मज़ेदार अदला-बदली compleet

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
The Romantic
Platinum Member
Posts: 1803
Joined: 15 Oct 2014 22:49

Re: मज़ेदार अदला-बदली

Unread post by The Romantic » 10 Dec 2014 13:33

मज़ेदार अदला-बदली--4

गतांक से आगे..........................
मिंटू: चलो बे .........ये मैंने बीच में फैला दिया है ........इसके पहले कि हम शुरू करें..........सब निकालो तो.................

मैं जिस तरह से डर के दुबकी थी उससे वहां हलकी सी सरसराहट की आवाज़ हुई थी......जो एक लड़के ने नोटिस कर ली थी.............

वो मिंटू से कहता है- मिंटू , यार ऊपर कुछ सरसराहट सी हुई थी अभी.........यार देख तो यार कहीं कुछ सांप वगैरह तो नहीं..........

सभी कि निगाहें शायद मेरे छुपने कि जगह कि और उठी होगी क्योंकि अभी कोई आवाज़ नहीं आ रही थी................
मुझे लगा कि अब ये मुझे देख लेंगे................क्या जवाब दूँगी कि मैं यहाँ क्यों आई और इस तरह चुप कर जासूसी करने का क्या मतलब है...............

मिंटू: कुछ नहीं बे............होगा कोई चूहा.............तू डर मत...............चल चल निकाल पहले.................

मैंने राहत की सांस ली.............

मैं अभी तक कुछ भी नहीं समझ पा रही थी..............इस तरह से इस गोदाम में पांच लड़के और
पिंकी............क्यों ये सुनसान जगह चुनी इन लोगों ने............

पिंकी चार अनजान लड़कों के साथ क्यों और वो भी इतनी खुश............कोई मजबूरी सी महसूस नहीं हुई उसके व्यवहार से.................

क्या पता ये सेक्स का खेल खेलें आपस में............परन्तु मिंटू है तो ये संभव लगता नहीं है क्योंकि वो चचेरा भाई है हमारा............

लेकिन बाकि सारे हालात इशारा तो यही कर रहे थे कि ये मामला साधारण से हट कर है जो चुप चाप किया जा रहा है................

मिंटू: हाँ....ला दे......तू भी.......चलो ठीक है............ये ले पिंकी.......ये २०० रुपये रख तो अपने पर्स में......५०-५० चारों के..............

पिंकी: ठीक है मिंटू...........
बड़ी ही लरज़ती हुई आवाज़ में वो मिंटू को बोली.......

तो चलो अब अब अपना सांप-सीड़ी का खेल शुरू करते हैं....................

ओह, तो ये ये खेल खेल रहे हैं.................परन्तु शायद पैसे से खेल रहे हैं, तभी यहाँ सुनसान में हैं.............और पिंकी पैसे संभालने के लिए है..........

अचानक मुझे सारा माज़रा समझ आने लगा............हलकी सी ग्लानी भी हुई कि मैंने पिंकी को लेकर गलत सोचा.........मन कि चंचल और बिंदास है............परन्तु चालू नहीं है.............

मुझे ख़ुशी हुई और गुस्सा भी आया कि फालतू टाइम ख़राब करने आ गई.................अब रुकने का कोई मतलब नहीं था परन्तु अब तो बाहर ताला लगा है............

बिना मिंटू के पता लगे जाना असंभव है...........

अभी इनके सामने आ जाती हूँ तो अपने आने और चुप कर देखने का कारण क्या बताउंगी................

चलो आराम से पड़े रहो ऐसे ही.................वैसे भी सोये सोये बहुत आराम मिल रहा था मुझे.................
और नीचे खेल शुरू हुआ..................

बोर्ड पर एक पांसा फेंकने कि आवाज़ आई ............"टक्क"

"एक" ...............एकसाथ दो तीन आवाजें उभरी.................

मिंटू: मुहूर्त सही नहीं है .............क्या एक से खाता खोला..............चल पहले बढ़ा अपनी गोटी और पांसा अगले को दे.

और फिर खेल शुरू हो जाता है और मैं आराम से लेटे लेटे उनका खेल सुनने लगी.

"तीन"........."पांच"..........
..........."दो"......इस तरह से गेम आगे बढने लगा.

"छ:"........"अरे वाह इसने तो छक्का मार दिया "... एक आवाज़ उभरी.

मिंटू: चल बे, इनाम की चिट निकाल.

.........

"चल जा"...........

..........

.........

कुछ देर की चुप्पी के बाद फिर खेल शुरू हो जाता है.

फिर किसी का छ: आता है.

फिर वो कोई इनाम की चिट निकालता है और कुछ देर की फिर चुप्पी.

हर बार ६ निकलने पर इसी तरह से होने लगता है.

मेरी उत्सुकता जागती है......ये ६ नुम्बर का क्या चक्कर है.

चलो अब जब भी किसी को ६ आएगा मैं धीरे से झाँक कर देखूँगी.

और जैसे ही ६ की आवाज़ आती है मैं झाँकने के लिए तैयार होती हूँ.

एक लड़का मिंटू के हाथ में रखे एक बॉक्स में से एक चिट निकालता है.

