कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस compleet

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007
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Re: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस

Unread post by 007 » 13 Dec 2014 09:33

दीपक: ये सब हुआ कैसे.

इंदु: मे जब बाज़ार से घर आई किचन मे सामान रख कर नहाने के लिए बाथरूम जा
रही थी के निशा के रूम से म्यूज़िक की बहुत तेज़ आवाज़ आ रही थी . मैं बाहर
से ज़ोर से बोली "बेटे आवाज़ कम करो" .मे नहाने के लिए चली गयी . जब वापस
आई तो भी म्यूज़िक तेज़ ही था .

मेने निशा के कमरे का दरवाज़ा खोला तो निशा नीचे ज़मीन पर पड़ी थी तेरे डॅड
के सीने से खून निकल रहा और तू वही कोने मे बेहोश था .

मेने बगल से शर्मा जी को बुलाया जब वो आए तो उन्होने ही पोलीस को फोन किया .

दीपक: मा क्या हमारे घर से कोई समान चोरी हुआ था.

इंदु: नही कोई सामान चोरी नही हुआ ना ही कोई ताला या गेट को तोड़ा गया था
.जब मे मार्केट गयी थी तो लॉक कर के गयी थी .तेरे पापा के पास एक चाबी थी
उसी से वो अंदर आए होंगे ( रोने लगी)

दीपक: मेरे यहा ना होने पर पीछे घर पर कौन -2 आया था .

इंदु: तेरे पापा के बॉस उनकी वाइफ और केदार अंकल.

इंदु: बेटा वो.(रुक गयी)

दीपक: क्या मा?

इंदु: बेटा दिव्या की शादी किसी और से होने वाली है .5दिन पहले उसकी मँगनी
हो गयी .

दीपक: (सिर झुकाए) मा जब दुख आता है तो सब पीछे छूट जाते हैं .चलो ये तो
पता चला कि सच्चा प्यार करना मुश्किल होता है ( झूठी हॅसी चेहरे पर ले आया)

इंदु: अपने पर्स मे से कुछ निकाल रही थी... ये ले कुछ पैसे है तू अपना
ख़याल रखना .

दीपक: पैसे जेब मे रखते हुए ... अपनी मा से बोला मा तुम्हे मेरी कसम है
टाइम से खाना खा लिया करो और रात भर जागा मत करो . (गुस्से मे) मैं जब तक
सच्चाई का पता नही लगाता ना तो कोई मुझे पकड़ सकता ना है ना मुझ से बच सकता
है.

दीपक: मा वकील साहेब को बोलो के मुझे फोरेन्सिक रिपोर्ट और एफ.आइ.आर की एक
कॉपी चाहिए .

इंदु: बोल दूँगी बेटा . पर अब तू कहा पर रह रहा है.

दीपक: मा एक जगह रहना मुश्किल है . आप सारे केस के डॉक्युमेंट्स चंपा के घर
भेज देना मे वही से ले लूँगा

और हां वकील साहेब का फोन नंबर मुझे दो .मुझे उनसे मिलना है .इंदु ने पर्स
से वकील का कार्ड निकाल कर दीपक को थमा दिया .

एक दम से आवाज़ आई "रुक"

लंबा चौड़ा सा इंसान दीपक की ओर दौड़ा .इंदु एक दम से उस पोलीस वाले के
सामने आई .पोलीस वाला बिल्कुल इंदु से बचते हुए जैसे ही साइड हुआ दीवार से
टकरा गया और दीपक को भागने का मौका मिल चुका था.

दीपक जैसे ही मंदिर की सीढ़ियो पर पहुचा दूसरे पोलीस वाले ने उसे पहचान
लिया था वो दीपक पर लपका "रुक साले" पोलीस वाले का हाथ दीपक की गर्देन पर
.दीपक ने अपनी पेंट के जब से छोटा सा नाइफ निकाला और पोलीस वाले के हाथ मे
गाढ दिया .

पोलीस वाला ज़ोर से चीखा आआआआआ. दीपक अपनी पूरी फुर्ती से दौड़ा और उस
पोलीस वाले की आँखों से ओझल हो चुका था .

राणे की जीप हॉस्पिटल के बाहर रुकी .राणे अपने उसी अंदाज़ मे गाड़ी से नीचे
उतरा पॅंट को ज़रा सा उपेर किया और हॉस्पिटल के अंदर हो लिया.

राणे: वाह भाई वाह!.

