पिकनिक का प्रोग्राम compleet

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The Romantic
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Re: पिकनिक का प्रोग्राम

Unread post by The Romantic » 11 Dec 2014 13:42


जेबा के हाथ कांप रहे थे, उसका रंग लाल हो रहा था। वो बुर्क़ा तो नहीं पहने थी। लेकिन स्कार्फ लपेटे हुई थी। काले स्कार्फ में उसका दूध सा सफेद चेहरा, काली रात में चाँद के जैसा चमक रहा था। मैंने उसके हाथ से ग्लास लिया और पीने लगा। और वो उल्टे पाँव ही भाग गयी।

उधर से जीनत और पिरी बोल रही थीं- “तुझे कहा था उसके पास बैठने को। तू चली क्यों आई…”
जेबा बोली- मुझे बहुत डर लग रहा है।

“चल हमारे साथ…” कहकर वो दोनों उसे पकड़कर कमरे में ले आईं। और मेरी तरफ उसे धकेलते हुए कहा- “तुम कितना तड़प रहे थे पिकनिक में की जेबा क्यों नहीं आई… दिन भर में 40 बार उसके बारे में पूछते रहे। अब संभालो अपनी जेबा को…”

मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया। और कहा- “यार जीनत, यह तो रूई से बनी है क्या… कितनी साफ्ट है…” कहकर अपनी बाहों में भींचने लगा।

“छोड़ो ना…” जेबा बोली।

फिर मैंने उसे बेड पर बिठाया। उसने अपने हाथों में चेहरा छुपा रखा था। मैं उसके साइड में सटकर बैठा। मेरे दाहिने बाजू जीनत मुझसे सटकर बैठी थी। जेबा के बाएं बाजू पिरी थी।

जीनत बोली- “जेबा शरम छोड़ो, कोई ना कोई मर्द हमारा सब कुछ देखेगा। चाहे हम उसे पसंद करें या न करें। उससे पहले क्यों ना जो हमें चाहता है या हम जिसे चाहते हैं अपनी मर्ज़ी से दिखाएं। ज़िंदगी में अफसोस तो नहीं रहेगा… जेबा, ऐसा मौका फिर आए या ना आए। और मैं गारंटी के साथ कह रही हूँ की इमरान के जैसा लड़का तुम्हें दुनियां में नहीं मिलेगा।

फिर जीनत मुझसे बोली- “इमरान, जेबा शर्मा रही है तुम तो उसे किस करो…”
मैंने उसका एक हाथ गाल से हटाया और गाल में किस कर दिया। और पीछे से एक हाथ उसकी बगल में डाल रखा था, उसे अपने साथ चिपकाए रखने के लिए। अब वो हाथ उसकी एक चूची को छू रहा था। फिर मैंने उसके पेट पर भी एक हाथ लपेट दिया। अब वो मेरी बाहों में थी, मेरे बाजू उसकी चूचियों को दबा रहे थे। मैं उसके चेहरे पे रखे हाथ पर किस करने लगा।

और कहा- “जेबा तुम मेरे खयालों में छाई रहती हो। सोते जागते सिर्फ़ तुम ही दिखाई देती हो…” मैं पागलों की तरह उसके हाथों को चूम रहा था। फिर मैंने उसके एक हाथ को हटाया और उसके दूसरे गाल पर चुम्मा दे दिया। फिर मैंने उसके दोनों हाथ हटाए और उसके दोनों हाथों को चूम लिया।

बस क्या था… जेबा ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया, और मेरे होंठ चूमने लगी।

मैं उसकी पीठ सहला रहा था और वो मेरी पीठ। मैंने उसका स्कार्फ खोलना चाहा लेकिन उसने मना किया। फिर मैं उसके होंठ चूसते हुए उसकी चूचियों को दबाने लगा। वो मेरा साथ दे रही थी। मैं बारी-बारी से उसकी चूचियां दबाने लगा। मुझे लग रहा था उसकी चूचियां पिरी से भी बड़ी थीं। उसकी साँसें तेज होने लगी थी। मैंने उसकी कुरती की चैन जो उसकी पीठ पर थी खोलने चाहे तो उसने रोक दिया, और बेड पर सीधी लेट गयी। और मेरा हाथ अपनी नाभि के नीचे और बुर से जरा ऊपर रख दिया।

मैं इशारा समझ गया और झट से उसकी सलवार के अंदर हाथ डालकर उसकी बुर को सहलाने लगा और मुट्ठी में पकड़ने लगा। बुर में काफी गोस्त था। जो आसानी से मुट्ठी में पकड़ा जा रहा था। बुर गीली भी लग रही थी। फिर मैंने उसकी कुरती ऊपर किया, सलवार का नाड़ा खोल दिया और सलवार नीचे खींचने लगा। उसने खुद गाण्ड ऊपर उठाकर सलवार निकालने में मदद की।