खोल के पड़ते ही उसका चेहरा खिल जाता है लेकिन शायद मिंटू के डर की वजह से वो खुल के ख़ुशी जाहिर नहीं कर पाता है.

मिंटू रूखे स्वर में उससे कहता है......."चल जा"

वो उठ खड़ा होता है और मैं उसकी दृष्टि की परिधि में आ जाती हूँ..................

मैं तुरंत अपना सर नीचे कर के उसकी सीधी नज़र से बच जाती हूँ.

फिर कुछ देर की चुप्पी.

अभी मुझे रिस्क लेने में थोडा डर लगने लगता है.

चलो सुन सुन कर ही इनका खेल समझाने का प्रयास करती हूँ.

अभी कुछ देर में कई लोगों को ६ आ चुके थे परन्तु सुनकर खेल कुछ समझ नहीं आ रहा था.

चिट क्यों निकल रहे हैं.......उसमे क्या इनाम निकल रहा है..........कुछ देर की चुप्पी क्यों छा जाती है......इन सब सवालों में उलझ रही थी.

अब मेरी जिज्ञासा बढती जा रही थी.

फिर एक ६ आता है ....चिट निकालने का निर्देश...और फिर कुछ समय की चुप्पी.

हिम्मत करके जैसे ही फिर झाँकने की सोचती हूँ......

पहली बार पिंकी की आवाज़ आती है......मिंटू, इसने फाउल कर दिया है..येल्लो कार्ड दिखाओ इसे.

मिंटू: क्यों बे गांडू, खेल के नियम पता है फिर भी उन्हें तोड़ने से बाज़ नहीं आता है. अभी आगे से जिसने नियम तोडा उसे जोर से गांड पे लात पड़ेगी, समझ गए ना सब.....

"हां भाई" ...... सम स्वर में आवाजें उभरी...

मिंटू: चल अब किसकी चाल है............खेलो जल्दी जल्दी...

मेरी बुद्धि चकरा रही थी....खेल का कुछ भी सर पैर पल्ले नहीं पड़ रहा था...

और इसी तरह खेल बढता रहा और फिर...........

"ये १००, मैं जीत गया, मैं जीत गया" ......एक जोरदार आवाज़ आई..

मिंटू: अबे हाँ, हमें भी दिखाई दे रहा है कि तू जीत गया, इतना चिल्ला क्यों रहा है.....

"भाई, जेकपोट लगा है, पहली बार जीता हूँ पुरे हफ्ते में." ......जीतने वाले की आवाज़ आई...

मिंटू: चल ठीक है......चलो रे बाकी सब फूटो तो अब यहाँ से.....कल कौनसा वाला गेम खेलना है ५० वाला या १०० वाला......२५० वाले गेम की तो तुम्हारी औकात नहीं है......

एक बोला- भाई कोशिश करेंगे कि १०० इकट्ठे जो जाएँ.....अभी तक १०० वाला गेम खेला नहीं है तो एक बार तो खेलना ही है.....

मिंटू: चल ठीक है......ये ले चाबी....ताला खोल के धीरे से निकल लो......ताला वहीँ रख देना....

फिर अगले तीन चार मिनट, मिंटू शांति से बैठा सिगरेट पी रहा था.....बाकी कुछ हलचल भी महसूस नहीं हो रही थी.....

फिर बहुत ही धीमी, पिंकी की कुछ घुटी घुटी सी आवाज़ आई..........
क्रमशः................................




The Romantic
Platinum Member
Posts: 1803
Joined: 15 Oct 2014 22:49

Re: मज़ेदार अदला-बदली

Unread post by The Romantic » 10 Dec 2014 13:34

मज़ेदार अदला-बदली--5
गतांक से आगे..........................
मिंटू: चल बे आज के विजेता......अब तू भी निकल ले.......

और फिर उसके भी जाने की आवाज़ आती है..............

मिंटू: चल पिंकी तू भी बाहर आ जा, हम भी चलते हैं......

मैं फिर झांकती हूँ......मिंटू, ठीक जहाँ से मैं झांक रही थी, उसके नीचे खड़ा होकर बोरियों के ढेर के अन्दर झांक रहा था....

और वहीँ से पिंकी बाहर आती है.............

शायद इन बोरियों के नीचे गुफा जैसी बना रखी होगी इन्होने तभी पिंकी अन्दर से बाहर की ओर निकल रही है.

मैंने देखा पिंकी अपने अस्त व्यस्त से कपड़ो को ठीक करने लगी.

पिंकी: साला कुत्ता, मैंने तो उसके दोनों हाथ ही पकड़ रखे थे पुरे टाइम, वरना......खेल पचास का खेलेगा और तमन्ना.......साला भड़वा.

मिंटू ये सुन कर हंसने लगा.....

मिंटू: थोडा बहुत इधर उधर चलता है यार पिंकी, तभी तो ये १०० और २५० वाला गेम खेलेंगे.

पिंकी: अब तू कहता है तो ठीक है......

मिंटू: मज़ा आया की नहीं आज के गेम में.

पिंकी: मज़ा आता है तभी तो तेरे इस खेल में शामिल होती हूँ.

मिंटू: अरे तेरे कारण ही तो ये गेम चल रहा है.

