अजब प्रेम की गजब कहानी --2
गतान्क से आगे......
रघु- अरे अवी भैया आप बार-बार पैसो का कह कर हमे शर्मिंदा ना किया करो, आपसे पैसा माँगता कौन है
अवी- नही रघु भाई दोस्ती अपनी जगह और धंधा अपनी जगह होना चाहिए, ठीक है अब मैं चलता हू
रघु- अच्छा अवी भैया फिर आना
अवी- अपने घर की ओर पेदल-पेदल चल देता है और घर पहुच कर
डिंपल- आ गये लाड़ साहेब, पूरा दिन आवारा गार्दी के अलावा भी कुछ काम रहता है आपके पास
अवी- मुस्कुराता हुआ, कहाँ दीदी मैं तो ट्यूशन गया था
डिंपल- अपने चेहरे पर गुस्सा दिखाते हुए, झूठ मत बोल, तू क्या मुझे पागल समझता है, मैं सब जानती हू दिन भर
यहाँ वहाँ फिरने के अलावा और कुछ नही करता है और उपर से स्कूल से भी गायब रहता है, और आज किसके साथ मारपीट
कर रहा था, है बोलता क्यो नही
अवी- अरे दीदी वह तो बस ऐसे ही छोटी मोटी बात थी तुम तो बेकार परेशान हो रही हो
डिंपल- मुझे क्या करना है, जब पापा पूछेगे तब बताना उनको कि छोटी बात थी या बड़ी, वैसे भी वह तुझ पर सुबह से
ही भड़क रहे थे
अवी- क्यो अब मैने ऐसा क्या कर दिया
डिंपल- देख अवी अब बहुत मौज मस्ती कर ली तूने डिसेंबर भी ख़तम होने वाला है सिर्फ़ दो महीने है तेरी एग्ज़ॅम के
थोड़ा पढ़ ले तो कम से कम पास तो हो जाएगा, नही तो समझ ले अगर फैल हुआ तो पापा तुझे घर से ही भगा देंगे
अवी- डिंपल का हाथ पकड़ते हुए ठीक है अगर पापा भागाते है तो मैं चला जाउन्गा पर तुम्हे भी मेरे साथ चलना
होगा, क्यो कि मैं पापा के बगैर तो रह लूँगा पर तुम्हारे बिना कैसे रह पाउन्गा
डिंपल- मुस्कुराते हुए उसके गाल खींच कर चल अब ज़्यादा बाते ना बना जा जाकर हाथ मूह धो कर आ मैं तेरे लिए खाना
लगाती हू, अवी हाथ मूह धोकर आ जाता है और डिंपल सोफे के सामने नीचे आसान लगा कर अवी की थाली रख देती है और
खुद सोफे पर टिक कर अपने दोनो पेर मोड़ कर सोफे पर रख लेती है और अवी आकर उसके सामने आसान पर बैठ कर खाना
शुरू करता है फिर खाते हुए डिंपल की ओर देखता है और अचानक उसकी नज़र डिम्पल की सलवार पर पड़ती है जो उसकी
फूली हुई चूत के पास से फटा हुआ था और उसकी सफेद कलर की पेंटी उसकी चूत को फुलाए हुए साफ नज़र आ रही थी,
अजब प्रेम की गजब कहानी compleet
Re: अजब प्रेम की गजब कहानी
अवी
एक पल के लिए उसकी दोनो जाँघो के बीच देखने लगता है और डिंपल की नज़र उसके उपर पड़ती है और वह एक दम से झुक
कर अपनी जाँघो की जड़ो मे देखती है और अपनी फटी सलवार से झाँकती उसकी फूली हुई चूत को कसे हुए सफेद पेंटी पर
पड़ती है और फिर वह जैसे ही अवी को देखती है दोनो की नज़रे मिल जाती है और डिंपल एक दम से अपनी नज़रे नीचे करती हुई
अपने पेर नीचे कर लेती है और अवी अपनी बहन के शरमाये हुए चेहरे को देख कर अपनी नज़रे वापस थाली पर लगा कर
खाने लगता है,
कुछ देर बाद अवी डिंपल को देखता है और उनकी नज़रे फिर मिल जाती है और इस बार डिंपल अपनी नज़रे हटा कर उठ कर अपनी
गदराई गंद मतकाती हुई किचन की ओर जाने लगती है और अवी अपनी एक नज़र डिंपल की कसी हुई गदराई जवानी पर मारता है
