पंडित & शीला compleet

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The Romantic
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Re: पंडित & शीला

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 13:14

पंडित & शीला पार्ट--4

गतांक से आगे...................

वह जानती थी कि पंडित का मतलब कcछि से है...

पंडित: तुम चाहो तो वो शिवलिंग फिलहाल निकाल सकती हो...

शीला खड़ी होकर शिवलिंग की मौलि खोलने लगी...लेकिन गाँठ काफ़ी टाइट लगी
थी....पंडित ने यह देखा..

पंडित: लाओ मैं खोल दूँ..

पंडित भी खड़ा हुआ...शीला के पीछे आ कर वो मौलि खोलने लगा...

पंडित: शिवलिंग ने तुम्हें परेशान तो नहीं किया....ख़ास कर रात में
सोनेः में कोई दिक्कत तो नहीं हुई..?

शीला कैसे कहती की रात को शिवलिंग ने उसके साथ क्या किया है...

शीला: नहीं पंडितजी...कोई परेशानी नहीं हुई..

पंडित ने मौलि खोली......शीला ने शिवलिंग पेटिकोट से निकाला तो पाया की
मौलि उसके पेटिकोट के नाडे में इलझ गयी थी...शीला कुछ देर कोशिश
करती रही लेकिन मौलि नाडे से नहीं निकली...

पंडित: शीला.....पूजा में विलंभ हो रहा है...लाओ मैं निकालूं

पंडित शीला के सामने आया और उसके पेटिकोट के नाडे से मौलि निकालने
लगा........

पंडित: यह ऐसे नहीं निकलेगा...तुम ज़रा लेट जाओ

शीला लेट गयी...पंडित उसके नाडे पे लगा हुआ था...

पंडित: शीला....नाडे की गाँठ खोलनी पड़ेगी...पूजा में विलंभ हो रहा
है...

शीला: जी...

पंडित ने पेटिकोट के नाडे की गाँठ खोल दी....गाँठ खोलने से पॅटिकोट
लूज हो गया और शीला की कछि से थोडा नीचे आ गया....

शीला शर्म से लाल हो रही थी....पंडित ने शीला का पेटिकोट थोड़ा
नीचे सरका दिया....शीला पंडित के सामने लेटी हुई थी....उसका पेटिकोट
उसकी कछि से नीचे था...मौलि निकालते वक़्त पंडित की कोनी (एल्बो) शीला
की चूत के पास लग रही थी....कुछ देर बाद मौलि नाडे से अलग हो गयी..

पंडित: यह लो...निकल गयी...

पंडित ने मौलि निकाल कर शीला के पेटिकोट का नाडा बाँधने लगा....उसने
नाडे की गाँठ बहुत टाइट बाँधी....शीला बोली..

शीला: आह...पंडितजी....बहुत टाइट है....

पंडित ने फिर नाडा खोला.....और इस बार गाँठ लूज बाँधी....

फिर दोनो चौकड़ी मार के बैठ गये..

पंडित: .....अब तुम ये मन्त्र 200 बार पढ़ो...और उसके बाद शिव की आरती
करना...

जब शीला की मन्त्र और आरती ख़तम हो गयी तो पंडित ने कहा...

पंडित: मैनेह कल वेद फिरसे पड़े तो उसमें लिखा था कि स्त्री (वुमन) जितनी
आकर्षक दिखे शिव उतनी ही जल्दी प्रसन्न होते हैं.....इस के लिए स्त्री जितना
चाहेः शृंगार कर सकती है.......लेकिन सच कहूँ.....

शीला: कहिए पंडितजी...

पंडित: तुम पहले से ही इतनी आकर्षक दिखती हो की शायद तुम्हे शृंगार की
आवश्यकता ही ना पड़े........

शीला अपनी तारीफ़ सुन कर शरमाने लगी...

पंडित: मैं सोचता हूँ कि तुम बिना शृंगार के इतनी सुंदर लगती हो...तो
शृंगार के पश्चात तो तुम बिल्कुल अप्सरा लगोगी...

शीला: कैसी बातें करतें हैं पंडितजी....मैं इतनी सुंदर कहाँ
हूँ......

पंडित: तुम नहीं जानती तुम कितनी सुंदर हो......तुम्हारा व्यवहार भी बहुत
चंचल है.....तुम्हारी चाल भी आकर्षित करती है...

शीला यह सब सुन कर शर्मा रही थी...मुस्कुरा रही थी....उसे ये सब अच्छा
लग रहा था...

पंडित: वेदों के अनुसार तुम्हारा शृंगार पवित्र हाथों से होना
चाहिए....अथवा तुम्हारा शृंगार मैं करूँगा......इसमें तुम्हें कोई
आपत्ति तो नहीं....

शीला: नहीं पंडितजी.....

पंडित: शीला.....मुझे याद नहीं रहा था....लेकिन वेदों के अनुसार जो
शिवलिंग मैने तुम्हें दिया था उस पर पंडित का चित्रा होना
चाहिए.....इसलिए इस शिवलिंग पे मैं अपनी एक छोटी सी फोटो चिपका रहा
हूँ.....

शीला: ठीक है पंडितजी...

पंडित: और हाँ...रात को दो बार उठ कर इस शिवलिंग को जै करना...एक बार
सोने से पहले...और दूसरी बार बीच रात मैं

शीला: जी पंडितजी...

पंडित ने शिवलिंग पर अपनी एक छोटी सी फोटो चिपका दी....और शीला को
बाँधने के लिए दे दिया...

शीला ने पहले जैसे शिवलिंग को अपनी टाँगों के बीच बाँध लिया...

शीला अपने कपड़े पहेन के घर चली आई......पंडित से अपनी तारीफ़ सुन कर
वो खुश थी....

सारे दिन शिवलिंग शीला के टाँगों के बीच चुभता रहा....लेकिन अब यह
चुभन शीला को अच्छी लग रही थी...

शीला रात को सोनेः लेटी तो उसे याद आया की शिवलिंग को जै करना है...

उसने सलवार का नाडा खोल के शिवलिंग निकाला और अपने माथे से लगाया...वो
शिवलिंग पे पंडित की फोटो को देखने लगी...

उसे पंडित द्वारा की गयी अपनी तारीफ़ याद आ गयी.....उसेह पंडित अच्छा
लगने लगा था...

कुछ देर तक पंडित की फोटो को देखने के बाद उसने शिवलिंग को वहीं अपनी
टाँगों के बीच में रख दिया और नाडा लगा लिया...

शिवलिंग शीला की चूत को टच कर रहा था....शीला ना चाहते हुए भी एक
हाथ सलवार के ऊपर से ही शिवलिंग पे ले गयी...और शिवलिंग को अपनी चूत
पे दबाने लगी....साथ साथ उसे पंडित की तारीफ़ याद आ रही थी...

उसका दिल कर रहा था कि वो पूरा का पूरा शिवलिंग अपनी चूत में डाल
दे....लेकिन इसे ग़लत मानते हुए और अपना मन मारते हुए उसने शिवलिंग से हाथ
हटा लिया...

आधी रात को उसकी आँख खुली तो उसेह याद आया की शिवलिंग को जै करनी
है...

शिवलिंग का सोचते ही शीला को अपनी हिप्स के बीच में कुछ लगा......शिवलिंग
कल की तरह शीला की हिप्स में फ़सा हुआ था....

शीला ने सलवार का नाडा खोला और शिवलिंग बाहर निकाला.....उसने शिवलिंग
को जै किया....उस पर पंडित की फोटो को देख कर दिल में कहने लगी.."यह क्या
पंडित जी...पीछे क्या कर रहे थे...".....शीला शिवलिंग को अपनी हिप्स के
बीच में ले गयी और अपने गांद पे दबाने लगी.....उसे मज़ा आ रहा था
लेकिन डर की वजह से वो शिवलिंग को गांद से हटा कर टाँगों के बीच ले
आई....उसने शिवलिंग को हल्का सा चूत पे रगड़ा...फिर शिवलिंग को अपने
माथे पे रखा और पंडित की फोटो को देख कर दिल मैं कहने लगी
"पंडितजी....क्या चाहते हो..?...एक विधवा के साथ यह सब करना अच्छी बात
नहीं"..........

फिर उसने वापस शिवलिंग को अपनी जगह बाँध दिया....और गरम चूत ही ले के
सो गयी....

अगले दिन......

पंडित: शीला...शिव को सुंदर स्त्रियाँ आकर्षित करती
हैं......अतः..तुम्हें शृंगार करना होगा....परंतु वेदों के अनुसार यह
शृंगार शूध हाथों से होना चाहिए.......मैने ऐसा पहले इसलिए नहीं
कहा की शायद तुम्हें लज्जा आए...