पिंकी: चल यार अब चलते हैं.....बहुत देर हो गई है.....

मेरे समझ में कुछ कुछ आने लगा था.......कुछ गड़बड़ तो चल रही थी...........मुझे गुस्सा आने लगा था..... और तभी....

पिंकी की नज़र मुझपे पड़ती है............वो जोर से चीख कर मिंटू को पकड़ लेती है.............."दीदी".....

मिंटू को भी समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले, परन्तु वो मेरे नज़रों का सीधा सीधा सामना कर रहा था .......

तभी मैं एक गुस्से भरी तेज़ आवाज़ में चिल्लाती हूँ- "ये सब क्या हो रहा था"

मिंटू: रोमा दीदी, आप यहाँ कैसे..........

मैं: कैसे के बच्चे...ये पिंकी के साथ तू क्या खेल खिलवा रहा था......

वो चुप रहा है..............

मैं: और तू...........तुझे इतनी आज़ादी दी तो ये गुल खिला रही है.......

दोनों हाथ जोड़ कर माफ़ी मांगने लगे......दीदी गलती हो गई.....इस बार माफ़ कर दो......

मैं: इस गलती के लिए माफ़ी............तुम रुको तुम्हारे अभी होश ठिकाने लगाती हूँ.................

और मैंने अपना मोबाइल निकाला और चाचा का नंबर फ़ोन लिस्ट में सर्च करने लगी..............

जैसे ही मिंटू ने देखा उसने तेज़ी से मेरा मोबाइल छीना और फिर से गिडगिडा कर माफ़ी मांगने लगा....

मैं बहुत गुस्से में थी.......मैंने अपना मोबाइल वापिस छीनने का प्रयास किया लेकिन उसने पीछे कर लिया...

बहुत कोशिशो के बाद भी वो हाथ नहीं आया.........

इस बीच पिंकी लगातार मुझसे माफ़ करने कि मिन्नतें कर रही थी.....

हार कर मैंने कहा.....चल मैं सीधे चाचा के घर जाकर वहीँ सब बातें बताती हूँ....

और मैं तेज़ी से हाल से बाहर जाने लगी.........

मिंटू ने तेज़ी से आकर मेरा हाथ पकड़ लिया....नहीं दीदी...तुम प्लीज़ ऐसा मत करो आगे से कोई शिकायत नहीं
होगी आपको....

परन्तु गुस्से में मेरी सोचने समझने को शक्ति काम नहीं कर रही थी....

नहीं तुमको तो सबक सिखाना ही पड़ेगा........

जब मैं उसके रोके से नहीं रुकी तो अचानक उसने पीछे से मुझे पकड़ लिया....

उसके दोनों हाथ मेरे पेट को कसे हुवे थे और चेहरा मेरे कंधो को छू रहा था...

मिंटू: नहीं दीदी आपको जाने नहीं दूंगा....आप हमें माफ़ करदो.....

मैं: साले हरामी, मेरी बहन को बहका के ऐसे गंदे काम करवा रहा था.....तुझे तो नहीं छोडूंगी मैं....

और ये सुन कर मिंटू का सब्र टूट गया.............

उसने मुझे कस के जकड लिया और खीच कर वापिस पीछे ले गया.....साली मुझे गाली दे रही है, जबसे माफ़ी मांग रहा हूँ समझ में नहीं आता क्या, अब मैं देखता हूँ तू कैसे जाती है.

मैं छटपटाने लगती हूँ, वो अपनी जकड और मज़बूत कर लेता है, और अचानक वो मेरे मम्मो पर से अपने हाथो की जकड मज़बूत कर लेता है......

मैं जोर से चिल्लाने लगती हूँ.............वो अपना एक हाथ मेरे मुंह पर रख देता है............

मिंटू: पिंकी, इसका मुंह कपडे से बंद करना होगा वरना हम गए......

पिंकी: नहीं मिंटू, वो हमारी रोमा दीदी है.....

मिंटू: पागल हो गई है क्या, ये तो हमें बर्बाद करने पर तुली है.....जा जल्दी से कुछ लेकर आ....

पिंकी फिर भी ऐसे ही कड़ी रही, मिंटू चिल्ला कर बोला, कुतिया तू भी मरेगी और मुझे भी मरवाएगी.....जा लेकर आ..

पिंकी इस बार पीछे कुछ बोरो में से ढून्ढ कर एक लम्बा कपडा लेकर आती है......

मिंटू: चल इसे फाड़ कर इसकी पट्टी बना......

इधर मैं उनके इरादे समझ गई थी.......इससे मेरा गुस्सा और बढने लगा......जितना मैं छटपटा रही थी उतना उसका एक हाथ की कसावट मेरे मम्मो पर मज़बूत होती जा रही थी ...

छटपटाने से मेरा पिछवाडा उसके लंड को बुरी तरह से मसल रहा था और अचानक वो खड़ा हो गया.....

मुझे वो अपनी गांड पर बुरी तरह से चुभने लगा....तभी मिंटू के कहने पर पिंकी ने उस पट्टी से अछे से मेरा मुंह बाँध दिया.....

