ratan- muskurate huye isiliye to maine teri bat ka bura nahi mana tabhi unki coffee aa jati hai aur manohar aur
ratan chuskiya lene lagte hai, manohar ka land abhi tak khada hua tha tabhi sapna ek bar phir se andar aati hai
aur kuch filo ko utha kar vapas jane lagti hai tabhi
ratan-suno beti
sapna- ji papa
ratan- ye mere khas dost hai manohar aur manohar yah meri ekloti beti sapna hai
sapna- namaste uncle
manohar namaste beta
sapna ki nashili najro aur gulabi ras se bhare hontho ko dekh kar manohar ka land phir se uski pent mai tan
chuka tha, manohar phir se sapna ke husn mai khone wala tha tabhi ratan ne kaha achcha sapna beti tum jao
mujhe jara manohar se kuch bate karni hai aur phir sapna vaha se chali jati hai,
manohar- yaar ek bat bata ratan teri beti ki umra karib 25 sal to hogi aur teri umra ko dekh kar lagta nahi hai ki
teri koi 25 baras ki beti hogi,
ratan- kyo bhai mai bhi to 50 touch karne wala hu aur tu bhi sale budhdha hone ki kagar par hi hai
manohar- ha ha thik hai lekin tujhse to do sal abhi chhota hi hu, par ratan pahle kabhi teri beti ko yaha dekha
nahi,
ratan- muskurate huye lagta hai tujhe meri beti bahut pasand aai hai,
manohar- muskurate huye nahi yaar vah bat nahi hai,
ratan-achcha sun sham ko samay se aa jana phir baki bate mere farmhouse par hi karege,
manohar-achca thik hai aur phir manohar vaha se uth kar chal deta hai
manohar ki car market ke traffic se dhire-dhire gujar rahi thi, tabhi thoda aage ratan ko do mast londiya skirt aur
white shirt pahne road se apne bhari bharkam chutad matkate huye jate dikhi,
manohar ne jab gadi thoda karib
lakar unhe dekha tabhi ek ladki ne pas ke sabji ke thele par ruk kar apni gand khujlate huye sabjiyo ke bhav
puchne lagi, manohar ka land uski moti gand ko dekh kar khada ho gaya aur jab vah uske bilkul pas se gujra to
uske hosh ud gaye vah ladki koi aur nahi balki uski apni beti sangeeta thi,
sangeeta 18 sal ki mast bhare badan
ki londiya thi,
manohar- are yah to sangeeta hai, par iski gand kitni mast ho gai hai maine to aaj tak kabhi is par gaur hi nahi
kiya,
manohar ne apni car side se laga kar apni beti ki gudaj jangho aur uski gadrai gand ko apna land masal-
masal kar dekhne laga, thodi der bad sangeeta us ladki ke sath aage chalne lagi aur maonhar ne apni car apne
ghar ki aur chala di,
manohar ki aankho ke samne abhi tak uski beti ki gadrai moti gand najar aa rahi thi aur
