अनिल ने अपनी उंगलिया निकाल लीं और मनोरमा के मुंह में से दीं. मनोरमा एक गरम कुतिया की भांति अनिल की उँगलियों से अपनी का चूत का रस चाट चाट कर चख रही थी. तीनों अभी भी खड़े थे. अनिल ने अपना लंड मनोरमा की चूत में डाल दिया. राजेश मनोरमा की पीठ से चिपका हुआ था और अनिल के धक्के उसे अपने ऊपर महसूस हो रहे थे. मनोरमा की चूत अनिल का लंड चप्प चप्प की आवाज कर के ले रही थी. अनिल का लंड पतला और लम्बा था. शायद राजेश को चप्प चप्प कि आवाज सुन कर लगा कि भाभी की चूत में दुसरे लंड की जगह है. सो उसने मनोरम की दोनों टांगों के बीच से ले जा कर अपने लंड का मुंह अपनी भाभी की चूत के मुंह पर टिकाया. अगले धक्के में जब अनिल ने अपना लंड थोडा बाहर लिए तो राजेश ने अपना सुपाडा अन्दर किये. इसके पहले की मनोरमा कुछ समझ पाती, दोनों के लंड उसकी चूत में थे.
मनोरमा को अपनी चूत में बड़ी जोर का दर्द हुआ. उसने अपनी चूत को इन दोनों जवान लंडों से हटाने की कोशिश की. पर दोनों ने उसे जोर से पकड़ा हुआ था. और उसके पास हटने या बच कर के निकलने की कोई जगह नहीं थी.
"अरे कमीनों छोडो मुझे....एक एक के कर के करो....मेरी चूत फट गए....मैं मर गयी ......"
मनोरमा ने गुहार लगाई. पर दोनों भाई गज़ब के चोदू थे. मनोरमा को ऐसा लगा रहा था मानूं एक हज्जार चींटियां उसकी चूत में घुस गए हैं और सब एक साथ मिल कर उसे वहां काट रही हैं. कहते हैं चूत के अन्दर गज़ब की क्षमता होती है. दो तीन मिनट में मनोरमा का दर्द काफूर हो गया और उसे मज़ा आने लगा.
मनोरमा बोली , "चोदो हरामियों...मुझे जोर से चोदो.....दो दो लंड से मेरी फाड़ डालो ......आ ....आ......बड़ा मज़ा आ रहा है"
तीनों के बदन पसीने से सने गए और तीनों के बदन से चाप चाप की आवाज आ रही थी. तबेले में खड़े गाय बैल उन्हें देख कर मानों यही मुश्किल में थे उन सबमें सबसे बड़े जानवर हैं कौन.
"भाभी, हम लोग तुमको हर बार नहीं चीजें सिखायेंगे...दो लंड इकठ्ठे किसी चूत को बड़ी किस्मत से मिलते हैं मेरी जान", राजेश चहकते हुए बोला.
मनोरमा ने अपनी खड़े खड़े अपनी टांगो को फैला लिए ताकि दोनों लंडों को ठीक से चोदने की जगह मिले. राजेश और अनिल के लौंड़े मनोरमा की चूत में आपस में रगड़ रहे थें मानो एक दुसरे से कम्पटीशन कुश्ती का हो की कौन कितनी चूत मारेगा भाभी की.
मनोरमा ने अपनी बायीं तरफ की चूंची अनिल के मुन्ह में दे दी. दायीं वाली राजेश पीछे से दबा रहा था. राजेश अपना लंड भाभी के मोटे चूतड़ों के बीच से भाभी की चूत में आते जाते देख रहा था. उसे बड़ी ख़ुशी थी की मनोरमा जैसी कामुक लडकी उनके घर आई. अब चुदाई के लिए बाहर जा कर लडकियां पटाने का कितना सारा समय बाख जाता था. ऊपर से घर का माल घर में की खर्च हो रहा था.
"दो दो लौंड़े खाने वाली भाभी .... दो लौंड़े खा ले ...
अपनी चूत का भक्काडा, बनवा ले बनवा ले......"
अनिल छोड़ भी रहा था और गा ही रहा था.
मनोरमा को चुद्वाते हुए गंदी बातें सुनना बड़ा पसंद है. अनिल और राजेश की चुदाई और उनकी गंदे बातों और गानों से उसकी चूत का रस मानों अब निकला तब निकला.
इसी बीच खेतों के राउंड पर गए शमशेर ठाकुर को याद आया कि आजा सुबह उनकी बहन कमला का फ़ोन आने वाला है. जब जेबें टटोली तो पता लगा कि फ़ोन घर में ही चूत गया है .इस बात से बिलकुल अनजान कि घर में क्या चल रहा है, वो समय से पहले ही घर की तरफ लौट चले. जैसे जैसे उसके कदम उन्हें घर के पास लाते गए, एक जानी पहचानी आवाज उन्हें सुनाई पड़ने लगी. उनको लगा की उनकी गई हाजिरी में उनकी बहु मनोरमा कुछ गुल खिला रही है. इस बात संशय कि कहीं कोई नौकर तो उसे नहीं छोड़ रहा है, उन्हें गुस्सा दिला रहा था. वो घर में घुसे और मनोरमा के कमरे के दरवाजे तक गए. बाहर से कमरे को देखा फिर अन्दर गए, पर वहां कोई था नहीं सो मिला नहीं. वो आवाज का पीछा करते हुए हवेली के दुसरे हिस्से में जाने लगे. जैसे ही वो मुख्य दरवाजे के पास से निकले उन्हें पता चल गया वो आवाज कहाँ से आ रही है. वो सीधे तबेले में पहुँच गए.
वहां का दृश्य देखा तो उनका दिल ही हिल गया. उसके दोनों बेटे उसकी बहु को एक साथ चोद रहे थे. मनोरमा ने आनंद में अपनी आँखें बंद कर रखीं थीं. और दोनों पूरी रफ़्तार से उसे छोड़ रहे थे. शमशेर का मन तो किया की जूते उतार के राजेश और अनिल को मारें. पर वास्तविकता तो ये थी की उन्हें पता था जवान बेटों से अब दोस्तों जैसा बर्ताव करना ही ठीक है. वो दरवाजे के पीछे छिप गए.
अब तक मनोरमा दो बार झड चुकी थी. वो दोनों देवरों से गुहार लगा रही की वो अपना रस जल्दी से निकालें. दोनों ने अपने लौड़े निकले और मनोरम को जमीन पर बिठाया वो उसके चेहरे के दोनों साइड में आ ये और अपना लौंडा हिलाने लगे. मनोरमा ने अपने एक एक हाथ में एक एक लंड लिया और उन्हें हिलाने लगी. पहले राजेश झडा और मनोरमा ने उसकी एक एक बूँद अपने मुंह में ले ली. अनिल ने इसी बीच अपना फव्वारा मनोरका के चेहरे और मम्मों पर छोड़ दिया.
शमशेर का लंड बुरी तरह खड़ा हो रहा था. वो वहां से बिना कोई आवाज के निकल गए.
राजेश और अनिल अपने कपडे पहन रहे थे. मनोरमा दोनों देवरों के वीर्य और पसीनें से सनी हुई तबेले की चारपाई पर अभी भी पडी हुई थी. उसकी साँसे भरी थीं. उसे आनंद का नया अहसास मिला था. दो मर्दों ने उसे आज एक रंडी की तरह इस्तेमाल किया था और उसे बहुत ही मज़ा आया.
उधर शमशेर के मन में अभी अभी जो देखा उसके जैसे फिल्म लगातार चल रही थी. वो बैठ कर अपनी बहन कमला के फ़ोन का इंतज़ार कर रहे थे. शमशेर और कमला अपने जवानी के दिनों से एक दुसरे के काफी करीब थे. कमला ने अपनी सील अपने भाई शमशेर से ही खुलवाई थी. शादी के बाद भी जब शमशेर शहर जाते थे, कमला के यहाँ की रुकते थे और मौका देख जीजा जी की नज़रें बचा कर चुदाई करते थे. जबसे मनोरमा घर आई थी, शमशेर को कमला के यहाँ जाने की तलब बिलकुल नहीं हुई.
मनोरमा तबेले की चारपाई से उठी और अपने कपडे पहन कर घर आ कर सीधा बाथरूम चली गयी. बाथरूम में जा कर उसे ये याद आया की ससुर जी के जूते बाहर रखे थे , इसका मतलब वो जिस समय राजेश और अनिल के साथ थी ससुर जी वापस आ चुके थे. कहीं ससुर जी उसे उस अवस्था में राजेश और अनिल के साथ देख तो नहीं लिया ये सोच कर उसका दिल एकदम से धक् से रह गया.
आने वाले दिनों में हवेली में बहुत कुछ होने नया होने वाला था. मनोरमा के सामने कुछ अजान सी स्थिति थी. शमशेर के मन में अशांति थी.
इस सब बातों से अनजान मनोरमा का पति रवि अपनी नाईट ड्यूटी पूरी कर के घर आया और उसने आवाज दी,
"मनोरमा जरा मेरा नाश्ता लगवा दे. आज मैं बहुत थक गया हूँ"
मनोरमा ने एक कामुक सी अंगड़ाई लेते हुए एक मादक सी मुस्कान के साथ कहा, "मैं भी".
