hindi sex story - किस्से कच्ची उम्र के.....!!!!
Re: hindi sex story - किस्से कच्ची उम्र के.....!!!!
भाग 4
सागर उन दोनों को स्कूल छोड़ने के बाद जाने के लीये मुड़ता है। लेकिन उसे पिछेसे प्रियंका के पुकारने की आवाज आती है। वो रुक जाता है। प्रियंका उसके पास आती है।
प्रियंका:- सागर ..स्कूल से लेने के लिए भी आओगे ना??
*पहले तो प्रियंका के सिर्फ सागर कहने से उसे एक अलग ही ख़ुशी मिलती है और दूसरा प्रियंका उसे स्कूल से लेने के लिए बुला रही होती है।
सागर:- हा आऊंगा ना....
प्रियंका:- ठीक है बाय...
* सागर भी उसे बाय बोलके वापस गाँव की तरफ निकल पड़ता है।
इधर प्रभा घर पे अकेली थी। जसवंत का टिफिन लेने के लिए चंदू आता है। घर के बाहर से आवाज देता है पर प्रभा अभी भी खाना बना रही होती है। चंदू थोडा अंदर जाता है। किचन में प्रभा काम कर रही थी।उसकी पीठ दरवाजे की तरफ थी। चंदू उसे देखता है। प्रभा की साडी कमर से खिसकी हुई थी। उसकी गोरी कमर को देख चंदू का लंड में हलचल होने लगाती है।
चंदू:- अह्ह्ह स्स्स साली क्या मस्त लग रही है। पसीने की बुँदो से क्या चमक रही है। साड़ी भी क्या कसके पहनती है पूरी गांड उभर के दिखती है। उम्म्म्म्म्म अह्ह्ह मेरा लंड तो पूरा खड़ा हो गया।
प्रभा को अहसास होता है की दरवाजे पे कोई खड़ा है। वो पलट के देखती है। चंदू पैजामे के ऊपर से अपना लंड मसलते हुए देख लेती है। चंदू झट से अपना हाथ हटाता है।
चंदू:- वो भाभी टिफिन.....
प्रभा:- हा बस हो ही गया।....आप बैठो बाहर....और पलट के कम करने लगती है....लेकिन पलटते वक़्त वो चंदू के खड़े लंड को एक नजर देखने से खुद को रोक नहीं पाती।
चंदू बाहर जाके बैठ जाता है।
प्रभा:- साला कमीना...आज तो हद्द हो गयी...लगता है इसकी शिकायत करनी ही पड़ेगी। कैसे मुझे देख के लंड मसल रहा था। लेकिन उसका लंड बहोत बड़ा लग रहा था। माधवी के बाबा से भी बड़ा। उफ्फ्फ ये मैं क्या सोच रही हु। एक पराये आदमी के लंड के बारे में???छी....लेकिन अगर उसका लंड बड़ा है तो है उसमे क्या??शर्म के मारे ठीक से देख नहीं पायी। लेकिन जितना देखा उससे तो काफी मोटा और लंबा लग रहा था। और उसकी बीवी भी तो बोल रही थी की जब वो उसे चोदता है तो उसकी चूत फाड़ देता है। क्यू न एक बार अच्छेसे देख लू कितना बड़ा है?? चुप कर कुछ भी क्या?? अरे मैं कोनसा चुदने वाली हु उससे बस एक बार देखना है और वो भी पैजामे के ऊपर से।
आखिर प्रभा का मन उसके लंड को एक बार देखने के अधीर हो उठता है। वो अपनी साडी को थोडा साइड में कर लेती है ताकि वो उसकी चुचियो को देख सके ताकि उसका लंड खड़ा हो जाय।
प्रभा:- चंदू भैया जरा यहाँ आइये...
चंदू प्रभा की आवाज सुनके अंदर जाता है।
चंदू:- जी भाभी...क्या हुआ??
प्रभा:- ये तेल खत्म हो गया है। वो बड़ी कैन से इस छोटी कैन में डाल दीजिये।*
चंदू:- जी भाभी अभी डाल देता हु।...चंदू की वासना भरी नजर प्रभा की चुचियो पे पड़ती है जो उसकी डीप नैक ब्लाउज में से थोड़ी दिख रही थी। चंदू का लंडमें फिर से तनाव आने लगता है। प्रभा तिरछी नजरो से देख के मन ही मन खुश हो रही थी। वो एक छोटी प्लेट में कैन रखती है ताकि तेल जमीन पे न गिरे। वो उसे चंदू के सामने रख देती है और खुद उसके साइड में निचे बैठ जाती है। चंदू खड़ा होने के कारन और प्रभा थोडा निचे की तरफ झुकने से चंदू को आधे से जादा चुचिया दिखने लगी थी। चंदू का लंड झटके मारने लगा था क्यू की इसकी उसने कभी उम्मीद नहीं की थी। प्रभा थोडा तिरछी नजरो से देखती है। पतले पैजामे में से चंदू का अंडर वियर साफ़ दिख रहा था। और उसके लंड का आकर भी।
प्रभा:- हा भैया अब डाल दो....धीरे से डालना...निचे गिरना नहीं चाहिए।
चंदू:- जी भाभी.....मन में..साली डाल दो तो ऐसे बोल रही है जैसे *अपनी चूत में लंड डालने को कह रही है। उम्म्म्म्म भाभी बस एक बार चूत में डालने के लिये कहदो कसम से ऐसा मजा दूंगा न अह्ह्ह्ह्ह्ह
*चंदू ये सब सोच रहा था और अपने लंड को झटके दिए जा रहा था। प्रभा उसके खड़े लंड का साइज़ देख पागल सी हो गयी थी। इतना तगड़ा लंड इतने करीब से देख के उसकी चूत गीली होने लगी थी।
प्रभा:- मन में..हाय रे क्या मस्त लंड है उफ्फ्फ्फ़ किस्मत वाली है इसकी बीवी उम्म्म्म मेरे पति का इतना बड़ा होता तो कितना मजा आता चुदने में स्सस्सस्सस
तेल की छोटी कैन भट चुकी थी मगर दोनों अपने खयाल में मस्त थे।
प्रभा का ध्यान कैन पे जाता है...
प्रभा:- बस हो गया भैया...हो गया।
चंदू बड़ी कैन अपनी जगह रख देता है।
चंदू:- और कोई काम हो तो बता दीजिये भाभी...संकोच मत कीजियेगा कभी। चंदू अपना लंड सेट करते हुए कहता है।
प्रभा उसकी बात का मतलब समझ जाती है। प्रभा काफी उत्तेजित महसूस कर रही थी। इस वजह से उसकी हरकते उसे बुरी नहीं लग रही थी।
प्रभा:- नहीं भैया अब कोई काम नहीं....आप जाओ वो टिफिन की राह देख रहे होंगे।
चंदू चला जाता है।
इधर सागर बाइक लेके अपने दोस्त विजय से मिलने उसके घर जाता है।
विजय सागर से दो साल बड़ा है। वो एक तरह से गाँव का लवगुरु है। पढाई छोड़ चूका है। उसके पास बहोत सी गाये और भैंसे है और वो दूध का बिजनेस करता है। वो अक्सर सागर से मिलने शहर जाता है।
सागर उसे मिलके प्रियंका को कैसे पटाना है इसके लिए टिप लेना चाह रहा था।
सागर उसके घर पहोचता है तो उसकी माँ कहती है की वो तबेले में है।
सागर तबेले में जाता है। लेकिन वो जो देखता है उसपे उसे विश्वास नहीं होता।
* विजय तबेले में एक कोने में जहा जानवरो का चारा रखा होता है वह किसी औरत को चोद रहा था। सागर झट से थोडा छुप जाता है। विजय ने उस औरत को घोड़ी बना रखा था ...उसकी साडी को कमर तक चढ़ा रखा था। और पिछेसे उसकी चूत में अपना लंड डाल कच कच चोदे जा रहा था। वो औरत दबी आवाज में अह्ह्ह उम्म्म स्स्स्स धीरे ऐसी आवाजे निकाल रही थी। विजय अब बहोत जोर से उस औरत को चोद रहा था। *सागर ये सब पहली बार देख रहा था। उसका गला सुख चूका था।लेकिन असली झटका उसे तब लगा जब वो औरत पलटी और विजय का लंड चूसने लगी। वो औरत विजय की सगी चाची थी। सागर को खुद की आँखों पे विश्वास नहीं हो रहा था। विजय की चाची उसका लंड पूरा मुह में लेके चूस रही थी। जुबान से चाट रही थी।*
विजय:- हाय रे मेरी जान उम्म्म्म जब तू मेरा लंड चूसती है न तो बहोत प्यारी लगति है।
चाची:- अह्ह्ह्ह स्स्स्स क्या करू मेरे राजा तेरे लंड का रस इतना अच्छा है न कितना भी पियो पेट ही नहीं भरता।
विजय:- मेरी रानी तो दिन में दो बार तो पिलाता हु ना तुझे और कितना चाहिए??
