ठाकुर की हवेली compleet

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
raj..
Platinum Member
Posts: 3402
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: ठाकुर की हवेली

Unread post by raj.. » 13 Oct 2014 22:36

मालती ने फिर उसकी लंगोट को एक झटका दिया और रणबीर भी मालती की तरह पूरी तरह से नंगा हो गया.

मालती अब उसके लंड को अपनी मुथि मे ले मसल्ने लगी थी.

अब तक रणबीर अपने आप पर काबू पा चुका था, उसे अछी तरह पता था की मालती जैसी अधेड़ औरतों से कैसे पेश आया जाता है, उसने कुटिलता से कहा, "ये मस्त लंड तभी अछा लगेगा जब तुम इसे अपनी जीब से चाटोगी और मुँह मे लेकर इसे चूसोगी."

"क्यों लंड चूसवाना है तुम्हे?" मालती ने उसके लंड से खेलते हुए पूछा.

"मज़ा तो तभी आएगा जब में तुम्हारी चुदाई करूँगा....चूसवने के बाद...." अभी भी बहोत कोरी है तुम्हारी चूत." रणबीर ने

मालती की झांतों से भरी चूत पर हाथ रख दिया और चूत मे एक उंगली घुसाते हुए कहा.

"बहुत दीनो से इसी किसी ने नही चोदा इसलिए थोड़ी कोरी है."

फिर मालती रसोई के कोने मे लगे रणबीर के बिस्तर पर चिट लेट गयी और रणबीर को निमंत्रण देते हुए अपनी टाँगें खोल दी. रणबीर ने भी कोई देर नही की और 35 साल की चाची के भोस्डे मे एक ही थाप मे पूरा लंड डाल दिया.

रणबीर की जोरदार ठप से मालती चाची छटपटाने लगी, तभी रणबीर ने पूछा, "क्या दर्द हो रहा है.... आहिस्ता चोदु क्या?"

"नही और जोरों से चोदूऊऊओ राअज़ा, बहोट मज़ा आ रहा हाईईईई...में तो तुम्हे देखते ही पागल हो गइईए थी... और कब से तुम्हारा लंड अपनी चूत मे लेने के लिए बेचैन थी......" ये कहकर मालती ने रणबीर को अपनी बाहों मे जाकड़ लिया और नीचे से अपने भारी भारी चूतड़ उछाल ठप पर ठप लगाने लगी.

रणबीर कई देर तक उसे ऐसे ही जोरों से चोद्ता रहा.

"म्‍म्म्मममममम में तो झड़ीईई........ ओह्ह्ह अहह."

जैसे ही मालती की चूत ने पानी छोड़ दिया रणबीर ने उसे पलट कर चौपाया बना दिया. जब तक मालती कुछ समझ पाती रणबीर उसपर सांड की तरह चढ़ बैठा और उसकी गंद के छेद पर अपने लंड का सूपड़ा फिट कर दिया.

ऑश ये मत करो प्लीज़ दर्द होगा ....." तभी मालती की समझ मे आया की आगे क्या होने जा रहा है और वो तुरंत बोल पड़ी.

"चुप कर रंडी में तुहरि जैसी औरतों को जब भी चोद्ता हू उनकी गांद ज़रूर मारा हूँ. साली चूत का तो भोसड़ा बना रखा है, पता ही नही चलता की लंड कहाँ घूस गया. अब खुद मज़ा ले लीयी तो नखरे कर रही हो. ऐसा कह मालती के रस से लथपथ लंड का एक करारा शॉट उसकी गंद मे दिया और लंड उसकी गंद को चीरता हुआ आधे से ज़्यादा एक बार मे अंदर चला गया. मल्टी के मुँह से एक घुटि घुटि से चीख निकल पड़ी.

पर रणबीर ने उसकी चीख की कोई परवाह नही की और दो धक्कों मे पूरा लंड उसकी गांद मे पेल मज़े से उसकी गंद मारने लगा. मल्टी ने कस के अपना जबड़ा भींच लिया था, उसकी आवाज़ बाहर ना निकल पाए और उसने आपने आप को रणबीर की मर्ज़ी पर छोड़ दिया.

रणबीर ने कई देर तक उसकी गंद मारी और ढेर सारा गाढ़ा वीर्या उसकी गंद मे छोड़ रहा था. तब रणबीर ने कहा, "मुझे माफ़ कर दो ये मेरे बस की बात नही थी. जिस तरह मुझे देख कर तुम्हारी चूत मे आग लगी हुई थी वैसे ही तुम्हारी फूली गांद देख कर मेरा लंड भी मेरे बस मे नही था.

मालती किसी तरह अपनी अंगो को फैलाए उठी और अपने कपड़े पहन रणबीर को घूरती हुई बाथरूम की और भाग पड़ी.


raj..
Platinum Member
Posts: 3402
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: ठाकुर की हवेली

Unread post by raj.. » 13 Oct 2014 22:36

रणबीर सुबह काफ़ी देर तक सोता रहा और तभी एक मधुर सुरीली आवाज़ से उसकी नींद टूटी.