हवलदार: साहेब अपने आदमी हैं ये वाह क्यू?

राणे: हवलदार की तरफ गुस्से से देखा और बोले बाबू राम हम तो ई सोचे थे के
जब वो ससुरा दीपक इनके हाथ लगेगा तो हम उसकी इतनी धुलाई करेंगे के उसको
हॉस्पिटल जाना पड़े .

पर भाई यहा तो उल्टा माजरा है अपने ही आदमी.

पीछे खड़ा हवलदार फिर हस पड़ा .

घायल पोलीस ऑफीसर: सर वो हाथ आ ही गया था पता नही कब जेब से चाकू निकाल के
चला दिया .

राणे: ह्म्म्म. तुम का कौन ऑफीसर ट्रैनिंग दिए थे.

ऑफीसर: चंदरकांत सर ने.

राणे: तो का उन्होने ये नही बताए के मुजरिम वार भी करता है मूरख.

पीछे खड़ा हवलदार फिर हंसा पर दबी ज़बान मे.

राणे: (दिमाग़ चल रहा था) साला ये कौन से खेत का मूली है दीपक . ऐसा पागल
तो सिर्फ़ दो लोग होते हे.

हवलदार: कौन साहेब.

राणे: एक तो दीवाना और दूसरा घायल शेर .तुमका ई दोनो मे से दीपक कौन लागत
है .

हवलदार: साहेब हमको तो दीवाना लागत है .ससुरे का कोई टांका होगा उसी छमिया
के पीछे होगा .

राणे: कर दी ना हवलदार वाली बात अगेर तुम सही सोचते तो हम आज तुम को साहेब
बोल रहे होते .


इस बार पीछे खड़े हवलदार से अपनी हसी रोकी नही गयी और ज़ोर से हस पड़ा .

राणे हॉस्पिटल से बाहर को हो लिया . राणे जैसे ही जीप मे बैठा उसने जीप के
ड्राइवर को बोला "आज कल बहुत खिल खिल्ला के हँसते हो " का बात है . हवलदार
की एक बार फिर सिट्टी पिटी गुल

आज दीपक को जैल से भागे दो दिन होने वाले थे . रात हो चुकी थी दीपक अपने
छुपने का ठिकाना खोज रहा था . उसको लगा के आज की रात उसे अपने इलाक़े से
दूर बितानी पड़ेगी क्यूकी आज ही दीपक मंदिर मे बॉल -2 बचा था.

दीपक अपने पिता के दोस्त केदार अंकल के घर जाने लगा उनका घर थोड़ी दूर था
दीपक बस स्टॅंड पे खड़ा था बस आई .

टिग्टॉंग. घर की बेल सुनते ही केदार साब गेट खोलने के लिए आए .39 साल के
केदार साब दीपक के पिता राज के ऑफीस मे राज के जूनियर थे और उनके फॅमिली
फ़्रेंड भी .


दरवाज़ा खुलते ही सामने दीपक को देख कर केदार सब थोड़ा घबरा गये .

दीपक: अंकल अंदर आने को नही बोलेंगे.

केदार: ओह! हा हा हां बेटा अंदर आओ .

केदार थोड़ा झल्ला सा गया था उसे डर ये था कि कही दीपक के पीछे पीछे पोलीस
भी उसके घर ना पहुच जाए कही वो खुद ना फस जाए दीपक को अपने घर मे रखने के
लिए.

दीपक: मे जैल से भाग के आया हू अंकल. मुझे अपने पिता और बेहन के केस मे
फँसाया गया है .अंकल आप तो मुझे जानते है क्या मे पापा और निशा का खून कर
सकता हू

केदार: नही बेटा मेने ये कभी नही माना के बेटा जो अपने बाप बेहन को प्यार
करता था वो उनका खून कर दे नामुमकिन है बेटे.

दीपक: अंकल बस मे यही साबित करने के लिए भागा हू जैल से और जिन लोगो ने
मेरी ज़िंदगी मे आग लगा दी है मैं उन्हें अपने हाथो से मार दूँगा.

केदार ने किचन से खाने का सामान ला कर डिन्निंग टेबल पर रखा .

केदार: चलो बेटा खाना खा लो तुम भूखे होगे.

दीपक ने खाना ऐसे खाया जैसे 50 साल बाद उसे खाना नसीब हुआ हो . पिछले एक
महीने मे जैल की जली रोटिया खा -2 कर वो वैसे ही बीमार दिखने लगा था .

