महँगी चूत सस्ता पानी--2
गतान्क से आगे…………………………….
मैं इन सब बातों में खोया था ....तब तक वो मेरे बगल में बैठ गयीं ,,थाली और ग्लास फर्श पे रख दिया और अपने हाथों से एक कौर मेरी ओर बढ़ाया ..मैने मुँह नहीं खोला ... आस्चर्य से दीदी ने अपनी बड़ी बड़ी आँखों को और बड़ी करती हुई मेरी ओर देखा ...
" क्या बात है किशू ..? आज खाएगा नहीं क्या ..अभी तक तो तुझे जोरों की भूख लगी थी ... मुझ से नाराज़ है ..??? " उन्होने मेरे चेहरे को उपर उठाते हुए कहा ...
" नहीं दीदी ..मैं भला आप से क्यूँ नाराज़ होऊँगा ..? पर आप कुछ भूल रहीं हैं ..क्या आज तक मैने आप से अलग बैठ कर खाया है..????"
ये सुनते ही उनकी आँखों से फिर से आँसुओं की बड़ी बड़ी बूंदे टपकने लगी .....
उन्होने झट अपनी जांघों पर मुझे खींच कर बिठा लिया .....
बड़ी मुश्किल से फिर अपने आप को रोने से रोकते हुए उन्होने कहा " देख ना किशू आज मुझे ये क्या हो गया है ,,इतनी सी बात भी मैं भूल रही हूँ .."
इतनी देर तक एक तनाव भरे वातावरण के बाद दीदी की गोद में आते ही मुझे बड़ा शूकून मिला ... सारा तनाव एक पल में मिट गया ..
"हां दीदी ..शायद आप शादी की बात से काफ़ी परेशान हैं .... एक बात पूछूँ ..??"
" हां ..हां पूछ ना किशू ... "
" दीदी ....शादी की बात से तो मैने किसी को भी इतना दुखी होते नहीं देखा ..जितना आप दिख रही हो.....आख़िर क्या बात है ..प्लज़्ज़्ज़ बताओ ना ..?? क्या आप खुश नहीं ..???"
उन्होने अपने आँचल से फिर से अपने चेहरे और आँखों को पोन्छा ....और अपने चेहरे पे मुस्कान लाने की कोशिश करते हुए एक बड़ा नीवाला अपने लंबी लंबी सुडौल उंगलियों के बीच थामते हुए मेरी ओर बढ़ाया और कहा
" ले ..पहले खाना शुरू कर फिर बताती हूँ "
मैने भी मुँह खोलते हुए पुर का पूरा कौर अंदर ले लिया ..दीदी ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा
" अरे नहीं किशू ..ऐसी बात नहीं .... पर शादी की खुशी से ज़्यादा मुझे तुम से बिछड़ने का गम है .... देखो ना सिर्फ़ एक दिन तुम्हें नाश्ता कराने में देर हो गयी ..तुम्हें कितना बूरा लगा ..और जब मैं नहीं रहूंगी ..फिर क्या होगा ..??? और क्या तू भी मेरे बिना रह पाएगा ..??? "
इस आखरी सवाल से मैं एक दम सकते में आ गया ....मुझे झकझोर सा दिया दीदी के इस सवाल ने ...
मुझे अब आहेसस हुआ पायल दीदी शादी की बाद मेरी बहन से ज़्यादा किसी और की बीबी हो जाएँगी ... किसी और की पत्नी ..उनपे मेरा हक़ नहीं के बराबर होगा ..और उसी पल उन्हें देखने का मेरा नज़रिया ही बदल गया . वो मेरे सामने एक औरत थीं अब ..बहन नहीं ...
मैं अब पायल दीदी की गोद में नहीं बलके एक खूबसूरत , जवान औरत की गोद में बैठा था ...
मेरे सारे बदन में एक झूरजूरी सी हो उठी ....मेरी समझ में नहीं आया ये क्या हो रहा था ... मेरे दिमाग़ में फिर से सवाल खड़े हो उठे ...ये क्या है ..???