uska land puri tarah tana hua tha vah jab ghar pahucha tab uski bahu sandhya ne darwaja khola, sandhya jo ki
23 sal ki mast londiya thi, darwaja kholte hi sandhya ne apne sasur ko dekha aur jaise hi apna sar jhukaya apne
sasur ke pent mai bane bade se tambu ko dekh kar vah sann rah gai aur jaldi se dabe panv apne room mai chali
gai,
sandhya- are sunte ho tab rohit ne useke doodh apne hantho se masalte huye kya hai meri rani kyo bokhlai hui
ho,
sandhya- lagta hai tumhare papa subah-subah kisi kunwari londiya ki uthi hui gand dekh kar aa rahe hai jakar
dekho unka land unke pent ko fad kar bahar aane ko betab hai,
rohit- kya bak rahi ho rani bechare papa ke bare mai
sandhya- tumhari kasam rohit maine sach mai unka land khada dekha hai,
rohit- achcha thik hai ab khada dekh liya to kya tumhari chut bhi phulne lagi hai aur phir rohit ne sandhya ki
chut ko uski sadi ke upar se daboch liya, sandhya ne nabhi ke niche se sadi bandhi hui thi aur raj uske gudaj pet
ko sahlate huye uske mote-mote doodh ko daba kar
rohit- sandhya kahi papa ki najar tumhare in kase huye chucho par to nahi pad gai, papa se bach ke rahna tum
nahi jante vah kitne bade chudakkad hai, abhi jab bua mummy ke sath bajar se lot kar aayegi tab dekhna papa
ka hal,
sandhya- tumhari bua bhi to chinal kitni badi randi lagti hai har do mahine mai apni moti gand utha kar chali
aati hai, kahti hai bete ko to hostel mai dal diya hai aur pati dubai chala gaya hai ab ghar mai koi nahi hai to
socha bhaiya bhabhi ke yaha thoda samay gujar lu,
rohit- ab chhodo bhi aur kya tum jab dekho kahi kapde dhone ka kam kahi unhe utha kar phir jama-jama kar
rakhne ka kam tumhe mere liye to time hi nahi milta hai
sandhya- achcha tum yah kapde us almari mai dal do mai papa ko pani de kar aati hu aur phir sandhya bahar
chali jati hai,
rohit bethe-bethe dhoye huye kapde ghadi karne lagta hai aur uski najar ek gulabi color ki chhoti si penty par
chali jati hai, tabhi sandhya rohit ke hath mai vah penty dekh leti hai,
rohit - are sandhya yah chhoti si penty kiski hai
sandhya- muskurate huye ab jan bujh kar anjan mat bano jaise apni bahan sangeeta ki penty nahi pahchante ho
rohit - yah sangeeta ki penty hai, kitni chhoti si hai na
sandhya- sangeeta ki penty ko thoda phaila kar rohit ko dikhate huye lo dekh lo apni bahan ki penty aur socho
kaisi lagti hogi tumhari bahan is penty mai
rohit- muskurate huye tum bhi na sandhya