हाँ ये जरूर चेक किया कि कहीं मुझे सांस लेने मैं दिक्कत न हो..............

अब उसने अपना दूसरा हाथ भी मेरे मम्मो पर रख दिया......

मैं फिर छूटने का प्रयास करने लगी उसने मुझे पीछे से पकड़ कर उठा लिया और सीधा उस बिस्तरनुमा जगह पर पीठ के बल पटक दिया.....

मैं उठने की कोशीश करती इसके पहले ही वो मेरे ऊपर चढ़ गया .....अपने दोनों हाथो से मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए और दोनों पैरों से मेरे पैर दबा दिया........

अब उसका खड़ा लंड सीधे मेरी छूट पर था.........पुरे दबाव के साथ.......

मैं जितना हिलती छूटने के लिए उतना उसका लंड मेरी छूट को घीस रहा था....

पिंकी को यही दिख रहा था कि वो मुझे काबू में करने का प्रयास कर रहा है....

मैं थक गई थी तो थोडा सा ढीला पड़ गई........

वो अभी भी ऐसा ही लेटा था और शायद इस स्थिति का मज़ा उठाने लगा था....
क्रमशः........................

The Romantic
Platinum Member
Posts: 1803
Joined: 15 Oct 2014 22:49

Re: मज़ेदार अदला-बदली

Unread post by The Romantic » 10 Dec 2014 13:34

मज़ेदार अदला-बदली--6

गतांक से आगे..........................
पिंकी: अब क्या करें......

मिंटू: इस रांड से पूछ के ये मानती है कि नहीं......

पिंकी: मिंटू ऐसे मत बोल यार , दीदी है ये......

मिंटू: तू पूछती है कि नहीं वरना मेरा गुस्सा और मत बड़ा तू भी...

पिंकी: दीदी प्लीज़ माफ़ करदो और ये सब भूल जाओ....

मैं उन्हें बख्शने के मूड में नहीं थी सो मैंने साफ ना में सर हिलाया......

मिंटू: ये ऐसे नहीं मानेगी........पिंकी अब तू साफ साफ बता....तू मेरे साथ है कि अपनी दीदी के साथ है....

पिंकी: मैंने तो दोनों के ही साथ हूँ.......

मिंटू: इस वक़्त किसी एक का साथ देना होगा...दीदी का साथ देगी तो ये मुझे बदनाम कर देगी और मैं ऐसा होने नहीं दूंगा...मेरा देगी तो हम दोनों बच जायेंगे...

पिंकी: तो फिर दीदी का क्या होगा.....

मिंटू थोडा मुस्कुरा कर बोलता है.....इसका भी अच्छा ही होगा.....

पिंकी थोडा सोच कर कहती है ठीक है तेरा साथ दूँगी....

मेरा गुस्सा फिर भड़क जाता है.....मेरी बहन मेरे खिलाफ उसका साथ दे रही है....

मिंटू: देख अब जो मैं बोलूं तुझे उस पर कोई भी आपत्ति नहीं होना चाहिए...

पिंकी: ठीक है....बोल क्या करना है....

मिंटू: फिलहाल तो इसका मुंह बंद करना है....

पिंकी: अरे वो तो अच्छे से बंद कर ही दिया था न मैंने......

मिंटू: ये पट्टी खुलने के बाद भी ये मुंह ना खोले .....वो वाला बंद....

अब मैंने महसूस किया कि मिंटू का लंड मेरी चूत पर रगड़ लगा रहा है....

मुझे अब उसके मंसूबों का आभास होने लगा था......

मैं फिर छूटने के लिए जोर लगाने लगी परन्तु लगभग थक चुकी थी सो बहुत ही हल्का जोर लगा....

वही अब मिंटू बड़ी ही बेशर्मी से अपने लंड से मेरी चूत पर धक्के से मरने लगा था.....

मिंटू: पिंकी, बस एक ही रास्ता बचा है, कि मैं रोमा को चोद दूं, तब ये कहीं अपना मुंह नहीं खोलेगी....बोल साथ देगी मेरा..हाँ या ना....

पिंकी: नहीं.......वो बहन है तेरी ...

मिंटू: भड्वी, तू भी तो मेरी बहन है, फिर मेरे ही साथ यहाँ आकर अनजान लडको के साथ, अभी मुंह खोलूं क्या अपना ..... .....

पिंकी कुछ नहीं बोली.....मुझे पता चलता जा रहा था कि यहाँ क्या खेल चल रहा था.....

मिंटू: अभी अगर तू मेरा साथ नहीं देगी तो इसे तो छोड़ दूंगा पर तुझे बदनाम कर दूंगा और वो सब लड़के सबूत रहेंगे तेरे रंडी जैसी करतूत के....सोच ले..

पिंकी: चल ठीक है......परन्तु दीदी के साथ ठीक से पेश आना....चल क्या करने का है......

मिंटू: सबसे पहले तो मेरा जींस खोल.....

वो मिंटू पीछे आकर दोनों हाथ इर्द गिर्द डालकर जींस का बटन ढूँढती है.......

मिंटू: क्या करती है.....मेरे लंड से खेलने लग गई.........चल जल्दी से बटन खोल.....