पायल दीदी की गोद में मैं हर रोज़ बैठ ता हूँ ..पर ऐसा तो कभी महसूस नहीं हुआ ....फिर आज क्यूँ ..?? इन्ही सब सोच में खोया था
"अरे किस सोच में डूब गये ....लो और लो ..मुँह खोलो ना किशू .."
दीदी की आवाज़ से मैं वापस आया ... किसी तरह नाश्ता किया.... .और मुँह हाथ धो कर बाहर निकल गया दोस्तों के साथ खेलने ......
दीदी के रोने का कुछ कुछ मतलब शायद मुझे समझ आ रहा था ..शायद दीदी के मन में कुछ ऐसी ही भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा होगा ...
जब मैं वापस आया ..तो मेरे कानों में दीदी की सुरीली आवाज़ आई.... किसी फिल्मी गीत के बोल थे ..उनके चेहरे पे मुस्कुराहट थी ...खुशी थी ....
मुझे देखते ही उन्होने कहा "देख किशू आज पढ़ाई के बाद तू एक दम से सो मत जाना ..हम लोग आज ढेर सारी बातें करेंगे ..ठीक है ना ..???
" हां दीदी .... बिल्कुल सही कहा आप ने .... "
उन्होने मुझे फिर से अपनी छाती से चिपका लिया ..." ओओह किशू ...किशू ... तू कितना भोला है रे ...."
महँगी चूत सस्ता पानी compleet
Re: महँगी चूत सस्ता पानी
मैं समझ नहीं पा रहा था ..एक ही दिन में उन्होने मुझे दो बार सीने से लगाया और हर बार उनका तरीका कितना अलग था .....
"किस उधेड़बून में खो जाता है रे तू..?? चल आज रात को तेरी सारी उलझनें दूर कर दूँगी ...अब जा तू नहा धो और पढ़ाई कर .."
मैं दीदी के साथ रात होनेवाली बातों की कल्पना में खोया अपने रूम के अंदर चला गया.....
मैं कमरे में आने के बाद नाहया , फ्रेश हुआ , कुछ हल्का महसूस किया ..पर मन अभी भी बेचैन सा था ..पढ़ाई में मन नहीं लग रहा था ...मैने किताब खोली ..पर दिमाग़ में अभी भी दीदी के आज के दो रूप मेरे मश्तिस्क पटल पर बार बार आते जाते ..जैसे किसी फिल्म की सीन बार बार दोहराई जा रही हो..
एक तो उनका वो रोना और मुझे अपने सीने से लगाना.... इस तरह जैसे वो मुझ से अलग नहीं होना चाहती ..मुझे अपने बाहों में भर मुझे हमेशा के लिए अपने साथ कर लेना चाहती हों .ज़रा भी दूर नहीं होने देना चाहती हों .. मुझ से अलग होने का दर्द और तड़प भरा था उस आलिंगन में .
.और दूसरी बार सुरीली धुन गुनगुनाते हुए मुझे अपनी छाती से चिपकाना ..इसमें कितना आनंद था ...मेरे साथ का आनंद .. मेरे साथ का सुख ..मुझे भी कितना अछा लगा ... पर इस दूसरी बार मुझे कुछ और भी महसूस हुआ ..उनके भरे भरे गोलाकार मुलायम स्तनों का दबाब मेरे सीने पर ... इसके पहले आज तक मेरा ध्यान इस तरह के आनंद पर कभी नहीं गायक़ था ..उस दिन क्यूँ ..?? ये महसूस अभी भी मेरे सीने पर था .. मुलायम स्तनों का दबाब , याद करते मेरे पॅंट के अंदर हलचल सी महसूस हुई ...कुछ कडपन महसूस हुआ ..नीचे झाँका तो देखा मेरा पॅंट उभरा हुआ है ...
मैने सामने के बटन खोले ....मेरा लंड खड़ा था ...