sandhya- rohit ka land uski lungi ke upar se pakad leti hai jo puri tarah tana hua tha, kyo yah mota danda apni
bahan ki penty dekh kar is tarah tan gaya hai na, bolo bolo
rohit- sangeeta ka muh pakad kar chumte huye meri rani lagta hai tumne papa ka land sachmuch khada dekh
liya hai tabhi itni chudasi ho rahi ho,
kramashah......................
raj sharma stories मस्त घोड़ियाँ compleet
Re: raj sharma stories मस्त घोड़ियाँ
मस्त घोड़ियाँ--2
गतान्क से आगे........................
संध्या-रोहित के लंड को कस कर पकड़े हुए अपनी बहन की नंगी चूत चाटने का मन कर रहा है ना तो आओ ना
मुझे ही संगीता समझ कर थोडा चोद लो
रोहित- संध्या को बेड पर लेटा कर उसकी चूत को उसकी पेंटी सरका कर चाटने लगता है
संध्या- हाय मेरे राजा अब बताओ कैसी लग रही है तुम्हे अपनी बहन की चूत और चॅटो खूब कस कर चाट लो
रोहित अपनी बीबी की चूत को खूब फैला-फैला कर चाटने लगता है और जब संध्या उसे यह कहती है कि अपनी बहन
संगीता की चूत को खूब कस-कस कर चॅटो तो वह बिल्कुल पागला हो जाता है और अपनी बीबी की चूत उसे अपनी बहन
संगीता की गुलाबी चूत नज़र आने लगती है,
रोहित और संध्या का रूम ऐसा था कि उनके बेड के पास की खिड़की से बाहर बैठक का सारा नज़ारा नज़र आता है,
तभी रोहित की मम्मी मंजू जो कि पूरी तरह भरे बदन का माल थी और 40 के उपर थी और उसके साथ रोहित की बुआ
रुक्मणी भी अंदर आ जाती है,
मंजू- भाई मैं तो थक गई और अब मुझसे बैठा नही जाएगा मैं तो जाकर थोड़ी देर लेट जाती हू
रोहित और संध्या खिड़की से बैठक का नज़ारा देख रहे थे और मंजू वहाँ से अपने रूम मे चली जाती है,
रुक्मणी अपने भाई मनोहर के पास बैठ कर उसकी जाँघो पर हाथ रख लेती है, मनोहर अपनी बहन रुक्मणी के
हाथो से बॅग लेते हुए
मनोहर- क्यो रुक्मणी क्या खरीद लाई
रुक्मणी -कुछ नही भैया भाभी कुछ कपड़े लेकर आई है
मनोहर -किसके कपड़े है,
रुक्मणी- अरे संध्या और संगीता के लिए है
मनोहर -अच्छा दिखाओ तो
रुक्मणी -अरे भैया तुम क्या करोगे देख कर उसमे मेरी ब्रा और पेंटी भी रखी है,
मनोहर- रुक्मणी के रसीले होंठो को देखते हुए तो क्या मैं तेरी पेंटी और ब्रा नही देख सकता
रुक्मणी- धीरे से अरे कही भाभी ना आ जाए और फिर रुक्मणी धीरे से अपना हाथ आगे बढ़ा कर मनोहर के
लंड को लूँगी मे हाथ डाल कर पकड़ लेती है, संध्या अपने ससुर के मोटे लंड को पकड़े देख मस्त हो जाती है
और उधर रोहित अपनी बुआ की गदराई जवानी उसका साडी के साइड से उठा हुआ पेट और बड़े-बड़े दूध देख कर उसका
लंड झटके मारने लगता है,
मनोहर- बॅग मे से पेंटी निकाल कर अपने मूह से लगा कर सूंघ लेता है
रुक्मणी- अरे भैया वह तो तुम्हारी बेटी संगीता की पेंटी है जिसे तुम सूंघ रहे हो
मनोहर- अच्छा ठीक है और फिर मनोहर दूसरी पेंटी उठा कर उसे सूंघने लगता है
