बुझाए ना बुझे ये प्यास compleet

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
rajaarkey
Platinum Member
Posts: 3125
Joined: 10 Oct 2014 10:09

Re: बुझाए ना बुझे ये प्यास

Unread post by rajaarkey » 22 Dec 2014 13:02

बुझाए ना बुझे ये प्यास--2

जैसे कोई बच्चा किसी कॅंडी आइस्क्रीम को देख कर मचलता है वैसे
ही महक ने उस कॅंडी को अपने मुँह मे लिया 'सपर सपर' कर चूसने
लगी. वो उसके लंड को अपने गले तक लेती और जोरों से मुँह को उपर
नीचे कर चूस रही थी... किसी कुशल खिलाड़ी की तरह वो उसके
लंड को हाथों से मसालते हुए चूसने लगी.. राज के लंड मे तनाव
बढ़ने लगा...

उसका इरादा महक के मुँह मे छूटने का बिल्कुल भी नही था.. जब
वीर्या छूटने ही वाला था उसने उसके बालों को पकड़ा और अपने लंड को
बाहर निकाल लिया... पहली पिचकारी ठीक किसी रॉकेट की तरह उसके
चेहरे से टकराई... खुशी मे महक ने अपना मुँह खोल दिया.. और
राज अपने लंड की पिचकारी पर पिचकारी उसके मुँह मे छोड़ने लगा....
महक का पूरा चेहरा और बॉल राज के वीर्या से भर गया.

"वा क्या शकल हुई है तुम्हारी... किसी रंडी की तरह तुम्हारा
चेहरा मेरे पानी से भीगा हुआ है.. मज़ा आ गया." राज ने कहा.

राज ने घड़ी की तरफ देखा.. 1.00 बजने आ रहे थे.. "अब में
चलूँगा.. मुझे देर हो रही थी.. अछा किया जो तुमने मुझे कल
फोन कर दिया था... तुमसे जल्दी ही बात करूँगा." कहकर उसने अपने
कपड़े पहने और चला गया.

महक अपने पलंग पर लेट उसकी कल्पना करने लगी... तभी उसे
ख़याल आया की उसे घर का बहोट सारा काम करना है... उसे याद
आया की उसका पति किसी दोस्त को खाने पर लेकर आ रहा है.. वो उठी
और बाथरूम की और बढ़ गयी.

शाम तक महक ने खाना तय्यार कर लिया और जब पति के आने का
समय हुआ तो अपने कमरे मे तय्यार होने चली गयी. एक अछी पत्नी की
तरह वो तय्यार हुई और अपने चेहरे पर हल्का मेकप लगा लिया.

उसने अलमारी से एक अछी सी स्कर्ट और बटन वाला ब्लाउस निकाल कर
पहन लिया. लेकिन महक अपनी शैतानी से बाज नही आई.. स्कर्ट काफ़ी
लंबी थी इसलिए उसने उसके नीचे पनटी नही पहनी.. और ब्रा भी
ऐसी पहनी जो उसकी आधी चुचियों को ही ढक पा रही थी.

तय्यार होकर उसने अपने आपको दर्पण मे देखा तो पाया की उसका ब्लाउस
काफ़ी टाइट था और उसकी चुचियों का उभर सॉफ दीखाई दे रहा
था... खैर वो हॉल मे आकर अपने पति का इंतेज़ार करने लगी.

थोड़ी देर बाद मैं दरवाज़ा खुला और उसका पति अपने से करीब 20
साल छोटे एक नौजवान के साथ अंदर दाखिल हुआ.

"यश ये मेरी पत्नी महक है." उसके पति ने उसका परिचय
दिया. "महक ये मेरा नया असिस्टेंट यश है."

महक को उमीद थी आने वाला उसके ही पति की उम्र का होगा लेकिन एक
नौजवान लड़के को देख वो चौंक पड़ी... वैसे भी वो फोन पर उसकी
बातें कहाँ ध्यान से सुन रही थी. वो तो अपनी मस्ती मे लगी. थी.

"नमस्ते मिसेज़ सहगल.. आपसे मिलकर बहोत खुशी हुई" यश ने कहा.

"मुझे भी" महक ने जवाब दिया.

जब सब हॉल मे आकर बैठ गये तो महक ने सबके लिए ड्रिंक
बनाकर पकडा दी. महक सोफे पर यश के बगल मे बैठी थी और
उसका पति उनके सामने कुर्सी पर बैठा था... ड्रिंक का सीप लेते हुए
तीनो आपस मे बात कर रहे थे.

