होली पे चुदाई --2
गतान्क से आगे..........
"ऊहह भैया अब आराम से करो ना. सहेली तैयार है. मनाओ हम्दोनो से
होली. अब जल्दी नही रमेश भैया. सहेली ने दरवाज़ा बंद कर दिया
है. जितना चोद सको चोदो." मीना मस्त निगाहो से अपनी दबाई जा रही
चूचियों को देखती सीना उभारती बोली तो रमेश ने उसको चूमते हुवे
कहा, "तुम्हारी सहेली ने कभी नही दबवाया है?" "नही भैया."
"पहले बताया होता तो इसकी भी तुम्हारी तरह दबा दबाकर मज़ा देकर
बड़ा कर देते. लड़कियों की यही उमर होती है मज़ा लेने की. एक बार
चुद जाए तो बार बार इसको खोलकर कहतीं हैं फिर चोदो मेरे राजा."
रमेश मीना की चूत को कपड़े के ऊपर से टटोलता बोला. "ठीक है
भैया मैं तो चुदववँगी ही पर साथ ही इस बेचारी को भी आज
ही…" "ठीक है पहले तुमको फिर इसको. अपने लंड मैं इतनी ताक़त है
की तुम्हारे जैसी 4 को चोद्कर खुश कर दूँ. पर यह तो शर्मा रही
है. मीना अपनी सहेली को समझाओ कि अगर मज़ा लेना है तो तुम्हारे
साथ आए. एक साथ दो मैं हमको भी ज़्यादा मज़ा आएगा और तुम लोगो
को भी."
"ठीक है भैया आज मेरे साथ सुनीता को भी. अगर इसे मज़ा आया तो
फिर बुलाएगी. आजकल इसका घर खाली है." "तो फिर आज पूरी नंगी
होकर मज़ा लो. कसम मीना जितना मज़ा हमसे पओगि किसी और से नही
मिलेगा." "ओ भैया मुझे क्या बता रहे हो मैं तो जानती हूँ. राजा
कितनी बार तो तुम चोद चुके हो अपनी इस बहन को. पर भैया आजकल
घर मैं मेहमान आने की वजह से जगह नही. वो तो भला हो मेरी
प्यारी सहेली का जिसकी वजह से तुम आज अपनी बहन के साथ ही उसकी
कुँवारी सहेली की भी चोद सकोगे." भैया इस बेचारी को भी…" "कह
तो दिया. पर इसे समझा दो कि शरमाये नही. एक साथ नंगी होकर आओ
तो तुम दोनो को एक साथ मज़ा दे. दो एक सहेलियों को और बुला लो तो
चारो को चोद्कर मस्त ना कर दूँ तो मेरा नाम रमेश नही." सहेली
के भाई की बात से मेरा पारा चढ़ता जा रहा था.
"ओह्ह मीना तुम कपड़े उतारो देर मत करो. तुम्हारी सहेली शर्मा रही
है तो इसे कहो की कमरे से बाहर चली जाए तो तुमसे होली का मज़ा
लूँ." इतना कह रमेश ने मीना की चूचियों से हाथ हटा अपनी पॅंट
उतारनी शुरू की तो मैने सनसनाकर मीना की ओर देखा तो वह मेरे
पास आ बोली, "इतना शर्मा क्यों रही हो? बड़ा मज़ा आएगा आओ मेरे
साथ."
अब मीना की बात से इनकार करना मेरे बस मैं नही था. चूत चड्डी
मैं गीली हो गयी थी. चूचियों के निपल मीना के निपल की तरह
खड़े हो गये थे. रमेश ने जिस तरह से मुझे बाहर जाने को कहा
था उससे मैं घबरा गयी थी. तभी मीना मेरा हाथ पकड़ मुझे
रमेश के पास ले जाकर बोली, "मैं बिस्तर लगाती हूँ भैया जब तक
तुम सुनीता को अपना दिखा दो."