शीला: पंडितजी...मैने तो आपसे पहले ही कहा था कि मैं भगवान के काम
में कोई लज्जा नहीं करूँगी.....

पंडित: तो मैं तुम्हारा शृंगार खुद अपने हाथों से करूँगा....

शीला: जी पंडितजी...

पंडित: तो जाओ...पहले दूध से स्नान कर आओ..

शीला दूध से नहा आई....

पंडित ने शृंगार का सारा समान तैयार कर रखा था...लिपस्टिक, रूज़,
एए-लाइनर, ग्लिम्मर, बॉडी आयिल.....

शीला ने ब्लाउस और पेटिकोट पहना था....

पंडित: आओ शीला...

पंडित और शीला आमने सामने ज़मीन पर बैठ गये....पंडित शीला के बिल्कुल
पास आ गया

पंडित: तो पहले आँखों से शुरू करते हैं....

पंडित शीला के एए-लाइनर लगाने लगा..

पंडित: शीला...एक बात कहूँ..?

शीला: कहिए पंडितजी..

पंडित: तुम्हारी आँखें बहुत सुंदर हैं....तुम्हारी आँखों में बहुत
गहराई है...

शीला शर्मा गयी....

पंडित: इतनी चमकीली....जीवन से भारी...प्यार बिखेरती........कोई भी इन
आँखों से मन्त्र-मुग्ध हो जाए....

शीला शरमाती रही...कुछ बोली नहीं...थोडा मुस्कुरा रही थी....उसे अच्छा
लग रहा था....

एए-लाइनर लगाने के बाद अब गालों पे रूज़ लगाने की बारी आई..

पंडित ने शीला के गालों पे रूज़ लगातेः हुए कहा...

पंडित: शीला....एक बात कहूँ...?

शीला: जी...कहिए पंडितजी..

पंडित: तुम्हारे गाल कितने कोमल हैं.....जैसे की मखमल के बने हो....इन पे
कुछ लगाती हो क्या.....

शीला: नहीं पंडितजी.....अब शृंगार नहीं करती....केवल नहाते वक़्त साबुन
लगाती हूँ..

पंडित शीला के गालों पे हाथ फेरने लगा...

शीला शर्मा रही थी..

पंडित: शीला...तुम्हारे गाल छूनेः में इतने अच्छे हैं की..शिव का भी
इन्हें...इन्हें....

शीला: इन्हें क्या पंडितजी..?

पंडित: शिव का भी इन गालों का चुंबन लेने को दिल करे..

शीला शर्मा गयी....थोड़ा सा मुस्कुराई भी...अंदर से उससे बहुत अच्छा
लग रहा था...

पंडित: और एक बार चुंबन ले तो छोड़ने का दिल ना करे.....

गालों पे रूज़ लगाने के बाद अब लिप्स की बारी आई....

पंडित: शीला....होंठ (लिप्स) सामने करो...

शीला ने लिप्स सामने करे...

पंडित: मेरे ख़याल से तुम्हारे होंठो पर गाढ़ा लाल (डार्क रेड) रंग बहुत
अच्छा लगेगा....

पंडित ने शीला के होंठो पे लिपस्टिक लगानी शुरू की....शीला ने शरम से
आँखें बंद कर रखी थी...

पंडित: शीला...तुम लिपस्टिक होंठ बंद करके लगाती हो क्या....थोड़े होंठ
खोलो...

शीला ने होंठ खोले......पंडित ने एक हाथ से शीला की तोड़ी पकड़ी और
दूसरे हाथ से लिपस्टिक लगाने लगा....

पंडित: वाह...अति सुंदर.....

शीला: क्या पंडितजी...

पंडित: तुम्हारे होंठ....कितने आकर्षक हैं तुम्हारेहोंठ....क्या बनावट
है......कितने भर्रे भर्रे....कितने गुलाबी...

शीला: ....आप मज़ाक कर रहे हैं पंडितजी....

पंडित: नहीं...शिव की सौगंध.....तुम्हारे होंठ किसी को भी आकर्षित कर
सकते हैं.......तुम्हारे होंठो देख कर तो शिव पार्वती के होंठ भूल
जाए....वह भी ललचा जाए......तुम्हारे होंठो का सेवन करे.....तुम्हारे
होंठो की मदिरा पिएं................

शीला अंदर से मरी जा रही थी....उससे बहुत ही अच्छा फील हो रहा था....

पंडित: एक बात पूछूँ?

शीला: पूछिए पंडितजी..

पंडित: क्या तुम्हारे होंठो का सेवन किसी ने किया है आज तक...

शीला यह सुनते ही बहुत शर्मा गयी....

शीला: एक दो बार....मेरे पति ने..

पंडित: केवल एक दो बार.....

शीला: वो ज़्यादातर बाहर रहते थे....

पंडित: तुम्हारे पति के अलावा और किसी ने नहीं...

शीला: कैसी बातें कर रहें हैं पंडितजी....पति के अलावा और कौन कर
सकता है...क्या वो पाप नहीं है....

पंडित: यदि विवश हो के किया जाए तो पाप है.....वरना
नहीं............लेकिन तुम्हारे होंठो का सेवन बहुत आनंदमयी होगा......ऐसे
होंठो का रूस जिसने नहीं पिया..उसका जीवन अधूरा है...

शीला अंदर ही अंदर खुशी से पागल हुई जा रही थी...........अपनी इतनी
तारीफ़ उसने पहले बार सुनने को मिल रही थी...

फिर पंडित ने हेर-ड्राइयर निकाला..

अब पंडित ड्राइयर से शीला के बॉल सुखाने लगा....शीला के बॉल बहुत लंबे
थे...

पंडित: शीला झूट नहीं बोल रहा...लेकिन तुम्हारे बॉल इतने लंबे और घन्ने
हैं की शिव इनमें खो जाएँगे...

उसने शीला का हेर-स्टाइल चेंज कर दिया...उसके बॉल बहुत फ्लफी हो गये...

एए-लाइनर, रूज़, लिपस्टिक और ड्राइयर लगाने के बाद पंडित ने शीला को शीशा
दिखाया...

शीला को यकीन ही नहीं हुआ कि वह भी इतनी सुंदर दिख सकती है...

पंडित ने वाकई ही शीला का बहुत अच्छा मेक-अप किया था...

ऐसा मेकप देख कर शीला खुद को सेन्ल्युवस फील करने लगी...

उससे पता ना था कि वो भी इतनी एरॉटिक लग सकती है....

पंडित: मैने तुम्हारे लिए ख़ास जड़ीबूटियों का तेल बनाया है....इससे
तुम्हारी त्वचा में निखार आएगा...तुम्हारी त्वचा बहुत मुलायम हो
जाएगी.....तुम अपने बदन पे कौनसा तेल लगाती हो.?

शीला 'बदन' का नाम सुन के थोडा शर्मा गयी.....सेन्ल्युवस तो वो पहले ही
फील कर रही थी...'बदन' का नाम सुनके वो और सेन्युवस फील करने लगी...

शीला: जी...मैं बदन पे कोई तेल नहीं लगाती...

पंडित: चलो कोई नहीं.....अब ज़रा घुटनो के बल खड़ी हो जाओ....

शील नी-डाउन (टू स्टॅंड ओं नीस) हो गयी....

पंडित: मैं तुम पर तेल लगाओंगा....लज्जा ना करना..

शीला: जी पंडितजी...

शीला ब्लाउस-पेटिकोट में घुटनो पे थी......

पंडित भी घुटनो पे हो गया...

शीला के पेट पे तेल लगाने लगा....

अब वो शीला के पीछे आ गया....और शीला की पीठ और कमर पे तेल लगाने
लगा.....

पंडित: शीला तुम्हारी कमर कितनी लचीली है....तेल के बिना भी कितनी
चिकनी लगती है...

पंडित शीला के बिल्कुल पीछे आ गया....दोनो घुटनो पे थे...

शीला के हिप्स और पंडित के लंड मैं मुश्किल से 1 इंच का फासला था...

पंडित पीछे से ही शीला के पेट पे तेल लगाने लगा....

वो उसके पेट पे लंबे लंबे हाथ फेर रहा था...

पंडित: शीला....तुम्हारा बदन तो रेशमी है...तुम्हारे पेट को हाथ
लगाने में कितना आनद आता है....ऐसा लग रहा है कि शनील की रज़ाई पे
हाथ चला रहा हूँ..........

पंडित पीछे से शीला के और पास आ गया...उसका लंड शीला की हिप्स को जस्ट
टच कर रहा था...

पंडित शीला की नेवेल में उंगली घुमाने लगा....