उसने बुर को कुरती से ढांप लिया। मैंने उसके हाथ हटाकर कुरती को ऊपर किया, और उसकी बुर देखकर पिरी की बुर भी भूल गया। क्या जबरदस्त बुर थी… इस तरह फूली हुई थी की जैसे गाण्ड के नीचे तकिया लगा हो। मैं उसकी बुर पे चूमा और चाटने लगा।

तब तक पिरी और जीनत अपने कपड़े उतारकर पूरी तरह नंगी हो चुकी थीं। और मेरे बदन से अपने बदन को रगड़ रही थीं। मैंने जेबा की कुरती ऊपर उठाते हुए उसकी दोनों चूचियों को बाहर निकाला।

सिर्फ़ मैं ही नहीं पिरी और जीनत भी बोल पड़ी- “क्या चूचियां हैं यार… तू तो बड़ी छूपी रुस्तम निकली। तेरी तो हमारी से भी बड़ी हैं यार… कैसे उठाकर फिरती हो…” और दोनों ने उसके एक-एक हाथ में अपनी एक-एक चूची को पकड़ा दिया। फिर बोली- “देखो हमारी तुमसे छोटी है ना… फिर भी हमें भारी लगता है, दिल करता है किसी को कहूँ पकड़कर चले…”

मैं तब तक उसकी चूचियों को मसलना शुरू कर चुका था। अब वो आँख खोलकर कभी मुझे तो कभी उन दोनों को देख रही थी। मैंने जैसे ही मुँह उसके चूचुकों पर रखा उसने मेरे सर को पकड़ लिया, और जोर से अपनी चूचियों पर दबाने लगी। और इसस्स… सस्शह… की आवाज निकालने लगी।

फिर जीनत ने मेरे कपड़े उतारने शुरू किए, पिरी ने मेरी पैंट उतारा। और मेरे खड़े लण्ड को मुँह में डालकर चूसने लगी।

जीनत ने कहा- पिरी आज जेबा को सारा मजा लेने दो।

पिरी ने कहा- “मैं तो उसे सिखा रही थी…” फिर जेबा से कहा- “इसे चूसो…”

जेबा पहले हिचकिचाई। फिर अपना मुँह मेर लण्ड से लगा दिया और चूसने लगी। फिर क्या था पूरे लण्ड को चाटने लगी। अंडों तक को चाट डाला।

जीनत ने जेबा की स्कार्फ और कुरती उतार दिया। अब जेबा बिल्कुल नंगी थी। मैं उसके बदन को उन दोनों के बदन से तुलना करने लगा। जेबा हर हाल में उन दोनों से ज्यादा खूबसूरत थी।

लेकिन मुझे पिरी से पता नहीं कैसी लगाव थी की वोही मुझे सबसे अच्छी लगती थी। मैं साफ देख रहा था की पिरी को यह सब बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था। वो सिर्फ़ मुझे अपना मान चुकी थी।

फिर जेबा को लिटाया गया और मैं उसकी बुर को चाटने लगा। फिर वो घड़ी आई जब मुझे उसकी बुर में लण्ड घुसाना पड़ा। वो मेरे पेट पर हाथ देकर रोकती रही मैं दबाता गया और पूरा लण्ड उसकी बुर के अंदर था। उसे कोई तकलीफ नहीं हुई। या उसने बर्दस्त कर लिया।

सबको ताज्जुब हुआ की इतना लंबा लण्ड कुँवारी लड़की कैसे झेल गयी। जीनत ने पूछ ही लिया- “जेबा तुझे दर्द नहीं हुआ…”

उसने भोलेपन से कहा- नहीं तो…”

“नहीं…” जीनत ने कहा- “तू पहले भी कर चुकी है ना…”

जेबा ने कहा- “तुम्हारा दिमाग खराब है…” और उसकी बोली से लग रहा था वो सच बोल रही है।

मैं चोदने लगा धक्के पे धक्का और वो मस्ती से मुझसे लिपट रही थी। मैंने उसकी चूचियों को दबोच रखा था और चूचियों को पी रहा था। मैं चोदते-चोदते पशीने से तरबतर हो गया। क्या लड़की थी यार… पानी ही नहीं छोड़ रही थी। लगभग आधे घंटे के बाद मेरा पानी निकलने लगा। तो मैंने बुर से लण्ड बाहर निकाल लिया और पानी उसके बदन पर निकालने लगा।

जेबा को घिन आ रही थी लेकिन पिरी और जीनत ने मेरे पानी को उसके बदन से चाट-चाट कर साफ कर दिया। जब जीनत जेबा के बदन को चाट रही थी, पिरी ने मुझे लिटा दिया और मेरे लण्ड को चाटना शुरू कर दिया और अपने दुपट्टे से मेरे चेहरे को साफ करने लगी।