हे भगवान ये क्या हो रहा है ... मैने अपने हाथ से उसे शांत करने को थामा और सहलाया ... पर ये तो और भी कड़क हो गया और मुझे अच्छा लगा ... मैं उसे ऐसे ही थामे रहा ..एक दो बार उत्सुकतावश उसकी चॅम्डी उपर नीचे की ..और भी अच्छा महसूस हुआ ...मेरे पूरे शरीर में सिहरन हो उठी ...( मैने अपने स्कूल में कुछ लड़कों को ये बात करते सूना था के चॅम्डी उपर नीचे करने से बड़ा मज़ा आता है ) ..मैने इसे आज़माना चाहा ...
मैने चॅम्डी उपर नीचे करना जारी रखा ..एक असीम आनंद में मैं डूबा था ..दीदी का चेहरा और भरे स्तनों का मेरे सीने पर दबाब याद करते मैं लगातार चॅम्डी उपर नीचे कर रहा था , अचानक मेरा लंड काफ़ी कड़ा हो गया और फिर मुझे ऐसा लगा मानो पूरे शरीर से कुछ वहाँ मेरे लंड के अंदर आ रहा है , कुछ जमा हो रहा है ..मेरे चॅम्डी उपर नीचे करने की गति अपने आप तेज़ हो गयी ..तेज़ और तेज़ और तेज़ और उस के बाद पेशाब वाले छेद से एक दम से गाढ़ा सफेद पानी जैसा पिचकारी छूटने लगा ...मेरा शरीर कांप रहा था ...लंड झटके खा रहा था और थोड़ी देर बाद वो शांत हो कर सिकूड गया ..मुझे काफ़ी राहत महसूस हुआ ..
उस दिन मैने जिंदगी में पहली बार मूठ मारी .
मैं हैरान था अपने में इस बदलाओ को देख ..पायल दीदी के बारे ऐसी सोच ...क्या हो गया है मुझे..??? अगर उनको मालूम हुआ , वो क्या सोचेंगी ..??
मैं आँखें बंद किए कुर्सी पर सर पीछे किए हाँफ रहा था ...
थोड़ी देर बाद मैं नॉर्मल हुआ ..कुर्सी से .उठा अपने रूमाल से लंड को पोन्छा और फर्श पर जो सफेद गाढ़ा पानी गिरा था ..उसे भी सॉफ किया ... मुझे अब तक उस पानी का नाम तक नहीं मालूम था ....
तभी दीदी की आवाज़ आई ...." किशू पढ़ाई ख़त्म हो गयी ..???" और वो अंदर आ गयीं .
मैं अपनी किस्मेत सराह रहा था ..अगर थोड़ी देर पहले आतीं तो मेरी क्या हालत होती..??
"हां दीदी स्कूल की पढ़ाई तो ख़त्म हो गयी .पर अभी आप से बहुत कुछ पढ़ना बाकी है.."
"मुझ से पढ़ाई ....क्या मतलब ..???'
" अरे कुछ नहीं दीदी ..आप ने ही कहा था ना आप मेरी सारी उलझनें दूर करनेवाली हो ..??"
"ओह ..हां ..चल पहले खाना खा लो ..फिर बातें करते हैं .."
उस वक़्त उनके बोलने का लहज़ा बिल्कुल नॉर्मल था.... फिर वोई हँसी..खीखिलाहट और मस्ती ..मैं एक तक उन्हें देख रहा था ...
उफफफफफ्फ़..कितनी अछी लग रहीं थी ..पर उस वक़्त मुझे दीदी कुछ और भी लग रही थी....
"अरे ऐसे टकटकी लगाए क्या देख रहा है ... पहले कभी देखा नहीं है क्या .."
मैने मन ही मन में कहा " देखा तो है पर इस नज़र से नहीं .."
पर दीदी से कहा " नहीं दीदी ..अभी आपकी रोनेवाली सूरत नहीं है ना ... इसलिए आप हँसती हुई कितनी अच्छी लग रहीं हैं.."
दीदी थोड़ी देर मुझे देखती रहीं ...मेरे कंधे पे हाथ रखा .." अब नहीं रोउंगी ..कभी नहीं ... चल अब खाना खा ले " इतना कहते कहते उन्होने मुझे मेरे कंधों से जाकड़ लिया और साथ साथ किचन की तरफ हम जाने लगे ...
