कलयुग की द्रौपदी

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raj..
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Re: कलयुग की द्रौपदी

Unread post by raj.. » 16 Oct 2014 08:47

रूम की शांति भंग करते हुए जग्गा ने पूछा – का रे गुड़िया, कैसन लगा हमारा शयन-कक्ष?

रानी शरमाते हुए बोली – खूब सुंदर है पर ई सब गंदा फोटो काहे लगा रखे हैं.

जग्गा बोला – अरे मेरी चिड़िया! अब तो तू हमारी लुगाई बन रही है तो तुमको मालूम तो होना चाहिए ना की बियाह के बाद का करते हैं. और फिर ई सब से सीख कर ही तो तुम हमको खुश कर पाओगि ना. और मरद-लुगाई के बीच में कुछ भी गंदा नहीं होता है. ई तो तुमको समझ में आ ही गया होगा जब हम तुम्हरा पेसाब पीए थे.

रानी को जैसे एहसास हुआ की उसने कुछ ग़लत कह दिया और वो अफ़सोस भरे लहजे में बोली – हमको माफ़ कर दीजिए. हमको लुगाई का कौनो कर्तव्य का ज्ञान नही है इसी से पूछ लिए.

रंगा हँसते हुए बोला – कोई बात नही गुड़िया, अब तो अपना जनम-जनमान्तर का साथ होगा. धीरे-धीरे सब सीखा देंगे.

रानी ने फिर जिग्यासा से पूछा – ई रूम में खाली एक ही पलंग क्यूँ है?

इस बार जग्गा के हँसने की बारी थी – अरे लाडो रानी, जब हम तुम्हारे मरद बन जाएँगे तो क्या हमसे अलग सोओगी? और अलग सोओगी तो हमारे बीच प्यार कैसे होगा और फिर नन्ही रानी कैसे आएगी. बोलो?

रानी की शरम से नज़रें ज़मीन में गढ़ गई.

इतने में रंगा बाजू के कपाट में से एक लाल घुटनों तक का घांघरा, लाल डोरियों वाली चोली और एक लाल दुपट्टा ले कर आया और रानी को देते हुए बोला – ले लाडो पहीन ले. नहा धो के रसोई में जाकर ज़रा सबके लिए चाइ और नाश्ता बना दे.

रानी ने कपड़े हाथ में लेकर उलट-पुलट कर देखने लगी तो रंगा पूछा – क्या हुआ गुड़िया?

रानी उत्सुकता से पूछी – सब ठीक है पर इसमे कछी क्यूँ नही है.

इसपर जग्गा हँसते हुए बोला – अरे पगली! यहाँ हमारे घर में चड्डी तो छ्चोड़ो कोई कपड़ा ही नही पहीनता है. धीरे-धीरे तुमको सब समझ जाएगा. पर इतना याद रखना की अगर कभी चड्डी पहना तो हम लोग नाराज़ हो जाएँगे.

रानी को कुछ अजीब लगा पर वो उन्हे नाराज़ नही करना चाहती थी इसलिए हौले से सिर हां में हिला दिया और कपड़े लेकर अटॅच्ड बाथरूम में घुस गयी.

बारिश से भीगा बदन जब झरने के गुनगुने पानी से नहाया तो सारी थकान और नींद उड़ गयी.

करीब आधे घंटे बाद रानी फारिग होकर बाहर निकली. वो अपने गीले कपड़े लिए दूसरे कमरे में पहुँची तो हकबका गयी. रंगा-बिल्ला बिल्कुल जनमजात अवस्था में सोफे पे बैठ टीवी देख रहे थे. पूरे बदन पर कपड़े का एक भी रेशा नही था. उनके शरीर पे सिर-से-पाव तक भालू जैसे बॉल थे. चेहरे पर घनी दाढ़ी, सर पे लंबे बाल, छाती और पीठ बालों से भरे, और झाँटे तो इतनी घनी की लंड उस वक़्त 5” होने पर भी दिखाई नही दे रहा था. पूरे पैरों में भी घाने बाल थे. पूरे-के-पूरे शेलेट-फिरते आदि मानव.