यह देखकर जीनत जेबा से बोली- जरा उधर देख इमरान का उसकी बीवी कितना खयाल रखती है।

पिरी झट से बोली- “शुक्रिया… तुमने मुझे इमरान की बीवी कहा। काश मैं इमरान की बीवी बन सकती। लेकिन जब तक दूसरे किसी की बीवी नहीं बनी हूँ इमरान को ही अपना पति मानती रहूंगी। अब जरा यह भी बताओ की तुम इमरान की क्या लगती हो…”

इस सवाल ने जीनत जैसी हाजिर जवाब को भी सोचने पर मजबूर कर दिया।

तब जेबा ने कहा- “वो भी बीवी ही हुई…”

पिरी ने कहा- वो कैसे…

जेबा ने कहा- इमरान चार शादी कर सकता है।

जीनत ने कहा- वाह जेबा… तू ने मेरा दिल खुश कर दिया। क्या जवाब दिया है, और उसे चूम लिया।

पिरी अब जैसे मेरे ऊपर अपनी चूचियां से मसाज दे रही थी। पैर से अपनी चूचियां को रगड़ती हुई छाती तक लाती, फिर छाती से रगड़ते हुए पैर तक। बीच में रुक कर चूचियों को मेरे लण्ड पर रगड़ देती। मेरा लण्ड जागने लगा।

पिरी ने कहा- इमरान तुम चुपचाप लेटे रहो। आज मैं तुम्हें सारा मजा खुद दूँगी…” फिर चूचियां को मेरे मुँह में डालने लगी। मैं उसे चूसने लगा। वो बारी-बारी से अपने दोनों चूचुकों चूसवाने लगी। फिर सरकती हुई लण्ड चूसने लगी। अब लण्ड पूरी तरह खड़ा था।

मैंने महसूस किया की जब पिरी को चोदना होता है तो लण्ड कुछ ज्यादा ही मस्ती में आ जाता है। मैंने पिरी को इशारे से कहा की अपनी चूत को मेरे मुँह के पास लाए, और जीभ दिखाकर बताया की मैं चूत को चाटना चाहता हूँ। उसने खुशी से मेरे मुँह पर चूत रख दी। मैंने इससे पहले किसी की चूत नहीं चाटा था। इससे यह साबित होता है की कुछ बातें सीखने की जरूरत ही नहीं होती, अपने आप आ जाती हैं।

पिरी- “आहहाहा… कितना मजा आ रहा है। मैं बता नहीं सकती। इमरान, तुमने मुझे अपना दीवाना बना दिया है। मैं ज़िंदगी भर तुम्हें नहीं भूलूंगी। दूसरे किसी से शादी कैसे करूँगी। आह्ह… तुम्हारी जीभ बुर में गुदगुदी कर रही है। आअहह… आअहह… सस्स्शह…”

यह सब वो सिर्फ़ जीनत को जलाने के लिए कह रही थी। बोली “ये जीनत, देख ना मेरा खसम क्या कर रहा है…”

जीनत जलकर बोली- मूत मत देना मुँह में।

पिरी बोली- “तुम जलती क्यों हो, तुम्हें भी मौका दूँगी। जरा शौहर बीवी का प्यार भी देखो…” फिर वो बोली- “इमरान और बर्दस्त नहीं होता मुझे लण्ड लेना है…”

मैंने पकड़ ढीली की तो वो उठकर मेरे लण्ड पे बैठ गयी। और फिर मुझ पर झुक गयी। और कमर हिलाने लगी। लण्ड बुर में अंदर-बाहर होने लगा। वो मुश्कुराते हुए जीभ बाहर निकालकर मेरे मुँह की तरफ दिखाने लगी। मैं समझ गया और मैंने भी जीभ बाहर निकाल दी और हम दोनों जीभ लड़ाई खेलने लगे। उधर मेरी कमर भी हिल रही थी, ताल-मेल बढ़िया थी। पिरी गाण्ड दबाती मैं कमर उठाता, जिससे एक ठप-ठप की आवाज निकलती। टक्कर जोर से जोरदार होने लगी।

पिरी बोली- “जीनत, जरा ठप-ठप की आवाज सुन, तू इतने में रो देती…” पिरी तू कुछ ज्यादा ही चहक रही है।
जीनत- “जरा गाण्ड में लेके दिखा। तेरे गाण्ड में कितना दम है मैं भी जरा देखूं…”

पिरी ताओ में आ गयी, बोली- “ठीक है। गाण्ड मिली है तो मरवाने से कैसा डर…” वो उठी और घोड़ी बन गयी।
मैं समझ गया। मैंने इस पोजिशन से अभी तक किसी को नहीं देखा था। मैं औरत की गाण्ड की खूबसूरती पहली बार देख रहा था। मुझे तो यह हिस्सा सामने वाले हिस्से से ज्यादा खूबसूरत दिख रहा था। मैं पिरी से बोलना भी चाहटा था की तुम्हारी गाण्ड तो बहुत खूबसूरत है। लेकिन दूसरी लड़कियों की वजह से चुप रह गया।