पंडित: तुम्हारी धुन्नी कितनी चिकनी और गहरी है....जानती हो यदि शिव ने
ऐसी धुन्नी देख ली तो वह क्या करेगा..?

शीला: क्या पंडितजी.?

पंडित: साधा तुम्हारी धुन्नी में अपनी जीभ डाले रखेगा.....इसे चूस्ता
और चाट-ता रहेगा

यह सुन कर शीला मुस्कुराने लगी.....शायद हर लड़की/नारी को अपनी तारीफ़
सुनना अच्छा लगता है....चाहे तारीफ़ झूठी ही क्यूँ ना हो....

पंडित एक हाथ शीला के पेट पे फेर रहा था...और दूसरे हाथ की उंगली
शीला की नेवेल में घूममा रहा था...

शीला के पेट पे लंबे लंबे हाथ मारते वक़्त पंडित दो तीन उंगलिया शीला के
ब्लाउस के अंदर भी ले जाता...

टीन चार बार उसकी उंगलियाँ शीला के बूब्स के बॉटम को टच करी....

शीला गरम होती जा रही थी....

पंडित: शीला...अब हमारी पूजा आखरी चरनो(स्टेजस) मैं है.....वेदों के
अनुसार शिव ने कुछ आससन बतायें हैं...

शीला: आससन...कैसे आससन पंडितजी..?

पंडित: अपने शरीर को शूध करने के पश्चात जो स्त्री वो आस्सन लेती
है...शिव उस-से सदा के लिए प्रसन्न हो जाता है..........लेकिन यह आस्सन
तुम्हें एक पंडित के साथ लेने होंगे....परंतु हो सकता है मेरे साथ आससन
लेने में तुम्हें लज्जा आए...

शीला: आपके साथ आस्सन........मुझे कोई आपत्ति नहीं है.......

पंडित: तो तुम मेरे साथ आस्सन लॉगी..?

शीला: जी पंडितजी...

पंडित: लेकिन आस्सन लेने से पहले मुझे भी बदन पे तेल लगाना होगा....और
यह तुम्हें लगाना है...

शीला: जी पंडितजी...

यह कह कर पंडित ने तेल की बॉटल शीला को दे दी....और वो दोनो आमने सामने
आ गये....दोनो घुटनो पे खड़े थे...

शीला ने पंडित की चेस्ट पे तेल लगाना शुरू किया....

पंडित ने चेस्ट, पेट और अंडरआर्म्स शेव किए थे......इसलिए उसकी स्किन बिल्कुल
स्मूद थी...

शीला पहले भी पंडित के बदन से अट्रॅक्ट हो चुकी थी....आज पंडित के बदन
पे तेल लगाने से उसका बदन और चिकना हो गया...............वो पंडित की
चेस्ट, पेट, बाहें और पीठ पर तेल लगाने लगी.....वह अंदर से पंडित के
बदन से लिपटना चाह रही थी....शीला भी पंडित के पीछे आ गयी...और
उसकी पीठ पे तेल मलने लगी...फिर पीछे से ही उसके पेट और छाती पे तेल
मलने लगी....शीला के बूब्स हल्के हल्के पंडित की पीठ से टच हो रहे
थे....शीला ने भी पंडित की नेवेल में दो तीन बार उंगली घुमाई......
पंडित: शीला...तुम्हारे हाथों का स्पर्श कितना सुखदायी है....

शीला कहना चाह रही थी कि 'पंडितजी..आपके बदन का स्पर्श भी बहुत
सुखदायी है... '........लेकिन शर्म की वजह से ना कह पाई.......

पंडित: चलो...अब आस्सन ले...........पहले आस्सन में हम दोनो को एक दूसरे
से पीठ मिला कर बैठना है...

पंडित और शीला चौकड़ी मार के और एक दूसरे की तरफ पीठ कर के बैठ
गये....फिर दोनो पास पास आए जिससे की दोनो की पीठ मिल जाए.....

पंडित की पीठ तो पहले ही नंगी थी क्यूंकी उसने सिर्फ़ लूँगी पहनी
थी....शीला ब्लाउस और पेटिकोट में थी......उसकी लोवर पीठ तो नंगी
थी ही....उसके ब्लाउस के हुक्स भी नहीं थे इसलिए ऊपर के पीठ भी थोड़ी
सी एक्सपोज़्ड थी...

दोनो नंगी पीठ से पीठ मिला कर बैठ गये...

पंडित: शीला...अब हाथ जोड़ लो....

पंडित हल्के हल्के शीला की पीठ को अपनी पीठ से रगड़नेः लगा...दोनो की
पीठ पे तेल लगा था...इसलिए दोनो की पीठ चिकनी हो रही थी....

पंडित: शीला......तुम्हारी पीठ का स्पर्श कितना अच्छा है.......क्या तुमनें
इससे पहले कभी अपनी नंगी पीठ किसी की पीठ से मिलाई है..?

शीला: नहीं पंडितजी....पहली बार मिला रही हूँ....

शीला भी हल्के हल्के पंडित की पीठ पे अपनी पीठ रगड़नेः लगी....

पंडित: चलो...अब घुटनो पे खड़े होकर पीठ से पीठ मिलानी है....

दोनो घुटनो के बल हो गये....

एक दूसरे की पीठ से चिपक गये.....इस पोज़िशन में सिर्फ़ पीठ ही नहीं..दोनो
की हिप्स भी चिपक रहीं थी...

पंडित: अब अपनी बाहें मेरी बाहों में डाल के अपनी तरफ हल्के हल्के
खीँचो...

दोनो एक दूसरे की बाहों में बाहें डाल के खींच ने लगे....दोनो की नंगी
पीठ और हिप्स एक दूसरे की पीठ और हिप्स से चिपक गयी....

पंडित अपनी हिप्स शीला की हिप्स पे रगड़ने लगा....शीला भी अपनी हिप्स पंडित
की हिप्स पे रगड़ने लगी...

शीला की चूत गरम होती जारही थी..

पंडित: शीला.....क्या तुम्हें मेरी पीठ का स्पर्श सुखदायी लगा रहा है..?

शीला शरमाई....लेकिन कुछ बोल ही पड़ी...

शीला: हाँ पंडितजी......आपकी पीठ का स्पर्श बहुत सुखदायी है...

पंडित: ...और नीचे का..?..

शीला समझ गयी पंडित का इशारा हिप्स की तरफ है..

शीला: ..ह..हाँ पंडितजी...

दोनो एक दूसरे की हिप्स को रगड़ रहे थे...

पंडित: शीला.....तुम्हारे चूतड़ भी कितने कोमल लगते हैं....कितने
सुडोल...मेरे चूतड़ तो थोड़े कठोर हैं...

शीला: पंडितजी....आदमियों के थोड़े कठोर ही अच्छे लगते हैं....

पंडित: अब मैं पेट के बल लेटूँगा...और तुम मेरे ऊपर पेट के बल लेट जाना...

शीला: जी पंडितजी...

पंडित ज़मीन पर पेट के बल लेट गया और शीला पंडित के ऊपर पेट के बल लेट
गयी...

शीला के बूब्स पंडित की पीठ पे चिपके हुए थे...

शीला का नंगा पेट पंडित की नंगी पीठ से चिपका हुआ था....

शीला खुद ही अपना पेट पंडित की पीठ पे रगड़ने लगी....

पंडित: शीला.....तुम्हारे पेट का स्पर्श ऐसे लगता है जैसे की मैने शनील
की रज़ाई औड ली हो.....और एक बात कहूँ...

शीला: स...कहिए पंडितजी..

पंडित: तुम्हारे स्तनो का स्पर्श तो......

शीला अपने बूब्स भी पंडित की पीठ पे रगड़ने लगी...

शीला: तो क्या....

पंडित: मदहोश कर देने वाला है.....तुम्हारे स्तनो को हाथों में लेने के
लिए कोई भी ललचा जाए...

शीला: स्सह.........

पंडित: अब मैं सीधा लेटूँगा और तुम मुझ पर पेट के बल लेट जाओ....लेकिन
तुम्हारा मुँह मेरे चरनो की और मेरा मुँह तुम्हारे चरनो की तरफ होना
चाहिए...

पंडित पीठ के बल लेट गया और शीला पंडित के ऊपर पेट के बल लेट गयी....

शीला की टाँगें पंडित के फेस की तरफ थी........शीला की नेवेल पंडित के
लंड पे थी....वह उसके सख़्त लंड को महसूस कर रही थी.....

पंडित शीला की टाँगों पे हाथ फेरने लगा...

पंडित: शीला........तुम्हारी टाँगें कितनी अच्छी हैं....

पंडित ने शीला का पेटिकोट ऊपर चड़ा दिया और उसकी थाइस मलने लगा....