रानी को देख दोनो आसचर्यचकित थी. रानी बिल्कुल लाल परी लग रही थी. उन्हे अपने शिकार पर गर्व हो रहा था और आगे की कल्पना कर उनके लंड फुल टाइट हो गये.दोस्तो टाइट आपका भी हो रहा होगा शांति रखो यार अभी तो सुहाग रात मनानी बाकी है

अब फिर से चौकने की बारी रानी की थी जो उन घने झाटों में लंड को ताड़ नही पायी थी. अब उन लपलपाते घोड़े जैसे लौड़ों को देख उसका सारा जिस्म सर-से-पाव तक काप गया.

कुछ पल की चुप्पी को रंगा ने तोड़ा और छेड़ते हुए बोला – अरे वाह गुड़िया, खूब जच रही है ई कपड़ों में. एक दम घरवाली जैसन लग रही है! अच्छा जाओ और कुकछ सामान है रसोई में, चाइ और नाश्ता बना लो. फिर थोड़ी दे में पुजारीन आती होगी!!

रानी ताज्जुब से पूछी – पुजारीन! वो क्यूँ? घर में कोई पूजा करवाना है क्या.

रंगा बोला – पूजा ही तो है रानी जान. हमारा बियाह होगा तो पूजा तो होगा ही ना?

धात कहते हुए रानी रसोई की तरफ लपक ली.

रंगा जिसकी बात कर रहा था वो कोई और नही बल्कि पास के गाओं की एक वैश्या थी जो जवानी में उनका शिकार बनी थी. उसे ही पुजारीन बनाकर वो रानी को ये एहसास दिलाना चाहते थे की उनकी शादी हो रही है ताकि वो पूरी जान लगाकर बिना शिकायत किए अपने पतियों की सेवा करे.

रानी रसोई में उपमा और चाइ बनाकर कमरे में ले आई. उनको सर्व करने के बाद वो बाजू के चेर पे बैठ गयी. अभी भी वो उनके इस अवतार को देख कर कंफर्टबल नही हुई थी. रंगा ये ताड़ गया और तारीफ़ करते हुए बोला – वा! चाइ और उपमा तो बहुत बढ़िया है!! गुड़िया, तू तो बहुत अच्छी रसोइया लगती है. लगता है अब हम दोनो को खूब स्वाद खाना मिलेगा.

उनकी तारीफ सुन रानी नज़रें नीची कर मुस्कुराने लगी. इतने में रंगा बड़े लाड से बोला – यहाँ आओ मेरी चिड़िया! आओ हमारी गोद में अपने हाथ से तुमको खिलता हूँ.

रानी को कुत्ते की तरह पुचकारते हुए वो उठा और रानी की एक बाह पकड़कर उसे अपनी तरफ हौले से खीच लिया. हालाकी रानी उनकी नग्नता से अभी भी सकुचा रही थी पर उनके प्यार से वो छुप रही. आज तक किसीने ने उसके साथ इतने प्यार से व्यवहार नही किया था. और अच्छा खाना, रहने को इतना बड़ा घर, अच्छे कपड़े, प्यार; इन सबके एहसानों तले वो दबी जा रही थी.

इन्ही सोचों में उलझी वो रंगा के गोद में जा बैठी.

रंगा ने उसे एक जाँघ पे बैठाया और दोनो अपने बाजू रानी को दोनो तरफ लपेट दिए. राइट हाथ में उपमा का प्लेट लिए लेफ्ट हाथ में चम्मच से उठा कर खिलाने लगा.

रानी को रंगा का लाड बहुत अच्छा लगा.

raj..
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Re: कलयुग की द्रौपदी

Unread post by raj.. » 16 Oct 2014 08:48

इतने में दरवाजे पर दस्तक हुई तो जग्गा ने लपक कर अपना धोती उठाई और कमर पर लपेट उठ गया. उसके दरवाजा खोलते तक रंगा भी अपना धोती लपेट चुका था.