शमशेर सिंह ने जेब से सिगरेट का पैकेट निकाला, एक सिगरेट निकला कर होठों के बीच लगाया और जैसे जला कर पहला काश खींचा उनका फ़ोन बजा. लाइन पर दूसरी तरफ कमला थीं. वो कमला का हेल्लो भैया सुनते ही समझ गए की कुछ समस्या है.
"भैया तुम्हारे जीजा को किसी ने किसी के कतल में फंसा दिया है, पुलिस इन्हें ढूंढ रही है. तो ये तो अभी अंडरग्राउंड हैं. पर पुलिस बार बार घर में आती है और पूछताछ करती है. वो इंस्पेक्टर कुरील मुझे बड़ी गंदी नज़रों से देखता है, तुम कुछ करो प्लीज", कमला उधर से लगभग रोते हुए बोली.
"अरे परेशान मत हो कमला. मैं विधायक जी से बात करूंगा. तुम एक काम करो, कुछ दिन के लिए यहाँ आ के रहो. तुम्हारा मन भी बदल जाएगा. और हम लोग तब तक जीजाजी का कुछ कर लेंगे " शमशेर ने सुझाव दिया.
"ठीक है भाई, मैं कल सुबह की बस से पहुचती हूँ. तुम बस स्टैंड पर किसी को भेज देना"
"ठीक है बहना"
शमशेर ने फ़ोन डिसकनेक्ट कर दिया. और सिगरेट का काश लगाया. धुओं के उन्हें उनकी बहू मनोरमा का गदराया सा बदन नज़र आ रहा था. वो चोदने के लिए बड़े लालायित थे. पर बहु अभी अपने पति रवि को नाश्ता करा रही थी. आज उन्हें पंचायत के लिए सरपंच के घर भी जाना था. कुल मिला कर शमशेर को लगा की आज का दिन इसी तरह काटना पड़ेगा और चूत का स्वाद उन्हें रात में ही प्राप्त हो सकेगा,
उधर अपने कमरे में मनोरमा रवि को नाश्ता करा कर उसका लंड चूस रही थी. उसकी चूत चुदे हुए कुछ घंटे ही हुए थे पर वो फिर से चुदवाने के लिए तैयार थी, पर रवि इतना थका था की अपना लंड मनोरमा के मुंह में झाड़ कर खर्राटे मार मार के सो गया. मनोरमा ने उसे थोडा हिलाया पर वो तो जैसे बेहोशी की नींद में सो रहा था.
उस रात जब शमशेर मनोरमा के कमरे में गया तो उसने अपना लौंडा सीधा एक झटके में चूत में डाल दिया. और इतनी जोर जोर से चोदने लगा की जैसे किसी पुश्तैनी दुश्मनी का बदला ले रहा हो. होठों पर चुम्मे के बजाय जैसे काट लिया, और बहु के गले के नीचे काल निशान ही बना दिया. छोड़ने की रफ़्तार फुल स्पीड. मनोरमा उस दिन तीन बार झडी, तब जा कर शमशेर झड़ने के कगार पर आये. शमशेर अपना लौंडा निकाल कर मनोरमा के मुंह में घुसेड दिया और अपना सडका मारने लगे. बहु समझ गयी की ससुर आज कुछ ज्यादा ही गर्म है और आज उसके लौंड़े का रस अपने मुंह में ले कर पीना पड़ेगा. सो जैसे ही शमशेर के लंड का फव्वारा छूटा, मनोरमा ने उसे पूरा का पूरा अपने गले के नीचे उतार लिया.
शमशेर उठे और कमरे के बाहर निकल गए. मनोरमा अभी भी अपने बिस्तर पर नंगी पड़ी हुई थी. जिस तरह से ससुर जी ने उसकी चुदाई की थी, उसे रंच मात्र का संदेह नहीं रह गया था की ससुर जी ने आज उसे अपने दोनों देवरों के साथ रंगरेलियां मनाते हुए देखा था. उसके दिल का एक हिस्सा कहा रहा था की ये ठीक नहीं हुआ. पर दूसरा हिस्सा कह रहा था की चलो ये ठीक ही हुआ. अब सबको सब पता है. इन्हीं बातों का विचार करते करते उसे कम नींद आ गयी पता ही नहीं चला.
फुर्सत्गंज़ में जब अगले दिन का सूरज निकला तो एक नयी और खूबसूरत सुबह ले कर निकला. ठीक 9 बजे बस स्टैंड के पास शमशेर गाडी ले कर अपनी बहन कमला देवी को बस से रिसीव करने पहुँच गया. वो कमला के साथ की गयी चुदाईयां याद कर रहा था और मन ही मन मुस्करा रहा था. बस कब रुकी कमला कब निकली और और उसकी गाडी के पास आ कर खादी हो गयी पता ही चला. शीशे पर किसी के खटखटाने से शमशेर अपनी यादों की दुनिया से बाहर आया. उसने देखा कमला अपना सूटकेस ले कर बाहर खड़ी थी. वो गाडी से बाहर आया और कमला का सूटकेस लिया और गाडी के ट्रंक में रखा. कमला को गाडी में बिठा कर वो ड्राईवर की सीट पर आ कर बैठ गया.
शमशेर ने गाडी स्टार्ट की और बस स्टैंड से आगे निकल आया. बस स्टैंड से हवेली का रास्ता कुछ चालीस मिनट का था. रास्ता बड़ा की सुन्दर था. सड़क के दोनों तरफ हरे खेत थे. और दूर दूर तक प्रकृति ही प्रकृति थी.
"कमला, इतने दिनों बाद तुम्हें देख कर अच्छा लग रहा है" , शमशेर ने कहा.
"भाई, तुम बड़ा खिल गए हो. लग रहा है बहू बड़ा अच्छे से ख़याल रख रही है तुम्हारा", कमला ने बोला.
"हाँ बहना, तुम्हारे जाने के बाद हवेली में जिस चीज की कमी थी, मनोरमा बहु ने उसे पूरा कर दिया है" , शमशेर चहक कर बोला.
"अब समझ आया की तुम पिछली बार जब शहर आये थे, तो मेरे घर क्यों नहीं आये थे. जब जवान चूत उपलब्ध हो तो अधेडा किसको चाहिए", कमला ने शिकायते की.
"अरे नहीं बहना, वो अपनी जगह है और तुम अपनी जगह हो" शमशेर ने शर्म खाते हुए कहा.
"सच कहो तो तुम्हारी जगह जब मेरी बीवी ने नहीं ली, तो ये बहु मनोरमा क्या ले पाएगी", शमशेर ने कहा.
"क्या तुम सही में ऐसा मानते हो", कमला ने पूछा.
शमशेर ने उत्तर दिया, "तुम्हें अगर जरा भी शक है तो इन्हें देख लो"
शमशेर ने अपने लंड की तरफ इशारा किया जो खड़ा था. कमला ये देख कर मुस्कराने लगी. वो जानती थी की उसके भाई की चुदाई का मज़ा ही कुछ और है. इतने सालों के विवाहित जीवन में उसका पति कभी उसे वो सुख नहीं दे पाया जो भाई से उसे मिला है. उसने अपना हाथ उसके लंड पर रख दिया और पेंट के ऊपर से ही लौंडा सहलाने लगी. शमशेर ने गाडी मेंन रोड से निकाल कर साइड में पेड़ों के पीछे जा कर रोक दी. जिससे रोड पर आने जाने वाले उन्हें देख न सकें. अपना जिपर खोल के जैसे ही अपने लंड को आजाद किया, कमला ने उसे अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी.
मनोरमा compleet
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Re: मनोरमा
शमशेर ने कमला की साडी और पेटीकोट ऊपर उठा लिया. कमला की मोटी मोटी जांघे और काले बालों से ढकी चूत को देख कर उसका लंड और तन गया. शमशेर ने उसका मुंह अपने लंड से हटाया और उसके होठों पर चुम्बन ले लिया. दोनों गाडी से बाहर निकले. शमशीर ने गाडी के ट्रंक से कम्बल और तकिया निकले तो कमला समझ गयी कि उसका भाई अभी भी उसका इतना दीवाना है तभी तो इतनी तैयारी से आया है.
"अब तुम जब तक यहाँ हो कमला, अपनी परेशानी भूल जाओ और जीवन के आनंद लो", समशेर बोला.
शमशेर ने कमला का ब्लाउज खोल दिया और उसके बड़े बड़े मम्मे सहलाने लगा. कमला तो जैसे शमशेर का लंड छोड़ ही नहीं रही थी.
"भाई, आजकल बहु को चोद रहे हो, इसी लिए यहाँ के बाल साफ़ रखते हो, सही है", कमला ने कटाक्ष किया.
शमशेर अपनी पैंट नीचे खिसका कर लेट गया और कमला उसके ऊपर अपनी साडी उठा कर बैठ गयी. कुछ ही पलों में शमशेर का लंड अपनी बहन कमला की चूत में सैर करने लगा. कमला शमशेर के लंड की सवारी उछल उछल कर कर रही थी. उसकी चूत शमशेर का लंड गपागप ले रही थी. उसके इस कलाप में उसके मम्में हवा में उछालते थे. दोनों को अपने जवानी के दिन याद आ गए जब वो खेतों में छुप छुप कर चुदाई करते थे. बीच बीच में शमशेर अपना चेहरा दोनों मोटे मम्मों के बीच में रख कर कमला की छाती को धीरे शीरे छोम लेता.