उसने शीला की टाँगें और वाइड कर दी.....शीला की पॅंटी सॉफ दिख रही
थी...

पंडित शीला की चूत के पास हल्के हल्के हाथ फेरने लगा....

पंडित: शीला....तुम्हारी जाघे कितनी गोरी और मुलायम हैं.....

चूत के पास हाथ लगाने से शीला और भी गरम हो रही थी....

पंडित: तुम्हें अब तक सबसे अच्छा आस्सन कौनसा लगा.?

शीला: स....वो...घुटनो के बल....पीठ से पीठ...नीचे से नीचे वाला.....

पंडित: चलो....अब मैं बैठ-ता हूँ...और तुम्हें सामने से मेरे कंधों पे
बैठना है.....मेरा सिर तुम्हारी टाँगों के बीच में होना चाहिए...

शीला: जी....

शीला ने पंडित का सिर अपनी टाँगों के बीच लिया और उसके कंधों पे बैठ
गयी...

इस पोज़िशन में शीला की नेवेल पंडित के लिप्स पे आ रही थी....

पंडित अपनी जीभ बाहर निकाल के शीला की धुन्नी में घुमाने लगा...

शीला को बहुत मज़ा आ रहा था...

क्रमशः..............................


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Re: पंडित & शीला

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 13:15

पंडित & शीला पार्ट--5

गतांक से आगे......................

पंडित: शीला...आँखें बाद करके बोलो..स्वाहा..

शीला: स्वाहा..

पंडित: शीला....तुम्हारी धुन्नी कितनी मीठी और गहरी है..............क्या
तुम्हें यह वाला आससन अच्छा लग रहा है..

शीला: हान्न...पंडितजी....यह आस्सन बहुत अच्छा है....बहुत अच्छाअ...

पंडित: क्या किसी ने तुम्हारी धुन्नी में जीभ डाली है....

शीला: आहह....नहीं पंडितजी...आप पहले हैं...

पंडित: अब तुम मेरे कंधों पे रह के ही पीछे की तरफ लेट जाओ.....हाथों से
ज़मीन का सहारा ले लो...

शीला पंडित के कंधों का सहारा लेकर लेट गयी......

अब पंडित के लिप्स के सामने शीला की चूत थी....

पंडित धीरे से अपने हाथ शीला के स्तनो पे ले गया...और ब्लाउस के ऊपर से
ही दबाने लगा...

शीला यही चाह रही थी.....

पंडित: शीला....तुम्हारे स्तन कितने भर्रे भर्रे हैं.......अच्छे
अच्छे....

शीला: आहह.......

शीला ने एक हाथ से अपना पेटिकोट ऊपर चड़ा दिया और अपनी चूत को पंडित
के लिप्स पे लगा दिया....

पंडित कच्ची के ऊपर से ही शीला की चूत पे जीभ मारने लगा....

पंडित: शीला....अब तुम मेरी झोली मैं आ जाओ...

शीला फॉरेन पंडित के लंड पे बैठ गयी.....उस-से लिपट गयी....

पंडित: आ....शीला...यह आस्सन अच्छा है..?..

शीला: स..स..सबसे.अच्छा....ऊओ पंडितजी...

पंडित: ऊहह...शीला....आज तुम बहुत कामुक लग रही हो.....क्या तुम मेरे
साथ काम करना चाहती हो..?

शीला: हाँ पंडितजी.....सस्स.......मेरी काम अग्नि को शांत
कीजिए....हह...प्लीज़..पंडितजी...

पंडित शीला के बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा....शीला बार बार अपनी चूत
पंडित के लंड पे दबाने लगी...

पंडित ने शीला का ब्लाउस उतार के फेंक दिया और उसके निपल्स को अपने मुँह
में ले लिया.....

शीला: आअहह...पंडितजी....मेरा उद्धार करो....मेरे साथ काम करो....

पंडित: बहुत नहाई है मेरे दूध से.....सारा दूध पीजाउन्गा तेरी
चूचियो का....

शीला: आअहह....पी जाओ.....मैं सीसी...कब मना करती हूँ...पी लो
पंडितजी....पी लो....

कुछ देर तक दूध पीने के बाद अब दोनो से और नहीं सहा जा रहा था...

पंडित ने बैठे बैठे ही अपनी लूँगी खोल के अपने कछे से अपना लंड
निकाला...शीला ने भी बैठे बैठे ही अपनी कच्ची थोड़ी नीचे कर दी....

पंडित: चल जल्दी कर.....

शीला पंडित के सख़्त लंड पर बैठ गयी....लंड पूरा उसकी चूत में चला
गया....

शीला: आअहह......स्वाहा....करदो मेरा स्वाहा..आ...

शीला पंडित के लंड पे ऊपर नीचे होने लगी....चुदाई ज़ोरो पे थी....

पंडित: आहह.....मेरी रानी.....मेरी पुजारन.....तेरी योनि कितनी अच्छी
है....कितनी सुखदायी.....मेरी बासुरी को बहुत मज़ा आ रहा है....

शीला: पंडितजी.....आपकी बासुरी भी बड़ी सुखदायी है....आपकी बासुरी मेरी
योनि में बड़ी मीठी धुन बजा रही है...

पंडित: शिवलिंग को छोड़....पहले मेरे लिंग की जै कर ले.....बहुत मज़ा देगा
यह तेरेको..

शीला: ऊऊआअ....प्प....पंडितजी....रात को तो आपके शिवलिंग ने कहाँ कहाँ
घुसने की कोशिश की......

पंडित: मेरी रानी...एयेए....फिकर मत कर.....स...तुझे जहाँ जहाँ घुस्वाना
है....मैं घुसाऊंगा....

शीला: आअहह......पंडितजी....एक विधवा को...दिलासा नहीं....मर्द का बदन
चाहिए....असली सुख तो इसी में है....क्यूँ.......आआ....बोलिए ना
पंडितजी...आऐईए...

पंडित: हाँ..आ....

अब शीला लेट गयी और पंडित उसके ऊपर आकर उसे चोदने लगा...

साथ साथ वो शीला के बूब्स भी दबा रहा था...

पंडित: आअहह...उस....आज के लिया तेरा पति बन जाऊं...बोल...

शीला: आआई...सस्स.......ई.....हाआन्न....बन जाओ.....

पंडित: मेरा बान (अर्रो) आज तेरी योनि को चीर देगा......मेरी प्यारी....

शीला: आअहह.....चीर दो....आआअहह....चईएर दो नाअ.....आआहह

पंडित: आअहह...ऊऊऊऊ नही स्‍वाहा

दोनो एक साथ झाड़ गये और पंडित ने सारा सीमेन शीला की चूत के ऊपर झाड़
दिया....

शीला: आहह......

अब शीला पंडित से आँखें नहीं मिला पा रही थी......

पंडित शीला के साथ लेट गया और उसके गालों को चूमने लगा...

शीला: पंडितजी....क्या मैने पाप कर दिया है....?..

पंडित: नहीं शीला.....पंडित के साथ काम करने से तुम्हारी शुधता बढ़
गयी है.....

शीला कपड़े पहेन के और मेकप उतार के घर चली आई.....

आज पंडित ने उसे शिवलिंग बाँधने को नहीं दिया था.....

रात को सोतेः वक़्त शीला शिवलिंग को मिस कर रही थी.......

उसे पंडित के साथ हुई चुदाई याद आने लगी..................वो मन ही मन
में सोचने लगी..'पंडितजी...आप बड़े वो हैं....कब मेरे साथ क्या क्या करते
चले गये..पता ही नहीं चला...पंडितजी...आपका बदन कितना अच्छा
है........अपने बदन की इतनी तारीफ़ मैने पहली बार सुनी है.........आप
यहाँ क्यूँ नहीं हैं..'

शीला ने अपना सलवार का नडा खोला और अपनी चूत को रगड़ने
लगी....'पंडितजी....मुझे क्या हो रहा है'..यह सोचने लगी...

चूत से हटा के उंगली गांद पे ले गयी...और गांद को रगड़ने लगी....'यह
मुझे कैसा रोग लग गया है...टाँगों के बीच में भी चुभन.....हिप्स के
बीच में भी चुभन.....ओह..'...

अगले दिन रोज़ की तरह सुबेह 5 बजे शीला मंदिर आई.....इस वक़्त मंदिर में
और कोई ना हुआ करता था...

पंडित ने शीला को इशारे से मंदिर के पीछे आने को कहा.....

शीला मंदिर के पीछे आ गयी....आतेः ही शीला पंडित से लिपट गयी..

शीला: ओह...पंडितजी....

पंडित: श...शीला........