"किस उधेड़बून में खो जाता है रे तू..?? चल आज रात को तेरी सारी उलझनें दूर कर दूँगी ...अब जा तू नहा धो और पढ़ाई कर .."
मैं दीदी के साथ रात होनेवाली बातों की कल्पना में खोया अपने रूम के अंदर चला गया.....
मैं कमरे में आने के बाद नाहया , फ्रेश हुआ , कुछ हल्का महसूस किया ..पर मन अभी भी बेचैन सा था ..पढ़ाई में मन नहीं लग रहा था ...मैने किताब खोली ..पर दिमाग़ में अभी भी दीदी के आज के दो रूप मेरे मश्तिस्क पटल पर बार बार आते जाते ..जैसे किसी फिल्म की सीन बार बार दोहराई जा रही हो..
एक तो उनका वो रोना और मुझे अपने सीने से लगाना.... इस तरह जैसे वो मुझ से अलग नहीं होना चाहती ..मुझे अपने बाहों में भर मुझे हमेशा के लिए अपने साथ कर लेना चाहती हों .ज़रा भी दूर नहीं होने देना चाहती हों .. मुझ से अलग होने का दर्द और तड़प भरा था उस आलिंगन में .
.और दूसरी बार सुरीली धुन गुनगुनाते हुए मुझे अपनी छाती से चिपकाना ..इसमें कितना आनंद था ...मेरे साथ का आनंद .. मेरे साथ का सुख ..मुझे भी कितना अछा लगा ... पर इस दूसरी बार मुझे कुछ और भी महसूस हुआ ..उनके भरे भरे गोलाकार मुलायम स्तनों का दबाब मेरे सीने पर ... इसके पहले आज तक मेरा ध्यान इस तरह के आनंद पर कभी नहीं गायक़ था ..उस दिन क्यूँ ..?? ये महसूस अभी भी मेरे सीने पर था .. मुलायम स्तनों का दबाब , याद करते मेरे पॅंट के अंदर हलचल सी महसूस हुई ...कुछ कडपन महसूस हुआ ..नीचे झाँका तो देखा मेरा पॅंट उभरा हुआ है ...
मैने सामने के बटन खोले ....मेरा लंड खड़ा था ...
हे भगवान ये क्या हो रहा है ... मैने अपने हाथ से उसे शांत करने को थामा और सहलाया ... पर ये तो और भी कड़क हो गया और मुझे अच्छा लगा ... मैं उसे ऐसे ही थामे रहा ..एक दो बार उत्सुकतावश उसकी चॅम्डी उपर नीचे की ..और भी अच्छा महसूस हुआ ...मेरे पूरे शरीर में सिहरन हो उठी ...( मैने अपने स्कूल में कुछ लड़कों को ये बात करते सूना था के चॅम्डी उपर नीचे करने से बड़ा मज़ा आता है ) ..मैने इसे आज़माना चाहा ...
मैने चॅम्डी उपर नीचे करना जारी रखा ..एक असीम आनंद में मैं डूबा था ..दीदी का चेहरा और भरे स्तनों का मेरे सीने पर दबाब याद करते मैं लगातार चॅम्डी उपर नीचे कर रहा था , अचानक मेरा लंड काफ़ी कड़ा हो गया और फिर मुझे ऐसा लगा मानो पूरे शरीर से कुछ वहाँ मेरे लंड के अंदर आ रहा है , कुछ जमा हो रहा है ..मेरे चॅम्डी उपर नीचे करने की गति अपने आप तेज़ हो गयी ..तेज़ और तेज़ और तेज़ और उस के बाद पेशाब वाले छेद से एक दम से गाढ़ा सफेद पानी जैसा पिचकारी छूटने लगा ...मेरा शरीर कांप रहा था ...लंड झटके खा रहा था और थोड़ी देर बाद वो शांत हो कर सिकूड गया ..मुझे काफ़ी राहत महसूस हुआ ..
उस दिन मैने जिंदगी में पहली बार मूठ मारी .
मैं हैरान था अपने में इस बदलाओ को देख ..पायल दीदी के बारे ऐसी सोच ...क्या हो गया है मुझे..??? अगर उनको मालूम हुआ , वो क्या सोचेंगी ..??