केदार ने खाना ख़तम होने पर टेबल सॉफ कर दी .

दीपक: सिर्फ़ आज रात के लिए ही यहा हू अंकल कल सुबह होतेही चला जाउन्गा .
बस आप की मदद चाहिए होगी.

केदार: बेटा ये भी कोई बोलने के बात है तुम्हारे पिता मेरे बड़े भाई तो थे
तुम मुझसे जो मदद बोलो मैं करूँगा .

दीपक: थॅंक यू अंकल .

केदार : बेटा रात के 11:30 बज गये है तुम्हे अब थोड़ा आराम कर लेना चाहिए.

दीपक: जी अंकल.

दीपक को केदार उपेर वाले कमरे मे ले गया बेटे तुम सो जाओ.

दीपक कमरे मे बेड पर लेटा था नींद आँखो से बहुत दूर थी ..... दीपक बेड से
उठा बाथरूम गया . गेट बंद करते हुए वापस आया सामने एक छोटी सी अलमारी थी
दीपक ने हॅंडल को पकड़ के दरवाज़ा खोला वाहा केदार अंकल का सामान पड़ा था
कुछ मेडिसिन्स , दवा के बोतलो से पूरा शेल्फ भरा पड़ा था .दीपक सोचने लगा
अंकल को कितनी बीमारी है जो इतनी दवाई लेते है . दीपक बेड के किनारे आया और
बेड पे फिर सोने के कौशिश करने लगा

007
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Re: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस

Unread post by 007 » 13 Dec 2014 09:34

सुबह 6:00 बजे दीपक के आँख खुली. नहाने के लिए बाथरूम गया फिर बिना बताए घर
से निकल गया .

दीपक चंपा की खोली के बाहर खड़ा था .धीरे से चंपा को आवाज़ दी .

चंपा धीरे से) अंदर आ जाइए साहेब जी

दीपक: चंपा मे तुम्हे बहुत परेशान कर रहा हू पर ये कुछ दिन के लिए ही है .

चंपा: साहेब जी ऐसा ना बोले आप . बड़े साहेब ने मेरी मरती मया को जीवन दान
दिया था .ओपरेशन के सारे पैसे उन्होने ही दिए थे .

दीपक: मुझे तुम्हारी मदद चाहिए . हमारे घर मे जो भी उस दिन गया था वो बड़ा
शातिर था बिना लॉक तोडे घर मे घुसा था.

दीपक: ऐसा काम तो कोई पुराना चोर ही कर सकता हे. पर मुझे नही पता के मे उस
तक केसे पहुचूँगा.

चंपा: साहब जी मे एक आदमी को जानती हू जो छोटी मोटी चोरी चाकरी करता है .

दीपक: कौन?

चंपा: जागया नाम है उसका दो बार छोटे जुर्म मे अंदर भी जा चुका है . पर आज
कल 6महीने से बाहर ही है . अभी थोड़ी देर मे आने वाला होगा यहा .

दीपक थोड़ी देर वही बैठा रहा 3 घंटे बाद . चंपा के दरवाज़े पर दस्तक हुई .
चंपा ने दरवाज़ा खोला जागया बाहर खड़ा था .

चंपा: अंदर आ. खींचते हुए अंदर ले आई.

जागया ने सामने खड़े दीपक को देखा उसको ऐसा लगा मानो पहले उसने उसे कही
देखा हो.

चंपा: ये हमारे दीपक साहेब है इनको तुझ से कुछ पूछना हे .सॉफ -2 जवाब दे
दियो समझा .

जागया:गले मे पड़े रुमाल को हिलाते हुए बोला कोई पोलीस वाला है क्या .

दीपक: नही मे पोलीस वाला नही हू . मुझे तुम से कुछ जानकारी चाहिए .

जागया: बावा अपुन से इच तुमको क्या माँगता है अपुन कोई गूवरमेंट थोड़ी ना
है जो तुम को आज़ादी दिलवा देगा .

चंपा: सीधा -2 जवाब दे ( गुस्से मे )

जागया: पूछो

दीपक: क्या तुम किसी ऐसे आदमी को जानते हो जो सेक्यूरिटी सिस्टम का लॉक
बिना अलार्म बजे खोल देता हो.

जागया : बावा ये तो अपुन के बाए हाथ का खेल है .आज कल तो छोटा बच्चा भी ऐसे
ताले को चुटकी मे खोल दे.पर तुम अपुन से ये सब क्यू पूछ रहा है क्या कही
चोरी करवानी है?

