोर…से. स.ऐ.ऐ.ऐ कर फाड़ दे दे.दे. आ..ऐ.ऐ.एई.. मेरी…गा..गा..न्ड. चलो चोदो…मुझे. हराम…के..पिल्लों .. चोदो मुझे…फाड़…दो.. मेरी..चूत भी…बहुत आग..है..इसमे……” मैं ना जाने क्या क्या बोल रही थी और मेरी बातों से वो लोग और भड़क रहे थे.
अचानक राजू ने मेरी गांड में से अपना लंड बाहर निकाल लिया और मेरे मुंह में लंड डाल कर खड़े आदमी से बोला “चल अब तू आ जा बे तू डाल अब गांड में मैं तो झड़ने वाला हूँ.” ये बोलता हुए राजू मेरे मुंह के पास लंड लाता हुए बोला “ले मेरी जान मेरा रस पी ले मजा आ जाएगा.” मैं भी यही चाहती थी इसलिए फ़ौरन उसका लंड अपने मुंह में ले लिया. राजू ने दो चार धक्कों में ही अपना रस मेरे मुंह में उलट दिया.
उधर जिसने मेरी चूत में अपना लंड डाल रखा था उसने भी नीचे से धक्के बढ़ा दिए और जल्दी ही मेरी चूत में उसके वीर्य की बाढ़ आ गई. अब दो लोग बचे थे और मेरी चूत की आग अभी भी नहीं बुझी थी लेकिन मैं डोगी स्टाइल में खड़े खड़े थक गई थी इसलिए मैं सीट पर पीठ के बल लेट गई और उन बचे हुए दो लोगों से कहा”
उन तीन लोगों के अन्दर आते ही राजू ज़ोर से चहक कर बोला “आओ बॉस !! मैंआप लोगों का ही इंतज़ार कर रहा था. उसने ज़ल्दी से कूपे का दरवाजा अन्दर सेलॉक कर लिया और मेरी तरफ़ मुड कर बोला ” चिंता मत करो मैडम ये लोग भी अपनेदोस्त हैं,
अभी तुम्हारी इच्छा चूत में कुछ डलवाने की हो रही थी ना इसलिए इन लोगों को बुलवाया है. चलो शुरू करते हैं.”
मुझे इस तरह से उन लोगों का अन्दर आना अच्छा नहीं लगा. मैंने नाराज होते हुए कहा “चुप रहो तुम !! मुझे क्या तुम लोगों ने रंडी समझ रखा है. जो भी आएगा मैं उससे चुदवा लूंगी. तुम लोग अभी मेरे कूपे से बाहर चले जाओ नहीं तो मैं शोर मचा दूंगी.”
मेरे इस तरह नाराज होने से वो लोग डर गए और मुझे मनाते हुए राजू ने कहा ” नहीं मैडम ऐसा नहीं है अगर आप नहीं चाहोगी तो कुछ भी नहीं करेंगे.” जो लोग अभी अभी अन्दर आए थे उनमें से एक ने कहा “नहीं मैडम हमें तो दीपक ने भेजा था अगर आप को बुरा लगता है तो हम लोग बाहर चले जाते हैं. प्लीज़ आप शोर मत मचाना हमारी नौकरी चली जायेगी.”
इस तरह वो चारों ही मुझे मनाने में लग गए. मैंने मन ही मन सोचा कि अब इन लोगों ने मुझे नंगा तो देख ही लिया है और अभी तक अपना काम भी नहीं हुआ है. सुबह तो ट्रेन से उतर कर चले ही जाना है फ़िर ये लोग कौन सा कभी दुबारा मिलने वाले हैं. चलो आज आज तो चुदाई का मजा ले ही लिया जाए. फ़िर पता नहीं कब इतने लंडों की बरात मिले.
ये सोच कर मैंने उनको डराते हुए कहा “ठीक है मैं तुम लोगों को केवल आधा घंटे का समय देती हूँ तुम लोग जल्दी जल्दी अपना काम करो और यहाँ से निकल जाओ और अब कोई और इस कूपे में नहीं आना चाहिए.”
वो चारों खुश हो गए और “जी मैडम ! जी मैडम” करने लगे. राजू ने उन लोगों से कहा कि चलो अब मैडम का मूड दुबारा से बनाना पड़ेगा तुम लोग आगे आ जाओ”.