और उसकी नज़रे अपनी बहन के भारी-भारी मटकते हुए चूतादो पर पहली बार एक अलग अंदाज से पड़ती है और उसका हाथ
उसकी थाली मे ही रुक जाता है और वह अपनी दीदी के मस्ताने मटकते चूतादो को घूर-घूर कर देखने लगता है तभी
अचानक डिंपल पलट कर अवी को देखती है और उसे अपने मोटे-मोटे चूतादो को घूरता हुआ पकड़ लेती है और दोनो की
नज़रे एक बार फिर से मिल जाती है और अवी जल्दी से अपनी नज़रे नीचे करके खाने लगता है और डिंपल उसको घुरती हुई किचन
मे चली जाती है और कुछ देर बाद प्लॅट मे रोटी लेकर आती है इस बार अवी उसको आते हुए देखता है और उसकी नज़रे अपनी दीदी की मोटे-मोटे दूध को देखने लगती है डिंपल उसकी नज़रो को ताड़ जाती है और अपनी नज़रे नीचे किए हुए आकर झुकती है और उसकी थाली मे रोटी रखने लगती है, इस बार अवी बिल्कुल करीब से अपनी दीदी की कमीज़ मे से झँकते बड़े-बड़े दूध को
देखने लगता है और जैसे ही डिंपल की आँखो मे देखता है उन दोनो की नज़रे बिल्कुल करीब से मिल जाती है और डिंपल
अपने चेहरे पर थोड़ा गुस्सा दिखाती है और अवी उसकी आँखो से अपनी नज़रे हटा कर वापस उसके दूध पर एक सरसरी नज़र मारते हुए अपनी थाली की ओर देखते हुए खाने लगता है,
डिंपल जैसे ही पलट कर जाने लगती है अवी फिर से उसके भारी-भारी मटकते हुए चूतादो को देखने लगता है और डिंपल
फिर से उसे जैसे ही पलट कर देखती है अवी को अपने चूतादो को देखता हुआ पाती है और उसे गुस्से से घूर कर देखती हुई
किचन मे घुस जाती है लेकिन किचन मे घुसते ही ना जाने क्यो उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ जाती है.
डिंपल किचन से आवाज़ लगा कर अवी और कुछ लेना है
अवी- नही दीदी बस हो गया
डिंपल- एक रोटी और ला दू
अवी- नही दीदी बस
डिंपल किचन से बाहर आकर क्या बात है आज ठीक से खाना क्यो नही खा रहा है
अवी- अपनी नज़रे थाली मे ही गढ़ाए हुए बस दीदी आज ज़्यादा भूख नही है
डिंपल- अच्छी बात है और डिंपल वापस किचन मे चली जाती जाई, अवी खाना खाने के बाद वही सोफे पर बैठ जाता है और
डिंपल अपने लिए खाना लेकर अवी की जगह पर बैठ कर खाने लगती है और अवी अपनी बहन के खूबसूरत चेहरे को देखने
लगता है और अपने मन मे सोचने लगता है- दीदी कितनी खूबसूरत और जवान दिखती है, आज तक मेरी नज़र दीदी के इस मनमोहक हुस्न पर पड़ी क्यो नही, कितने सुंदर गाल और होंठ है और दीदी की आँखे कितनी खूबसूरत और नशीली है जब
दीदी ने गुस्से से मुझे अपनी नशीली आँखो से देखा था तब एक दम से दीदी का चेहरा देख कर मेरा तो लंड खड़ा सा हो
गया था, एक अलग ही कशिश है दीदी की आँखो मे, कितनी प्यारी है दीदी को देख कर तो मुझे ऐसा लगता है कि उसे अपनी गोद
मैं बैठा कर उसे खूब प्यार करू, उसके पूरे चेहरे को, होंठो को पागलो की तरह चुमू, कितनी सुंदर और सेक्सी है मेरी
दीदी,
डिंपल- क्या देख रहा है अवी इस तरह मुझे घूर कर
अवी- अपने ख्यालो से एक दम से बाहर आता हुआ, कुछ नही दीदी, देख रहा हू कि आप कितनी जल्दी-जल्दी खा रही हो लगता है
आपको बहुत भूख लगी थी,
