गाओं की गोरियाँ --2
नरेंद्र और आशा फिरसे नहा लिए और नहाने के बाद आशा नरेंद्र से बोली कि मुझे अब घर जाना है. घर पर बहुत से काम बाकी है. ये सुन कर आनद अपनी जगह से निकल कर फिर से आम के बगीचे मे चला गया. वो आशा का इन्तिजार करने लगा. उसको आशा से बात करनी थी, क्योंकी आशा से बात करने का ये सही समय था. थोड़ी देर के बाद आशा उसी रास्ते से धीरे धीरे चल कर आई. आनंद आम के पेड़ के पीछे से निकल कर आशा के सामने आकर खड़ा हो गया. "आनंद भाई शहाब, आप यहाँ क्या कर रहे है?" आशा ने रुक रुक कर आनद से पूछा. आशा को डर था की कहीं आनंद ने सब कुछ देख तो नही लिया. आनद बोला, "मैं तो नरेंद्र के पास जा रहा था लेकिन मैने तुम को उसके साथ देखा. तुम उसके साथ काफ़ी बिज़ी थी और इसीलिए मैने तुम दोनो को परेशान नही किया." "आपने सब कुछ देखा?" आशा ने आनंद से पूछा और उसकी चहेरा शरम से लाल हो गया. आशा ने अपना सिर झुका लिया. आनंद तब आशा से बोला, "तुम्हे मालूम है अगर मैं सब कुछ अजीत से बोल दूं तो तुम्हारा क्या हाल होगा?" "भाई शहाब, प्लीज़ मेरे पति को कुछ मत कहिए, मैं अब फिर से ये सब काम नही करूँगी" "प्लीज़ किसी से भी कुछ मत कहिए मैं आप को जो भी चीज़ माँगेंगे दूँगी" आशा आनंद केसामने गिड-गिडाने लगी. "तुम मुझे क्या दे सकती हो?" आनंद ने मौका देख कर आशा से पूछा. "कुछ भी, आप जो भी मगेंगे मैं देने के लिए तयार हूँ," आशा बिना कुछ सोचे समझे आनंद से बोली "ठीक है, तुम मेरे साथ आओ. मुझे तुम्हारी बहुत ज़रूरत है! मैने तुमको नरेंद्र के साथ कल दोपहर और आज सुबह देख कर बुरी तरह से परेशान हो गया हूँ. मैं इस समय तुमको जम कर चोदना चाहता हूँ," आनंद ने आशा से कहा. "ये कैसे हो सकता है, मैं तो तुम्हारे अच्छे दोस्त की बीवी हूँ" आशा ने विरोध किया. "तुम मेरे लिए एक भाई समान हो, तुम मेरे साथ ये सब गंदे काम कैसे कर सकते हो" आशा ने आनंद से कहा. "तुम अपने वादे के खिलाफ नही जा सकती हो, अगर तुम मेरे साथ नही चलती तो मैं ये सब बात अजीत को बता दूँगा" आनंद ने आशा को य्र कहा कर धमकाया. आशा चुप चाप आनंद की बात सुनती रही और फिर एक ठंडी सांस लेकर बोली, "ठीक है, जैसा तुम कहोगे मैं वैसा ही करूँगी," वो जानती थी कि आनँदके साथ चुदाई की बात अजीत को नही मालूम चलेगी, लेकिन अगर उसको नरेंद्र के साथ रोज रोज की चुदाई की बात मालूम चल गयी तो वो उसकी खाल उधेर देगा. "ठीक है, लेकिन बस सिर्फ़ आज जो करना है कर लो," आशा ने आनंद से कहा. आनंद ये सुन कर मुस्कुरा दिया और आशा को एक सुन सान जगह पर ले गया. ये जगह आम की बगीचे से दूर थी और रास्ते से भी बहुत दूर, यहाँ पर किसी के भी आने की गुंजाइश नही थी. आनंद सुन सान जगह पर पहुँच कर अपनी धोती उतार कर ज़मीन पर बिछा दिया. उसका लंड इस्सामय अंडरवेर के अंदर धीरे धीरे खरा हो रहा था. उसने आशा से कोई बात ना करते हुए उसको अपनी बाहों मे भर लिया और आशा को चूमने लगा. आशा ने भी मन मार कर अपना मुँह आनंद के लिए खोल