रुक्मणी -अरे भैया वह तुम्हारी बहू संध्या के लिए लाए है, और तुम हो कि अपनी बहू की पेंटी को सूंघ रहे
हो,
बुआ की बात सुन कर संध्या की चूत से पानी आ जाता है जब उसका ससुर उसकी पेंटी को सुन्घ्ता है तो उसे एक पल के
लिए ऐसा लगता है जैसे पापा जी उसकी खुद की चूत को सूंघ रहे हो,
मनोहर अब अगली पेंटी सूंघ कर रुक्मणी से पूछता है क्यो बहन यह तो तुम्हारी है ना
रुक्मणी- उसके हाथ से पेंटी छिनते हुए यह मेरी और भाभी की दोनो की है
मनोहर-चौक्ते हुए दोनो की मतलब
रुक्मणी उठ कर जाते हुए मतलब यह कि मैं और भाभी एक दूसरे की बदल-बदल कर पहनती है,
मनोहर-अरे सुन तो कहाँ जा रही है देख तेरे भैया कैसे बुला रहे है तुझे और मनोहर अपने लंड को निकाल
कर रुक्मणी को दिखाता है और रुक्मणी उसे अपना अगुठा दिखाते हुए, मैं भी भाभी के साथ जाकर सोउंगी,
संध्या-हाय राम मैं ना कहती थी तुम्हारे पापा ज़रूर इस कुतिया बुआ को खूब कस कर चोद्ते होंगे
रोहित-हाँ मुझे तो यकीन नही हो रहा है कि बुआ इस तरह से पापा का लंड चूस लेगी
तभी संध्या रोहित लंड पकड़ कर हाय मेरे राजा अब यह क्यो ताव खा रहा है कही इसे अपनी बुआ के चूतड़ तो
नही पसंद आ गये है, मैं देख रही हू आज कल तुम्हारा लंड अपनी बुआ अपनी बहन और खास कर अपनी मम्मी
मंजू की मोटी गंद देख कर बड़ा जल्दी खड़ा होता है,
रोहित- उसकी चूत के अंदर अपनी एक उंगली डाल कर हिलाते हुए, लगता है मेरी रानी आज पापा का लंड देख कर बहुत
पानी छ्चोड़ रही है,
संध्या- तुम ऐसे नही मनोगे और फिर संध्या उठ कर संगीता की पेंटी पहन कर रोहित को अपनी चूत और
मोटी गंद उठा-उठा कर दिखाने लगती है और कहती है लो मेरे साजन अब देखो कैसी लगती है इस पेंटी मे
तुम्हारी जवान बहन,
और अपनी गंद को झुका कर रोहित दिखाती हुई, लो राजा चॅटो अपनी बहना की मोटी और गुदाज
गंद को, लो राजा देख क्या रहे हो तुम जल्दी से अपनी बहन की गंद मार लो नही तो पता चला पापा ने संगीता को
चोद दिया और तुम उसकी कुँवारी चूत फाड़ने के लिए तरसते ही रह गये,
संध्या के मूह से इतना सुनना था कि रोहित ने उसकी पेंटी को उसकी गंद से साइड मे करके अपने तने लंड को अपनी
बीबी की चूत मे पीछे से एक झटके मे ही अंदर उतार दिया,
गतान्क से आगे........................
संध्या-रोहित के लंड को कस कर पकड़े हुए अपनी बहन की नंगी चूत चाटने का मन कर रहा है ना तो आओ ना
मुझे ही संगीता समझ कर थोडा चोद लो
रोहित- संध्या को बेड पर लेटा कर उसकी चूत को उसकी पेंटी सरका कर चाटने लगता है
संध्या- हाय मेरे राजा अब बताओ कैसी लग रही है तुम्हे अपनी बहन की चूत और चॅटो खूब कस कर चाट लो
रोहित अपनी बीबी की चूत को खूब फैला-फैला कर चाटने लगता है और जब संध्या उसे यह कहती है कि अपनी बहन
संगीता की चूत को खूब कस-कस कर चॅटो तो वह बिल्कुल पागला हो जाता है और अपनी बीबी की चूत उसे अपनी बहन
संगीता की गुलाबी चूत नज़र आने लगती है,