पिरी- “इमरान, मेरी गाण्ड हाजिर है, मारो मेरी जान…”

मैं सांड़ की तरह उसकी गाण्ड में अपना लण्ड घुसाने लगा। और ताज्जुब हुआ की लण्ड थोड़ा टाइट पर आराम से घुसता चला गया। यहाँ तक की पूरा लण्ड घुस गया

पिरी इससस्स… करने लगी।

जीनत ने कहा- क्यों पिरी नानी याद आई।

पिरी- “नहीं जीनत, यह तो मजे का एहसास है जो तुमने नहीं ली…”

फिर मैंने अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया जितना टाइट जा रहा था मुझे लग रहा था की पिरी को तकलीफ तो जरूर हो रही होगी। लेकिन वो जीनत को दिखाना नहीं चाहती थी।

जीनत ने कहा- “पिरी जल्दी छोड़ो, आज का दिन जेबा के लिए था। तुम सारी रात ले लोगी तो जेबा को क्या मिलेगा…”

पिरी ने पूछा- “तुम्हें नहीं लेना…”

जीनत ने कहा- “नहीं… मैंने अपना हिस्सा जेबा को दे दिया…”

पिरी को जैसे मुँह माँगी मुराद मिल गयी थी। उसने जल्दी-जल्दी गाण्ड पीछे धकेलना शुरू किया। मैं रुक गया और पिरी आगे पीछे होकर खुद ही गाण्ड मरवाने लगी।

जीनत ने कहा- “इमरान, तुम मारो ना रुक क्यों गये…” फिर मैं तेज-तेज धक्के मारने लगा। कुछ ही देर में मेरे लण्ड ने पिरी की गाण्ड में पानी छोड़ना शुरू कर दिया।

जीनत बोली- “अच्छा… इमरान थक गया होगा चलो एक खेल खेलते हैं…”

पिरी ने कहा- “इतनी रात को क्या खेल…”

जीनत बोली- “रात वाला ही खेल… इमरान हम तीनों को देखा भी है, छुआ और मसला, और चोदा भी है। हम उसकी आँखों में पट्टी बाँधेंगे। और वो हमारे अंगों को छूकर बताएगा की कौन है। मैं देखना चाहती हूँ की वो कितना पहचान पाता है…”

पिरी बोली- “वाह जीनत… तेरा जवाब नहीं, क्या-क्या आइडिया निकलता है तेरे दिमाग से यार…”

मेरेी आँखों में पट्टी, वो भी पिरी ने अपना दुपट्टा बांधा।

फिर जीनत बोली- “पहले हम इमरान के होंठ पर किस करेंगे। और इमरान बताएगा की किसने किस किया…”
मैंने कहा- ठीक है।

किसी ने आकर मुझे किस किया। मैंने उसके मुँह में जबान डालना चाहा तो उसने नहीं लिया। मैं समझ गया की यह जेबा है।

वो अलग हुई मैंने कहा- जेबा थी।

सबने कहा- बिल्कुल सही।

फिर किसी ने किस किया। किस का तरीका जंगली था।

वो अलग हुई तो मैंने कहा- जीनत।

बिल्कुल ठीक।

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Re: पिकनिक का प्रोग्राम

Unread post by The Romantic » 11 Dec 2014 13:44

फिर किसीने किस किया। मैंने कहा- “जेबा…” फिर सही था।

फिर किसी ने किस किया। अब इसकी खुशबू और प्यारे अंदाज से मैंने कह दिया- “यह पिरी है…”

जीनत ने कहा- “तुम बिल्कुल सही बोले… अब तुम हमारे दूध यानी छाती को अपने हाथों से मसलोगे और बोलोगे किसका है। कंधा या चेहरे को नहीं छुओगे…”

किसी ने मेरे हाथ को अपनी छाती पर रखा। मैं सहलाने लगा और कह दिया- “पिरी है…” सही…

फिर कोई आया और मेरे हाथों को छाती पर रखा। मैंने कहा- “पिरी है…”

इस बार मैं गलत था, वो जीनत थी।

जीनत ने कहा- कितनी बार और मसलने से जानोगे।

फिर कोई आई। मैंने छातियों को मसलकर कहा- “पिरी है…” इस बार मैं सही था।

फिर कोई आई। मैंने इस बार कहा- “जीनत…” इस बार मैं सही था।

फिर कोई आई। मैंने कहा- “जेबा…” इस बार भी मैं सही था।

जीनत बोली- अब तुम सिर्फ़ हमारे चूचुकों को चूसोगे और कहोगे की किसका है हाथ नहीं लगाओगे… ठीक है…”
मैंने कहा- “हाँ ठीक है…”