मैं सहेली के भाई के पास आ शरमाने लगी. तभी रमेश बेताबी के
साथ अपनी पॅंट उतार खड़े लाल रंग के लंबे लंड को सामने कर मेरे
गाल पर हाथ लगा मुझे जन्नत का मज़ा देता बोला, "देखो कितना मस्त
लंड है. इसी लंड से अपनी बहन को चोद्ता हूँ. तुम्हारी चूत इससे
चुदवाकर मस्त हो जाएगी." मैं पहली बार इतनी पास से किसी मस्ताये
खड़े लंड को देख रही थी. नंगे लंड को देखने के साथ मुझे अपने
आप अजीब सी मस्ती का अनुभव हुवा. उसका लंड एकदम खड़ा था. मीना ने
जैसा बताया था, उसके भाई का वैसा ही था. लंबा मोटा और गोरा.
पहली बार जवान फँफनाए लंड को देख रही थी. रमेश पॅंट
खिसका प्यार से लंड दिखा रहा था. मीना चुदवाने के लिए नीचे
ज़मीन पर बिस्तर लगा रही थी. गुलाबी रंग के सूपदे वाले गोरे लंड
को करीब से देख मेरी कुँवारी चूत मैं चुदासी का कीड़ा बिलबिलाने
लगा और शर्ट मे दोनो अनार ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगे.
Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ
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Re: Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ
लंड को मेरे सामने नंगा कर रमेश ने फ़ौरन शर्ट के उपर से दोनो
चूचियों को पकड़कर मसला. मसलवाकर मैं मज़े से भर गयी. सच
बड़ा ही मज़ा था. चूचियों को उसके हाथ मैं दे मैने उसकी ओर
देखा तो रमेश सीतकारी ले बोला, "बड़ा मज़ा आएगा. जवान हो गयी हो.
मीना के साथ आज इस पिचकारी से रंग खेलो. अगर मज़ा ना आता तो
मेरी बहन इतना बेचैन क्यों होती चुदवाने के लिए." एक हाथ को
लपलपते नंगे लंड पर लगा दूसरे हाथ की चूची को कसकर दबाते
कहा तो मैं होली की रंगिनी मैं डूबने की उतावली हो फिर उसके लंड को
देखने लगी. उसके नंगे लंड को देखते हुवे चूचियाँ दबवाने मैं
ग़ज़ब का मज़ा आ रहा था. चूचियाँ टटोलवाने मैं चड्डी के अंदर
गदराई चूत के मुँह मे अपने आप फैलाव हो रहा था. पहले केवल सुना
था पर करवाने मैं तो बड़ा मज़ा था.
तभी चूची को और ज़ोर ज़ोर से दबा हाथ के लंड को उभारते
बोला, "ऐसा जल्दी पाओगि नही. देखना आज तुम्हारी सहेली मीना को कैसे
चोद्ता हूँ. कभी मज़ा नही लिया तुमने इसीलिए शर्मा रही हो. तुमको
भी बड़ा मज़ा आएगा हमसे चुदवाने मे." रमेश चूची पर हाथ
लगाते अपने मस्त लंड को दिखाता जो होली की बहार की बाते कर रहा
था उससे हमें ग़ज़ब का मज़ा मिल रहा था. मस्ती के साथ अपने आप
शरम ख़तम हो रही थी. अब इनकार करना मेरे बस मैं नही था. अब
खुद शर्ट के बटन खोल दोनो गदराई चूचियों को उसके हाथ मैं
दे देने को बेचैन थी. बड़ा मज़ा आ रहा था. मेरी नज़रे हिनहिनाते
लंड पर जमी थी.
तभी मीना ज़मीन पर बिस्तर लगा पास आई और रमेश के लंड को हाथ
मैं पकड़ मेरी मसली जा रही चूचियों को देखती बोली, "भैया
हमसे छ्होटी हैं ना?" "हां मीना पर चुडवाएगी तो तुम्हारी तरह
इसको भी प्यार से दूँगा पर अभी तो तुम्हारी सहेली शर्मा रही है.