रोहित और संध्या का रूम ऐसा था कि उनके बेड के पास की खिड़की से बाहर बैठक का सारा नज़ारा नज़र आता है,
तभी रोहित की मम्मी मंजू जो कि पूरी तरह भरे बदन का माल थी और 40 के उपर थी और उसके साथ रोहित की बुआ
रुक्मणी भी अंदर आ जाती है,
मंजू- भाई मैं तो थक गई और अब मुझसे बैठा नही जाएगा मैं तो जाकर थोड़ी देर लेट जाती हू
रोहित और संध्या खिड़की से बैठक का नज़ारा देख रहे थे और मंजू वहाँ से अपने रूम मे चली जाती है,
रुक्मणी अपने भाई मनोहर के पास बैठ कर उसकी जाँघो पर हाथ रख लेती है, मनोहर अपनी बहन रुक्मणी के
हाथो से बॅग लेते हुए
मनोहर- क्यो रुक्मणी क्या खरीद लाई
रुक्मणी -कुछ नही भैया भाभी कुछ कपड़े लेकर आई है
मनोहर -किसके कपड़े है,
रुक्मणी- अरे संध्या और संगीता के लिए है
मनोहर -अच्छा दिखाओ तो
रुक्मणी -अरे भैया तुम क्या करोगे देख कर उसमे मेरी ब्रा और पेंटी भी रखी है,
मनोहर- रुक्मणी के रसीले होंठो को देखते हुए तो क्या मैं तेरी पेंटी और ब्रा नही देख सकता
रुक्मणी- धीरे से अरे कही भाभी ना आ जाए और फिर रुक्मणी धीरे से अपना हाथ आगे बढ़ा कर मनोहर के
लंड को लूँगी मे हाथ डाल कर पकड़ लेती है, संध्या अपने ससुर के मोटे लंड को पकड़े देख मस्त हो जाती है
और उधर रोहित अपनी बुआ की गदराई जवानी उसका साडी के साइड से उठा हुआ पेट और बड़े-बड़े दूध देख कर उसका
लंड झटके मारने लगता है,
मनोहर- बॅग मे से पेंटी निकाल कर अपने मूह से लगा कर सूंघ लेता है
रुक्मणी- अरे भैया वह तो तुम्हारी बेटी संगीता की पेंटी है जिसे तुम सूंघ रहे हो
मनोहर- अच्छा ठीक है और फिर मनोहर दूसरी पेंटी उठा कर उसे सूंघने लगता है
रुक्मणी -अरे भैया वह तुम्हारी बहू संध्या के लिए लाए है, और तुम हो कि अपनी बहू की पेंटी को सूंघ रहे
हो,
बुआ की बात सुन कर संध्या की चूत से पानी आ जाता है जब उसका ससुर उसकी पेंटी को सुन्घ्ता है तो उसे एक पल के
लिए ऐसा लगता है जैसे पापा जी उसकी खुद की चूत को सूंघ रहे हो,
मनोहर अब अगली पेंटी सूंघ कर रुक्मणी से पूछता है क्यो बहन यह तो तुम्हारी है ना
रुक्मणी- उसके हाथ से पेंटी छिनते हुए यह मेरी और भाभी की दोनो की है
मनोहर-चौक्ते हुए दोनो की मतलब
रुक्मणी उठ कर जाते हुए मतलब यह कि मैं और भाभी एक दूसरे की बदल-बदल कर पहनती है,
मनोहर-अरे सुन तो कहाँ जा रही है देख तेरे भैया कैसे बुला रहे है तुझे और मनोहर अपने लंड को निकाल
कर रुक्मणी को दिखाता है और रुक्मणी उसे अपना अगुठा दिखाते हुए, मैं भी भाभी के साथ जाकर सोउंगी,
संध्या-हाय राम मैं ना कहती थी तुम्हारे पापा ज़रूर इस कुतिया बुआ को खूब कस कर चोद्ते होंगे
रोहित-हाँ मुझे तो यकीन नही हो रहा है कि बुआ इस तरह से पापा का लंड चूस लेगी
तभी संध्या रोहित लंड पकड़ कर हाय मेरे राजा अब यह क्यो ताव खा रहा है कही इसे अपनी बुआ के चूतड़ तो
नही पसंद आ गये है, मैं देख रही हू आज कल तुम्हारा लंड अपनी बुआ अपनी बहन और खास कर अपनी मम्मी