पंडित शीला को लिप्स पे चूमने लगा....शीला की आस दबाने लगा...शीला भी
कस के पंडित के होंठो को चूम रही थी......तभी मंदिर का घंटा
बजा.....और दोनो अलग हो गये.....

मंदिर में कोई पूजा करने आया था......पंडित अपनी चूमा-चॅटी चोर के
मंदिर में आ गया......

जब मंदिर फिर खाली हो गया तो पंडित शीला के पास आया.

पंडित: शीला....इस वक़्त तो कोई ना कोई आता ही रहेगा.....तुम वही अपने पूजा
के टाइम पे आ जाना...

शीला अपनी पूजा करके चली आई..........उसका पंडित को छोड़ने का दिल नहीं
कर रहा था...खेर....वो 12:45 बजे का इंतज़ार करने लगी.....

12:45 बजे वो पंडित के घर पहुँची......दरवाज़ा खुलते ही वो पंडित से लिपट
गयी...

पंडित ने जल्दी से दरवाज़ा बंद किया और शीला को लेकर ज़मीन पे बिछी
चादर पे ले आया.....

शीला ने पंडित को कस के बाहों में ले लिया..... पंडित के फेस पर किस पे
किस किए जा रही थी....अब दोनो लेट गये तह और पंडित शीला के ऊपर
था....

दोनो एक दूसरे के होंठो को कस कस के चूमने लगे...

पंडित शीला के होंठो पे अपनी जीभ चलाने लगा.....शीला ने भी मुँह खोल
दिया...अपनी जीभ निकाल के पंडित की जीभ को चाटने लगी.........पंडित ने
अपनी पूरी जीभ शीला के म्नूः में डाल दी......शीला पंडित के दातों पे
जीभ चलाने लगी....

पंडित: ओह...शीला.....मेरी रानी...तेरी जीभ...तेरा मुँह तो मिल्क-केक जैसा
मीठा है...

शीला: पंडितजी...एयेए......आपके होंठ बड़े रसीलें हैं.....आपकी जीभ
शरबत है..आआहह...

पंडित: ओह्ह्ह...शीला....

पंडित शीला के गले को चूमने लगा......

आज शीला सफेद सारी-ब्लाउस में आई थी......

पंडित शीला का पल्लू हटा के उसके स्तनो को दबाने लगा....शीला ने खुद ही
ब्लाउस और ब्रा निकाल दिया..

पंडित उसके बूब्स पे टूट पड़ा.....उसके निपल्स को कस कस केचूसने लगा....

शीला: ह...पंडितजी.....आराम से.......मेरे स्तन आपको इतने अच्छे लगे
हैं...?...आऐईई....

पंडित: हाँ......तेरे स्तनो का जवाब नहीं.....तेरा दूध कितनी क्रीम वाला
है.....और तेरे गुलाबी निपल्स...इने तो मैं खा जाऊँगा...

शीला: आअहह....ह...ई......तो खा जाओ ना...मना कौन करता है......

पंडित शीला के निपल्स को दातों के बीच में लेके दबाने लगा...

शीला: आऐईए......इतना मत काटो.....आहह....वरना अपनी इस भेंस (काउ) का
दूध नहीं पी पाओगे....

पंडित: ऊओ...मेरी भेंस.....मैं हमेशा तेरा दुदु पीता रहूँगा....

शीला: ई...त..आआ....तो..पी..आ...लो ना.....निकालो ना मेरा
दूध......खाली कर दो मेरे स्तनो को.....

पंडित कुछ देर तक शीला के स्तनो को चूस्ता, चबाता, दबाता और काट-ता
रहा...

फिर पंडित नीचे की तरफ आ गया.....उसने शीला की सारी और पेटिकोट उसके
पेट तक चढ़ा दिए.....उसकी टाँगें खोल दी......

पंडित: शीला....आज कच्ची पहनने की क्या ज़रूरत थी....

शीला: पंडितजी...आगे से नहीं पहेनूगी....

पंडित ने शीला की कच्ची निकाल दी...

पंडित: मेरी रानी....अपनी योनि द्वार का सेवन तो करादे....

यह कह कर पंडित शीला की चूत चाट-ने लगा..........शीला के बदन में
करेंट सा दौड़ गया....शीला पहली बार चूत चटवा रही थी....

शीला: आआहह......म...एमेम..म.....मेरी योनि का सेवन कर लो
पंडितजी.....तुम्हारे लिए सारे द्वार खुले हैं....अपनी शूध जीभ से मेरी
योनि का भोग लगा लो....मेरी योनि भी पवित्र हो जाएगी.......आआहह

पंडित: आअहह...मज़ा आ गया....

शीला: अया....हां..हां.....ले लो मज़ा.....एक विधवा को तुमने गरम तो कर
ही दिया है....इसकी योनि चखने का मौका मत गावाओ.......मेरे
पंडितजी...आआईई..........प......

पंडित ने शीला को पेट के बल लिटा दिया...उसकी सारी और पेटिकोट उसकी हिप्स
के ऊपर चढ़ा दिए..और शीला की हिप्स पे किस करने लगा...शीला की हिप्स
थोड़ी बड़ी थी...बहुत सॉफ्ट थी....

पंडित: शीला.....मैं तो तेरे चूतड़ पे मर जाऊं......

शीला: पंडितजी....आहह...मरना ही है तो मेरे छूतदों के असली द्वार पे
मरो......आपने जो शिवलिंग दिया था वो मेरे छूतदों के द्वार पे आकर ही
फस्ता था...........

पंडित: तू फिकर मत कर.....तेरे हर एक द्वार का भोग लगाऊँगा....

यह कह कर पंडित ने शीला को घोड़ा बनाया...और उसकी गांद चाट-ने लगा....

शीला को इसमें बहुत अच्छा लग रहा था.........पंडित शीला का अशोल
चाट-ने के साथ साथ उसकी फुददी को रगड़ रहा था.......

शीला: आअहह....चलो...पंडितजी...अब स्वाहा कर दो.....उउस्स्ष्ह

पंडित: चल....अब मेरा प्रसाद लेने के लिए तैय्यर हो जा...

शीला: आहह...पंडितजी.....आज मैं प्रसाद पीछे से लूँगी....

पंडित: चल मेरी रानी....जैसे तेरी मर्ज़ी......

पंडित ने धीरे धीरे शीला की गांद में अपना पूरा लंड डाल दिया......

शीला: आआआहहह......

पंडित: अया...शीला प्यारी....बस कुछ सबर करले....आहह

शीला: आआहह....पंडितजी....मेरे पीछे...आऐईए...पीछे के द्वार मे आपका स्वागत है

पंडित: आअहह....मेरे बान (आरो) को तेरा पिछला द्वार बहुत अच्छा लगा
है.....कितना टाइट और चिकना है तेरा पीछे का द्वार.....

शीला: आअहह....पंडितजी.....अपनेह स्कूटर की स्पीड बड़ा दो....रेस दो
ना....एयेए...

पंडित ने गांद में धक्कों की स्पीड बड़ा दी...

फिर शीला के गांद से निकाल कर लंड उसकी फुददी में डाल दिया....

शीला: आई माआ........कोई द्वार मत छोड़ना........आआ...आपकी बासुरी मेरे
बीच के...आहह......द्वार में क्या धुन बजा रही है..........

पंडित: मेरी शीला.....मेरी रानी....तेरे छेदों में मैं ही बासुरी
बजाओंगा....

शीला: आअहह...पंडितजी....मुझे योनि में बहुत...अया....खुजली हो रही
है.....अब अपना चाकू मेरी योनि पे चला दो......मिटा दो मेरी
खुजली.....मिताआओ ना.....

पंडित ने शीला को लिटा दिया.....और उसके ऊपर आके अपना लंड उसकी चूत
में डाल दिया......साथ साथ उसने अपनी एक उंगली शीला के गांद में डाल
दी....

शीला: आअहह....पंडितजी.....प्यार करो इस विधवा लड़की को......अपनी
बासुरी से तेज़ तेज़ धुन निकालो......मिटा दो मेरी
खुजली................आहहहह....आ.आ..ए.ए.....

पंडित: आआहह...मेरी राअनी.......

शीला: ऊऊहह......मेरे राज्जाअ.......और तेज़ .........अओउुउउर्र्ररर
तेज़्ज़्ज़.....आआहह.........अंदर...और अंदर
आज्ज्जाआ......आअहह....प्प्प...स.स..स.

पंडित: .....आहह...ओह्ह्ह..........शीला...प्यारी....मैं छूट-ने वाला
हूँ....

शीला: आअहह......मैं भीइ....आआ...ई.......ऊऊऊ.....अंदर ही
......गिरा....द...दो अपना....प्रसाद.....