डिंपल- मुस्कुराते हुए हाँ रे, आज सुबह दाल चावल बना कर चली गई थी और खाना भी नही खाया था फिर कॅंटीन मे
ही थोड़ा बहुत नाश्ता किया इसलिए इस वक़्त तक तो मेरे पेट मे चूहे कूदने लगे थे, तभी डिंपल को थस्का लग जाता है
और वह खांसने लगती है और अवी दौड़ कर किचन से पानी लेकर आता है और डिंपल को दे देता है और डिंपल पानी पी कर
मुस्कुराते हुए, क्या बात है आज बड़ी सेवा कर रहा है अपनी दीदी की
अवी- दीदी मे आपकी किसी भी काम मे कोई हेल्प नही करता हू ना और दिन भर आवारा जैसे घूमता रहता हू, लेकिन कल से मे
आपकी सभी काम मे हेल्प किया करूँगा
एक पल के लिए उसकी दोनो जाँघो के बीच देखने लगता है और डिंपल की नज़र उसके उपर पड़ती है और वह एक दम से झुक
कर अपनी जाँघो की जड़ो मे देखती है और अपनी फटी सलवार से झाँकती उसकी फूली हुई चूत को कसे हुए सफेद पेंटी पर
पड़ती है और फिर वह जैसे ही अवी को देखती है दोनो की नज़रे मिल जाती है और डिंपल एक दम से अपनी नज़रे नीचे करती हुई
अपने पेर नीचे कर लेती है और अवी अपनी बहन के शरमाये हुए चेहरे को देख कर अपनी नज़रे वापस थाली पर लगा कर
खाने लगता है,
कुछ देर बाद अवी डिंपल को देखता है और उनकी नज़रे फिर मिल जाती है और इस बार डिंपल अपनी नज़रे हटा कर उठ कर अपनी
गदराई गंद मतकाती हुई किचन की ओर जाने लगती है और अवी अपनी एक नज़र डिंपल की कसी हुई गदराई जवानी पर मारता है
और उसकी नज़रे अपनी बहन के भारी-भारी मटकते हुए चूतादो पर पहली बार एक अलग अंदाज से पड़ती है और उसका हाथ
उसकी थाली मे ही रुक जाता है और वह अपनी दीदी के मस्ताने मटकते चूतादो को घूर-घूर कर देखने लगता है तभी
अचानक डिंपल पलट कर अवी को देखती है और उसे अपने मोटे-मोटे चूतादो को घूरता हुआ पकड़ लेती है और दोनो की
नज़रे एक बार फिर से मिल जाती है और अवी जल्दी से अपनी नज़रे नीचे करके खाने लगता है और डिंपल उसको घुरती हुई किचन
मे चली जाती है और कुछ देर बाद प्लॅट मे रोटी लेकर आती है इस बार अवी उसको आते हुए देखता है और उसकी नज़रे अपनी दीदी की मोटे-मोटे दूध को देखने लगती है डिंपल उसकी नज़रो को ताड़ जाती है और अपनी नज़रे नीचे किए हुए आकर झुकती है और उसकी थाली मे रोटी रखने लगती है, इस बार अवी बिल्कुल करीब से अपनी दीदी की कमीज़ मे से झँकते बड़े-बड़े दूध को
देखने लगता है और जैसे ही डिंपल की आँखो मे देखता है उन दोनो की नज़रे बिल्कुल करीब से मिल जाती है और डिंपल
अपने चेहरे पर थोड़ा गुस्सा दिखाती है और अवी उसकी आँखो से अपनी नज़रे हटा कर वापस उसके दूध पर एक सरसरी नज़र मारते हुए अपनी थाली की ओर देखते हुए खाने लगता है,
डिंपल जैसे ही पलट कर जाने लगती है अवी फिर से उसके भारी-भारी मटकते हुए चूतादो को देखने लगता है और डिंपल
फिर से उसे जैसे ही पलट कर देखती है अवी को अपने चूतादो को देखता हुआ पाती है और उसे गुस्से से घूर कर देखती हुई
किचन मे घुस जाती है लेकिन किचन मे घुसते ही ना जाने क्यो उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ जाती है.