महक ने देखा की यश रह रह कर तिरछी नज़रों से उसकी चुचियों
के उभार को घूर रहा था. शायद उसके पति ये नही देख पाया की
उसका ब्लाउस कितना टाइट है लेकिन यश ने देख लिया.. उसकी नज़रें
उसकी चुचियों पर ही गड़ जाती.

rajaarkey
Platinum Member
Posts: 3125
Joined: 10 Oct 2014 10:09

Re: बुझाए ना बुझे ये प्यास

Unread post by rajaarkey » 22 Dec 2014 13:03


इस तरह यश के देखने से महक फिर गरमा गयी.... जब उसका पति
का ध्यान कहीं और होता तो जाब बुझ कर महक यश एक सामने झुकती
जिससे उसे उसकी चुचियों के बीच की दरार का नज़ारा मिल जाता.
महक की चूत मे खलबली मचने लगी.. वहीं यश भी उत्तेजित हो
रहा था.. वो बार बार अपने लंड को पॅंट के उपर से ठीक करता....
महक को यश के साथ खेलने मे मज़ा आने लगा.. तभी उसके पति ने
कहा की वो टाय्लेट हो कर आता है.

जब अजय ने बेडरूम मे जाकर दरवाज़ा बंद कर लिया तो महक ने यश
के साथ और खेलने का मन मना लिया.. उसने अचानक उससे कहा, "तुम्हे
मेरी चुचियाँ अछी लग रही है ना?"

यश तो चौंक पड़ा उसे उमीद नही थी की उसके सीनियर की बीवी उससे
ऐसा पूछेगी.. "क्या कहा आपने

"और क्या जब से तुम आए हो मेरी चुचियों को ही घूर रहे हो."
महक ने कहा.

यश समझ गया की उसकी चोरी पकड़ी गयी है, "माफ़ करना मुझे
म्र्स सहगल.... आप अजय सर से कुछ मत कहिएगा.. मुझे इस नौकरी
की सख़्त ज़रूरत है."

महक को लगा की एक बकरा उसके हाथ लग गया है.. उसकी चूत सिर्फ़
ख्याल से गीली होने लगी... वो इस लड़के को बहका अपने काबू मे
करना चाहती थी.. उसने अपने ब्लाउस के उपरी दो बटन खोल दिए...
अब यश को उसकी आधी नंगी चुचियोआ दीखाई देने लगी.

"अब अछी तरह दीख रही है ना.. पसंद है?" महक ने पूछा.

यश हैरत भरी नज़रों से उसकी ब्रा मे क़ैद उसकी चुछिईईओं को
देखने लगा... चुचियों के बीच की घाटी सॉफ दीख रही थी साथ
ही उसके निपल का उभार भी नज़र आ रहा था... "हां बहोत अछी
है." उसने जवाब दिया.

"और तुम्हे पता है की मेने स्कर्ट के नीचे पनटी भी नही पहन
रखी है.. " कहकर महक ने अपने शरीर को इस तरह झटका दिया की
उसकी दोनो चुचियाँ हिल पड़ी.

महक की इन हरकतों से यश का लंड इस कदर खड़ा हो गया की उसे
हाथ नीचे ले जाकर उसे पॅंट मे ठीक करना पड़ा.

"मुझे टेबल पर खाना लगाना है." महक अपने ब्लाउस के बटन बंद
कर वहाँ से चली गयी.

अजय सहगल जब वापस हॉल मे आया तब भी यश अपने लंड को पॅंट के
उपर से ठीक कर रहा था.. अजय को देखते ही उसने अपना हाथ अपनी
पॅंट से हटा लिया.... तभी महक ने उन्हे आवाज़ देकर खाने के लिए
बुलाया.

यश वहाँ से हाथ धोने के बहाने बाथरूम मे गया और अपने लंड को
पॅंट के अंदर अछी तरह कर वापस आ गया. जब वो वापस आया तो
उसका लंड थोड़ा ढीला पड़ गया लेकिन थी फिर भी उसका उभार महक
की नज़रों से छुपा नही रह सका.

डांनिंग टेबल पर यश ठीक महक के सामने वाली कुर्सी पर बैठा
था... टेबल इतनी चौड़ी नही थी... इसलिए एक बार फिर महक ने
उसके साथ खेलने को सोची.