वो चारों मेरे करीब आ गए और दो लोगों ने मेरे एक एक बोबे को हाथ से दबाना शुरू कर दिया और एक जना नीचे बैठ कर मेरी चूत में जीभ डालने लगा. राजू ने अपना लंड जो अब कुछ ढीला हो गया था उसे मेरे मुंह में डाल दिया. अभी उसका लंड पूरा टाइट नहीं हुआ था इसलिए मेरे मुंह आराम से आ गया और मैं फिर से उसका लंड चूसने लगी.
थोड़ी ही देर में मेरी आग फिर भड़क गई और मैं फ़िर से उसी मूड में आ गई. मैंने राजू का लंड तैयार करते हुए उससे कहा,”चलो राजू तुम अपना अधूरा काम पूरा करो !”
मेरी बात सुनते ही राजू हँसते हुए मेरे पीछे आ गया और बोला “क्यों नहीं मैडम अभी लो !!”
अब सब लोगों ने अपनी अपनी पोज़िशन ले ली. मै डौगी स्टाईल में झुक गई एक जन मेरे नीचे था मैंने अपनी गांड नीचे झुकाते हुए उसका लंड अपनी चूत में डाल लिया और पीछे से राजू ने अपना लंड मेरी गांड में डाल दिया. मेरे मुंह के पास दो लोग अपने लंड निकाल कर खड़े हो गए. इस पोज़िशन में आने के बाद घमासान चुदाई चालू हो गई.
अपने सभी छेदों में लंड डलवाने के बाद मैं जल्दी ही अपने चरम पर पहुँच गई और मेरे मुंह से फिर ना जाने क्या क्या निकलने लगा. “आ..आ.ई.. आबी..अबे..हरामी… राजू…ज़ोर…से. स.ऐ.ऐ.ऐ कर फाड़ दे दे.दे. आ..ऐ.ऐ.एई.. मेरी…गा..गा..न्ड. चलो चोदो…मुझे. हराम…के..पिल्लों .. चोदो मुझे…फाड़…दो.. मेरी..चूत भी…बहुत आग..है..इसमे……” मैं ना जाने क्या क्या बोल रही थी और मेरी बातों से वो लोग और भड़क रहे थे.
अचानक राजू ने मेरी गांड में से अपना लंड बाहर निकाल लिया और मेरे मुंह में लंड डाल कर खड़े आदमी से बोला “चल अब तू आ जा बे तू डाल अब गांड में मैं तो झड़ने वाला हूँ.” ये बोलता हुए राजू मेरे मुंह के पास लंड लाता हुए बोला “ले मेरी जान मेरा रस पी ले मजा आ जाएगा.” मैं भी यही चाहती थी इसलिए फ़ौरन उसका लंड अपने मुंह में ले लिया. राजू ने दो चार धक्कों में ही अपना रस मेरे मुंह में उलट दिया.
उधर जिसने मेरी चूत में अपना लंड डाल रखा था उसने भी नीचे से धक्के बढ़ा दिए और जल्दी ही मेरी चूत में उसके वीर्य की बाढ़ आ गई. अब दो लोग बचे थे और मेरी चूत की आग अभी भी नहीं बुझी थी लेकिन मैं डोगी स्टाइल में खड़े खड़े थक गई थी इसलिए मैं सीट पर पीठ के बल लेट गई और उन बचे हुए दो लोगों से कहा”
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A woman is like a tea bag - you can't tell how strong she is until you put her in hot water.
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Re: meri akeli - train mai chudai ki kahani
चलो अब तुम दोनों मेरी चूत में बारी बारी से अपना पानी डाल कर चलते बनो.”
पहले एक ने मेरी चूत में लंड डाल कर हिलाना शुरू किया. मुझे पूरा मजा जा आ रहा था. यूँ तो मैं अब तक चार पाँच बार झड़ चुकी थी लेकिन चूत में लंड डलवाने से होने वाली तृप्ति अभी तक नहीं हुई थी इसलिए मैं जल्दी ही अपने चरम पर पहुँच गई और नीचे लेटे लेटे ही अपने चूतड़ उछाल उछाल कर लंड अन्दर लेने लगी. “आ..हा. हा.अ.अ.अ. आ.जा.. आ.जा.और अन्दर… आ.जा.चोद.. हरामी…ज़ोर..से.. चोद…आ.ह, आ,आ,,जा,” मैं झड़ने ही वाली थी कि उससे पहले वो हरामी अपना पानी छोड़ बैठा.मेरी चूत उसके गरम गरम पानी से भीग गई और मेरा आनंद दो गुना हो गया था और मैं सोच रही थी की ये पाँच दस धक्के और मार दे तो मैं भी झड़ जाऊं. लेकिन वो ढीला लंड था और उसने झड़ते ही अपना लंड बाहर निकाल लिया. मुझे उसकी इस हरकत पर बहुत गुस्सा आया और मैं बोली “क्या..हुआ…मादरचोद…चोदा..नहीं..जाता..तो लंड..खड़ा..करके क्यूँ आ जाते हो..चल अब तू आ जा जल्दी से चोद.”