चाची:- उम्म्म्म अह्ह्ह्ह तेरे लंड के सहारे ही तो मेरी कट रही है अह्ह्ह्ह
चल अब निकाल जल्दी अपना पानी बुझा दे मेरी प्यास अह्ह्ह्ह्ह
विजय:- उम्म्म्म्म तू बातो में लगी है अह्ह्ह्ह चूस ले जल्दी से *अह्ह्ह्ह*
* चाची अब चुप हो के विजय का लंड चूसने लगी और उसके लंड को हिलाने लगी कुछ ही पल में विजय ने अपना सारा पानी चाची के मुह में डाल दिया। चाची भी बड़े चाव से उसे पि गयी।
सागर वहा से झट से निकल गया और बाहर तबेले से थोडा दूर जाके खड़ा हो गया। थोड़ी देर बाद चाची बाहर आयी। सागर को सामने देख के चौक गयी लेकिन अगले पल।संभल गयी और बिना कुछ बोले वहा से निकल गयी।
सागर उसे वहा से जाते हुए देखने लगा। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था।
सागर उन दोनों को स्कूल छोड़ने के बाद जाने के लीये मुड़ता है। लेकिन उसे पिछेसे प्रियंका के पुकारने की आवाज आती है। वो रुक जाता है। प्रियंका उसके पास आती है।
प्रियंका:- सागर ..स्कूल से लेने के लिए भी आओगे ना??
*पहले तो प्रियंका के सिर्फ सागर कहने से उसे एक अलग ही ख़ुशी मिलती है और दूसरा प्रियंका उसे स्कूल से लेने के लिए बुला रही होती है।
सागर:- हा आऊंगा ना....
प्रियंका:- ठीक है बाय...
* सागर भी उसे बाय बोलके वापस गाँव की तरफ निकल पड़ता है।
इधर प्रभा घर पे अकेली थी। जसवंत का टिफिन लेने के लिए चंदू आता है। घर के बाहर से आवाज देता है पर प्रभा अभी भी खाना बना रही होती है। चंदू थोडा अंदर जाता है। किचन में प्रभा काम कर रही थी।उसकी पीठ दरवाजे की तरफ थी। चंदू उसे देखता है। प्रभा की साडी कमर से खिसकी हुई थी। उसकी गोरी कमर को देख चंदू का लंड में हलचल होने लगाती है।
चंदू:- अह्ह्ह स्स्स साली क्या मस्त लग रही है। पसीने की बुँदो से क्या चमक रही है। साड़ी भी क्या कसके पहनती है पूरी गांड उभर के दिखती है। उम्म्म्म्म्म अह्ह्ह मेरा लंड तो पूरा खड़ा हो गया।
प्रभा को अहसास होता है की दरवाजे पे कोई खड़ा है। वो पलट के देखती है। चंदू पैजामे के ऊपर से अपना लंड मसलते हुए देख लेती है। चंदू झट से अपना हाथ हटाता है।
चंदू:- वो भाभी टिफिन.....
प्रभा:- हा बस हो ही गया।....आप बैठो बाहर....और पलट के कम करने लगती है....लेकिन पलटते वक़्त वो चंदू के खड़े लंड को एक नजर देखने से खुद को रोक नहीं पाती।
चंदू बाहर जाके बैठ जाता है।
प्रभा:- साला कमीना...आज तो हद्द हो गयी...लगता है इसकी शिकायत करनी ही पड़ेगी। कैसे मुझे देख के लंड मसल रहा था। लेकिन उसका लंड बहोत बड़ा लग रहा था। माधवी के बाबा से भी बड़ा। उफ्फ्फ ये मैं क्या सोच रही हु। एक पराये आदमी के लंड के बारे में???छी....लेकिन अगर उसका लंड बड़ा है तो है उसमे क्या??शर्म के मारे ठीक से देख नहीं पायी। लेकिन जितना देखा उससे तो काफी मोटा और लंबा लग रहा था। और उसकी बीवी भी तो बोल रही थी की जब वो उसे चोदता है तो उसकी चूत फाड़ देता है। क्यू न एक बार अच्छेसे देख लू कितना बड़ा है?? चुप कर कुछ भी क्या?? अरे मैं कोनसा चुदने वाली हु उससे बस एक बार देखना है और वो भी पैजामे के ऊपर से।
आखिर प्रभा का मन उसके लंड को एक बार देखने के अधीर हो उठता है। वो अपनी साडी को थोडा साइड में कर लेती है ताकि वो उसकी चुचियो को देख सके ताकि उसका लंड खड़ा हो जाय।
प्रभा:- चंदू भैया जरा यहाँ आइये...
चंदू प्रभा की आवाज सुनके अंदर जाता है।
चंदू:- जी भाभी...क्या हुआ??
प्रभा:- ये तेल खत्म हो गया है। वो बड़ी कैन से इस छोटी कैन में डाल दीजिये।*
चंदू:- जी भाभी अभी डाल देता हु।...चंदू की वासना भरी नजर प्रभा की चुचियो पे पड़ती है जो उसकी डीप नैक ब्लाउज में से थोड़ी दिख रही थी। चंदू का लंडमें फिर से तनाव आने लगता है। प्रभा तिरछी नजरो से देख के मन ही मन खुश हो रही थी। वो एक छोटी प्लेट में कैन रखती है ताकि तेल जमीन पे न गिरे। वो उसे चंदू के सामने रख देती है और खुद उसके साइड में निचे बैठ जाती है। चंदू खड़ा होने के कारन और प्रभा थोडा निचे की तरफ झुकने से चंदू को आधे से जादा चुचिया दिखने लगी थी। चंदू का लंड झटके मारने लगा था क्यू की इसकी उसने कभी उम्मीद नहीं की थी। प्रभा थोडा तिरछी नजरो से देखती है। पतले पैजामे में से चंदू का अंडर वियर साफ़ दिख रहा था। और उसके लंड का आकर भी।
प्रभा:- हा भैया अब डाल दो....धीरे से डालना...निचे गिरना नहीं चाहिए।
चंदू:- जी भाभी.....मन में..साली डाल दो तो ऐसे बोल रही है जैसे *अपनी चूत में लंड डालने को कह रही है। उम्म्म्म्म भाभी बस एक बार चूत में डालने के लिये कहदो कसम से ऐसा मजा दूंगा न अह्ह्ह्ह्ह्ह
*चंदू ये सब सोच रहा था और अपने लंड को झटके दिए जा रहा था। प्रभा उसके खड़े लंड का साइज़ देख पागल सी हो गयी थी। इतना तगड़ा लंड इतने करीब से देख के उसकी चूत गीली होने लगी थी।
प्रभा:- मन में..हाय रे क्या मस्त लंड है उफ्फ्फ्फ़ किस्मत वाली है इसकी बीवी उम्म्म्म मेरे पति का इतना बड़ा होता तो कितना मजा आता चुदने में स्सस्सस्सस
तेल की छोटी कैन भट चुकी थी मगर दोनों अपने खयाल में मस्त थे।
प्रभा का ध्यान कैन पे जाता है...