दिया जिससे कि आनंद अपनी जीव उसके मुह के अंदर डाल सके. जैसे आनंद, आशा को चूमने और चाटने लगा, आशा भी धीरे धीरे गरमा कर आनंद को चूमने लगी. आशा को अपनी जाँघो के उप्पेर आनंद का खड़ा लंड महसूस होने लगा. आनंद ने आशा की साड़ी खोल दी और अब आशा अपने ब्लाउस और पेटिकोट मे थी. आनंद ने अपना मुँह आशा की चूंची के उपेर रख कर उसकी चूंची को ब्लाउस के उप्पेर से ही चूमने और चाटने लगा. फिर आशा को आनंद ने नीचे अपनी धोती पर बैठा दिया और खुद भी उसके पास बैठ गया. अब तक आनंद का लंड काफ़ी तन चुक्का था और वो उसके अंडरवेर को तंबू बना चुक्का था. ये देख कर आशा की आँखें चमक उठी. उसने अंडरवेर के उप्पेर से ही आनंद का लंड पकड़ लिया और अपने हाथों मे लेकर उसकी लुम्बाइ और मोटाई नापने ल्गी. "अरे वह, तुम्हारा लंड बहुत तगड़ा है, है ना?" आशा खुशी से बोल पड़ी और आनंद का लंड धीरे धीरे अंडरवेर से निकालने लगी. आशा ने जब आनंद का 10" लंबा लंड देखा तो उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी. आनंद अपना अंडरवेर और शर्ट उतार कर आशा के सामने पूरी तरह से नंगा हो गया. आशा ने आनंद के लंड को अपने हाथों मे लेकर खिलोने की तरह खेलने लगी. आशा अपना चहेरा आनंद के लंड के पास लाकर उस लंड को घूर घूर कर देखने लगी और उसपर हाथ फेरने लगी. आशा को आनंद के लंड का लाल लाल और फूला हुआ सुपरा बड़ा प्यारा लग रहा था और बहुत असचर्या हो रहा था. वो बोली, "मैने अब तक इतना लंबा लंड और इतना बड़ा सुपरा नही देखा है." आशा आनंद के लंड के उस सुपरे को धीरे से अपने मुँह मे ले कर चूमने और चूसने लगी. फिर वो उसको अपने मुँह से निकाल देखने लगी और अपनी जीव से उसके छेद तो चाटने लगी. आनंद को अपने लंड पर आशा की जीव की बहुत सुखद अनुभूति हो रही थी. अब आनंद उठ कर बैठ गया और आशा के ब्लाउस और पेटिकोट खोलने लगा. इस समय आनंद आशा को नगी देखना चाहता था और उसके चूंची से खेलना चाहता था. आशा के ब्लाउस खुलते ही उसकी बड़ी बड़ी चूंची बाहर आ गयी और उनको देखते ही आनंद उन पर टूट पड़ा. आनंद को आशा की चूंची बहुत सुंदर दिख रही थी. "तुम्हे ये पसंद है? ये अच्छे है ना? पास आओ और इनको पकडो, शरमाओ मत." आशा ने अपने चूंची को एक हाथ से पकड़ कर आनंद को भेंट करते हुए दूसरे हाथ से उसका लंड मुठियाने लगी. आनंद पहले तो थोड़ा हिचकिचाया और फिर हिम्मत करके उन नंगी चूचियों पर अपना हाथ रखे. उसे उनको छूने के बाद बहुत गरम और नरम लगा. आनंद उन चूचियों को दोनो हाथों से पकड़ कर मसल्ने लगा, जैसे की कोई आटा गुथता है. वो जितना उनको मसल्ता था आशा उतनी ही उत्तेजित हो रही थी. आशा की निपल उत्तेजना से खड़ी हो गयी और करीब एक इंच के बराबर तन कर खड़ी हो गयी. आनंद अपने आप को रोक नही पाया. उसने निपल को अपने होठों के बिच ले लिया और धीरे धीरे चूसने लगा. आशा अब ज़मीन पर लेट गयी और आनंद को अपने हाथों मे बाँध कर के अपने उपेर खींच लिया. आनद ने आशा का पेटिकोट कमर तक उठा दिया और उसकी