डिंपल किचन से आवाज़ लगा कर अवी और कुछ लेना है
अवी- नही दीदी बस हो गया
डिंपल- एक रोटी और ला दू
अवी- नही दीदी बस
डिंपल किचन से बाहर आकर क्या बात है आज ठीक से खाना क्यो नही खा रहा है
अवी- अपनी नज़रे थाली मे ही गढ़ाए हुए बस दीदी आज ज़्यादा भूख नही है
डिंपल- अच्छी बात है और डिंपल वापस किचन मे चली जाती जाई, अवी खाना खाने के बाद वही सोफे पर बैठ जाता है और
डिंपल अपने लिए खाना लेकर अवी की जगह पर बैठ कर खाने लगती है और अवी अपनी बहन के खूबसूरत चेहरे को देखने
लगता है और अपने मन मे सोचने लगता है- दीदी कितनी खूबसूरत और जवान दिखती है, आज तक मेरी नज़र दीदी के इस मनमोहक हुस्न पर पड़ी क्यो नही, कितने सुंदर गाल और होंठ है और दीदी की आँखे कितनी खूबसूरत और नशीली है जब
दीदी ने गुस्से से मुझे अपनी नशीली आँखो से देखा था तब एक दम से दीदी का चेहरा देख कर मेरा तो लंड खड़ा सा हो
गया था, एक अलग ही कशिश है दीदी की आँखो मे, कितनी प्यारी है दीदी को देख कर तो मुझे ऐसा लगता है कि उसे अपनी गोद
मैं बैठा कर उसे खूब प्यार करू, उसके पूरे चेहरे को, होंठो को पागलो की तरह चुमू, कितनी सुंदर और सेक्सी है मेरी
दीदी,
डिंपल- क्या देख रहा है अवी इस तरह मुझे घूर कर
अवी- अपने ख्यालो से एक दम से बाहर आता हुआ, कुछ नही दीदी, देख रहा हू कि आप कितनी जल्दी-जल्दी खा रही हो लगता है
आपको बहुत भूख लगी थी,
डिंपल- मुस्कुराते हुए हाँ रे, आज सुबह दाल चावल बना कर चली गई थी और खाना भी नही खाया था फिर कॅंटीन मे
ही थोड़ा बहुत नाश्ता किया इसलिए इस वक़्त तक तो मेरे पेट मे चूहे कूदने लगे थे, तभी डिंपल को थस्का लग जाता है
और वह खांसने लगती है और अवी दौड़ कर किचन से पानी लेकर आता है और डिंपल को दे देता है और डिंपल पानी पी कर
मुस्कुराते हुए, क्या बात है आज बड़ी सेवा कर रहा है अपनी दीदी की
अवी- दीदी मे आपकी किसी भी काम मे कोई हेल्प नही करता हू ना और दिन भर आवारा जैसे घूमता रहता हू, लेकिन कल से मे
आपकी सभी काम मे हेल्प किया करूँगा
Re: अजब प्रेम की गजब कहानी
डिंपल- रहने दे रहने दे, मैं सब जानती हू अभी मीठा बोल कर सुबह फिर से गोल हो जाएगा
अवी- नही दीदी अब मैं अपनी बात से नही फिरँगा
डिंपल- ठीक है देख लेंगे तू भी यही है और मैं भी
तभी दरवाजे पर दस्तक होती है और अवी जाकर दरवाजा खोलता है तो सामने उसके पापा अनिल खड़े हुए थे
अवी- रास्ता देता हुआ एक तरफ हो जाता है
अनिल- क्यो रे डिंपल कहाँ है
अवी- पापा वो किचन मे है
अनिल- सुन अवी डिंपल से बोल मेरा खाना पॅक कर दे मेरी रात को 8 बजे से गस्ट मे ड्यूटी लगी है अब मैं सुबह 6 बजे तक ही आउन्गा, और तुझसे कुछ काम बोला था किया
अवी- कौन सा काम पापा
अनिल- नालयक पढ़ाई लिखाई मे तो बेकार है ही अब मक्कारी भी करने लगा है, तुझसे अपनी सभी ड्रेस पर प्रेस करके
रेडी करने का कहा था किया
अवी- अरे पापा वो तो मैने कल ही रेडी कर दी है
अनिल- शाबाश अब उनको मेरी पेटी मे जमा कर रख देना परसो सुबह इनस्पेक्षन है समझे
अवी- ओके पापा