प्रभा:- बस हो गया भैया...हो गया।
चंदू बड़ी कैन अपनी जगह रख देता है।
चंदू:- और कोई काम हो तो बता दीजिये भाभी...संकोच मत कीजियेगा कभी। चंदू अपना लंड सेट करते हुए कहता है।
प्रभा उसकी बात का मतलब समझ जाती है। प्रभा काफी उत्तेजित महसूस कर रही थी। इस वजह से उसकी हरकते उसे बुरी नहीं लग रही थी।
प्रभा:- नहीं भैया अब कोई काम नहीं....आप जाओ वो टिफिन की राह देख रहे होंगे।
चंदू चला जाता है।
इधर सागर बाइक लेके अपने दोस्त विजय से मिलने उसके घर जाता है।
विजय सागर से दो साल बड़ा है। वो एक तरह से गाँव का लवगुरु है। पढाई छोड़ चूका है। उसके पास बहोत सी गाये और भैंसे है और वो दूध का बिजनेस करता है। वो अक्सर सागर से मिलने शहर जाता है।
सागर उसे मिलके प्रियंका को कैसे पटाना है इसके लिए टिप लेना चाह रहा था।
सागर उसके घर पहोचता है तो उसकी माँ कहती है की वो तबेले में है।
सागर तबेले में जाता है। लेकिन वो जो देखता है उसपे उसे विश्वास नहीं होता।
* विजय तबेले में एक कोने में जहा जानवरो का चारा रखा होता है वह किसी औरत को चोद रहा था। सागर झट से थोडा छुप जाता है। विजय ने उस औरत को घोड़ी बना रखा था ...उसकी साडी को कमर तक चढ़ा रखा था। और पिछेसे उसकी चूत में अपना लंड डाल कच कच चोदे जा रहा था। वो औरत दबी आवाज में अह्ह्ह उम्म्म स्स्स्स धीरे ऐसी आवाजे निकाल रही थी। विजय अब बहोत जोर से उस औरत को चोद रहा था। *सागर ये सब पहली बार देख रहा था। उसका गला सुख चूका था।लेकिन असली झटका उसे तब लगा जब वो औरत पलटी और विजय का लंड चूसने लगी। वो औरत विजय की सगी चाची थी। सागर को खुद की आँखों पे विश्वास नहीं हो रहा था। विजय की चाची उसका लंड पूरा मुह में लेके चूस रही थी। जुबान से चाट रही थी।*
विजय:- हाय रे मेरी जान उम्म्म्म जब तू मेरा लंड चूसती है न तो बहोत प्यारी लगति है।
चाची:- अह्ह्ह्ह स्स्स्स क्या करू मेरे राजा तेरे लंड का रस इतना अच्छा है न कितना भी पियो पेट ही नहीं भरता।
विजय:- मेरी रानी तो दिन में दो बार तो पिलाता हु ना तुझे और कितना चाहिए??
चाची:- उम्म्म्म अह्ह्ह्ह तेरे लंड के सहारे ही तो मेरी कट रही है अह्ह्ह्ह
चल अब निकाल जल्दी अपना पानी बुझा दे मेरी प्यास अह्ह्ह्ह्ह
विजय:- उम्म्म्म्म तू बातो में लगी है अह्ह्ह्ह चूस ले जल्दी से *अह्ह्ह्ह*
* चाची अब चुप हो के विजय का लंड चूसने लगी और उसके लंड को हिलाने लगी कुछ ही पल में विजय ने अपना सारा पानी चाची के मुह में डाल दिया। चाची भी बड़े चाव से उसे पि गयी।
सागर वहा से झट से निकल गया और बाहर तबेले से थोडा दूर जाके खड़ा हो गया। थोड़ी देर बाद चाची बाहर आयी। सागर को सामने देख के चौक गयी लेकिन अगले पल।संभल गयी और बिना कुछ बोले वहा से निकल गयी।
सागर उसे वहा से जाते हुए देखने लगा। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था।
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भाग 5
थोडा संभलने के बाद सागर अंदर गया। विजय कुछ काम कर रहा था। सागर को देख के वो खुश हो जाता है।
विजय:- अरे तू कब आया?? फ़ोन भी नहीं किया...
सागर:- कल ....हा अब गाओं में ही हु तो क्या फ़ोन करना इसलिए सीधा यही आ गया।
विजय:- चल आजा घर चलते है...
सागर:- नहीं यही बैठते है...
विजय:- चल ठीक है....और बता क्या हालचाल??
सागर:- मेरा छोड़ साले तू बता ये क्या चक्कर है तेरा??
विजय:- क्या चक्कर??किस बारे में बात कर रहा है??
सागर:- ये तेरी चाची वाला.....
सागर को लगा की विजय घबरा जायेगा मगर वो तो हंस रहा था।
विजय:-अछा वो..तूने देखा क्या??
सागर:- हा...
विजय:- देख भाई...उसे लंड की जरुरत थी मैं उसकी जरुरत पूरी कर रहा हु।
सागर:- लेकिन वो चाची है तेरी...
विजय:- हा तो क्या?? चाचा उसे चोदता नहीं तो वो बेचारी क्या करे??
तू टेंशन मत ले यार...
सागर:- भाई ये गलत है लेकिन...
विजय:- सुन मेरी बात...यहाँ आ..अब मैं तुझे जो बताऊंगा उसे ध्यान से सुन....देख औरत जो होती है उसे जिंदगी में ऐशो आराम न मिले वो चल जाता है मगर उन्हें लंड ना मिले तो वो बर्दास्त नहीं कर पाती। औरतो को लंड की चाहत पहली बार तब होती है जब वो जवानी पहला कदम रखती है और दुबारा जब वो 30 35 साल के ऊपर हो जाती है। इन दोनों ही परिस्थिति में उनको चुदाई की बड़ी प्यास होती है। पहले जवानु का उबाल उन्हें चैन से बैठने नहीं डेता। मगर उस वक़्त वो समाज के नियमो से बंधी होती है इस लिए चुपके चुपके ऐसा कम करती है। और जब वो 30 35 साल की हो जाती है तो उनका पति उनको देखता नहीं। कभी कभार चोदता है लेकिन इससे उनका पेट नहीं भरता। इसलिए वो मज़बूरी में दूसरा आदमी ढूंढती है। और देख अगर मैं चाची को नहीं चोदता तो कोई और चोदता...इसमे मेरा भी फायदा है ना...मुझे चाची की चूत मिल जाती है चोदने को...मुठ मारने की जरुरत नहीं...क्यू की मेरी शादी को अभी 2 3 साल टाइम है। तब तक मजे करो। समझा??
सागर:- उसके आगे हाथ जोड़के...हा मेरे भाई सब समझ गया। लेकिन यार वो चाची है सगी तेरी।
विजय:- अरे मेरे भाई वही तो बता रहा हु....देख अगर वो मेरी चाची नहीं होती तो मैं उसे चोद सकता था ...मैं यही सोचता हु किं वो मेरी चाची नहीं है...वो सिर्फ एक औरत है और मैं मर्द रिश्ते तो हम कहा पैदा होते है उससे बनते है पर है तो हम औरत और मर्द ही ना। रिश्तों के नाम को निकल दिया तो क्या रहता है?? औरतो के पास चूत है हमारे पास लंड उन दोनों को आपस में मिलाना है बाकि बाते जाय भाड़ में...क्यू अब हुआ न सब क्लियर??