झटों भरी चूत पर अपना हाथ फेरने लगा. अनद ने पाया कि आशा की चूत बहुत गीली हो गयी है और उसमे से काम रस छू छू कर बाहर निकल रहा है. आनद ने पहले अपनी एक उंगली और फिर दो उंगली आशा की गरम चूत के अंदर डाल दी. आनंद अपने अंगूठे से आशा की चूत की घुंडी को सहलाने लगा. आशा बहुत गरमा गयी थी. आशा ने अपनी दोनो पैर चिपका लिए और अपनी सुडोल और चिकने जांघों के बीच आनंद का हाथ दबा लिया. आशा ने अपनी दूसरी चूंची को पकड़ कर आनंद से उसको चूसने के लिए कहा और आनंद ने आशा की बात मानते हुए उसकी दूसरी चूंची को अपने हाथों मे लेकर चूसने लगा. हालंकी ये लोग पेड़ के साए के नीचे थे फिर भी जवानी की गर्मी से पसीने निकल रहा था. आनंद ने धीरे से आशा के पेटिकोट का नडा खींच कर खोल दिया और उसको आशा के शरीर से निकाल दिया.
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Re: गाओं की गोरियाँ
आनद को आशा का नगा जिस्म बहुत पसंद आया और वो उस नगे जिस्म को घूर घूर कर देखता रहा. आशा की नगा जिस्म देख कर आनंद को लगा कि उसका बदन भरा भरा है लेकिन उसका बदन बहुत सुडोल और गाथा हुआ है. आनद ने आशा की जाँघो को खोल कर घुटने मोड़ दिए और वो खुद उनके बीच आ गया. आशा ने अपनी जाँघो को पूरा का पूरा फैला दिया जिससे कि आनंद उनके बीच बैठ सके. आशा ने आनंद के खड़े हुए लंड को अपने हाथों मे पकड़ कर अपनी चूत के मुहाने पर लगा दिया. "आनंद भाई शहाब, ज़रा धीरे धीरे करना, मुझे आपका गधे जैसे लंड से डर लग रहा है. मैने आज तक इतना बड़ा लंड अपनी चूत के अंदर नही लिया है." फिर आशा अपने चूतर उछाल कर आनंद का लंड अपनी चूत लेने की कोशिश करने लगी. थोड़ी देर के बाद आशा को अपनी चूत के दरवाजे पर आनंद का सुपरा का स्पर्श महसूस हुआ. आशा ने तब अपने आप को ज़मीन पर बिछा दिया और आनंद का मोटा ताज़ा लंड अपनी चूत मे घुसने का इन्तिजर करने लगी. आनंद ने अपने चूतर उठा कर एक ज़ोर दार झटका मारा और उसका आधा लंड आशा की चूत मे समा गया. आनंद ने तब दो मिनिट रुक कर एक और झटका मारा और उसका पूरा पूरा 10" लंबा लंड आशा की चूत की गहराई मे घुस गया. आशा अपनी चूत मे आनंद के लंड की लंबाई और मोटाई महसूस कर रही थी और नरेंद्र और अजीत के छोटे लंड से फ़र्क का अंदाज़ा लगा रही थी. आशा को लग रहा था कि उसकी चूत आनंद का लंड घुसने से दो फांको मे फॅट रही है. उसको आनंद का लंड अपने बच्चेदानि मे घुसने का अहसास हो रहा था और आनंद का हर धक्का उसकी शरीर को मदहोश कर रहा था. आशा को अबतक अपनी चूत की चुदाई मे इतना मज़ा कभी नही मिला था. वो आनंद के हर धक्के के जवाब अपने चूतर उछाल कर दे रही थी. "क्यों आनंद क्या तुम्हारा लंड पूरा का पूरा मेरी चूत मे समा गया?" आनंद आशा किचूत मे अपन लंड पेलता हुआ बोला, "हाँ, तुम्हारी चूत मे लंड पेलने का मज़ा ही कुछ और है. मुँझे तुम्हारी चूत चोदने मे बहुत मज़ा आ रहा है." आनद ने अपना लंड आशा की चूत मे जड़ तक घुसेड कर आशा को धीरे धीरे चोदने लगा. आनंद को आशा