तुम तो जानती हो कि शरमाने वाली को मज़ा नही आता." और रमेश ने
मेरी चूचियों को मसलना बंद कर मीना की चूचियों को पकड़ा.
हाथ हट ते ही मज़ा किरकिरा हुवा. मीना अपने भाई के लंड को प्यार से
पकड़े थी. मैं बेताबी के साथ बोली, "हाए कहाँ शर्मा रही हूँ."
"नही शरमाएगी भैया इसको भी चोद्कर मज़ा देना." मीना ने कहा तो
रमेश बोला, "चोदने को हम तुम दोनो को तैय्यार हैं. घर खाली है
जब कहोगी यहाँ आकर चोद देंगे पर आज तुम दोनो को आपस मैं मज़ा
लेना भी सिखाएँगे." और एक हाथ मेरी चूची पर लगा दूसरे हाथ
से मीना की चूची को पकड़ लंड को मीना के हाथ मे दे एक साथ
हम दोनो की दबाने लगा. मेरा खोया मज़ा चूचियों पर हाथ आते ही
वापस मिल गया. तभी मीना उसके खड़े लंड पर हाथ फेर हमको
दिखाती बोली, "शरमाओ नही सुनीता मैं तो आज भैया से खूब
चुदवाउन्गि." अगर तुम शरमाओगी तो तुम्हे मज़ा नही मिलेगा
"नही शर्माउन्गि." "तो लो पाकड़ो भैया का और मज़ा लो." और मीना अपने
भाई के लंड को मेरे हाथ मैं पकड़ा खुद बगल हटकर दबवाने लगी.
रमेश के लंड को हाथ मैं लिया तो बदन का रोम रोम खड़ा हो
गया. सचमुच लंड पकड़ने मैं ग़ज़ब का मज़ा था. तभी रमेश
बोला, "हाए मीना बड़ा मज़ा आ रहा है तुम्हारी सहेली के
साथ." "हां भैया नया माल है ना." "कहो तो इसका एक पानी निकाल
दे." और मीना की चूचियों को छ्चोड़कर एक साथ मेरी दोनो चूचियाँ
दबाता लंड को मेरे हाथ मे कड़ा कर खड़ा हुवा.
तभी मीना मुझसे बोली, "सुनीता रानी इसका पानी निकाल दो तब चुदवाने
मैं मज़ा आएगा. अब हमलोग रमेश भैया की जवानी चूस्कर रहेंगे.
हाए तुम्हारे अनार मीस्थे भैया मस्त हो गये हैं." रमेश आँखे
बंदकर तमतमाए चेहरे के साथ मेरी चूचियों को शर्ट के ऊपर
से इतनी ज़ोर ज़ोर से मीस रहा था कि जैसे शर्ट फाड़ देगा. मेरी चूत
सनसना रही थी और लंड पकड़कर मीसवाने मैं ग़ज़ब का मज़ा मिल
रहा था. अब तो मीना से पहले उसकी पिचकारी से रंग खेलने का मंन
कर रहा था. रमेश ने लंड मेरी चड्डी से चिपका दिया था.
चूचियों को पकड़कर मसला. मसलवाकर मैं मज़े से भर गयी. सच
बड़ा ही मज़ा था. चूचियों को उसके हाथ मैं दे मैने उसकी ओर
देखा तो रमेश सीतकारी ले बोला, "बड़ा मज़ा आएगा. जवान हो गयी हो.