मंजू की मोटी गंद देख कर बड़ा जल्दी खड़ा होता है,
रोहित- उसकी चूत के अंदर अपनी एक उंगली डाल कर हिलाते हुए, लगता है मेरी रानी आज पापा का लंड देख कर बहुत
पानी छ्चोड़ रही है,
संध्या- तुम ऐसे नही मनोगे और फिर संध्या उठ कर संगीता की पेंटी पहन कर रोहित को अपनी चूत और
मोटी गंद उठा-उठा कर दिखाने लगती है और कहती है लो मेरे साजन अब देखो कैसी लगती है इस पेंटी मे
तुम्हारी जवान बहन,
और अपनी गंद को झुका कर रोहित दिखाती हुई, लो राजा चॅटो अपनी बहना की मोटी और गुदाज
गंद को, लो राजा देख क्या रहे हो तुम जल्दी से अपनी बहन की गंद मार लो नही तो पता चला पापा ने संगीता को
चोद दिया और तुम उसकी कुँवारी चूत फाड़ने के लिए तरसते ही रह गये,
संध्या के मूह से इतना सुनना था कि रोहित ने उसकी पेंटी को उसकी गंद से साइड मे करके अपने तने लंड को अपनी
बीबी की चूत मे पीछे से एक झटके मे ही अंदर उतार दिया,
Re: raj sharma stories मस्त घोड़ियाँ
संध्या बड़ी चतुर थी उसने अपना मूह उस थोड़ी सी
खुली खिड़की की ओर कर रखा था जिससे उसे पपाजी का लंड आसानी से नज़र आ जाए जिसे वह अभी भी बैठे-बैठे
सहला रहे थे, इधर रोहित अपनी आँखे बंद किए हुए संगीता की मोटी गंद को याद कर-कर के अपनी बीबी की
चूत मार रहा था, संध्या की चूत पानी-पानी तो पहले से ही थी और रोहित की मस्त चुदाई ने उसे मस्त कर दिया और
फिर दोनो पति पत्नी वही लेट गये,
शाम को मनोहर रतन के फॉर्माउस पर पहुच जाता है और रतन को वहाँ अकेला बैठा देख कर अंदर आते हुए
मनोहर-क्या हुआ रतन तू तो अकेला है वह माल कहाँ है
रतन- अरे आते ही शुरू हो गया पहले बैठ तो सही और दो घुट शराब के तो ले फिर मैं तुझे माल भी दिखा देता हू, रतन की बात सुनते ही मनोहर शराब का ग्लास उठा कर एक घुट मे ही ख़तम कर देता है और रतन मुस्कुराते हुए फिर से एक लार्ज ग्लास बना कर उसे थमा देता है, दूसरा ग्लास ख़तम करने के बाद मनोहर सिगरेट सुलगाते हुए,
मनोहर- हाँ तो मेरे दोस्त अब बता कहाँ है वह रसीला माल,
रतन- अच्छा एक बात बता सुबह तू मेरी बेटी को चोदने की नज़र से देख रहा था ना
मनोहर- एक दम से होश मे आते हुए, अबे मुझे क्या पता था कि वह तेरी बेटी है, मेरी जगह तू भी होता तो उस समय तेरा लंड खड़ा नही होता क्या,
रतन- बात तो तू सही कह रहा है, अच्छा तेरी भी एक जवान और खूबसूरत बेटी है ना
मनोहर- हाँ वह बहुत मस्त है 18 बरस की हो गई है और आज तो जानता है क्या हुआ मैने उसे रोड पर जब जाते हुए देखा तो मेरी नज़र उसके भारी चूतादो पर पड़ी और मैं पहले तो पहचान नही पाया और जब पास जाकर देखा तो पता चला मेरी बेटी है,
रतन- अच्छा एक बात पुंच्छू
मनोहर- ग्लास ख़तम करके हाँ हाँ पुंछ
रतन- अगर मेरी बेटी जिसे सुबह तूने देखा था वह तुझे चोदने को मिल जाए तो
मनोहर -अबे तू क्या बोल रहा है
रतन- पहले बता तू क्या कीमत दे सकता है
मनोहर- तू जो कहे