चंपा: अरे ये अपने बगीचे के पीछे वाले बंगलोव वाले बड़े साहेब के बेटे है
जिनका कुछ दिन पहले किसे ने कतल कर दिया था .

जागया के ये बात सुन के पसीने छूटने लगे उसका खड़ा होना भी मुश्किल हो रहा
था .

चंपा: ये सिर्फ़ तुझ से ये जान ना चाहते है के तूने कुछ सुना क्या पिछले
दीनो किसी ने ऐसा काम किया हो.

दो मिनट के लिए जागया के होश ही उड़ गये थे .

जागया: साहेब मैं तो छोटा मोटा चोर हू मे कहा इन खूनियो के बारे मे बता
पाउन्गा .

दीपक: अछा ठीक है पर अगर कुछ पता चले तो ज़रूर बताना.

जागया: जी साहेब ज़रूर बता दूँगा .चंपा मे चलता हू मुझ कुछ काम है .

जागया खोली से बाहर को हुआ . कुछ सेकेंड बाद ही ज़ोर की आवाज़ आई जैसे किसे
ने गोली चलाई हो . दीपक और चंपा दोनो खोली से बाहर आए ....

जैसे ही दोनो बाहर आए खोली से थोड़ी ही दूर जागया नीचे गिरा पड़ा था. दीपक
थोड़ा आगे को हुआ . एक गोली और चली पर दीपक के हाथ को छू कर निकल गयी.


दीपक: (ज़ोर से बोला) चंपा अंदर जाओ.

दीपक भी घबरा गया था .चंपा भागती हुई अंदर खोली मे गयी . दीपक ने सामने जीप
मे बैठे दो लोगो को दूर से देखा पर उसे उनकी शक्ल नही दिख पाई .


दीपक वाहा से भागा उसको पता था के ये लोग पोलीस से ज़यादा चालक है .उसको
मारने की कौशिश फिर करेंगे . करीब आधा घंटा दीपक उन गलियो मे घूमता रहा वो
जीप भी इधर उधर घूम रही थी.


अचानक से दीपक मेन रोड पर जीप को थोड़ी दूर खड़ा देखा दीपक ने इरादा पक्का
किया के इनको आज पकड़ के रहेगा वो गलियो से होता हुआ जीप के पास पहुचा जीप
बिल्कुल सामने खड़ी थी .जीप के काले शीशे उपर चढ़े हुए थे अंदर बैठे लोग
नज़र नही आ रहे थे .


दीपक आराम से आगे बड़ा तभी जीप मे बैठे आदमी ने दीपक को देखा और से बोला
"भगा गाड़ी" इंजन स्टार्ट हुआ जीप आगे बड़ी दीपक ज़ोर से भागा गाड़ी का
शीशा हल्का सा नीचे हुआ.

हल्का सा गाड़ी का सीसा नीचे हुआ दीपक गाड़ी के नज़दीक आ गया था के तभी
शीशे से बाहर हाथ आया जिसमे बंदूक थी दीपक नीचे ज़मीन पर झुका गोली चली
ठाआआआ दीपक का हाथ पहले ज़ख्मी हो चुका लॅकिन फिर भी वो हिमत करके खड़ा हुआ
जब तक गाड़ी थोड़ा आगे जा चुकी थी दीपक ने पास मे पड़ा पत्थर उठाया और लगा
दिया निशान गाड़ी पर .


गाडी काफ़ी आगे चली गयी थी पत्थर गाड़ी के पिछले शीशे पर लगा और कुछ ही देर
मे गाड़ी आँखों से ओझल हो चुकी थी .इस बार दीपक को ही नही बल्कि उन कातीलो
को भी डर लगा था कही वो पकड़े ना जाए .

दीपक चंपा के घर की तरफ हुआ . चंपा जागया की लाश के पास ही बैठी थी और
ज़ोर-2 से रो रही थी .दीपक ने पीछे से जाकर चंपा के कंधे पर हाथ रखा .

चंपा: साहेब ये जागया ने ही आपके घर का ताला तोड़ा था (रोते हुए बोली) .

दीपक: क्याआअ?

चंपा: (रोते हुए) हां साहेब जब आप यहा से गये तो वो गाड़ी भी चली गयी मैं
धीरे से इसके पास आई तो ये बेहोश था और इसके सीने से खून निकल रहा था मेने
इसका नाम लिया तो इसने आँखें खोली .