मीना के साथ आज इस पिचकारी से रंग खेलो. अगर मज़ा ना आता तो
मेरी बहन इतना बेचैन क्यों होती चुदवाने के लिए." एक हाथ को
लपलपते नंगे लंड पर लगा दूसरे हाथ की चूची को कसकर दबाते
कहा तो मैं होली की रंगिनी मैं डूबने की उतावली हो फिर उसके लंड को
देखने लगी. उसके नंगे लंड को देखते हुवे चूचियाँ दबवाने मैं
ग़ज़ब का मज़ा आ रहा था. चूचियाँ टटोलवाने मैं चड्डी के अंदर
गदराई चूत के मुँह मे अपने आप फैलाव हो रहा था. पहले केवल सुना
था पर करवाने मैं तो बड़ा मज़ा था.
तभी चूची को और ज़ोर ज़ोर से दबा हाथ के लंड को उभारते
बोला, "ऐसा जल्दी पाओगि नही. देखना आज तुम्हारी सहेली मीना को कैसे
चोद्ता हूँ. कभी मज़ा नही लिया तुमने इसीलिए शर्मा रही हो. तुमको
भी बड़ा मज़ा आएगा हमसे चुदवाने मे." रमेश चूची पर हाथ
लगाते अपने मस्त लंड को दिखाता जो होली की बहार की बाते कर रहा
था उससे हमें ग़ज़ब का मज़ा मिल रहा था. मस्ती के साथ अपने आप
शरम ख़तम हो रही थी. अब इनकार करना मेरे बस मैं नही था. अब
खुद शर्ट के बटन खोल दोनो गदराई चूचियों को उसके हाथ मैं
दे देने को बेचैन थी. बड़ा मज़ा आ रहा था. मेरी नज़रे हिनहिनाते
लंड पर जमी थी.
तभी मीना ज़मीन पर बिस्तर लगा पास आई और रमेश के लंड को हाथ
मैं पकड़ मेरी मसली जा रही चूचियों को देखती बोली, "भैया
हमसे छ्होटी हैं ना?" "हां मीना पर चुडवाएगी तो तुम्हारी तरह
इसको भी प्यार से दूँगा पर अभी तो तुम्हारी सहेली शर्मा रही है.
तुम तो जानती हो कि शरमाने वाली को मज़ा नही आता." और रमेश ने
मेरी चूचियों को मसलना बंद कर मीना की चूचियों को पकड़ा.
हाथ हट ते ही मज़ा किरकिरा हुवा. मीना अपने भाई के लंड को प्यार से
पकड़े थी. मैं बेताबी के साथ बोली, "हाए कहाँ शर्मा रही हूँ."
"नही शरमाएगी भैया इसको भी चोद्कर मज़ा देना." मीना ने कहा तो
रमेश बोला, "चोदने को हम तुम दोनो को तैय्यार हैं. घर खाली है
जब कहोगी यहाँ आकर चोद देंगे पर आज तुम दोनो को आपस मैं मज़ा
लेना भी सिखाएँगे." और एक हाथ मेरी चूची पर लगा दूसरे हाथ
से मीना की चूची को पकड़ लंड को मीना के हाथ मे दे एक साथ
हम दोनो की दबाने लगा. मेरा खोया मज़ा चूचियों पर हाथ आते ही
वापस मिल गया. तभी मीना उसके खड़े लंड पर हाथ फेर हमको
दिखाती बोली, "शरमाओ नही सुनीता मैं तो आज भैया से खूब
चुदवाउन्गि." अगर तुम शरमाओगी तो तुम्हे मज़ा नही मिलेगा
"नही शर्माउन्गि." "तो लो पाकड़ो भैया का और मज़ा लो." और मीना अपने
भाई के लंड को मेरे हाथ मैं पकड़ा खुद बगल हटकर दबवाने लगी.
रमेश के लंड को हाथ मैं लिया तो बदन का रोम रोम खड़ा हो
गया. सचमुच लंड पकड़ने मैं ग़ज़ब का मज़ा था. तभी रमेश
बोला, "हाए मीना बड़ा मज़ा आ रहा है तुम्हारी सहेली के
साथ." "हां भैया नया माल है ना." "कहो तो इसका एक पानी निकाल
दे." और मीना की चूचियों को छ्चोड़कर एक साथ मेरी दोनो चूचियाँ
दबाता लंड को मेरे हाथ मे कड़ा कर खड़ा हुवा.