चुदाई करते हुए वो सड़क से गुजरती हुई गाड़ियों की आवाज सुन सकते थे. दूसरी तरफ से पंछियों की आवाज आ रही थी. इसी समय एक मोटर-साइकिल पास में रुकी. और एक आदमी उन्हीं झाड़ियों के तरफ बढ़ रहा था जहाँ शमशेर और कमला अपनी काम क्रीडा कर रहे थे.
"इतने दिन बाद मेरी पसंद का लंड मिला है, आज मैं इसे जम के चोदूंगी भाई" कमला सिसकारी मारते हुए बोली.
शमशेर को कमला की चुदते हुए ऐसी गंदी गंदी बातें बोलने की आदत बड़ी पसंद थी. उसने
"अब तुम जब तक यहाँ हो, ये लंड कभी भी और कहीं भी हाज़िर जय तुम्हारी सेवा में", शमशेर अपनी कमर उठा उठा कर कमला की चूत चोदते हुए बोला.
कमला शमशेर के ऊपर झुक कर उसका चुम्मा लेने लगी. इसी समय उसे अपनी गांड के छेद पर कुछ गीला गरम गरम सी कोई चीज चुभती हुई महसूस हुई. शमशेर ने कमला की आँखें बंद कर दीं और पूछा,
"दरो मत, ये मेरा तुम्हें सरप्राइज देने का अत्रीका था. पहचानो तो ये दूसरा लौंडा किसका है"
"अब इस उम्र में तो याददाश्त इतनी कमज़ोर हो गयी है की ये बता पाना मुश्किल है. पर ये लगता तो जाना पहचाना है"
"अरे ये हमारे चाचा का बीटा बलविंदर उर्फ़ बल्ली है कमला. याद है हम दोनों ने श्यामपुर के मेले के बाहर खेतों में मिल के चोदा था?"
कमला को ये बिलकुल पता नहीं चला की कब बल्ली अपनी मोटर साइकिल उनकी कार के बगल में पार्क कर के उनके दबे पाँव उनके पास की झाड़ियों तक आया. उसने देखा कमला मजे ले कर अपने मोटे मोटे चुतड अपने बड़े भाई शमशेर के लंड पर पटक रही है, तो उसका 8 इंच का लौंडा तुरंत खड़ा हो गया. जैसे ही शमशेर ने उसे इशारा किया वो वो दबे पाँव पीछे से पीछे आया, अपना लंड निकला उसमें ठीक से थूक लगाया और भिड़ा दिया कमला की मोती गांड के छेद पर. इस पॉइंट पर, कमला ने अपनी गांड पर कुछ गीला गरम महसूस किया था.
कमला का मन बाग बाग हो रहा था. उसे अभी भी मेले के दिन का एक एक पल याद था.
"हाँ, अच्छी तरह याद है. तुम दोनों मुझे चोदते थक नहीं रहे थे और उसे दिन पहली बार मेरी गांड की चुदाई की गयी थी."
"दीदी, उसी दिन की याद में ये ले ...."
बल्ली ने ये बोलते हुए कमला की गांड में अपना 8 इंची लौंडा गपाक से पेल दिया. कमला इस आक्रमण को मानो चाहती तो थी पर पूरी तरह से तैयार नहीं थी. सो उसकी चीख निकल गयी. उसकी चीख वहां से जाते हुए किसी यात्री ने जरूर सुनी होगी. पर आजकल कौन किसी समस्या में फंसना चाहता है इस लिए इस तरफ आया नहीं.
कमला की गांड ने अब तक एडजस्ट हो गयी थी और उसे दो दो लौंड़े कह के जबर्दश्त मंजा आ रहा था.
"पेलो ओ...ओ.....ओ.....ओ.........मुझे.....फा....आ...आ...आ...आ...ड़...डाल मेरी गांड.....मेरी चूत मार ...."
शमशेर थोडा धीरे हो गए थे. चूँकि वो कमला को थोडा पहले से छोड़ रहे थे, वो चाहते थे उनका भाई बल्ली भी अपनी गाडी साथ में ले आये ....बल्ली गांड में अपना लंड गपागप डाल के छोड़ रहा था ...बाली की पत्नी सुषमा कभी उसको गांड चोदने नहीं देती थी. इसी लिए जब शमशेर ने कल उसे फ़ोन कर के कमला के बारे में बताया, वो इस चुदासीसीनता के कार्यक्रम को सम्पादित करने के लिए झट से राजी हो गया. वो भभक धक्के लगा रहा था. कमला अपनी गांड उठा उठा कर उसके धक्कों को अपनी गांड में ग्रहण कर रही थी. दोनों लगता है जैसे झड़ने के कगार पर थे. शमशेर ने भी अपने धक्के बाधा दिए.
कमला अपने दोनों भाइयों की अपने जलते बदन पर की गयी ऐसी आक्रामक चुदाई की कार्यवाही को प् कर निहाल हो गयी, उसे दोनों के लौंड़े अपने चूत और गांड के बीच की झिल्ली के बीच में रगड़ते हुए महसूस हो रहे थे.
"अरे ...पेलो ....जोर से...मेरा भक्काडा बना डालो ...ओ....ओ....." कमला ने सिसकारी भरी.
"ये ले बहना.....मेरा प्रसाद अपनी चूत में....." शमशेर बोला.
"और मेरा प्रसाद अपनी गांड में ले.....दीदी", बल्ली बोला.
तीनों ने अपना अपना माल अपने अपने हिस्से के छेद में अनलोड कर दिया. कमला को अपनी चूत और गांड दोनों में ही गरम गरम वीर्य की सिंकाई ऐसा सुख दे रही थी मानो वो ज़न्नत में हो.
जब लंड झड के ढीले हो गए तो ऑटोमेटिकली, बाहर निकल आये. कमला के दोनों छेदों से अपने भाइयों का वीर्य बाहर बहने लगा. कमला ने उसे अपने साडी के कोने से पोंछा. दोनों भाइयों ने उसके गाल पर एक साथ चूमा.
इस के पहले की कोई आता तीनों ने जल्दी से कपडे पहने. शमशेर और कमला गाडी से हवेली की तरफ बढे. बल्ली घर में ये कह के आया था की उसको शहर में काम था, सो वो वहीं रुक गया. वो वहीँ खेत की मुंडेर पर बैठा और बीडी सुलगा कर पीने लगा.
पर किसी को ये पता नहीं था बल्ली की पत्नी सुषमा को शक था उसका पति बल्ली कह तो शहर जाने के लिए रहा है. पर वास्तव में वो कुछ और करने जा रहा था. इस लिए घर के नौकर रघु के साथ उसने बल्ली का पीछा किया. और झाडी के पीछे से उनका सारा कार्य कलाप देखा और उसकी एम् एम् एस क्लिप बनायीं.
सुषमा इस सबूत को किसी सुरक्षित जगह रखना चाहती थी. उसे पता था की इस एम् एम् एस के बदौलत वो बहुत कुछ हासिल कर सकती थी. उसके मन में असल में क्या चल रहा था ये किसी को पता नहीं था. ठीक से शायद खुद सुषमा को भी नहीं.
शमशेर कमला को ले कर हवेली पहचे. मनोरमा ने दरवाजे पर आरती उतार कर हवेली के पुराने तरीके से उसका स्वागत किया. कमला ने मनोरमा को सौ साल जीने का आशीर्वाद दिया.
सब लोग चाय और जलपान कर ही रहे थे की शमशेर का फ़ोन बजा. शमशेर उठ कर बाहर बालकनी में चले गए.
"सफ़र कैसा रहा बुआ जी" मनोरमा ने पूछा.
"एकदम बढ़िया बहु" कमला बोली.
"क्या बस लेट आई थी क्या. काफी टाइम लग गया ससुर जी को वापस आते आते" ,मनोरमा ने पूछा.
मनोरमा की आज की सुबह की ससुर चुदाई नहीं हो पायी थी क्योंकि ससुर को बस स्टैंड जाना था.
बुआ ने बोला, "हाँ ऐसे ही .... थोडा देर हो गयी"
मनोरमा को बुआ की बात में कुछ डाल में काला लगा. उसके ससुर चोदु हैं ये तो उसे पता था. पर भाई बहन के रिश्ते को भी उन्होने नहीं छोड़ा होगा ये बात उसे बिलकुल पता नहीं थी.
कमला को मनोरमा का सवाल सुन कर एक घंटे पहले ही अपनी गांड और चूत में भकाभक पेलाई करते हुए दोनों लौंड़े याद आ गये. पर वो मनोरमा को वो सब कैसे कहती. सो उसने बात बदलने का प्रयास किया.
"बहु, तुम्हारे मायके में सब कैसे हैं"
"एक दम ठीक बुआ जी, कल ही बात हुई थी मेरी", मनोरामा बोली. उसे भी फ़ोन पर सुनी हुई पापा की चुदाई याद आ गयी.