जो आखरी बचा हुआ था वो मेरी गाली सुनकर भड़क गया और जल्दी से अपना खड़ा लंड ले कर मेरी चूत के पास आया और मेरी चूत पर लंड टिकाते हुए बोला ” ले..बहन..की..लौड़ी..अभी..तेर.चूत का भोसड़ा बनाता हूँ. अगर आज तेरी चूत नहीं फाड़ी तो मेरा नाम भी पंवार नहीं.” उसने जैसे ही अपना लंड मेरी चूत में डाला वैसे ही मैं समझ गई कि ये वास्तव में खिलाड़ी है. उसका लंड काफी मोटा और कड़क था. और फ़िर उसने बहुत तेज तेज पेलना शुरू कर दिया. मैं तो पहले ही झड़ने के करीब थी इसलिए उसका लंड आराम से झेल गई और चिल्लाते हुए झड़ने लगी,” हाँ..ये..बात… शाबाश…तू..ही…मर्द र्द..है..रे..फाड़..डाल…तेरे…बाप..का माल.है..और जोर..से..मैं..आ.. रही..हूँ.. मेरे..राजा… ले..मैं..आ.अ.अ. अ.अ.एई ….आ.ई.इ.इ. अ.ऐ.इ.” और मैं झड़ गई. लेकिन उसने मेरी चूत की चुदाई बंद नहीं की और उल्टा उसके धक्के बढ़ते चले जा रहे थे.
अब मेरी नस नस में दर्द महसूस हो रहा था लेकिन वो ज़ोर ज़ोर से मुझे चोदे जा रहा था. करीब आधे घंटे बाद वो अपने चरम पर आ गया और बड़बड़ाने लगा “ले…मेरी जान..अब तैयार हो जा तेरी चूत की प्यास ऐसी बुझेगी ..कि तू भी याद करेगी..”
उसके बात सुनते ही मैंने सोचा कि ऐसे लंड का पानी तो चूत की जगह मुंह में लेना चाहिए. ये सोच कर मैंने उससे कहा,” आ मेरे राजा तेरा पानी तो मेरे मुंह में डाल मुझे पिला दे तेरा पानी..मेरे राजकुमार..”
शायद उसकी भी इच्छा ये ही थी इसलिए उसने भी मेरी बात सुनते ही चूत में से लंड निकाल लिया और चूत के पानी से सना हुए लंड मेरे मुंह में ठूस दिया. उसने अपने पूरा लंड मेरे मुंह में डाल दिया जो मुझे अपने गले तक महसूस होने लगा. मेरा दम घुट रहा था लेकिन मैंने उसके ताकतवर लंड का आदर करते हुए उसे मुंह से नहीं निकाला और थोडी ही देर में उसने अपने लंड से दही जैसा गाढ़ा वीर्य निकाला जिसका स्वाद गज़ब का था. मैं उसके रस का एक एक कतरा चाट चाट कर पी गई और मुझे लगा कि जैसे किसी डिनर पार्टी के बाद मैंने कोई मिठाई खाई हो.
तो दोस्तों ये थी मेरी ट्रेन स्टाफ से चुदाई की दास्तान. अगली बार इस से भी खतरनाक चुदाई के लिए तैयार रहें और अपने अपने चूत और लंड की मालिश करते रहें.