तभी मीना मुझसे बोली, "सुनीता रानी इसका पानी निकाल दो तब चुदवाने
मैं मज़ा आएगा. अब हमलोग रमेश भैया की जवानी चूस्कर रहेंगे.
हाए तुम्हारे अनार मीस्थे भैया मस्त हो गये हैं." रमेश आँखे
बंदकर तमतमाए चेहरे के साथ मेरी चूचियों को शर्ट के ऊपर
से इतनी ज़ोर ज़ोर से मीस रहा था कि जैसे शर्ट फाड़ देगा. मेरी चूत
सनसना रही थी और लंड पकड़कर मीसवाने मैं ग़ज़ब का मज़ा मिल
रहा था. अब तो मीना से पहले उसकी पिचकारी से रंग खेलने का मंन
कर रहा था. रमेश ने लंड मेरी चड्डी से चिपका दिया था.
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अब
रमेश धीरे धीरे दबा रहा था. चड्डी से लगा मोटा गरम लंड
जन्नत का मज़ा दे रहा था. उसने एक तरह से मुझे अपने ऊपर लाद
लिया था. मीना धीरे से अपनी चड्डी खिसककर नंगी हो रही थी. मीना
ने अपनी चूत नंगी कर मस्ती मैं चार चाँद लगा दिया था. अब मैं
रमेश की गोद मे थी और ग़ज़ब का मज़ा आ रहा था.
मीना की चूत साँवली और फाँक दबे से थे पर मेरी फाँक से उसकी
फाँक बड़े थे. मैं सोच रही थी कि मीना चूत नंगी करके क्या
करेगी. मैं सहेली की नंगी चूत को प्यार से देखती अपने दोनो
अमरूदु को मीस्वा रही थी.
तभी मीना आगे आई और चूत को उचकाती बोली, "देखो सुनीता इसी
तरह से तुमको भी चटाना होगा." "ठीक है." फिर वह अपनी चूत को
अपने भाई के मुँह के पास ला तिर्छि होकर बोली, "ले बहन्चोद चाट
अपनी बहन की चूत." रमेश एक साथ हम दोनो सहेलियों का मज़ा लेने
लगा. मुझे सहेली का अपने ही भाई को बहन्चोद कहना बड़ा अच्छा
लगा. मीना बड़े प्यार से उंगली से अपनी साँवली सलोनी चूत की दरार
फैला फैलाकर चटवा रही थी. सहेली का चेहरा बता रहा था कि
चूत चटवाने मैं उसे बड़ा मज़ा मिल रहा था.
मीना की चूत को जीभ से चाटते ही रमेश का लंड मेरी चड्डी पर
चोट करने लगा. मैने मीना को चत्वाते देखा तो मेरा मॅन भी
चाटने को करने लगा. तभी उसने मेरे निपल को मीसा तो मैं मज़े से
भर उसकी गोद मैं उचकी तो वह अपनी बहन की चूत से जीभ हटा
मेरी चूचियों को दबा मुझसे बोला, "हाए अभी नही झारा सुनीता तुम
अपनी चताओ." "चॅटो." मैं मस्ती से भर मीना की तरह चूत
चटवाने को तैय्यार हुई.
तभी मीना अपनी चाती गयी चूत को उंगली से खोलकर देखती
बोली, "हाए रमेश भैया मेरा पानी तो निकल गया." "तुम्हारी सहेली
की नयी चूत चाटूँगा तो मेरा पानी निकलेगा." और मेरी कमर मैं
हाथ से दबाकर उठाया. अब मेरी गोरी गोरी चूचियाँ एकदम लाल थी.