"अरे बहुत के घर से खुशखबरी है. समधी जी का फ़ोन था" कहते हुए शमशेर अन्दर आये.
"सच! बताइए न ससुर जी", मनोरमा ने लगभग सीट से उछालते हुए बोला.
"अरे, तुम्हारे भाई अमित का विवाह तय हो गया है. लडकी शहर में कंप्यूटर कर रही है. अगले हफ्ते बरीक्षा है. बहु, वहां कोई औरत तो है नहीं. इस लिए तुम्हारा वहां होना बहुत जरूरी है." शमशेर बोला.
"जैसा आप ठीक समझें ससुर जी", मनोरमा बोली.
"मैं कल रवि से कहूँगा की तुम्हें तुम्हारे घर ड्राप कर दे. वहां से किसी भी तरह की जरूरत हो तो मुझे फ़ोन जरूर करना" शमशेर ने कहा.
मनोरमा ने जवाब में अपना सर हिला दिया.
अगले दिन मनोरमा जब अपना बैग पैक कर के निकली तो देखा की रवि की बजाय उसके दोनों देवर उसे छोड़ने के लिए आये थे. रवि को काम के सिलसिले में दिल्ली जाना था सो उसने वो काम अपने भाई से बोला. अब ये भाई कोई काम अकेले तो करते नहीं थे इस लिए दोनों आ गए भाभी को छोड़ने.
शमशेर ने तीनों को विदा किया. पुराने मॉडल की पद्मिनी कार में सवार हो कर मनोरमा अनिल राजेश के साथ निकल गयी. शमशेर को ये पता था की ये दोनों रास्ते में कम से एक बार तो अपना काम करेंगे ही. उन्हें मनोरमा का जाना अच्छा भी लग रहा था और बुरा भी. अच्छा इसलिए की उन्हें अपनी बहन कमला पर पूरा ध्यान देने को मिलेगा. बुरा इस लिए की अब उनकें मनोरमा की जवान चूत मिस होगी. पर जीवन में रोज सब कुछ नहीं मिलता ऐसा सोच कर वो मेहमान कच्छ की तरफ बढे जहाँ कमला ठहरी हुई थी.
इधर मनोरमा की कार गाँव से थोडा आगे निकली नहीं की राजेश ने गाडी रोक कर मनोरमा को आगे अपने और राजेश के बीच में बिठा लिया. पाठकों को ये बता दूं की उस जमाने की पद्मिनी कार में गियर स्टीयरिंग व्हील के साथ होते थे. इसलिए आगे की सीट में तीन लोग बैठ सकते थे.
मनोरमा तो जैसे इसी पल का इंतज़ार कर रही थी. पर पहल करने का उसका कोई मूड नहीं था. उसने उस दिन लो-कट ब्लाउज बहना हुआ था. दोनों देवर उसके मम्मे निहार रहे थे. मनोरमा दोनों हाथों से उन्हें और ऊपर उठा लिया था. उसने ध्यान दिया कि राजेश और अनिल के पतलुनों के जिपर पूरी तरह ताने हुए थे. क्योंकि उनके लौंड़े बुरी तरह खड़े थे.
"भाभी तुम्हारी छाती देख के हमारे डंडे बिलकुल तन गए हैं", अनिल बोला.
"देवर जी, मेरे से गलती हो गयी. लगता है मुझे कुछ और पहनना था. क्या मैं तुम्हारी कोई मदद कर्रूँ इस मामले में", मनोरमा ने उसे छेड़ा.
"अरे भाभी ये हमारे लंड नहीं खड़े हैं. ये तो हमारा अंदाज़ है आपके हुस्न और जवानी को सलाम करने का", राजेश बोला और उसने अपनी चैन खोल कर अपने 8 मोटे लंड को आज़ाद कर दिया.
"सलाम करने वालो को मेरा चुम्मा", मनोरमा ये कहते हुए राजेश के लंड पर अपने होठ टिका दिए.
"अब तुम जब तक यहाँ हो कमला, अपनी परेशानी भूल जाओ और जीवन के आनंद लो", समशेर बोला.
शमशेर ने कमला का ब्लाउज खोल दिया और उसके बड़े बड़े मम्मे सहलाने लगा. कमला तो जैसे शमशेर का लंड छोड़ ही नहीं रही थी.
"भाई, आजकल बहु को चोद रहे हो, इसी लिए यहाँ के बाल साफ़ रखते हो, सही है", कमला ने कटाक्ष किया.
शमशेर अपनी पैंट नीचे खिसका कर लेट गया और कमला उसके ऊपर अपनी साडी उठा कर बैठ गयी. कुछ ही पलों में शमशेर का लंड अपनी बहन कमला की चूत में सैर करने लगा. कमला शमशेर के लंड की सवारी उछल उछल कर कर रही थी. उसकी चूत शमशेर का लंड गपागप ले रही थी. उसके इस कलाप में उसके मम्में हवा में उछालते थे. दोनों को अपने जवानी के दिन याद आ गए जब वो खेतों में छुप छुप कर चुदाई करते थे. बीच बीच में शमशेर अपना चेहरा दोनों मोटे मम्मों के बीच में रख कर कमला की छाती को धीरे शीरे छोम लेता.
चुदाई करते हुए वो सड़क से गुजरती हुई गाड़ियों की आवाज सुन सकते थे. दूसरी तरफ से पंछियों की आवाज आ रही थी. इसी समय एक मोटर-साइकिल पास में रुकी. और एक आदमी उन्हीं झाड़ियों के तरफ बढ़ रहा था जहाँ शमशेर और कमला अपनी काम क्रीडा कर रहे थे.
"इतने दिन बाद मेरी पसंद का लंड मिला है, आज मैं इसे जम के चोदूंगी भाई" कमला सिसकारी मारते हुए बोली.
शमशेर को कमला की चुदते हुए ऐसी गंदी गंदी बातें बोलने की आदत बड़ी पसंद थी. उसने
"अब तुम जब तक यहाँ हो, ये लंड कभी भी और कहीं भी हाज़िर जय तुम्हारी सेवा में", शमशेर अपनी कमर उठा उठा कर कमला की चूत चोदते हुए बोला.
कमला शमशेर के ऊपर झुक कर उसका चुम्मा लेने लगी. इसी समय उसे अपनी गांड के छेद पर कुछ गीला गरम गरम सी कोई चीज चुभती हुई महसूस हुई. शमशेर ने कमला की आँखें बंद कर दीं और पूछा,
"दरो मत, ये मेरा तुम्हें सरप्राइज देने का अत्रीका था. पहचानो तो ये दूसरा लौंडा किसका है"
"अब इस उम्र में तो याददाश्त इतनी कमज़ोर हो गयी है की ये बता पाना मुश्किल है. पर ये लगता तो जाना पहचाना है"
"अरे ये हमारे चाचा का बीटा बलविंदर उर्फ़ बल्ली है कमला. याद है हम दोनों ने श्यामपुर के मेले के बाहर खेतों में मिल के चोदा था?"
कमला को ये बिलकुल पता नहीं चला की कब बल्ली अपनी मोटर साइकिल उनकी कार के बगल में पार्क कर के उनके दबे पाँव उनके पास की झाड़ियों तक आया. उसने देखा कमला मजे ले कर अपने मोटे मोटे चुतड अपने बड़े भाई शमशेर के लंड पर पटक रही है, तो उसका 8 इंच का लौंडा तुरंत खड़ा हो गया. जैसे ही शमशेर ने उसे इशारा किया वो वो दबे पाँव पीछे से पीछे आया, अपना लंड निकला उसमें ठीक से थूक लगाया और भिड़ा दिया कमला की मोती गांड के छेद पर. इस पॉइंट पर, कमला ने अपनी गांड पर कुछ गीला गरम महसूस किया था.
कमला का मन बाग बाग हो रहा था. उसे अभी भी मेले के दिन का एक एक पल याद था.
"हाँ, अच्छी तरह याद है. तुम दोनों मुझे चोदते थक नहीं रहे थे और उसे दिन पहली बार मेरी गांड की चुदाई की गयी थी."
"दीदी, उसी दिन की याद में ये ले ...."
बल्ली ने ये बोलते हुए कमला की गांड में अपना 8 इंची लौंडा गपाक से पेल दिया. कमला इस आक्रमण को मानो चाहती तो थी पर पूरी तरह से तैयार नहीं थी. सो उसकी चीख निकल गयी. उसकी चीख वहां से जाते हुए किसी यात्री ने जरूर सुनी होगी. पर आजकल कौन किसी समस्या में फंसना चाहता है इस लिए इस तरफ आया नहीं.
कमला की गांड ने अब तक एडजस्ट हो गयी थी और उसे दो दो लौंड़े कह के जबर्दश्त मंजा आ रहा था.
"पेलो ओ...ओ.....ओ.....ओ.........मुझे.....फा....आ...आ...आ...आ...ड़...डाल मेरी गांड.....मेरी चूत मार ...."