पिंकी की चोरी पकड़ा गई थी और मुझे भी पता लग गई थी......वो झेंप कर जींस का बटन खोल कर जींस नीचे खिसका देती है......

मिंटू: ये चड्डी भी निकाल...

और फिर पिंकी के कोमल हाथ मिंटू की कमर की ओर बढते हैं...वो अपनी उंगलियाँ उसकी चड्डी की एलास्टिक में घुसाती है और धीरे धीरे चड्डी नीचे खिसकाती है..थोड़ी नीचे आकर आगे से वो मिंटू के लंड में फँस जाती है.....अब पिंकी जोर लगाती है चड्डी नीचे करने के लिए परन्तु वो आगे से लंड में फँसी रहती है......

मिंटू: अरी भेन की लवड़ी, पहले मेरे लंड में से तो इसको निकाल.

अब पिंकी बिस्तर पर कोहनी के बल लेट कर मिंटू को ऊपर उठने का इशारा करती है....वो पिंकी की तरफ देखता है और जरा ऊपर उठता है......

पिंकी अब एक हाथ डालकर हमारे बीच चड्डी में फंसे उसके लंड की और अपना हाथ बढाती है..

मिंटू: अरे क्या फिर से खेलने लगी मेरे लौड़े से, इतनी देर लगती है लंड को आज़ाद करने में...

पिंकी: लो बस हो गया...

अब पिंकी फिर से उसके पीछे जाकर चड्डी निकालने लगती है....

जब चड्डी निकलती है तो मिंटू को थोडा इधर उधर होना पड़ता है.....तब उसका लंड बिलकुल मेरी चूत की दीवार पर सेट हो जाता है और अब वो उसके हिलने पर खिसकता नहीं है बल्कि चूत पर रोल होने लगता है......मेरे अन्दर कुछ लहर दौड़ने लगती है...........पर उसे मैं एकदम से झटकती हूँ........

अब मिंटू मुझे पूरा बाँहों में भर कर पलती मारता है...........मैं ऊपर से तो उसकी जकड में थी परन्तु नीचे से मैं अपनी चूत को उसके लंड से दूर रखने का प्रयास कर रही थी...और ऐसा करने पर उसका लंड एकदम से खुला हो जाता है और पिंकी कि नज़र उसपर जाकर अटक जाती है.........

मिंटू: चल पिंकी, अब मेरा शर्त निकल.........

परन्तु पिंकी तो उसके लंड में एकदम से खो गई थी.......

मिंटू: क्या देख रही है जल्दी से मेरा शर्त निकाल.....

वो तुरंत हरकत में आती है......अब मिंटू मुझे अपनी एक बांह में भरता है और अपनी दूसरी तंग से मुझे नीचे से पूरा जकड लेता है .........

पिंकी जल्दी जल्दी उसके शर्ट के बटन खोलने लगती है...........उसने मुझे बुरी तरह से दबोच रखा था......मेरे दोनों मम्मे उसकी साइड की छाती और हाथ में धंसे हुवे थे........

शर्ट निकालते निकालते उसने मुझे कई बार मुझे इधर उधर पलटाया तब जाकर उसकी शर्ट निकली......मैं तो जैसे उसके शरीर पर कुचली जा रही थी........

मैं उसके एकदम ऊपर थी......उसने दोनों पैरों से मेरे चूतड दबोच रखे थे...........उसका लंड मेरी चूत पर दबाव डाल रहा था....

फिर पिंकी ने हम दोनों के बीच हाथ डाल कर जेसे तेसे उसका बनियान निकल कर उसको पूरा नंगा कर दिया...........

अब उसने मेरे कुरते को ऊपर उठाना चालू किया.......उसकी पकड़ ढीली होते ही मैं छूटने का प्रयास करने लगी.....उसने फिर अपने हाथों और पैरों से मुझे जकड लिया....मेरा मुंह उसके कंधे पर था और उसकी गर्म सांसे अब मेरे कान पर महसूस हो रही थी.........

मिंटू: पिंकी तुझे ही तेरी दीदी को नंगा करना पड़ेगा....ये साली अभी भी फनफना रही है.......

पिंकी ने मेरा कुरता ऊपर करना शुरू किया....मिंटू ने हाथ डाल कर आगे से मेरा कुरता ऊपर किया....धीरे धीरे दोनों ने उसे निकाल दिया......

अब मिंटू ने एक झटके से मेरी ब्रा के हूक खोल दिए.........

मिंटू: पिंकी चल इसका नाड़ा खोल.....

उसके हाथ मेरे नाड़े को तलाश रहे थे......ऊपर मिंटू ने खींच कर मेरी ब्रा भी अलग कर दी.....अब मिंटू मेरी नंगी और अनछुई चिकनी पीठ का जायजा ले रहा था.....

पिंकी ने नाडा खोल कर मेरी सलवार को निचे खिसकाया....मिंटू ने अपने पैरों की जकड हटा कर अपने पैर खोल दिए.....जैसे ही उसने अपने दोनों पैर जमीन पर रखे उसका लंड वाला हिस्सा एकदम ऊपर की और उठा और मेरे चूत-प्रदेश पर जोर का दबाव डाला......मेरे अन्दर से आह निकल गई.......