तभी मीना मुझे बाँहो मैं भर अपने बदन से चिपकाती
बोली, "चटवाने मे चुदवाने से ज़्यादा मज़ा आता है. चताओ." "अच्छा
मीना चटवा दो अपने भैया से." "भैया सहेली की चॅटो."
"मैं तो तैय्यार हूँ. कहो मस्ती से चाताए. इसकी चाटते मेरा
निकलेगा. हाए इसकी तो खूब गोरी गोरी होगी." और बेताबी के साथ लंड
उच्छालते हुवे पोज़ बदला. अब वह बिस्तर पर पेट के बल लेटा था. उसका
लंड गद्दे मैं दबा था और चूतड़ ऊपर था. तभी मीना ने
कहा, "अपनी चटवाउ क्या?" "हां मीना अपनी चटवओ तो सुनीता को और
मज़ा आएगा."
तब मीना ने हमको रमेश के सामने डॉगी स्टाइल मैं होने को कहा. मैं
जन्नत की सैर कर रही थी. मज़ा पाकर तड़प गयी थी. मेरी कोशिश
थी कि मैं मीना से ज़्यादा मज़ा लूँ. उसकी बात सुन मैने
कहा, "चड्डी उतार दूँ मीना?" "तुम अपना चूतड़ सामने करो, भैया
चड्डी हटाकर चाट लेंगे. अभी तो यह हमलोगो का ब्रेकफास्ट है.
केवल चूत मैं लंड घुस्वकार कच कच चुदवाने मे मज़ा नही
आता. हमलोग अभी कुँवारी लौंडीयाँ हैं. असली मज़ा तो इन्ही सब मे
आता है. जैसे बताया है वैसे करो."
"अच्छा." और मैं रमेश के सामने चौपाया(डॉगी पोज़िशन) मैं आई
तो रमेश ने पीछे से मेरा स्कर्ट उठाकर मेरे चूतड़ पर हाथ
फेरा तो हमको बड़ा मज़ा आया. मेरी चूत इस पोज़ मे चड्डी के
नीचे कसी थी. मीना ने खड़े खड़े चटाइया था पर मुझे निहुरकर
चाटने को कह रही थी. अभी रमेश चूतड़ पर हाथ फेर रहा था.
मीना ने मेरे मुँह के सामने अपनी चूत की और बोली, "सुनीता पेट को
गद्दे मैं दबाकर पीछे से चूतड़ उभार दो. तुम्हारी भैया
चाटेंगे तुम मेरी चूत चॅटो और हाथ से मेरी चूचियाँ दबाओ फिर
देखना कितना मज़ा आता है."
रमेश धीरे धीरे दबा रहा था. चड्डी से लगा मोटा गरम लंड
जन्नत का मज़ा दे रहा था. उसने एक तरह से मुझे अपने ऊपर लाद
लिया था. मीना धीरे से अपनी चड्डी खिसककर नंगी हो रही थी. मीना
ने अपनी चूत नंगी कर मस्ती मैं चार चाँद लगा दिया था. अब मैं
रमेश की गोद मे थी और ग़ज़ब का मज़ा आ रहा था.
मीना की चूत साँवली और फाँक दबे से थे पर मेरी फाँक से उसकी
फाँक बड़े थे. मैं सोच रही थी कि मीना चूत नंगी करके क्या
करेगी. मैं सहेली की नंगी चूत को प्यार से देखती अपने दोनो
अमरूदु को मीस्वा रही थी.
तभी मीना आगे आई और चूत को उचकाती बोली, "देखो सुनीता इसी
तरह से तुमको भी चटाना होगा." "ठीक है." फिर वह अपनी चूत को
अपने भाई के मुँह के पास ला तिर्छि होकर बोली, "ले बहन्चोद चाट
अपनी बहन की चूत." रमेश एक साथ हम दोनो सहेलियों का मज़ा लेने
लगा. मुझे सहेली का अपने ही भाई को बहन्चोद कहना बड़ा अच्छा
लगा. मीना बड़े प्यार से उंगली से अपनी साँवली सलोनी चूत की दरार
फैला फैलाकर चटवा रही थी. सहेली का चेहरा बता रहा था कि
चूत चटवाने मैं उसे बड़ा मज़ा मिल रहा था.