रतन- तो ठीक है मेहता से मुझे वह ज़मीन दिलवा दे और मैं तुझे अपनी बेटी के साथ मस्ती करने के लिए दे देता हू,
मनोहर- एक पल सोचते हुए, हस कर साले तू मज़ाक कर रहा है
रतन- अच्छा तुझे यकीन नही होता और फिर रतन एक आवाज़ लगा कर सपना को बुला लेता है
उसकी बेटी सपना जैसे ही उसके करीब आती है मनोहर उसे देख कर मस्त हो जाता है, सपना केवल ब्रा और पेंटी मे आकर अपने पापा रतन की गोद मे बैठ जाती है और रतन बड़े प्यार से उसके कसे हुए दूध को दबाने लगता है
रतन- बेटी ज़रा अंकल को अपनी पेंटी साइड मे करके अपनी गुलाबी चूत के दर्शन तो कर्वाओ
सपना अपने पापा की गोद मे अपनी दोनो टांगो को मनोहर की ओर करके फैला लेती है और फिर अपनी पेंटी सरका कर उसे अपनी गुलाबी और चिकनी चूत खोल कर दिखा देती है, मनोहर अपने लंड को मसल्ते हुए अपना मूह फाडे सपना की चूत को देखता रहता है,
रतन- यार मनोहर अब तो तुम्हारी खुद की बेटी भी चोदने लायक हो गई होगी ना
मनोहर- अपने लंड को मसल्ते हुए बिल्कुल मस्त लोंड़िया हो गई है रतन मेरी बेटी तो उसकी गदराई गंद पूरी तरह तुम्हारी बेटी सपना की गंद जैसी नज़र आती है,
रतन- तुमने कभी अपनी बेटी की गंद को इस तरह फैला कर उसकी कसी हुई गुदा देखी है और फिर रतन सपना की पेंटी के साइड से उसकी गुदा को फैला कर जब मनोहर को दिखाता है तो वह मस्त हो जाता है सपना अपने पापा के उपर दोनो तरफ पेर करके चिपक कर बैठी थी और रतन उसकी गुदा को खोल कर मनोहर को दिखा रहा था,
रतन- अब बोलो मनोहर अगर तुम्हे अपनी बेटी की गंद इस तरह से देखने को मिले तो क्या करोगे
मनोहर -सीधे अपनी जीभ उसकी गुदा मे डाल दूँगा रतन
रतन- तो फिर अभी मेरी बेटी की गुदा अपने मूह से सहलाना चाहते हो
मनोहर-हाँ मेरे यार हाँ
रतन- तो ठीक है लेकिन याद रहे मुझे मेहता की ज़मीन चाहिए
मनोहर- तू फिकर ना कर समझ ले ज़मीन तेरी हुई और बस फिर क्या था मनोहर उठ कर सपना की मोटी गंद की गहरी दरार मे अपनी जीभ डाल देता है,
खुली खिड़की की ओर कर रखा था जिससे उसे पपाजी का लंड आसानी से नज़र आ जाए जिसे वह अभी भी बैठे-बैठे
सहला रहे थे, इधर रोहित अपनी आँखे बंद किए हुए संगीता की मोटी गंद को याद कर-कर के अपनी बीबी की
चूत मार रहा था, संध्या की चूत पानी-पानी तो पहले से ही थी और रोहित की मस्त चुदाई ने उसे मस्त कर दिया और
फिर दोनो पति पत्नी वही लेट गये,
शाम को मनोहर रतन के फॉर्माउस पर पहुच जाता है और रतन को वहाँ अकेला बैठा देख कर अंदर आते हुए
मनोहर-क्या हुआ रतन तू तो अकेला है वह माल कहाँ है
रतन- अरे आते ही शुरू हो गया पहले बैठ तो सही और दो घुट शराब के तो ले फिर मैं तुझे माल भी दिखा देता हू, रतन की बात सुनते ही मनोहर शराब का ग्लास उठा कर एक घुट मे ही ख़तम कर देता है और रतन मुस्कुराते हुए फिर से एक लार्ज ग्लास बना कर उसे थमा देता है, दूसरा ग्लास ख़तम करने के बाद मनोहर सिगरेट सुलगाते हुए,