जग्गा ने डोर खोला तो सामने माला को पाया.

ये वोही औरत थी जिसकी बात वो रानी से कर रहे थे.

30-35 साल की उम्र होगी उसकी. रानी ने देखा वो सर से पाव तक भग्वे चोगे में थी.

लंबे बॉल, माथे पे टीका, गाले में रुद्राक्ष की माला, सचमुच किसी मंदिर की पुजारीन लग रही थी वो वैश्या.

माला अंदर आकर रानी को उपर-से-नीचे तक देखा और उसके गाल पर चिकोटी काट बोली – तो ये है नन्ही दुल्हिन? अरे रंगा आप तो बोले थे की 18 की है पर ये तो और मासूम दिख रही है? खूब मस्त दुल्हिन लाए है अपने लिए, हां??

रानी के गाल शरम से लाल हो गये और नज़रें नीचे गड़ गयी.

माला मज़ाक करते फिर बोली – अरे वाह ई तो लजाती भी है? क्या रे गुड़िया बियाह करेगी इन बैलों से???

रानी के तो होंठ ही सील गये थे जैसे.

माला उसकी अवस्था समझते हुए बोली – आ तुझे तैयार कर दू.

ये कहते हुए दोनो बेडरूम में चले गये.

रंगा-जग्गा नेतब तक उस रूम के एक कॉर्नर में टेबल पे भगवान के नाम पर रति-कामदेव (सेक्स गोद-गॉडेस) की मूर्ति लगाए और दीप-धूप-लोबान-फूल और दूसरे पूजा के समान लगा दिया.

उधर माला नेकमरे मैं पहुँचके रानी को एक बार फिर उपर-से-नीचे तक देखा और अपनी जवानी उन दोनो के हाथ लुटने की याद कर अंदर से सिहर उठी. आज फिर एक मासूम और नादान उनके चंगुल में फँस के लुटने वाली थी. शायद 2-3 साल बाद रानी भी उसी के कोठे की शोभा बढ़ाएगी.

वो रंगा-जग्गा के ख़ौफ्फ से अंजान भी ना थी इसलिए उन ख़यालों को भूल वो अपने बेग से दुल्हन के साज़-शृंगार का सब समान निकालने लगी.

माला ने पूछा – का रे गुड़िया, सुहाग रात में का का होता है कुकछ मालूम है की नही??

रानी ने मासूमियत से इनकार में गर्देन झुका दी.

माला ने मुस्कुराते हुए बोला – अरे तो कैसे खुश करेगी अपने मरदो को??

रानी भोलेपन से बोली – खूब अच्छा खाना खिलाएँगे, घर संभालेंगे, कपड़े धोएंगे, बदन दबाएँगे; कोई दुख नही होने देंगे.

माला ज़ोर से हँसते हुए बोली- अरे ई सब तो कोई नौकरानी भी कर देगी फिर लुगाई का का फ़ायदा? और बच्चा कैसे पैदा करेगी अपने मर्दों के लिए??

ये तो रानी ने सोचा ही ना था. अचरज में डूबी उसने पूछा – ई तो हमको मालूम ही नही है.

माला उसके बालों में हाथ फेरती बोली – बैठ यहाँ तुझे सब समझाती हूँ.

फिर दोनो पलंग पर बैठ गये और माला बोली – देख गुड़िया, मरद को खुश करने का मतलब है भगवान को खुश करना. और उनको खुश करने के लिए उनके लिंग को खूब खुश रखो. जबही भी वो खड़ा हो तो उसे शांत करने के लिए उसका अमृत पीयो.

रानी आँकें फाड़ कर उसे देख रही थी.

माला समझाते हुए बोली – लिंग यानी उनका लंड.