सागर को अब भी थोडा अटपटा सा लग रहा था। पर वो और प्रवचन सुनने के मूड में नहीं था। तो उसने सिर्फ हा में गर्दन हिला दी।
सागर:- ह्म्म्म अब थोडा क्लियर हुआ है...पर एक बात बता तूने चाची को पटाया कैसे??
वीजय:- जाने दे यार बहोत लंबी कहानी है।*
सागर:- बता तो सही...
विजय:- देख मेरे चाची के रिश्ते के बारे में किसीको भी पता नहीं....तू पहला इंसान है ...लेकिन चाची और मेरे रिश्ते के पीछे और एक कहानी है..जो मैं तुझे बताना नहीं चाहता।
सागर:- बता दे यार...मैं किसी को नहीं कहूँगा।
विजय:- जा ने दे न भाई....फिर कभी।
सागर:- ठीक है भाई...जब तेरा दिल करे....लेकिन साले कमीने मस्त मजे करता है यार तू...
विजय:-हा यार वो तो है....चाची है बड़ी कमाल की...ऐसे चुदवाती है की क्या बताऊ....उसे बहोत शौक है चुदवाने का....और साली लंड के पानी के लिए इतनी भूकी है क्या बताऊ...
सागर:- हा देखा मैंने....कैसे चूस रही थी....और गांड भी क्या जबरदस्त है यार उफ्फ्फ्फ़ मेरा तो लंड खड़ा हो गया था।
विजय:- आय हाय क्या बात है मेरा शरीफ दोस्त अब बिगड़ने लगा है....(आँख मारते हुए) बोल चोदेगा क्या चाची को?? मैं लगाता हु तेरी सेटिंग....बोल??
सागर:- नहीं यार कुछ भी क्या??
विजय:- शरमा मत मेरी जान....यही दिन होते है मजे करने के...
सागर के मन में तो लड्डू फूटने लगते है। लेकिन झिझक की वजह से वो नहीं नहीं बोलते रहता है।
विजय:- अरे कुछ नहीं होगा...कब तक मुठ मार के काम चलाएगा??
सागर:- लेकिन चाची मानेगी??
विजय:- तू उसकी चिंता मत कर...मैं उसे बोल दूंगा की तूने उसे मुझसे चुदवाते देख लिया है और अब वो भी तुम्हे चोदना चाहता है। वो तो है ही लंड की भूकी मान जायेगी। नहीं मानी तो बोलूंगा की उसने हमारी फ़ोटो ले ली है और चाचा को दिखाने की बात कर रहा था।
सागर:- यार कुछ गड़बड़ तो नहीं होगी??
विजय:- भाई है तू मेरा...तू जा आराम से घर...मैं तेरी सुहागरात का बंदोबस्त करता हु। तू बस 4 बजे यही तबेले में आ जाना। वैसे तो वो मेरा टाइम रहता है लेकिन आज तू मजे करना। 4 से 5 बजे तक एक घंटा मस्त चुदाई करना साली की। बाद में चाचा और उसके बच्चे आ जाते है घर पे।
सागर:- ठीक है मैं तुझे 3.30 को फ़ोन करता हु।
विजय:- ह्म्म्म ठीक है।*
सागर वहा से निकल के घर आता है। खाना खा के अपने कमरे में आराम करने लगता है। मन ही मन विजय की चाची को चोदने के बारे में सोचने लगता है। वो थोडा डरा हुआ भी था और खुश भी। जिंदगी में पहली बार वो किसी औरत को चोदने वाला था।
इधर प्रभा भी आराम कर रही थी। लेकिन आज उसे नींद नहीं आ रही थी।रह रह के उसे चंदू का लंड याद आ रहा था। जितना वो उसे याद कर रही थी उसकी चूत में आग उतनी ही भड़क रही थी। उसकी चूत गीली हो रही थी। उससे अब सहा नहीं जा रहा था। उसने अपनी साडी ऊपर खींची और चूत को उंगली से सहलाने लगी। गीली चूत को सहलाने उसकी उत्तेजना में और बढ़ोतरी हो गयी। उसने अपने पैरो को फैलाके घुटनो से मोड़ लिया और चूत में उंगली डाल के आगे पीछे करने लगी। वो उत्तेजना में ये भी भूल गयी की सागर घर पे ही है। वो मस्ती में अपनी चूत चोदे जा रही थी। उसी वक़्त सागर अपने कमरे से निकल के प्रभा के रूम की तरफ आ रहा था। खिड़की थोड़ी खुली थी। सागर जैसे ही वहा से गुजरा उसे अपनी माँ की नंगी चूत एकदम से दिखाई पड़ी।वो वही रुक के देखने लग गया। प्रभा की आँखे बंद थी। वो चूत में उंगली ड़ाले जा रही थी।*
सागर ये सब देख के हैरान रह गया।उसे क्या करू कुछ समझ नहीं आया। जब तक वो समझ पाता की क्या करना है तब तक देर हो चुकी थी। उसकी आँखे अपनी माँ की चिकनी गोरी चूत पर टिक गयी थी। वो उसे देखे जा रहा था। उसका लंड उड़ने लगा था। उसे यकीन नहीं हो रहा था की उसकी माँ उंगली से अपनी चूत चोद रही थी।और वो भी दिन के इस समय। वो नजारा देख उसे बुखार सा आने लगा था। प्रभा अब अपनी चरम सीमा पर पहोच चुकी थी।
सागर को ये बात समझ आ गयी वो तुरंत अपने कमरे में चला गया। बिस्तर पे धड़ाम से गिर गया और सोचने लगा। विजय शायद सही कह रहा था। औरत लंड के बिना जादा दिन नहीं रह सकती। लेकिन क्या बाबा माँ को चोदते नहीं होंगे?? क्या माँ भी विजय जैसे किसी और के पास.....नहीं नहीं ये नहीं हो सकता....लेकिन फिर वो उंगली से क्यू चोद रही थी अपनी चूत को?? ऐसे कई सवाल उसके दिमाग में दौड़ने लगे थे।
उसकी ये तंद्रि विजय के फ़ोन से टूटी। विजय उसे बुला रहा था। उसने आता हु बोल के फोन रख दिया। आज का दिन उसके लिए बहोत अजीब था। पता नहीं और क्या क्या उसे देखने सुनने मिलाने वाला था।
यहाँ प्रियंका दिनभर सागर की यादो में खोयी हुई थी। उसका मन क्लास में बिलकुल भी नहीं था। वो तो बस स्कूल खत्म होने का इन्तजार बड़ी बेसब्री से कर रही थी।
थोडा संभलने के बाद सागर अंदर गया। विजय कुछ काम कर रहा था। सागर को देख के वो खुश हो जाता है।
विजय:- अरे तू कब आया?? फ़ोन भी नहीं किया...
सागर:- कल ....हा अब गाओं में ही हु तो क्या फ़ोन करना इसलिए सीधा यही आ गया।
विजय:- चल आजा घर चलते है...
सागर:- नहीं यही बैठते है...
विजय:- चल ठीक है....और बता क्या हालचाल??
सागर:- मेरा छोड़ साले तू बता ये क्या चक्कर है तेरा??
विजय:- क्या चक्कर??किस बारे में बात कर रहा है??
सागर:- ये तेरी चाची वाला.....
सागर को लगा की विजय घबरा जायेगा मगर वो तो हंस रहा था।
विजय:-अछा वो..तूने देखा क्या??
सागर:- हा...
विजय:- देख भाई...उसे लंड की जरुरत थी मैं उसकी जरुरत पूरी कर रहा हु।
सागर:- लेकिन वो चाची है तेरी...
विजय:- हा तो क्या?? चाचा उसे चोदता नहीं तो वो बेचारी क्या करे??
तू टेंशन मत ले यार...