पंडित: आअहह...........

शीला: आआहह..................आ..आह...
आह.........आह..............आह....
भाई लोगो आप सब भी बोलो स्वाहा स्वाहा आहा आहा


--

The Romantic
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Re: पंडित & शीला

Unread post by The Romantic » 16 Dec 2014 13:15

पंडित & शीला पार्ट--6

गतांक से आगे......................

सारा माल शीला की फुद्दी में गिराने के बाद पंडित ने अपना लिंग बाहर खींचा ..और शीला को प्यासी नजरों से देखा ..शीला उनके देखने के अंदाज से शरमा उठी ..


शीला : क्या देख रहे है पंडितजी ..


पंडित : देख रहा हु की तुम्हारे अन्दर कितनी कामवासना दबी पड़ी थी ..अगर मैंने तुम्हे भोगा नहीं होता तो ये सारा योवन व्यर्थ चला जाता .. कितने सुन्दर केश है तुम्हारे ..और ये स्तन तो मुझे संसार में सबसे सुन्दर प्रतीत होते है ..और तुम्हारी ये मांसल कमर और नितंभ ..सच में शीला तुम काम की मूरत हो ..


शीला अपने शरीर की तारीफ सुनकर मंद ही मंद मुस्कुरा रही थी ..उसके गाल लाल सुर्ख हो उठे ..


शीला : आपने मुझे ऐसी अवस्था में पहचानकर मेरा निवारन किया है ..आप ही आज से मेरे गुरु और देवता है ..आप जब भी चाहे मेरे शरीर का अपनी इच्छा के अनुसार इस्तेमाल कर सकते है ..


जब शीला ने ये कहा तो पंडित का दिमाग घोड़े की तरह से चलने लगा ..


पंडितजी को गहरी सोच में डूबे देखकर शीला उनके पास खिसक कर आई और उनके लिंग को अपने हाथ में पकड़कर उन्हें चेतना में लायी ..


शीला : क्या सोचने लगे पंडित जी ..


पंडित : उम .. नं .कुछ नहीं ...


शीला के हाथो में आकर उनका लंड फिर से अपने प्रचंड रूप में आने लगा ..


पर तभी बाहर *** में किसी ने घंटी बजाई ..पंडित जी ने जल्दी से अपनी धोती पहनी और शीला से बोले : तुम अन्दर जाकर अपने अंगो को पानी से साफ़ कर लो ..मैं अभी वापिस आकर तुम्हे दोबारा स्वर्ग का मजा देता हु ..


पंडित जी की बात सुनकर शीला के स्तनों में फिर से तनाव आ गया,दोबारा चुदने का ख़याल आते ही वो फुर्ती से उठी और नंगी ही अन्दर स्नानघर की तरफ चल दी ..


बाहर पहुंचकर पंडित जी ने देखा की दूसरी गली में रहने वाली माधवी जिसकी उम्र 38 के आस पास थी, वो अपनी बेटी रितु जो 11वीं कक्षा में पड़ती थी, के साथ खड़ी थी .


पंडितजी माधवी को देखते खुश हो गए ..हो भी क्यों न , वो रोज आया करती थी और उसका भरा हुआ जिस्म पंडित जी को हमेशा आकर्षित करता था .. और उसका पति गिरधर जो गली-2 जाकर ठेले पर सब्जियां बेचा करता था, वो पंडितजी का करीबी दोस्त बन चूका था और वो दोनों अक्सर पंडितजी के कमरे में बैठकर शराब पिया करते थे ..और दोनों जब नशे में चूर हो जाते तो अपने-2 मन की बातें एक दुसरे के सामने निकालकर अपना मन हल्का किया करते थे ..और उनका टॉपिक हमेशा सेक्स के आस पास ही घूमता रहता था .. पर उन दोनों की इतनी घनिष्टता के बारे में कोई भी नहीं जानता था, गिरधर की पत्नी माधवी भी नहीं ..


पंडित ने कभी भी गिरधर को ये नहीं बताया था की उनका मन उसकी पत्नी के प्रति आकर्षित है ..गिरधर जब भी पंडित जी के पास आकर बैठता तो वो अपनी जिन्दगी का रोना उनके सामने सुना कर अपना मन हल्का कर लेता था, वो अपनी पत्नी यानी माधवी के सेक्स के प्रति रूचि ना दिखाने को लेकर अक्सर परेशान रहता था ..रंडियों के पास जाने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे ..पूरा दिन गलियों में सब्जियां बेचकर वो इतना ही कमा सकता था की अपने परिवार का पालन पोषण कर पाए ..इसलिए रोज रात को शराब लेकर वो पंडित जी के पास जाकर अपने दुःख दर्द सुनाता और पंडितजी भी अपने 'ख़ास' दोस्त के साथ कुछ पल बिताकर अपना रूतबा और पहचान भूल जाते और खुलकर मजा करते .



माधवी : नमस्कार पंडित जी ..


पंडित : आओ आओ माधवी नमस्कार ..आज इस समय कैसे आना हुआ ..


वो अक्सर सुबह ही आया करती थी ..और दोपहर के समय उसको देखकर और वो भी उस वक़्त जब अन्दर कमरे में शीला नंगी होकर उनका वेट कर रही थी ..कोई और मौका होता तो वो भी माधवी से गप्पे मारकर अपनी आँखों की सिकाई कर लेते पर अभी तो उसको टरकाने में मूड में थे ., ताकि अन्दर जाकर फिर से शीला के योवन का सेवन कर पाए .


माधवी : पंडित जी ..आप तो जानते ही है इनके (गिरधर) बारे में ..पूरा दिन मेहनत करते है और रात पता नहीं कहाँ जाकर शराब पीते है और अपनी आधी से ज्यादा कमाई फूंक देते है ..ये मेरी बेटी रितु है और ये पड़ने में काफी होशियार है पर स्कूल में भरने लायक फीस नहीं है इस महीने ..मैं बस आपसे ये कहने आई थी की अगर हो सके तो आप उनको समझाओ ताकि हमारी बेटी आगे पढाई पूरी कर सके ..वो आपकी बात कभी नहीं टालेंगे ..


माधवी जानती तो थी की गिरधर अक्सर पंडितजी के साथ बैठता है पर वो ये नहीं जानती थी की उनके साथ बैठकर ही वो शराब भी पीता है और उसके बारे में बातें भी करता है .

पंडित : अरे माधवी ..तुम परेशान मत हो ..वो बेचारा भी परेशान रहता है अपने और तुम्हारे संबंधों को लेकर ..


ये बात सुनकर माधवी चोंक गयी पर अपनी बेटी के पास खड़ा होने की वजह से वो पंडितजी से कुछ ना पूछ पायी की क्या -2 बात होती है उन दोनों के बीच ..


पंडित जी : और रही बात रितु की पढाई की तो तुम इसकी चिंता मत करो ..ये कोष में आने वाले पैसो से आगे की पढाई करेगी ..और तुम इसे मना मत करना, क्योंकि ऊपर वाले को यही मंजूर है की तुम्हारी बेटी आगे पड़े और तुम इसे एहसान मत समझना , जब भी तुम्हारे पास पैसे हो तो तुम कोष में डाल कर अपना ऋण उतार देना ..


पंडितजी की बात सुनकर माधवी की आँखों में आंसू आ गए और उसने आगे बढकर उनके पैर छु लिए ..पंडितजी ने उसकी कमर पर हाथ रखकर उसकी ब्रा को फील लिया और अपने हाथ को वहां रगड़कर उसके मांसल जिस्म का मजा लेने लगे ..


माधवी : रितु ...चल जल्दी से यहाँ आ ..पंडितजी के पैर छु ..इनके आशीर्वाद से अब तुझे चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है, तू आगे पड़ पाएगी ...


अपनी माँ की बात सुनकर रितु भी आगे आई और उसने झुककर पंडितजी के पैर छुए ..


आज पंडितजी ने पहली बार रितु को गौर से देखा था ..उसके उभार अभी आने शुरू ही हुए थे ..काफी दुबली थी वो ..अपनी माँ से एकदम विपरीत ..पंडितजी ने उसके सर पर हाथ फेरा और उसके गले से नजरे हटा कर वापिस माधवी के छलकते हुए उरोजों का चक्षु चोदन करने लगे ..


पंडितजी का आशीर्वाद पाकर दोनों उठ खड़े हुए प्रसाद लेकर वापिस चल दिए ..

जाते-2 माधवी रितु को थोडा दूर छोड़कर वापिस आई और पंडितजी से धीरे से बोली : पंडितजी ..इन्होने जो भी आपसे हमारे बारे में बात की है उसके बारे में मैं आपसे विस्तार में बात करने कल दोपहर को आउंगी ..इसी समय ..