फिर उसने रानी की चूत पर हाथ रखते हुए बोली – यहाँ तुम्हारा गड्ढा है और उनका डंडा. जब लिंग लुगाई के हर गड्ढे में घुसकर अपना प्रसाद यानी अमृत देगा तभी औरत को सुंदर और गोल-मटोल बच्चा होगा.

पुरुष का अमृत कभी बर्बाद नही हों चाहिए नही तो भगवान नाराज़ हो जाते है.

औरत का तो सब छेद खाली पुरुष का लिंग को घुस्वाने के लिए बना है. और एक बात, तुम्हारे मर्दों का जितना अमृत निकलॉगी उतना वो तुमसे खुश रहेंगे. समझी!!

समझना क्या था, रानी तो हक्की-बक्की आखें फाड़ माला को देखे जा रही थी. इन बातों के बारे में ना तो उसे कुकछ मालूम था ना कुकछ कल्पना. अभी उसे समझ आ रहा था की उसका बाप रात में उसकी मा के जांघों के बीच क्या ढूनडता था.

जब बोलने लायक हुई तो डरते हुए बोली – माताजी, अगर ऐसा है तो हम अपने भगवान को कभी दुखी नही होने देंगे. पर हम उनका लिंग देखे हैं, वो तो हमारे छेदों में कैसे जाएगा.

सब जाएगा बेटी, तुमको मालूम नही है पर एक औरत 13” लंबा लिंग अपने योनि में ले सकती है. पहला बार बहुत तकलीफ़ होगा. समझ लेना भगवान तुम्हारा इम्तिहान ले रहे है. बाद में फिर तुमको स्वर्ग का एहसास होगा. अब तुम्हारे नरक के दिन ख़तम हो गये है गुड़िया रानी. अब तुमको भगवान मिल गये है और वो भी दो-दो.

माला की इन बातों से रानी के चेहरे की मुस्कान फिर लौट आई और वो साज़ समान उलट-पुलट देखने लगी.

करीब1 घंटे बाद जब दोनो बाहर निकले तो रंगा-जग्गा ठिठक कर देखते रह गये.

आगे की कहानी जानने के लिए अगला भाग पढ़ें

raj..
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Re: कलयुग की द्रौपदी

Unread post by raj.. » 16 Oct 2014 08:49

कलयुग की द्रौपदी --2

(गतान्क से आगे )

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा पार्ट 2 लेकर आपके लिए हाजिर हूँ अब तक आपने पढ़ा था कैसे रंगा और जग्गा कमसिन रानी को उसके स्कूल के बाहर से उठा लाए थे और उस नाडा हसीना को किस तरह बरगला कर उसको शादी झूँटा ख्वाब दिखाकर उसकी नाज़ुक सी छूट की चुदाई करना चाहते है अब आगे

रानी के उस रूप का दीदार कर दोनो के लंड गीले हो गये.

सर से पाव तक अप्सरा जैसी लग रही थी वो. लाल चटकदार जारी वाला घाघरा, डोरियों वाली लाल चोली चोली जिसपे छ्होटे-छोटे काँच की बिंदी जो सितारों जैसे चमचमा रही थी, बाल की माँग में बड़ा सा माँग टीका, कानों में बड़े बूँदों वाले झुमके, नाक में नथ्नि जो लेफ्ट कान तक चैन में अटॅच्ड थी, और गले में 20 तोले की चैन. चोली और घाघरा के बीच का वो नग्न पेट पर झालारदार तगड़ी (कमरबुंद) और नाभि पर एक सोने का सिक्का.हाथों में लाल-सफेद और सोने की चूड़ियाँ थी जो वृस्ट से कोहनी तक भरे थे. उंगलियों में 4-4 अंगूठियाँ और फास्ट-ड्राइ मेहंदी. गालों पर मस्कारा और होठ पर चेररी रेड लिपस्टिक उसकी सावली काया को और सेक्सी बना रहे थे.पैरों में भी मेहंदी लगी थी और दोनो पैरों में एक-एक सोने का घुँगरू वाले पायल थे.