मैं आँखें बंद किए कुर्सी पर सर पीछे किए हाँफ रहा था ...
थोड़ी देर बाद मैं नॉर्मल हुआ ..कुर्सी से .उठा अपने रूमाल से लंड को पोन्छा और फर्श पर जो सफेद गाढ़ा पानी गिरा था ..उसे भी सॉफ किया ... मुझे अब तक उस पानी का नाम तक नहीं मालूम था ....
तभी दीदी की आवाज़ आई ...." किशू पढ़ाई ख़त्म हो गयी ..???" और वो अंदर आ गयीं .
मैं अपनी किस्मेत सराह रहा था ..अगर थोड़ी देर पहले आतीं तो मेरी क्या हालत होती..??
"हां दीदी स्कूल की पढ़ाई तो ख़त्म हो गयी .पर अभी आप से बहुत कुछ पढ़ना बाकी है.."
"मुझ से पढ़ाई ....क्या मतलब ..???'
" अरे कुछ नहीं दीदी ..आप ने ही कहा था ना आप मेरी सारी उलझनें दूर करनेवाली हो ..??"
"ओह ..हां ..चल पहले खाना खा लो ..फिर बातें करते हैं .."
उस वक़्त उनके बोलने का लहज़ा बिल्कुल नॉर्मल था.... फिर वोई हँसी..खीखिलाहट और मस्ती ..मैं एक तक उन्हें देख रहा था ...
उफफफफफ्फ़..कितनी अछी लग रहीं थी ..पर उस वक़्त मुझे दीदी कुछ और भी लग रही थी....
"अरे ऐसे टकटकी लगाए क्या देख रहा है ... पहले कभी देखा नहीं है क्या .."
मैने मन ही मन में कहा " देखा तो है पर इस नज़र से नहीं .."
पर दीदी से कहा " नहीं दीदी ..अभी आपकी रोनेवाली सूरत नहीं है ना ... इसलिए आप हँसती हुई कितनी अच्छी लग रहीं हैं.."
दीदी थोड़ी देर मुझे देखती रहीं ...मेरे कंधे पे हाथ रखा .." अब नहीं रोउंगी ..कभी नहीं ... चल अब खाना खा ले " इतना कहते कहते उन्होने मुझे मेरे कंधों से जाकड़ लिया और साथ साथ किचन की तरफ हम जाने लगे ...
Re: महँगी चूत सस्ता पानी
दीदी किचन में अंदर आते ही एक बड़ी थाली में अपने और मेरे लिए खाना लगाया और कहा
" चल किशू मेरे रूम में ,,यहाँ माँ और बुआ आते रहेंगे ...बात करने का मज़ा नहीं रहेगा ..."
"हां दीदी चलिए .." मैने तपाक से जवाब दिया ...
अपने रूम में पायल दीदी नीचे बैठ गयीं , रोज की तरह उन्होने मुझे अपनी गोद में बिठा लिया ...पर आज जब मैं उनकी जांघों पर बैठा ,, मुझे पहली बार आज कुछ अजीब सा लगा ... कुछ हिचकिचाहट सी हुई ... पर दीदी को बूरा ना लगे इस वाज़ेह मैं चुपचाप बैठ गया ..
उनके मुलायम मांसल जांघों में बैठने का एक अजीब ही मज़ा आ रहा था ..इसके पहले मैने कभी इस बात पर ध्यान नहीं दिया था ..उनकी गोद में बैठना मेरे लिए बहुत ही साधारण बात थी ... पर आज येई एक बहुत अजीब ही अनुभव था... मेरे हिप्स उनकी जाँघ में धँसी थी ...मुझे उनके शरीर की गर्मी , उनके साँसों का स्पर्श महसूस हो रहा था ...उनके शरीर की मादक खूशबू , इन सब से मुझमें एक मस्ती का आलम छा रहा था ...मैं इस स्वर्गिक आनंद में खो सा गया था ..
" अरे बाबा कहाँ खो गया ... खाना तो खा ले किशू ..क्या बात है आज तू इतना खोया खोया सा क्यूँ है ..कुछ बात है तो बोल ना ... शाम को नाश्ते के टाइम भी कुछ ऐसा ही था ....क्या मुझ से अभी भी नाराज़ है..??"