फिर किसी ने मेरे होंठ पर अपने चूचुकों को रगड़ा तो मैंने उसे होंठ से पकड़ लिया। अब मेरे लिए मुश्किल था मैं चूसता रहा फिर बोला- “दूसरा दो…” उसने दूसरा दिया तो मैंने कहा- “जेबा…”

लेकिन वो जीनत थी। गलत…

फिर किसी ने चूचुकों को दिया। मैंने कहा- “जीनत…” अब भी गलत, वो जेबा थी।

फिर किसी ने दिया। उसके बदन की खुशबू मुझे बहुत पसंद थी। मैंने कहा- “पिरी…” जो सही था।

अब जीनत ने कहा- अब हम तुम्हारे हथियार को अपने मुट्ठी में लेंगे और तुम बताओगे किसका हाथ है।

फिर मेरे लण्ड को कोई मुट्ठी में लेकर सहलाने लगा। ऊपर से सहलाते हुए अंडों तक आती और वहाँ दबा देती। जब दो बार ऐसा ही हुआ तो मैं समझ गया यह पिरी है। मैंने कहा- “पिरी…”

फिर कोई आई और सहलाने लगी तो उसके कांपते हाथ से मैं समझ गया की वो जेबा है। मैंने कहा- “जेबा…” सही निकला।

फिर किसी ने सहलाया और उसके बेतकल्लुफ अंदाज से मैं समझ गया की वो जीनत है। और वो भी सही था।

अब वो बोली- “इमरान तुम चित होकर लेट जाओ, हम तुम्हारा डंडा चूसेंगे और तुम बताओगे कौन है…”

पहले किसी ने चूसना शुरू किया। चूसने के अंदाज में अनाड़ीपन था मैंने फौरन कहा- “जेबा…”

फिर किसी ने चूसा उसके अंदाज में जाना पहचाना प्यरापन था। मैंने कह दिया- “पिरी…”

फिर जेबा को भेजा गया। मैंने कहा- “जीनत…” जो गलत था।

फिर कोई आया। मैंने कहा- “पिरी…” वो जीनत थी।

जीनत बोली- “अब तुम हमारी चूत चाटोगे और बताओगे की कौन है…”

एक ने चूत मुँह में रखा तो मैंने तुक्का मारा- “जेबा…” जो सही लग गया।

फिर किसी ने चूत दिया तो मैंने बड़ी आसानी से कह दिया- “पिरी है…”

फिर मैंने कहा- “जीनत…” लेकिन वो जेबा थी।

फिर जीनत आई। मैंने ठीक बता दिया।

जीनत ने कहा- “अब तुम्हारा लण्ड भी तैयार है और हमारी बुर भी। अब हम तुम्हारे लण्ड की सवारी करेंगे, और तुम बताओगे की किसने अपनी बुर में लण्ड लिया है…”

फिर कोई आई लण्ड की सवारी करने लगी और अंडों के पास जाकर बुर को कस लिया। फिर ऊपर किया और टट्टों के पास जाकर कस लिया। मैं इशारा समझ गया। मैंने कह दिया- “पिरी है…”

फिर कोई आई लण्ड की सवारी करने लगी। मैंने कहा- “जेबा…” जो ठीक निकला।

फिर कोई आई और लण्ड पर सवार होते ही दे दनादन… मैंने कहा- “जीनत…”

जीनत बोली- “मेरी चूत को ठीक पहचानते हो…”

जेबा ने कहा- “आज अगर सोनम और कोमल भी होती तो कितना मजा आता…”

जीनत बोली- “मैं तैयार हूँ… तू पिरी से पूछ, अगर वो चाहेगी तो फिर कल भी यह खेल खेला जा सकता है। कल भी मेरे अम्मी पापा नहीं रहेंगे…”
पिरी बोली- मुझे भी आज का यह खेल बड़ा अच्छा लगा। लेकिन रोज इमरान को अकेले चार पाँच लड़कियों को चोदना, क्या उसे तकलीफ नहीं होगी…”

जीनत- “तो ठीक है किसी और लड़के को बुला लेंगे। लड़कों की कमी है क्या…”

पिरी बोली- “खबरदार… जो किसी दूसरे लड़के को बताया भी। मैं तेरा खून कर दूँगी। सब लड़के इमरान के जैसे नहीं होते। जरा सा अगर कंधे से धक्का लगेगा तो बढ़ा चढ़ाकर दोस्तों को बताते फिरते हैं की मैंने धक्का मारा। मुझे किसी पर बिल्कुल भरोसा नहीं। कितनी बदनामी होगी जानती भी है…”

जीनत बैठकर चूत में लण्ड अंदर-बाहर करती रही।

तो पिरी ने कहा- “चोदती ही रहेगी क्या…”