जागया: चॅम....पा चंपा .

चंपा: (बदहवासी मे) हां जागया .

जागया: चंपा मेने ही दीपक साहेब के घर का ताला खोला था .

चंपा: क्या .... वो लोग कौन थे जिसने तुझ पर गोली चलाई

जागया ने अपनी 3 उंगलिया उपर उठाई और बस यही बोल सका कि " वो ...वो तीन लोग
है " इतना कहते ही जागया की साँसे बंद हो चुकी थी ..

आसपास्स मे लोगो का झुंड इकठ्ठा हो चुका था किसी ने पोलीस को फोन कर दिया
था .

पोलीस की जीप का साइरन सुनते ही .

दीपक: चंपा अब मुझे जाना होगा .. पर तुम पोलीस को ये मत बोलना के मैं यहा
था और जागया ने तुम्हे कुछ भी नही बताया .

चंपा ने हां मे सिर हिलाया .

दीपक भागता हुआ काफ़ी दूर तक आ चुका था जहा उसे पोलीस से कोई ख़तरा नही था .
दुपहर के 4बज रहे थे और उसे भूक लगी थी .

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Re: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस

Unread post by 007 » 13 Dec 2014 09:35

बस्ती मे खून हुआ था तो थाने के इनस्पेक्टर का आना तो बनता था .

राणे जीप से उतरा आगे बढ़ा लाश के पास काफ़ी भीड़ थी.

राणे: का भाई कोई सपेरा खेल दिखा रहा हा का काहे भीड़ लगा रखी है चलो अपने
घर .

हवलदरो ने भीड़ को छाँटा और आस पास देखने लगे .

राणे: हवलदार को इशारा किया ये कौन को है पता करो .

राणे लाश के पास गया और जागया के सीने मे लगी गोली की तरफ देख रहा था हाथ
आगे बढ़ाया जहा गोली लगी थी वाहा के शर्ट के बटन खोले .

दूसरे हवलदार को बोलो इसके कपड़ो की जाँच तो कर . हवलदार ने पॅंट के जेब मे
हाथ डाला तो नोटो के गद्दी निकली .

हवलदार ने राणे को आवाज़ दी साहेब ये देखिए .

राणे: ह्म्*म्म्मम.... साले का कमीज़ तो 4 जगह से फटा है और जेबवा मे इतना
माल .का बात कोई बड़े घरहाने का तो नही ये .

इतने मे पहला हवलदर जो जागया का पता करने गया था वो चंपा को अपने साथ लाया .

हवलदार: साहब ये छोकरी इस के जान ने वाली है .

राणे मुड़ा और हवलदार को बोला बाबू राम तुम को पता है के हम कहा खड़े है .

हवलदार : जी साहब हम बस्ती मे है .

राणे: अरे जाओ ज़रा एक ठो पान लगवा के लाओ .

हवलदर मुड़ा और आगे चल दिया .

राणे: ह्म्*म्म्म. तुहार नाम का है (चंपा से बोला) .

चंपा .

राणे: ह्म्*म्म्मम एई कौन था तुम्हारा

चंपा: हम एक दूसरे से प्यार करते थे और हम शादी करने वाले थे.

राणे: लवर था ....

राणे: नोटो के गद्दी को चंपा को दिखाया ये क्या करता था.

चंपा: (एक मिनट तक तो कुछ बोल नही पाई फिर बोली) ये छोटा मोटा चोर था.

राणे: का तुहार लवर एक चोर............. का जमाना आ गया है . साला चोरो को
भी लव होता है .

राणे: ये इतने पैसे कहा से आए इसके पास .

चंपा: मुझे नही पता .

राणे: ह्म्*म्म्म. इसके साथ यहा और कोई आता था.

चंपा: नही साहेब बस ये ही आता था अकेला .

राणे: जब एई सब हुआ तुम कहा थी.

चंपा: खोली मे ,ये मुझ से मिलके बाहर को आया तो ज़ोर से आवाज़ आई जब मे
बाहर आई तो ये यहा गिरा पड़ा था.

राणे: इसने मरने से पहले कुछ बोला था .

चंपा: नही कुछ नही.