"नहीं दीदी ..आप कभी ऐसा मत सोचना ..मैं आप से कैसे नाराज़ हो सकता हूँ ... कोई बात नहीं है .. **
" हां लो ....मेरा भी बहुत दिल है तुम से खूल कर बातें करने की ... तू मुझ से कुछ छुपा रहा है....आज तू काफ़ी बदला बदला सा नज़र आ रहा है ... देख किशू मैं तुम्हारी दीदी ही नहीं , दोस्त भी हूँ ....मुझ से कुछ भी मत छुपाना ... चाहे कुछ भी हो मैं कभी बूरा नहीं मानूँगी ...तेरे मन में जो कुछ भी है मुझे बता दे ....
वो बोलती भी जा रहीं थी और मुझे एक कौर खिलाती और दूसरा खूद भी खाती जाती ...
'" हां दीदी ..आप तो मेरी सब से अच्छी दोस्त हैं .." मैं भी खाता जा रहा था और उन्हें जवाब भी देता जा रहा था ... "मेरे मन में भी बहुत सारे सवाल हैं दीदी ... जिनका जवाब सिर्फ़ आप ही दे सकती हो ..."
"हां बिल्कुल ठीक समझा रे तू...हम दोस्त भी हैं ....और भी एक बात किशू ...अब तो मैं यहाँ कुछ दिनों की ही मेहमान हूँ, बस जो तुझे बोलना है..करना है ..बोल ले और कर ले ..मन में कुछ भी मत रख ..." और फिर उनके चेहरे पर एक शरारत भरी मुस्कान थी .
उनकी इस बात पर "जो करना है कर ले " मैं चौंक उठा ....आख़िर दीदी का मतलब क्या है ..क्या करने को बोल रही हैं ..??
"दीदी ...बोलने की बात तो मैं समझता हूँ..पर करना क्या है..????"
और इस बात पर दीदी ने अपने मस्ती भरे अंदाज़ में जोरदार ठहाका लगाया ...और मुझे चिपकाते हुए कहा
"तू सही में एक दम भोले राजा है रे ..एक दम भोला भाला .."
फिर एक दम से चूप हो गयीं . मेरी ओर बड़ी हसरत भरी निगाहों से देखा और कहा "पर अब उतना भोला नहीं रहा रे तू ...." और फिर से हँसने लगीं ...
मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था ..आज दीदी को क्या हो गया है...कैसी बातें कर रहीं हैं ...
"हा हा हा ..अरे तू टेन्षन मत ले ..खाना खा ले अभी फिर तेरी सारी टेन्षन मैं दूर कर दूँगी ..." और एक नीवाला बड़े प्यार से मेरे मुँह में डाल दिया ..
तभी खाना खिलाते खिलाते उनकी साड़ी का आँचल नीचे आ गया ..उनका सीना अब उघ्ड़ा था ..उनके स्तनों की गोलाईयो के बीच की घाटी सॉफ सॉफ दिख रही थी .... मेरी नज़र उस पर पड़ी ... उनकी साँसों के साथ उनके स्तन भी उपर नीचे हो रहे थे ... मैं एक टक उधर ही देख रहा था ...
क्रमशः……………………………….
" चल किशू मेरे रूम में ,,यहाँ माँ और बुआ आते रहेंगे ...बात करने का मज़ा नहीं रहेगा ..."
"हां दीदी चलिए .." मैने तपाक से जवाब दिया ...
अपने रूम में पायल दीदी नीचे बैठ गयीं , रोज की तरह उन्होने मुझे अपनी गोद में बिठा लिया ...पर आज जब मैं उनकी जांघों पर बैठा ,, मुझे पहली बार आज कुछ अजीब सा लगा ... कुछ हिचकिचाहट सी हुई ... पर दीदी को बूरा ना लगे इस वाज़ेह मैं चुपचाप बैठ गया ..