शमशेर थोडा धीरे हो गए थे. चूँकि वो कमला को थोडा पहले से छोड़ रहे थे, वो चाहते थे उनका भाई बल्ली भी अपनी गाडी साथ में ले आये ....बल्ली गांड में अपना लंड गपागप डाल के छोड़ रहा था ...बाली की पत्नी सुषमा कभी उसको गांड चोदने नहीं देती थी. इसी लिए जब शमशेर ने कल उसे फ़ोन कर के कमला के बारे में बताया, वो इस चुदासीसीनता के कार्यक्रम को सम्पादित करने के लिए झट से राजी हो गया. वो भभक धक्के लगा रहा था. कमला अपनी गांड उठा उठा कर उसके धक्कों को अपनी गांड में ग्रहण कर रही थी. दोनों लगता है जैसे झड़ने के कगार पर थे. शमशेर ने भी अपने धक्के बाधा दिए.
कमला अपने दोनों भाइयों की अपने जलते बदन पर की गयी ऐसी आक्रामक चुदाई की कार्यवाही को प् कर निहाल हो गयी, उसे दोनों के लौंड़े अपने चूत और गांड के बीच की झिल्ली के बीच में रगड़ते हुए महसूस हो रहे थे.
"अरे ...पेलो ....जोर से...मेरा भक्काडा बना डालो ...ओ....ओ....." कमला ने सिसकारी भरी.
"ये ले बहना.....मेरा प्रसाद अपनी चूत में....." शमशेर बोला.
"और मेरा प्रसाद अपनी गांड में ले.....दीदी", बल्ली बोला.
तीनों ने अपना अपना माल अपने अपने हिस्से के छेद में अनलोड कर दिया. कमला को अपनी चूत और गांड दोनों में ही गरम गरम वीर्य की सिंकाई ऐसा सुख दे रही थी मानो वो ज़न्नत में हो.
जब लंड झड के ढीले हो गए तो ऑटोमेटिकली, बाहर निकल आये. कमला के दोनों छेदों से अपने भाइयों का वीर्य बाहर बहने लगा. कमला ने उसे अपने साडी के कोने से पोंछा. दोनों भाइयों ने उसके गाल पर एक साथ चूमा.
इस के पहले की कोई आता तीनों ने जल्दी से कपडे पहने. शमशेर और कमला गाडी से हवेली की तरफ बढे. बल्ली घर में ये कह के आया था की उसको शहर में काम था, सो वो वहीं रुक गया. वो वहीँ खेत की मुंडेर पर बैठा और बीडी सुलगा कर पीने लगा.
पर किसी को ये पता नहीं था बल्ली की पत्नी सुषमा को शक था उसका पति बल्ली कह तो शहर जाने के लिए रहा है. पर वास्तव में वो कुछ और करने जा रहा था. इस लिए घर के नौकर रघु के साथ उसने बल्ली का पीछा किया. और झाडी के पीछे से उनका सारा कार्य कलाप देखा और उसकी एम् एम् एस क्लिप बनायीं.
सुषमा इस सबूत को किसी सुरक्षित जगह रखना चाहती थी. उसे पता था की इस एम् एम् एस के बदौलत वो बहुत कुछ हासिल कर सकती थी. उसके मन में असल में क्या चल रहा था ये किसी को पता नहीं था. ठीक से शायद खुद सुषमा को भी नहीं.
शमशेर कमला को ले कर हवेली पहचे. मनोरमा ने दरवाजे पर आरती उतार कर हवेली के पुराने तरीके से उसका स्वागत किया. कमला ने मनोरमा को सौ साल जीने का आशीर्वाद दिया.
सब लोग चाय और जलपान कर ही रहे थे की शमशेर का फ़ोन बजा. शमशेर उठ कर बाहर बालकनी में चले गए.
"सफ़र कैसा रहा बुआ जी" मनोरमा ने पूछा.
"एकदम बढ़िया बहु" कमला बोली.
"क्या बस लेट आई थी क्या. काफी टाइम लग गया ससुर जी को वापस आते आते" ,मनोरमा ने पूछा.
मनोरमा की आज की सुबह की ससुर चुदाई नहीं हो पायी थी क्योंकि ससुर को बस स्टैंड जाना था.
बुआ ने बोला, "हाँ ऐसे ही .... थोडा देर हो गयी"
मनोरमा को बुआ की बात में कुछ डाल में काला लगा. उसके ससुर चोदु हैं ये तो उसे पता था. पर भाई बहन के रिश्ते को भी उन्होने नहीं छोड़ा होगा ये बात उसे बिलकुल पता नहीं थी.
कमला को मनोरमा का सवाल सुन कर एक घंटे पहले ही अपनी गांड और चूत में भकाभक पेलाई करते हुए दोनों लौंड़े याद आ गये. पर वो मनोरमा को वो सब कैसे कहती. सो उसने बात बदलने का प्रयास किया.
"बहु, तुम्हारे मायके में सब कैसे हैं"
"एक दम ठीक बुआ जी, कल ही बात हुई थी मेरी", मनोरामा बोली. उसे भी फ़ोन पर सुनी हुई पापा की चुदाई याद आ गयी.
"अरे बहुत के घर से खुशखबरी है. समधी जी का फ़ोन था" कहते हुए शमशेर अन्दर आये.
"सच! बताइए न ससुर जी", मनोरमा ने लगभग सीट से उछालते हुए बोला.
"अरे, तुम्हारे भाई अमित का विवाह तय हो गया है. लडकी शहर में कंप्यूटर कर रही है. अगले हफ्ते बरीक्षा है. बहु, वहां कोई औरत तो है नहीं. इस लिए तुम्हारा वहां होना बहुत जरूरी है." शमशेर बोला.
"जैसा आप ठीक समझें ससुर जी", मनोरमा बोली.
"मैं कल रवि से कहूँगा की तुम्हें तुम्हारे घर ड्राप कर दे. वहां से किसी भी तरह की जरूरत हो तो मुझे फ़ोन जरूर करना" शमशेर ने कहा.
मनोरमा ने जवाब में अपना सर हिला दिया.
अगले दिन मनोरमा जब अपना बैग पैक कर के निकली तो देखा की रवि की बजाय उसके दोनों देवर उसे छोड़ने के लिए आये थे. रवि को काम के सिलसिले में दिल्ली जाना था सो उसने वो काम अपने भाई से बोला. अब ये भाई कोई काम अकेले तो करते नहीं थे इस लिए दोनों आ गए भाभी को छोड़ने.
शमशेर ने तीनों को विदा किया. पुराने मॉडल की पद्मिनी कार में सवार हो कर मनोरमा अनिल राजेश के साथ निकल गयी. शमशेर को ये पता था की ये दोनों रास्ते में कम से एक बार तो अपना काम करेंगे ही. उन्हें मनोरमा का जाना अच्छा भी लग रहा था और बुरा भी. अच्छा इसलिए की उन्हें अपनी बहन कमला पर पूरा ध्यान देने को मिलेगा. बुरा इस लिए की अब उनकें मनोरमा की जवान चूत मिस होगी. पर जीवन में रोज सब कुछ नहीं मिलता ऐसा सोच कर वो मेहमान कच्छ की तरफ बढे जहाँ कमला ठहरी हुई थी.
इधर मनोरमा की कार गाँव से थोडा आगे निकली नहीं की राजेश ने गाडी रोक कर मनोरमा को आगे अपने और राजेश के बीच में बिठा लिया. पाठकों को ये बता दूं की उस जमाने की पद्मिनी कार में गियर स्टीयरिंग व्हील के साथ होते थे. इसलिए आगे की सीट में तीन लोग बैठ सकते थे.
मनोरमा तो जैसे इसी पल का इंतज़ार कर रही थी. पर पहल करने का उसका कोई मूड नहीं था. उसने उस दिन लो-कट ब्लाउज बहना हुआ था. दोनों देवर उसके मम्मे निहार रहे थे. मनोरमा दोनों हाथों से उन्हें और ऊपर उठा लिया था. उसने ध्यान दिया कि राजेश और अनिल के पतलुनों के जिपर पूरी तरह ताने हुए थे. क्योंकि उनके लौंड़े बुरी तरह खड़े थे.
"भाभी तुम्हारी छाती देख के हमारे डंडे बिलकुल तन गए हैं", अनिल बोला.
"देवर जी, मेरे से गलती हो गयी. लगता है मुझे कुछ और पहनना था. क्या मैं तुम्हारी कोई मदद कर्रूँ इस मामले में", मनोरमा ने उसे छेड़ा.
"अरे भाभी ये हमारे लंड नहीं खड़े हैं. ये तो हमारा अंदाज़ है आपके हुस्न और जवानी को सलाम करने का", राजेश बोला और उसने अपनी चैन खोल कर अपने 8 मोटे लंड को आज़ाद कर दिया.
"सलाम करने वालो को मेरा चुम्मा", मनोरमा ये कहते हुए राजेश के लंड पर अपने होठ टिका दिए.
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Re: मनोरमा
अनिल ने मौके की नजाकत को समझते हुए गाड़े साइड में एक फैक्ट्री की तरफ मोड़ ली. वो फैक्ट्री एक साल पहले बंद हो गयी थी और उस तरफ कोई जाता नहीं था. उसे पता था की फैक्ट्री के आस पास उसके प्लान के लिए अच्छी जगह होगी.