सागर:- भाई ये गलत है लेकिन...
विजय:- सुन मेरी बात...यहाँ आ..अब मैं तुझे जो बताऊंगा उसे ध्यान से सुन....देख औरत जो होती है उसे जिंदगी में ऐशो आराम न मिले वो चल जाता है मगर उन्हें लंड ना मिले तो वो बर्दास्त नहीं कर पाती। औरतो को लंड की चाहत पहली बार तब होती है जब वो जवानी पहला कदम रखती है और दुबारा जब वो 30 35 साल के ऊपर हो जाती है। इन दोनों ही परिस्थिति में उनको चुदाई की बड़ी प्यास होती है। पहले जवानु का उबाल उन्हें चैन से बैठने नहीं डेता। मगर उस वक़्त वो समाज के नियमो से बंधी होती है इस लिए चुपके चुपके ऐसा कम करती है। और जब वो 30 35 साल की हो जाती है तो उनका पति उनको देखता नहीं। कभी कभार चोदता है लेकिन इससे उनका पेट नहीं भरता। इसलिए वो मज़बूरी में दूसरा आदमी ढूंढती है। और देख अगर मैं चाची को नहीं चोदता तो कोई और चोदता...इसमे मेरा भी फायदा है ना...मुझे चाची की चूत मिल जाती है चोदने को...मुठ मारने की जरुरत नहीं...क्यू की मेरी शादी को अभी 2 3 साल टाइम है। तब तक मजे करो। समझा??
सागर:- उसके आगे हाथ जोड़के...हा मेरे भाई सब समझ गया। लेकिन यार वो चाची है सगी तेरी।
विजय:- अरे मेरे भाई वही तो बता रहा हु....देख अगर वो मेरी चाची नहीं होती तो मैं उसे चोद सकता था ...मैं यही सोचता हु किं वो मेरी चाची नहीं है...वो सिर्फ एक औरत है और मैं मर्द रिश्ते तो हम कहा पैदा होते है उससे बनते है पर है तो हम औरत और मर्द ही ना। रिश्तों के नाम को निकल दिया तो क्या रहता है?? औरतो के पास चूत है हमारे पास लंड उन दोनों को आपस में मिलाना है बाकि बाते जाय भाड़ में...क्यू अब हुआ न सब क्लियर??
सागर को अब भी थोडा अटपटा सा लग रहा था। पर वो और प्रवचन सुनने के मूड में नहीं था। तो उसने सिर्फ हा में गर्दन हिला दी।
सागर:- ह्म्म्म अब थोडा क्लियर हुआ है...पर एक बात बता तूने चाची को पटाया कैसे??
वीजय:- जाने दे यार बहोत लंबी कहानी है।*
सागर:- बता तो सही...
विजय:- देख मेरे चाची के रिश्ते के बारे में किसीको भी पता नहीं....तू पहला इंसान है ...लेकिन चाची और मेरे रिश्ते के पीछे और एक कहानी है..जो मैं तुझे बताना नहीं चाहता।
सागर:- बता दे यार...मैं किसी को नहीं कहूँगा।
विजय:- जा ने दे न भाई....फिर कभी।
सागर:- ठीक है भाई...जब तेरा दिल करे....लेकिन साले कमीने मस्त मजे करता है यार तू...
विजय:-हा यार वो तो है....चाची है बड़ी कमाल की...ऐसे चुदवाती है की क्या बताऊ....उसे बहोत शौक है चुदवाने का....और साली लंड के पानी के लिए इतनी भूकी है क्या बताऊ...
सागर:- हा देखा मैंने....कैसे चूस रही थी....और गांड भी क्या जबरदस्त है यार उफ्फ्फ्फ़ मेरा तो लंड खड़ा हो गया था।
विजय:- आय हाय क्या बात है मेरा शरीफ दोस्त अब बिगड़ने लगा है....(आँख मारते हुए) बोल चोदेगा क्या चाची को?? मैं लगाता हु तेरी सेटिंग....बोल??
सागर:- नहीं यार कुछ भी क्या??
विजय:- शरमा मत मेरी जान....यही दिन होते है मजे करने के...
सागर के मन में तो लड्डू फूटने लगते है। लेकिन झिझक की वजह से वो नहीं नहीं बोलते रहता है।
विजय:- अरे कुछ नहीं होगा...कब तक मुठ मार के काम चलाएगा??
सागर:- लेकिन चाची मानेगी??
विजय:- तू उसकी चिंता मत कर...मैं उसे बोल दूंगा की तूने उसे मुझसे चुदवाते देख लिया है और अब वो भी तुम्हे चोदना चाहता है। वो तो है ही लंड की भूकी मान जायेगी। नहीं मानी तो बोलूंगा की उसने हमारी फ़ोटो ले ली है और चाचा को दिखाने की बात कर रहा था।
सागर:- यार कुछ गड़बड़ तो नहीं होगी??
विजय:- भाई है तू मेरा...तू जा आराम से घर...मैं तेरी सुहागरात का बंदोबस्त करता हु। तू बस 4 बजे यही तबेले में आ जाना। वैसे तो वो मेरा टाइम रहता है लेकिन आज तू मजे करना। 4 से 5 बजे तक एक घंटा मस्त चुदाई करना साली की। बाद में चाचा और उसके बच्चे आ जाते है घर पे।
सागर:- ठीक है मैं तुझे 3.30 को फ़ोन करता हु।
विजय:- ह्म्म्म ठीक है।*
सागर वहा से निकल के घर आता है। खाना खा के अपने कमरे में आराम करने लगता है। मन ही मन विजय की चाची को चोदने के बारे में सोचने लगता है। वो थोडा डरा हुआ भी था और खुश भी। जिंदगी में पहली बार वो किसी औरत को चोदने वाला था।
इधर प्रभा भी आराम कर रही थी। लेकिन आज उसे नींद नहीं आ रही थी।रह रह के उसे चंदू का लंड याद आ रहा था। जितना वो उसे याद कर रही थी उसकी चूत में आग उतनी ही भड़क रही थी। उसकी चूत गीली हो रही थी। उससे अब सहा नहीं जा रहा था। उसने अपनी साडी ऊपर खींची और चूत को उंगली से सहलाने लगी। गीली चूत को सहलाने उसकी उत्तेजना में और बढ़ोतरी हो गयी। उसने अपने पैरो को फैलाके घुटनो से मोड़ लिया और चूत में उंगली डाल के आगे पीछे करने लगी। वो उत्तेजना में ये भी भूल गयी की सागर घर पे ही है। वो मस्ती में अपनी चूत चोदे जा रही थी। उसी वक़्त सागर अपने कमरे से निकल के प्रभा के रूम की तरफ आ रहा था। खिड़की थोड़ी खुली थी। सागर जैसे ही वहा से गुजरा उसे अपनी माँ की नंगी चूत एकदम से दिखाई पड़ी।वो वही रुक के देखने लग गया। प्रभा की आँखे बंद थी। वो चूत में उंगली ड़ाले जा रही थी।*
सागर ये सब देख के हैरान रह गया।उसे क्या करू कुछ समझ नहीं आया। जब तक वो समझ पाता की क्या करना है तब तक देर हो चुकी थी। उसकी आँखे अपनी माँ की चिकनी गोरी चूत पर टिक गयी थी। वो उसे देखे जा रहा था। उसका लंड उड़ने लगा था। उसे यकीन नहीं हो रहा था की उसकी माँ उंगली से अपनी चूत चोद रही थी।और वो भी दिन के इस समय। वो नजारा देख उसे बुखार सा आने लगा था। प्रभा अब अपनी चरम सीमा पर पहोच चुकी थी।
सागर को ये बात समझ आ गयी वो तुरंत अपने कमरे में चला गया। बिस्तर पे धड़ाम से गिर गया और सोचने लगा। विजय शायद सही कह रहा था। औरत लंड के बिना जादा दिन नहीं रह सकती। लेकिन क्या बाबा माँ को चोदते नहीं होंगे?? क्या माँ भी विजय जैसे किसी और के पास.....नहीं नहीं ये नहीं हो सकता....लेकिन फिर वो उंगली से क्यू चोद रही थी अपनी चूत को?? ऐसे कई सवाल उसके दिमाग में दौड़ने लगे थे।
उसकी ये तंद्रि विजय के फ़ोन से टूटी। विजय उसे बुला रहा था। उसने आता हु बोल के फोन रख दिया। आज का दिन उसके लिए बहोत अजीब था। पता नहीं और क्या क्या उसे देखने सुनने मिलाने वाला था।
यहाँ प्रियंका दिनभर सागर की यादो में खोयी हुई थी। उसका मन क्लास में बिलकुल भी नहीं था। वो तो बस स्कूल खत्म होने का इन्तजार बड़ी बेसब्री से कर रही थी।
Re: hindi sex story - किस्से कच्ची उम्र के.....!!!!