जीनत ने कहा- तुम दोनों ने तो चुदवा लिया दिल भरके अब मेरी बारी है।

पिरी बोली- तू तो कहती थी की अपना हिस्सा जेबा को देगी।

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Re: पिकनिक का प्रोग्राम

Unread post by The Romantic » 11 Dec 2014 13:45



जीनत हँसते हुए बोली- “कहने और करने में फर्क़ होता है…” फिर जीनत ने मेरे गले में बाहें डालकर मुझे ऊपर उठाया। मैं बैठ गया। वो मेरी गोद में बैठी थी, मेरा लण्ड उसकी बुर में घुसा हुआ था। यह एक नया अंदाज था। मैंने उसे पीठ से बाहें डालकर पकड़ लिया था। मेरा मुँह उसके एक चूचुक पर था, और मैं उसे चूस रहा था। वो मेरे सर को सहला रही थी।

पिरी बोली- “जेबा जरा देख कैसे माँ अपने बच्चे को दूध पिला रही है…”

जीनत बोली- “हाँ बेटा, तू दूध पी, इधर का भी पी…”

मुझे भी मजाक सूझी- “मुम्मी तुम उछल क्यों रही हो…”

जीनत बोली- क्या करूँ बेटा, तुम्हारे पापा नीचे से मेरे पेशाब-खाने में डंडा घुसा रहे है ना।

मैं बोला- मुम्मी, पापा बड़े गंदे हैं ना।

जीनत- नहीं बेटा, पापा को गंदा नहीं कहते। पापा ने डंडा-घुसा घुसाके रास्ता बड़ा किया, तभी तो तुम उधर से निकले ना।

मैं बोला- “अच्छा मुम्मी, मैं उधर से निकला हूँ…”

जीनत- हाँ बेटा, और जो तू अमृत पी रहा है ना। यह भी तेरे पापा की मेहनतों का नतीजा है। मैं 18 साल तक लटकाए घूमती रही, एक बूँद भी नहीं निकला। और तेरे पापा ने चूस-चूसकर 9 महीने में इस पत्थर से अमृत की धारा बहा दी। तू पी जी भरके।

पिरी बोली- वाह जीनत, तेरी हाजिर जवाबी का जवाब नहीं। कितनी गहरी बातें कितने गंदे अंदाज से समझा दी। मुझे चोद ना… जरा मुझे भी आक्टिंग करनी है।

मैं समझ गया की एक नया खेल शुरू हो गया है।

जीनत ने दो मिनट माँगा और पानी छोड़कर उतर गयी।

फिर मेरी गोद में पिरी बैठी। लण्ड को बुर में डालकर ऊपर-नीचे होने लगी। मुझे तो उसे गोद में बिठाते ही दिल खुशी से झूम उठा। उसके बड़े-बड़े दूध मेरे मुँह से रगड़ रहे थे। मैंने चूचुकों को चूसना चाहा। तो उसने कहा- “पहले मेरी होंठ को चूसो।

जीनत ने कहा- “तू दूसरी बीवी का रोल कर…”

पिरी बोली- “क्यों… पहली क्यों नहीं…”

जीनत बोली- “पहली में मजा नहीं आएगा। लोग दूसरी पर ज्यादा मरते हैं…”

पिरी बोली- “ठीक है…”

जीनत मन ही मन खुश हुई।

लेकिन पिरी के दिल में कुछ और ही था। वो बोली- “जानू मेरे होंठ कैसे है…”

मैंने कहा- “बहुत मीठे, रसीले…”

पिरी- मैं किस कैसा करती हूँ।

मैंने कहा- गरम बहुत खूब।

पिरी ने पूछा- जानू मैं लण्ड कैसा चूसती हूँ।

मैंने कहा- लाजवाब।

पिरी- “मेरे दूध कैसे दिखते हैं…”

मैंने कहा- गुंबद की तरह बहुत ही खूबसूरत।

पिरी- “तुम इन्हें दबाते हो तो तुम्हें कैसा लगता है…”

मैंने कहा- “बता नहीं सकता कितना मजा आता है।

पिरी- “मैंने तुम्हें जोर-जोर से दबाने से कभी रोका, कहीं लगता है या कुछ कहा…”

मैंने कहा- “नहीं तो…”

पिरी- “तुम इन्हें चूसो फिर बताओ चूसने में कैसे लगते हैं…”

मैंने चूसना शुरू किया वो सिसकारी भरने लगी।

पिरी बोली- “कुछ ज्यादा ही मस्ती में चुटकी में लेकर मसलो, दाँत लगाकर काटो, मैं कुछ नहीं कहूँगी…” उधर लण्ड बुर में अंदर-बाहर होता ही रहा। फिर कहा- “तुमने मुझे कितनी बार चोदा, तुम्हें कैसा लगा…”