उनके मुलायम मांसल जांघों में बैठने का एक अजीब ही मज़ा आ रहा था ..इसके पहले मैने कभी इस बात पर ध्यान नहीं दिया था ..उनकी गोद में बैठना मेरे लिए बहुत ही साधारण बात थी ... पर आज येई एक बहुत अजीब ही अनुभव था... मेरे हिप्स उनकी जाँघ में धँसी थी ...मुझे उनके शरीर की गर्मी , उनके साँसों का स्पर्श महसूस हो रहा था ...उनके शरीर की मादक खूशबू , इन सब से मुझमें एक मस्ती का आलम छा रहा था ...मैं इस स्वर्गिक आनंद में खो सा गया था ..
" अरे बाबा कहाँ खो गया ... खाना तो खा ले किशू ..क्या बात है आज तू इतना खोया खोया सा क्यूँ है ..कुछ बात है तो बोल ना ... शाम को नाश्ते के टाइम भी कुछ ऐसा ही था ....क्या मुझ से अभी भी नाराज़ है..??"
"नहीं दीदी ..आप कभी ऐसा मत सोचना ..मैं आप से कैसे नाराज़ हो सकता हूँ ... कोई बात नहीं है .. **
" हां लो ....मेरा भी बहुत दिल है तुम से खूल कर बातें करने की ... तू मुझ से कुछ छुपा रहा है....आज तू काफ़ी बदला बदला सा नज़र आ रहा है ... देख किशू मैं तुम्हारी दीदी ही नहीं , दोस्त भी हूँ ....मुझ से कुछ भी मत छुपाना ... चाहे कुछ भी हो मैं कभी बूरा नहीं मानूँगी ...तेरे मन में जो कुछ भी है मुझे बता दे ....
वो बोलती भी जा रहीं थी और मुझे एक कौर खिलाती और दूसरा खूद भी खाती जाती ...
'" हां दीदी ..आप तो मेरी सब से अच्छी दोस्त हैं .." मैं भी खाता जा रहा था और उन्हें जवाब भी देता जा रहा था ... "मेरे मन में भी बहुत सारे सवाल हैं दीदी ... जिनका जवाब सिर्फ़ आप ही दे सकती हो ..."
"हां बिल्कुल ठीक समझा रे तू...हम दोस्त भी हैं ....और भी एक बात किशू ...अब तो मैं यहाँ कुछ दिनों की ही मेहमान हूँ, बस जो तुझे बोलना है..करना है ..बोल ले और कर ले ..मन में कुछ भी मत रख ..." और फिर उनके चेहरे पर एक शरारत भरी मुस्कान थी .
उनकी इस बात पर "जो करना है कर ले " मैं चौंक उठा ....आख़िर दीदी का मतलब क्या है ..क्या करने को बोल रही हैं ..??
"दीदी ...बोलने की बात तो मैं समझता हूँ..पर करना क्या है..????"
और इस बात पर दीदी ने अपने मस्ती भरे अंदाज़ में जोरदार ठहाका लगाया ...और मुझे चिपकाते हुए कहा
"तू सही में एक दम भोले राजा है रे ..एक दम भोला भाला .."
फिर एक दम से चूप हो गयीं . मेरी ओर बड़ी हसरत भरी निगाहों से देखा और कहा "पर अब उतना भोला नहीं रहा रे तू ...." और फिर से हँसने लगीं ...
मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था ..आज दीदी को क्या हो गया है...कैसी बातें कर रहीं हैं ...
"हा हा हा ..अरे तू टेन्षन मत ले ..खाना खा ले अभी फिर तेरी सारी टेन्षन मैं दूर कर दूँगी ..." और एक नीवाला बड़े प्यार से मेरे मुँह में डाल दिया ..
तभी खाना खिलाते खिलाते उनकी साड़ी का आँचल नीचे आ गया ..उनका सीना अब उघ्ड़ा था ..उनके स्तनों की गोलाईयो के बीच की घाटी सॉफ सॉफ दिख रही थी .... मेरी नज़र उस पर पड़ी ... उनकी साँसों के साथ उनके स्तन भी उपर नीचे हो रहे थे ... मैं एक टक उधर ही देख रहा था ...
क्रमशः……………………………….