इतना कहकर वो चली गयी ..


पंडितजी मन ही मन खुश हो उठे ..पहले शीला और अब ये माधवी ..अगर ये भी मिल जाए तो उनके वारे न्यारे हो जायेंगे ..पर अभी तो उन्हें शीला का सेवन करना था जो अन्दर उनके कमरे में नंगी होकर उनका इन्तजार कर रही थी ..


चुदने के लिए .

पंडितजी वापिस अपने कमरे में आये तो देखा की शीला अभी तक बाथरूम में ही है .

उन्होंने अपने लिंग को धोती में ही मसला और अन्दर जाने के लिए जैसे ही उन्होंने दरवाजा खोला तो उन्होंने देखा की शीला नहाने के पश्चात अपना बदन पोंछ रही है और उसकी पीठ है उनकी तरफ और वो झुक कर अपनी जांघो और पैरों का पानी साफ़ कर रही है ..

उसकी इस मुद्रा में उभर कर बाहर निकल रही उसकी मोटी गांड बड़ी ही लुभावनी लग रही थी ..और ठीक उसके गुदा द्वार के नीचे उसकी चूत का द्वार भी ऊपर से नीचे की तरफ कटाव में दिख रहे होंठों की तरह दिखाई दे रही थी जिसमे से कुछ तो पानी की बूंदे और कुछ उसके अपने रस की बूंदे निकल कर बाहर आ रही थी ..

इतना उत्तेजित कर देने वाला दृश्य पंडितजी की सहनशक्ति से बाहर था, उन्होंने झट से उसके पीछे झुक कर अपना मुंह दोनों जाँघों के बीच घुसेड दिया ..

शीला अपनी चूत पर हुए इस अचानकिये हमले से घबरा गयी पर पंडितजी की जिव्हा ने जब उसके रस से भरे सागर में डुबकी लगाई तो शीला के तन बदन में आग सी लग गयी ..वो मचल उठी ..और थोडा पीछे की तरफ होकर अपना भार पंडितजी के मुंह के ऊपर डाल दिया ..


''उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ पंडितजी ....क्या करते हो ...बता तो दिया करो ..मेरी फुद्दी को ऐसे हमलों की आदत नहीं है ..''


पंडित : ''अरे शीला रानी ..अब तो ऐसे हमलों की आदत डाल लो ..मुझे हमला करके शिकार करने की ही आदत है ..ऐसे में शिकार को खाने का मजा दुगना हो जाता है ..जैसे अब हो गया है ..देखा तुम्हारी चूत में से कैसे रसीली चाशनी निकल कर मुझे तृप्त कर रही है ..''


पंडित ने अपने पैर आगे की तरफ कर लिए और खुद अपने चुतड गीले फर्श पर टिका कर बैठ गया ..उसने अपने हाथ ऊपर करके शीला के दो विशाल कलश पकड़ लिए और उनके बीच से रिस रहा अमृत अपने मुंह पर गिराकर उसका सेवन करने लगा ..

शीला ने भी अपना पूरा भार पंडित के चेहरे पर गिरा कर अपने आप को पंडितजी के मुंह पर विराजमान करवा लिया ..जैसे पंडित का मुंह नहीं कोई कुर्सी हो ..

पंडित जी की जीभ किसी सर्प की तरह शीला की शहद की डिबिया के अन्दर जाकर उसका पान कर रही थी ..और जब पंडितजी ने उसकी क्लिट को अपने होंठों के मोहपाश में बाँधा तो वो भाव विभोर होकर पंडित जी के मुख का चोदन करने लगी ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह पंडित जी ....उम्म्म्म्म ....हाँ .....आप कितने निपुण है काम क्रिया में ...अह्ह्ह्ह्ह ऐसा एहसास तो मैंने आज तक नहीं पाया ...अह्ह्ह्ह ....और जोर से चुसो मुझे ...मुझे निगल जाओ ...पंडित ...जॆऎए .....अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''


और कुछ बोलने की हालत में नहीं बची बेचारी शीला ..पंडित ने उसकी क्लिट को अपने होंठों में नीम्बू की तरह से निचोड़ कर उसका रस पी लिया ...

शीला का शरीर कम्पन के साथ झड़ता हुआ उनके चेहरे पर अपना गीलापन उड़ेल कर शिथिल हो गया ..

पंडित जी ने अपने शरीर को नीचे के गीले फर्श पर पूरा बिछा दिया और शीला को घुमा कर अपनी तरफ किया ..और उसकी ताजा चुसी चूत को अपने लंड महाराज के सपुर्द करके उन्होंने एक सरल और तेज झटके के साथ उसके अन्दर प्रवेश कर लिया ..

शीला अभी तक अपने ओर्गास्म से उभर भी नहीं पायी थी की इस नए हमले से उसकी आँखे उबल कर फिर से बाहर आ गयी ..और सामने पाया पंडित जी को ..जो आनंद उसे आज पंडितजी ने दिया था अब उसका बदला उतारने का समय था ..उसने पंडितजी के रस से भीगे होंठो को अपने मुंह में भरा और उन्हें चूसकर अपने ही रस का स्वाद लेने लगी ..

नीचे से पंडित जी ने अपने लंड के धक्को से उसकी मोटी गांड की थिरकन और बड़ा दी ..अब तो उनके हर धक्के से उसका पूरा बदन हिल उठता और उसके स्तन पंडितजी के चेहरे पर पानी के गुब्बारों की तरह टकरा कर उन्हें और तेजी से चोदने का निमंत्रद देते ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह् शीला ....कितना चिकना है तुम्हारा शरीर ...मन तो करता है अपनी पूरी साधना तुम्हारे शरीर को समर्पित करते हुए करूँ .अह्ह्ह्ह्ह ......तुम्हारी फुद्दी को चूसकर मैंने तो आज अमृत को पी लिया हो जैसे ...अह्ह्ह्ह्ह बड़ा ही नशीला है तुम्हारा हर एक अंग ...और खासकर तुम्हारी ये चूचियां ...''

इतना कहकर पंडित ने उसकी चूचियां अपने मुख में डाली और उन्हें जोर-2 से चूसने लगा ..

पंडित जी को अपने शरीर की प्रशंसा करते पाकर वो मन ही मन खुश हो गयी और उसने भी पंडित को अपनी छातियों से नवजात शिशु की तरह से चिपका कर उन्हें अपना स्तनपान करवाने लगी ..और पंडित जी और तेजी से उसकी चूत का मर्दन अपने लिंग से करने लगे ..

गाडी पूरी चरम सीमा पर चल रही थी ..पंडित जी ने अपने रस को आखिरकार उसकी रसीली डिबिया में उड़ेल कर अपने लंड के नीचे लटकी गोटियों का भार थोडा कम किया ..

''अह्ह्ह्ह्ह शीला ......मजा आ गया ...सच में तुम काम की मूरत हो ..तुम जितने दिन तक इन सब से वंचित रही हो मैं उसकी भरपायी करूँगा और तुम्हे हर रोज दुगना मजा दिया करूँगा ...''

शीला पंडितजी की बात सुनकर आनंदित हो उठी और नीचे झुककर उसने पंडित जी के लिंग को अपने मुंह में भरकर पूरी तरह से साफ़ कर दिया ..और फिर दोनों मिलकर नहाए ..

और उसके बाद शीला ने अपने कपडे पहने और पीछे के दरवाजे से निकल कर जल्दी-2 अपने घर की तरफ चल दी .

और हमेशा की तरह उसे आज भी किसी ने जाते हुए नहीं देखा ..

रात को 9 बजे सभी कार्य से निवृत होकर पंडित जी जैसे ही अपने कक्ष में पहुंचे , पीछे के दरवाजे पर दस्तक हुई ..

वो समझ गए की गिरधर ही होगा ..ये समय उसके ही आने का होता था ..उन्होंने दरवाजा खोल दिया और गिरधर अन्दर आ गया ..उसकी सब्जी की रेहड़ी बाहर ही खड़ी थी . और हमेशा की तरह उसके हाथ में शराब की बोतल थी और कागज़ के लिफ़ाफ़े में कुछ नमकीन वगेरह ..

आज तो पंडित जी उसकी ही प्रतीक्षा कर रहे थे ..दोनों अन्दर जाकर बैठ गए और गिरधर ने दो गिलास बनाए ..और दोनों ने पी डाले ..और उसके बाद दूसरा ..और फिर तीसरा ..

हमेशा की तरह गिरधर 2 गिलास पीने के बाद अपनी पत्नी माधवी के बारे में बोलने लगा ..