महक यश से इधर उधर के सवाल कर अपने पावं को उसके पेरो के पास
से अंदर डाल दिया... उसका पैर ज़्यादा उपर तक नही जा पाया लेकिन
उसकी इस हरकत से यश का लंड फिर तन कर खड़ा हो गया... महक
देख रही थी को वो कुछ ज़्यादा बैचेन होता जा रहा है.. उसने
फिर अपने पैरों को उसकी पॅंट के उपर बढ़ाना शुरू किया.. जब उसका
पैर उसकी लंड के नीचले हिस्से से छुआ तो उसने अंगूठे की नोक से
वहाँ दबा दिया. फिर महक अपने पैरों के अंगूठे से उसके लंड को
लंबाई नापने लगी. यश और उत्तेजित होने लगा.

तभी महक के पति ने यश से पूछा.. "तुम्हारे और क्या क्या शौक
है यश?"

तभी महक बीच मे बोल पड़ी.. "तुम मूवीस तो देखते होगे ना?"
कहकर उसने अपने उंगुठे को ज़ोर से उसके लंड पर गाड़ा दिया.

"हां देखता हूँ?" यश ने बड़ी मुश्किल से जवाब दिया..

इसी तरह खाने के दौरान महक अपने पैरों से यश को छेड़ती रही
और कहलती रही. इस छेड़ छाड़ से वो खुद उत्तेजित हो रही थी.

खाना ख़तम कर तीनो वापस हॉल मे आ गये और महक की बनाई ड्रिंक
सीप करने लगे... इस बार महक ठीक यश के सामने बैठ गयी और
उसे हर ढंग से चीढ़ाने लगी.. वो अपने होठों पर अपनी जीब फेरती
तो कभी उसे आँख मार देती... तो कभी अपनी एक टाँग को दूसरी टाँग
पर चढ़ा उसे अपनी चूत की झलक दीखा देती... वो ठीक किसी
छीनाल की तरह हरकत कर रही थी और बेचारा यश बड़ी मुश्किल से
अपनी उत्तेजना को छुपा पा रहा था.

रात होने पर महक और उसके पति यश को छोड़ने दरवाज़े तक
आए.... महक जान बुझ कर थोड़ा पीछे रह गयी... यश के आगे
होते ही महक ने उसकी गॅंड को अपनी मुति मे भर लिया. और जोरों से
मसल दिया.. "तुमसे मिलकर बहोट ख़ुसी हुई यश." उसने इतना कहकर
उसकी गॅंड चोद दी.

"मुझे भी बहोत खुशी हुई म्र्स सहगल." यश ने जवाब दिया.

"अब अजनबी मत बने रहना." महक इतना कह अपना हाथ हिला उसे गुड
बाइ कह दिया.

दरवाज़ा बंद कर दोनो पति पत्नी अपने बेडरूम मे आ गये.. अजय
सहगल अपने अपनी पत्नी को गुड नाइट कह सोने लगा.. महक ने अपने
कपड़े बदले और एक नाइट गाउन पहन वापस हॉल मे आकर टीवी देखने
लगी. थोडी देर बाद जब उसे नींद आने लगी तो वो वहीं पर सो गयी.

अगले दिन रात को क्लब की महिलाओं ने मिलकर एक प्रोग्राम आयोजित
किया जिसे महक और उसके पति दोनो अटेंड करने वाले थे... महक
काम मे हाथ बटाने के हिस्सब से पहले क्लब चली गयी... वो अभी
भी यश के साथ की छेड़ छाड़ की वजह से थोड़ी उत्तेजित से थी.. उसे
खुशी थी की वहाँ उसे रजनी से मिलने का मौका मिलेगा.

क्लब मे उसका पति साथ मे रहेगा इसलिए वो कल शाम की तरह तय्यार
हुई.. लंबी स्कर्ट उस पर वैसा ही टाइट ब्लाउस और उसके अंदर लाल
रंग की ब्रा.. आज भी उसने स्कर्ट के नीचे पनटी नही पहनी.

rajaarkey
Platinum Member
Posts: 3125
Joined: 10 Oct 2014 10:09

Re: बुझाए ना बुझे ये प्यास

Unread post by rajaarkey » 22 Dec 2014 13:04

बुझाए ना बुझे ये प्यास--3

क्लब पहुँच कर वो प्रोग्राम की तयारि करने लगी.. तभी उसने देख
की रजनी आ रही है तो वो रुक गयी. उसे देखते ही उसके बदन मे
सिरहन सी दौड़ गयी... रजनी के साथ बीताए पल वो भूली नही
थी... सूकी चूत मे हलचल होने लगी.... उसने देखा की रजनी रूम
के बीचों बीच खड़ी होकर सबको हुकुम दे रही थी.