भाग 6
सागर घर से निकल के सीधा विजय के तबेले में पहोचता है। विजय ने उसे बता दिया था की चाची उसको वही मिलेगी। सागर थोडा नर्वस था। पहली बार किसी की चुदाई करने वाला था। वो अंदर गया तो उसने देखा की चाची अंदर एक कोने में बैठी थी। उसे देख के वो उसकी तरफ आती है।
चाची:- ह्म्म्म आ गये तुम....तुम पे तो मेरी नजर बहोत दिनों से थी....चाची उसके एकदम करीब जाके उसका कालर पकड़ के अपनी तरफ खिंचती हुए कहती है।
सागर:- मतलब??
चाची:- मतलब ये की तू तो मुझे बहोत पहले से हु पसंद है...ये फ़ोटो खिंच के मुझे धमकी देने की क्या जरुरत थी??ऐसेही आके मुझे बोल देता...खुशीसे बिछ जाती तेरे आगे।.......चाची सागर के एकदम करीब जाके अपनी भारी भरकम चुचिया उसके सीने से दबाते हुए और अपनी चूत उसके लंड के करीब दबाते हुए कहा।
सागर के हाथ भी अनायास उसकी कमर पे आ जाते है।
सागर:- (उसे कमर से पकड़ के अपनी और थोडा खिचता है) अगर मैं इतना ही पसंद था तो खुद क्यू नहीं आयी मेरे पास??
चाची:- धत्त...कोई औरत खुद चलके थोड़ी ना आती है...अपनी चूत सागर के लंड से दबा के थोडा उसके लंड का जायजा लेती है। जब उसे अहसास होता है की सागर का लंड खड़ा हो चूका है और साइज़ में काफी बड़ा है तो वो अपना एक हाथ निचे ले जाके उसे पैंट के ऊपर से पकड़ने की कोशिश करती है।
चाची:- उईई माँ मैं मर गयी....इतना बड़ा लंड??? वो थोडा पीछे हट के देखती है। बापरे मैंने आज तक इतना बड़ा लंड नहीं देखा....उफ्फ्फ्फ्फ़ आज तो। मजा आ जायेगा स्स्स्स्स् .....कितनो की चूत फाड़ी है तूने आजतक इससे??
सागर:- नहीं आज पहली बार है।
चाची:- हाय रे इतना बड़ा लंड लेके घूम रहा है और अब तक कुँवारा है....ये तो ऐसा है की किसी भी औरत ने देख लिया तो खुद चूत खोल के बैठ जायेगी इस पर अह्ह्ह मेरी तो चूत इसे छूने से ही गीली होने लगी है। उम्म्म्म्म्म मेरे राजा ....चल मेरे साथ तुझे आज जन्नत की सैर कराती हु।
चाची उसे लेके घांस के पास लेके जाती है जहा एक गद्दा डाला हुआ था। जो शायद विजय ने डाल के रखा था। वहा जाके चाची निचे बैठ जाती है। सागर के पैंट की चैन खोल के उसका लंड बाहर निकालती है।
चाची:-स्स्स्स हाय रे जालिम *कहा था तू अब तक उम्म्म्म .....चाची सागर का लंड हातो में पकड़ के हिलाने लगाती है। पहली बार किसी औरत का हाथ अपने लंड पे पाकर सागर पागल सा होने लगा था। उत्तेजना के मारे उसका लंड और भी कड़क होने लगा था। चाची तो जैसे अपने होश खो चुकी थी। वो लंड को अपनी मुठी में पकड़ने की कोशिश कर रही थी पर वो उसकी मुट्ठी में समां नहीं रहा था। वो उसे दोनों हाथो से पकड़ के उसका सुपाड़ा मुह में भर लिया।
सागर तो जैसे हवा में उड़ने लगा था। उत्तेजना के मारे उसके मुह से सिसकियो के अलावा और कुछ नहीं निकल रहा था।
चाची:-अह्ह्ह्ह सागर उम्म्म्म्म अब मुझसे बर्दास्त नहीं हो रहा। ऐसा लग रहा कब इसे अंदर लू। आजा मेरे राजा डाल दे इसे मेरी चूत में।.....चाची निचे लेट के अपनी साडी ऊपर खीच उसे अपनी चूत दिखाते हुए कहती है।
सागर घुटनो पे बैठ जाता है और उसकी चूत पे लंड रखता है पर पहली बार होने की वजह से उसे कुछ समझ नहीं आता।*
चाची:- उम्म्म हाय रे मेरे अनाड़ी बलमा....चची उसका लंड पकड़ के चूत के मुह पे रखती है.....अब इसे धीरे धीरे अंदर डाल....सागर थोडा जोर लगाता है ...उसके लंड का सुपाड़ा चाची की चूत में घुस चूका था। चूत गीली थी पर सागर का लंड बहोत मोटा था। वो थोडा और जोर लगाता है लेकिन हड़बड़ाहट में कुछ जादा ही जोर लग जाता है। लंड एक झटके में ही पूरा अंदर चला जाता है। चाची की चींख निकल जाती है। उसकी आँखों से पानी निकलने लगता है।
चाची:- आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् मार डाला रे ...मर गई माँ अह्ह्ह्ह पागल कही के उफ्फ्फ्फ्फ्फ इतनी जोर से डालता है क्या कोई?? अह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उईई माँ ....चाची दर्द के मारे करहाने लगाती है।
सागर:- माफ़ करना चाची...वो गलती से हो गया....बाहर निकलू क्या??
चाची:- अह्ह्ह्ह नहीं मेरे अनाड़ी बलमा...स्स्स्स्स् अब रहने दे...पहली बार इतना मोटा लंड एक झटके में चूत लिया है तो थोडा दर्द होता ही है। उफ्फ्फ्फ्फ़ आज तो तूने मेरी चूत फड़वाने की तम्मन्ना पूरी कर दी अह्ह्ह्ह्ह अभी तेरा लंड बहोत अच्छा लग रहा है चूत में स्सस्सस्सस लेकिन किसी कुवारी लड़की को चोदेगा ना तो ध्यान से और धीरे चोदना...वरना मर जायेगी बिचारी.....