पहले एक ने मेरी चूत में लंड डाल कर हिलाना शुरू किया. मुझे पूरा मजा जा आ रहा था. यूँ तो मैं अब तक चार पाँच बार झड़ चुकी थी लेकिन चूत में लंड डलवाने से होने वाली तृप्ति अभी तक नहीं हुई थी इसलिए मैं जल्दी ही अपने चरम पर पहुँच गई और नीचे लेटे लेटे ही अपने चूतड़ उछाल उछाल कर लंड अन्दर लेने लगी. “आ..हा. हा.अ.अ.अ. आ.जा.. आ.जा.और अन्दर… आ.जा.चोद.. हरामी…ज़ोर..से.. चोद…आ.ह, आ,आ,,जा,” मैं झड़ने ही वाली थी कि उससे पहले वो हरामी अपना पानी छोड़ बैठा.मेरी चूत उसके गरम गरम पानी से भीग गई और मेरा आनंद दो गुना हो गया था और मैं सोच रही थी की ये पाँच दस धक्के और मार दे तो मैं भी झड़ जाऊं. लेकिन वो ढीला लंड था और उसने झड़ते ही अपना लंड बाहर निकाल लिया. मुझे उसकी इस हरकत पर बहुत गुस्सा आया और मैं बोली “क्या..हुआ…मादरचोद…चोदा..नहीं..जाता..तो लंड..खड़ा..करके क्यूँ आ जाते हो..चल अब तू आ जा जल्दी से चोद.”
जो आखरी बचा हुआ था वो मेरी गाली सुनकर भड़क गया और जल्दी से अपना खड़ा लंड ले कर मेरी चूत के पास आया और मेरी चूत पर लंड टिकाते हुए बोला ” ले..बहन..की..लौड़ी..अभी..तेर.चूत का भोसड़ा बनाता हूँ. अगर आज तेरी चूत नहीं फाड़ी तो मेरा नाम भी पंवार नहीं.” उसने जैसे ही अपना लंड मेरी चूत में डाला वैसे ही मैं समझ गई कि ये वास्तव में खिलाड़ी है. उसका लंड काफी मोटा और कड़क था. और फ़िर उसने बहुत तेज तेज पेलना शुरू कर दिया. मैं तो पहले ही झड़ने के करीब थी इसलिए उसका लंड आराम से झेल गई और चिल्लाते हुए झड़ने लगी,” हाँ..ये..बात… शाबाश…तू..ही…मर्द र्द..है..रे..फाड़..डाल…तेरे…बाप..का माल.है..और जोर..से..मैं..आ.. रही..हूँ.. मेरे..राजा… ले..मैं..आ.अ.अ. अ.अ.एई ….आ.ई.इ.इ. अ.ऐ.इ.” और मैं झड़ गई. लेकिन उसने मेरी चूत की चुदाई बंद नहीं की और उल्टा उसके धक्के बढ़ते चले जा रहे थे.
अब मेरी नस नस में दर्द महसूस हो रहा था लेकिन वो ज़ोर ज़ोर से मुझे चोदे जा रहा था. करीब आधे घंटे बाद वो अपने चरम पर आ गया और बड़बड़ाने लगा “ले…मेरी जान..अब तैयार हो जा तेरी चूत की प्यास ऐसी बुझेगी ..कि तू भी याद करेगी..”
उसके बात सुनते ही मैंने सोचा कि ऐसे लंड का पानी तो चूत की जगह मुंह में लेना चाहिए. ये सोच कर मैंने उससे कहा,” आ मेरे राजा तेरा पानी तो मेरे मुंह में डाल मुझे पिला दे तेरा पानी..मेरे राजकुमार..”
शायद उसकी भी इच्छा ये ही थी इसलिए उसने भी मेरी बात सुनते ही चूत में से लंड निकाल लिया और चूत के पानी से सना हुए लंड मेरे मुंह में ठूस दिया. उसने अपने पूरा लंड मेरे मुंह में डाल दिया जो मुझे अपने गले तक महसूस होने लगा. मेरा दम घुट रहा था लेकिन मैंने उसके ताकतवर लंड का आदर करते हुए उसे मुंह से नहीं निकाला और थोडी ही देर में उसने अपने लंड से दही जैसा गाढ़ा वीर्य निकाला जिसका स्वाद गज़ब का था. मैं उसके रस का एक एक कतरा चाट चाट कर पी गई और मुझे लगा कि जैसे किसी डिनर पार्टी के बाद मैंने कोई मिठाई खाई हो.
तो दोस्तों ये थी मेरी ट्रेन स्टाफ से चुदाई की दास्तान. अगली बार इस से भी खतरनाक चुदाई के लिए तैयार रहें और अपने अपने चूत और लंड की मालिश करते रहें.
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