अनिल ने जगह देख कर गाडी रोकी और तीनों बाहर आ गए. अनिल ड्राईवर की साइड से बाहर निकला. मनोरमा राजेश का लंड पकड़ कर बाहर निकली जैसे कोई किसी स्कूटर का हैंडल पकड़ कर उसे चलाता है. अनिल पास में आया और मनोरमा की चुंचियां दबाने लगा.
"राजेश भाई ये भाभी की चुंचियां आज कुछ ज्यादा बड़ी नहीं लग रहे हैं." अनिल बोला.
"अरे भाभी के चुन्ची और गांड दोनों दिन पर दिन साइज़ में बढ़ते जा रहे है" कहते हुए राजेश ने मनोरम की गांड पर एक चपत रसीद कर दी.
मनोरमा को इस वीराने में चुदवाने में थोडा डर लग रहा था. पर इसका मज़ा ही अलग था. उसको चोदने वाले लोग उसके अपने देवर थे. इसलिए जल्दी ही उसने अपना पूरा मन चोदने पर केन्द्रित किया.
कुछ पलों में ही दोनों देवरों ने अपनी भाभी को एक नंगा कर दिया. मनोरमा झुक कर राजेश का लंड चूसने लगी. और अनिल मनोरमा की गांड की तरफ बैठ कर उसकी चूत की दरार पर अपनी जीभ चलाने लगा. मनोरमा को इन दो कुत्तों की कुतिया बनने में जो मज़ा आ रहा था उसका बयान करना मुश्किल है. अनिल जो मज़ा उसकी चूत को दे रहा था, वो सारा मज़ा राजेश के लौड़े को चूस चूस कर उसे वापस कर रही थी. थोड़े ही देर में राजेश के लंड ने अपना माल उसके मुंह में उड़ेल दिया जिसे वो पी गयी. लगभग इसी समय उसकी चूत से उसका रस अनिल की जीभ पर झड गया. अनिल अपना लंड अपने हांथों से हिला रहा था.
तीनों फैक्ट्री के हाते में पड़े हुए तखत पर बैठ गए. अनिल सीधा लेट गया. मनोरमा ने अनिल की चूत चुसाई के इनाम के रूप में उसका लंड चूसना प्रारंभ कर दिया. राजेश साइड में बैठ कर मनोरमा की चूत की अपनी दो उँगलियों से चोदने लगा.
अनिल ने मनोरमा से बोला, "भाभी, आज आप घोड़े की सवारी कर लो"
मनोरमा अपने देवर का इशारा तुरंत समझ गयी. उसने उसके लंड को अपने मुंह से गीला कर की रखा था. थोडा सा एक्स्ट्रा थूंक हाथों से अनिल के लौंड़े को लगाया और उठ कर वो अनिल के लंड के ऊपर बैठ गयी. अनिल ने अपना लंड चूत के छेद पर भिड़ाया. मनोरम ने अपना वज़न धीरे शीरे अनिल के लौंड़े पर रिलीज़ किया. चूत एकदम गीली थी सो लंड आराम से जैसे स्लो मोशन से उसकी चूत के अन्दर चला गया. अनिल ने उसके दोनों मम्मे अपने हाथो से दबाने शुरू कर दिया. और अपनी कमर उठानी शुरू कर दी. मनोरमा को इस "घोड़े" की सवारी बड़ी अच्छी लग रही थी.
राजेश भाभी के गोरे नंगे चूतड़ों को अनिल के लंबे लंड पर ऊपर नीचे जाते देख रहा था. हालाँकि थोड़े देर पहले ही उसने अपना वीर्य भाभी के प्यारे से मुंह में जमा किया था, इस चुदाई को देख कर उसका लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा. वह तखत पर भाभी के चूतड़ों के ठीक ऊपर खड़ा हो गया. तखत पर खड़े हो कर ऊँचाई से उसने चूरों तरफ एक निगाह मारी. दूर दूर तक कोई नहीं था. .
मनोरमा ये सोच कर खुश हो रही थी कि आज फिर उसकी चूत नें दो दो लौंडे जायेंगे. पर वो ये भूल गयी थी की ये दोनों हरामी हर बार कुछ नया करते हैं. राजेश ने अपने हाथ पर थूका और सारा थूक अपने लंड पर लगाया. उसने लंड के सुपाडे पर खूब सारा थूक लगाया. अनिल शायद समझ चूका था की आज भाभी के साथ क्या होने वाला है. सो जैसे ही राजेश झुका अनिल ने अपने धक्के एकदम धीमे कर दिए.
राजेश ने अपना थूक से सना हुआ लौंडा मनोरमा भाभी की गांड के छेद पर भिड़ाया और इसके पहले भाभी अपनी गांड उचका का उसका हमला विफल करती, उसने पूरा का पूरा सुपाडा अन्दर पेल दिया. राजेश और अनिल दोनों ने मनोरमा की गांड जोर से पकड़ राखी थी. राजेश ने भाभी के चूतडों को दोनों हाथों से उतना फैलाया ताकि गांड का छेद और चौड़ा हो जाए और उसका बाकी का लौंडा अन्दर जा सके. उसने सुपाडा बाहर खींच कर भाभी की गांड के छेद पर उंगली से थोडा और थूंक लगाया. इस बार उसने लंड भिड़ा कर आधा घुसेड दिया.
मनोरमा को ऐसा लगा जैसे उसकी गांड की रिम 3-4 जगह से फट गयी है. उसे लगा जैसे वहां से खून निकल रहा है.
"अरे हराम के जनों, मेरी गांड फाड़ दी. खून निकल दिया हरामियों... ये क्या किया सालों..."
मनोरमा दर्द से चिल्लाई.
"अरे भाभी आपका खून नहीं निकल रहा है...हम आपके देवर हैं आपके हुस्न के पुजारी है, कोई बलात्कारी नहीं जो ऐसा काम करेंगे."
राजेश ने सांत्वना देते हुए समझाया.
अब तक मनोरमा को मज़ा आने लगा था. वह अपनी गांड हिला हिला कर दोनों के लौड़े लेने लगी.
"राजेश भैया, भाभी की गांड कैसे लग रही है." अनिल ने पूछा
"अरे, अनिल पूछ मत. अगर भाभी की चूत बर्फी है, तो गांड मस्त मलाई" राजेश हाँफते हुए बोला.
"अरे सालों, भाभी को पूरी हलवाई की दूकान बना डाला", मनोरमा ने हँसते हुए बोला.
"अनिल, क्या तुम्हें मलाई का स्वाद नहीं चखना है" मनोरमा ने अनिल का मजाक उडाते हुए पूछा.
दोनों भाइयों ने भाभी का इशारा तुरंत समझ लिया.
मनोरमा के शरीर में घोंपे गए दोनों लौड़े तुरंत निकाल लिए गए. राजेश तख़त के किनारे बैठ गया. उसके पैर फर्श पर रखे थे. मनोरमा आ कर उसके छाती से अपनी छाती भिडाकर बैठ गयी. उसकी चूत इतनी गीली थी की राजेश का लंड उसमें गपाक से समां गया. अनिल फर्श पर खड़ा था. उसे अपने लंड को मनोरमा की गांड के छेद के निशाने पर आने के लिए थोडा झुकना पड़ा. एक बार लंड महराज गांड के छेद पर पहुचे तो तुरंत गांड के अन्दर. मनोरमाँ की गांड ने अभी अभी राजेश का लौंडा लिया था. राजेश का मोटे लंड से मनोरमा भाभी की गांड आलरेडी थोडा फ़ैल गयी थी इस लिए अनिल का लम्बे लंड को अपनी गांड में गपाक से लेने में मनोरमा भाभी को जरा भी तकलीफ नहीं हुई.
"अरे, जम के पेलो अपनी भाभी को. तुम दोनों दुनिया के सबसे बड़े चुककड़ हो हरामियों.."
मनोरमाँ ने अपने देवरों को ललकारा.
राजेश और अनिल समझ गए की भाभी अब अपना रस छोडने ही वाली है. उन्होंने अपने लंड की रफ़्तार बाधा दी.
"फाड़ दो मेरी....ईई....सी...सी... मैं गयी रे ...इ....इ...." मनोरमाँ चिल्लाई
"ये ले भाभी....तुम्हारी गांड में मेरा रस ले ......." अनिल झड़ते हुएबोला.
इसी बीच, राजेश का मोटा लौंडा मनोरमा भाभी की चूत में अपना छोड़ रहा था. मनोरमा और राजेश दोनों का रस बह कर राजेश की गोलियों पर बह रहा था. राजेश ने मनोरमा को ज़ोरों से चूम लिया.
तीनों हाँफते हुए वहां तखत पर लेट गए. मंद मंद हवा बह रही थी. चिड़ियों की आवाज माहौल को बड़ा सुन्दर बना रही थी.
राजेश और अनिल दोनों को मनोरमा का अपने मायके जाना बुरा लग रहा था. कौन सुबह सुबह उनके खड़े लंड को शांत करेगा... तबेले में तो बड़ी शान्ति हो जायेगी..