रजनी एक काले रंग की ड्रेस पहन रखी तो जो काफ़ी छोटी थी..
उसके जन्घे तक बड़ी मुस्किल से ढाकी हुई थी.... उसके चूतड़ की
गोलाइयाँ दीखाई पड़ रही थी... महक का दिल कर रहा था की वो उसी
समय रजनी पर टूट पड़े.. लेकिन महॉल नही था...

थोडी देर बाद रजनी महक के पास आई और उसे गले लगा 'हेलो'
कहा. महक भी उसे जवाब दे वापस अपने काम मे लग गयी. पूरी रात
प्रोग्राम के बीच रह रह कर महक रजनी को घूरती रही.. वो अपने
ख़यालों मे सोचती रही की अगर मौका लगेगा तो रजनी के साथ ये
करूँगी.. वो करूँगी..

थोडी देर बाद महक लॅडीस रूम मे गयी जिससे थोड़ी शांति मिल
सके... वो वॉश बेसिन पर खड़ी थी की उसने दरवाज़ा खुलने की आवाज़
सुनी... उसने ध्यान नही दिया और अपनी गर्दन को टवल से पाहुँचती
रही.. तभी उसने निगाह उठाई तो देखा रजनी उसके पीछे खड़ी थी.

"है मेरी जान कैसी हो?" रजनी उसके कन मे धीरे से बोली और अपनी
चुचियों को उसकी पीठ से रगड़ने लगी. .. में देख रही थी की
तुम्हारी निगाहें मुझ पर ही टिकी हुई थी.. लगता है कुछ दिन पहले
जो तुम्हे मुझसे मिला था वो तुम्हे फिर से चाहिए?

महक कोई जवाब नही दे पाई.. रजनी के छूते ही उसकी चूत गीली
होने लग गयी थी.. रजनी के शब्द उसके जज्बातों को भड़का रहे
थे... वो वैसे ही वहाँ खड़ी रही.. रजनी ने अपना हाथ आगे किया
और उसकी स्कर्ट के अंदर डाल उसकी जांघों को सहलाने लगी.. फिर उसका
हाथ महक की चूत तक पहुँच गया.

"पेंटी नही पहनी हो ना? बड़ी शैतान हो... क्या करूँ में तुम्हारा?"

महक बिना हीले दुले वैसे ही खड़ी रही.. कोई भी किसी भी समय
टाय्लेट मे आ सकता थ....वो पकड़े जाएँगे.. और उसका पति ज़रूर
उसे चोद देगा... लेकिन उसे कहाँ अपने पति की पड़ी थी....

रजनी ने धीरे से अपनी उंगली उसकी चूत मे घुसा दी... महक सिसक
पड़ी.... और उसका सर पीछे होकर रजनी के कंधों पर झुक गया.

"तुम तो पूरी तरह से गीली हो गयी हो... क्या बात है मेरे बारे मे
सोच रही थी क्या.. क्या में तुम्हारी चूत को गीला कर देती हूँ."

महक ने अपनी गर्दन हिला दी और सीस्सकने लगी.

अचानक दरवाज़ा खुला... रजनी ने घबरा कर अपनी उंगली उसकी चूत
से बाहर निकाल ली और उसके स्कर्ट को चोद दिया... वो महक के बगल
मे वॉश बेसिन पर खड़ी हो गयी और अपना मेक उप ठीक करने
लगी... थोड़ी देर बाद जो अंदर आया था वो वापस चल गया... तो
रजनी ने अपनी उंगली महक के होठों पर रख दी. . महक अपने ही रस
से भीगी उंगली को चूस अपने रस का स्वाद लेने लगी.

"कोई भी बहाना कर मुझे मेरे ऑफीस मे पाँच मिनिट मे मिलो..
मुझे इंतेज़ार मत करवाना.." कहकर रजनी वहाँ से, महक की गीली
चूत को तड़प्ता छ्चोड़ वहाँ से चली गयी.

महक अपने कपड़े ठीक कर वापस भीड़ मे आ गयी.. वो अपने पति से
बोली की उसे रजनी की ऑफीस मे कुछ उसकी मदद करनी है.. इसलिए
थोड़ी देर मे आएगी.. वो हॉल से निकाल रजनी की ऑफीस की और चल
दी. दरवाज़े पर दस्तक देकर वो अंदर आ गयी... तो देखा की रजनी
ने अपने कपड़े उत्तर दिए थे और टेबल का सहारा लिए खड़ी थी.

"अपने कपड़े उतारो." रजनी ने महक से कहा.

Post Reply