मीना की चूत को जीभ से चाटते ही रमेश का लंड मेरी चड्डी पर
चोट करने लगा. मैने मीना को चत्वाते देखा तो मेरा मॅन भी
चाटने को करने लगा. तभी उसने मेरे निपल को मीसा तो मैं मज़े से
भर उसकी गोद मैं उचकी तो वह अपनी बहन की चूत से जीभ हटा
मेरी चूचियों को दबा मुझसे बोला, "हाए अभी नही झारा सुनीता तुम
अपनी चताओ." "चॅटो." मैं मस्ती से भर मीना की तरह चूत
चटवाने को तैय्यार हुई.
तभी मीना अपनी चाती गयी चूत को उंगली से खोलकर देखती
बोली, "हाए रमेश भैया मेरा पानी तो निकल गया." "तुम्हारी सहेली
की नयी चूत चाटूँगा तो मेरा पानी निकलेगा." और मेरी कमर मैं
हाथ से दबाकर उठाया. अब मेरी गोरी गोरी चूचियाँ एकदम लाल थी.
तभी मीना मुझे बाँहो मैं भर अपने बदन से चिपकाती
बोली, "चटवाने मे चुदवाने से ज़्यादा मज़ा आता है. चताओ." "अच्छा
मीना चटवा दो अपने भैया से." "भैया सहेली की चॅटो."
"मैं तो तैय्यार हूँ. कहो मस्ती से चाताए. इसकी चाटते मेरा
निकलेगा. हाए इसकी तो खूब गोरी गोरी होगी." और बेताबी के साथ लंड
उच्छालते हुवे पोज़ बदला. अब वह बिस्तर पर पेट के बल लेटा था. उसका
लंड गद्दे मैं दबा था और चूतड़ ऊपर था. तभी मीना ने
कहा, "अपनी चटवाउ क्या?" "हां मीना अपनी चटवओ तो सुनीता को और
मज़ा आएगा."
तब मीना ने हमको रमेश के सामने डॉगी स्टाइल मैं होने को कहा. मैं
जन्नत की सैर कर रही थी. मज़ा पाकर तड़प गयी थी. मेरी कोशिश
थी कि मैं मीना से ज़्यादा मज़ा लूँ. उसकी बात सुन मैने
कहा, "चड्डी उतार दूँ मीना?" "तुम अपना चूतड़ सामने करो, भैया
चड्डी हटाकर चाट लेंगे. अभी तो यह हमलोगो का ब्रेकफास्ट है.
केवल चूत मैं लंड घुस्वकार कच कच चुदवाने मे मज़ा नही
आता. हमलोग अभी कुँवारी लौंडीयाँ हैं. असली मज़ा तो इन्ही सब मे
आता है. जैसे बताया है वैसे करो."
"अच्छा." और मैं रमेश के सामने चौपाया(डॉगी पोज़िशन) मैं आई
तो रमेश ने पीछे से मेरा स्कर्ट उठाकर मेरे चूतड़ पर हाथ
फेरा तो हमको बड़ा मज़ा आया. मेरी चूत इस पोज़ मे चड्डी के
नीचे कसी थी. मीना ने खड़े खड़े चटाइया था पर मुझे निहुरकर
चाटने को कह रही थी. अभी रमेश चूतड़ पर हाथ फेर रहा था.
मीना ने मेरे मुँह के सामने अपनी चूत की और बोली, "सुनीता पेट को
गद्दे मैं दबाकर पीछे से चूतड़ उभार दो. तुम्हारी भैया
चाटेंगे तुम मेरी चूत चॅटो और हाथ से मेरी चूचियाँ दबाओ फिर
देखना कितना मज़ा आता है."