पीछे से हवलदार आया और राणे के हाथ मे कुछ दिया राणे ने अपने मुँह मे पान
डाला और हवलदार को बोला "आज दिमाग़ बहुत स्वाधीष्ट है" ससुरा एई हमारे
इलाक़े मे खून पे खून हो रहा है कही कोई हमारा डैमोशन तो नही करना चाहता .


दीपक केमिस्ट के शॉप पर पहुचा और कुछ सामान लिया . वाहा से वो कहा जाए यही
वो सोच रहा था . दीपक ने सामने से आते ऑटो को रोका और बैठ गया .

ऑटो एक सस्ते से होटेल के सामने रुका दीपक ने रात गुज़ारने के लिए कमरा
लिया .

इंदु अपने कमरे मे बैठे अपनी आल्रमारी मे कुछ ढूंड रही थी . डोरबेल बजी
इंदु ने दरवाज़ा खोला सामने मिस्टर.मयूर खड़े थे राज के बॉस जो अक्सर अपनी
बीवी वीना के साथ इंदु को मिलने आते थे राज उनका काफ़ी करीबी दोस्त था वैसे
तो राज कंपनी के शेर्होल्डर्स मे से एक था पर वो कंपनी के लिए कुछ करना
चाहता था इसलिए उसने माल्लिक नही नौकरी करना ही बेहतर समझा था.

मिस्टर. मयूर अंदर आए .

मयूर: भाभी मेने सुना है दीपक जैल से भाग गया .

इंदु: जी हां .

मयूर: क्या वो आप से मिला .

इंदु: हां मिला था .

बस थोड़ी देर बाद मयूर हाल चल पूछने के बाद वाहा से निकल गये .

...

दीपक होटेल के कमरे मे बैठा था उसके हाथ से जो गोली छू कर निकली थी वो कोई
ज़यादा गहरा ज़ख़्म तो नही पर उस की मलम पट्टी करना ज़रूरी था . अपने जखम
पर डेटोल डाली दीपक के मुँह से आहह निकली उसके बाद उसने पट्टी बंद बाँधी और
बिस्तर पर गिर पड़ा .

आज उसका शरीर बहुत दुख रहा था आँखें जल्दी ही बंद हुई.
दीपक: हेलो मिस्टर.कपूर.

कपूर: या स्पीकिंग.

दीपक: कपूर साहब बहुत सुना है आपके बारे मे बहुत अच्छे वकील है आप.

कपूर: थॅंक यू , आप कौन .

दीपक: मुझे अपना कस्टमर समझिए मे अपने एक केस के सिलसिले मे आप से मिलना
चाहता हू.

कपूर : हां ज़रूर .आप आज दुपहेर के बाद कभी भी मेरे घर आजाए .

दीपक: नही कही बाहर मिलते है .

कपूर: ओकके. आज मेरा कोर्ट हियरिंग है आप मुझे 12:00 पीयेम कोर्ट से थोड़ा
दूर सन्राइज़ केफे मे मिलिए .

दीपक: ओके ..


दीपक ने फोन रखा और एक गारमेंट शॉप मे घुसा उसकी शर्ट पॅंट दोनो काफ़ी जगह
से फट चुकी थी . कपड़े सेलेक्ट करने के बाद दीपक अपने होटेल की तरफ हुआ .

..
राणे: ह्म्*म्म....दीपक की कोई खबर (सामने खड़े ऑफीसर से पूछा जो दीपक के
घर के बाहर ड्यूटी पर था).

ऑफीसर: नही सर.

राणे: घर मे और कौन आ जा रहा है .

ऑफीसर : सर सुबह नौकरानी आती है ,उसके बाद दूध वाला और उसके रिश्ते दार .

राणे:ह्म्म. अरे बाबू राम अगर तुम दीपक की जगह होते तो का करते .

हवलदार: साहब अगर मैं इतने पैसे वाला होता तो भाग जाता यहा से.
राणे:कहा भागता .

हवलदार : साहब इतने बड़ी दुनिया है और जब पैसे की कमी नही तो कही ना कही
चला जाता और ऐश के ज़िंदगी बसर करता .

राणे को हवलदार के बात से कुछ लगा .

राणे: (फोन उठाया नंबर डाइयल किया) हेलो में इनस्पेक्टर राणे बोल रहा हू
मुझे इस इलाक़े मे जिस -2 के पास 9 एएम की पिस्टल है उन सब की रिपोर्ट कल
सुबह टेबल पर चाहिए.