मनोहर- हाँ तो मेरे दोस्त अब बता कहाँ है वह रसीला माल,
रतन- अच्छा एक बात बता सुबह तू मेरी बेटी को चोदने की नज़र से देख रहा था ना
मनोहर- एक दम से होश मे आते हुए, अबे मुझे क्या पता था कि वह तेरी बेटी है, मेरी जगह तू भी होता तो उस समय तेरा लंड खड़ा नही होता क्या,
रतन- बात तो तू सही कह रहा है, अच्छा तेरी भी एक जवान और खूबसूरत बेटी है ना
मनोहर- हाँ वह बहुत मस्त है 18 बरस की हो गई है और आज तो जानता है क्या हुआ मैने उसे रोड पर जब जाते हुए देखा तो मेरी नज़र उसके भारी चूतादो पर पड़ी और मैं पहले तो पहचान नही पाया और जब पास जाकर देखा तो पता चला मेरी बेटी है,
रतन- अच्छा एक बात पुंच्छू
मनोहर- ग्लास ख़तम करके हाँ हाँ पुंछ
रतन- अगर मेरी बेटी जिसे सुबह तूने देखा था वह तुझे चोदने को मिल जाए तो
मनोहर -अबे तू क्या बोल रहा है
रतन- पहले बता तू क्या कीमत दे सकता है
मनोहर- तू जो कहे
रतन- तो ठीक है मेहता से मुझे वह ज़मीन दिलवा दे और मैं तुझे अपनी बेटी के साथ मस्ती करने के लिए दे देता हू,
मनोहर- एक पल सोचते हुए, हस कर साले तू मज़ाक कर रहा है
रतन- अच्छा तुझे यकीन नही होता और फिर रतन एक आवाज़ लगा कर सपना को बुला लेता है
उसकी बेटी सपना जैसे ही उसके करीब आती है मनोहर उसे देख कर मस्त हो जाता है, सपना केवल ब्रा और पेंटी मे आकर अपने पापा रतन की गोद मे बैठ जाती है और रतन बड़े प्यार से उसके कसे हुए दूध को दबाने लगता है
रतन- बेटी ज़रा अंकल को अपनी पेंटी साइड मे करके अपनी गुलाबी चूत के दर्शन तो कर्वाओ
सपना अपने पापा की गोद मे अपनी दोनो टांगो को मनोहर की ओर करके फैला लेती है और फिर अपनी पेंटी सरका कर उसे अपनी गुलाबी और चिकनी चूत खोल कर दिखा देती है, मनोहर अपने लंड को मसल्ते हुए अपना मूह फाडे सपना की चूत को देखता रहता है,
रतन- यार मनोहर अब तो तुम्हारी खुद की बेटी भी चोदने लायक हो गई होगी ना
मनोहर- अपने लंड को मसल्ते हुए बिल्कुल मस्त लोंड़िया हो गई है रतन मेरी बेटी तो उसकी गदराई गंद पूरी तरह तुम्हारी बेटी सपना की गंद जैसी नज़र आती है,
रतन- तुमने कभी अपनी बेटी की गंद को इस तरह फैला कर उसकी कसी हुई गुदा देखी है और फिर रतन सपना की पेंटी के साइड से उसकी गुदा को फैला कर जब मनोहर को दिखाता है तो वह मस्त हो जाता है सपना अपने पापा के उपर दोनो तरफ पेर करके चिपक कर बैठी थी और रतन उसकी गुदा को खोल कर मनोहर को दिखा रहा था,
रतन- अब बोलो मनोहर अगर तुम्हे अपनी बेटी की गंद इस तरह से देखने को मिले तो क्या करोगे
मनोहर -सीधे अपनी जीभ उसकी गुदा मे डाल दूँगा रतन
रतन- तो फिर अभी मेरी बेटी की गुदा अपने मूह से सहलाना चाहते हो
मनोहर-हाँ मेरे यार हाँ
रतन- तो ठीक है लेकिन याद रहे मुझे मेहता की ज़मीन चाहिए
मनोहर- तू फिकर ना कर समझ ले ज़मीन तेरी हुई और बस फिर क्या था मनोहर उठ कर सपना की मोटी गंद की गहरी दरार मे अपनी जीभ डाल देता है,