मैंने कहा- “बहुत बहुत अच्छा… जितना सोचा था उससे भी अच्छा…”

पिरी बोली- “फिर तुमने आज मेरी गाण्ड भी मारी कैसा लगा…”

मैंने कहा- “बे-इंतेहा मजा आया। मेरे पास अल्फ़ाज नहीं हैं…”

पिरी- “तो फिर उस चुड़ैल के पास क्यों जाते हो, मुँह काला करने…”

अब जीनत की हालत देखने जैसी थी।
मैंने कहा- “तुम जानती हो वो चुड़ैल है। अगर मैं उसके पास ना जाऊँ तो वो हमें बदनाम कर देगी। मैं फँस गया हूँ। बचने का कोई रास्ता नहीं मिल रहा…”

मेरी बात पिरी समझ रही थी। उसने कहा- “तुम फिक्र ना करो मैं तुम्हें चुड़ैल से बचा लूँगी…” फिर उसने भी पानी छोड़ दिया और उतर गयी।

फिर जेबा बैठी, लण्ड उसकी बुर में घुसा। वो पूछी- “जीनत मैं क्या रोल करूँ…”
जीनत ने कहा- तू बहन का रोल कर।
जेबा ने कहा- सुरुआत कैसे…
जीनत- “तुम दोनों को एक साथ स्कूल जाना है। इमरान तुम बोलो जेबा जल्दी आ। स्कूल बस चली जाएगी…”
मैंने कह दिया।
जीनत- जेबा तू बोल कि भैया मेरी शर्ट का बटन नहीं लग रहा।
मैंने कहा- आ इधर आ देखूं
जेबा- यह देखो भैया, इस तरह मैं स्कूल कैसे जा सकती हूँ।
मैंने कहा- ला मैं लगा देता हूँ। अरे यह तो नहीं लग रहा दूसरी पहन ले।
जेबा- सब धो दिए थे गीली हैं।
मैंने कहा- जेबा तू अपने दूध को दबा मैं कोशिश करता हूँ।
जेबा- भैया मेरी दूध को दबाओ मैं कोशिश करती हूँ।
मैंने कहा- ठीक है।
जेबा- “भैया जोर से दबाओ ना डरते हो क्या…”
मैंने कहा- जोर से दबाऊँ तुझे लगेगा नहीं। मैं उसकी दूध को दबाने लगा।
जेबा बोली- बटन लग गया।
मैंने कहा- तो मैं छोड़ दूँ।
जेबा- भैया दबाओ ना अच्छा लगता है।
मैंने कहा- “तू लड़कों से दबवाती है क्या… मैंने सुना है लड़कों के हाथ लगने से दूध जल्दी बड़े होते हैं…”
जेबा- छीः भैया, तुमने पहली बार छुआ है।
मैंने कहा- अब पता चला की लड़कों के दबाने से कितना अच्छा लगता है।
जेबा- भैया देखो बटन टूट गया। अब मैं स्कूल नहीं जा पाऊँगी।
मैंने कहा- मेरा भी दिल नहीं करता स्कूल जाने का।
जेबा बोली- “तो क्या करने का दिल करता है…”
मैंने कहा- “तेरा दूध दबने का…” और मैंने उसके दूध दबाने शुरू कर दिए। फिर कहा- “शर्ट निकाल ना…”
जेबा- तुम निकाल दो।
मैंने बटन खोले और शर्ट निकाल दिए, और कहा- “बाप रे बाप… जेबा तेरा इतना बड़ा हो गया… मैंने गौर ही नहीं किया। घर में तरबूज का पेड़, और मैं दूसरों के खेत में ताँक-झाँक करता रहा…” और मैं दूध दबाते-दबाते उसके चूचुकों को पीसने लगा।
जेबा सिसकारी भरने लगी- “भैया जल रही है चूसो…”
मैंने झट से चूचुकों में मुँह लगा दिया और बारी-बारी से दोनों चूचियों को चूसने लगा। वो मेरे पैंट के ऊपर से मेरे लण्ड को सहलाने लगी।
जेबा- भैया तुम्हारा केला भी तो बहुत बड़ा हो गया है।
मैंने कहा- “खाएगी क्या…”
जेबा- हाँ खाऊँगी। जानते हो भैया मेरी सभी सहेलियां अपने-अपने भाइयों का केला खा चुकी हैं।
मैंने कहा- मम्मी आ जाएंगी तो।
जेबा- भैया भूल जाओ मुम्मी को, मुम्मी खालू से चुदवाये बिना नहीं आती।
मैं- छीः मुम्मी के बारे में ऐसा बोलती है तुझे शरम नहीं आती।
जेबा- भैया तुम मुम्मी के बारे में नहीं जानते वो खालू, फूफा और दोनों चाचा से और कई बार मेरे ट्यूशन मास्टर से भी चुदवा चुकी हैं।
मैं- “क्या बकती है…”
जेबा- बकती नहीं मैंने देखा है। जब मैं 6 साल की थी, मुझे लेकर एक दिन खाला के घर गयी थी। रात में हम सोए थे पलंग अजीब तरह से हिलने लगा, तो मेरी आँख खुल गयी। मैंने पहले सोए-सोए देखा तो खालू मुम्मी के ऊपर चढ़े हुए थे और मुम्मी का दूध चूस रहे थे, कमर ऊपर-नीचे कर रहे थे। मैं उठकर बैठ गयी और खालू को धकेलने लगी।