मनोरमा सोच रही थी की मायके में वो अनिल और राजेश की गरम चुदाई को मिस करेगी. पर राम नगर में उसके आशिकों की कमी नहीं थी. वह मन ही मन अपने पिता को गुलाबो के साथ पकड़ना चाहती थी. शमशेर से चुदवाने के बाद उसकी चूत को सफ़ेद बाल की झांटों वाले लंड से चुदने का जैसे नशा हो गया था. पर पापा के बारे में ऐसा सोच के भी उसे अजीब लगा रहा था.
तीनों ने अपने कपडे पहने. चुदाई की कसरत के बाद, तीनों को भूख लग गयी थी. अगले 5-6 किलोमीटर पर एक ढाबा था जहाँ का खाना बड़ा फेमस था, वहीँ खाने का प्लान बना.
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इस बार राजेश और मनोरमा भाभी पीछे की सीट पर जा कर बैठ गए. अनिल ने कार आगे बढाई. मेन रोड पर जा कर जब वो गाडी का रियर व्यू मिरर सेट कर रहा था, उसमें उसने देख की भाभी की नंगी गांड ऊपर नीचे हो रही है.
अनिल ने अपना सर पीट लिए और बडबडाया, "कुछ लोगों को साला हमेशा चोदने के अलावा कुछ सूझता नहीं है. अभी अभी छोड़ के निकले हैं और अब फिर से कार के अन्दर चालू. अरे जल्दी करो लेकिन...ढाबा आने ही वाला है..."
मनोरमा हँसते हुए बोली, "देवर जी थोडा धीरे चलिए न, अगले टाइम आप ले लीजियेगा ये वाला स्पेशल सीट और अपनी भाभी के साथ जम के मजा लीजियेगा आप भी".
इस बात पर तीनों हंसने लगे.
प्यार और मोहब्बत से इस तरह से साथ में रहने की मिसाल अजीब तो है पर इसमें सबके लिए आनंद ही आनंद है.
शमशेर अपनी बहु मनोरमा को हवेली के दरवाजे से विदा कर के मेहमान कच्छ की तरफ बढ़ रहा था. कल ही उसकी बहन कमला आयी थी जो वहां विश्राम कर रही थी. कल बस स्टैंड से आते समय शमशेर ने रास्ते में ही कमला के गद्रीले बदन का मज़ा अपने चचेरे भाई बल्ली के साथ लिया था. वो चाहते थे की आज वो अपनी बहन कमला को कुछ अलग अंदाज़ में जगाएं. शमशेर ने कमरे का दरवाजा सावधानी से खोला. और दबे पाँव अन्दर आये.
कमला देवी गुलाबी रंग का गाउन पहन कर सोयी हुई थीं. गाउन पूरे बदन पर अकेला कपडा था क्योंकि रात में उन्हें चड्ढी और ब्रा पहनने से नींद नहीं आती थी. उनका गाउन ऊपर की तरफ उठ गया था. जिससे उनकी झांटों से भरी हुई चूत साफ़ दिख रही थी. उन्होंने अपने पैर फैला रखे थे. रोशनदान से धुप खुल कर कमला देवी के गोर बदन पर पड़ रही थी. खुली हुई चूत, फैले हुई मोटी लम्बी गोरी जांघे शमशेर को सीधा निमंत्रण दे रही थीं. उन्होंने अपने कपडे सावधानी से उतारे ताकि कोई आवाज न हो. और बिस्तर पर चढ़ गए. उन्होंने अपनी जीभ कमला देवी की झूली चूत पर रख दी और उसे कुत्ते की तरह धीरे धीरे चाटने लगे.
"मम्मम्मम्म....म्मम्म.......उम...." कमला नींद में बडबड़ाई.
शमशेर को और शरारत सूझी. उसने बहन कमला देबी की चूत के दाने को अपने होठों से चूस के हलके से दबा दिया.
"आह..आ....आ....आ....आआआ ..ह", कमला देवी की आवाज से कमरे की दिवारें जैसे गूँज उठीं.
घर की नौकरानी मुनिया उसी समय वहां से गुज़र रही थी. उसने कमला देवी की आवाज सुनी. उसे लगा की उनकी तबियत कुछ खराब है. सीधे कमरे में जाने के बजाय, उसने कमरे की खिड़की का पर्दा खिसकाया. उसने देखा कमला देवी नीचे से पूरी नंगी थीं. मालिक शमशेर उनकी चूत को कुत्ते के समान चाट रहे थे. शमशेर ने कमला देवी का गाउन ऊपर से खिसका रखा था और वो दोनों हाथों से बड़ी बड़ी चुन्चियों को धीरे दबा रहे थे. कमला देवी की आँखें अभी भी बंद थीं जैसे वो कोई खूबसूरत सा सपना देख रहीं थीं और आँखों को खोल कर उसे तोडना नहीं चाहती थीं.
अनिल ने जगह देख कर गाडी रोकी और तीनों बाहर आ गए. अनिल ड्राईवर की साइड से बाहर निकला. मनोरमा राजेश का लंड पकड़ कर बाहर निकली जैसे कोई किसी स्कूटर का हैंडल पकड़ कर उसे चलाता है. अनिल पास में आया और मनोरमा की चुंचियां दबाने लगा.
"राजेश भाई ये भाभी की चुंचियां आज कुछ ज्यादा बड़ी नहीं लग रहे हैं." अनिल बोला.
"अरे भाभी के चुन्ची और गांड दोनों दिन पर दिन साइज़ में बढ़ते जा रहे है" कहते हुए राजेश ने मनोरम की गांड पर एक चपत रसीद कर दी.
मनोरमा को इस वीराने में चुदवाने में थोडा डर लग रहा था. पर इसका मज़ा ही अलग था. उसको चोदने वाले लोग उसके अपने देवर थे. इसलिए जल्दी ही उसने अपना पूरा मन चोदने पर केन्द्रित किया.
कुछ पलों में ही दोनों देवरों ने अपनी भाभी को एक नंगा कर दिया. मनोरमा झुक कर राजेश का लंड चूसने लगी. और अनिल मनोरमा की गांड की तरफ बैठ कर उसकी चूत की दरार पर अपनी जीभ चलाने लगा. मनोरमा को इन दो कुत्तों की कुतिया बनने में जो मज़ा आ रहा था उसका बयान करना मुश्किल है. अनिल जो मज़ा उसकी चूत को दे रहा था, वो सारा मज़ा राजेश के लौड़े को चूस चूस कर उसे वापस कर रही थी. थोड़े ही देर में राजेश के लंड ने अपना माल उसके मुंह में उड़ेल दिया जिसे वो पी गयी. लगभग इसी समय उसकी चूत से उसका रस अनिल की जीभ पर झड गया. अनिल अपना लंड अपने हांथों से हिला रहा था.
तीनों फैक्ट्री के हाते में पड़े हुए तखत पर बैठ गए. अनिल सीधा लेट गया. मनोरमा ने अनिल की चूत चुसाई के इनाम के रूप में उसका लंड चूसना प्रारंभ कर दिया. राजेश साइड में बैठ कर मनोरमा की चूत की अपनी दो उँगलियों से चोदने लगा.
अनिल ने मनोरमा से बोला, "भाभी, आज आप घोड़े की सवारी कर लो"
मनोरमा अपने देवर का इशारा तुरंत समझ गयी. उसने उसके लंड को अपने मुंह से गीला कर की रखा था. थोडा सा एक्स्ट्रा थूंक हाथों से अनिल के लौंड़े को लगाया और उठ कर वो अनिल के लंड के ऊपर बैठ गयी. अनिल ने अपना लंड चूत के छेद पर भिड़ाया. मनोरम ने अपना वज़न धीरे शीरे अनिल के लौंड़े पर रिलीज़ किया. चूत एकदम गीली थी सो लंड आराम से जैसे स्लो मोशन से उसकी चूत के अन्दर चला गया. अनिल ने उसके दोनों मम्मे अपने हाथो से दबाने शुरू कर दिया. और अपनी कमर उठानी शुरू कर दी. मनोरमा को इस "घोड़े" की सवारी बड़ी अच्छी लग रही थी.
राजेश भाभी के गोरे नंगे चूतड़ों को अनिल के लंबे लंड पर ऊपर नीचे जाते देख रहा था. हालाँकि थोड़े देर पहले ही उसने अपना वीर्य भाभी के प्यारे से मुंह में जमा किया था, इस चुदाई को देख कर उसका लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा. वह तखत पर भाभी के चूतड़ों के ठीक ऊपर खड़ा हो गया. तखत पर खड़े हो कर ऊँचाई से उसने चूरों तरफ एक निगाह मारी. दूर दूर तक कोई नहीं था. .
मनोरमा ये सोच कर खुश हो रही थी कि आज फिर उसकी चूत नें दो दो लौंडे जायेंगे. पर वो ये भूल गयी थी की ये दोनों हरामी हर बार कुछ नया करते हैं. राजेश ने अपने हाथ पर थूका और सारा थूक अपने लंड पर लगाया. उसने लंड के सुपाडे पर खूब सारा थूक लगाया. अनिल शायद समझ चूका था की आज भाभी के साथ क्या होने वाला है. सो जैसे ही राजेश झुका अनिल ने अपने धक्के एकदम धीमे कर दिए.