सागर:- अह्ह्ह्ह चाची मुझे भी बहोत अच्छा लग रहा है स्स्स्स...चाची अपना ब्लाउज खोलो ना...तुमारी चुचिया देखना चाहता हु।*
चाची ने ऍम ब्लाउज खोल दिया। सागर उसकी नंगी चुचिया देख बहोत खुश हो जाता है। वो उसे दोनों हातो से जोर जोर से दबाने लग गया।*
चाची:- अह्ह्ह्ह स्स्स्स इन्हे धीरे धीरे प्यार से दबाना होता है अह्ह्ह्ह उम्म्म्म फिर इसके निप्पल को मुह में लेके बारी बारी चूसना होता है ....औरतो को ये बात बहोत पसंद होती है।
सागर चाची की बात मान के उसकी चुचिया चूसने लगा। फिर चाची के कहे नुसार धीरे धीरे अपना लंड चूत में आगे पीछे करने लगा। चाची पागल सी हो रही थी। उसे आज तक इतना मजा किसीने नहीं दिया था।
सागर को भी बहोत मजा आ रहा था। वो अब थोडा फ़ास्ट फ़ास्ट चाची की चूत चोद रहा था। पांच मिनट में ही चाची झड़ चुकी थी। सागर भी अब झड़ने वाला था।
चाची:- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स उफ्फ्फ्फ़ सागर मेरे राजा उम्म्म्म्म्म*
सागर:-अह्ह्ह्ह चाची स्स्स्स मेरा पानी निकलने वाला है स्सस्सस्स आपके मुह में दू क्या?? मैंने देखा था सुबह आपको लंड का पानी पीना बहोत पसंद है।
चाची:- अह्ह्ह्ह्ह हा दे दे अह्ह्ह्ह स्सस्सस्स
*सागर अपना लंड चाची के मुह में देता है चाची उसे चूसने लगती है। सागर अह्ह्ह उम्म्म्म करते झड़ने लगा था। चाची उसके लंड से निकलती वीर्य की पिचकारियां अपने मुह में लेने लगती है।चाची का पूरा मुह सागर के वीर्य से भर गया था।*
चाची:- उफ्फ्फ्फ्फ़ जितना दमदार तेरा लंड है उतना अच्छा वीर्य है तेरा। उम्म्म्म मजा आ गया हाय रे स्स्स्स्स्
सागर:- क्यू चाची विजय के साथ मजा नहीं आता क्या??
चाची:- अरे पागल...सब्जी रोटी और पंच पकवान में कोई फर्क होता है की नहीं???तेरा लंड तो पंच पकवान समान है मेरी जान अह्ह्ह्ह आज लग रहा है की पहली बार चुदी हु उम्म्म्म
सागर:- अहह चाची सच में बहोत मजा आता है चुदाई में ...चलो मैं जाता हु अभी...
चाची:- अरे रुक कहा जा रहा है??एक बार और चोद मुझे स्स्स्स मन नहीं भरा मेरा ...
सागर:- लेकिन चाची मेरा लंड तो अभी छोटा है...
चाची:- तू फ़िक्र मत कर अभी 2 मिनट में खड़ा करती हु।
सागर:- एक बात पुछु?? आपको अपना पति। के अलावा दूसरे मर्द से चुदवाने में बुरा नहीं लगता??
चाची:- लगता था पहले....लेकिन ये चूत की प्यास बड़ी अजीब होती है मेरे राजा....चाची सागर का लंड पकड़ के उसे जुबान से चाटती हुए कहती है।
सागर:- अह्ह्ह्ह चाची क्या मस्त चुसती हो आप अह्ह्ह्ह....चाची एक बात बताओ आपने विजय को फसाया या उसने आप को??
चाची:- अरे ये विजय बहोत हरामी किसम का लड़का है....तू उसे ऐसा वैसा मत समझ....उसने अपनी सगी बहन को नहीं छोड़ा...
सागर ये सुनके शॉक हो गया।
सागर:- क्या मतलब???
चाची:- उसे मत कहना मैंने तुम्हे बताया है....वो अपनी बड़ी बहन के साथ चुदाई करता था। ये देख के ही तो मैंने उसे अपनी चुदाई के लिए मजबूर किया था।
सागर:- क्या बात कर रही हो चाची??
चाची:- हा सच में मेरे राजा...अपने गाँव में तो ये नार्मल चीज है। लगबघ हर घर में भाई अपनी बहन की जवानी का मजा लेते है। कोई कोई तो अपनी माँ को भी चोदता है।
सागर:- ऐसा कैसे हो सकता है??
चाची:- क्यू नहीं हो सकता?? विजय को ही लेलो अगर उसकी माँ अगर थोड़ी जवान होती ना तो वो उसको भी चोद देता। उसका क्या मेरा बेटा जवान होता तो मैं भी उससे चुदवा लेती।
सागर ये सुनके हक्का बक्का था। उसे एकदम दोपहर का नजारा याद आ गया उसके माँ की चूत का नजारा....जो चाची के चूत से कही जादा सुन्दर थी। उसे वो बात याद आते ही उसका लंड फिर से खड़ा होने लगा था।
सागर घर से निकल के सीधा विजय के तबेले में पहोचता है। विजय ने उसे बता दिया था की चाची उसको वही मिलेगी। सागर थोडा नर्वस था। पहली बार किसी की चुदाई करने वाला था। वो अंदर गया तो उसने देखा की चाची अंदर एक कोने में बैठी थी। उसे देख के वो उसकी तरफ आती है।
चाची:- ह्म्म्म आ गये तुम....तुम पे तो मेरी नजर बहोत दिनों से थी....चाची उसके एकदम करीब जाके उसका कालर पकड़ के अपनी तरफ खिंचती हुए कहती है।
सागर:- मतलब??
चाची:- मतलब ये की तू तो मुझे बहोत पहले से हु पसंद है...ये फ़ोटो खिंच के मुझे धमकी देने की क्या जरुरत थी??ऐसेही आके मुझे बोल देता...खुशीसे बिछ जाती तेरे आगे।.......चाची सागर के एकदम करीब जाके अपनी भारी भरकम चुचिया उसके सीने से दबाते हुए और अपनी चूत उसके लंड के करीब दबाते हुए कहा।
सागर के हाथ भी अनायास उसकी कमर पे आ जाते है।
सागर:- (उसे कमर से पकड़ के अपनी और थोडा खिचता है) अगर मैं इतना ही पसंद था तो खुद क्यू नहीं आयी मेरे पास??
चाची:- धत्त...कोई औरत खुद चलके थोड़ी ना आती है...अपनी चूत सागर के लंड से दबा के थोडा उसके लंड का जायजा लेती है। जब उसे अहसास होता है की सागर का लंड खड़ा हो चूका है और साइज़ में काफी बड़ा है तो वो अपना एक हाथ निचे ले जाके उसे पैंट के ऊपर से पकड़ने की कोशिश करती है।
चाची:- उईई माँ मैं मर गयी....इतना बड़ा लंड??? वो थोडा पीछे हट के देखती है। बापरे मैंने आज तक इतना बड़ा लंड नहीं देखा....उफ्फ्फ्फ्फ़ आज तो। मजा आ जायेगा स्स्स्स्स् .....कितनो की चूत फाड़ी है तूने आजतक इससे??