की चूत की गर्मी और रसिल्ला अंदाज बहुत अक्च्छा लग रहा था. आनंद को आशा के चूतर के दोनो तरफ अपने हाथ रख कर उसकी चूत मे अपना लंड को घुसते और निकलते देख कर बहुत अक्च्छा लगा और वो मारे उत्तेजना के आशा की दोनो चूंची को पकड़ मसल्ने लगा. दोनो चुदाई मे मस्गुल थे और दोनो एक दूसरे के लंड और चूत को खनका रहे थे. इस समय दोनो एक दूसरे को कमर चला चला कर धक्का मार रहे थे और आनंद का लंड आशा की चूत को बुरी तरह चोद रहा था. दोनो इस समय पसीने से नहा चुके थे पर फिर भी किसी को होश नही था. आशा ने अपनी चूत उछालते हुए आनद को अपनी बाँहो मे बाँध लिया और बोलने लगी "आनद जी और ज़ोर से चोदो, आज फार दो मेरी छूट अपने मोटे लंड के धक्के से, बहुत मज़ा आ रहा है, और छोड़ो, रुकना मत बस छोड़ते रहो, बस ज़ोर ज़ोर से मेरी छूट मे अपना लंड डालते रहो." आनंद ने छोड़ने का रफ़्तार बरहा दिया. वो भी इस समय झड़ने के कगार पर था. आनंद ये सोच कर कि वो आशा की गुलाबी रसिल्ले चूत मे अपना लंड पेल रहा है बहुत उत्तेजित हो गया. आनद मारे गर्मी की आशा की चूत मे अपना लंड ज़ोर ज़ोर से पेल रहा था और बॅडबड़ा था, "है, आशा तेरी चूत तो मक्खन के समान चिकना है, तेरी चूत को चोद कर मेरा लंड धन्य हो गया है, अब मैं रोज तेरी चूत मारूँगा, लगता है तुझको भी मेरा लंड पसंद है, क्या तू मुझसे रोज अपनी चूत चुदवायेगी?" आशा भी अपनी कमर चलाते हुए आनद को चूम कर बोली, "हाई मेरे राजा, तुम्हारा लंड तो लाखों मे एक है, तुम्हारा लंड खा कर मेरी चूत के भाग्य खुल गये है, अब मैं रोज तुमसे अपनी चूत मे तुम्हारे प्यारे प्यारे लंड कोपिल्वौन्गी." थोड़ी देर इस तरह चुदाई करते हुए आनद ने अपना वीर्य आशा की चूत मे छोड़ दिया और आशा के उपरलेट कर हाँफने लगा. थोड़ी देर के बादआनंद हाँफ़ते हुए आशा की बगल मे लेट गया. "आनंद भाई शहाब आप वाकई बहुत अक्च्छा चोदते हैं. मुझको अगर ये बात पहले ही मालूम होती कि आप के दिल मे भी मेरे लिए प्यार है तो मैं नरेंद्र के पास जा कर उससे कभी अपनी चूत ना चुद्वाती. मुझको अगर पहले से पता चलता कि आपका लंड इतना बड़ा और मज़बूत है तो बहुत पहले ही आपको अपनी बाहों मे बाँध लेती," आशा आनंद से बोली. "अब मेरी चूत तुम्हारे लंड को चख चुकी है, पता नही अब उसको और कोई लंड पसंद आएगा कि नही. अब शायद मेरी चूत को नरेंद्र का लंड भी पसंद ना आए" आनद ने आशा को अपने हाथों मे बाँध कर अपने बगल मे बैठा दिया और उससे बोला, "आशा आज से ये लंड तुम्हारे चूत का गुलाम हो गया है, तुम्हे जब इसकी ज़रूरत हो तुम मुझे बुला लेना मैं और मेरा लंड हमेशा तुम्हारी सेवा के लिए तयार रहेगा." उस दिन शाम को आनद अपने दोस्त अजीत के घर गया और दोनो नीम के पेड़ नीचे बैठ कर मिल कर इधर उधर की बातें करने लगे. आशा अपने घर के काम काज मे ब्यस्त थी और चोरी चोरी आनंद को देख रही थी. जैसे शाम होने लगी आनंद अजीत से बोला कि मैं चलता हूँ और अपने घर की तरफ चल पड़ा. आशा अपने घर के गेट के पास