"चाइ ले लीजिए," रणबीर ने अपनी पलकें मसल्ते हुए आँख खोली तो देखा की सूमी चाइ की प्याली लिए उसके सामने खड़ी थी. दिन काफ़ी चढ़ आया था, रणबीर ने कहा, "मुझे पहले क्यों नही उठाया?"

"आप जल्दी से नहा कर तय्यार हो जाइए, आपको इनके साथ हवेली जाना है," सूमी ने मधुर आवाज़ मे कहा.

"इनके?" रणबीर ने एक शरारत भरी नज़रों से सूमी की आँखों मे झाँकते हुए कहा.

"मेरा मतलब है की मेरे पति के साथ... " सूमी ने थोडा मुँह बिचकाते हुए कहा.

रणबीर ने सूमी के हाथ से चाइ की प्याली ले ली और धीरे धीरे चाइ की चुस्कियाँ लेता रहा.

दोनो कई देर तक खामोश रहे, कोई भी कुछ नही बोला सिर्फ़ एक दूसरे की आँखों मे झँकते रहे. जब रणबीर की चाइ ख़तम हो गयी तो सूमी उसके हाथ से चाइ की प्याली ले जाने लगी तभी रणबीर ने उसका हाथ पकड़ लिया.

"क्या हुआ?" सूमी ने घूमते हुए उसकी आँखों में झाँक कर पूछा और अपनी कलाई रणबीर के हाथों से छुड़ाने की कोशिश करने लगी.

"कुछ नही भाभी बस दिल कर रहा है की तुम्हे देखते जाउ."

"क्यों ऐसा क्या है मुझमे?" सूमी ने अपना हाथ रणबीर के हाथों मे ढीला छोड़ते हुए कहा.

तभी बाथरूम से भानु की आवाज़ आई, वो सूमी का नाम ज़ोर ज़ोर से ले पुकार रहा था.

"जल्दी से मेरा हाथ छोड़ो नही तो वो आ जाएँगे." सूमी ने दरवाज़े की तरफ देखते हुए कहा.

"ऐसे कैसे छोड़ दूं भाभी.... अभी अभी तो आग लगी है." रणबीर ने अपनी बात कहने मे कोई देर नही की.

"अभी नही रात को.... सात बजे पीछे वाले खेत पर आ जाना फिर ये हाथ दे दूँगी पकड़ने के लिए." सूमी की भी सोई हुई भावनाए अब पूरी तरह जाग चुकी थी और उसने झट से प्लान बनाते हुए कहा.

"सच में भाभी?"

"सच मे... में भी चाहती हूँ की आप मेरा हाथ पकड़े.... मुझे प्यार करें." सूमी ने कहा.

"अभी क्यों नही..." रणबीर ने सूमी को अपनी बाहों मे भरते हुए कहा.

"अभी नही.... क्योंकि अभी वो नहा रहे है.... अब छोड़ो भी मुझे आती हूँ ना रात को.... "सूमी ने अपनी कलाई छुड़ाने के लिए कहा, पर रणबीर का हाथ उसकी कठोर चुचि पर आ चुका था.

उसने सूमी की चुचि को जोरों से मसल दिया और उसकी थोड़ी को उपर कर उसके होठों का एक तगड़ा सा चूमा ले लिया और एक बार फिर उसकी चुचि को कस कर दबा दिया.

"आआआअ..... ईईईई" सूमी के मुँह से सिसकारी निकल पड़ी और रणबीर के हाथों से अपनी कलाई छुड़ा वो रसोई से भाग खड़ी हुई.

रणबीर ने जल्दी जल्दी स्नान किया और भानु के साथ हवेली जाने के लिए तय्यार हो गया.

जब वो दोनो हवेली पहुँचे तो ठाकुर उन्ही का इंतेज़ार कर रहा था.

"अक्च्छा हुआ रणबीर तुम आ गये... रात कैसी गुज़री?" ठाकुर ने पूछा.

"ठीक ही गुज़री ठाकुर साहब."

"तो चलो आज फिर शिकार पर चलते है," ठाकुर ने कहा.

"शिकार पर आज फिर?"

"हां...... शिकार पर... हमे जिंदगी मे बस एक ही शौक तो है..

शिकार करने का."

"लेकिन हम कल ही तो शिकार पर से वापस आए है," रणबीर ने फिर कहा तो ठाकुर ने एक कड़ी नज़र से उसे देखा और फिर ठाकुर भानु की तरफ देखने लगा.

"कोई बात नही.... आज हम फिर शिकार पर जाएँगे.." इस बार ठाकुर की आवाज़ मे कॅडॅक्पन और एक गुस्सा था.

"लेकिन....." रणबीर ने कुछ कहना ही चाहा था की भानु ने उसे कोहनी मारी. समय की नाज़ूकटा समझते हुए रणबीर चुप हो गया.