अवी- पापा एक बात कहु एक मिनिट पहले मैं दीदी को आपका खाना पॅक करने का कह दू और फिर अवी किचन मे जाकर दीदी वो
डिंपल- मैने सुन लिया है अवी मैं कर रही हू बस 5 मिनिट
अवी- पापा आपका खाना पॅक हो रहा है, पापा वो मैं एक बात कहना चाहता था
अनिल- क्या बात
अवी- पापा क्या हम एक बाइक खरीद ले
अनिल- क्यो क्या ज़रूरत है बाइक की
अवी- पापा बहुत सारे काम पड़ते है जिसके लिए बार-बार पेदल ही भागना पड़ता है
अनिल- मतलब अभी तक तू पेदल आवारा घूमता था अब तुझे बाइक से घुमाऊ
अवी- पापा प्लीज़
अनिल- ठीक है एक शर्त पर तुझे बाइक ला सकता हू मुझे तू 12थ पास होकर दिखा दे
अवी- खुस होते हुए पक्का पापा
अनिल- एक दम पक्का
तभी डिंपल अंदर से अपने पापा का टिफिन लेकर उन्हे देती हुई लो पापा आपका खाना
अनिल- थॅंक यू बेटा अच्छा अब मैं जाता हू तुम लोग अच्छे से दरवाजा लगा कर सोना और कोई बात हो तो, उफ्फ हमारे घर मे
फोन भी नही है, एक काम कर अवी कल तू एक मोबाइल खरीद ला और वह मोबाइल डिंपल के पास रहेगा उसे ज़रूरत पड़ी तो
कम से कम थाने फोन तो कर सकती है क्यो डिंपल ठीक है ना
डिंपल- मुस्कुराते ही ठीक है पापा
अवी- पापा एक मैं भी ले लू क्या
अनिल- क्यो तू क्या करेगा फोन लेकर
अवी- पापा कभी आपको ज़रूरत हुई तो मुझे फोन कर सकते है
अनिल- मुझे पागल कुत्ते ने काटा है जो मैं तुझे फोन करूँगा और फिर अनिल और डिंपल हस्ने लगते है और अनिल घर के
बाहर निकल जाता है
अवी- मूह बनाते हुए मेरा बाप हिटलर से कम नही है
डिंपल- उसकी पीठ पर मारती हुई शर्म नही आती अपने पापा को हिटलर कहते हुए
अवी- ओके सॉरी पर तुमने सुना दीदी मैं 12 पास हो गया तो मेरे पास मेरी खुद की बाइक होगी, फिर तो दीदी मैं तुम्हे अपने
साथ कॉलेज बैठा कर ले जाया करूँगा और तुम्हारी उस पकाऊ सहेली स्वीटी की छुट्टी
डिंपल- अरे मुसद्दी लाल सपने देखना बंद कर और पहले 12 पास होने का सोच बाइक तो बाद की बात है
अवी- दीदी आज से तुम मुझे रोज रात को 2 घंटे पढ़ाऑगी मुझे कैसे भी करके एग्ज़ॅम पास करना है
डिंपल- मैने देख लिया कि तू रोज दो घंटे पढ़ेगा
अवी- नही दीदी सच्ची तुम जल्दी से फ्री होकर आओ मैं तुम्हारा बेड पर इंतजार करता हू और अवी बेडरूम मे चला जाता है
और डिंपल मुस्कुराते हुए उसे देखने लगती है,
डिंपल सभी काम ख़तम करके टीवी देखने बैठ जाती है और अवी जब बाहर आकर उसे देखता है तो
अवी- दीदी मैं तुम्हारा वेट कर रहा हू और तुम यहा टीवी खोल कर बैठ गई
डिंपल- अच्छा बाबा आती हू और फिर डिंपल उसके पीछे-पीछे बेडरूम मे पहुच जाती है और रवि अपनी बुक लेकर उसके
पास बेड पर बैठ जाता है,
अवी- नही दीदी अब मैं अपनी बात से नही फिरँगा
डिंपल- ठीक है देख लेंगे तू भी यही है और मैं भी
तभी दरवाजे पर दस्तक होती है और अवी जाकर दरवाजा खोलता है तो सामने उसके पापा अनिल खड़े हुए थे
अवी- रास्ता देता हुआ एक तरफ हो जाता है
अनिल- क्यो रे डिंपल कहाँ है
अवी- पापा वो किचन मे है
अनिल- सुन अवी डिंपल से बोल मेरा खाना पॅक कर दे मेरी रात को 8 बजे से गस्ट मे ड्यूटी लगी है अब मैं सुबह 6 बजे तक ही आउन्गा, और तुझसे कुछ काम बोला था किया