पिंकी ने मेरी सलवार खींच खींच कर निकल दी........
अब मेरी जवानी को ढंकने वाला अंतिम कड़ी मेरे तन पर थी जो मुझे पता था कि किसी भी क्षण मेरा साथ छोड़ने वाली थी...............

और फिर पिंकी के हाथ मुझे पूर्ण नग्न करने के लिए आगे बड़ा........

उसने खींच कर मेरी चड्डी नीचे खिसका दी...........जैसे ही मेरी आखरी ढाल मेरी शरीर से हटी.....मिंटू ने फिर से मुझे जोर का भींच लिया........

अब उसका केले जैसा लम्बा लंड बिना किसी बाधा के मेरे चूत कि दरार पर फँस सा गया.........

अब वो मेरे शरीर से खेलने लगा.........कभी पीठ पर मालिश करता ...कभी चूतड भींचता....और उसके लंड का टोपा ठीक मेरे दाने के ऊपर चूत के होंठ के उपरी खांचे में फंसा हुआ था.......हिलने डुलने पर वो लगातार मेरे दाने की मालिश कर रहा था........

अब उसने मुझे पलटा दिया और अपने दोनों घुटने मोड़ के मेरे दोनों जांघो पर दबा दिए और अपने दोनों हाथों से मेरे हाथो को आधी कोहनी मोड़ के पकड़ लिया और फिर मुझे स्थिर करके वो मेरी जवानी को नज़दीक से देखने लगा.......मेरे बड़े बड़े मम्मे उसको ललचा रहे थे.............

ना चाहते हुवे भी मेरी नज़र एकबारगी उसके तने लंड की और गई.......... मुझे तो वो केले जैसा महसूस हुआ था......परन्तु ये तो एकदम भुट्टे जैसा था.......बहुत मोटा...

पिंकी अब मेरे सर के ऊपर की तरफ आ गई....वो तो बस उस भुट्टे को एकटक निहार रही थी.......अब तक उसका एक हाथ उनकी चड्डी में पहुँच चूका था.....और वहां आप समझ जाओ क्या कर रहा होगा...

मिंटू, जैसे अब सब कुछ उसके कण्ट्रोल में था......वो बड़े आराम से मेरे मम्मो को आँखों से पी कर पिंकी कि और मुखातिब हुआ......

मिंटू: हे पिंकी, तुने मेरा सबकुछ देख लिया......अपना भी सबकुछ दिखा ना......फिर मैं तेरे को एक जोरदार चुदाई दिखता हूँ................

पिंकी तो जैसे तैयार ही थी.........झट से उसने अपना स्किर्ट ढीला किया......सर्र से वो निचे....एक झटके में चड्डी भी जमीन पर........

और उससे भी ज्यादा तेज़ी से टॉप हवा में उड़ा दिया और फिर ब्रा भी ......

उसके लंड ने एक जोरदार झटका लिया......

अब वो दोनों के बदन बारी बारी से देख रहा था............

मिंटू: वाह रे पिंकी, तू तो अन्दर से बहुत खूबसूरत है रे....तुने कभी बताया नहीं मुझे पहले.

पिंकी: (थोडा शर्माते हुवे) नहीं देख दीदी तो मुझसे भी ज्यादा सुन्दर है.....मम्मे कितने बड़े और कसे हुवे हैं..

मिंटू: चल इधर आ मेरी थोड़ी मदद कर ताकि तेरी दीदी कि खूबसूरती को महसूस कर सकूं......ले इसके दोनों हाथ पकड़ ले.

और वो मेरे सर के इर्द अपने घुटने मोड़ कर बैठ गई और झुक कर मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए.....

उसकी छूट मेरे सर को छू रही थी....मिंटू के दोनों हाथ अब आज़ाद हो चुके थे ....तुरंत उसके हाथ मेरे मम्मो पर आ गए...
अब वो मेरे दोनों मम्मों को मसलने लगा.....पिंकी थोडा और ऊपर खिसकी तो उसकी छूट मेरी पर जा टिकी....उसकी चूत की गर्मी महसूस हो रही थी...उसकी चूत गीली हो चुकी थी और उसकी खुशबू मेरे नासारंध्र में घुलने लगी........

अचानक मिंटू झुका और मेरे एक मम्मे को अपने मुंह में भरकर चूसने लगा....अपने पैर उसने लम्बे कर लिए तो उसका लंड फिर मेरी चूत पर सेट हो गया.....

अब वो बेतहाशा मेरे मम्मो को चूस रहा था .....उसकी ये चुसाई ने मेरे प्रतिरोध को काफी ढीला कर दिया और मेरे अन्दर भी न चाहते हुवे भी काम उर्जा भरने लगी.....फलस्वरूप मेरी चूत में रसस्राव शुरू होगया.

मिंटू अब अपने लंड को मेरी चूत के ऊपर रगड़ने लगा.......मेरे चिकने रस ने उसका काम थोडा आसान कर दिया....