सागर:- नहीं आज पहली बार है।
चाची:- हाय रे इतना बड़ा लंड लेके घूम रहा है और अब तक कुँवारा है....ये तो ऐसा है की किसी भी औरत ने देख लिया तो खुद चूत खोल के बैठ जायेगी इस पर अह्ह्ह मेरी तो चूत इसे छूने से ही गीली होने लगी है। उम्म्म्म्म्म मेरे राजा ....चल मेरे साथ तुझे आज जन्नत की सैर कराती हु।
चाची उसे लेके घांस के पास लेके जाती है जहा एक गद्दा डाला हुआ था। जो शायद विजय ने डाल के रखा था। वहा जाके चाची निचे बैठ जाती है। सागर के पैंट की चैन खोल के उसका लंड बाहर निकालती है।
चाची:-स्स्स्स हाय रे जालिम *कहा था तू अब तक उम्म्म्म .....चाची सागर का लंड हातो में पकड़ के हिलाने लगाती है। पहली बार किसी औरत का हाथ अपने लंड पे पाकर सागर पागल सा होने लगा था। उत्तेजना के मारे उसका लंड और भी कड़क होने लगा था। चाची तो जैसे अपने होश खो चुकी थी। वो लंड को अपनी मुठी में पकड़ने की कोशिश कर रही थी पर वो उसकी मुट्ठी में समां नहीं रहा था। वो उसे दोनों हाथो से पकड़ के उसका सुपाड़ा मुह में भर लिया।
सागर तो जैसे हवा में उड़ने लगा था। उत्तेजना के मारे उसके मुह से सिसकियो के अलावा और कुछ नहीं निकल रहा था।
चाची:-अह्ह्ह्ह सागर उम्म्म्म्म अब मुझसे बर्दास्त नहीं हो रहा। ऐसा लग रहा कब इसे अंदर लू। आजा मेरे राजा डाल दे इसे मेरी चूत में।.....चाची निचे लेट के अपनी साडी ऊपर खीच उसे अपनी चूत दिखाते हुए कहती है।
सागर घुटनो पे बैठ जाता है और उसकी चूत पे लंड रखता है पर पहली बार होने की वजह से उसे कुछ समझ नहीं आता।*
चाची:- उम्म्म हाय रे मेरे अनाड़ी बलमा....चची उसका लंड पकड़ के चूत के मुह पे रखती है.....अब इसे धीरे धीरे अंदर डाल....सागर थोडा जोर लगाता है ...उसके लंड का सुपाड़ा चाची की चूत में घुस चूका था। चूत गीली थी पर सागर का लंड बहोत मोटा था। वो थोडा और जोर लगाता है लेकिन हड़बड़ाहट में कुछ जादा ही जोर लग जाता है। लंड एक झटके में ही पूरा अंदर चला जाता है। चाची की चींख निकल जाती है। उसकी आँखों से पानी निकलने लगता है।
चाची:- आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् मार डाला रे ...मर गई माँ अह्ह्ह्ह पागल कही के उफ्फ्फ्फ्फ्फ इतनी जोर से डालता है क्या कोई?? अह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उईई माँ ....चाची दर्द के मारे करहाने लगाती है।
सागर:- माफ़ करना चाची...वो गलती से हो गया....बाहर निकलू क्या??
चाची:- अह्ह्ह्ह नहीं मेरे अनाड़ी बलमा...स्स्स्स्स् अब रहने दे...पहली बार इतना मोटा लंड एक झटके में चूत लिया है तो थोडा दर्द होता ही है। उफ्फ्फ्फ्फ़ आज तो तूने मेरी चूत फड़वाने की तम्मन्ना पूरी कर दी अह्ह्ह्ह्ह अभी तेरा लंड बहोत अच्छा लग रहा है चूत में स्सस्सस्सस लेकिन किसी कुवारी लड़की को चोदेगा ना तो ध्यान से और धीरे चोदना...वरना मर जायेगी बिचारी.....
सागर:- अह्ह्ह्ह चाची मुझे भी बहोत अच्छा लग रहा है स्स्स्स...चाची अपना ब्लाउज खोलो ना...तुमारी चुचिया देखना चाहता हु।*
चाची ने ऍम ब्लाउज खोल दिया। सागर उसकी नंगी चुचिया देख बहोत खुश हो जाता है। वो उसे दोनों हातो से जोर जोर से दबाने लग गया।*
चाची:- अह्ह्ह्ह स्स्स्स इन्हे धीरे धीरे प्यार से दबाना होता है अह्ह्ह्ह उम्म्म्म फिर इसके निप्पल को मुह में लेके बारी बारी चूसना होता है ....औरतो को ये बात बहोत पसंद होती है।
सागर चाची की बात मान के उसकी चुचिया चूसने लगा। फिर चाची के कहे नुसार धीरे धीरे अपना लंड चूत में आगे पीछे करने लगा। चाची पागल सी हो रही थी। उसे आज तक इतना मजा किसीने नहीं दिया था।
सागर को भी बहोत मजा आ रहा था। वो अब थोडा फ़ास्ट फ़ास्ट चाची की चूत चोद रहा था। पांच मिनट में ही चाची झड़ चुकी थी। सागर भी अब झड़ने वाला था।
चाची:- अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स उफ्फ्फ्फ़ सागर मेरे राजा उम्म्म्म्म्म*
सागर:-अह्ह्ह्ह चाची स्स्स्स मेरा पानी निकलने वाला है स्सस्सस्स आपके मुह में दू क्या?? मैंने देखा था सुबह आपको लंड का पानी पीना बहोत पसंद है।
चाची:- अह्ह्ह्ह्ह हा दे दे अह्ह्ह्ह स्सस्सस्स
*सागर अपना लंड चाची के मुह में देता है चाची उसे चूसने लगती है। सागर अह्ह्ह उम्म्म्म करते झड़ने लगा था। चाची उसके लंड से निकलती वीर्य की पिचकारियां अपने मुह में लेने लगती है।चाची का पूरा मुह सागर के वीर्य से भर गया था।*
चाची:- उफ्फ्फ्फ्फ़ जितना दमदार तेरा लंड है उतना अच्छा वीर्य है तेरा। उम्म्म्म मजा आ गया हाय रे स्स्स्स्स्
सागर:- क्यू चाची विजय के साथ मजा नहीं आता क्या??
चाची:- अरे पागल...सब्जी रोटी और पंच पकवान में कोई फर्क होता है की नहीं???तेरा लंड तो पंच पकवान समान है मेरी जान अह्ह्ह्ह आज लग रहा है की पहली बार चुदी हु उम्म्म्म
सागर:- अहह चाची सच में बहोत मजा आता है चुदाई में ...चलो मैं जाता हु अभी...
चाची:- अरे रुक कहा जा रहा है??एक बार और चोद मुझे स्स्स्स मन नहीं भरा मेरा ...
सागर:- लेकिन चाची मेरा लंड तो अभी छोटा है...
चाची:- तू फ़िक्र मत कर अभी 2 मिनट में खड़ा करती हु।
सागर:- एक बात पुछु?? आपको अपना पति। के अलावा दूसरे मर्द से चुदवाने में बुरा नहीं लगता??
चाची:- लगता था पहले....लेकिन ये चूत की प्यास बड़ी अजीब होती है मेरे राजा....चाची सागर का लंड पकड़ के उसे जुबान से चाटती हुए कहती है।
सागर:- अह्ह्ह्ह चाची क्या मस्त चुसती हो आप अह्ह्ह्ह....चाची एक बात बताओ आपने विजय को फसाया या उसने आप को??
चाची:- अरे ये विजय बहोत हरामी किसम का लड़का है....तू उसे ऐसा वैसा मत समझ....उसने अपनी सगी बहन को नहीं छोड़ा...
सागर ये सुनके शॉक हो गया।
सागर:- क्या मतलब???
चाची:- उसे मत कहना मैंने तुम्हे बताया है....वो अपनी बड़ी बहन के साथ चुदाई करता था। ये देख के ही तो मैंने उसे अपनी चुदाई के लिए मजबूर किया था।
सागर:- क्या बात कर रही हो चाची??
चाची:- हा सच में मेरे राजा...अपने गाँव में तो ये नार्मल चीज है। लगबघ हर घर में भाई अपनी बहन की जवानी का मजा लेते है। कोई कोई तो अपनी माँ को भी चोदता है।
सागर:- ऐसा कैसे हो सकता है??
चाची:- क्यू नहीं हो सकता?? विजय को ही लेलो अगर उसकी माँ अगर थोड़ी जवान होती ना तो वो उसको भी चोद देता। उसका क्या मेरा बेटा जवान होता तो मैं भी उससे चुदवा लेती।
सागर ये सुनके हक्का बक्का था। उसे एकदम दोपहर का नजारा याद आ गया उसके माँ की चूत का नजारा....जो चाची के चूत से कही जादा सुन्दर थी। उसे वो बात याद आते ही उसका लंड फिर से खड़ा होने लगा था।