राजेश ने अपना थूक से सना हुआ लौंडा मनोरमा भाभी की गांड के छेद पर भिड़ाया और इसके पहले भाभी अपनी गांड उचका का उसका हमला विफल करती, उसने पूरा का पूरा सुपाडा अन्दर पेल दिया. राजेश और अनिल दोनों ने मनोरमा की गांड जोर से पकड़ राखी थी. राजेश ने भाभी के चूतडों को दोनों हाथों से उतना फैलाया ताकि गांड का छेद और चौड़ा हो जाए और उसका बाकी का लौंडा अन्दर जा सके. उसने सुपाडा बाहर खींच कर भाभी की गांड के छेद पर उंगली से थोडा और थूंक लगाया. इस बार उसने लंड भिड़ा कर आधा घुसेड दिया.
मनोरमा को ऐसा लगा जैसे उसकी गांड की रिम 3-4 जगह से फट गयी है. उसे लगा जैसे वहां से खून निकल रहा है.
"अरे हराम के जनों, मेरी गांड फाड़ दी. खून निकल दिया हरामियों... ये क्या किया सालों..."
मनोरमा दर्द से चिल्लाई.
"अरे भाभी आपका खून नहीं निकल रहा है...हम आपके देवर हैं आपके हुस्न के पुजारी है, कोई बलात्कारी नहीं जो ऐसा काम करेंगे."
राजेश ने सांत्वना देते हुए समझाया.
अब तक मनोरमा को मज़ा आने लगा था. वह अपनी गांड हिला हिला कर दोनों के लौड़े लेने लगी.
"राजेश भैया, भाभी की गांड कैसे लग रही है." अनिल ने पूछा
"अरे, अनिल पूछ मत. अगर भाभी की चूत बर्फी है, तो गांड मस्त मलाई" राजेश हाँफते हुए बोला.
"अरे सालों, भाभी को पूरी हलवाई की दूकान बना डाला", मनोरमा ने हँसते हुए बोला.
"अनिल, क्या तुम्हें मलाई का स्वाद नहीं चखना है" मनोरमा ने अनिल का मजाक उडाते हुए पूछा.
दोनों भाइयों ने भाभी का इशारा तुरंत समझ लिया.
मनोरमा के शरीर में घोंपे गए दोनों लौड़े तुरंत निकाल लिए गए. राजेश तख़त के किनारे बैठ गया. उसके पैर फर्श पर रखे थे. मनोरमा आ कर उसके छाती से अपनी छाती भिडाकर बैठ गयी. उसकी चूत इतनी गीली थी की राजेश का लंड उसमें गपाक से समां गया. अनिल फर्श पर खड़ा था. उसे अपने लंड को मनोरमा की गांड के छेद के निशाने पर आने के लिए थोडा झुकना पड़ा. एक बार लंड महराज गांड के छेद पर पहुचे तो तुरंत गांड के अन्दर. मनोरमाँ की गांड ने अभी अभी राजेश का लौंडा लिया था. राजेश का मोटे लंड से मनोरमा भाभी की गांड आलरेडी थोडा फ़ैल गयी थी इस लिए अनिल का लम्बे लंड को अपनी गांड में गपाक से लेने में मनोरमा भाभी को जरा भी तकलीफ नहीं हुई.
"अरे, जम के पेलो अपनी भाभी को. तुम दोनों दुनिया के सबसे बड़े चुककड़ हो हरामियों.."
मनोरमाँ ने अपने देवरों को ललकारा.
राजेश और अनिल समझ गए की भाभी अब अपना रस छोडने ही वाली है. उन्होंने अपने लंड की रफ़्तार बाधा दी.
"फाड़ दो मेरी....ईई....सी...सी... मैं गयी रे ...इ....इ...." मनोरमाँ चिल्लाई
"ये ले भाभी....तुम्हारी गांड में मेरा रस ले ......." अनिल झड़ते हुएबोला.
इसी बीच, राजेश का मोटा लौंडा मनोरमा भाभी की चूत में अपना छोड़ रहा था. मनोरमा और राजेश दोनों का रस बह कर राजेश की गोलियों पर बह रहा था. राजेश ने मनोरमा को ज़ोरों से चूम लिया.
तीनों हाँफते हुए वहां तखत पर लेट गए. मंद मंद हवा बह रही थी. चिड़ियों की आवाज माहौल को बड़ा सुन्दर बना रही थी.
राजेश और अनिल दोनों को मनोरमा का अपने मायके जाना बुरा लग रहा था. कौन सुबह सुबह उनके खड़े लंड को शांत करेगा... तबेले में तो बड़ी शान्ति हो जायेगी..
मनोरमा सोच रही थी की मायके में वो अनिल और राजेश की गरम चुदाई को मिस करेगी. पर राम नगर में उसके आशिकों की कमी नहीं थी. वह मन ही मन अपने पिता को गुलाबो के साथ पकड़ना चाहती थी. शमशेर से चुदवाने के बाद उसकी चूत को सफ़ेद बाल की झांटों वाले लंड से चुदने का जैसे नशा हो गया था. पर पापा के बारे में ऐसा सोच के भी उसे अजीब लगा रहा था.
तीनों ने अपने कपडे पहने. चुदाई की कसरत के बाद, तीनों को भूख लग गयी थी. अगले 5-6 किलोमीटर पर एक ढाबा था जहाँ का खाना बड़ा फेमस था, वहीँ खाने का प्लान बना.
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इस बार राजेश और मनोरमा भाभी पीछे की सीट पर जा कर बैठ गए. अनिल ने कार आगे बढाई. मेन रोड पर जा कर जब वो गाडी का रियर व्यू मिरर सेट कर रहा था, उसमें उसने देख की भाभी की नंगी गांड ऊपर नीचे हो रही है.
अनिल ने अपना सर पीट लिए और बडबडाया, "कुछ लोगों को साला हमेशा चोदने के अलावा कुछ सूझता नहीं है. अभी अभी छोड़ के निकले हैं और अब फिर से कार के अन्दर चालू. अरे जल्दी करो लेकिन...ढाबा आने ही वाला है..."
मनोरमा हँसते हुए बोली, "देवर जी थोडा धीरे चलिए न, अगले टाइम आप ले लीजियेगा ये वाला स्पेशल सीट और अपनी भाभी के साथ जम के मजा लीजियेगा आप भी".
इस बात पर तीनों हंसने लगे.
प्यार और मोहब्बत से इस तरह से साथ में रहने की मिसाल अजीब तो है पर इसमें सबके लिए आनंद ही आनंद है.
शमशेर अपनी बहु मनोरमा को हवेली के दरवाजे से विदा कर के मेहमान कच्छ की तरफ बढ़ रहा था. कल ही उसकी बहन कमला आयी थी जो वहां विश्राम कर रही थी. कल बस स्टैंड से आते समय शमशेर ने रास्ते में ही कमला के गद्रीले बदन का मज़ा अपने चचेरे भाई बल्ली के साथ लिया था. वो चाहते थे की आज वो अपनी बहन कमला को कुछ अलग अंदाज़ में जगाएं. शमशेर ने कमरे का दरवाजा सावधानी से खोला. और दबे पाँव अन्दर आये.
कमला देवी गुलाबी रंग का गाउन पहन कर सोयी हुई थीं. गाउन पूरे बदन पर अकेला कपडा था क्योंकि रात में उन्हें चड्ढी और ब्रा पहनने से नींद नहीं आती थी. उनका गाउन ऊपर की तरफ उठ गया था. जिससे उनकी झांटों से भरी हुई चूत साफ़ दिख रही थी. उन्होंने अपने पैर फैला रखे थे. रोशनदान से धुप खुल कर कमला देवी के गोर बदन पर पड़ रही थी. खुली हुई चूत, फैले हुई मोटी लम्बी गोरी जांघे शमशेर को सीधा निमंत्रण दे रही थीं. उन्होंने अपने कपडे सावधानी से उतारे ताकि कोई आवाज न हो. और बिस्तर पर चढ़ गए. उन्होंने अपनी जीभ कमला देवी की झूली चूत पर रख दी और उसे कुत्ते की तरह धीरे धीरे चाटने लगे.
"मम्मम्मम्म....म्मम्म.......उम...." कमला नींद में बडबड़ाई.
शमशेर को और शरारत सूझी. उसने बहन कमला देबी की चूत के दाने को अपने होठों से चूस के हलके से दबा दिया.
"आह..आ....आ....आ....आआआ ..ह", कमला देवी की आवाज से कमरे की दिवारें जैसे गूँज उठीं.
घर की नौकरानी मुनिया उसी समय वहां से गुज़र रही थी. उसने कमला देवी की आवाज सुनी. उसे लगा की उनकी तबियत कुछ खराब है. सीधे कमरे में जाने के बजाय, उसने कमरे की खिड़की का पर्दा खिसकाया. उसने देखा कमला देवी नीचे से पूरी नंगी थीं. मालिक शमशेर उनकी चूत को कुत्ते के समान चाट रहे थे. शमशेर ने कमला देवी का गाउन ऊपर से खिसका रखा था और वो दोनों हाथों से बड़ी बड़ी चुन्चियों को धीरे दबा रहे थे. कमला देवी की आँखें अभी भी बंद थीं जैसे वो कोई खूबसूरत सा सपना देख रहीं थीं और आँखों को खोल कर उसे तोडना नहीं चाहती थीं.