अवी- कौन सा काम पापा
अनिल- नालयक पढ़ाई लिखाई मे तो बेकार है ही अब मक्कारी भी करने लगा है, तुझसे अपनी सभी ड्रेस पर प्रेस करके
रेडी करने का कहा था किया
अवी- अरे पापा वो तो मैने कल ही रेडी कर दी है
अनिल- शाबाश अब उनको मेरी पेटी मे जमा कर रख देना परसो सुबह इनस्पेक्षन है समझे
अवी- ओके पापा
अवी- पापा एक बात कहु एक मिनिट पहले मैं दीदी को आपका खाना पॅक करने का कह दू और फिर अवी किचन मे जाकर दीदी वो
डिंपल- मैने सुन लिया है अवी मैं कर रही हू बस 5 मिनिट
अवी- पापा आपका खाना पॅक हो रहा है, पापा वो मैं एक बात कहना चाहता था
अनिल- क्या बात
अवी- पापा क्या हम एक बाइक खरीद ले
अनिल- क्यो क्या ज़रूरत है बाइक की
अवी- पापा बहुत सारे काम पड़ते है जिसके लिए बार-बार पेदल ही भागना पड़ता है
अनिल- मतलब अभी तक तू पेदल आवारा घूमता था अब तुझे बाइक से घुमाऊ
अवी- पापा प्लीज़
अनिल- ठीक है एक शर्त पर तुझे बाइक ला सकता हू मुझे तू 12थ पास होकर दिखा दे
अवी- खुस होते हुए पक्का पापा
अनिल- एक दम पक्का
तभी डिंपल अंदर से अपने पापा का टिफिन लेकर उन्हे देती हुई लो पापा आपका खाना
अनिल- थॅंक यू बेटा अच्छा अब मैं जाता हू तुम लोग अच्छे से दरवाजा लगा कर सोना और कोई बात हो तो, उफ्फ हमारे घर मे
फोन भी नही है, एक काम कर अवी कल तू एक मोबाइल खरीद ला और वह मोबाइल डिंपल के पास रहेगा उसे ज़रूरत पड़ी तो
कम से कम थाने फोन तो कर सकती है क्यो डिंपल ठीक है ना
डिंपल- मुस्कुराते ही ठीक है पापा
अवी- पापा एक मैं भी ले लू क्या
अनिल- क्यो तू क्या करेगा फोन लेकर
अवी- पापा कभी आपको ज़रूरत हुई तो मुझे फोन कर सकते है
अनिल- मुझे पागल कुत्ते ने काटा है जो मैं तुझे फोन करूँगा और फिर अनिल और डिंपल हस्ने लगते है और अनिल घर के
बाहर निकल जाता है
अवी- मूह बनाते हुए मेरा बाप हिटलर से कम नही है
डिंपल- उसकी पीठ पर मारती हुई शर्म नही आती अपने पापा को हिटलर कहते हुए
अवी- ओके सॉरी पर तुमने सुना दीदी मैं 12 पास हो गया तो मेरे पास मेरी खुद की बाइक होगी, फिर तो दीदी मैं तुम्हे अपने
साथ कॉलेज बैठा कर ले जाया करूँगा और तुम्हारी उस पकाऊ सहेली स्वीटी की छुट्टी
डिंपल- अरे मुसद्दी लाल सपने देखना बंद कर और पहले 12 पास होने का सोच बाइक तो बाद की बात है
अवी- दीदी आज से तुम मुझे रोज रात को 2 घंटे पढ़ाऑगी मुझे कैसे भी करके एग्ज़ॅम पास करना है
डिंपल- मैने देख लिया कि तू रोज दो घंटे पढ़ेगा
अवी- नही दीदी सच्ची तुम जल्दी से फ्री होकर आओ मैं तुम्हारा बेड पर इंतजार करता हू और अवी बेडरूम मे चला जाता है
और डिंपल मुस्कुराते हुए उसे देखने लगती है,
डिंपल सभी काम ख़तम करके टीवी देखने बैठ जाती है और अवी जब बाहर आकर उसे देखता है तो
अवी- दीदी मैं तुम्हारा वेट कर रहा हू और तुम यहा टीवी खोल कर बैठ गई
डिंपल- अच्छा बाबा आती हू और फिर डिंपल उसके पीछे-पीछे बेडरूम मे पहुच जाती है और रवि अपनी बुक लेकर उसके
पास बेड पर बैठ जाता है,