.....
दीपक सन्राइज़ केफे के बाहर वेट कर रहा था थोड़ी देर बाद एक गाड़ी आकर रुकी
उसमे से एक ब्लॅक रंग का कोट पहना आदमी उतरा .दीपक आगे को बड़ा.

दीपक: मिस्टर कपूर.

कपूर: यस आंड यू?

दीपक: दीपक इंदु जी का बेटा .

कपूर थोड़ा हैरत मे हुआ .

केपर: तुमने मुझ से झूठ क्यू बोला .

दीपक: मुझे आप से मिलना था.

कपूर: तुम जानते के तुम एक जैल से भागे कैदी हो और अगर किसे ने मुझे यहा
तुम्हारे साथ बैठे देख लिया तो मेरे लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है .

दीपक : तभी तो आपको यहा बुलाया है ताकि आपको कोई प्राब्लम ना हो आपके घर पर
आपके लिए रिस्क था.

कपूर: तुम करना क्या चाहते हो.

दीपक: खून.


कपूर: क्याअ.?

दीपक: हां खून करना है मुझे जिनलोगो ने मेरे पिता और बहन को मारा है .

कपूर: पर कोर्ट ने तुम्हे मुजरिम ठहराया है समझे.

दीपक: वही तो मुझे जानना है के कैसे तभी मे आप से मिलने आया हू.

कपूर: देखो मे भी नही मानता के कोई बेटा अपने बाप और बेहन का खून कर सकता
हे पर तुम्हारे खिलाफ काफ़ी सबूत थे.

दीपक: सर मुझे फसाया गया था .आप ही सोचिए क्या मे खुद जैल से भाग के यहा आप
के पास आता .

कपूर: देखो मैं तुम्हारी खुले तौर पे तो मदद नही कर सकता हां पर केस से
रेलटीएड अगर तुम पूछना चाहो तो .

दीपक: मा ने आपसे कुछ बोला था.

कपूर: हां उन्होने फोरेन्सिक रिपोर्ट और एफ.आइ.आर. की कॉपी माँगी है. देखो
एफ.आइ.आर की कॉपी तो मे निकलवा चुका हू पर फोरेन्सिक रिपोर्ट वो राणे के
पास है .

दीपक: कौन?

कपूर: यहा का इनस्पेक्टर जो तुम्हे ढूंड रहा है इसी ने तुम्हारे घर से सबूत
इकट्ठे किए थे .

दीपक: क्या ये राणे भी उन लोगो के साथ मिला हो सकता है.

कपूर: क्या पता , लेकिन उसके बारे मे कभी ऐसा सुना नही वो तो रिश्वत भी नही
लेता फिर वो क्यू उनके साथ होगा.

दीपक और कपूर आपस मे बाते कर रहे थे बाहर मेनरोड से किसे ने उनकी कमरे से
"तस्वीर" खींची .

कपूर: तुम ड्रग्स कब से लेते हो.

दीपक: दृगस्स्स्स नही मेने तो आजतक कभी ड्रग्स नही ली और ना ही आज तक कभी
ड्रग्स देखी.

कपूर: तुम जानते हो तुम्हारे खून मे 1000एमजी ड्रग्स मिली थी ये कोई मामूली
बात नही है इस बात ने ही तुम्हे जैल पहुँचा दिया .

कपूर: सरकारी वकील ने ये साबित कर दिया था के तुमने ही नशे मे ये खून किए
थे.

दीपक: देखिए सर मे आप से झूठ नही बोलूँगा उस दिन जब मे घर मे था मेरी बहेन
अपने रूम मे थी मा बाहर घर का सामान लेने गयी थी डॅड को जल्द घर आना था और
हम सब ने बाहर घूमने का प्लान बना रखा था.

कपूर: तुम्हे कुछ तो याद होगा ?

दीपक: नही मुझे उसके बाद कुछ याद नही.

कपूर: जिस कमरे मे खून हुए वाहा तुम चारो के अलावा किसी की उंगलियो के
निशान भी नही मिले.

दीपक: हो सकता है उन लोगो ने ग्लाउब्स पहने हो.

कपूर: हाँ हो सकता हे... एक बता बताओ तुम्हारे परिवार का कोई दुश्मन .

दीपक: दुश्मनी तो कोई नही .

कपूर और दीपक मे थोड़ी देर और कुछ बात हुई . कपूर उठा और अपनी गाड़ी मे बैठ
के निकल गया .

दीपक वाहा से चंपा के घर की ओर हुआ

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