गिरधर : ''पंडित जी ..आप कितने सुखी हो ..अकेले रहते हो ..कोई टोकने वाला नहीं , घर ग्रहस्ती के बंधन से आजाद हो आप ..और मुझे देखो ..बीबी तो है पर उसका सुख नहीं ..साली ...अपने पास फटकने भी नहीं देती ..बोलती है ..बेटी बड़ी हो गयी है ...शराब पीकर मत आया करो ..अब ये सब शोभा नहीं देता ..अरे पंडित जी ..एक आदमी पूरा दिन कमाई करके जब घर आता है तो उसे दो ही चीज की तमन्ना होती है ..एक दारु और दूसरी, बीबी की चूत ...पर यहाँ तो साली दोनों के लिए मना करती है ..अब आप ही बताओ पंडित जी ..मैं क्या करूँ .''

वो शराब के नशे में बोले जा रहा था और पंडित जी उसकी बातों का मजा लेते हुए सिप भर रहे थे ..

और वो हमेशा ऐसा ही करते थे ..वो सिर्फ उसकी बातें सुनते थे ..अपनी तरफ से कोई राय या सुझाव नहीं देते थे ..पर आज माधवी के साथ हुई मुलाकात को लेकर उन्होंने जो सोचा था उसके लिए गिरधर से बात करना जरुरी था ..

पंडित जी : ''मैं समझ सकता हु गिरधर ..की तुम्हे कितनी तकलीफ होती है ..जब माधवी भाभी तुम्हे अपनी .
चू ... ''

चूत कह्ते पंडित जी रुक गए ..

गिरधर :''हाँ पंडित जी ..साली चूत देने में नखरे करती है ..आपने तो देखा ही है उसको ..कितना भरा हुआ जिस्म है माधवी का ..इतनी बड़ी-2 छातियाँ है ..उन्हें पीने को तरस गया हु पंडित जी ..''

वो शराब के नशे में अपनी पत्नी के बारे में बके जा रहा था ..और पंडित जी का लंड उसकी बाते सुनकर माधवी को सोचकर खड़ा हुए जा रहा था ..

पंडित जी : ''अच्छा सुनो ..मेरे पास एक आईडिया है ..अगर तुम उसपर अमल करो तो तुम्हारी पत्नी तुमसे पहले जैसा प्यार करने लग जायेगी ..''

पंडितजी की बात सुनकर गिरधर की आँखे चमक उठी ..उसका सार नशा रफूचक्कर हो गया ..वो उनके सामने हाथ जोड़कर बैठ गया ..जैसे कोई भक्त निवारण करवाने के लिए आया हो ..

गिरधर :''पंडित जी ...आप अगर ऐसा चमत्कार कर सके तो मैं जिन्दगी भर आपका गुलाम बनकर रहूँगा ..मुझे बताइये क्या करना होगा ..''


पंडितजी मन ही मन मुस्कुराए ..वो जानते थे की उनका शिकार अब बोतल में उतर चूका है और अब वो वही करेगा जो वो चाहते हैं ..

उन्होंने अपनी योजना गिरधर को बतानी शुरू की .

गिरधर के जाने के बाद पंडितजी अपनी किस्मत को सराहते हुए गहरी नींद में सो गए ..

अगले दिन सुबह कार्य से निवृत होकर वो माधवी का इन्तजार करने लगे ..उन्होंने आज सुबह ही कोष में से कुछ रूपए निकाल कर अलग कर लिए थे उसको देने के लिए ..


माधवी ठीक 11 बजे आई ..पंडित जी ने उसको अपने साथ पीछे की तरफ अपने कमरे में आने को कहा ..वो बिना किसी अवरोध के उनके पीछे चल दी, वो भी जानती थी की जो बातें उसे और पंडितजी को करनी है उनके बारे में मोहल्ले के किसी भी व्यक्ति को पता न चले ..इसलिए ऐसी बातें छुप कर करना ही लाभदायक है .


अपने कमरे में जाते ही पंडितजी अपने दीवान पर चोकड़ी मारकर बैठ गए ..माधवी हाथ जोड़े उनके छोटे से कमरे के अन्दर आई और उनके सामने जमीन पर पड़े हुए कालीन के ऊपर पालती मारकर, हाथ जोड़कर बैठ गयी ..


पंडितजी : ''ये लो माधवी ..रितु की पढाई के लिए पैसे ..''


पंडितजी ने सबसे पहले उसे पैसे इसलिए दिए ताकि वो उनकी किसी भी बात का विरोध करने की परिस्थिति में ना रहे ..

माधवी ने हाथ जोड़ कर वो पैसे अपने हाथ में ले लिए और अपने ब्लाउस में ठूस लिए ..

पंडितजी की चोदस निगाहें ऊपर आसन पर उसकी गहराईयों का अवलोकन कर रहे थे ..

माधवी : ''धन्यवाद पंडितजी ..आपका ये एहसान मैं कभी नहीं भुला पाऊँगी ..और मैं वादा करती हु की जल्दी ही ये सारे पैसे मैं वापिस कोष में डालकर अपना बोझ कम कर दूँगी ..''

पंडितजी :'' ठीक है माधवी ..मैं तो बस यही चाहता हु की रितु की पढाई में कोई बाधा ना आये ..''

वो अपने हाथ जोड़कर उनके सामने बैठी रही ..और थोड़ी देर चुप रहने के बाद वो धीरे से बोली : ''और ..और पंडितजी ..आप जो बात कल बोल रहे थे ..वो ..वो ..क्या कह रहे थे हमारे बारे में ..''


पंडित तो काफी देर से इसी बात की प्रतीक्षा में बैठा था की कब माधवी उस बात का जिक्र करेगी .... उसकी बात सुनकर वो धीरे से मुस्कुराए ..


पंडितजी : ''देखो माधवी ..वैसे तो मुझे किसी के ग्रहस्त जीवन में बोलने का कोई हक नहीं है ..पर मैं गिरधर को अपने मित्र की तरह मानता हु ..और वो भी मुझे अपने मित्र की तरह मानकर अपनी परेशानियां मुझे बेझिझक सुना देता है ..अब कल की ही बात ले लो ..रात को आकर मुझे बोल रहा था की तुम उसे अपने जिस्म को हाथ नहीं लगाने देती हो ..और पिछले 1 महीने से तो उसने तुम्हारा चुम्बन भी नहीं लिया ..''

माधवी शर्म से गड़ी जा रही थी पंडितजी के मुंह से अपने बारे में ये सब बातें सुनकर ..

पंडित ने आगे कहा : ''देखो माधवी ..तुम चाहे जो भी कहो, है तो आखिर वो तुम्हारा पति ही न ..और पति-पत्नी के बीच शारीरिक सम्बन्ध उनके साथ रहने में एक अहम् भूमिका निभाते हैं ..हर इंसान चाहता है की उसकी पत्नी मानसिक और शारीरिक रूप से उसे पूरा प्यार दे ..और अगर तुम ये सब नहीं करोगी तो उसका मन भटक जाएगा ..वो बाहर जाकर शारीरिक सुख को पाने का प्रयत्न करेगा ..और ये तुम्हारे संबंधो के लिए हानिकारक हो सकता है ..''


माधवी काफी देर तक पंडितजी की बातें प्रवचन सुनती रही ..और आखिर में वो बोल ही पड़ी : ''पंडितजी ..आपने सिर्फ उनकी बातें ही सुनी है ..और मुझे दोषी बना डाला .. ''


पंडितजी : ''तो बताओ न मुझे ...क्या परेशानी है तुम्हे ..क्यों तुम ऐसा बर्ताव करती हो गिरधर के साथ ..देखो माधवी ..तुम मुझे भी अपना मित्र समझो और मुझे सब कुछ बता दो ..ये बात हम दोनों के बीच ही रहेगी ..इतना तो विशवास कर ही सकती हो तुम मुझपर ..''


कहते-2 पंडित जी ने आगे झुककर माधवी के कंधे पर हाथ रख दिया जैसे वो उसके शरोर को छुकर अपना भरोसा प्रकट करना चाहते हो ..और मौके का फायेदा उठाकर उन्होंने उसके नंगे कंधे के मांसल हिस्से को धीरे-2 सहलाना शुरू कर दिया ..


माधवी ने अपना चेहरा ऊपर उठाया ,उसकी आँखों में आंसू थे ..: ''पंडित जी ..जिस दिन से इन्हें शराब पीने की लत लगी है, वो अपने आपे में नहीं रहते ..उन्होंने आपको ये तो बता दिया की मैंने एक महीने से उन्हें अपने पास नहीं आने दिया, पर ये नहीं बताया होगा की उन्होंने क्या हरकत की थी जिसकी वजह से मैंने वो सब किया ..


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