रणबीर समझ चुका था की शिकार पर जाने का मतलब था की आज रात सात बजे वो सूमी से नही मिल पाएगा.

"तो ठीक है.... आज हम शिकार पर जाएँगे

"जी.... आज हम शिकार पर जाएँगे." रणबीर ने ठाकुर के सामने झुकते हुए कहा और सोचने लगा, सूमी आज नही तो फिर कभी तो मिलेगी जाएगी कहाँ.... चूत की खुजली होती ही ऐसी है.

"ठीक है... हम ज़रूर जाएँगे," ठाकुर भानु की और मुड़ा और कहा," अपने साथ 3-4 आदमी और ले लेना हम शाम को ठीक 5.00 बजे निकल जाएँगे."

"जैसे आपका हुकुम सरकार," रणबीर और भानु ने झुक कर सलाम किया और वहाँ स निकल पड़े.

"ठाकुर साहेब से क्यों ज़बान लड़ा रहा था, अगर तुम्हारी जगह और कोई होता तो ठाकुर साहेब उसकी चॅम्डी उड़ेध कर रख देते." भानु ने रणबीर से कहा.

रणबीर अपने आप मे खोया चुप चाप भानु के साथ चलता रहा.


raj..
Platinum Member
Posts: 3402
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: ठाकुर की हवेली

Unread post by raj.. » 13 Oct 2014 22:37

"तू पागल है जो ठाकुर साहेब से क्यों पूछता है? भानु ने फिर कहा.

तभी रणबीर और भानु को मालती चाची दीखाई पड़ी जो एक कमरे मे जा रही थी.

रणबीर ने पूछा, "ये मालती चाची यहाँ क्या कर रही है?"

"वो इस हवेली मे ठकुराइन की सेवा करती है." भानु ने जवाब दिया.

"तो ठाकुर ने ठकुराइन भी पाल रखी है?"

"हां... हमारे ठाकुर साहेब भी बड़े रंगीन मिज़ाज के हैं. एक बार शिकार पर गये थे और आए तो अपनी बेटी की उमर की एक लड़की साथ ले आए. कहने लगे की उन्हे इस हवेली का वारिस चाहिए... "

"और कौन कौन है ठाकुर साहब के खानदान मे?" रणबीर ने भानु से पूछा.

"बस एक बेटी है जो सहर मे डॉक्टोरी पढ़ रही है." भानु ने जवाब दिया. "कभी कभी आती है यहाँ पर, इस बार होली पर आएगी.... वो ठाकुर की पहली बीवी से है... मंज़ुलिका नाम है उसका."

"कितनी उमर की है ये ठकुराइन?" रणबीर जवान ठकुराइन के बारे मे जानने को उत्तावला हो रहा था.

"यही कोई 24-25 साल की बस."

"और कितने दिन पहले हुई थी इनकी शादी?"

"दो साल पहले." भानु ने रणबीर को बताया.

"दो साल हो गये शादी को लेकिन अभी तक ठाकुर साहेब को कोई औलाद नही हुई?" रणबीर के चेहरे पर एक शैतानी भरी मुस्कुराहट थी.

"तुम कहना क्या चाहते हो?" भानु रणबीर की आँखों मे झँकते हुए बोला.

"कुछ नही में तो यूँ ही पूछ रहा था... क्या नाम है इस ठकुराइन का?"

भानु रणबीर के बिल्कुल पास आ गया और उसके कान मे फुसफुसते हुए बोला, "रजनी नाम है इस ठकुराइन का."

"रजनी.... बड़ा प्यारा नाम है." रणबीर बदबूदा उठा.

"तू मरेगा किसी दिन... यहाँ हवेली मे ठकुराइन का नाम नही लिया जाता... कोई सुन लेगा तो जान के लाले पड़ जाएँगे." भानु ने उसे समझाते हुए कहा.

तभी मालती उस कमरे से बाहर आई और रणबीर और भानु को देखा तो झट कमरे मे वापस चली गयी और दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया.

"क्या हुआ तू वापस कैसे आ गयी?" ठकुराइन करवट के बल पलंग पर लेटी हुई थी पर जैसे ही उसने मालती को अंदर आते देखा तो पूछा.

"कुक्ककच... नाआहिन..... वो..ह़ बाहर खड़ा है." मालती ने काँपते हुए कहा.

"अरे कौन खड़ा है? कुछ नाम पता भी तो होगा उसका?" ठकुराइन ने पूछा.

"वही जिसने आज सुबह मेरी गांद फाड़ कर रख दी थी." मालती अभी तक रणबीर से डरी हुई थी.

"अक्च्छा. वो जो ठाकुर साहेब का नया वफ़ादार नौकर है..... क्या नाम है उसका?" ठकुराइन की दिलचस्पी रणबीर मे बढ़ने लगी.

"जीए.... रणबीर...." मालती ने जवाब दिया.

"ये रणबीर दीखने मे कैसा है?" ठकुराइन ने पूछा.

Post Reply