अब लंड को अन्दर डालने के लिए उसने मेरे बोबे छोड़े और जैसे ही सर ऊपर किया अपने ठीक सामने पिंकी का मुंह पाया......बिना देर किये उसने अपने होंठ से पिंकी के होंठ भींच लिए

और फिर एक जबरदस्त चुम्बन....पिंकी और मिंटू के होंठ मिले....मिंटू ने अपने दोनों हाथों से पिंकी का मुंह पकड़ा और पूरा मुंह उसके मुंह में घुसेड दिया....पिंकी ने भी आवेश में आकर कब मेरे हाथ छोड़ कर मिंटू का सर पकड़ लिया उसे पता ही नहीं चला.........मैं अब तक काफी गरम हो चुकी थी और लगभग भूल सी गई थी कि मैं इस चुदाई से अपने को बचा रही थी....मेरे हाथ आज़ाद होते ही मैंने अपना मुंह का कपड़ा खोला....जान में जान आई.....उधर वो दोनों अपने घुटनों पर एक आगे और एक मेरे पीछे....तल्लीनता से चूमा चाटी में लगे हुवे थे.....मेरे ठीक सामने मिंटू का भुट्टा लहरा रहा था......पता नहीं क्या हुआ मैंने अपने दोनों हाथों से उस झूलते भुट्टे को थम लिया.........जैसे ही मिंटू को महसूस हुआ उसने पिंकी को छोड़कर नीचे देखा.....मेरे हाथ उस भुट्टे की खाल को मसल रहे थे......उसने पिंकी को इशारा किया कि देख नीचे का नज़ारा.....पिंकी ख़ुशी से चिल्लाई .....ओ दीदी....हाँ तुम भी मज़े लो, देखो मिंटू का कितना मस्त है....और फिर पिंकी ने जोश में मिंटू का सर खींच कर अपने मम्मों पर भींच लिया....अब मिंटू एक जोड़ी नए कलमी आमों की चुसाई का आनंद लेने लगा और पिंकी की तेज़ आहें और कराहें फिजां में गूंजने लगी.......पिंकी की चूत से निकलने वाली मादक खुशबू मेरे अन्दर वासना का ज्वार उठा रही थी...मैंने मिंटू के लंड को छोड़ा और पिंकी के दोनों कुलहो पर हाथ रख कर उसे थोडा नीचे खींच और अपना मुंह थोडा सा उठा कर पिंकी कि चूत में घुसेड दिया......वो रस से सराबोर थी.....मैं अपनी जीभ से उसे चाटने लगी....पिंकी के थोडा नीचे होने से उसके बोबे मिंटू के मुंह से निकल गए....उसने देखा कि मैंने पिंकी की चूत पर आक्रमण कर दिया है तो वो भी तमतमा गया और नीचे की और खिसक कर अपना लंड मेरी चूत के छेद पर टिका दिया.......अब वो मेरी फिसलन भरी चूत में लंड घुसाने लगा.......दर्द से मेरे मुंह से आह निकली तो वो पिंकी से बोला कि मेरे होंठो को अपने होंठो से कस के दबा ले ताकि चिल्लाने कि आवाज़ बाहर न जाने पाए.....पिंकी ने थोडा पीछे खिसक के अपने होंठो से मेरे होंठो को जकड लिया...मैंने अपने दोनों हाथों से पिंकी के मम्मों को थाम लिया और उनसे अठखेलियाँ करने लगी.....

इधर नीचे मिंटू ने अपना आधा लंड जैसे ही मेरे अन्दर किया मैं जोर से चिल्लाई परन्तु चीख पिंकी के होंठो से घुट गई....अगले दो मिनट मेरे लिए बहुत दर्दनाक थे ....मिंटू पुर लंड पेल कर घस्से मरने लग था....कुछ ही देर में मेरा दर्द आनंद में बदलने लगा......और फिर मैं भी चुदाई का आनंद लेने लगी......और १० मिनट की चुदाई के बाद मुझे अपने पहले चरमोत्कर्ष की झलक मिली......वो मेरी ज़िन्दगी का सबसे आनंददायी क्षण था......इधर मिंटू भी मेरे अन्दर ही झड गया.....

मैं झडने के बाद एकदम लुस्त पड़ गई.....अब जैसे जैसे चरमानंद के आगोश से बाहर आ रही थी वैसे वैसे मेरी चूत में तेज़ जलन और दर्द महसूस होने लगा......फिर थकान की वजह से तुरंत ही निद्रा में लीं हो गई.......

अचानक ऐसा लगा कि कोई मुझे झिंझोड़कर उठा रहा है.......आँख खुली तो देखा मिंटू कपडे पहन रहा है और पिंकी एक गहरी मुस्कान के साथ मुझे उठा रही थी......

मैं: क्या हुआ.......

पिंकी: तुम तो एकदम घोड़े बेच कर सो गई थी....हमारी उठापटक में तुम्हारी नींद जरा भी नहीं खुली क्या दीदी...

मैं: क्या उठापटक........

पिंकी (शरारती लहजे में): वैसी ही जैसी कुछ देर पहले आपके और मिंटू के बीच चल रही थी........

मेरे चेहरे पास एक मुस्कान तैर गई......ये देख कर पिंकी मुझसे लिपट गई और बेतहाशा चूमने लगी.....मुझे भी उसपर बहुत प्यार आया और मैंने भी उसको अपने ऊपर खींच कर होंठो पर चूमने लगी......