उसके वजन से ज़्यादा शायद रानी के बदन पर जेवर और कपड़े थे.

उन सब पर लाल बूटियों वाला दुपट्टा जो उसके आधे चेहरे तक झुका हुआ था, पूरे सजावट की सोभा बढ़ा रहा था.

रंगा-जग्गा ही क्या किसी इंपोटेंट इंसान का भी लंड खड़ा हो जाता.

उस खामोशी को माला ने तोड़ा – क्या बात है कोई साप देख लिया क्या. ये तुम्हारी लुगाई है!

दोनो जैसे नींद से जागे. उनके मूह में लार भर आया और धोती आगे की तरफ तंबू जैसी बन गयी.

माला सबको लेकर शादी के टेबल के तरफ आई और कुछ झूठ मूठ पूजा का स्वांग कर दोनो को एक मंगलसूत्रा दिया और पहनाने को कहा.

दोनो ने वो फॉरमॅलिटी ख़तम की और एक-एक कर रानी के माँग में सिंदूर भर दिया.

इसके पस्चात रानी ने दोनो के पाव छूए. तब माला ने रानी से कहा – दुल्हिन, अब जो हम कहेंगे उसे हमारे पीछे दोहराना.

रानी ने हामी में सर हिला दिया.

माला बोली – आज से रंगा-जग्गा ही मेरे भगवान है. मैं इनका पुर लगन से सेवा करूँगी और कोई भी शिकायत का मौका नही दूँगी. मेरा पूरा बदन और ये जनम सिर्फ़ अपने देवताओं के सुख के लिए बना है. चाहे कितनी भी तकलीफ़ हो पर मैं तन-मॅन से उनकी सेवा करूँगी. अपने देवताओं का अमृतमयी प्रसाद का पान मैं हमेशा अपने सारे छिद्रों से करूँगी और उसके प्रताप से उन्हे हर 2 साल पर एक प्रतापी संतान दूँगी. अब मेरा पूरा जीवन इनके चरणों में समर्पित है.

रानी ने सब रिपीट किया और झुक कर माला के चरण छू लिए.

माला नेउसे आशीर्वाद दिया और फिर उसे लेकर उपर के एक कमरे में आ गयी जो की नीचे वाले बेडरूम का ड्यूप्लिकेट था. पर यह सुहाग कक्ष जैसा सज़ा हुआ था. और बिस्तर पर लाल गुलाब के पंखुड़ी बिखरे हुए थे.

रूम के कॉर्नर में एक छ्होटी अंगीठी रखी थी जिसमे चंदन के लकड़ियों का अंगार जल रहा था.

माला ने रानी से कहा की वो अंगीठी को अपने टाँगों के बीच रखकर खड़ी हो जाए.

रानी ने जिग्यासा से माल को देखा तो वो बोली – गुड़िया, ऐसे तुम्हारी चूत और गांद खुसबूदार हो जाएगी और तुम्हारे मरद को अच्छा लगेगा.

शरम से लाल रानी गर्दन झुकाए अंगीठी पर खड़ी हो गयी. अंगीठी उसपे पैरों के बीच था और घाघरा के अंदर इसलिए चंदन की खुश्बू पूरी तरह से उसके चूत और गांद पर अपनी छ्चाप छोड़ रही थी. चड्डी तो उसने पहन रखी नही थी सो रानी को 5 मिनट बाद हल्की गर्मी लगने लगी तो माला ने उसे बस करने को कहा.

अटॅच्ड बातरूम में ले जाकर माला ने रानी को पहले गुलाब जल और फिर शाद से कुल्ले करवाए.

अब उसने रानी को बिस्तर पर बैठा दिया और कहा थोड़ा इंतेज़ार करो तुम्हारे मारद को भेजती हूँ.

नीचे आकर माला ने आँख मारते हुए रंगा से कहा – जाओ सरकार, आपकी नन्ही परी आसमान में उड़ने को तैयार है!


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