आनंद के लिए इंतेजार कर रही थी. जैसेही आनंद पास आया आशा धीरे से बोली, "आनंद आज रात को 10.00 बजे मेरे घर पर आना, पिछला दरवाजा खुला रहेगा और मैं तुम्हारा इन्तिजार करूँगी" और आशा अपने घर चली गयी. आनंद को आशा की बहादुरी पर ताज्जुब हुआ. उसको इसमे खतरा लगने लगा, लेकिन ये सोच करके कि आज रात वो फिर आशा को चोद पाएगा वो बहुत खुश हुआ और रात को आशा केघर जाने का निस्चय कर लिया. वो अपने घर गया और नहा धो कर एक साफ सुथरी धोती और कमीज़ पहन कर करीब 10.00 बजे रात को आशा के घर के पिछवाड़े पहुँच गया. आनंद वहाँ इन्तिजार करने लगा. उसको वहाँ कोई नही दिखा. अंदर एक माटी के तेल का दिया जल रहा था और पिछवाड़े का दरवाजा आधा खुला था लेकिन अंदर से कोई आवाज़ नही सुनाई पड़ रही थी. "आनंद भाई शहाब अंदर आ जाइए," आनद को आशा की दबी जवान सुनाई दी. आशा अंदर से निकल कर आई वो आनंद को अपने साथ अंदर एक दूसरे कमरे ले गयी. दूसरे कमरे मे ज़मीन पर बहुत साफ सुथरा बिस्तर लगा हुआ था और उसपर दो तकिया भी लगे हुए थे. आनंद ने अपने दोस्त अजीत के बारे मे पूछा. "वो जल्दी सो जाता है और वो जब सोता है तो भूकंप भी उसको जगा नही पाता, मगर फिर भी हम लोगों को चुप चाप रहना चाहिए," आशा धीरे से आनंद से बोली. फिर आशा माटी के तेल वाला दिया कमरे ले आई और धीरे से दरवाजा बंद कर दिया. आशा आनंद के पास आई और उसको अपने बाहों मे बाँधते हुए बोली, "आज सुबह हम लोगों ने जो कुछ भी किया जल्दी मे किया, फिर भी मुझे बहुत मज़ा आया. अब हम चाहते हैं कि हम तुमसे फिर से वही मज़ा लूटे और तुम मुझे रात भर धीरे धीरे चोदो, क्यों चोदोगे ना?" आनंद ने अपना सर हिला कर हामी भरी और बोला, "मैं भी तुम्हे पूराका पूरा चखना चाहता हूँ, सुबह जो भी हुआ वो बहुत जल्दी जल्दी हुआ". आनंद ने आशा अपने पास खींच लिया और उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा. उसने आशा के होंठो पर चुम्मा दिया और उसकी ब्लाउस के बटन खोलने लगा. आनंद ने आशा की ब्लाउस और ब्रा उतार कर उसकी साड़ी उतरना शुरू कर दिया. आशा चुप चाप खड़ी हो कर अपनी साड़ी उतरवाने लगी. आनद ने आशा के पेटिकोट का नडा भी खोल दिया और आशा का पेटिकोट उतर कर उसके पैरों का पास गिर गया. अब आशा पूरी तरह से आनंद के सामने नंगी खड़ी थी. आनंद ने तब एक कदम पीछे हाथ कर आशा का नगञा रूप देखने लगा. हालंकी आशा का बदन भरा पूरा था, लेकिन उसका शरीर बहुत ही ठोस था. आशा की चूंची बड़ी बड़ी थी लेकिन लटकी नही थी. चूंची की निपल करीब 1" लंबी थी और काली थी. . अनद तब धीरे धीरे चल कर आशा के ओईचे गया और आशा के गोल गोल शानदार भारी भारी चूतर और आशा की शानदार जांघों को देखने लगा. "तुम बहुत ही सुंदर हो," आनद ने फिर से आशा अपने पास खींच लिया और उसको अपनी बाहों मे भर कर चूमने लगा. अब तक आनंद का लंड खड़ा हो चुक्का था और अपने लिए आशा की चूत को चाह रहा था. आशा ने आनंद की बाहों मे खड़े खड़े ही अपनी चूत को आनंद के लंड पर मलने लगी.