मिंटू: अरे चलो यार बहुत देर हो गई.......अब ये काम तो तुम अपने रूम पर चाहे जब कर सकते हो......पर हाँ मुझे भूल मत जाना.......

हम दोनों उसकी इस बात पर हंसने लगी और फिर फटाफट कपडे पहन कर अपने होस्टल की और चल पड़ी................

"पी पीप पी "......कार के हार्न की लगातार तेज़ आवाज़ से मैं अतीत से वर्तमान में लौट आई.......सामने पिंकी का घर आ चूका था और रवि सामने कार पार्क करने के लिए वहां खड़ी कुछ गायों को हटाने के लिए होर्न मार रहा था...............

मैं: अरे........आ गए पिंकी के घर.............

रवि: अरे तुम उठ गई...........कितनी गहरी नींद में सो रही थी.................

मैं मुस्कुरा उठी ......अब मैं नोर्मल फील कर रही थी, मेरे पहले आर्गौस्म की स्मृति में खो कर.......हम उतरे और पिंकी के घर के अन्दर चले गए....

पिंकी के घर की घंटी बजा कर हम दरवाज़ा खुलने का वेट करने लगे........

रवि पिंकी को देखने के लिए मरा जा रहा था कि शादी के तीन महीनो में चुद चुद कर क्या वो और सेक्सी हो गई होगी, पता नहीं रवि को पिंकी की चुदाई का मौका मिल भी पता है कि नहीं, फिर भी वो बहुत रोमांचित था..... मेरी शादी के एक महीने बाद से ही रवि ने पिंकी की चुदाई शुरू कर दी थी... रवि पिंकी का दीवाना था और एक रात में चार चार बार चोद कर भी नहीं थकता था..... पिंकी भी रवि से खूब मज़े ले ले कर चुद्वाती थी...........हम अक्सर तीनो मिल कर रात रात भर सेक्स करते थे....और जब भी मौका मिलता, मिंटू भोपाल से इंदौर हमारी पार्टी में शामिल होने पहुँच जाता था.....

जब कुछ समय दरवाज़ा नहीं खुला तो मैंने रवि को आँखों ही आँखों में जरा सब्र करने का इशारा किया क्योंकि वो बहुत हडबडा रह था........दरवाज़ा खुला और रवि का मुंह पिंकी को देख कर खुला का खुला रह गया......पिंकी भी हमारी इस सरप्राइज़ विज़िट पर हैरान रह गई.....दोनों जीजा साली बस एकदूसरे को एकटक देखे ही जा रहे थे.....पिंकी शादी के बाद बहुत ही ज्यादा सेक्सी हो गई थी...मैं मुस्कुरा कर उसे हग करने आगे बड़ी.....तब उसका ध्यान मेरी ओर गया......मैंने रवि को कोहनी मारी कि इस तरह से पिंकी को ना देखो.....कहीं उसका पति अमित ने देख लिया तो........मैं इधर उधर देख कर अमित को ढून्ढ रही थी......परन्तु ये क्या...... पिंकी ने दरवाज़ा बंद किया और एकदम लपक के रवि के ऊपर छलांग लगाकर उसको दबोच लिया और अपने दोनों पैर उसकी कमर पर लिपटा लिए.....रवि हडबडा कर अपना बैलेंस बनाने लगा कि कहीं गिर न पड़े......लेकिन संभालते संभालते भी वो पीछे दो तीन कदम हुआ और फिर वहां रखा दीवान उसके पैर के पीछे लगा और वो पिंकी को साथ लिए बिस्तर पर पीठ के बल गिर पड़ा....मैं दौड़ कर उनके पास गई और पिंकी के कान में धीरे से बोला....ऐ अमित ऐसे देख लेगा तो मुसीबत हो जाएगी.......पर वो हटने के बजे रवि को खिसका कर पलंग पर सीधा करने लगी और जब वो एकदम ठीक से पलंग पर लेट गया तो फिर उस पर कूद पड़ी और ऐसे दबोच लिया कि कहीं वो उसे छोड़ कर कहीं चला ना जाये.....और उसके मुंह पर अनगिनत किस करने लगी....अपने पुरे शरीर को उसके शरीर पर रगड़ रही थी....मैं डर के मरे इधर उधर देख रही थी कि कहीं अमित बैठक में ना आ जाये......मैं बहुत डर रही थी.........

उधर अमित भी डर की वजह से पिंकी की हरकतों का कोई जवाब नहीं दे पा रहा था और अवाक् सा बस पड़ा हुआ था...............कुछ देर बाद पिंकी ने हम दोनों कि हालत देखि तो जोर से हंस पड़ी....मैं बोली- तू अपने जीजू को देख कर शायद पागल हो गई है वरना तुझे अमित का कोई डर नहीं.......तो वो बोली- दीदी अमित से डर तो तब लगेगा ना जब वो घर पर होगा........आज उसकी नाईट शिफ्ट है तो वो अब सुबह ५ बजे ही वापिस आएगा.......और फिर वो हंसने लगी..........
क्रमशः........................
........



Post Reply