तो मुम्मी बोली- जेबा तुम सो जाओ।
मैंने कहा- मुम्मी, खालू तुम पर क्यों चढ़े हैं।
मुम्मी बोली- चढ़े नहीं हैं, मेरा बदन दर्द कर रहा था ना। इसलिए दबा रहे है।
जेबा- “दूध क्यों पी रहे हैं…”
मुम्मी- देख मेरे दुधू कितने बड़े-बड़े हैं। जब मैं चलती हूँ, काम करती हूँ तो हिल-हिल कर दर्द कर जाते हैं। इसलिए उसे दबाकर चूसने से दर्द भी चूस लेते हैं।
खालू बोले- जब तेरा दुधू बड़ा हो जायेगा तो तेरा दूल्हा भी इसी तरह दुधू दबाकर चूसेगा। तुझे बड़ा मजा आएगा। और जानती हो खाला को सब पता है।
मैंने कहा- मुझे पेशाब जाना है।
तो खाला दूसरे पलंग से उठकर आ गयी, बोली- “चल मैं ले जाती हूँ…” पेशाब करके आने के बाद उन्होंने मुझे अपने पास सुला लिया, और खालू के ऊपर चादर डाल लिया।
मैं- फिर फूफा से किस तरह चोदाया मुम्मी ने। वो तो दाढ़ी वाले पक्के मुसलमान हैं।
जेबा- तो क्या हुआ… मुम्मी के हुश्न के सामने वो भी बोल्ड हो गये। हाँ उन्हें मनाने के लिए मुम्मी को काफी मेहनत करनी पड़ी। एक बार फूफा दिन के दस बजे घर आए। मुम्मी देखते ही चहक उठी। उन्हें अंदर लाकर बिठाया।
फूफा बोले- “बेबी ने कुछ दिया है, आप लोगों के लिए। मैं एक काम के सिलसिले में आया था। काम हो गया बस दूसरी बस पकड़कर निकलूंगा…”
मुम्मी बोली- ऐसे कैसे निकल जाएंगे। इतनी गर्मी में बेबी क्या बोलेगी की हमने रोका नहीं… आप नहा लीजिए फिर आराम करिए खाना खाकर फिर चले जाइएगा।
फूफा नहीं नहीं कहते रहे।
पर मुम्मी तौलिया लेकर उनके पास खड़ी हो गयी- “आप कपड़े बदलिए, मुझे कुछ नहीं सुनना। आप खाना खाए बगैर नहीं जा सकते…”
फूफा मजबूरन कपड़े बदलकर तौलिया लपेट लिए। तौलिया भी बहुत छोटा था। जिससे उनके घुटनों के ऊपर तक ही छुपता था।
फिर मुम्मी एक क्रीम लेकर आईं और बोली- “आप स्टूल पर बैठिए। मैं क्रीम लगा देती हूँ। जब आप नहाकर आइएगा तो देखिएगा कितना आराम मिलता है। और क्रीम हथेलियों में मलकर फूफा को लगाने बढ़ीं।
तो फूफा बोले- मुझे दीजिए ना, मैं लगा लूँगा।
मुम्मी बोली- “आपका हाथ सारे बदन में नहीं पहुँचेगा। हम औरतों का काम है सेवा करना, करने दीजिए ना…” फिर मुम्मी ने उनकी पीठ पर क्रीम लगाई। उनके कंधों को मसाज करने लगीं और कमर तक आ गईं, और कहा भाई साहब कितने ऊपर से तौलिया बाँधे हो जरा ढीला तो करो।
फूफा को मजबूरन ढीला करना पड़ा। मुम्मी उनकी कमर और फिर उससे नीचे तक क्रीम लगाने लगीं। जिससे फूफा अब गरम होने लगे थे, फिर खड़ी होकर उनकी एक बाजू को अपने कंधे पर रखकर बाजू पर क्रीम लगाई। जब बाजू नीचे उतारा तो फूफा का हाथ उनकी चूचियां को छू गया। फिर दूसरा बाजू उठाया तो चूचियों को रगड़कर उठाया। फिर उसे भी क्रीम लगाकर चूचियां से रगड़कर उतारा।

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